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छत्तीसगढ़ में रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की कोशिश

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राज्य के किसानों को खरीफ के लिए समय से उर्वरक उपलब्ध हों, इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा रासायनिक उर्वरक प्रदायकर्ता फर्टीलाइजर कंपनियों के पदाधिकारियों से लगातार संपर्क और समन्वय कर उर्वरकों की राज्य आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य के सहकारी समितियों और निजी क्षेत्र में वर्तमान में 4 लाख 36 हजार 600 मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध हैं। कृषि विभाग ने कृषकों से अपील है कि अपने मांग के अनुरूप सहकारी समिति से उर्वरक का उठाव करें, ताकि कृषि कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा न हो।

अपर संचालक कृषि (उर्वरक) एस.सी. पदम ने बताया कि उर्वरकों की मांग माहवार पूरे खरीफ सीजन में भारत सरकार से प्राप्त होती है। अभी माह जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर का माहवार प्लान के आधार पर उर्वरकों का भण्डारण होना है। फर्टीलाइजर कंपनियों से आपूर्ति के अनुसार राज्य के सभी जिलों में उर्वरकों का भण्डारण लगातार जारी रहेगा। वर्तमान में राज्य में यूरिया का सकट नहीं है। सहकारिता और निजी क्षेत्र में आज की स्थिति में 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन यूरिया किसानों के वितरण के लिए उपलब्ध है।

अपर संचालक पदम ने दी जानकारी

अपर संचालक पदम ने बताया कि प्रदेश में खरीफ 2022 की फसलों के लिए कुल 13 लाख 70 हजार मीट्रिक टन उवर्रक जिसमें यूरिया 6 लाख 50 हजार मीट्रिक टन, डीएपी 3 लाख मीट्रिक टन, एनपीके एक लाख 10 हजार मीट्रिक टन, एमओपी 80 हजार मीट्रिक टन और एसएसपी 2 लाख 30 हजार मीट्रिक टन का आंकलन किया गया है। जिसके विरूद्ध माह अप्रैल में यूरिया एक लाख 50 हजार मीट्रिक टन, डीएपी 80 हजार मीट्रिक टन, एनपीके 33 हजार मीट्रिक टन, एमओपी 24 हजार मीट्रिक टन और एसएसपी 70 हजार मीट्रिक टन प्लान के विरूद्ध यूरिया एक लाख 11 हजार मीट्रिक टन, डीएपी 31 हजार 700 मीट्रिक टन, एनपीके 5 हजार 500 मीट्रिक टन, एमओपी 4 हजार 900 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 8 हजार 600 मीट्रिक टन के नवीन आपूर्ति की गई है।

माह मई 2022 में यूरिया 01 लाख 75 हजार मीट्रिक टन

इसी प्रकार माह मई 2022 में यूरिया 01 लाख 75 हजार मीट्रिक टन, डीएपी 80 हजार मीट्रिक टन, एनपीके 27 हजार मीट्रिक टन, एमओपी 18 हजार मीट्रिक टन एवं एसएसपी 56 हजार मीट्रिक टन मांग के विरूद्ध यूरिया एक लाख 09 हजार मीट्रिक टन, डीएपी 70 हजार 500 मीट्रिक टन, एनपीके 13 हजार 500 मीट्रिक टन, एमओपी 13 हजार 500 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 20 हजार 900 मीट्रिक टन आपूर्ति की गई है। भारत सरकार द्वारा उर्वरक व्यवस्था हेतु खरीफ 2022 के लिये माहवार मांग के अनुरूप प्लान तैयार किया जाता है तथा कंपनी के द्वारा प्लान के आधार पर उर्वरक उपलब्ध कराया जाता है।

