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युवा तारे T Chamaeleontis के धूल भरे आवरण का रहस्य उजागर, ग्रह निर्माण की प्रक्रिया में नई जानकारी

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खगोलविदों ने T Chamaeleontis (T. Cha) नामक एक युवा तारे के धूल भरे घेरे के पीछे छिपा रहस्य सामने लाया है। यह तारा पृथ्वी से लगभग 350 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है और इसके चारों ओर ग्रह निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। हाल ही में इस तारे के अंतःसौर डिस्क की आंतरिक दीवार का हिस्सा आंशिक रूप से ढह गया, जिससे वैज्ञानिकों को ग्रह निर्माण वाले डिस्क में रासायनिक प्रक्रिया को समझने का नया दृष्टिकोण मिला।

T Cha के चारों ओर एक ग्रह-निर्माण डिस्क है जिसमें एक बड़ा अंतराल मौजूद है, जिसे संभवतः नवजात ग्रह ने बनाया है। सामान्य परिस्थितियों में डिस्क का घना आंतरिक हिस्सा तारों की पराबैंगनी (UV) किरणों को बाहर के ठंडे हिस्सों तक पहुँचने से रोकता है। यह सुरक्षा Polycyclic Aromatic Hydrocarbons (PAHs) को पहचानने में मुश्किल पैदा करती है। ये PAH अणु कार्बन और हाइड्रोजन से बने फ्लैट, हनीकॉम्ब जैसी संरचनाएँ हैं और जीवन की प्रारंभिक रसायनशास्त्र में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) के वैज्ञानिकों ने NASA के James Webb Space Telescope (JWST) के Mid Infrared Instrument (MIRI) का उपयोग कर T Cha के स्पेक्ट्रम में PAH अणुओं का अध्ययन किया। 2022 में JWST ने आंशिक रूप से ढह गई आंतरिक दीवार के समय का क्षण पकड़ा, जिससे डिस्क के पहले छायांकित हिस्सों में UV विकिरण पहुंचा और PAH अणु प्रकाशित हुए।

इस खोज ने दिखाया कि PAH अणु दो दशकों के दौरान अपनी मूल संरचना बनाए रखते हुए और चमक बढ़ाते हुए भी स्थिर रहे। T Cha का डिस्क अंतराल इसे युवा ग्रहों और उनके नाभिकीय डिस्क के बीच अंतःक्रियाओं के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण बनाता है।

जैसा कि IIA के शोधकर्ता अरुण रॉय ने कहा, “JWST ने PAH अणुओं को स्पष्ट रूप से उजागर किया और यह सबसे कम द्रव्यमान वाले तारों में से एक है जिसमें PAH का पता चला है। यह अचानक प्रकाश की बहार के कारण अणुओं की चमक बढ़ने के दौरान हुई।”

इस खोज से युवा, सूर्य-समान तारों के चारों ओर ग्रह निर्माण वाले डिस्क में जटिल हाइड्रोकार्बन अणुओं की स्थिति और उनकी स्थिरता को समझने में मदद मिलेगी। 

खाद्यान्न वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने राज्य शासन की निर्णायक पहल:अनियमितता करने वाली उचित मूल्य दुकानों के खिलाफ प्रशासन की बड़ी कार्रवाई

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राशन वितरण में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं – दो दुकानों का संचालन समाप्त, एक पर अर्थदंड

ई-पॉस आधारित वितरण में अनियमितता पाए जाने पर की गई सख्त कार्यवाही

रायपुर- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत वर्तमान में ई-पॉस मशीन के माध्यम से आधार आधारित प्रमाणीकरण कर राशनकार्डधारियों को खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। हितग्राही अपने राशन प्राप्त करने के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन कर सामग्री का उठाव करते हैं, जिससे पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित होती है। इस व्यवस्था के माध्यम से वास्तविक पात्रों तक ही खाद्यान्न की आपूर्ति पहुँचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण संचालनालय द्वारा उचित मूल्य दुकानों की नियमित मॉनिटरिंग के लिए अधिकारियों की टीम गठित की गई है। इन टीमों द्वारा विभिन्न उचित मूल्य दुकानों का निरीक्षण एवं जांच कार्य किया गया। निरीक्षण के दौरान वितरण प्रक्रिया, रिकॉर्ड संधारण तथा आधार प्रमाणीकरण की स्थिति का विशेष रूप से परीक्षण किया गया।

जांच के दौरान कुछ उचित मूल्य दुकानों में अनियमितताएँ पाई गईं। अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए संबंधित दुकान संचालकों के विरुद्ध नियंत्रक प्रावधानों के अनुसार सख्त कार्रवाई की गई है। शासन की मंशा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनियमितता को बर्दाश्त न करने की है।

खाद्य नियंत्रक, जिला रायपुर ने आईडी क्रमांक 441001314 “मां भगवती खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सहकारी समिति, बैरन बाजार” तथा आईडी क्रमांक 441001256 “श्री जय शीतला काली खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति, बढ़ईपारा” से दुकान संचालन का अधिकार समाप्त कर उन्हें अन्य उचित मूल्य दुकानों में संलग्न किया गया है। इसके अतिरिक्त आईडी क्रमांक 441001148 “दूधाधारी महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार, महामाया मंदिर वार्ड क्रमांक-62” को अनियमितता पाए जाने पर ₹7000 का अर्थदंड अधिरोपित कर कड़ी चेतावनी दी गई है।

खाद्य सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राज्य की किसी भी उचित मूल्य दुकान में खाद्यान्न वितरण में अनियमितता पाए जाने पर छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत कड़ी एवं आवश्यक कार्रवाई की जाती है। राज्य सरकार पारदर्शी, जवाबदेह एवं लाभार्थी-केंद्रित खाद्यान्न वितरण प्रणाली के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है।

राज्य के 53 नगरीय निकायों में ऑनलाइन प्रापर्टी टैक्स जमा करने की सुविधा

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स्थानीय स्वशासन को आधुनिक बनाने और नागरिकों को घर बैठे सेवाएं मुहैया कराने नगरीय प्रशासन विभाग की पहल

कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर, किरंदुल, बड़े बचेली, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, जशपुर, बलरामपुर, सूरजपुर, मनेन्द्रगढ़, बैकुंठपुर और शिवपुर चरचा  जैसे दूरस्थ नगर पालिकाओं में भी लोग ऑनलाइन जमा कर रहे टैक्स

रायपुर- स्थानीय स्वशासन को आधुनिक बनाने और नागरिकों को घर बैठे सेवाएं मुहैया कराने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग लगातार नई पहल कर रहा है। शहरों में रहने वाले परिवारों की सुविधा के लिए 53 नगरीय निकायों में ऑनलाइन प्रापर्टी टैक्स जमा करने की सुविधा प्रदान की जा रही है। इस सुविधा से लोग अपने घर या कार्यस्थल से किसी भी समय अपने संपत्ति कर का भुगतान कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रापर्टी टैक्स जमा करने की सुविधा वाले नगरीय निकायों के नागरिकों को संपत्ति कर जमा करने अब न तो किसी कार्यालय में जाने की जरूरत है और न ही लाइन लगने की। वे अपनी सुविधा से किसी भी समय इसे जमा कर सकते हैं।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने लोगों को घर बैठे संपत्ति कर जमा करने की सुविधा प्रदान करने इस साल अगस्त में 46 नए नगरीय निकायों में यह सुविधा प्रारंभ की है। पहले केवल राज्य के सात नगर निगमों रायपुर, दुर्ग, रिसाली, भिलाई, बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ में ही ऑनलाइन प्रापर्टी टैक्स जमा करने की सुविधा थी। अगस्त-2025 में तीन और नगर निगमों बीरगांव, भिलाई-चरोदा एवं धमतरी के साथ ही 43 नगर पालिकाओं में भी इस सुविधा को लॉन्च किया गया है। जीआईएस आधारित प्रॉपर्टी टैक्स लाइव पोर्टल के जरिए अब प्रदेशभर के 53 नगरीय निकायों में ऑनलाइन प्रापर्टी टैक्स जमा किए जा सकते हैं।

इन नगर पालिकाओं में है ऑनलाइन प्रापर्टी टैक्स जमा करने की सुविधा

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस साल 12 अगस्त को नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा बिलासपुर में आयोजित ‘स्वच्छता संगम’ में 43 नगर पालिकाओं में जीआईएस आधारित प्रॉपर्टी टैक्स लाइव पोर्टल को लॉन्च किया था। अगस्त-2025 से तिल्दा-नेवरा, गोबरानवापारा, आरंग, गरियाबंद, बलौदाबाजार, भाटापारा, महासमुंद, बागबहरा, सराईपाली, कुम्हारी, अहिवारा, जामुल, बालोद, दल्लीराजहरा, बेमेतरा, डोंगरगढ़, खैरागढ़, कवर्धा, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर, किरंदुल, बड़े बचेली, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, तखतपुर, रतनपुर, मुंगेली, दीपका, कटघोरा, जांजगीर-नैला, चांपा, सक्ती, अकलतरा, खरसिया, सारंगढ़, जशपुर नगर, बलरामपुर, सूरजपुर, मनेन्द्रगढ़, बैकुंठपुर और शिवपुर चर्चा नगर पालिकाओं में नागरिकों को ऑनलाइन प्रापर्टी टैक्स जमा करने की सुविधा मिल रही है।

"छत्तीसगढ़ के सभी नागरिकों को पारदर्शी, सरल और सुविधाजनक सेवाएँ उपलब्ध कराना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। नगरीय निकायों में ऑनलाइन प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने की सुविधा इसी दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। अब लोगों को कर जमा करने के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं और न ही लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है।

हमें प्रसन्नता है कि कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जैसे दूरस्थ क्षेत्रों तक भी डिजिटल सुविधाएँ पहुँच रही हैं और लोग घर बैठे ऑनलाइन टैक्स जमा कर रहे हैं। यह स्थानीय स्वशासन के आधुनिकीकरण के साथ-साथ ‘डिजिटल छत्तीसगढ़’ के हमारे संकल्प को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

हमारा लक्ष्य है कि शहरी सेवाओं को पूरी तरह ऑनलाइन और नागरिक-केंद्रित बनाया जाए, ताकि प्रत्येक परिवार को सुविधा, पारदर्शिता और समय की बचत—तीनों का लाभ मिल सके।"-मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

“नगरीय निकायों में ऑनलाइन प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने की सुविधा से शहरों के लाखों नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है। यह व्यवस्था पारदर्शी शासन, ई-गवर्नेंस और डिजिटल सेवाओं के विस्तार की दिशा में बड़ा सुधार है। अब कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर जैसे दूरस्थ नगर पालिकाओं के लोग भी घर बैठे आसानी से टैक्स जमा कर पा रहे हैं। इससे नागरिकों का समय बचेगा, भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी और स्थानीय स्वशासन की कार्यकुशलता बढ़ेगी। हमारी सरकार शहरी सेवाओं को पूरी तरह ऑनलाइन, सरल एवं नागरिक-केंद्रित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”- उप मुख्यमंत्री अरुण साव

चरौदा प्रीमियर लीग में जय सतनाम क्रिकेट टीम बना चैंपियन, क्रिकेट को लेकर ग्रामीणों में दिखा गजब का उत्साह

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आरंग- ग्राम चरौदा में ग्राम पंचायत एवं समस्त ग्राम वासियों के तत्वावधान में शीतकालीन अवकाश में बच्चे एवं युवाओं का उत्साहवर्धन के लिए चरौदा प्रीमियर लीग 2025 का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें ग्राम के युवा क्रिकेटरों ने बढ़-चढ़कर उत्साह से भाग लिया। क्रिकेट 23 से 26 दिसंबर शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चरौदा मैदान में खेला गया। चार दिन तक पूरे ग्राम में क्रिकेट का खुमार रहा। लगातार चौकों छक्के की बरसात होती रही। फाइनल मैच में ग्राम के जय सतनाम क्रिकेट टीम प्रथम, सड़क पारा क्रिकेट टीम द्वितीय, तथा गली क्रिकेट टीम तृतीय स्थान पर रहा।विजेता टीमों को क्रमशः  5001/3001/, 1501/नगद राशि व शिल्ड भेंटकर पुरस्कृत किया गया। चरौदा लीग मैच 2025 के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के आसंदी से संबोधित करते हुए जिला पंचायत सदस्य यशवंत धनेन्द्र साहू उपस्थित होकर आयोजन की मुक्त कंठ से सराहना किए।

