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भारतमाला प्रोजेक्ट मुआवजा घोटाला : ED की बड़ी कार्रवाई! रायपुर व महासमुंद में 9 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी, मचा हड़कंप

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 रायपुर/महासमुंद। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भारतमाला परियोजना के भूमि मुआवजा घोटाले में सोमवार सुबह बड़ी कार्रवाई की। राजधानी रायपुर और महासमुंद में लगभग 9 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे गए। यह कार्रवाई जमीन अधिग्रहण के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार और अवैध मुआवजा भुगतान की जांच के सिलसिले में की गई।


सूत्रों के मुताबिक, ED अधिकारियों की टीम हरमीत खनूजा, उसके सहयोगियों और कुछ संबंधित अधिकारियों के ठिकानों पर दबिश दे रही है। रेड के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस की जांच की जा रही है।

महासमुंद में कारोबारी के घर पर कार्रवाई

महासमुंद में बसंत कॉलोनी स्थित बिजनेसमैन जसबीर सिंह बग्गा के घर पर भी टीम पहुंची। बताया गया कि बग्गा का होंडा शोरूम है। ED की टीम दो गाड़ियों में पहुंचकर उनके घर में मौजूद दस्तावेजों की छानबीन कर रही है।

क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाला?

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापत्तनम तक करीब 950 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है। इसमें रायपुर-विजाग के बीच चार लेन और दुर्ग-आरंग सेक्शन में छह लेन का निर्माण शामिल है।
आरोप है कि परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान जमीन की कीमतों में हेराफेरी कर अनुचित लाभ लेने और सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया।

दस्तावेज जब्त, आगे और कार्रवाई संभव

ED अधिकारियों की टीमें वर्तमान में रिकॉर्ड की जांच में जुटी हैं। जांच पूरी होने के बाद इस मामले में गिरफ्तारियाँ और दूसरे ठिकानों पर कार्रवाई की संभावना भी जताई जा रही है।

बाबा गुरु घासीदास का संदेश देशदृदुनिया के लिए प्रासंगिक : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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166 करोड़ रूपए के कार्यो का लोकार्पण-भूमिपूजन

पीएम आवास के 950 हितग्राहियों को गृह प्रवेश के लिए घर की चाबी भेंट की

सिंचाई परियोजनाओं के विस्तार के लिए 40 करोड़ रुपये की घोषणा

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा अनावरण तथा अटल परिसर का लोकार्पण

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास का “मनखे-मनखे एक समान” का संदेश संपूर्ण मानव समाज, देश और दुनिया के लिए आज भी प्रासंगिक है, जो सामाजिक समरसता, समानता और भाईचारे का मार्ग दिखाता है। मुख्यमंत्री आज बेमेतरा जिले में आयोजित गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव एवं राज्य स्तरीय ओपन पंथी नृत्य प्रतियोगिता को संबोधित कर रहे थे। 

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में नवागढ़ क्षेत्र के विकास के लिए 165 करोड़ 54 लाख रूपए की लागत वाले 44 विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया। इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत नवनिर्मित लगभग 950 पूर्ण आवासों का गृह प्रवेश के लिए हितग्राहियों को घर की चाबी भेंट की। उन्होंने बेमेतरा जिले में सिंचाई परियोजनाओं के विस्तार के लिए 40 करोड़ रुपये, नवागढ़ की 10 ग्राम पंचायतों को सीसी रोड निर्माण के लिए 5-5 लाख रुपये की घोषणा की। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में बनाएं गए नवनिर्मित अटल परिसर का लोकार्पण तथा उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने नवागढ़ के जैतखाम में विधिवत श्वेत ध्वज चढ़ाया और वहां 12 लाख रुपये की लागत से निर्मित होने वाले सतनाम मंदिर के निर्माण हेतु भूमिपूजन भी किया। 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि संत शिरोमणि गुरु घासीदास ने समाज में व्याप्त जाति-पाति, ऊँच-नीच, छुआछूत और सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने का कार्य किया। उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाते हुए मानवता को एक सूत्र में बाँधने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उनके संदेशों के अनुरूप जनता के हित में अनेक क्रांतिकारी और जनकल्याणकारी योजनाएँ संचालित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में धान खरीदी, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महतारी वंदन योजना तथा आवासहीन परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना प्रदेश के विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माता पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुए कहा कि उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्रसेवा, सुशासन, लोकतांत्रिक मूल्यों और जनकल्याण को समर्पित रहा है। उन्होंने कहा कि अटल जी केवल एक महान नेता ही नहीं, बल्कि विचार, संवेदना और समर्पण के प्रतीक थे।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि गिरौदपुरी में निर्मित दुनिया का सबसे ऊँचा जैतखाम आज वैश्विक आकर्षण का केंद्र बन चुका है, जहाँ देश-विदेश से पर्यटक बाबा के जीवन दर्शन के लिए आते हैं। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री दयालदास बघेल ने कहा कि गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस अवसर पर गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव एवं राज्य स्तरीय ओपन पंथी नृत्य प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। विभिन्न विभागों द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित लगाई गई प्रदर्शनी में उन्होंने लाभार्थी हितग्राहियों को सामग्री एवं राशि का वितरण किया। कार्यक्रम में विधायक दीपेश साहू, ईश्वर साहू, अनुज शर्मा, पुन्नूलाल मोहले सहित अनेक जन प्रतिनिधि, पंचायत प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या ग्रामीणजन उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल हुए पेंशनर सम्मेलन में

