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राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 पर बम निष्क्रियकरण प्रणालियों के लिए नया भारतीय मानक IS 19445:2025 जारी

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नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने IS 19445:2025 – “बम निष्क्रियकरण प्रणालियां — प्रदर्शन मूल्यांकन और आवश्यकताएं” नामक नया भारतीय मानक जारी किया। यह मानक बम निष्क्रियकरण अभियानों में सुरक्षा और मानकीकरण को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मानक की आवश्यकता

IS 19445:2025 के निर्माण की पहल गृह मंत्रालय और टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL), DRDO के अनुरोध पर की गई। इसकी प्रमुख वजहें थीं—

  • सुरक्षा और नागरिक एजेंसियों द्वारा बम निष्क्रियकरण प्रणालियों का बढ़ता उपयोग

  • ऐसे उपकरणों के लिए अब तक किसी समर्पित भारतीय मानक का अभाव

  • अंतरराष्ट्रीय मानकों की सीमित उपलब्धता और भारतीय खतरा परिदृश्य से उनका पूर्ण मेल न होना

बम कंबल, बम बास्केट और बम इनहिबिटर जैसी प्रणालियां विस्फोटक खतरों को कम करने में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। इनके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए कठोर एवं मानकीकृत परीक्षण आवश्यक हैं।

IS 19445:2025 की प्रमुख विशेषताएं

यह मानक बम निष्क्रियकरण प्रणालियों के विस्फोट दबाव (Blast Load) और छर्रे प्रभाव (Splinter Effect) के मूल्यांकन हेतु एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है। इसमें शामिल हैं—

  • परीक्षण उपकरणों और परीक्षण क्षेत्र की आवश्यकताएं

  • निष्पक्ष प्रदर्शन मूल्यांकन की प्रक्रियाएं

  • परीक्षण पद्धतियां, उपकरण, नमूने और स्वीकृति मानदंड

यह मानक परीक्षण प्रायोजकों, निर्माताओं और मान्यता प्राप्त परीक्षण एजेंसियों के लिए एक समान परीक्षण, प्रमाणन और खरीद प्रक्रिया का आधार बनेगा।

विकास प्रक्रिया

IS 19445:2025 का विकास आर्म्स एंड एम्युनिशन फॉर सिविलियन यूज सेक्शनल कमेटी (PGD 28) के अंतर्गत सहमति आधारित प्रक्रिया से किया गया। इसके लिए बम निष्क्रियकरण प्रणालियां पैनल (PGD 28/P1) का गठन किया गया, जिसकी संयोजकता TBRL, DRDO ने की।

इस प्रक्रिया में DRDO, NSG, CAPF, राज्य पुलिस, AAI, NCRTC, BPR&D, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के निर्माता तथा परीक्षण विशेषज्ञों सहित अनेक हितधारकों ने सक्रिय भागीदारी की, जिससे यह मानक मैदानी जरूरतों और सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप बन सका।

वैश्विक मानकों के अनुरूप

मानक के निर्माण में अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें भारतीय खतरा परिदृश्य और परिचालन परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित किया गया है। इससे वैश्विक सामंजस्य के साथ राष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित होगी।

प्रमुख लाभ

  • स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ प्रदर्शन मूल्यांकन मानदंड

  • ऑपरेटरों, प्रथम प्रतिक्रियाकर्ताओं और आम नागरिकों की सुरक्षा में वृद्धि

  • खरीद, परीक्षण और प्रमाणन में पारदर्शिता और एकरूपता

  • मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा

  • विभिन्न एजेंसियों के बीच उपकरणों की विश्वसनीयता और संगतता में सुधार

उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने बताया कि यह मानक स्वैच्छिक रूप से अपनाने के लिए है और इससे गुणवत्ता आधारित निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा तथा सुरक्षा अभियानों में प्रयुक्त उपकरणों पर भरोसा बढ़ेगा।

IS 19445:2025 का विमोचन भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की राष्ट्रीय सुरक्षा, जन-सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है।

अमित शाह ने अहमदाबाद में IMA NATCON 2025 को किया संबोधित, कहा— विकसित भारत के निर्माण में डॉक्टरों की भूमिका निर्णायक

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के अहमदाबाद में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन IMA NATCON 2025 को संबोधित किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।


अमित शाह ने कहा कि जब कोई संस्था अपने 100 वर्ष पूरे करती है, तो वह अपने पीछे एक लंबा और गौरवशाली इतिहास छोड़ जाती है। उन्होंने कहा कि IMA के शताब्दी वर्ष में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में संगठन द्वारा किए गए योगदान को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि सेवा भावना, कर्तव्यबोध और उपलब्धियों की प्रेरणा जनमानस में और मजबूत हो। साथ ही यह समय स्वास्थ्य क्षेत्र में आए परिवर्तनों—RMP से लेकर विशेषज्ञता तक—के अनुरूप स्वयं को ढालने का भी है।

गृह मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र मूलतः सेवा का क्षेत्र है। जब कोई गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है, तो वह डॉक्टर में भगवान का स्वरूप देखता है। उन्होंने कहा कि 100 वर्ष पहले तय किए गए नैतिक मानदंड आज के समय में प्रासंगिक नहीं रह गए हैं। अब समय आ गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र की नैतिकता (Ethics) को पुनः परिभाषित किया जाए। उन्होंने IMA से आग्रह किया कि वह एक समिति बनाकर आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप नैतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करे और इन्हें चिकित्सा शिक्षा का हिस्सा बनाने के लिए भारत सरकार को सुझाव दे।

अमित शाह ने कहा कि केवल मेडिकल डिग्री प्राप्त कर लेना ही एक अच्छे डॉक्टर की पहचान नहीं है, बल्कि नैतिकता, सेवा भाव और संवेदनशीलता भी उतनी ही जरूरी है। नैतिकता को कानून से थोपा नहीं जा सकता, यह एक नैतिक विषय है, जिसे आत्मसात करना होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के संकल्प का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि देश को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम स्थान पर लाने के लिए मानसिक, शारीरिक और ऊर्जावान रूप से स्वस्थ जनसंख्या आवश्यक है, जिसमें डॉक्टरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 2014 से 2025 के बीच सरकार ने समग्र दृष्टिकोण से मजबूत स्वास्थ्य इकोसिस्टम विकसित किया है।

उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन, फिट इंडिया, खेलो इंडिया और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे अभियानों से स्वास्थ्य के प्रति जनजागरूकता बढ़ी है और योग अपनाने वालों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आयुष्मान भारत योजना के तहत देशभर में गरीबों को ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया है, जबकि कई राज्यों में यह सीमा ₹15 लाख तक पहुंच चुकी है।

गृह मंत्री ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों, जेनेरिक दवा दुकानों, AIIMS के विस्तार और टेलीमेडिसिन जैसी पहलों से स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि 2013-14 में जहां स्वास्थ्य बजट ₹37 हजार करोड़ था, वहीं आज यह बढ़कर ₹1.28 लाख करोड़ हो गया है।

उन्होंने कहा कि मलेरिया में 97 प्रतिशत की कमी, कालाजार में 90 प्रतिशत से अधिक सुधार, डेंगू मृत्यु दर में भारी गिरावट, मातृ मृत्यु दर में 25 प्रतिशत कमी और शिशु मृत्यु दर में 50 प्रतिशत कमी इन योजनाओं की सफलता का प्रमाण है।

कोविड-19 महामारी के दौरान डॉक्टरों की भूमिका की सराहना करते हुए अमित शाह ने कहा कि उस कठिन समय में देश के डॉक्टरों ने अपने जीवन की परवाह किए बिना सेवा की और पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल कायम की। उन्होंने कहा कि IMA का योगदान टीकाकरण, रक्तदान शिविरों और हेल्पलाइनों के माध्यम से अभूतपूर्व रहा।

गृह मंत्री ने IMA से आग्रह किया कि वह बीमारी से वेलनेस की ओर फोकस करे, शोध में लगे डॉक्टरों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाए और टेलीमेडिसिन के माध्यम से उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करे।

उन्होंने कहा कि 27 राज्यों से आए 5,000 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी इस सम्मेलन की व्यापकता को दर्शाती है और नए अध्यक्ष के नेतृत्व में IMA देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कुशाभाऊ ठाकरे की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

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रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में प्रख्यात जननायक कुशाभाऊ ठाकरे जी की पुण्यतिथि पर उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सांसद संतोष पाण्डेय, विधायक प्रबोध मिंज, विधायक पुरन्दर मिश्रा सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी का संपूर्ण जीवन राष्ट्रहितऔर समाज-सेवा के लिए समर्पित रहा। वे सत्ता-प्राप्ति को उद्देश्य नहीं, बल्कि जनसेवा को राजनीति का परम लक्ष्य मानते थे।मूल्य-आधारित राजनीति, चरित्र, अनुशासन और कर्मठता उनके सार्वजनिक जीवन की पहचान रही।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लोकतांत्रिक संस्कारों के प्रसार में उनकी भूमिका सदैव स्मरणीय रहेगी। वे सरलता और आत्मीयता के माध्यम से लोगों के हृदय से जुड़ने वाले विरले नेता थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के साथ कुशाभाऊ ठाकरे जी का गहरा और आत्मीय संबंध रहा है। उनके जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि राजनीति का मूल उद्देश्य सेवा, राष्ट्रहित एवं समाज कल्याण ही होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी की पावन स्मृतियाँ हम सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं और हमें जनकल्याण के कार्यों में सदैव सक्रिय रहने की प्रेरणा देती रहेंगी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पनडुब्बी INS वाघशीर पर किया डाइव्ड सॉर्टी, नौसेना की परिचालन शक्ति का लिया प्रत्यक्ष अनुभव

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भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (28 दिसंबर 2025) पश्चिमी समुद्री तट पर भारतीय नौसेना की पनडुब्बी INS वाघशीर पर डाइव्ड सॉर्टी की। इस दौरान उनके साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति ने कर्नाटक के कारवार नौसैनिक बंदरगाह से पनडुब्बी में प्रवेश किया।

करीब दो घंटे से अधिक चली इस सॉर्टी के दौरान राष्ट्रपति ने पनडुब्बी के चालक दल से संवाद किया और विभिन्न परिचालन प्रदर्शन (Operational Demonstrations) को प्रत्यक्ष रूप से देखा।

द्रौपदी मुर्मु डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बाद पनडुब्बी में सॉर्टी करने वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति बनी हैं।

स्वदेशी कलवरी श्रेणी (Kalvari-class) की पनडुब्बी पर राष्ट्रपति का यह पहला दौरा सशस्त्र बलों के साथ सर्वोच्च सेनापति के निरंतर और सशक्त जुड़ाव को दर्शाता है। इससे पहले नवंबर 2024 में राष्ट्रपति ने स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर भारतीय नौसेना के परिचालन प्रदर्शन को भी देखा था।

दौरे के पश्चात विज़िटर बुक में अपने अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रपति ने लिखा—

"INS वाघशीर पर हमारे नाविकों और अधिकारियों के साथ यात्रा करना, गोता लगाना और समय बिताना मेरे लिए एक अत्यंत विशेष अनुभव रहा। INS वाघशीर द्वारा किए गए अनेक सफल फायरिंग और चुनौतीपूर्ण अभियानों ने चालक दल की असाधारण तैयारी और समर्पण को प्रदर्शित किया है, जो इसके आदर्श वाक्य ‘वीरता वर्चस्व विजय’ के अनुरूप है। वाघशीर के चालक दल का अनुशासन, आत्मविश्वास और उत्साह यह विश्वास दिलाता है कि हमारी पनडुब्बियां और भारतीय नौसेना हर परिस्थिति में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूर्णतः तैयार हैं।”