निजी संस्थाओं में यूरिया 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन

खरीफ मौसम माह अप्रैल एवं मई तथा पूर्व मौसम के शेष स्कंध को सम्मिलित करते हुए यूरिया 3 लाख 99 हजार 900 मीट्रिक टन, डीएपी 1 लाख 18 मीट्रिक टन, एनपीके 33 हजार 400 मीट्रिक टन, एमओपी 28 हजार 200 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 01 लाख 33 हजार 700 मीट्रिक टन भण्डारण के विरूद्ध अब तक यूरिया 01 लाख 59 हजार मीट्रिक टन, डीएपी 63 हजार मीट्रिक टन, एनपीके 4 हजार 400 मीट्रिक टन, एमओपी 09 हजार मीट्रिक टन एवं एसएसपी 42 हजार मीट्रिक टन का कृषकों को वितरण किया जा चुका है। आज की स्थिति में सहकारी समिति और निजी संस्थाओं में यूरिया 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन, डीएपी 55 हजार मीट्रिक टन, एनपीके 29 हजार मीट्रिक टन, एमओपी 19 हजार मीट्रिक टन एवं एसएसपी 93 हजार 600 मीट्रिक टन उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि मौसम विभाग के द्वारा मानसून केरल में पहुंचने को जानकारी प्राप्त हुई है तथा छत्तीसगढ़ राज्य में इस वर्ष मानसून सात दिवस पूर्व पहुंचने की भविष्यवाणी की गई है।

4 हजार 495 मीट्रिक टन स्कंध बाकी

अपर संचालक ने बताया कि विपणन संघ द्वारा दुर्ग संभाग अंतर्गत यूरिया 01 लाख 700 मीट्रिक टन, डीएपी 57 हजार 100 मीट्रिक टन, एनपीके 11 हजार 300 मीट्रिक टन, एमओपी 17 हजार 950 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 47 हजार 200 मीट्रिक टन का लक्ष्य है। जिसके विरूद्ध यूरिया 45 हजार 865 मीट्रिक टन, डीएपी 16 हजार 402 मीट्रिक टन, एनपीके 44 मीट्रिक टन, एमओपी 5 हजार 600 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 9 हजार 600 मीट्रिक टन भण्डारण कर यूरिया 38 हजार 248 मीट्रिक टन, डीएपी 15 हजार 228 मीट्रिक टन, एनपीके 16 मीट्रिक टन, एमओपी 4 हजार 461 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 5 हजार मीट्रिक टन वितरण किया गया है, जिसके पश्चात अद्यतन यूरिया 7 हजार 617 मीट्रिक टन, डीएपी 01 हजार 234 मीट्रिक टन, एनपीके 28 मीट्रिक टन, एमओपी 01 हजार 140 मीट्रिक टन और एसएसपी 4 हजार 495 मीट्रिक टन स्कंध शेष है।

यूरिया 01 लाख 1 हजार 200 मीट्रिक टन बाकी

बिलासपुर संभाग अंतर्गत यूरिया 01 लाख 1 हजार 200 मीट्रिक टन, डीएपी 34 हजार 300 मीट्रिक टन, एनपीके 14 हजार 470 मीट्रिक टन, एमओपी 6 हजार 150 मीट्रिक टन और एसएसपी 48 हजार 500 मीट्रिक टन का लक्ष्य है जिसके विरुद्ध यूरिया 43 हजार 578 मीट्रिक टन, डीएपी 13 हजार 367 मीट्रिक टन, एनपीके 292 मीट्रिक टन, एमओपी 01 हजार 79 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 10 हजार 844 मीट्रिक टन भण्डाण कर यूरिया 20 हजार 905 मीट्रिक टन, डीएपी 10 हजार 537 मीट्रिक टन, एमओपी 569 मीट्रिक टन और एसएसपी 4 हजार 63 मीट्रिक टन वितरण किया गया है, जिसके बाद अद्यतन यूरिया 22 हजार 678 मीट्रिक टन, डीएपी 2 हजार 830 मीट्रिक टन, एनपीके 292 मीट्रिक टन, एमओपी 510 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 6 हजार 781 मीट्रिक टन स्कंध शेष है।

एमओपी 173 मीट्रिक टन बाकी

सरगुजा संभाग अतर्गत यूरिया 33 हजार 900 मीट्रिक टन, डीएपी 14 हजार 850 मीट्रिक टन, एनपीके 22 हजार 900 मीट्रिक टन, एमओपी 01 हजार 300 मीट्रिक टन और एसएसपी 12 हजार 800 मीट्रिक टन का लक्ष्य है जिसके विरूद्ध यूरिया 12 हजार 220 मीट्रिक टन, डीएपी 5 हजार 196 मीट्रिक टन, एनपीके 523 मीट्रिक टन, एमओपी 440 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 831 मीट्रिक टन भण्डाण कर यूरिया 7 हजार 66 मीट्रिक टन, डीएपी 5 हजार 134 मीट्रिक टन, एनपीके 502 मीट्रिक टन, एमओपी 267 मीट्रिक टन एवं एसएसपी 215 मीट्रिक टन वितरण किया गया है, जिसके पश्चात अद्यतन यूरिया 5 हजार 154 मीट्रिक टन, डीएपी 62 मीट्रिक टन, एनपीके 21 मीट्रिक टन, एमओपी 173 मीट्रिक टन और एसएसपी 616 मीट्रिक टन स्कंध शेष है।