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रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि पेंशनर्स समाज की धरोहर हैं, जिन्होंने अपने सेवाकाल में शासन-प्रशासन की नींव को सुदृढ़ किया और आज राज्य के विकास में अपना योगदान दे रहे है। प्रशासनिक व्यवस्था के सुचारू संचालन में पेंशनरों का अनुभव बहुत महत्वपूर्ण है। उनकी कर्तव्यनिष्ठ सेवा के कारण ही प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू रूप से जारी है। मुख्यमंत्री आज पमशाला में आयोजित सरगुजा संभागीय पेंशनर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के वक्त जिन शासकीय सेवकों ने कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हुए राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, वे आज भले ही सेवानिवृत हो चुके है लेकिन उनका अनुभव और मार्गदर्शन नए अधिकारियों के लिए हमेशा काम आएगा। सम्मेलन में मुख्यमंत्री साय ने 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ पेंशनरों को शॉल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने पूर्व सरगुजा कमिश्नर रिटायर्ड आईएएस महेश्वर साय पैंकरा द्वारा लिखित किताब करमडार एवं अन्य कथनी तथा महुवा के फूल का विमोचन किया। उन्होंने पेंशनर संघ की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राधा-कृष्ण मंदिर में दर्शन व पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। 

इस अवसर पर प्रांताध्यक्ष डॉ डीपी मनहर ने कहा कि मुख्यमंत्री साय पेंशनर संघ सम्मलेन में शामिल होने वाले पहले मुख्यमंत्री है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय, जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय, पूर्व विधायक भरत साय, पेंशनर संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ डीपी मनहर, बड़ी संख्या में पेंशनर्स उपस्थित रहे।


जशपुर जिले के शासकीय विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने नई पहल

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मुख्यमंत्री की मौजूदगी में जिला प्रशासन, एसईसीएल एवं ईडीसीआईएल के बीच हुआ एमओयू

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मौजूदगी में आज बगिया में जशपुर जिले के शासकीय विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण एवं आधुनिक शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुआ। विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन जशपुर, एसईसीएल एवं ईडीसीआईएल के मध्य त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर रोहित व्यास, एसईसीएल की ओर से जनरल मैनेजर सी. एम. वर्मा तथा ईडीसीआईएल की ओर से प्रोजेक्ट डायरेक्टर विकास सहरावत ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से शिक्षा को रोचक एवं प्रभावी बनाना समय की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीण एवं दूरस्थ अंचलों के बच्चों को भी शहरों के समान बेहतर शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध कराए जा सके। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों में नवाचार, जिज्ञासा एवं तकनीकी दक्षता का विकास होगा, जो उनके उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव बनेगा। 

एमओयू के तहत जशपुर जिले के चयनित शासकीय विद्यालयों में चरणबद्ध रूप से इंटरएक्टिव पैनल स्थापित किए जाएंगे। इन उपकरणों के माध्यम से शिक्षक डिजिटल कंटेंट, वीडियो, प्रेजेंटेशन एवं ई-लर्निंग संसाधनों का उपयोग कर कक्षाओं को अधिक रोचक, सरल एवं प्रभावी बना सकेंगे। साथ ही एमओयू में इंटरएक्टिव पैनल की स्थापना के साथ-साथ उनके प्रशिक्षण, संचालन एवं नियमित मेंटेनेंस के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं, ताकि उपकरणों का सतत एवं प्रभावी उपयोग सुनिश्चित हो सके। 

इस परियोजना के लिए एसईसीएल द्वारा सीएसआर मद से 5 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसके अंतर्गत जिले के शासकीय विद्यालयों में 206 इंटरएक्टिव पैनल लगाए जाएंगे। इस पहल से जिले के सैकड़ों विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा की सुविधा प्राप्त होगी। कलेक्टर रोहित व्यास ने एसईसीएल एवं ईडीसीआईएल के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए विश्वास जताया कि इस परियोजना से विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने फरसाबहार, कुनकुरी और मनोरा में पोषण पुनर्वास केन्द्र का किया शुभारंभ

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सीएचसी फरसाबहार में निर्माणाधीन सत्य साईं मातृत्व-शिशु चिकित्सालय का किया मुआयना

स्वास्थ्य सुविधा के विस्तार के लिए सरकार प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फरसाबहार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान फरसाबहार के साथ-साथ कुनकुरी एवं मनोरा में स्थापित किए गए पोषण पुनर्वास केंद्रों का शुभारंभ किया। इन तीनों पुनर्वास केंद्रों को 10-10 बिस्तरों की सुविधा के साथ प्रारंभ किया गया है। इनके शुभारंभ के साथ ही जशपुर जिले में पोषण पुनर्वास केंद्रों की संख्या 6 हो गई है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कुपोषित बच्चों की माताओं से बच्चों के स्वास्थ्य और उनके ईलाज के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री इस मौके पर बच्चों के लिए पोषण कीट के साथ खिलौने भी प्रदान किए।

मुख्यमंत्री ने सीएचसी फरसाबहार में निर्माणाधीन सत्य साईं मातृत्व शिशु चिकित्सालय का मुआयना किया। यह हॉस्पिटल मुख्यमंत्री साय के विशेष प्रयासों से बन रहा है, इससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी। इसमें नवजात शिशुओं एवं बच्चों के उपचार के साथ-साथ गर्भवती माताओं के लिए भी ऑपरेशन सहित सभी आवश्यक चिकित्सकीय सेवाएँ विशेषज्ञ चिकित्सकों के द्वारा आधुनिक तकनीकों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएँगी।   

इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। इसी दिशा में जिले में मेडिकल कॉलेज, प्राकृतिक चिकित्सा एवं फिजियोथेरेपी केंद्र, शासकीय नर्सिंग कॉलेज तथा शासकीय फिजियोथेरेपी कॉलेज का निर्माण कार्य भी किया जा रहा है। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय, कमिश्नर नरेन्द्र कुमार दुग्गा, आईजी दीपक कुमार झा, कलेक्टर रोहित व्यास, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जी. एस. जात्रा सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।