यह दौरा भारतीय नौसेना की युद्ध तत्परता, स्वदेशी तकनीकी क्षमता और पेशेवर उत्कृष्टता का सशक्त प्रतीक है।


बस्तर पंडुम 2026 जनवरी-फरवरी में तीन चरणों में, तैयारियों की समीक्षा हुई पूरी

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 रायपुर : बस्तर अंचल की समृद्ध लोकपरंपराओं, जनजातीय संस्कृति, कला और विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से ‘बस्तर पंडुम’ का आयोजन वर्ष 2026 में भी गत वर्ष की भांति भव्य और आकर्षक रूप में किया जाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में विगत दिवस मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में उच्चस्तरीय बैठक संपन्न हुई। बैठक में आयोजन की विस्तृत तैयारियों की समीक्षा की गई तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।


बस्तर पंडुम 2026 का आयोजन 10 जनवरी 2026 से 5 फरवरी 2026 तक तीन चरणों में प्रस्तावित है। इसके अंतर्गत 10 से 20 जनवरी तक जनपद स्तरीय कार्यक्रम, 24 से 30 जनवरी तक जिला स्तरीय कार्यक्रम तथा 1 से 5 फरवरी तक संभाग स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इस वर्ष बस्तर पंडुम में विधाओं की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 की जा रही है। जिन विधाओं में प्रदर्शन एवं प्रतियोगिताएं होंगी, उनमें बस्तर जनजातीय नृत्य, गीत, नाट्य, वाद्ययंत्र, वेशभूषा एवं आभूषण, पूजा-पद्धति, शिल्प, चित्रकला, जनजातीय पेय पदार्थ, पारंपरिक व्यंजन, आंचलिक साहित्य तथा वन-औषधि प्रमुख हैं।

मुख्यमंत्री साय ने तैयारियों के संबंध में विभागीय अधिकारियों से विस्तृत जानकारी प्राप्त की और आयोजन को सुव्यवस्थित, गरिमामय तथा अधिक प्रभावी स्वरूप में संपन्न कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बस्तर पंडुम, बस्तर की असली आत्मा और सांस्कृतिक विरासत का सशक्त मंच है।

बैठक में यह बताया गया कि बस्तर पंडुम 2026 का लोगो, थीम गीत और आधिकारिक वेबसाइट का विमोचन माँ दंतेश्वरी के आशीर्वाद के साथ मंदिर प्रांगण में ही मुख्यमंत्री साय द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर वरिष्ठ मांझी–चालकी, गायता–पुजारी, आदिवासी समाज के प्रमुखजन तथा पद्म सम्मान से अलंकृत कलाकार उपस्थित रहेंगे। इस बार विशेष रूप से भारत के विभिन्न देशों में कार्यरत भारतीय राजदूतों को आमंत्रित किए जाने पर भी चर्चा हुई, ताकि उन्हें बस्तर की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और जनजातीय जीवन से अवगत कराया जा सके। साथ ही बस्तर संभाग के निवासी उच्च पदस्थ अधिकारी, यूपीएससी एवं सीजीपीएससी में चयनित अधिकारी, चिकित्सक, अभियंता, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि तथा देश के विभिन्न राज्यों के जनजातीय नृत्य दलों को आमंत्रित करने का भी निर्णय लिया गया।

प्रतिभागियों के पंजीयन की व्यवस्था इस बार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करने का प्रस्ताव है, जिससे अधिकाधिक कलाकारों और समूहों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

उल्लेखनीय है कि बस्तर अंचल की कला, शिल्प, त्योहार, खान-पान, बोली-भाषा, आभूषण, पारंपरिक वाद्ययंत्र, नृत्य-गीत, नाट्य, आंचलिक साहित्य, वन-औषधि और देवगुड़ियों के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत बस्तर संभाग के सात जिलों के 1,885 ग्राम पंचायतों, 32 जनपद पंचायतों, 8 नगरपालिकाओं, 12 नगर पंचायतों और 1 नगर निगम क्षेत्र में तीन चरणों में आयोजन होगा। इस आयोजन के लिए संस्कृति एवं राजभाषा विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है।

बैठक में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल, संस्कृति सचिवरोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, संचालक विवेक आचार्य सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री साय ने जनप्रतिनिधियों संग ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 129वीं कड़ी का श्रवण

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मुख्यमंत्री निवास में जनप्रतिनिधियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 129वीं कड़ी का श्रवण किया। इस अवसर पर सांसद संतोष पाण्डेय, विधायक प्रबोध मिंज एवं विधायक पुरंदर मिश्रा भी उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री साय ने कहा कि वर्ष के अंतिम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी अपनाने, देश में निर्मित उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने तथा बिना चिकित्सकीय परामर्श के एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से बचने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर राष्ट्र को मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रधानमंत्री निरंतर जनभागीदारी, नवाचार, आत्मनिर्भरता, स्वास्थ्य जागरूकता और राष्ट्र निर्माण के संकल्प को सशक्त बनाते हैं।


कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2025 को भारत के लिए उपलब्धियों से भरा गौरवशाली वर्ष बताया। उन्होंने देश की सुरक्षा, खेल, विज्ञान एवं अंतरिक्ष अनुसंधान, पर्यावरण संरक्षण तथा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के क्षेत्र में हुई ऐतिहासिक सफलताओं का उल्लेख किया। उन्होंने खिलाड़ियों और पैरा-एथलीटों के उत्कृष्ट प्रदर्शन तथा युवाओं के नवाचारों और ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन’ जैसे मंचों की सकारात्मक भूमिका को भी रेखांकित किया।