प्रदेश के किसान 15 दिसंबर तक करा सकते हैं रबी फसलों का बीमा

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किसान 15 दिसंबर तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी फसलों का बीमा करा सकेंगे। बीमित फसलों का प्रतिकूल मौसम जैसे सूखा, बाढ़, कीट व्याधि, ओलावृष्टि जैसे प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की स्थिति में कृषकों को योजना के तहत बीमा दावा राशि का भुगतान किया जाएगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत राज्य में जिलावार रबी फसले अधिसूचित की गई है। बीमा कराने की इकाई गांव और अंतिम तिथि 15 दिसंबर 2021 है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत ऋणी और अऋणी कृषक जो भू-धारक और बटाइदार हो सम्मिलित हो सकते हैं। ऋणी कृषक ऐच्छिक आधार पर फसल बीमा करा सकते हैं, जिसके लिए कृषक को निर्धारित प्रपत्र में हस्ताक्षरित घोषणा पत्र बीमा की अंतिम तिथि 15 दिसंबर 2021 के 7 दिन पहले संबंधित बैंक में अनिवार्य रूप से जमा करना होगा। कृषक द्वारा निर्धारित प्रपत्र में घोषणा पत्र जमा नहीं करने पर संबंधित बैंक द्वारा संबंधित मौसम के लिए स्वीकृत और नवीनीकृत अल्पकालीन कृषि ऋण का अनिवार्य रूप से बीमा किया जाना है। 

घोषणा पत्र प्रदान कर बीमा करा सकते हैं किसान

अधिसूचित फसल उत्पादक सभी गैर ऋणी कृषक, जो योजना में सम्मिलित होने के इच्छुक हो, वे बुआई पुष्टि प्रमाण पत्र अपने इलाके के पटवारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा सत्यापित कराकर और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर योजना में सम्मिलित हो सकते हैं। ऋणी कृषकों का बीमा संबंधित बैंक, सहकारी समिति द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाएगा, उन्हें सिर्फ घोषणा और बुवाई प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। अऋणी कृषकों को बैंक, सहकारी समिति और लोक सेवा केंद्र में बीमा प्रस्ताव फार्म, नवीनतम आधारकार्ड, बैंक पासबुक, भू-स्वामित्व साक्ष्य, किराएदार, साझेदार कृषक का दस्तावेज, बुवाई प्रमाण पत्र और घोषणा पत्र प्रदान कर बीमा करा सकते हैं। 

 दस्तावेज को निरस्त करने का अधिकार 

कृषकों द्वारा फसल बीमा कराने के लिए अपने संबंधित समिति, संबंधित बैंक, बीमा प्रदाय कंपनी (एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड), लोक सेवा केंद्र के माध्यम से अपनी फसलों का बीमा करा सकते हैं। अधिसूचित क्षेत्र और अधिसूचित फसल के लिए अलग-अलग वित्तीय संस्थाओं से कृषि ऋण स्वीकृत होने की स्थिति में कृषक को एक ही स्थान से बीमा कराया जाना है। इसकी सूचना कृषक को संबंधित बैंक को देनी होगी। ऋणी और अऋणी कृषकों के द्वारा समान रकबा, खसरा का दोहरा बीमा कराने की स्थिति में कृषक के समस्त दस्तावेज को निरस्त करने का अधिकार बीमा कंपनी के पास होगा। कृषक द्वारा अधिसूचित फसल के नाम में बदलाव करने के लिए संबंधित बैंक में लिखित रूप से बोनी प्रमाण पत्र बीमा आवेदन की अंतिम तिथि से 2 दिन पहले जमा कर फसल परिवर्तन कर सकते हैं।

राशि के आधार पर होगा दावा भुगतान

फसल बीमा कराने के लिए समस्त ऋणी और अऋणी कृषक को आधार कार्ड की नवीनतम और अद्यतन छायाप्रति संबंधित बैंक-संस्थान को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाना है। आधार कार्ड उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में फसल बीमा नहीं किया जा सकेगा। फसल उत्पादन के आंकलन के लिए अधिसूचित बीमा इकाई ग्राम में फसल कटाई प्रयोग आयोजित करने के बाद प्रयोग से प्राप्त वास्तविक उपज, थ्रेस-होल्ड उपज से कम प्राप्त होने पर बीमित किसानों को बीमित राशि के आधार पर दावा भुगतान किया जाएगा। वास्तविक उपज, थ्रेसहोल्ड उपज से ज्यादा होने पर दावा भुगतान की पात्रता नहीं होगी।