साथ ही युवाओं का उत्साह बढ़ाया।ग्राम के सरपंच देवशरण धीवर ने बताया क्रिकेट को लेकर युवाओं और ग्रामीणों में गजब का उत्साह दिखा।यह आयोजन बच्चों व युवाओं के उत्साहवर्धन और मनोरंजन के लिए आयोजित किया गया था। जिसमें समस्त ग्राम वासियों का शानदार सहयोग और सहभागिता रही। उन्होंने ग्राम पंचायत की ओर से आयोजन को सफल बनाने के लिए युवाओं और ग्रामीणों का आभार जताया है।खेल के आयोजन संयोजन में उप सरपंच रवि बंजारे, दीपक फरिकार,अमित साहू ,राहुल बंजारी ,धनेश ढीढी ,कन्हैया धीवर  वासु धीवर, टुकेश धीवर सहित समस्त ग्रामीणों व पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग रहा।



कोल और लिग्नाइट खदानों के संचालन की अनुमति प्रक्रिया में सुधार: CCO से पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता समाप्त

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कोल क्षेत्र को और अधिक व्यवसाय-मित्रवत बनाने तथा ‘ईज ऑफ डुइंग बिजनेस’ को बढ़ाने के लिए सरकार ने कोल और लिग्नाइट खदानें खोलने की स्वीकृति संबंधी प्रावधानों में संशोधन किया है। यह संशोधन कोलियरी कंट्रोल नियम, 2004 में किया गया है। इसके तहत प्रक्रियात्मक जटिलताओं को हटाकर खदानों के तेजी से संचालन की अनुमति दी गई है, जबकि नियामक निगरानी बनी रहती है।

पूर्व में नियम (9) के तहत किसी कोल/लिग्नाइट खदान के मालिक को खदान खोलने या किसी खदान की अलग-अलग सीम/सेक्शन खोलने के लिए कोल कंट्रोलर ऑर्गनाइजेशन (CCO) से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होती थी। यदि कोई खदान 180 दिनों या उससे अधिक समय तक संचालन में नहीं थी, तो उसे भी अनुमति प्राप्त करनी पड़ती थी।

प्रक्रियात्मक जटिलताओं को समाप्त करने, कोयला उत्पादन को बढ़ाने और स्वीकृति प्रक्रिया में दक्षता लाने के लिए अब CCO से पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता समाप्त कर दी गई है। इस संशोधन की अधिसूचना 23.12.2025 को जारी की गई। संशोधित नियमों की पूरी जानकारी यहां देखी जा सकती है। https://coal.nic.in/sites/default/files/2025-12/26-12-2025a-wn.pdf

संशोधित प्रावधानों के तहत अब खदान/सीम खोलने की स्वीकृति की शक्ति संबंधित कोल कंपनी के बोर्ड को सौंपी गई है। यह सुधार स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाते हुए कंपनी के उच्चतम निर्णय लेने वाले प्राधिकरण के जिम्मेदारी को सुनिश्चित करता है। अनुमान है कि इस सुधार से खदान संचालन की प्रक्रिया में लगभग 2 महीने की बचत होगी।

सुरक्षा के रूप में प्रावधान किया गया है कि:

  1. संबंधित कंपनी का बोर्ड खदान/सीम खोलने की अनुमति तब ही देगा जब केंद्रीय/राज्य सरकार और वैधानिक निकायों से आवश्यक अनुमतियाँ प्राप्त हो जाएँ।

  2. कंपनी को खदान खोलने की जानकारी CCO को प्रस्तुत करनी होगी।

  3. कंपनियों के अलावा अन्य संस्थाओं के लिए अनुमति प्रक्रिया पहले की तरह CCO के माध्यम से होगी।

यह सुधार एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है—जहाँ संचालन संबंधी निर्णय बोर्डों को सौंपे गए हैं, वहीं नियामक निगरानी और वैधानिक सुरक्षा बनाए रखी गई है। अनुमोदन समय में कमी, उच्चतम कॉर्पोरेट स्तर पर जिम्मेदारी और कुशल संचालन के माध्यम से यह संशोधन कोयला उत्पादन को बढ़ाने और भारत के कोयला नियामक ढांचे में विश्वास बढ़ाने में सहायक होगा।

IS 19412:2025 – अगरबत्ती (Incense Sticks) के लिए नया भारतीय मानक जारी, उपभोक्ता सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित

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केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, प्रत्‍भात जोशी ने IS 19412:2025 – अगरबत्ती (Incense Sticks) — विनिर्देश, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा विकसित, जारी किया। यह मानक राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर भारत मंडपम, नई दिल्ली में जारी किया गया।

नए मानक में कुछ कीटाणुनाशक रसायनों और सिंथेटिक सुगंधित पदार्थों के अगरबत्तियों में उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो मानव स्वास्थ्य, इनडोर वायु गुणवत्ता और पर्यावरण के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। IS 19412:2025 में ऐसे निषिद्ध पदार्थों की सूची दी गई है, जिनमें कीटाणुनाशक रसायन जैसे एलेथ्रिन, पर्मेथ्रिन, सायपरमेथ्रिन, डेल्टामेथ्रिन और फिप्रोनिल शामिल हैं, साथ ही सिंथेटिक सुगंधित इंटरमीडिएट्स जैसे बेंज़ाइल साइनाइड, एथिल एक्रिलेट और डाइफेनिलामाइन। ये कई पदार्थ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिबंधित या सीमित हैं।