मन की बात में प्रधानमंत्री ने मणिपुर के युवा मोइरांगथेम सेठ के सौर ऊर्जा से जुड़े प्रयासों की सराहना करते हुए ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ का उल्लेख किया। साथ ही ओडिशा की स्वतंत्रता सेनानी पार्वती गिरि के योगदान को नमन करते हुए उन्होंने समाज सेवा और त्याग के मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में आईसीएमआर की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने एंटीबायोटिक दवाओं के अनियंत्रित उपयोग पर चिंता व्यक्त की और नागरिकों से चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही दवा लेने की अपील की।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ के तहत स्वास्थ्यप्रद जीवनशैली अपनाने का संदेश देते हुए सभी देशवासियों को वर्ष 2026 के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ‘मन की बात’ देश को जोड़ने वाला और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला कार्यक्रम है, जिसकी प्रत्येक कड़ी प्रेरणा, जागरूकता और जनभागीदारी की नई भावना का संचार करती है और जिसका सभी नागरिकों को बेसब्री से इंतजार रहता है।

मुख्यमंत्री साय ने वर्ष 2026 के शासकीय कैलेंडर का किया विमोचन, ‘महतारी गौरव वर्ष’ तथा सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ थीम पर आधारित है इस वर्ष का कैलेंडर

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में वर्ष 2026 के शासकीय कैलेंडर का विमोचन किया। वर्ष 2026 को राज्य सरकार द्वारा ‘महतारी गौरव वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। इसी थीम पर आधारित यह कैलेंडर सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ के संकल्प को अभिव्यक्त करता है।


कैलेंडर के मुख्य पृष्ठ पर छत्तीसगढ़ के पाँच प्रमुख शक्तिपीठ — मां बमलेश्वरी डोंगरगढ़, मां महामाया रतनपुर, मां दंतेश्वरी दंतेवाड़ा, मां चंद्रहासिनी चंद्रपुर और मां कुदरगढ़ी सूरजपुर के पावन धाम को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के छायाचित्र भी अंकित हैं। पृष्ठभूमि में सिरपुर एवं राजिम के मंदिर, आदिवासी संस्कृति, मधेश्वर पहाड़ तथा चित्रकोट जलप्रपात के आकर्षक ग्राफिकल प्रतिरूप सम्मिलित किए गए हैं, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक हैं।

मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर कहा कि “राज्य सरकार के लिए मातृशक्ति का सम्मान और सशक्तिकरण सर्वोच्च प्राथमिकता है। महतारी गौरव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा यह वर्ष महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन को समर्पित है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया यह शासकीय कैलेंडर महिला सशक्तिकरण, राज्य की प्राथमिकताओं और हमारी उपलब्धियों का सशक्त प्रतीक है। इसमें जनकल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक सरोकारों को समाहित किया गया है, जो सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”

कैलेंडर के विभिन्न मासिक पृष्ठों में विषयानुसार योजनाओं एवं अभियानों को समाहित किया गया है। जनवरी माह के पृष्ठ पर राज्य के प्रमुख शक्तिपीठों का दर्शन कराया गया है। फरवरी माह में राष्ट्रीय सघन पल्स पोलियो अभियान को दर्शाया गया है, वहीं मार्च माह को महतारी वंदन योजना को समर्पित किया गया है। अप्रैल माह में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, मई माह में तेंदूपत्ता संग्रहण एवं चरण पादुका योजना, तथा जून माह में बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ अभियान को प्रमुखता दी गई है। जुलाई माह में महिला मुखिया के नाम से पीडीएस राशनकार्ड की व्यवस्था को दर्शाया गया है। अगस्त माह में रक्षाबंधन उत्सव, सितंबर में दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना और अक्टूबर माह में शौर्य का सम्मान विषय को स्थान दिया गया है। नवंबर माह को “सेवा ही संकल्प” की भावना के साथ प्रस्तुत किया गया है, जबकि दिसंबर माह को महिला सशक्तिकरण के प्रतीक रूप में दर्शाया गया है।

शासकीय कैलेंडर 2026 के विमोचन के इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल, जनसंपर्क सचिव रोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत तथा आयुक्त जनसंपर्क रवि मित्तल उपस्थित थे।

CG NEWS : पराली की आग में झुलसी महिला, मौके पर दर्दनाक मौत

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 बलौदाबाजार/कसडोल। कसडोल थाना क्षेत्र में पराली जलाने से एक महिला की दर्दनाक मौत का मामला सामने आया है। ग्राम सेल और कसडोल के बीच एक खेत में रविवार को 50 वर्षीय प्रभा साहू जिंदा जल गईं। यह घटना पराली जलाने से पैदा होने वाले खतरों की गंभीरता को एक बार फिर सामने लाती है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रभा साहू अपने खेत में चारा (पैरा) लेने पहुंची थीं। उसी दौरान आसपास के खेतों में पराली जलाई जा रही थी। पराली से उठे घने धुएं की वजह से प्रभा की तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश होकर खेत में गिर पड़ीं।

इसी बीच तेज हवा के कारण पराली में लगी आग फैलते हुए उनके पास तक पहुंच गई। बेहोश प्रभा आग की लपटों में घिर गईं और संभलने का मौका भी नहीं मिला। आग की चपेट में आने से उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।

सूचना मिलते ही कसडोल पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही यह जांच शुरू की गई है कि खेत में पराली किसने जलाई थी और हादसे में लापरवाही किसकी थी।

ग्रामीणों का कहना है कि पराली जलाने के मामले पर प्रशासन को सख्ती बरतने की जरूरत है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यह हादसा बताता है कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है।

तमनार में हिंसा : CM विष्णु देव साय ने दिए जांच के आदेश, दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई

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 रायपुर। रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में शनिवार को पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुए हिंसक विवाद को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कानून-व्यवस्था से समझौता नहीं किया जाएगा।


जानकारी के अनुसार, जिंदल कंपनी के गारे-पेलमा कोल ब्लॉक के विरोध में क्षेत्र के 14 गांवों के ग्रामीण लंबे समय से लिबरा स्थित सीएचपी चौक पर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। ग्रामीण जनसुनवाई को फर्जी बताते हुए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, जिसकी वजह से कंपनी के भारी वाहनों का संचालन प्रभावित हो रहा था।

