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छत्तीसगढ़ में नई गाइडलाइन दरें लागू : ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में दरों का वैज्ञानिक युक्तिकरण, निवेश और पारदर्शिता को मिलेगा बढ़ावा

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रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2025-26 के लिए भूमि की नई गाइडलाइन दरें जारी कर दी हैं। महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक के निर्देश पर केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा अनुमोदित ये दरें 20 नवंबर 2025 से पूरे प्रदेश में प्रभावी हो गई हैं। वर्ष 2019-20 के बाद छह वर्ष के अंतराल पर किया गया यह पुनरीक्षण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए व्यापक एवं जनहितैषी सुधार लेकर आया है।

नई गाइडलाइन दरों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जमीन के वास्तविक बाजार मूल्य को परिलक्षित करना तथा वर्षों से चली आ रही दरों की विसंगतियों को दूर करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य मार्ग पर औसतन 109 प्रतिशत और मुख्य मार्ग से अंदर औसतन 105 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि अचानक बढ़ोतरी नहीं है, बल्कि विभिन्न ग्रामों के बीच दरों के वैज्ञानिक रेशनलाइजेशन का परिणाम है।

बलरामपुर जिले में कई ऐसे गांव सामने आए हैं जहाँ पूर्व गाइडलाइन की दरें वास्तविक बाजार मूल्य से काफी कम थीं। उदाहरण स्वरूप वर्ष 2019-20 में ग्राम ताम्बेश्वरनगर का मुख्य मार्ग दर 6,28,677 रुपये प्रति हेक्टेयर था, जबकि समीपस्थ ग्राम आरागाही का दर 34,27,200 रुपये प्रति हेक्टेयर था। दोनों गांव एनएच-343 के समीप स्थित हैं। दरों के युक्तिकरण के बाद ताम्बेश्वरनगर का मुख्य मार्ग दर 51,52,000 रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित किया गया, जिससे 719 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह, कई अन्य ग्रामों में भी दरों में 300 प्रतिशत से अधिक वृद्धि रिकार्ड की गई है।

ग्राम लूरघुट्टा में मुख्य मार्ग पर 711 प्रतिशत एवं अंदर की ओर 413 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है। इसी प्रकार ग्राम नावाडीह में मुख्य मार्ग पर 568 प्रतिशत तथा अंदर 326 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। दोनों ही गांव एनएच-343 से लगे हुए हैं और तातापानी जैसे पर्यटन एवं व्यवसायिक क्षेत्र के समीप स्थित होने के कारण निवेश की संभावनाओं को देखते हुए दरों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक था।

ग्राम भवानीपुर में भी मुख्य मार्ग पर 554 प्रतिशत तथा अंदर 411 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह गांव निवेश क्षेत्र में आता है तथा वर्ष 2019-20 में इसका बाजार मूल्य समीपस्थ ग्राम नवाडीह खूर्द की तुलना में काफी कम था। दोनों गांवों का रेशनलाइजेशन करने पर यह वृद्धि स्वाभाविक रूप से सामने आई है। इसी तरह, रामचन्द्रपुर, जो विकासखण्ड मुख्यालय है तथा स्टेट हाईवे से होकर गुजरता है, वहां भी मुख्य मार्ग पर बाजार मूल्य में 300 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है। यहां सर्वे दर भी प्रति हेक्टेयर 42,45,000 रुपये होने के कारण मूल्य संशोधन आवश्यक था।

शहरी क्षेत्रों में भी इस वर्ष गाइडलाइन दरों का व्यापक पुनरीक्षण किया गया है। बलरामपुर जिले के सभी नगरीय निकायों में मुख्य मार्ग तथा अंदरूनी क्षेत्रों में औसतन 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। बलरामपुर नगर में अधिकांश वार्ड NH-343 से लगे हुए हैं। वर्ष 2019-20 में कई वार्डों में एक ही मार्ग पर बाजार मूल्य में बड़ा अंतर पाया गया था, जो स्पष्ट रूप से विसंगतिपूर्ण था। इस विसंगति को दूर करने के लिए नगर पालिका एवं संबंधित हल्का पटवारियों द्वारा नए परिसीमन के आधार पर वार्डवार गाइडलाइन दरों का पुनर्निर्धारण किया गया।