उपभोक्ता सुरक्षा, इनडोर वायु गुणवत्ता, पर्यावरणीय स्थिरता और नियामक अनुपालन को ध्यान में रखते हुए, साथ ही वैश्विक स्तर पर कुछ सुगंधित रसायनों और रसायनों पर प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए, अगरबत्ती के लिए समर्पित भारतीय मानक की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। यह मानक अगरबत्तियों को मशीन-निर्मित, हाथ-निर्मित और पारंपरिक मसाला अगरबत्तियों में वर्गीकृत करता है और कच्चे माल, जलने की गुणवत्ता, सुगंध प्रदर्शन और रासायनिक पैरामीटरों के लिए आवश्यकताएँ निर्धारित करता है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित उत्पाद और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।

इस मानक के अनुरूप उत्पाद BIS स्टैण्डर्ड मार्क प्राप्त करने के पात्र होंगे, जिससे उपभोक्ता आत्मविश्वास के साथ सूचित विकल्प चुन सकेंगे। IS 19412:2025 के अधिसूचना से उपभोक्ता विश्वास बढ़ाने, नैतिक और टिकाऊ उत्पादन प्रथाओं को बढ़ावा देने, पारंपरिक आजीविका की रक्षा करने और भारतीय अगरबत्ती उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार में पहुंच बढ़ाने की उम्मीद है।

इस मानक का विकास Fragrance and Flavour Sectional Committee (PCD 18) द्वारा व्यापक हितधारक परामर्श के माध्यम से किया गया। CSIR–Central Institute of Medicinal and Aromatic Plants (CIMAP), CSIR–Indian Institute of Toxicology Research (IITR), CSIR–Central Food Technological Research Institute (CFTRI), Fragrance and Flavour Development Centre (FFDC), कन्नौज, और All India Agarbatti Manufacturers Association के विशेषज्ञों ने इसके निर्माण में योगदान दिया।

भारत अगरबत्तियों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है, जिसमें उद्योग का वार्षिक अनुमानित आकार लगभग ₹8,000 करोड़ है और 150 से अधिक देशों में लगभग ₹1,200 करोड़ का निर्यात होता है। यह क्षेत्र कारीगरों, MSMEs और माइक्रो-उद्यमियों का बड़ा इकोसिस्टम सहारा देता है, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, और महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर प्रदान करता है।

अगरबत्तियां, जो भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं का अभिन्न हिस्सा हैं, घरों, पूजा स्थलों, ध्यान केंद्रों और वेलनेस स्पेस में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। योग, ध्यान, अरोमाथेरेपी और समग्र स्वास्थ्य में वैश्विक रुचि बढ़ने के साथ, अगरबत्ती उत्पादों की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी बढ़ गई है।

केन्द्रीय सरकार ने राजस्थान और झारखंड में पंचायती राज संस्थाओं एवं ग्रामीण स्थानीय निकायों को XV वित्त आयोग अनुदान जारी किया

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केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025–26 में राजस्थान और झारखंड में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) और ग्रामीण स्थानीय निकायों (RLBs) को सशक्त बनाने के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग (XV FC) के अनुदान जारी किए हैं।

राजस्थान में, FY 2025–26 के लिए पहली किस्त के बिना बंधन (Untied) अनुदान की राशि ₹303.0419 करोड़ जारी की गई है, जो राज्य के 24 जिला पंचायतों, 339 ब्लॉक पंचायतों और 3,857 ग्राम पंचायतों के लिए पात्र हैं। इसके अलावा, FY 2024–25 की पहली और दूसरी किस्तों के रोके गए हिस्से के ₹145.24 करोड़ अतिरिक्त पात्र ग्रामीण स्थानीय निकायों को जारी किए गए हैं।

झारखंड राज्य के लिए, Union Government ने FY 2025–26 की पहली किस्त के बिना बंधन अनुदान के रूप में ₹275.1253 करोड़ जारी किए हैं, जो राज्य के 24 जिला पंचायतों, 253 ब्लॉक पंचायतों और 4,342 ग्राम पंचायतों के लिए पात्र हैं।

भारत सरकार, मंत्रालय पंचायती राज और मंत्रालय जल शक्ति (पीने के पानी और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से राज्यों को XV-FC अनुदान जारी करने की सिफारिश करती है, जिसे बाद में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान वित्तीय वर्ष में दो किस्तों में सिफारिश और जारी किए जाते हैं। बिना बंधन (Untied) अनुदान का उपयोग PRIs/ RLBs द्वारा स्थानीय स्तर की आवश्यकताओं के लिए किया जाएगा, जो संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में वर्णित 29 विषयों में आता है, सिवाय वेतन और अन्य स्थायी खर्चों के।

बंधित (Tied) अनुदान का उपयोग निम्नलिखित बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है:
(a) स्वच्छता और ODF स्थिति का रखरखाव, जिसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन और उपचार, मानव मल और फेकल स्लज प्रबंधन विशेष रूप से शामिल है, और
(b) पीने के पानी की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण।

पेंशन अदालत में त्वरित न्याय: 1087 में से 815 पेंशनरों की शिकायतों का मौके पर समाधान

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रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, वित्त, डाक, आवास एवं शहरी कार्य, नागरिक उड्डयन आदि से संबंधित 30 विभागों/मंत्रालयों के सुपर सीनियर पेंशनरों एवं पारिवारिक पेंशनरों से जुड़ी कुल 1087 शिकायतें पेंशन अदालत में निवारण हेतु उठाई गईं, जिनमें से 815 शिकायतों का मौके पर ही समाधान कर दिया गया। यह पहल पेंशनरों को समयबद्ध न्याय उपलब्ध कराने में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुई।

24.12.2025 को आयोजित पेंशन अदालत में कई हृदयस्पर्शी सफलता कथाएँ सामने आईं। नीचे कुछ मामलों के अंश प्रस्तुत हैं, जो पेंशनरों द्वारा झेली गई कठिनाइयों और पेंशन अदालत की व्यवस्था के माध्यम से उनके लंबे समय से लंबित वैध अधिकारों की प्राप्ति को दर्शाते हैं—