शनिवार को पुलिस द्वारा धरना खत्म कराने और कुछ लोगों को हिरासत में लेने के बाद स्थिति अचानक बिगड़ गई। इसी दौरान खुरूषलेंगा गांव के पास एक भारी वाहन की टक्कर से साइकिल सवार ग्रामीण घायल हो गया, जिससे आक्रोशित भीड़ भड़क उठी। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पत्थरों और लाठी-डंडों से हमला कर दिया और एक बस सहित दो वाहनों में आग लगा दी।

हिंसक झड़प में महिला थाना प्रभारी कमला पुसाम समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने घटनास्थल से 30 से 35 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है।

मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट किया कि सरकार सभी पक्षों की बात सुनेगी, लेकिन हिंसा और कानून हाथ में लेने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

SHANTI बिल मोदी सरकार का सबसे बड़ा विज्ञान सुधार: डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा – परमाणु ऊर्जा और नवाचार के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम

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नई दिल्ली- केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज एक मीडिया साक्षात्कार में कहा कि SHANTI बिल मोदी सरकार के सबसे बड़े विज्ञान सुधारों में से एक के रूप में इतिहास में दर्ज होगा।

मंत्री ने कहा कि जबकि संसद में सुधारों पर चर्चा पारंपरिक रूप से सार्वजनिक कल्याण योजनाओं और शासन उपायों पर केंद्रित रही है, देश का दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक स्वरूप अब विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधारों द्वारा आकार लेगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल, मोदी 3.0, में साहसिक और संरचनात्मक सुधारों की विशिष्ट पहचान है, जिसमें विज्ञान, नवाचार और उद्यमिता पर विशेष जोर दिया गया है।

SHANTI बिल – राष्ट्रीय परिवर्तन में विज्ञान का केंद्र

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि SHANTI बिल परंपरा से एक निर्णायक मोड़ है, जो राष्ट्रीय परिवर्तन के केंद्र में विज्ञान-प्रेरित सुधार को रखता है। उन्होंने बताया कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से वैज्ञानिक उन्नति को सुधारों की रूपरेखा में शामिल नहीं किया, बावजूद इसके कि इसका भविष्य की विकास, उद्योग और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर निर्णायक प्रभाव है।

उन्होंने बताया कि यह बिल भारत के परमाणु क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार का प्रतीक है, जो शांतिपूर्ण, स्वच्छ और सतत ऊर्जा की संभावनाओं को खोलता है, जबकि सुरक्षा, संप्रभुता और सार्वजनिक हित के उच्चतम मानकों को बनाए रखता है। उन्होंने कहा कि पिछले छह दशकों में ऐसा सुधार असंभव था और यह केवल प्रधानमंत्री मोदी की विरासतों को तोड़ने और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप नीतियों को ढालने की क्षमता के कारण ही संभव हुआ।

शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा का निरंतर प्रतिबद्धता

डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि डॉ. होमी भाभा के समय से भारत का परमाणु कार्यक्रम विकास, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा के लिए था। SHANTI बिल इस मूल दर्शन को मजबूत करता है और इसे सिविल प्रयोजनों जैसे स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, चिकित्सा अनुप्रयोग और उन्नत अनुसंधान के लिए विस्तार योग्य बनाता है, जबकि किसी भी प्रकार की अशांतिपूर्ण गतिविधियों से पूरी तरह अलग रखा गया है।

परमाणु ऊर्जा और उभरती हुई अर्थव्यवस्था

मंत्री ने कहा कि उभरती हुई एआई, क्वांटम और डेटा-चालित अर्थव्यवस्था की मांगों के मद्देनजर, परमाणु ऊर्जा विश्वसनीय, 24×7 बिजली प्रदान करने में अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत जीवाश्म ईंधन और कोयले से दूर जा रहा है, परमाणु ऊर्जा उन्नत प्रौद्योगिकी, डिजिटल अवसंरचना और रणनीतिक क्षेत्रों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

परमाणु ऊर्जा क्षमता और भविष्य की योजनाएँ

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत की परमाणु बिजली क्षमता 2014 में लगभग 4.4 GW से बढ़कर आज लगभग 8.7 GW हो गई है। सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक परमाणु क्षमता को लगभग 100 GW तक बढ़ाया जाए, जिससे राष्ट्रीय नेट-जीरो प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद मिले और बिजली की लगभग 10% जरूरतें परमाणु ऊर्जा से पूरी हों।

परमाणु विज्ञान का स्वास्थ्य में योगदान

मंत्री ने कहा कि परमाणु विज्ञान अब स्वास्थ्य क्षेत्र में भी योगदान दे रहा है, खासकर कैंसर निदान और उपचार में। उन्होंने बताया कि न्यूक्लियर मेडिसिन और आइसोटोप तकनीकें जीवन रक्षक चिकित्सा हस्तक्षेपों में मदद कर रही हैं, जिससे यह साबित होता है कि परमाणु विज्ञान मानव कल्याण और सामाजिक भलाई का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है।

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर और भविष्य की तैयारी

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत Small Modular Reactors (SMRs) की ओर भी बढ़ रहा है, जो घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र, औद्योगिक गलियारे और उभरते आर्थिक क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं। ये रिएक्टर ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारी को भी सुनिश्चित करेंगे।

वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग का समर्थन

मंत्री ने कहा कि SHANTI बिल को वैज्ञानिक समुदाय, उद्योग, स्टार्टअप और नवाचार इकोसिस्टम में व्यापक समर्थन मिला है, जो देश में परमाणु क्षेत्र के सुधार और आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर राष्ट्रीय सहमति को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि यह बिल मोदी 3.0 के सुधार-केंद्रित दृष्टिकोण का प्रतीक है, जहां विज्ञान-आधारित नीतिगत निर्णय भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र की दिशा में ले जा रहे हैं।


बस्तर पंडुम का वर्ष 2026 में भी होगा भव्य एवं आकर्षक ढंग से आयोजन: मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बस्तर पंडुम की तैयारियों को लेकर हुई उच्चस्तरीय बैठक