उदाहरणस्वरूप, वार्ड 01 (रविन्द्र प्रताप सिंह वार्ड) में प्रति वर्गमीटर दर 5740 रुपये था, जबकि इसी मुख्य मार्ग पर स्थित वार्ड 03 में यह दर मात्र 1830 रुपये प्रति वर्गमीटर था। नई गाइडलाइन में इन त्रुटियों को पूरी तरह दूर कर दोनों वार्डों की दरों को वास्तविक बाजार स्थिति के अनुरूप बनाया गया है।

पिछले पाँच वर्षों में बढ़ती जनसंख्या, आवासीय भूखंडों की बढ़ती मांग, व्यवसायिक गतिविधियों का विस्तार और शहरीकरण के तेज़ी से बढ़ते असर को ध्यान में रखते हुए बलरामपुर जिले के नगरीय क्षेत्रों में दरों के पुनरीक्षण की आवश्यकता महसूस की गई। इसके लिए नगर पालिका के कर्मचारियों, पटवारियों और गूगल मैप के आधार पर वार्डवार नई कण्डिकाएँ तैयार की गईं।

नगरीय क्षेत्रों में आवासीय और व्यावसायिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विशेषकर बलरामपुर नगर में बढ़ती आबादी, नए व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और औद्योगिक क्षेत्रों के विस्तार के कारण बाजार मूल्य में स्वाभाविक बढ़ोतरी हुई, जो अब गाइडलाइन दरों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि नई गाइडलाइन दरें छत्तीसगढ़ के भूमि बाजार को अधिक पारदर्शी, न्यायसंगत और निवेश-अनुकूल बनाएंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को भूमि अधिग्रहण के समय सही मुआवजा मिलेगा, वहीं शहरी क्षेत्रों में सुव्यवस्थित विकास को गति मिलेगी। भूमि मूल्य का यह वैज्ञानिक रेशनलाइजेशन राज्य के समग्र आर्थिक विकास को एक मजबूत आधार प्रदान करेगा।

विज्ञानिका: विज्ञान साहित्य महोत्सव 2025 का सफल आयोजन

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CSIR–नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (CSIR–NIScPR), नई दिल्ली ने विज्ञान भारती (VIBHA), इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीट्रोलॉजी (IITM), पुणे और पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के सहयोग से 8–9 दिसंबर 2025 को विज्ञानिका: विज्ञान साहित्य महोत्सव 2025 का सफल आयोजन किया। यह दो दिवसीय महोत्सव इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) 2025 का अभिन्न हिस्सा था। इस महोत्सव ने विज्ञान, साहित्य, भाषा और रचनात्मक संचार के संगम का उत्सव मनाया और देशभर के प्रमुख विज्ञान संवादकों, वैज्ञानिकों, संपादकों, विद्वानों और विज्ञान कवियों को एक मंच पर लाया। कार्यक्रम का उद्देश्य बहुभाषिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध विज्ञान संचार के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चेतना को मजबूत करना था।

उद्घाटन सत्र

8 दिसंबर को “भारतीय विज्ञान विमर्श में साहित्य और संचार माध्यमों की भूमिका” विषयक उद्घाटन सत्र हुआ। इस सत्र में साहित्य और संचार प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से भारतीय वैज्ञानिक विमर्श में योगदान पर चर्चा की गई।

  • डॉ. परमानंद बरमन, CSIR-NIScPR ने विज्ञानिका का अवलोकन प्रस्तुत किया।

  • डॉ. नील सरोवर भावेश, VIBHA ने भारतीय संदर्भ में विज्ञान संचार के महत्व पर प्रकाश डाला।

  • विवेकानंद पाई, महासचिव VIBHA ने मुख्य भाषण देते हुए भारतीय विज्ञान कथा और योगदान की महत्ता पर चर्चा की।

  • प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर, पूर्व कुलपति, पंजाब यूनिवर्सिटी ने भारत के विज्ञान संस्थानों और विज्ञान संचार के इतिहास पर विचार साझा किए।

