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चाणक्य के मुताबिक विचारों में स्पष्टता रखने से नहीं होता है लक्ष्य से भटकाव

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आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, आचार्य चाणक्य का जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे ‘चाणक्य नीति’ (Chanakya Niti ) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गई बाते बहुत पुरानी हो, लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित (Chanakya Niti For Successful Life) होती है।





चाणक्य के मुताबिक गलती से भी किसी को नहीं बतानी चाहिए ये 5 बातें, नहीं तो भुगतना पड़ सकता है भारी नुकसान





आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे, लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार विचारों में रखें स्पष्टता रखने से संबंधित है।





चाणक्य नीति : चाणक्य के मुताबिक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जरूर रखें इस बातों का ध्यान





सामान्य जीवन में लोग किसी काम को जोर शोर से शुरू करते हैं। थोड़े समय बाद उनके विचार बदलने लगते हैं। वे काम से निराश होने लगते हैं। कई बार तो वे कार्य बदलने तक के लिए तैयार हो जाते हैं। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। हालांकि, ऐसा तभी होता है जब व्यक्ति के विचार स्पष्ट नहीं होते हैं। उसे अपनी शिक्षा, अनुभव और चिंतन पर भरोसा नहीं होता है।





चाणक्य के मुताबिक सुखी जिंदगी जीने के लिए ये बातें हैं जरूरी, जानिए क्या ?





आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य सदैव विचारों पर दृढ़ता से कायम रहे। उन्होंने प्रत्येक विषय पर पूर्ण चिंतन मनन के बाद निर्णय की स्थापना की। उस निर्णय पर हर संभव कायम रहे। इसी का परिणाम रहा कि एक साधारण शिक्षक विदेशी आक्रांताओं से देश की रक्षा कर पाया। स्वदेश में भी भ्रष्ट व्यवस्था को उखाड़ फेंकने में कामयाब रहा। आचार्य ने कोई कार्य व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं किया।





चाणक्य नीति : चाणक्य के मुताबिक धन के मामले में नहीं करनी चाहिए इस तरह की गलतियां





वे देश समाज और संस्कृति को समर्पित रहे। इनकी रक्षा को उत्पन्न विचारों पर दृढ़ रहे। इसी कारण उनके लक्ष्य स्पष्ट रहे। लक्ष्यों में भटकाव नहीं आया। न ही वे उनसे विचलित हुए और न ही ऊबे। चाणक्य का कालखंड हो या वर्तमान काल व्यवहार के सामान्य नियम एक प्रकार के ही होते हैं। इस पर चाणक्य की जीवनशैली हमें प्रेरित करती है कि हमें किस प्रकार आगे बढ़ना चाहिए।





चाणक्य नीति : जानिए जिस मनुष्य में होता है ये गुण, उसे पूरी दुनिया मिलकर भी नहीं हरा सकती





एक बार यात्रा के दौरान चाणक्य को कांटा चुभ गया। चाणक्य ने नजदीक गांव से मठा या कहें छाछ लाकर उसमें मिश्री घोलकर डाल दी। उनके शिष्यों ने जब चाणक्य से पूछा कि गुरुदेव आपने ऐसा क्यों किया? इस पर चाणक्य बोले कि यह पेड़ मेरी तरह कई राहगीरों को तकलीफ पहुंचाता। इसके कांटे कई पथिकों के कंटक बनते। अब चीटिंया इस पेड़ को नष्ट कर मार्ग को निष्कटंक कर देंगी। यह बात सिर्फ मेरे तक सीमित रहती तो कदापि मैं ऐसा नहीं करता।





चाणक्य के मुताबिक लोगों को बुद्धि से लेना चाहिए काम, धन पर निर्भरता ठीक नहीं





चाणक्य की चाणक्य नीति जीवन में सफल बनाने के लिए प्रेरित करती है। चाणक्य नीति व्यक्ति को अंधेर से निकाल कर रोशनी तरफ ले जाती है। यही कारण है आज भी बड़ी संख्या में लोग चाणक्य की चाणक्य नीति का अध्ययन और अनुकरण करते हैं। चाणक्य की शिक्षाएं वास्तविकता के काफी करीब हैं। यह वजह है कि आज भी चाणक्य की नीति की प्रासंगिकता बनी हुई है।





चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य के मुताबिक इन लोगों से दोस्ती और प्यार करना होता है बेहतर





आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। आचार्य का भारत की दो प्रमुख शिक्षा संस्थाओं तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण योगदान है। आचार्य ने पश्चिमी सीमाई राज्यों को आक्रांताओं के आक्रमण और अधिग्रहण से बाहर निकलने में सहायता की। मगध जनपद को धननंद के आतंक से मुक्त कराया।