प्रीतम सिंह

हरियाणा के रेवाड़ी निवासी प्रीतम सिंह की शिकायत 114 दिनों से अधिक समय से लंबित थी। यह जीपीएफ, अवकाश नकदीकरण और ग्रेच्युटी के भुगतान न होने से संबंधित थी। उन्होंने फोन पर अपनी शिकायत की स्थिति बताई। बीएसएफ अधिकारियों ने सूचित किया कि मामला सुलझा लिया गया है और ₹68,10,192/- की कुल बकाया राशि शीघ्र ही पेंशनर के खाते में जमा कर दी जाएगी।

केवल कृष्ण

जम्मू-कश्मीर निवासी केवल कृष्ण की शिकायत 150 दिनों से अधिक समय से लंबित थी। उनकी पत्नी स्व.फोली देवी के निधन के बाद पारिवारिक पेंशन शुरू होने में देरी हुई थी। सीआरपीएफ अधिकारियों ने बताया कि ₹8,56,107/- की अतिरिक्त पारिवारिक पेंशन राशि पहले ही जमा की जा चुकी है तथा 07.12.2020 से 30.11.2025 तक की कुल बकाया राशि ₹12,11,444/- का भुगतान प्रक्रिया में है और शीघ्र जारी कर दिया जाएगा।

खिमुली देवी

उत्तराखंड निवासी खिमुली देवी, जिनके पति एसएसबी में कार्यरत थे, एक पारिवारिक पेंशनर हैं। उनकी शिकायत 133 दिनों से अधिक समय से लंबित थी और न्यूनतम असाधारण पेंशन (Extraordinary Pension) के संशोधन व ब्याज सहित बकाया भुगतान से संबंधित थी। उनके पोते ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेते हुए बकाया गणना पत्र की मांग की। एसएसबी नोडल अधिकारी ने आश्वासन दिया कि शेष बकाया शीघ्र भुगतान किया जाएगा और गणना पत्र भी उपलब्ध कराया जाएगा।

सबित्री बाग

सबित्री बाग, स्व. क्षमा सिल बाग की विधवा हैं, जो डाक विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी शिकायत 129 दिनों से अधिक समय से लंबित थी। निलंबन अवधि के नियमितीकरण में देरी के कारण वेतन लाभ और पारिवारिक पेंशन जारी नहीं हो पाई थी। डाक विभाग ने बताया कि 11.10.2014 से 09.01.2020 की सेवा अवधि को 21.11.2025 को नियमित कर दिया गया है। पेंशन अदालत में यह निर्देश दिया गया कि मामले की एक सप्ताह में समीक्षा कर बकाया भुगतान शीघ्र सुनिश्चित किया जाए।

सावित्री देवी भिकाजी मदाये

84 वर्षीय सुपर सीनियर पारिवारिक पेंशनर सावित्री देवी भिकाजी मदाये को जून 2021 से पारिवारिक पेंशन नहीं मिल रही थी, क्योंकि कोषागार से बैंक में भुगतान स्थानांतरण के दौरान मूल दस्तावेज और पीपीओ गुम हो गए थे। सीआरपीएफ अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय, पीएओ और सीपीएओ से समन्वय के बाद 18.12.2025 को बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सीपीपीसी को ₹7,40,870/- की बकाया राशि के भुगतान की स्वीकृति जारी कर दी गई है। उनके अस्पताल में भर्ती होने के कारण पुणे से एआईसीजीपीए पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव ने उनकी ओर से भाग लिया और शिकायत समाधान पर आभार व्यक्त किया।


भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2025: डॉ. जितेंद्र सिंह बोले—भारत ने परंपरा और आधुनिक तकनीक के बीच सफल सेतु स्थापित किया

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तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय से संबद्ध मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने परंपरा और आधुनिकता के बीच सफल सेतु स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी मूल सभ्यतागत मूल्यों को संरक्षित रखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाया है, जिसका अंतिम उद्देश्य आम नागरिक के जीवन को सुगम बनाना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते एक दशक में भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरा है। यह परिवर्तन शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के निर्णायक नीतिगत समर्थन के कारण संभव हो सका है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 के बाद से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को अभूतपूर्व नीतिगत प्राथमिकता और बजटीय सहयोग मिला है। लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर किया गया, जिससे भारत की वैज्ञानिक क्षमता को नई दिशा मिली। उन्होंने कहा कि देश में प्रतिभाओं की कभी कमी नहीं थी, लेकिन अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र और राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव था, जिसे अब निर्णायक रूप से संबोधित किया गया है।

भारत के नवाचार परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि 2014 में जहां स्टार्टअप्स की संख्या 300–400 के आसपास थी, वहीं आज यह संख्या लगभग 2 लाख तक पहुंच गई है, जिससे भारत दुनिया के शीर्ष तीन स्टार्टअप इकोसिस्टम में शामिल हो गया है। उन्होंने बताया कि ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंक 81 से सुधरकर 38 हो गई है और पेटेंट दाखिल करने में भारत विश्व में छठे स्थान पर है, जिनमें से आधे से अधिक पेटेंट भारतीय नागरिकों द्वारा दायर किए जा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष और सामरिक प्रौद्योगिकियों में भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि चंद्र मिशनों के माध्यम से चंद्रमा पर जल की पुष्टि और दक्षिणी ध्रुव के निकट सफल लैंडिंग ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में भी भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है और रक्षा निर्यात बढ़कर ₹23,662 करोड़ तक पहुंच गया है, जिससे भारत के रक्षा उत्पाद लगभग 100 देशों तक पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हाल के वैश्विक घटनाक्रमों के दौरान भारत की स्वदेशी मिसाइल और रक्षा तकनीकों ने अपनी विश्वसनीयता और क्षमता सिद्ध की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ी है। यह उपलब्धियां पिछले एक दशक में परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और उन्नत अनुसंधान में किए गए सतत निवेश का परिणाम हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि भारत आज निवारक स्वास्थ्य सेवाओं और किफायती चिकित्सा समाधानों में वैश्विक अग्रणी बन चुका है। कोविड-19 वैक्सीन के विकास और वैश्विक आपूर्ति से लेकर अरबों डॉलर के चिकित्सा उपकरणों और इम्प्लांट्स के निर्यात तक, भारत की स्वास्थ्य नवाचार प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरोसा और मान्यता मिली है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि वैज्ञानिक शोध और प्रकाशनों के क्षेत्र में भारत अब विश्व में चौथे स्थान पर है, जबकि साइटेशन प्रभाव में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है, जो शोध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में प्रगति को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि आज भारत में विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि स्मार्ट सिटी, टेलीमेडिसिन, सैटेलाइट संचार, जियो-टैगिंग और डिजिटल गवर्नेंस जैसे क्षेत्रों के माध्यम से आम जनजीवन को आसान बना रहा है। अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, डीप ओशन मिशन, हिमालयी अनुसंधान और अरोमा मिशन जैसे राष्ट्रीय मिशन आर्थिक विकास और युवाओं के उद्यमिता के लिए नए अवसर खोल रहे हैं।