  • डॉ. गीता वानी रायसम, निदेशक, CSIR–NIScPR ने विज्ञान संचार में भारतीय संदर्भ के महत्व और CSIR-NIScPR के योगदान पर प्रकाश डाला।

  • डॉ. रश्मि शर्मा, प्रमुख, NCSTC, DST ने आधुनिक विज्ञान संचार दृष्टिकोण पर अपने विचार व्यक्त किए।

  • डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव, IITM ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

विज्ञान कवि सम्मेलन

उसी दिन विज्ञान कवि सम्मेलन में कविता और विज्ञान का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया गया। प्रमुख विज्ञान कवियों में प्रो. मनोज कुमार पतारिया, प्रो. राजेश कुमार, मोहन सागोरिया, राधा गुप्ता, प्रो. नीरा राघव, यशपाल सिंह ‘यश’, टीएसआरएस संदीप, और डॉ. अनुराग गौर शामिल थे। उनके काव्य ने विज्ञान के जटिल विचारों को सरल और रचनात्मक रूप में आम जनता तक पहुँचाने की शक्ति दिखाई।

दूसरा दिन – वैज्ञानिक सत्र

दूसरे दिन का सत्र “विज्ञान से समृद्धि – आत्मनिर्भर भारत के लिए” पर केंद्रित रहा। इसमें पारंपरिक ज्ञान संचार और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता में इसके योगदान पर चर्चा हुई। प्रमुख वक्ताओं में

  • डॉ. अरविंद राणडे, निदेशक, NIF ने पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा और IP फ्रेमवर्क पर जोर दिया।

  • डॉ. विश्वजानी जे. सत्तिगेरी, प्रमुख, CSIR-TKDL ने पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेज़ीकरण और नीति कार्यान्वयन पर चर्चा की।

  • डॉ. एन. श्रीकांत, DDG, CCRAS ने पारंपरिक ज्ञान के वैज्ञानिक आधार और मूल्य संवर्द्धन पर प्रकाश डाला।

  • डॉ. कणुप्रिया वशिष्ठ, वरिष्ठ प्रोग्राम ऑफिसर, DBT-BIRAC ने जीवन विज्ञान और बायोटेक नवाचार पर विचार साझा किए।

भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार

“अपनी भाषा, अपना विज्ञान” पैनल चर्चा में भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार के महत्व पर जोर दिया गया। पैनल में प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर, देबोब्रत घोष, डॉ. मनीष मोहन गोरे, डॉ. एच. एस. सुथिरा और डॉ. नानौचा शर्मा शामिल थे। उन्होंने बताया कि मातृभाषा में विज्ञान संचार अधिक समावेशी, समझने योग्य और प्रभावशाली होता है।

समापन सत्र

“Engaging and Creative Ways of Communicating Science” सत्र में शैक्षिक कहानियों, ऑडियो-वीज़ुअल मीडिया, फील्ड एंगेजमेंट और वैज्ञानिक कथाओं के माध्यम से विज्ञान संचार की नवीनतम विधियों पर चर्चा हुई। प्रमुख वक्ताओं में कोलेगल शर्मा, जी. हरिकृष्णन, डॉ. सौरभ शर्मा, और पूजा राठौड़ शामिल थे।

निष्कर्ष

IISF 2025 के हिस्से के रूप में विज्ञानिका ने विज्ञान और समाज के बीच पुल बनाने के अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा किया। साहित्य, कला, भारतीय भाषाओं और रचनात्मक माध्यमों के माध्यम से इस महोत्सव ने यह दिखाया कि सांस्कृतिक रूप से समृद्ध विज्ञान संचार समाज में वैज्ञानिक चेतना और भागीदारी को बढ़ावा देने में कितना प्रभावशाली हो सकता है।


शहीद वीर नारायण सिंह का बलिदान, आत्मगौरव, संघर्ष और स्वाभिमान का प्रतीक - मुख्यमंत्री साय

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नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन, सियान सदन और मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना अंतर्गत बस सेवा प्रारंभ करने की घोषणा

101 करोड़ से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन

मुख्यमंत्री सोनाखान में आयोजित शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में हुए शामिल