लोक सेवा केंद्र में संपर्क कर सकते हैं किसान

संचालक कृषि ने राज्य में किसानों से वर्ष मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में रबी फसलों का बीमा कराने की अपील की है। ऐसे कृषक जो बैंक से डिफाल्टर की श्रेणी में हैं, वो भी अऋणी कृषक के रूप में अपने फसलों का बीमा करा सकते हैं। फसलों का बीमा करवाने के लिए कृषक स्वयं अपने नजदीकी सहकारी समिति, बैंक, लोक सेवा केंद्र में संपर्क कर सकते हैं।

बीते साल समर्थन मूल्य में धान बेचने वाले किसानों को नहीं करना पड़ेगा दोबारा पंजीयन

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छत्तीसगढ़ शासन ने खरीफ 2021 में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के संबंध में किसानों के पंजीयन में संशोधन निर्देश जारी किया गया है। जिसके मुताबिक बीते साल खरीफ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में पंजीयन नहीं कराना पड़ेगा। इन किसानों की पूर्व में पंजीकृत जानकारी के आधार पर योजना में शामिल किए जाएंगे। बीते साल  1 लाख 95 हजार 714 किसानों ने 256815.8 हेक्टेयर में धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था, जिसमें धान बेचने वाले सभी किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रोत्साहन राशि का लाभ प्राप्त हुआ है। इसके अलावा इस साल सोयाबीन, अरहर, मक्का, कोदो, कुटकी और गन्ना उत्पादन लेने वाले किसानों को पंजीयन कराना होगा। 




तभी योजना के तहत 9 हजार रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का फायदा मिलेगा। किसान  ने बीते साल जिस खसरे में धान बेचा था, अगर उस खसरे में धान के बदले फसल परिवर्तन करते हैं, तो उसे अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का फायदा मिलेगा। पंजीयन कराने पर फसल परिवर्तन के तहत सुगंधित धान, जिंक धान, दलहन, तिलहन, कोदो- कुटकी, मक्का, केला, पपीता लेने पर किसान को पंजीयन के बाद  10 हजार रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। पौधारोपण करने वाले किसानों को लगातार 3 सालों तक 10 हजार प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इसके अलावा संयुक्त खातेदार कृषक का पंजीयन नंबरदार के नाम से किया जाना है। जिसके लिए किसान को स्वघोषणा पत्र दिया जाना अनिवार्य है।

प्रदेश के किसान अब 31 जुलाई 2021 तक करा सकते हैं खरीफ फसलों का बीमा


पात्र किसान

 

सभी श्रेणी के भू-स्वामी और वन पट्टाधारी कृषक योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। संस्थागत भू-धारक, रेगहा, बटाइदार, कृषक अपात्र होंगे।


आवश्यक दस्तावेज 


योजनांतर्गत पंजीयन कराने के लिए ऋण पुस्तिका, बी-1, आधार कार्ड, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी के साथ आवेदन प्रपत्र आवश्यक है। आवेदन प्रपत्र संबंधित क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन प्रपत्र और अन्य जानकारी वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती है।


पंजीयन


किसान 30 सितंबर 2021 तक पंजीयन करा सकते हैं। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से खसरा और फसल का सत्यापन कराने के बाद संबंधित सेवा सहकारी समितियों से समयावधि में पंजीयन कराना होगा। अपंजीकृत किसान की पात्रता नहीं होगी। राजीव गांधी किसान न्याय योजना में चयनित फसलों का उत्पादन लेने वाले किसान नियत तिथि 30 सितंबर से पूर्व पंजीयन कराकर योजनांतर्गत आदान सहायता राशि का लाभ ले सकते हैं। योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

प्रदेश के किसान अब 31 जुलाई 2021 तक करा सकते हैं खरीफ फसलों का बीमा

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत किसान अब 31 जुलाई तक खरीफ फसलों का बीमा करा सकेंगे। खरीफ वर्ष 2021 में फसल बीमा की अंतिम तिथि 15 जुलाई 2021 निर्धारित थी ,जिसे बढ़ाकर अब 31 जुलाई 2021 कर दिया गया है। राज्य में फसल धान सिंचित, धान असिंचित, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, मूंग, उड़द और तुअर (अरहर) को फसल बीमा के लिए बीमा ईकाई ग्राम स्तर पर अधिसूचित किया गया है। ऋणी और अऋणी कृषक जो भू-धारक-बटाइदार हो योजना में सम्मिलित हो सकते हैं। 