मुख्यमंत्री साय ने गजरथ यात्रा-2025 पुस्तक का किया विमोचन, 6 वनकर्मी हुए सम्मानित

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने निज निवास बगिया में गजरथ यात्रा-2025 पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में जशपुर जिले में हाथी विचरण क्षेत्रों एवं संवेदनशील इलाकों के वर्गीकरण, विद्यालय स्तर पर चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों, गज सूचना एवं नियंत्रण कक्ष की स्थापना, मानव-हाथी द्वंद प्रबंधन हेतु तकनीकी पहल एनीमल ट्रैकर ऐप प्रशिक्षण तथा जिलेभर में गजरथ यात्रा के विस्तार एवं उपलब्धियों का विस्तार से समावेश किया गया है।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हाथी-मानव द्वंद को कम करने और जनजागरूकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले 6 वनकर्मियों को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इनमें वनपाल उमेश पैंकरा, वनरक्षक दुर्गेश नंदन साय तथा आरआरटी से महत्तम राम सोनी, गणेश राम और रविशंकर पैंकरा, हाथी मित्र दल से फूल सिंह सिदार शामिल हैं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पुस्तक में समाहित जानकारियां आमजन को हाथियों के व्यवहार को समझने, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने तथा आवश्यक सतर्कता उपायों को अपनाने में सहायक होंगी। उन्होंने विद्यालय स्तर पर चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों को प्रकृति और वन्यजीव संरक्षण से जोड़ना भविष्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने सम्मानित किए गए वनकर्मियों और आरआरटी सदस्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इनकी सतर्कता, साहस और सेवाभाव के कारण ही कई गांवों में बड़ी घटनाएं टल सकी हैं, जिससे जान-माल की रक्षा संभव हो पाई है।

इस दौरान कमिश्नर नरेन्द्र कुमार दुग्गा, आईजी दीपक कुमार झा, कलेक्टर रोहित व्यास, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह तथा वनमंडलाधिकारी शशि कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

स्वास्थ्य सुविधा के विस्तार के लिए सरकार प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री साय

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फरसाबहार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान फरसाबहार के साथ-साथ कुनकुरी एवं मनोरा में स्थापित किए गए पोषण पुनर्वास केंद्रों का शुभारंभ किया। इन तीनों पुनर्वास केंद्रों को 10-10 बिस्तरों की सुविधा के साथ प्रारंभ किया गया है। इनके शुभारंभ के साथ ही जशपुर जिले में पोषण पुनर्वास केंद्रों की संख्या 6 हो गई है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कुपोषित बच्चों की माताओं से बच्चों के स्वास्थ्य और उनके ईलाज के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री इस मौके पर बच्चों के लिए पोषण कीट के साथ खिलौने भी प्रदान किए।


मुख्यमंत्री ने सीएचसी फरसाबहार में निर्माणाधीन श्री सत्य साईं मातृत्व शिशु चिकित्सालय का मुआयना किया। यह हॉस्पिटल मुख्यमंत्री श्री साय के विशेष प्रयासों से बन रहा है, इससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी। इसमें नवजात शिशुओं एवं बच्चों के उपचार के साथ-साथ गर्भवती माताओं के लिए भी ऑपरेशन सहित सभी आवश्यक चिकित्सकीय सेवाएँ विशेषज्ञ चिकित्सकों के द्वारा आधुनिक तकनीकों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएँगी।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। इसी दिशा में जिले में मेडिकल कॉलेज, प्राकृतिक चिकित्सा एवं फिजियोथेरेपी केंद्र, शासकीय नर्सिंग कॉलेज तथा शासकीय फिजियोथेरेपी कॉलेज का निर्माण कार्य भी किया जा रहा है।

इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय, कमिश्नर नरेन्द्र कुमार दुग्गा, आईजी दीपक कुमार झा, कलेक्टर रोहित व्यास, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जी. एस. जात्रा सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

वीबी-जी राम जी अधिनियम से पारदर्शी व्यवस्था एवं समयबद्ध मजदूरी भुगतान होंगे सुनिश्चित - उप मुख्यमंत्री शर्मा

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रायपुर। उप मुख्यमंत्री एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री विजय शर्मा ने शनिवार को अपने निवास कार्यालय में जिला पंचायत अध्यक्षों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्षों ने अपने क्षेत्रों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं और अपेक्षाओं को उपमुख्यमंत्री के समक्ष रखा तथा मानदेय, भ्रमण-यात्रा, आवास एवं अन्य भत्तों में वृद्धि, उचित सुरक्षा व्यवस्था और वाहन किराए में संशोधन जैसी मांगों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने सभी मांगों को गंभीरतापूर्वक सुना और उन पर विस्तृत चर्चा की।

उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा से जिला पंचायत अध्यक्षों ने विभिन्न मांगों पर की चर्चा

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ने विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) वीबी जी राम जी अधिनियम 2025 सहित जिला पंचायतों से जुड़े प्रमुख विकासात्मक विषयों पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में जिला पंचायतों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। योजनाओं का वैज्ञानिक नियोजन, आधुनिक तकनीक का उपयोग और जनप्रतिनिधियों का सतत क्षमता विकास ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस और सकारात्मक बदलाव लाएगा।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि नए अधिनियम के तहत अब ग्रामीण परिवारों को 125 दिवस तक रोजगार की गारंटी मिलेगी। जल संरक्षण, ग्रामीण अधोसंरचना, सौर ऊर्जा और आजीविका संवर्धन पर विशेष जोर दिया गया है, साथ ही कमजोर वर्गों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। पारदर्शी व्यवस्था के माध्यम से समयबद्ध मजदूरी भुगतान भी सुनिश्चित किया जाएगा।