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि शहीद वीर नारायण सिंह का बलिदान छत्तीसगढ़ के आत्मगौरव, संघर्ष और स्वाभिमान का अमर प्रतीक है। वे आज सोनाखान में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रदेश के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह को नमन करने पहुंचे, जहां उन्होंने शहीद के वंशजों को सम्मानित किया और क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। मुख्यमंत्री ने सोनाखान में मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना अंतर्गत बस सेवा प्रारंभ करने, नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन निर्माण हेतु 75 लाख रुपये, सियान सदन निर्माण के लिए 50 लाख रुपये तथा मड़ई मेला स्थल में शौचालय निर्माण के लिए 20 लाख रुपये स्वीकृत करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सोनाखान में इको-टूरिज्म विकास और सड़क निर्माण हेतु आवश्यक प्रावधान आगामी बजट में शामिल किए जाएंगे जिससे इस ऐतिहासिक स्थल को नई पहचान मिलेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार एवं सुविधाओं में वृद्धि होगी।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह अंग्रेजी शासन के अत्याचार के विरुद्ध गरीबों, किसानों और वंचित समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े हुए एक ऐसे वीर सपूत थे, जिन्होंने भीषण अकाल के समय गरीबों में अनाज बांटकर मानवता की ऐतिहासिक मिसाल पेश की। अंग्रेजी हुकूमत ने 10 दिसंबर 1857 को उन्हें फांसी दे दी, किंतु उनका बलिदान सदियों से संघर्ष, स्वाभिमान और अन्याय के प्रतिकार की प्रेरणा देता आया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘गारंटी’ के तहत अधिकांश वादों को पूरा किया है और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के लिए निरंतर काम कर रही है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि आज ही के दिन अंग्रेजी हुकूमत ने रायपुर के जयस्तंभ चौक में वीर नारायण सिंह को फांसी दी थी। वे अन्याय के खिलाफ संघर्ष करते हुए शहीद हुए और उनका बलिदान पीढ़ियों तक लोगों को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि विकास और कल्याण के लिए सरकार सतत् कार्यरत है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कुल 101.44 करोड़ रुपये की लागत के 119 विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण के 10 हितग्राहियों को घरों की चाबियाँ सौंपी तथा ‘हम होंगे कामयाब’ कार्यक्रम के अंतर्गत 37 युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। आदिवासी समाज के पाँच प्रतिभावान छात्रों को भी मंच पर सम्मानित किया गया। समारोह में वन मंत्री श्री केदार कश्यप, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, पूर्व विधायक डॉ. सनम जांगड़े तथा शहीद वीर नारायण सिंह के वंशज राजेंद्र दीवान सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय  द्वारा जिन कार्यों का लोकार्पण किया गया उनमें ग्राम ओड़ान, खरतोरा, सकरी (स) और दतान (ख) में 9.88 करोड़ रुपये की लागत से रेट्रोफिटिंग नल-जल प्रदाय योजनाएँ तथा गोरधा में एकल नल-जल प्रदाय योजना शामिल है। जिन कार्यों का भूमिपूजन किया गया उनमें अर्जुनी में 5.84 करोड़ रुपये की लागत से जोंक शीर्ष जीर्णोद्धार एवं तटबंध निर्माण, लवन शाखा नहर के तिल्दा, करदा लाटा एवं सिरियाडीह माइनर के 3.63 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार एवं पुनर्निर्माण, मटिया नाला में 3.36 करोड़ रुपये की लागत से स्टॉपडैम निर्माण, परसाडीह के खोरसीनाला में 2.99 करोड़ रुपये की लागत से स्टॉपडैम निर्माण और लाहोद में 2.60 करोड़ रुपये की लागत से निरीक्षण कुटीर एवं आवासीय भवन निर्माण कार्य मुख्य रूप से शामिल हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषण सुनिश्चित करने हेतु अनाज आवंटन

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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय आंगनवाड़ी केंद्रों पर हॉट कुक्ड मील (HCM) और टेक होम रेशन (THR) के लिए गेहूं, फोर्टिफाइड चावल और मिलेट्स को Wheat Based Nutrition Programme (WBNP) और Scheme for Adolescent Girls (SAG) के तहत सब्सिडी दरों पर खाद्य विभाग के माध्यम से राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को आवंटित कर रहा है।