चाणक्य नीति : चाणक्य के मुताबिक झूठ, धोखा और दूसरों की बुराई करने वालों को कभी नहीं मिलता सम्मान





चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र और सैन्य शास्त्र के भी ज्ञाता थे। आचार्य चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से भी था। चाणक्य ने तक्षशिला विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में वे इसी विद्यालय में आचार्य हुए। चाणक्य ने हर उस रिश्ते के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश की जो मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।


चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य के मुताबिक इन लोगों से दोस्ती और प्यार करना होता है बेहतर

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आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, आचार्य चाणक्य का जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे ‘चाणक्य नीति’ (Chanakya Niti ) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गई बाते बहुत पुरानी हो, लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित (Chanakya Niti For Successful Life) होती है।





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आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे, लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दोस्ती और प्यार से संबंधित है।





चाणक्य नीति





चाणक्य नीति के मुताबिक घनिष्ठ मित्रता और प्रेम बराबर वालों में किया जाना चाहिए। देश काल और समाज का हर व्यक्ति पर गहरा प्रभाव होता है। ऐसे में अलग परिवेश और सामाजिक, आर्थिक अंतर वाले लोगों से प्रेम और मित्रता से बचना ज्यादा सही है।





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बराबर की संस्कृति और आर्थिकी वाले लोग एक दूसरे की समस्याएं और जरूरतों को भलिभांति समझते हैं। समझ का यह स्तर रिश्तों को प्रगाढ़ बनाता है। अत्यधिक सामाजिक और आर्थिक अंतर रहन-सहन, बात व्यवहार और सोच में खाई जैसे अंतर को दर्शाते हैं। व्यक्ति की मानसिकता उसके चरित्र का निर्माण करती है। चारित्रिक अंतर झगड़े विवाद बहस और तनाव का कारण बन सकता है।





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आचार्य चाणक्य व्यक्तिगत संबंधों के साथ राजनीतिक व्यवहार में भी चरित्र को अधिकाधिक महत्व देते थे। कमजोर चरित्र और व्यवहार के लोगों पर भरोसा नहीं करते थे। प्रेम और मित्रता में भरोसा प्राथमिक तत्व होता है। भरोसा समान विचारधारा और संस्कृति के लोगों में विकसित होता है।





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चाणक्य ने न सिर्फ विभिन्न राजनैतिक संबंधों को देशकाल की जरूरत के मुताबिक महत्ता प्रदान की बल्कि स्वयं इनको मूर्तरूप देने की पहल की। इनमें उन्होंने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि प्रेम और मित्रता से निर्मित रिश्ता बराबर वालों के साथ ही हो।





महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे चाणक्य





आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। आचार्य का भारत की दो प्रमुख शिक्षा संस्थाओं तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण योगदान है। आचार्य ने पश्चिमी सीमाई राज्यों को आक्रांताओं के आक्रमण और अधिग्रहण से बाहर निकलने में सहायता की। मगध जनपद को धननंद के आतंक से मुक्त कराया।





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चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र और सैन्य शास्त्र के भी ज्ञाता थे। आचार्य चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से भी था। चाणक्य ने तक्षशिला विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में वे इसी विद्यालय में आचार्य हुए। चाणक्य ने हर उस रिश्ते के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश की जो मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।


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आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, आचार्य चाणक्य का जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे ‘चाणक्य नीति’ (Chanakya Niti ) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गई बाते बहुत पुरानी हो, लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित (Chanakya Niti For Successful Life) होती है।





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आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे, लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार आदतों से संबंधित है।





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आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। आचार्य का भारत की दो प्रमुख शिक्षा संस्थाओं तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण योगदान है। आचार्य ने पश्चिमी सीमाई राज्यों को आक्रांताओं के आक्रमण और अधिग्रहण से बाहर निकलने में सहायता की। मगध जनपद को धननंद के आतंक से मुक्त कराया।





चाणक्य नीति





चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति सभी के हृदय में रहता है, वह व्यक्ति जीवन में अपार सफलता प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति के पास लक्ष्मी जी का आर्शीवाद सदैव बना रहता है। ज्ञान की देवी सरस्वती भी ऐसे लोगों पर अपनी कृपा बनाएं रखती हैं। इसीलिए हर व्यक्ति के मन में सभी का प्रिय होने की कामना बनी रहती है।