उन्होंने आगे बताया कि इस अधिनियम में आवास, पेयजल, स्वच्छता एवं विद्युतीकरण जैसे कार्यों को भी शामिल किया गया है, जिससे गांवों में अधोसंरचना निर्माण को नई गति मिलेगी। ग्राम सभा द्वारा समग्र योजना निर्माण के प्रावधान से कार्यों के दोहराव पर रोक लगेगी और संतुलित विकास सुनिश्चित होगा।

नवीन अधिनियम में पंचायतों को भविष्य के लिए तैयार करते हुए जल सुरक्षा, आजीविका से जुड़ी अधोसंरचनाओं के विकास तथा मौसमी आपदाओं से बचाव पर विशेष फोकस किया गया है। किसानों के हित में राज्य सरकारों को फसल बुवाई और कटाई के चरम समय में प्रतिवर्ष 60 दिवस तक कार्य स्थगन की अधिसूचना जारी करने का प्रावधान भी रखा गया है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित राहत पहुंचाने हेतु विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।

बैठक में जिला पंचायत विकास निधि, जनपद पंचायत विकास निधि, मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना, महतारी सदन निर्माण, श्रद्धांजलि योजना, अटल डिजिटल सुविधा केंद्र और क्षमता विकास योजना पर भी अधिकारियों द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई। जिला पंचायत अध्यक्षों ने योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर अपने सुझाव साझा किए।

इसके साथ ही समर्थ पंचायत पोर्टल के माध्यम से स्थानीय निकायों के करों की यूपीआई आधारित संग्रहण व्यवस्था, प्रदर्शन आधारित अनुदान प्रणाली तथा ग्राम संपदा मोबाइल एप द्वारा परिसंपत्तियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जानकारी दी गई। अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों के लिए आयोजित एक्सपोजर विजिट कार्यक्रमों की रूपरेखा से भी अवगत कराया।

राजधानी दिल्ली में साहित्यिक परिचर्चा, विनोद कुमार शुक्ल को किया याद

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 नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में आयोजित साहित्यिक परिचर्चा में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म और साहित्यिक अवदान को याद किया गया। इस अवसर पर साहित्य उत्सवों की प्रासंगिकता पर भी गहन संवाद स्थापित किया गया।



रायपुर में 23- 25 जनवरी को आयोजित होने वाले साहित्य उत्सव 2026 के परिप्रेक्ष्य में राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रायपुर साहित्य उत्सव की वैचारिक दिशा को विस्तार देने के साथ साथ साहित्य से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों पर सार्थक चर्चा की।

कार्यक्रम में डॉ सच्चिदानंद जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व से मिलने की अपेक्षा कुछ और थी, लेकिन जब वे उनसे मिले तो अत्यंत आश्चर्य हुआ कि वे कितने सरल और सहज हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी बातचीत आत्मीयता से भरी होती थी, जिसमें कहीं भी कोई अतिरेक नहीं होता। बिना लाग-लपेट के वे सीधे और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहते यही उनकी व्यक्तित्व और लेखन की सबसे बड़ी विशेषता थी।

छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने विनोद कुमार शुक्ल को याद करते हुए कहा कि युवा उनसे गहराई से आकर्षित रहते थे और उनके यहाँ हमेशा युवाओं की भीड़ लगी रहती थी।

शर्मा ने कहा कि अपनी एक मुलाकात के दौरान उन्होंने उनसे पूछा कि आपने युवावस्था में अत्यंत गंभीर लेखन किया और अब बाल साहित्य की ओर क्यों आए। इस पर विनोद कुमार शुक्ल ने उत्तर दिया कि उन्हें लगता है वे बहुत गंभीर लेखन कर चुके हैं, लेकिन नई पीढ़ी के साथ शायद न्याय नहीं कर पाए। अब उन्हें लगता है कि नई पीढ़ी के साथ न्याय करने का अवसर उन्हें बाल साहित्य के माध्यम से मिला है।

साहित्यकार अलका जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म पर बात करते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि वे मामूली और साधारण स्थितियों में भी सौंदर्य खोज लेते थे।

उन्होंने कहा कि नौकर की कमीज में विनोद कुमार शुक्ल ने अत्यंत सहजता के साथ सत्ता के प्रति रोष को व्यक्त किया है, बिना किसी आडंबर के। उनकी रचनाओं में वह अदृश्य व्यक्ति दिखाई देता है, जो अपने गुम हो जाने से बचने की कोशिश करता है।

अलका जोशी ने कहा कि चाहे नौकर की कमीज हो या एक दीवार में खिड़की रहती है, उनकी रचनाओं में ऐसे दृश्य आते हैं जहाँ पात्र अपनी सीमित परिस्थितियों के भीतर भी हाथी पर सवारी करने जैसा सपना देखता है। उनकी लेखन-खूबसूरती यह थी कि रचनाओं में दृश्य और परिस्थितियाँ इतनी जीवंत होती थीं कि पाठक धीरे-धीरे उनसे जुड़ता चला जाता था। पाठक की यह इन्वॉल्वमेंट ही उनकी रचनात्मक सफलता का मूल आधार रही।

इसके पहले के सत्र में साहित्य उत्सवों में कितना साहित्य विषय पर अपनी बात रखते हुए लेखक
अनंत विजय ने कहा कि साहित्य में गहराई अनिवार्य है। गहराई होगी तभी साहित्य को उसके पाठक मिलेंगे और वही साहित्य समय के साथ अपनी स्थायी छाप छोड़ पाएगा।