वर्तमान वित्तीय वर्ष में WBNP के तहत मिलेट्स निम्नलिखित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को आवंटित किए गए हैं:

अंडमान और निकोबार द्वीप, असम, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दादर और नगर हवेली और दमन और दीव, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम और उत्तराखंड।

SAG के तहत मिलेट्स निम्नलिखित राज्यों को आवंटित किए गए हैं:
असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मणिपुर, मेघालय और तेलंगाना।

महाराष्ट्र सरकार अस्पिरेशनल जिलों में 6 महीने से 3 साल तक के लाभार्थियों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं, तथा किशोरियों को मिलेट आधारित व्यंजन THR के रूप में प्रदान कर रही है। हालांकि, स्थानीय व्यंजनों के लिए विशिष्ट सामग्री का चयन राज्य सरकारों / स्थानीय अधिकारियों के विवेक पर निर्भर करता है और यह स्थानीय स्वाद, पसंद और उपलब्ध फलों व सब्जियों पर आधारित होता है।

यह जानकारी महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस पर विशेष

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सोनाखान के मोर ललहु माटी,,सुरता आथे हम ला,,,

वीर नारायण ला कहां लुका देस,वापिस कर दे हम ला,,,,

 सोनाखान से _पोषण कुमार साहू

रायपुर //सोनाखान की वीरभूमि से आज फिर वही गर्जना सुनाई दे रही है— “वीर नारायण सिंह अमर रहें… अमर रहें…”। ललहु माटी से उठती यह हुंकार केवल नारा नहीं, बल्कि उस आत्मबल की गूंज है, जो छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह ने जन-जन के हृदय में प्रवाहित किया था। उनकी शहादत की गाथा गाते हुए लोग भावुक हैं, आँखें नम हैं और मन गर्व से भरा हुआ।

वीर नारायण सिंह केवल एक नाम नहीं, वे अन्याय के विरुद्ध खड़े आदिवासी चेतना के प्रतीक हैं। 19वीं सदी में अंग्रेजी हुकूमत और जमींदारी शोषण के दौर में, जब अकाल से जनता त्रस्त थी, तब वीर नारायण सिंह ने मानवता का झंडा बुलंद किया। उन्होंने सोनाखान के अनाज भंडार को भूखे लोगों के लिए खोल दिया—यह कदम शोषण के विरुद्ध खुली चुनौती था। अंग्रेजी सत्ता को यह स्वीकार्य नहीं हुआ। परिणामस्वरूप उन पर मुकदमे थोपे गए, उन्हें गिरफ्तार किया गया और अंततः 10 दिसंबर 1857 को रायपुर  के जय स्तम्भ चौक में फांसी दे दी गई। परंतु शरीर को फांसी मिली, विचारों को नहीं—वे अमर हो गए।

आज उनकी कहानियाँ जन-जन की जुबान पर हैं। ग्राम कोसम सरा से आए समारु बैगा भावुक होकर कहते हैं कि वीर नारायण सिंह ने हमारी पीढ़ियों को मान और गौरव से भर दिया। अंचल में उनके लिए असीम श्रद्धा और सम्मान है। वे लोगों की रग-रग में बसते हैं—साहस बनकर, स्वाभिमान बनकर।

यहाँ उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष तीन दिवसीय वीर मड़ई मेला (शहादत दिवस) का आयोजन होता है, जहाँ सोनाखान के 18 टोलों सहित सर्व समाज के लोग बड़ी संख्या में जुटकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। ग्राम जोराडबरी रोहासी से आए प्रेम सिंह ध्रुव बताते हैं कि वे अपने परिवार के साथ हर वर्ष यहाँ आते हैं—श्रद्धा के साथ-साथ गौरव की अनुभूति करने।

सोनाखान आज भी अपने वीर सपूत के नाम से गर्व और सम्मान से विभूषित है। सरकार इस शहीद स्थल के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। यहाँ वीर नारायण सिंह के नाम से स्मारक और संग्रहालय का निर्माण किया गया है, जो आने वाली पीढ़ियों को उनके संघर्ष और बलिदान से परिचित कराता है। शहादत दिवस के अवसर पर  आज मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा 101 करोड़ रुपये के 119 विकास कार्यों का लोकार्पण इस बात का प्रमाण है कि यह पवित्र भूमि केवल स्मृति की नहीं, बल्कि विकास और सम्मान की भी धरोहर है।