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बस्तर पंडुम 2026: बस्तर की परंपराओं को मिलेगा वैश्विक मंच

रायपुर- बस्तर अंचल की समृद्ध लोकपरंपराओं, जनजातीय संस्कृति, कला और विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से ‘बस्तर पंडुम’ का आयोजन वर्ष 2026 में भी गत वर्ष की भांति भव्य और आकर्षक रूप में किया जाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में विगत दिवस मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में उच्चस्तरीय बैठक संपन्न हुई। बैठक में आयोजन की विस्तृत तैयारियों की समीक्षा की गई तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।

बस्तर पंडुम 2026 का आयोजन 10 जनवरी 2026 से 5 फरवरी 2026 तक तीन चरणों में प्रस्तावित है। इसके अंतर्गत 10 से 20 जनवरी तक जनपद स्तरीय कार्यक्रम, 24 से 30 जनवरी तक जिला स्तरीय कार्यक्रम तथा 1 से 5 फरवरी तक संभाग स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इस वर्ष बस्तर पंडुम में विधाओं की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 की जा रही है। जिन विधाओं में प्रदर्शन एवं प्रतियोगिताएं होंगी, उनमें बस्तर जनजातीय नृत्य, गीत, नाट्य, वाद्ययंत्र, वेशभूषा एवं आभूषण, पूजा-पद्धति, शिल्प, चित्रकला, जनजातीय पेय पदार्थ, पारंपरिक व्यंजन, आंचलिक साहित्य तथा वन-औषधि प्रमुख हैं।

मुख्यमंत्री साय ने तैयारियों के संबंध में विभागीय अधिकारियों से विस्तृत जानकारी प्राप्त की और आयोजन को सुव्यवस्थित, गरिमामय तथा अधिक प्रभावी स्वरूप में संपन्न कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बस्तर पंडुम, बस्तर की असली आत्मा और सांस्कृतिक विरासत का सशक्त मंच है।

बैठक में यह बताया गया कि बस्तर पंडुम 2026 का लोगो, थीम गीत और आधिकारिक वेबसाइट का विमोचन माँ दंतेश्वरी के आशीर्वाद के साथ मंदिर प्रांगण में ही मुख्यमंत्री साय द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर वरिष्ठ मांझी–चालकी, गायता–पुजारी, आदिवासी समाज के प्रमुखजन तथा पद्म सम्मान से अलंकृत कलाकार उपस्थित रहेंगे। इस बार विशेष रूप से भारत के विभिन्न देशों में कार्यरत भारतीय राजदूतों को आमंत्रित किए जाने पर भी चर्चा हुई, ताकि उन्हें बस्तर की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और जनजातीय जीवन से अवगत कराया जा सके। साथ ही बस्तर संभाग के निवासी उच्च पदस्थ अधिकारी, यूपीएससी एवं सीजीपीएससी में चयनित अधिकारी, चिकित्सक, अभियंता, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि तथा देश के विभिन्न राज्यों के जनजातीय नृत्य दलों को आमंत्रित करने का भी निर्णय लिया गया।

प्रतिभागियों के पंजीयन की व्यवस्था इस बार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करने का प्रस्ताव है, जिससे अधिकाधिक कलाकारों और समूहों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

उल्लेखनीय है कि बस्तर अंचल की कला, शिल्प, त्योहार, खान-पान, बोली-भाषा, आभूषण, पारंपरिक वाद्ययंत्र, नृत्य-गीत, नाट्य, आंचलिक साहित्य, वन-औषधि और देवगुड़ियों के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत बस्तर संभाग के सात जिलों के 1,885 ग्राम पंचायतों, 32 जनपद पंचायतों, 8 नगरपालिकाओं, 12 नगर पंचायतों और 1 नगर निगम क्षेत्र में तीन चरणों में आयोजन होगा। इस आयोजन के लिए संस्कृति एवं राजभाषा विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है। 

बैठक में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल, संस्कृति सचिव रोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, संचालक विवेक आचार्य सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने वर्ष 2026 के शासकीय कैलेंडर का किया विमोचन

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‘महतारी गौरव वर्ष’ तथा सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ थीम पर आधारित है इस वर्ष का कैलेंडर

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में वर्ष 2026 के शासकीय कैलेंडर का विमोचन किया। वर्ष 2026 को राज्य सरकार द्वारा ‘महतारी गौरव वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। इसी थीम पर आधारित यह कैलेंडर सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ के संकल्प को अभिव्यक्त करता है।

कैलेंडर के मुख्य पृष्ठ पर छत्तीसगढ़ के पाँच प्रमुख शक्तिपीठ — मां बमलेश्वरी डोंगरगढ़, मां महामाया रतनपुर, मां दंतेश्वरी दंतेवाड़ा, मां चंद्रहासिनी चंद्रपुर और मां कुदरगढ़ी सूरजपुर के पावन धाम को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के छायाचित्र भी अंकित हैं। पृष्ठभूमि में सिरपुर एवं राजिम के मंदिर, आदिवासी संस्कृति, मधेश्वर पहाड़ तथा चित्रकोट जलप्रपात के आकर्षक ग्राफिकल प्रतिरूप सम्मिलित किए गए हैं, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक हैं।

मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर कहा कि “राज्य सरकार के लिए मातृशक्ति का सम्मान और सशक्तिकरण सर्वोच्च प्राथमिकता है। महतारी गौरव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा यह वर्ष महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन को समर्पित है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया यह शासकीय कैलेंडर महिला सशक्तिकरण, राज्य की प्राथमिकताओं और हमारी उपलब्धियों का सशक्त प्रतीक है। इसमें जनकल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक सरोकारों को समाहित किया गया है, जो सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”