उन्होंने साहित्य उत्सवों की संरचना पर जोर देते हुए कहा कि सत्रों की संरचना में ठोस कंटेंट होना चाहिए, तभी श्रोता और पाठक उनसे जुड़ पाएंगे।

अनंत विजय ने यह भी स्पष्ट किया कि रायपुर साहित्य उत्सव पूरी तरह व्यावसायिकता से दूर रहेगा। यदि किसी सत्र में फिल्म जगत से कोई व्यक्ति आमंत्रित किया जाता है, तो उसके साथ मंच पर एक साहित्यकार की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि साहित्य केंद्र में बना रहे।

उन्होंने कहा कि सेल्फी संस्कृति साहित्य की दुश्मन है। कई बार साहित्य उत्सवों में फिल्मी हस्तियों को केवल इसलिए बुलाया जाता है ताकि लोग उनके साथ सेल्फी लेने आएं, जबकि इससे साहित्य का मूल उद्देश्य पीछे छूट जाता है।

वहीं, साहित्यकार अनिल जोशी ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी एक बार फिर किताबों और साहित्य से जुड़ रही है, जो एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कहा कि साहित्य उत्सवों की उपयोगिता अत्यधिक हो सकती है, बशर्ते उनके उद्देश्य स्पष्ट हों।

अनिल जोशी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी साहित्य सम्मेलन की शुरुआत से पहले उसकी प्रासंगिकता पर गंभीर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही आयोजन के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि साहित्य केंद्र में रहे और आवश्यक सावधानियों व मूल्यों का पालन हो, ताकि ऐसे उत्सव वास्तव में साहित्य-संवाद को समृद्ध कर सकें।

विनोद कुमार शुक्ल पर बोलते हुए अनिल जोशी ने कहा उनकी लेखनी एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग की तरह है, जिसे समझने के लिए पाठक को ठहरकर देखना और महसूस करना पड़ता है।

कार्यक्रम में नई शैली के लेखन पर टिप्पणी करते हुए पूर्व संपादक एवं लेखक प्रताप सोमवंशी ने कहा कि समय के साथ लेखन के स्वरूप में बदलाव आया है और आज नई शैली में साहित्य रचा जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही पारंपरिक शैली में लेखन भी निरंतर हो रहा है, जिसे पाठक आज भी पसंद कर रहे हैं और वह समान रूप से पढ़ा जा रहा है।

इस अवसर पर रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य एवं मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य संजीव सिन्हा सहित देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विचारक शामिल हुए।

राजधानी दिल्ली में साहित्यिक परिचर्चा, विनोद कुमार शुक्ल को किया याद

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साहित्यकारों से साहित्य उत्सवों की प्रासंगिकता पर भी संवाद

रायपुर में साहित्य उत्सव 2026 का आयोजन 23 से 25 जनवरी तक

नई दिल्ली- राजधानी दिल्ली में आयोजित साहित्यिक परिचर्चा में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म और साहित्यिक अवदान को याद किया गया। इस अवसर पर  साहित्य उत्सवों की प्रासंगिकता पर भी गहन संवाद स्थापित किया गया।

रायपुर में 23- 25 जनवरी को आयोजित होने वाले साहित्य उत्सव 2026 के परिप्रेक्ष्य में राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रायपुर साहित्य उत्सव की वैचारिक दिशा को विस्तार देने के साथ साथ साहित्य से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों पर सार्थक चर्चा की। 

कार्यक्रम में डॉ सच्चिदानंद जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व से मिलने की अपेक्षा कुछ और थी, लेकिन जब वे उनसे मिले तो अत्यंत आश्चर्य हुआ कि वे कितने सरल और सहज हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी बातचीत आत्मीयता से भरी होती थी, जिसमें कहीं भी कोई अतिरेक नहीं होता। बिना लाग-लपेट के वे सीधे और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहते यही उनकी व्यक्तित्व और लेखन की सबसे बड़ी विशेषता थी।

छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने विनोद कुमार शुक्ल को याद करते हुए कहा कि युवा उनसे गहराई से आकर्षित रहते थे और उनके यहाँ हमेशा युवाओं की भीड़ लगी रहती थी। 

शर्मा ने कहा कि अपनी एक मुलाकात के दौरान उन्होंने उनसे पूछा कि आपने युवावस्था में अत्यंत गंभीर लेखन किया और अब बाल साहित्य की ओर क्यों आए। इस पर विनोद कुमार शुक्ल ने उत्तर दिया कि उन्हें लगता है वे बहुत गंभीर लेखन कर चुके हैं, लेकिन नई पीढ़ी के साथ शायद न्याय नहीं कर पाए। अब उन्हें लगता है कि नई पीढ़ी के साथ न्याय करने का अवसर उन्हें बाल साहित्य के माध्यम से मिला है।

साहित्यकार अलका जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म पर बात करते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि वे मामूली और साधारण स्थितियों में भी सौंदर्य खोज लेते थे।

उन्होंने कहा कि नौकर की कमीज में विनोद कुमार शुक्ल ने अत्यंत सहजता के साथ सत्ता के प्रति रोष को व्यक्त किया है, बिना किसी आडंबर के। उनकी रचनाओं में वह अदृश्य व्यक्ति दिखाई देता है, जो अपने गुम हो जाने से बचने की कोशिश करता है।

अलका जोशी ने कहा कि चाहे नौकर की कमीज हो या एक दीवार में खिड़की रहती है, उनकी रचनाओं में ऐसे दृश्य आते हैं जहाँ पात्र अपनी सीमित परिस्थितियों के भीतर भी हाथी पर सवारी करने जैसा सपना देखता है। उनकी लेखन-खूबसूरती यह थी कि रचनाओं में दृश्य और परिस्थितियाँ इतनी जीवंत होती थीं कि पाठक धीरे-धीरे उनसे जुड़ता चला जाता था। पाठक की यह इन्वॉल्वमेंट ही उनकी रचनात्मक सफलता का मूल आधार रही।

