रायपुर| भारत बायोटेक द्वारा बनाई कोवैक्सीन (Co-vaccine Chhattisgarh News) की पहली खेप छत्तीसगढ़ में पहुंच चुकी है, लेकिन यहां के स्वास्थ्य मंत्री (health minister) ने यह कहकर इस टीका का उपयोग करने से इनकार(TS Singh dev Denies to use Co-vaccine) कर दिया है कि इसका तो अभी तक क्लीनिकल ट्रायल ही पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे पास अभी कोविशिल्ड स्टॉक में है, उसका ही उपयोग होगा। शनिवार को यह खेप रायपुर पहुंचा है।
स्वास्थ्यमंत्री TS सिंहदेव के बयान के बाद स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने भी कह दिया कि कोविशिल्ड चूंकि अप्रैल में एक्सपायर हो जाएगी, इसलिए उसे प्राथमिकता के साथ लगाकर पहले खत्म करना है, उन्होंने यह भी कहा कि मैंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को चिट्ठी लिखी थी कि कोवैक्सीन छत्तीसगढ़ में नहीं भेजी जाए, फिर भी 37500 टीके यहां भेज दिए गए।
कोवैक्सीन की मिली 37,500 डोज(Co-vaccine Chhattisgarh News)
हालांकि स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने इस टीके के ट्रायल पर सवाल नहीं खड़े किए, लेकिन स्वास्थ्यमंत्री के बयान के बाद कोवैक्सीन का टीका लगाया जाना मुश्किल है। कोवैक्सीन का 37,500 टीका की डोज़ प्रदेश में फ्रंट लाइन वर्कर्स को देने सरकार द्वारा भेज गया है।
देश में दो तरह के टीके बनाये गए हैं। जिसमें सीरम इंस्टीटूट द्वारा कोविशिल्ड नामक टीका बनाया गया है और भारत बायोटेक नामक संस्था द्वारा कोवैक्सीन नामक टीका बनाया गया है। कोवैक्सीन टीके को दूसरे देशों में भी भेजा जा रहा है और उसकी मांग भी है। लेकिन इन टीकों पर शुरुआती दौर से ही सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रदेश में कोविशील्ड के 5 लाख 65 हजार टीके पहले से ही हैं। इनमें से हेल्थ वर्कर को 22 हजार टीके अब तक लगाए जा चुके हैं। इस वैक्सीन के टीके से फ्रंट लाइन वर्कर्स का वैक्सीनशन का काम पूरा हो जाएगा।
दरअसल इन टीकों के निर्माण के बाद भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीटूट के अधिकारियों ने एक दूसरे के खिलाफ बयान दिया और उनके टीके का कमियां बताकर उन्हें सार्वजनिक कर दिया। हालांकि उच्चस्तरीय हस्तक्षेप के बाद दोनों का विवाद तो खत्म हो गया लेकिन लोगों के मन में जो संदेह के बीज पड़े उसे लोग अपने मन से दूर नहीं कर पा रहे हैं।