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चाणक्य के अनुसार यह कार्य आसान नहीं है। सभी का प्रिय होने के लिए व्यक्ति में कुछ अच्छी आदतों का होना भी बहुत जरूरी है। क्योंकि छल कपाट से अर्जित किए गए प्रेम की परत एक न एक दिन खुल ही जाती है। जब सामने वाले को सच्चाई का पता चलता है तो अपयश का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए लोगो के दिलों में यदि जगह बनानी है तो छल कपट और झूठ से दूर रहें और चाणक्य की इन बातों को हमेशा याद रखें।





सामने वाले व्यक्ति को कभी न समझें कमजोर





चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति अहंकार में कभी कभी स्वयं को इतना विशाल और सक्षम समझने लगता है कि वह समाने वाले व्यक्ति को कभी कभी कमतर आंकने की भूल कर जाता है। यही भूल आगे चलकर भारी भी पड़ जाती है। जो व्यक्ति अहंकार से दूर रहकर सभी का आदर सम्मान करता है, वह सभी का प्रिय होता है। बुरा वक्त आने पर ऐसे व्यक्ति के साथ सहयोग करने वालों की भारी भीड़ जमा रहती है।





विनम्रता अपनाएं





चाणक्य नीति कहती है कि यदि लोगों के हृदय में स्थान बनाना है तो विनम्रता और मधुर वाणी को अपनाएं। विनम्रता सभी को आकर्षित करती है। विनम्र व्यक्ति ज्ञान और शक्ति से पूर्ण होता है। जब ऐसे व्यक्ति मानव कल्याण के बारे में जब चिंतन करते हैं तो समाज ऐसे व्यक्ति को आदर सम्मान प्रदान करता है।





किसी को न दें धोखा





चाणक्य के मुताबिक दूसरों को धोखा देने वाला व्यक्ति लोगों की नजर में यश की प्राप्ति नहीं करता है। धोखा देने वाले से लोग दूरी बनाकर चलते हैं। लोग जब एक बार इनके स्वभाव को जान जाते हैं तो इनसे दूर रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं।





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चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र और सैन्य शास्त्र के भी ज्ञाता थे। आचार्य चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से भी था। चाणक्य ने तक्षशिला विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में वे इसी विद्यालय में आचार्य हुए। चाणक्य ने हर उस रिश्ते के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश की जो मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।


चाणक्य नीति : चाणक्य के मुताबिक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जरूर रखें इस बातों का ध्यान

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आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, आचार्य चाणक्य का जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे ‘चाणक्य नीति’ (Chanakya Niti ) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गई बाते बहुत पुरानी हो, लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित (Chanakya Neeti for Goal) होती है।





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आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे, लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार लक्ष्य प्राप्त करने से संबंधित है।





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आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। आचार्य का भारत की दो प्रमुख शिक्षा संस्थाओं तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण योगदान है। आचार्य ने पश्चिमी सीमाई राज्यों को आक्रांताओं के आक्रमण और अधिग्रहण से बाहर निकलने में सहायता की। मगध जनपद को धननंद के आतंक से मुक्त कराया।









चाणक्य लक्ष्य प्राप्ति के लिए अंतिम व्यक्ति और वस्तु को भी प्रयोग में लाते थे। उन्होंने लक्षशिला पर हुए बाहरी आक्रमण में छात्रों और शिक्षकों का संगठन खड़ा किया। इनके माध्यम से जंगल में लूटमार करने वाले डाकुओं को उन्होंने वीर योद्धाओं में परिणत कर दिया। वे सफलता प्राप्ति के लिए सर्वाेत्तम संभावना के साथ प्रयास करते थे। सभी में अवसर देखते थे। माताओं से तक उन्हें बच्चों को युद्ध के लिए सौंपने का आग्रह किया। महिलाओं को राजनीतिक गतिविधियों से जोड़ा।





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वे किसी पूर्वाग्रह में आकर किसी को हीन अथवा बड़े की दृष्टि से नहीं देखकर सहयोगी के नजरिये से देखते थे। मौके पर जान की बाजी तक लगा देने के लिए प्रेरित करते थ। इसी नीति के तहत उन्होंने एक साधारण परिवार के बालक को योद्धा बना दिया। नेतृत्व क्षमता का विकास कर चंद्रगुप्त मौर्य के रूप में सशक्त बना दिया। चंद्रगुप्त की मदद से ही चाणक्य धननंद को सत्ताच्युत करने में सफल हुए।





चाणक्य नीति पर अमल लक्ष्यपूर्ति(Chanakya Neeti for Goal)