इसके पहले के सत्र में साहित्य उत्सवों में कितना साहित्य विषय पर अपनी बात रखते हुए लेखक अनंत विजय ने कहा कि साहित्य में गहराई अनिवार्य है। गहराई होगी तभी साहित्य को उसके पाठक मिलेंगे और वही साहित्य समय के साथ अपनी स्थायी छाप छोड़ पाएगा।

उन्होंने साहित्य उत्सवों की संरचना पर जोर देते हुए कहा कि सत्रों की संरचना में ठोस कंटेंट होना चाहिए, तभी श्रोता और पाठक उनसे जुड़ पाएंगे।

अनंत विजय ने यह भी स्पष्ट किया कि रायपुर साहित्य उत्सव पूरी तरह व्यावसायिकता से दूर रहेगा। यदि किसी सत्र में फिल्म जगत से कोई व्यक्ति आमंत्रित किया जाता है, तो उसके साथ मंच पर एक साहित्यकार की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि साहित्य केंद्र में बना रहे।

उन्होंने कहा कि सेल्फी संस्कृति साहित्य की दुश्मन है। कई बार साहित्य उत्सवों में फिल्मी हस्तियों को केवल इसलिए बुलाया जाता है ताकि लोग उनके साथ सेल्फी लेने आएं, जबकि इससे साहित्य का मूल उद्देश्य पीछे छूट जाता है।

वहीं, साहित्यकार अनिल जोशी ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी एक बार फिर किताबों और साहित्य से जुड़ रही है, जो एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कहा कि साहित्य उत्सवों की उपयोगिता अत्यधिक हो सकती है, बशर्ते उनके उद्देश्य स्पष्ट हों।

अनिल जोशी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी साहित्य सम्मेलन की शुरुआत से पहले उसकी प्रासंगिकता पर गंभीर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही आयोजन के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि साहित्य केंद्र में रहे और आवश्यक सावधानियों व मूल्यों का पालन हो, ताकि ऐसे उत्सव वास्तव में साहित्य-संवाद को समृद्ध कर सकें।

विनोद कुमार शुक्ल पर बोलते हुए अनिल जोशी ने कहा उनकी लेखनी एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग की तरह है, जिसे समझने के लिए पाठक को ठहरकर देखना और महसूस करना पड़ता है।

कार्यक्रम में नई शैली के लेखन पर टिप्पणी करते हुए पूर्व संपादक एवं लेखक प्रताप सोमवंशी ने कहा कि समय के साथ लेखन के स्वरूप में बदलाव आया है और आज नई शैली में साहित्य रचा जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही पारंपरिक शैली में लेखन भी निरंतर हो रहा है, जिसे पाठक आज भी पसंद कर रहे हैं और वह समान रूप से पढ़ा जा रहा है।

इस अवसर पर रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य एवं मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य संजीव सिन्हा सहित देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विचारक शामिल हुए।

हनुमंत कथा के चौथे दिवस उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा हुए शामिल, पं. धीरेंद्र शास्त्री से लिया आशीर्वाद

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रायपुर। जयंती स्टेडियम में आयोजित पांच दिवसीय हनुमंत कथा के चौथे दिवस रविवार को बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री की कथा में छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा शामिल हुए। 

उप मुख्यमंत्री शर्मा व्यासपीठ की आरती में भाग लेकर पं. धीरेंद्र शास्त्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, राजनांदगांव सांसद संतोष पाण्डेय तथा पूर्व सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पावन धरती की ओर से एवं राज्य सरकार की तरफ से वे पं. धीरेंद्र शास्त्री महाराज के चरणों में नमन और अभिनंदन करते हैं। उन्होंने कहा कि महाराज के छत्तीसगढ़ आगमन से समाज में सकारात्मक चर्चा होती है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे जब भी महाराज के कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं, उन्होंने समाज में व्याप्त ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर करने के लिए उनके सतत प्रयास देखे हैं।

उप मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि पं. धीरेंद्र शास्त्री समाज में समरसता, एकता और देश को एक साथ आगे बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं। सनातन संस्कृति की प्रतिष्ठा और जन-जागरूकता के लिए उनके प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की भावना है कि महाराज का छत्तीसगढ़ में बार-बार आगमन हो और उनका मार्गदर्शन मिलता रहे। 

उप मुख्यमंत्री ने नक्सलवाद के मुद्दे पर भी बात करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के समापन के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है और इस दिशा में महाराज की चिंता रहती है और मार्गदर्शन भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने भविष्य में पुनः महाराज के छत्तीसगढ़ आगमन की कामना की।


मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कुशाभाऊ ठाकरे की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में प्रख्यात जननायक कुशाभाऊ ठाकरे जी की पुण्यतिथि पर उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सांसद संतोष पाण्डेय, विधायक प्रबोध मिंज, विधायक पुरन्दर मिश्रा सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी का संपूर्ण जीवन राष्ट्रहितऔर समाज-सेवा के लिए समर्पित रहा। वे सत्ता-प्राप्ति को उद्देश्य नहीं, बल्कि जनसेवा को राजनीति का परम लक्ष्य मानते थे।मूल्य-आधारित राजनीति, चरित्र, अनुशासन और कर्मठता उनके सार्वजनिक जीवन की पहचान रही।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लोकतांत्रिक संस्कारों के प्रसार में उनकी भूमिका सदैव स्मरणीय रहेगी। वे सरलता और आत्मीयता के माध्यम से लोगों के हृदय से जुड़ने वाले विरले नेता थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के साथ कुशाभाऊ ठाकरे जी का गहरा और आत्मीय संबंध रहा है। उनके जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि राजनीति का मूल उद्देश्य सेवा, राष्ट्रहित एवं समाज कल्याण ही होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी की पावन स्मृतियाँ हम सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं और हमें जनकल्याण के कार्यों में सदैव सक्रिय रहने की प्रेरणा देती रहेंगी।