कैलेंडर के विभिन्न मासिक पृष्ठों में विषयानुसार योजनाओं एवं अभियानों को समाहित किया गया है। जनवरी माह के पृष्ठ पर राज्य के प्रमुख शक्तिपीठों का दर्शन कराया गया है। फरवरी माह में राष्ट्रीय सघन पल्स पोलियो अभियान को दर्शाया गया है, वहीं मार्च माह को महतारी वंदन योजना को समर्पित किया गया है। अप्रैल माह में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, मई माह में तेंदूपत्ता संग्रहण एवं चरण पादुका योजना, तथा जून माह में बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ अभियान को प्रमुखता दी गई है। जुलाई माह में महिला मुखिया के नाम से पीडीएस राशनकार्ड की व्यवस्था को दर्शाया गया है। अगस्त माह में रक्षाबंधन उत्सव, सितंबर में दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना और अक्टूबर माह में शौर्य का सम्मान विषय को स्थान दिया गया है। नवंबर माह को “सेवा ही संकल्प” की भावना के साथ प्रस्तुत किया गया है, जबकि दिसंबर माह को महिला सशक्तिकरण के प्रतीक रूप में दर्शाया गया है।

शासकीय कैलेंडर 2026 के विमोचन के इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल, जनसंपर्क सचिव रोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत तथा आयुक्त जनसंपर्क रवि मित्तल उपस्थित थे।

अमित शाह ने रतन टाटा की जयंती पर दी श्रद्धांजलि, कहा– ईमानदारी और करुणा से भारतीय उद्योग को नई दिशा दी

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नई दिल्ली- केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने महान उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा जी की जयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने रतन टाटा को ऐसा दूरदर्शी नेतृत्वकर्ता बताया, जिन्होंने ईमानदारी, करुणा और राष्ट्रसेवा के मूल्यों के साथ भारतीय उद्योग जगत को वैश्विक पहचान दिलाई।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए अपने संदेश में अमित शाह ने कहा—

“रतन टाटा जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि, जिन्होंने ईमानदारी और करुणा के साथ भारतीय उद्यमिता को नई पहचान दी। स्वदेशी उद्योग के निर्माण से लेकर निःस्वार्थ परोपकार तक, उन्होंने यह सिद्ध किया कि सच्ची सफलता राष्ट्रसेवा में निहित होती है। उनकी विरासत आत्मनिर्भर भारत को प्रेरित करती रहेगी।”

भारतीय उद्योग को वैश्विक मंच तक पहुंचाने वाले नेतृत्वकर्ता

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टाटा पावर जैसे संस्थानों ने देश की औद्योगिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देते हुए भारतीय उद्योग को आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में आगे बढ़ाया।

परोपकार और मानवता के प्रतीक

रतन टाटा केवल एक उद्योगपति ही नहीं, बल्कि मानवता और समाजसेवा के प्रतीक भी रहे। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, आपदा राहत और अनुसंधान के क्षेत्र में उनके योगदान ने करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने समाज के वंचित वर्गों तक विकास की रोशनी पहुंचाई।

युवाओं के लिए प्रेरणा

अमित शाह ने कहा कि रतन टाटा की जीवन यात्रा युवाओं के लिए एक आदर्श है, जो यह सिखाती है कि व्यवसाय में सफलता के साथ नैतिकता और संवेदनशीलता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि राष्ट्र निर्माण में उद्योग जगत की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है।

आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणास्रोत विरासत

रतन टाटा की सोच और कार्यशैली आज भी ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को मजबूती प्रदान करती है। उनका विश्वास था कि भारतीय कंपनियां नवाचार, गुणवत्ता और नैतिक मूल्यों के बल पर विश्व स्तर पर नेतृत्व कर सकती हैं।

राष्ट्र सदैव रतन टाटा जी के योगदान, मूल्यों और विरासत को कृतज्ञता के साथ स्मरण करता रहेगा।


आरपीएफसी रिज़वान उद्दीन ने NID व GNLU गांधीनगर में विद्यार्थियों व ईपीएफओ अधिकारियों को किया संबोधित

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गांधीनगर-क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (RPFC-I) एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा अकादमी (PDUNASS) के मुख्य शिक्षण अधिकारी (CLO)रिज़वान उद्दीन ने 26 दिसंबर को राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (NID), गांधीनगर के स्नातकोत्तर विद्यार्थियों तथा गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (GNLU), गांधीनगर में ईपीएफओ के प्रवर्तन/लेखा अधिकारियों को संबोधित किया।

NID में ‘लक्ष्य निर्धारण के माध्यम से प्रेरणा’ पर विशेष सत्र

NID, गांधीनगर द्वारा स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए “लक्ष्य निर्धारण के माध्यम से प्रेरणा (Motivation Through Goal Setting)” विषय पर एक विशेष और अत्यंत संवादात्मक सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की गई।

सत्र के दौरान सफलता–असफलता, चुनौतीपूर्ण लक्ष्य, लक्ष्य प्राप्ति की रणनीति, अनुशासन, इच्छाशक्ति, दृष्टिकोण, विश्वास, समन्वय और निरंतरता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
NID की ओर से डॉ. भाविन कोठारी ने सत्र का समन्वय किया। रिज़वान उद्दीन ने विद्यार्थियों की रुचि और सकारात्मक सहभागिता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

GNLU में ईपीएफओ अधिकारियों के लिए चार सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम

इससे पूर्व, GNLU गांधीनगर में PDUNASS के सहयोग से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के प्रवर्तन/लेखा अधिकारियों के छठे बैच के लिए चार सप्ताह का प्रारंभिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ 1 दिसंबर 2025 को हुआ, जिसमें 62 अधिकारी शामिल हुए। कुल 81 सत्रों के माध्यम से 121.5 घंटे का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस दौरान EPFO के अनुभवी अधिकारियों सहित कुल 26 संसाधन व्यक्तियों ने विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया।

प्रशिक्षण में शामिल प्रमुख विषय

प्रशिक्षण कार्यक्रम में:

  • आपराधिक एवं दीवानी कानून

  • साक्ष्य अधिनियम

  • संवैधानिक प्रावधान

  • प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत

  • अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों की भूमिका

  • POSH अधिनियम

  • साइबर कानून

  • श्रम कानून एवं नए श्रम संहिता

  • अनुबंध कानून, राजभाषा

  • व्यावसायिक शिष्टाचार एवं व्यक्तित्व विकास

जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे।

समापन सत्र में जिम्मेदारियों पर विशेष जोर

26 दिसंबर 2025 को आयोजित समापन सत्र में रिज़वान उद्दीन और डॉ. नितिन मलिक, कुलसचिव, GNLU उपस्थित रहे।

अंतिम दिन रिज़वान उद्दीन ने दो सत्रों में प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए संविदात्मक कर्मचारियों के प्रति प्रधान नियोक्ताओं की जिम्मेदारियों को दो महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों —HSWCL बनाम RPFC (कलकत्ता उच्च न्यायालय) तथा FCI बनाम RPFC (दिल्ली उच्च न्यायालय) के माध्यम से विस्तार से समझाया।

डॉ. नितिन मलिक ने पाठ्यक्रम समन्वयक हार्दिक पारिख के प्रयासों की सराहना की तथा प्रशिक्षणार्थियों के अनुशासन की प्रशंसा की। प्रशिक्षणार्थी अधिकारियों ने भी खुले और अनौपचारिक वातावरण में अपनी प्रतिक्रिया साझा की।

राष्ट्रीय हित में कार्य करने का आह्वान

समापन सत्र में अधिकारियों को राष्ट्रीय हित में, जन-केंद्रित सेवा वितरण, निर्णायक सोच, सहयोगात्मक कार्यशैली और गहन अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया गया। अधिकारियों को कानून के महत्व को समझते हुए हितधारकों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया।


केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के लिए नया भारतीय मानक IS 19262:2025 जारी किया

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केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर भारत मंडपम, नई दिल्ली में IS 19262:2025 ‘इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टर — परीक्षण संहिता (Test Code)’ का विमोचन किया। यह भारतीय मानक भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों की सुरक्षा, विश्वसनीयता और प्रदर्शन सुनिश्चित करना है।

यह नया मानक इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के लिए एकरूप और मानकीकृत परीक्षण प्रक्रियाएं निर्धारित करता है, जिससे सभी हितधारकों के बीच समान समझ विकसित हो सके।

किन परीक्षणों को करता है शामिल

IS 19262:2025 के अंतर्गत इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के:

  • PTO पावर परीक्षण

  • ड्रॉबार पावर परीक्षण

  • बेल्ट एवं पुली के प्रदर्शन

  • कंपन (वाइब्रेशन) मापन

  • विनिर्देशों का सत्यापन

  • विभिन्न पुर्जों और असेंबली का निरीक्षण

जैसे परीक्षण शामिल किए गए हैं।

अन्य मानकों से लिया गया तकनीकी सहयोग

यह मानक IS 5994:2022 ‘कृषि ट्रैक्टर — परीक्षण संहिता’ तथा इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित ऑटोमोटिव इंडस्ट्री मानकों से तकनीकी सहायता लेकर, उन्हें कृषि उपयोग के अनुरूप अनुकूलित कर विकसित किया गया है।

इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों को मिलेगा बढ़ावा

अधिकृत परीक्षण संस्थानों के माध्यम से इस मानक के कार्यान्वयन से:

  • इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों को अपनाने में तेजी आएगी

  • स्वच्छ कृषि तकनीकों में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा

  • उत्सर्जन में कमी और टिकाऊ कृषि यंत्रीकरण को बल मिलेगा

किसानों और उपभोक्ताओं को मिलेगा भरोसा

इस मानक के तहत किए गए परीक्षणों से प्राप्त डेटा:

  • ट्रैक्टरों के प्रदर्शन और सुरक्षा के वैज्ञानिक मूल्यांकन में सहायक होगा

  • भविष्य में स्वीकृति मानदंड और अनुरूपता मूल्यांकन योजनाओं के विकास का आधार बनेगा

इससे निर्माताओं को सुरक्षित और भरोसेमंद उत्पाद विकसित करने में मदद मिलेगी, वहीं किसानों और उपभोक्ताओं का भरोसा भी बढ़ेगा।

डीजल ट्रैक्टरों का टिकाऊ विकल्प

इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टर बैटरी से संचालित इलेक्ट्रिक मोटरों पर आधारित होते हैं और ये पारंपरिक डीजल इंजनों का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प हैं। इनके प्रमुख लाभ हैं:

  • शून्य टेलपाइप उत्सर्जन

  • कम शोर और प्रदूषण

  • कम रखरखाव लागत

  • बेहतर ऊर्जा दक्षता

ये ट्रैक्टर किसानों के लिए स्वास्थ्यकर कार्य वातावरण भी प्रदान करते हैं और कृषि क्षेत्र में डीजल की खपत को कम करने में सहायक हैं।

मानक की आवश्यकता क्यों पड़ी

इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के बढ़ते उपयोग के बावजूद, अब तक इनके लिए समर्पित और समन्वित परीक्षण प्रक्रियाओं का अभाव था। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मशीनीकरण एवं प्रौद्योगिकी प्रभाग के अनुरोध पर BIS ने इस मानक को प्राथमिकता के आधार पर विकसित किया।

विकास प्रक्रिया में व्यापक सहभागिता

इस मानक के निर्माण में:

  • इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर निर्माता

  • परीक्षण एवं प्रमाणन एजेंसियां

  • अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्थान

  • कृषि इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विशेषज्ञ

सहित ICAR–सीआईएई भोपाल, सीएफएमटीटीआई बुदनी, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) और ऑल इंडिया फार्मर्स एलायंस जैसी संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

कृषि क्षेत्र में मानकीकरण की दिशा में अहम कदम

स्वैच्छिक प्रकृति वाला यह मानक कृषि क्षेत्र में उभरती तकनीकों के लिए भारत की मानकीकरण प्रणाली को मजबूत करेगा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी व कृषि यंत्रीकरण के वैश्विक रुझानों के अनुरूप देश को आगे बढ़ाएगा।


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