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कृषि वैज्ञानिक मनोहर लाल राजपूत ने 20 साल किया रिसर्च, अब बॉल से होगा मशरूम उत्पाद


बिलासपुर. मशरूम हर किसी की पहुंच में काफी कम लागत पर उत्पादन हो सके, यही सोच के साथ कृषि वैज्ञानिक मनोहर लाल राजपूत ने मशरूम(Mushroom Product) पर काफी रिसर्च करते रहे। 20 साल तक रिसर्च करने के बाद विधी भी खोज निकाली व घर में एक बॉल से लगभग 1 से 2 किलो तक मशरूम उत्पादन भी किया। लेकिन कोरोना काल में बेरोजगारी व रुपए के अभाव में अपने रिसर्च को जीने का साधन बनाया आज बिलासपुर सहित रायपुर, राजनांदगांव व प्रदेश के अन्य जिलों के मशरूम प्रेमी मनोहर लाल के पास आकर मशरूम लगाने की यूनिट लगाने सीखने पहुंचते है।





एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के साथ ही जिंदल व अन्य बडे कम्पनियों में रह कर मशरूम उत्पादन पर काफी रिसर्च किया। जिंदल में कार्यरत कर्मचारियों को प्रेरित कर उनके घरों में मशरूम उत्पादन भी शुरू कराया। 20 साल की रिसर्च में कृषी वैज्ञानिक मनोहर लाल ने काफी कुछ घरेलू टैक्नोलाजी विकसीत कर घर में लगभग 20 से 30 रुपए की लागत में मशरूम उत्पादन का सफल प्रयोग भी किया। लेकिन लॉकडॉउन में चली बेरोजगारी की आंधी ने कृषी वैज्ञानिक मनोहर लाल राजपूत भी बेरोजगार हो गए। लॉक डॉउन खुलने के बाद काम की तलाश करते रहे लेकिन मंदी की वजह से कही काम नहीं मिला। जमा पूंजी भी धीरे धीरे कर खत्म होने लगी। मशरूम उत्पादन को बढ़ावा जो बॉल व दूसरों को बनाना सिखाते है, जीवत रहने के लिए खुद ही बॉल बनाए व अपने परिचितों को देकर खेती करने प्रोत्साहित किया। मशरूम बॉल बेचने से जो कमाई हुई उससे अपना जीवन यापन करते हुए लोगो को ज्यादा से ज्यादा मशरूम उत्पादन करने के लिए तैयार कर रहे है।





खेतो की पलारी को इक्टठा कर बनाया बॉल
कृषी वैज्ञानिक मनोहर लाल राजपूत ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉक डाउन की वजह से उनकी जमा पूंजी खत्म हो गई थी। खाना खाने के लिए भी रुपए नहीं थे। सुबह मार्निग वॉक के लिए निकले तो खतो की पलारी को इकट्ठा किया व उससे मशरूम(Mushroom Product) बॉल बनाया। मनोहर लाल का मानना है कि किसान को खेत की पलारी जलाना नहीं चाहिए बलकी पलारी को एकत्र कर मशरूम का उत्पादन करना चाहिए इससे उनकी आए बढ़ोत्तरी होगी वही पलारी जलने से होने वाले पदूषण से भी लोगो को निजाद मिलेगा।





बरसाती मेढ़को की वजह से नहीं बन रहा बाजार
मनोहर लाल राजपूत का मानना है कि मशरूम प्रोटिन व विटामिन से भरपूर व्यंजन है। इसे अधिकांश लोगो पसंद करते है। लेकिन लोगो की धारणा है कि खेती के लिए ज्यादा जगह की आवश्यकता होती है, उन्ही इन्हीं धारणा को मैने समाप्त करने छोटी से जगह में मशरूम उत्पादन(Mushroom Product) यूनिट का निर्माण किया है। कुछ ऐसे बरसाती मेंढक होते है लोगो को गुमराह करते है उन्हें बिना किसी प्लानिंग के यूनिट तैयार करवाते है इससे उत्पादन नहीं होता और लोगो ठगे जाते है। इन्हीं लोगो की वजह से मशरूम को खुला बाजार नहीं मिल रहा है।





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बेचने के लिए नहीं खाने के लिए करे उत्पादन
मनोहर लाल राजपूत का मानना है कि इस पोस्टीक व्यंजन का सभी को लाभ लेते हुए अपनाना चाहिए, इससे व्यवसाय के रुप में कम खुद खाने के लिए घर के एक कोने में छोटी यूनिट लगाना चाहिए अगर ज्यादा उत्पादन हो तो बेचे नहीं तो खुद ही खाकर स्वास्थ्य रहे यही सोच को आगे बढऩे किचन गार्डन की तर्ज पर काम कर रहे है।


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