सुशासन के दो साल – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की बड़ी सौगात

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों के हित में निरंतर लिए जा रहे फैसलों का सकारात्मक असर अब गांव–गांव तक दिखाई देने लगा है। सौर सुजला योजना मुख्यमंत्री की ऐसी ही एक दूरदर्शी सौगात है, जिसने जशपुर जिले के किसानों की खेती और किस्मत—दोनों बदलने का काम किया है।

दो वर्षो में जिले के 755 किसानों को मिली बड़ी राहत

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जशपुर जिले में सौर सुजला योजना के तहत 755 किसानों को सोलर सिंचाई पंप की स्वीकृति मिली है। यह सौगात उन किसानों के लिए संजीवनी साबित हो रही है, जो अब तक बारिश और पारंपरिक साधनों पर निर्भर थे। सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों ने सिंचाई को आसान, सुलभ और किफायती बना दिया है।

बगीचा के बंधु यादव की सौर सुजला योजना से बदली तकदीर, मुख्यमंत्री का जताया आभार

जशपुर जिले के बगीचा तहसील क्षेत्र निवासी बंधु यादव ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस सौगात से लाभान्वित किसानों में शामिल हैं। सोलर पंप मिलने के बाद अब वे समय पर सिंचाई कर पा रहे हैं। इससे फसल की गुणवत्ता बेहतर हुई है और उत्पादन भी बढ़ा है।बंधु यादव कहते हैं कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की यह योजना उनके लिए उम्मीद की नई किरण बनकर आई है।

इसी तरह फरसाबहार तहसील के खुटशेरा निवासी दुलार साय भी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। सोलर पंप लगने से उन्होंने खेती का दायरा बढ़ाया है और अतिरिक्त फसलों की खेती शुरू की है। इससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई है और परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।

कम लागत, अधिक उत्पादन — किसानों को मिला आत्मविश्वास

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सोच के अनुरूप सौर सुजला योजना ने किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन का रास्ता दिखाया है। डीज़ल और बिजली पर होने वाला खर्च कम हुआ है, वहीं पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिला है। यह योजना खेती को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

दो साल में दिखा सुशासन का असर

बीते दो वर्षों में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में किसानों को केंद्र में रखकर कई योजनाएं धरातल पर उतरी हैं। सौर सुजला योजना उनमें से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसने जशपुर जिले के सैकड़ों किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा देकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की यह सौगात आज जशपुर के किसानों के चेहरे पर मुस्कान और खेतों में हरियाली का प्रतीक बन चुकी है।


राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 पर बम निष्क्रियकरण प्रणालियों के लिए नया भारतीय मानक IS 19445:2025 जारी

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नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने IS 19445:2025 – “बम निष्क्रियकरण प्रणालियां — प्रदर्शन मूल्यांकन और आवश्यकताएं” नामक नया भारतीय मानक जारी किया। यह मानक बम निष्क्रियकरण अभियानों में सुरक्षा और मानकीकरण को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मानक की आवश्यकता

IS 19445:2025 के निर्माण की पहल गृह मंत्रालय और टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL), DRDO के अनुरोध पर की गई। इसकी प्रमुख वजहें थीं—

  • सुरक्षा और नागरिक एजेंसियों द्वारा बम निष्क्रियकरण प्रणालियों का बढ़ता उपयोग

  • ऐसे उपकरणों के लिए अब तक किसी समर्पित भारतीय मानक का अभाव

  • अंतरराष्ट्रीय मानकों की सीमित उपलब्धता और भारतीय खतरा परिदृश्य से उनका पूर्ण मेल न होना

बम कंबल, बम बास्केट और बम इनहिबिटर जैसी प्रणालियां विस्फोटक खतरों को कम करने में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। इनके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए कठोर एवं मानकीकृत परीक्षण आवश्यक हैं।

IS 19445:2025 की प्रमुख विशेषताएं

यह मानक बम निष्क्रियकरण प्रणालियों के विस्फोट दबाव (Blast Load) और छर्रे प्रभाव (Splinter Effect) के मूल्यांकन हेतु एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है। इसमें शामिल हैं—

  • परीक्षण उपकरणों और परीक्षण क्षेत्र की आवश्यकताएं

  • निष्पक्ष प्रदर्शन मूल्यांकन की प्रक्रियाएं

  • परीक्षण पद्धतियां, उपकरण, नमूने और स्वीकृति मानदंड

यह मानक परीक्षण प्रायोजकों, निर्माताओं और मान्यता प्राप्त परीक्षण एजेंसियों के लिए एक समान परीक्षण, प्रमाणन और खरीद प्रक्रिया का आधार बनेगा।

विकास प्रक्रिया

IS 19445:2025 का विकास आर्म्स एंड एम्युनिशन फॉर सिविलियन यूज सेक्शनल कमेटी (PGD 28) के अंतर्गत सहमति आधारित प्रक्रिया से किया गया। इसके लिए बम निष्क्रियकरण प्रणालियां पैनल (PGD 28/P1) का गठन किया गया, जिसकी संयोजकता TBRL, DRDO ने की।