मंत्री ने यह भी घोषणा की कि बीते एक दशक में विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रमों का बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है, ताकि वैज्ञानिक शिक्षा का लोकतंत्रीकरण हो सके और प्रत्येक नागरिक वर्ष 2047 तक विकसित भारत की यात्रा में सहभागी बन सके।

इस उद्घाटन सत्र में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, वरिष्ठ वैज्ञानिक, शिक्षाविद और देशभर के वैज्ञानिक संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2025 का आयोजन 26 से 29 दिसंबर तक तिरुपति में किया जा रहा है, जिसमें भारत के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के भविष्य के रोडमैप पर व्यापक मंथन किया जाएगा।

वीर बाल दिवस 2025: साहिबज़ादों के बलिदान को नमन, बाल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय सम्मान

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मुख्य बिंदु

  • वीर बाल दिवस प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह जी के दो सबसे छोटे पुत्रों साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह जी और साहिबज़ादा फतेह सिंह जी के अद्वितीय बलिदान की स्मृति में मनाया जाता है।

  • यह दिवस देश के युवाओं में साहस, त्याग, सत्य और नैतिक दृढ़ता के मूल्यों को सुदृढ़ करता है।

  • वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) 5 से 18 वर्ष आयु के बच्चों को वीरता, खेल, सामाजिक सेवा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण तथा कला एवं संस्कृति के क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए प्रदान किए गए।

परिचय

भारत सरकार द्वारा वीर बाल दिवस का आयोजन 26 दिसंबर को किया जाता है, ताकि गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों—साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह जी और साहिबज़ादा फतेह सिंह जी—के अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान को श्रद्धांजलि दी जा सके। इसका उद्देश्य आज के युवाओं में निडरता, आत्मसम्मान और राष्ट्रसेवा की भावना का संचार करना है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

सन् 1704 में सिरहिंद (वर्तमान फतेहगढ़ साहिब, पंजाब) में दोनों साहिबज़ादों को धर्म परिवर्तन के दबाव में भी सत्य से विचलित न होने पर दीवार में चुनवा दिया गया। अल्पायु में दिया गया यह बलिदान भारतीय इतिहास में आस्था, साहस और नैतिक शक्ति का अमर प्रतीक है। देशभर में गुरुद्वारों में अरदास और कीर्तन के माध्यम से उनकी वीरगाथा का स्मरण किया जाता है।

उद्देश्य एवं आयोजन

वीर बाल दिवस के अंतर्गत देशभर, विशेषकर विद्यालयों में निबंध, प्रश्नोत्तरी, वाद-विवाद, कथा-वाचन, कला प्रस्तुतियाँ, युवा मार्च और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। ये कार्यक्रम ऐतिहासिक बलिदान को समकालीन नागरिक मूल्यों से जोड़ते हुए युवाओं की सहभागिता को बढ़ाते हैं।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवाओं को संबोधित कर राष्ट्र-निर्माण में बच्चों की भूमिका को रेखांकित करते हैं।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP)

PMRBP देश का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान है, जिसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रदान किया जाता है।
श्रेणियाँ: वीरता, सामाजिक सेवा, पर्यावरण, खेल, कला एवं संस्कृति, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी।
उद्देश्य: बाल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन, प्रेरणा और राष्ट्रीय मंच प्रदान करना।

पात्रता:

  • भारतीय नागरिक, आयु 5–18 वर्ष (31 जुलाई तक)

  • उपलब्धि/घटना आवेदन की अंतिम तिथि से पिछले दो वर्षों में हुई हो

चयन प्रक्रिया:

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित PMRBP समिति की सिफारिश पर

  • असाधारण योग्यता और सामाजिक प्रभाव के आधार पर

पुरस्कार संख्या:

  • सामान्यतः अधिकतम 25 (विशेष मामलों में शिथिलता संभव)

  • मेडल और प्रमाण-पत्र

वीर बाल दिवस एवं PMRBP कार्यक्रम 2025

  • 26 दिसंबर 2025, प्रातः 10 बजे, विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 20 बच्चों को PMRBP प्रदान किए।

  • भारत मंडपम, नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित हुआ, जहाँ प्रधानमंत्री ने बच्चों और युवाओं को संबोधित किया।

  • कार्यक्रम ने साहस, सेवा और लचीलेपन की प्रेरक कहानियों को उजागर करते हुए Viksit Bharat@2047 के संकल्प को सुदृढ़ किया।

निष्कर्ष

वीर बाल दिवस साहिबज़ादों के अमर बलिदान को संस्थागत स्मरण में बदलने का सशक्त राष्ट्रीय प्रयास है। यह दिवस इतिहास से प्रेरणा लेकर मूल्य-आधारित शिक्षा, युवा सहभागिता और नैतिक चेतना को आगे बढ़ाता है। वहीं, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार देश की बाल प्रतिभाओं को पहचान, सम्मान और प्रेरणा देकर भारत के उज्ज्वल भविष्य की नींव को मजबूत करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने औद्योगिक सहभागिता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में तेजी पर जोर दिया