कलेक्टर ने भी 32 राइस मिलर्स को जारी किया कारण बताओ नोटिस, काली सूची में दर्ज किया गया नाम

जोखिम और फसल पैदावार के आधार पर व्यापक क्षति, बाधित रोपाई, रोपण जोखिम, स्थानीय आपदा और फसल कटाई के बाद सूखने के लिए खेतों में रखे करपा को असामयिक बारिश से होने वाले नुकसान को योजना में प्रावधानित किया गया है। अधिसूचित फसल को बीमित कराने के लिए इच्छुक किसान फसल बीमा के लिए 31 जुलाई 2021 तक नजदीकी बैंक, वित्तीय संस्था, लोक सेवा केंद्रों, बीमा कंपनी में संपर्क कर फसल बीमा करा सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए कृषि कार्यालय, बैंक, वित्तीय संस्थान, बीमा कंपनी से संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है।


31 जुलाई तक करा सकेंगे पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा


राज्य के किसान खरीफ सीजन 2021 के तहत फसलों का पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा अब 31 जुलाई तक करा सकेंगे । मौसम आधारित फसल बीमा के लिए पहले अंतिम तारीख 15 जुलाई निर्धारित थी , जिसे कोविड-19 महामारी को देखते हुए किसानों के हित के मद्देनजर छत्तीसगढ़ शासन के आग्रह पर भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा 31 जुलाई 2021 तक बढ़ाए जाने का आदेश जारी किया गया है। 


राजनांदगांव में अब तक 2 लाख 213 किसानों ने कराया फसल बीमा  


शासन के द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2021 के तहत फसल बीमा कराने की तिथि में वृद्धि करते हुए 31 जुलाई 2021 बढ़ा दी गई है। जिन किसानों ने अब तक फसल बीमा नहीं कराया है, वे अब 31 जुलाई तक बीमा करा सकते हैं। कोविड-19  महामारी के कारण कई क्षेत्रों में किसानों फसल बीमा नहीं करा पाये थे। जिसके कारण छत्तीसगढ़ शासन के अनुरोध पर फसल बीमा की तिथि में वृद्धि करते हुए 31 जुलाई तक की गई है।



किसानों की जानकारी पोर्टल में की जा रही एंट्री


जिले में अब तक 2 लाख 213 किसानों के 2 लाख 33 हजार 395 हेक्टेयर फसलों का बीमा कराते हुए पोर्टल में एंट्री कर ली गई है और बाकि बीमित कृषकों की जानकारी पोर्टल में बैंकों के द्वारा एंट्री की जा रही है। मौसम की अनिश्चिता को देखते हुए अपनी फसलों का बीमा अवश्य कराएं, ताकि प्रकृति के विपरीत परिस्थितियों में हानि और क्षति होने पर वित्तीय सहायता प्राप्त हो सके।


बीमा के लिए प्रीमियम राशि दर


योजना के तहत खरीफ फसलों के लिये 2 प्रतिशत कृषक प्रीमियम राशि निर्धारित है, जिसके मुताबिक कृषक द्वारा देय प्रीमियम राशि 975 रूपए धान सिंचित और 770 रूपए धान असिंचित के लिए प्रति हेक्टेयर है। इसी तरह कृषक द्वारा सोयाबीन फसल के लिए 770 रूपए और अरहर के लिए 555 रूपए प्रति हेक्टेयर की दर से देय होगा।


बीमा कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज 


ऋणी किसानों का बीमा संबंधित बैंक, सहकारी समिति द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाएगा, उन्हें सिर्फ घोषणा और बुवाई प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। अऋणी कृषकों को बैंक, सहकारी समिति और लोक सेवा केंद्र में बीमा प्रस्ताव फार्म, नवीनतम आधारकार्ड, बैंक पासबुक, भू-स्वामित्व साक्ष्य (बी-1 पांचसाला), किरायदार, साझेदार कृषक का दस्तावेज, बुवाई प्रमाण पत्र और घोषणा पत्र प्रदाय कर 31 जुलाई 2021 तक बीमा करा सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।  

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