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चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य के मुताबिक इन लोगों से दोस्ती और प्यार करना होता है बेहतर


आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, आचार्य चाणक्य का जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे ‘चाणक्य नीति’ (Chanakya Niti ) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गई बाते बहुत पुरानी हो, लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित (Chanakya Niti For Successful Life) होती है।





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आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे, लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दोस्ती और प्यार से संबंधित है।





चाणक्य नीति





चाणक्य नीति के मुताबिक घनिष्ठ मित्रता और प्रेम बराबर वालों में किया जाना चाहिए। देश काल और समाज का हर व्यक्ति पर गहरा प्रभाव होता है। ऐसे में अलग परिवेश और सामाजिक, आर्थिक अंतर वाले लोगों से प्रेम और मित्रता से बचना ज्यादा सही है।





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बराबर की संस्कृति और आर्थिकी वाले लोग एक दूसरे की समस्याएं और जरूरतों को भलिभांति समझते हैं। समझ का यह स्तर रिश्तों को प्रगाढ़ बनाता है। अत्यधिक सामाजिक और आर्थिक अंतर रहन-सहन, बात व्यवहार और सोच में खाई जैसे अंतर को दर्शाते हैं। व्यक्ति की मानसिकता उसके चरित्र का निर्माण करती है। चारित्रिक अंतर झगड़े विवाद बहस और तनाव का कारण बन सकता है।





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आचार्य चाणक्य व्यक्तिगत संबंधों के साथ राजनीतिक व्यवहार में भी चरित्र को अधिकाधिक महत्व देते थे। कमजोर चरित्र और व्यवहार के लोगों पर भरोसा नहीं करते थे। प्रेम और मित्रता में भरोसा प्राथमिक तत्व होता है। भरोसा समान विचारधारा और संस्कृति के लोगों में विकसित होता है।





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चाणक्य ने न सिर्फ विभिन्न राजनैतिक संबंधों को देशकाल की जरूरत के मुताबिक महत्ता प्रदान की बल्कि स्वयं इनको मूर्तरूप देने की पहल की। इनमें उन्होंने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि प्रेम और मित्रता से निर्मित रिश्ता बराबर वालों के साथ ही हो।





महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे चाणक्य





आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। आचार्य का भारत की दो प्रमुख शिक्षा संस्थाओं तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण योगदान है। आचार्य ने पश्चिमी सीमाई राज्यों को आक्रांताओं के आक्रमण और अधिग्रहण से बाहर निकलने में सहायता की। मगध जनपद को धननंद के आतंक से मुक्त कराया।





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चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र और सैन्य शास्त्र के भी ज्ञाता थे। आचार्य चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से भी था। चाणक्य ने तक्षशिला विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में वे इसी विद्यालय में आचार्य हुए। चाणक्य ने हर उस रिश्ते के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश की जो मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।


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