रायपुर. रायपुर जंक्शन से सोमवार से सभी 12 स्पेशल लोकल ट्रेनें (Special Local trains in Chhattisgarh) पटरी पर दौडऩे लगी हैं। लेकिन यात्रियों का सन्नाटा अभी छंटा नहीं है। हालांकि लोकल ट्रेनें चलने की शुरुआत के चौथे दिन स्टेशन में जरूर यात्रियों की हलचल अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक रही, परंतु लोकल ट्रेनों की क्षमता के हिसाब से बहुत कम यात्री सफर कर रहे हैं। रेलवे से एक दिन पहले का जो आंकड़ा सामने आया, वह हतोत्साहित करने वाला है। क्योंकि रायपुर रेल डिवीजन में रविवार तक सिर्फ 2100 यात्रियों ने सफर किया।
कोरोना के खतरे की वजह से बंद हुई लोकल ट्रेनें दस महीने बाद पहली बार 12 फरवरी को चलना शुरू हुई थी। पहले दिन पांच, दूसरे दिन चार और तीसरे दिन दो और सोमवार को एक और लोकल ट्रेन के साथ सभी 12 लोकल ट्रेनों की आवाजाही शुरू हुई। ये सभी लोकल ट्रेनें अभी रायपुर स्टेशन से बिलासपुर और डोंगरगढ़ के बीच ही चल रही हैं। जबकि इससे आगे की पैसेंजर ट्रेनों के पहिए अभी थमे ही हुए हैं। इधर रायपुर रेल मंडल के अफसरों का मानना है कि लोकल ट्रेनों में सबसे अधिक दैनिक यात्री सफर करते रहे हैं, उनमें खासतौर पर छोटे-छोटे काम धंधा करने वाले अधिक होते थे। दूध और सब्जी वाले भी। उम्मीद है कि यात्रियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है, क्योंकि लंबे समय तक ये गाडिय़ां बंद थी। इसका काफी प्रभाव पड़ा है।
एक फेरे में 800 यात्री आसानी से कर सकते हैं सफर
रेल अफसरों के अनुसार एक लोकल ट्रेन (Special Local trains in Chhattisgarh) की क्षमता 800 यात्रियों की है। यह अलग बात है कि आम दिनों में 14 सौ से 15 सौ तक यात्री सफर करते थे। इसीलिए उस दौरान हर दिन 22 हजार यूटीएस टिकट जारी होने का आंकड़ा है, परंतु इस समय पिछले चार दिनों से एक लोकल में मुश्किल से सौ से दो सौ यात्री ही सफर कर रहे हैं। यानी कि पूरी लोकल खाली ही आवाजाही कर रही है। रायपुर रेल मंडल के सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर शिव प्रसाद पंवार के अनुसार सोमवार वर्र्किंग डे होने की वजह से यात्रियों की संख्या पहले से बढ़ी है। सभी 12 लोकल ट्रेनों के लिए रायपुर स्टेशन से लगभग 800 से हजार यात्रियों के लिए टिकट जारी हुआ है।
यात्रियों की कम संख्या की वजह से बंद करनी पड़ी थी दो पैसेंजर
रेलवे चार महीना पहले रायपुर स्टेशन से दो पैसेंजर ट्रेन चलाया था, रायपुर से कोरबा और रायपुर से केवटी दल्लीराजहरा के बीच। परंतु कोरोना काल की वजह से इन दोनों पैसेंजर ट्रेनों में यात्रियों की संख्या बेहद कम रही। इसी का हवला देकर रेलवे इन दोनों पैसेंजर का परिचालन एक महीने में ही बंद कर दिया था।