आम व्यवहार में भी इस चाणक्य नीति पर अमल लक्ष्यपूर्ति के आवश्यक है। लक्ष्य के प्रति इतना समर्पण होना चाहिए कि हर वस्तु व्यक्ति का साथ सहयोग पाने में हमें तनिक संकोच न हो। बल्कि हम युक्तिपूर्वक उन्हें जोड़ पाएं उपयोग कर पाएं।





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चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र और सैन्य शास्त्र के भी ज्ञाता थे। आचार्य चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से भी था। चाणक्य ने तक्षशिला विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में वे इसी विद्यालय में आचार्य हुए। चाणक्य ने हर उस रिश्ते के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश की जो मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। चाणक्य के मुताबिक पति और पत्नी का रिश्ता भी इनमे से एक है।





मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है चाणक्य नीति





चाणक्य की चाणक्य नीति मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है। यही नहीं जीवन में सफल होने के लिए भी प्रेरित करती है। यही कारण है कि इतने वर्षों के बाद भी चाणक्य की चाणक्य नीति की प्रांसगिकता कम नहीं है। आज भी बड़ी संख्या में लोग चाणक्य नीति का अध्यन करते हैं।


चाणक्य नीति : चाणक्य के मुताबिक धन के मामले में नहीं करनी चाहिए इस तरह की गलतियां

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आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, आचार्य चाणक्य का जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे 'चाणक्य नीति' (Chanakya Niti) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गई बाते बहुत पुरानी हो, लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित (Chanakya Niti For Successful Life) होती है।





चाणक्य नीति : जानिए जिस मनुष्य में होता है ये गुण, उसे पूरी दुनिया मिलकर भी नहीं हरा सकती





आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे, लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार धन के मामले से संबंधित है।





छोटी- छोटी गलतियों से हो सकती है धन हानि (Chanakya Niti For Successful Life)





चाणक्य (acharya chanakya) की 'चाणक्य नीति' कहती है कि धन के मामले में व्यक्ति को बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए। कभी कभी छोटी- छोटी गलतियों से धन हानि हो जाती है और धन की देवी लक्ष्मी जी नाराज हो जाती है। चाणक्य के मुताबिक भौतिक जीवन में जिसके पास लक्ष्मी जी की कृपा और आर्शीवाद बना रहता है वो व्यक्ति कई तरह की बाधाओं और कष्टों से बचा रहता है।





बॉयफ्रेंड से बात करने से रोकने पर कलयुगी बेटी ने की पिता की हत्या, ऐसे हुआ खुलासा





चाणक्य (acharya chanakya) के मुताबिक जीवन में धन का विशेष महत्व है। सुखों का बहुत बड़ा कारक धन भी है। धन की उपयोगिता किसी से छिपी नहीं है। हर व्यक्ति अपने जीवन स्तर को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए धन की तरफ आकर्षित होता है। धन प्राप्त करने के लिए व्यक्ति बड़े से बड़ा जोखिम उठाने के लिए तैयार रहता है। चाणक्य के मुताबिक धन की प्राप्ति परिश्रम से होती है। इसके साथ ही कुछ और बातें है जिनका ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है। अगर आप इन बातों को ध्यान में रखते हैं तो लक्ष्मी जी का आर्शीवाद हमेशा आप पर बना रहेगा।





आलस का करें त्याग(Chanakya Niti For Successful Life)





चाणक्य (acharya chanakya) के मुताबिक आज के काम को जो व्यक्ति कल पर टालता है वह कभी सफलता को प्राप्त नहीं करता है। सफलता नहीं मिलने के कारण ऐसे लोगों धन के लिए तरसते रहते हैं। लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए आलस का त्याग करना पड़ता है।





दूसरों को परेशान करने के लिए न करें धन का प्रयोग





चाणक्य (acharya chanakya) के मुताबिक धन का प्रयोग खुद और मानव कल्याण के लिए करना चाहिए जो लोग धन का प्रयोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए करते हैं ऐसे लोगों से लक्ष्मी जी नाराज होती हैं और साथ छोड़ देती हैं।





न करें ज्यादा गुस्सा





चाणक्य (acharya chanakya) के मुताबिक गुस्सा व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है। गुस्से से व्यक्ति को हमेशा दूर रहना चाहिए। गुस्से में व्यक्ति अच्छे बुरे का भेद नहीं कर पाता है, जिस कारण समय आने पर उसे हानि उठानी पड़ती है। गुस्सा करने वाले मनुष्य को लक्ष्मी जी पसंद नहीं करती हैं।


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