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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की औद्योगिक सहभागिता को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया है। तिरुपति में आयोजित एक समीक्षा बैठक में उन्होंने चेन्नई और हैदराबाद स्थित CSIR प्रयोगशालाओं की वैज्ञानिक उपलब्धियों और तकनीकी योगदान की समीक्षा की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रयोगशालाओं में विकसित शोध को समाज और उद्योग तक शीघ्र पहुँचाना आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने मजबूत उद्योग–शैक्षणिक साझेदारी, आवश्यकता-आधारित अनुसंधान और विज्ञान-संचालित नवाचार को राष्ट्रीय विकास का आधार बताया।

बैठक में CSIR-CECRI (कराइकुड़ी), CSIR-NGRI (हैदराबाद), CSIR-CLRI (चेन्नई), CSIR-SERC (चेन्नई), CSIR-CCMB (हैदराबाद) और CSIR-IICT (हैदराबाद) के निदेशकों ने अपनी प्रमुख उपलब्धियों और भविष्य की कार्ययोजनाओं की जानकारी दी।

CSIR-CECRI ने ऊर्जा भंडारण, स्वदेशी सोडियम-आयन बैटरी, ग्रीन हाइड्रोजन और CO₂ कैप्चर में प्रगति बताई। CSIR-NGRI ने लद्दाख में भू-वैज्ञानिक अध्ययन, भू-तापीय ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिजों के मानचित्रण और हिमालयी भू-खतरों पर मिशन मोड कार्यक्रमों को रेखांकित किया। CSIR-CLRI ने ‘भा’ फुटवियर साइजिंग सिस्टम, रक्षा उपयोग के लिए उन्नत दस्ताने और लेदर वेस्ट से मूल्यवर्धित उत्पादों के विकास की जानकारी दी।

CSIR-SERC ने अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा संरचनाओं, आपदा-रोधी निर्माण तकनीकों और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी पर अपने कार्य प्रस्तुत किए। CSIR-CCMB ने जीनोमिक्स, डायग्नोस्टिक्स और बायोटेक्नोलॉजी में मानव, पशु और पादप स्वास्थ्य से जुड़े अनुसंधान की उपलब्धियाँ साझा कीं। वहीं CSIR-IICT ने फार्मास्यूटिकल्स, वैक्सीन एडजुवेंट्स, नई पीढ़ी के रेफ्रिजरेंट्स और उद्योग-सहयोग आधारित अनुसंधान पर जोर दिया।

मंत्री ने CSIR प्रयोगशालाओं के सामूहिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उद्योगों द्वारा CSIR तकनीकों के व्यावसायीकरण में उचित श्रेय दिया जाना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि CSIR भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहा है।


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बच्चों को प्रदान किए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज (26 दिसंबर 2025) नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए। यह पुरस्कार बच्चों को वीरता, सामाजिक सेवा, पर्यावरण, खेल, कला एवं संस्कृति तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में उनके असाधारण योगदान के लिए दिए गए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेता बच्चों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन बच्चों ने न केवल अपने परिवार और समाज, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये पुरस्कार देशभर के बच्चों को प्रेरित करेंगे और उन्हें आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि यह सम्मान बच्चों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से प्रदान किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग 320 वर्ष पूर्व सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी, तथा उनके चारों पुत्रों ने सत्य और न्याय की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि सबसे छोटे दो साहिबजादों की वीरता को देश-विदेश में सम्मान और श्रद्धा के साथ याद किया जाता है। उन्होंने सत्य और न्याय के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन महान बाल वीरों को श्रद्धापूर्वक नमन किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश की महानता तब सुनिश्चित होती है, जब उसके बच्चे देशभक्ति और उच्च आदर्शों से ओत-प्रोत होते हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि बच्चों ने वीरता, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल जैसे विविध क्षेत्रों में अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।

उन्होंने कहा कि सात वर्षीय वाका लक्ष्मी प्रज्ञिका जैसी प्रतिभाशाली बच्चों के कारण ही भारत को विश्व पटल पर शतरंज की महाशक्ति माना जाता है। अजय राज और मोहम्मद सिदान पी ने अपनी बहादुरी और सूझबूझ से दूसरों की जान बचाकर प्रशंसा के पात्र बने। वहीं, नौ वर्षीय व्योमा प्रिया और ग्यारह वर्षीय कमलेश कुमार ने दूसरों की जान बचाते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

राष्ट्रपति ने दस वर्षीय श्रवण सिंह का भी उल्लेख किया, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान युद्ध जैसी परिस्थितियों में अपने घर के पास सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को नियमित रूप से पानी, दूध और लस्सी पहुंचाई। उन्होंने दिव्यांग बालिका शिवानी होसुरु उप्पारा की सराहना की, जिन्होंने आर्थिक और शारीरिक सीमाओं के बावजूद खेल जगत में असाधारण उपलब्धियां हासिल कीं। इसके अलावा वैभव सूर्यवंशी ने क्रिकेट के अत्यंत प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में कई रिकॉर्ड बनाकर देश का नाम रोशन किया।

राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि ऐसे साहसी और प्रतिभाशाली बच्चे निरंतर अच्छे कार्य करते रहेंगे और भारत के भविष्य को उज्ज्वल बनाएंगे।



कोण्डागांव की योगिता मंडावी को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

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 रायपुर : छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले की प्रतिभाशाली बालिका योगिता मंडावी ने जूडो खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रदेश और देश का नाम गौरवान्वित किया है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा संचालित बालिका गृह, कोण्डागांव में पली-बढ़ी योगिता को उनकी उल्लेखनीय खेल उपलब्धियों के लिए प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।


नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा योगिता मंडावी को यह राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया। समारोह में देशभर से चयनित प्रतिभाशाली बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों जैसे खेल, नवाचार, सामाजिक सेवा, कला एवं संस्कृति आदि में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

उल्लेखनीय है कि योगिता मंडावी ने कम उम्र में ही जूडो खेल में अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया है। मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने राज्य की श्रेष्ठ जूडो खिलाड़ी का दर्जा प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में लगातार पदक अर्जित कर अपनी निरंतर प्रगति और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने योगिता मंडावी की इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है तथा कहा कि प्रतिभाशाली बच्चों की सफलता से नई पीढ़ी को आगे बढ़ने और अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा मिलती है। योगिता की उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है, बल्कि बालिका गृह एवं बाल कल्याण संस्थाओं में रह रहे बच्चों के लिए प्रेरणा का सशक्त स्रोत भी है। उन्होंने यह साबित किया है कि संसाधनों की सीमाएँ नहीं, बल्कि सपनों के प्रति लगन और परिश्रम ही सफलता का वास्तविक आधार है।