इस प्रक्रिया में DRDO, NSG, CAPF, राज्य पुलिस, AAI, NCRTC, BPR&D, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के निर्माता तथा परीक्षण विशेषज्ञों सहित अनेक हितधारकों ने सक्रिय भागीदारी की, जिससे यह मानक मैदानी जरूरतों और सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप बन सका।

वैश्विक मानकों के अनुरूप

मानक के निर्माण में अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें भारतीय खतरा परिदृश्य और परिचालन परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित किया गया है। इससे वैश्विक सामंजस्य के साथ राष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित होगी।

प्रमुख लाभ

  • स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ प्रदर्शन मूल्यांकन मानदंड

  • ऑपरेटरों, प्रथम प्रतिक्रियाकर्ताओं और आम नागरिकों की सुरक्षा में वृद्धि

  • खरीद, परीक्षण और प्रमाणन में पारदर्शिता और एकरूपता

  • मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा

  • विभिन्न एजेंसियों के बीच उपकरणों की विश्वसनीयता और संगतता में सुधार

उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने बताया कि यह मानक स्वैच्छिक रूप से अपनाने के लिए है और इससे गुणवत्ता आधारित निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा तथा सुरक्षा अभियानों में प्रयुक्त उपकरणों पर भरोसा बढ़ेगा।

IS 19445:2025 का विमोचन भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की राष्ट्रीय सुरक्षा, जन-सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है।

अमित शाह ने अहमदाबाद में IMA NATCON 2025 को किया संबोधित, कहा— विकसित भारत के निर्माण में डॉक्टरों की भूमिका निर्णायक

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के अहमदाबाद में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन IMA NATCON 2025 को संबोधित किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।


अमित शाह ने कहा कि जब कोई संस्था अपने 100 वर्ष पूरे करती है, तो वह अपने पीछे एक लंबा और गौरवशाली इतिहास छोड़ जाती है। उन्होंने कहा कि IMA के शताब्दी वर्ष में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में संगठन द्वारा किए गए योगदान को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि सेवा भावना, कर्तव्यबोध और उपलब्धियों की प्रेरणा जनमानस में और मजबूत हो। साथ ही यह समय स्वास्थ्य क्षेत्र में आए परिवर्तनों—RMP से लेकर विशेषज्ञता तक—के अनुरूप स्वयं को ढालने का भी है।

गृह मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र मूलतः सेवा का क्षेत्र है। जब कोई गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है, तो वह डॉक्टर में भगवान का स्वरूप देखता है। उन्होंने कहा कि 100 वर्ष पहले तय किए गए नैतिक मानदंड आज के समय में प्रासंगिक नहीं रह गए हैं। अब समय आ गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र की नैतिकता (Ethics) को पुनः परिभाषित किया जाए। उन्होंने IMA से आग्रह किया कि वह एक समिति बनाकर आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप नैतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करे और इन्हें चिकित्सा शिक्षा का हिस्सा बनाने के लिए भारत सरकार को सुझाव दे।

अमित शाह ने कहा कि केवल मेडिकल डिग्री प्राप्त कर लेना ही एक अच्छे डॉक्टर की पहचान नहीं है, बल्कि नैतिकता, सेवा भाव और संवेदनशीलता भी उतनी ही जरूरी है। नैतिकता को कानून से थोपा नहीं जा सकता, यह एक नैतिक विषय है, जिसे आत्मसात करना होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के संकल्प का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि देश को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम स्थान पर लाने के लिए मानसिक, शारीरिक और ऊर्जावान रूप से स्वस्थ जनसंख्या आवश्यक है, जिसमें डॉक्टरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 2014 से 2025 के बीच सरकार ने समग्र दृष्टिकोण से मजबूत स्वास्थ्य इकोसिस्टम विकसित किया है।

उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन, फिट इंडिया, खेलो इंडिया और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे अभियानों से स्वास्थ्य के प्रति जनजागरूकता बढ़ी है और योग अपनाने वालों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आयुष्मान भारत योजना के तहत देशभर में गरीबों को ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया है, जबकि कई राज्यों में यह सीमा ₹15 लाख तक पहुंच चुकी है।

गृह मंत्री ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों, जेनेरिक दवा दुकानों, AIIMS के विस्तार और टेलीमेडिसिन जैसी पहलों से स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि 2013-14 में जहां स्वास्थ्य बजट ₹37 हजार करोड़ था, वहीं आज यह बढ़कर ₹1.28 लाख करोड़ हो गया है।

उन्होंने कहा कि मलेरिया में 97 प्रतिशत की कमी, कालाजार में 90 प्रतिशत से अधिक सुधार, डेंगू मृत्यु दर में भारी गिरावट, मातृ मृत्यु दर में 25 प्रतिशत कमी और शिशु मृत्यु दर में 50 प्रतिशत कमी इन योजनाओं की सफलता का प्रमाण है।

कोविड-19 महामारी के दौरान डॉक्टरों की भूमिका की सराहना करते हुए अमित शाह ने कहा कि उस कठिन समय में देश के डॉक्टरों ने अपने जीवन की परवाह किए बिना सेवा की और पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल कायम की। उन्होंने कहा कि IMA का योगदान टीकाकरण, रक्तदान शिविरों और हेल्पलाइनों के माध्यम से अभूतपूर्व रहा।

गृह मंत्री ने IMA से आग्रह किया कि वह बीमारी से वेलनेस की ओर फोकस करे, शोध में लगे डॉक्टरों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाए और टेलीमेडिसिन के माध्यम से उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करे।

उन्होंने कहा कि 27 राज्यों से आए 5,000 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी इस सम्मेलन की व्यापकता को दर्शाती है और नए अध्यक्ष के नेतृत्व में IMA देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करेगी।

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