धीरेंद्र शास्त्री का भूपेश बघेल पर निशाना, कहा -अगर आपको भक्ति अंधविश्वास लगता है तो देश छोड़ दें

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 रायपुर। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने दुर्ग में एक सार्वजनिक सभा के दौरान छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर तीखा हमला बोला है। शास्त्री ने कहा कि ऐसे नेता जो हनुमान जी की भक्ति और राष्ट्र जागृति प्रयासों को अंधविश्वास बताते हैं, उन्हें “भारत देश छोड़ देना चाहिए।”


यह बयान उस विवाद के बाद आया है, जब कुछ दिनों पहले भूपेश बघेल ने एक कार्यक्रम के दौरान धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था। दुर्ग में इस आरोप का कड़ा जवाब देते हुए शास्त्री ने यह टिप्पणी की, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल बढ़ा दी हैधीरेंद्र शास्त्री का सर्जिकल जवाब

धीरेंद्र शास्त्री ने दुर्ग में कहा:-

“जो लोग भक्ति और श्रद्धा को अंधविश्वास कहते हैं, वो **देश में नहीं रहना चाहते तो भारत छोड़ दें।”

उन्होंने यह टिप्पणी भूपेश बघेल के उस बयान के प्रतिउत्तर में की, जिसमें बघेल ने शास्त्री की गतिविधियों को अंधविश्वास फैलाने वाला बताया था।

 आगामी कार्यक्रमों की घोषणा

धीरेंद्र शास्त्री ने आगामी कार्यक्रमों के बारे में भी जानकारी दी –

 हिंदुत्व पदयात्रा:
शास्त्री ने घोषणा की कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ में हिंदुत्व पदयात्रा निकाली जाएगी।

 जशपुर कार्यक्रम:
उन्होंने कहा कि जशपुर में एशिया की सबसे बड़ी चर्च के सामने मंच लगाकर हनुमान कथा होगी, जिसके बारे में पहले से ही चर्चाएं तेज हैं।

भिलाई का दिव्य दरबार (27 दिसंबर):
27 दिसंबर को भिलाई में दिव्य दरबार भी आयोजित किया जाएगा। शास्त्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में जो लोग घर वापसी (धार्मिक पुनरागमन) चाहते हैं, वे मंच पर आकर अपना संकल्प व्यक्त कर सकते हैं।

 राजनीति में असर

धीरेंद्र शास्त्री के बड़े बयान और आगामी आयोजनों के ऐलान के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में बयानबाजी तेज होने के संकेत हैं। राजनीतिक दलों और सामाजिक समूहों की तरफ से प्रतिक्रिया आने की संभावना बनी हुई है।

छत्तीसगढ़ी लघु फिल्म 'गवन के बछिया' की शूटिंग, गौ रक्षा और संस्कृति संरक्षण पर जोर

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 आरंग। स्वयंसेवी सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा गौ रक्षा और संस्कृति संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ी लघु फिल्म बनाया जा रहा है। 'गवन के बछिया' टाईटिल से बन रही संदेशपरक इस फिल्म की शूटिंग महासमुंद जिले के कौंदकेरा गांव में हुई है। फिल्म की शूटिंग ग्रामीणों और बच्चों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा। बड़ी संख्या में ग्रामीण फिल्म की शूटिंग देखने पहुंचे।


विलुप्त होती छत्तीसगढ़ी संस्कृति और गो वंश को बचाने की दिशा में यह लघु फिल्म मील का पत्थर साबित होगा। फिल्म का निर्देशन ग्राम लाफिनकला के नवाचारी शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल कर रहे हैं। सह-निर्देशन के रूप में योगेश्वर चंद्राकर, मार्गदर्शक हायर सेकंडरी स्कूल तुमगांव के प्राचार्य सुरेंद्र मानिकपुरी व शिक्षक गोवर्धन साहू की अहम भूमिका है। पटकथा वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी आनंदराम पत्रकारश्री ने लिखी है। टाइटल सॉन्ग दुर्ग भिलाई निवासी अंतर्राष्ट्रीय रचनाकार डॉ. कृष्ण कुमार पाटिल का है।


लघु फिल्म में नया रायपुर के यूट्यूबर कलाकार भोज धीवर,मनेश्वर पटेल, महेन्द्र कुमार पटेल, दूजेराम धीवर, सुधा देवदास, नीलम साहू, कोमल लाखोटी, संजय मेश्राम, डिलेश्वर प्रसाद साहू, शिक्षिका द्रौपदी साहू, रंगमंच कलाकार परमानंद साहू, पुरानिक साहू, कुलेश्वर मानिकपुरी आदि विभिन्न रोल में नजर आएंगे। फिल्मांकन की जिम्मेदारी प्रतीक टोंड्रे,टिंकु चेलक व ढालेंद्र बाग संभाल रहे हैं।


यह छत्तीसगढ़ी में गौ सेवा पर संभवतः पहली लघु फिल्म है। इसमें गौ माता की सेवा-सुरक्षा के संदेश के साथ प्राचीन विवाह परंपरा में 'गवन के बछिया' की महत्ता को रेखांकित किया गया है। फिल्म में हास्य विनोद का भरपूर समावेश किया गया है। इसके साथ ही विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके बैलगाड़ी, ढेरा,झांपी, चन्नी ,बेलन, कंडील, खुमरी, खड़पडी,नोई जैसी ग्रामीण परिवेश से संबंधित सामग्री और भौरा, बांटी, बिल्लस, गिल्ली डंडा आदि परंपरा गत खेल विधाओं को सहेजने पर जोर दिया गया है। फिल्म दर्शकों को ग्रामीण संस्कृति की यादें तरोताजा कराने के साथ ही अपनी संस्कृति को सहेजकर रखने का संदेश देने वाला है।


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