ललहु माटी आज फिर जीवंत है। हवा में गूंजते नारे, आँखों में सम्मान और दिलों में संकल्प—वीर नारायण सिंह यहां हर जगह मौजूद  हैं। वे सोनाखान की मिट्टी में, उसकी सांसों में, और छत्तीसगढ़ की चेतना में सदा जीवित हैं।

भारत–यूरोपीय संघ (EU) आइडियाथॉन: “समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने” पर सहयोगी पहल सफलतापूर्वक सम्पन्न

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भारत–EU ट्रेड और टेक्नोलॉजी काउंसिल (TTC) के कार्य समूह 2, हरित और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के अंतर्गत आयोजित “समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने” विषयक भारत–EU आइडियाथॉन का समापन 10 दिसंबर 2025 को भुवनेश्वर सिटी नॉलेज इनोवेशन क्लस्टर (BCKIC), कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT-DU), भुवनेश्वर, ओडिशा में आयोजित अंतिम समारोह के साथ हुआ। यह आयोजन भारतीय प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (OPSA) और भारत में यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक सहयोगी पहल का प्रतीक था।

डॉ. पर्विंदर माइनि, वैज्ञानिक सचिव, OPSA ने मुख्य भाषण में कहा कि इस आइडियाथॉन ने भारतीय और यूरोपीय संस्थानों के समन्वित प्रयासों को प्रदर्शित किया है, जिससे समुद्री प्लास्टिक नियंत्रण के लिए प्रारंभिक स्तर की नवाचार गतिविधियों को बढ़ावा मिला। उन्होंने कहा, “इस आइडियाथॉन ने दिखाया कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच समन्वित वैज्ञानिक सहयोग प्रभावशाली और पैमाने पर लागू होने वाले समाधानों को जन्म दे सकता है। युवा नवप्रवर्तकों ने रचनात्मकता, वैज्ञानिक सटीकता और सामुदायिक दृष्टिकोण के माध्यम से इस वैश्विक चुनौती का सामना करने की प्रतिबद्धता दिखाई।”

सुश्री सिग्ने राटसो, उप महानिदेशक, अनुसंधान और नवाचार निदेशालय, यूरोपीय आयोग ने अपनी बात रखते हुए TTC तंत्र के अंतर्गत सहयोगी अनुसंधान को मजबूत करने के लिए EU की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “हमें प्रसन्नता है कि भारत और EU इन क्षेत्रों में मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि नदी और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और मानव स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।”

डॉ. राकेश कौर, सलाहकार/वैज्ञानिक ‘G’, OPSA ने उद्घाटन भाषण में कहा कि आइडियाथॉन ने दोनों क्षेत्रों के वैज्ञानिक विशेषज्ञता, नवाचार और प्रारंभिक उद्यमशील सोच का संगम सुनिश्चित किया। समारोह का स्वागत भाषण डॉ. हाफ्सा अहमद, वैज्ञानिक ‘D’, OPSA ने दिया।

किनचित बिहानी, अनुसंधान एवं नवाचार सलाहकार, EU प्रतिनिधिमंडल ने आइडियाथॉन की मुख्य गतिविधियों जैसे डिज़ाइन-थिंकिंग कार्यशालाएँ, मार्गदर्शन सत्र और पिच प्रशिक्षण को प्रस्तुत किया। निएंके बुइस्मैन, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग इकाई प्रमुख, यूरोपीय आयोग ने समापन भाषण में प्रस्तुत विचारों की उच्च गुणवत्ता की सराहना की और कहा कि इस पहल ने TTC फ्रेमवर्क के अंतर्गत भारत–EU साझेदारी की मजबूती को और बढ़ाया।

अंतिम चरण में चयनित टीमों ने तीन चुनौती क्षेत्रों में अपने समाधान प्रस्तुत किए:

  • चुनौती 1: समुद्री प्लास्टिक की पहचान और ट्रैकिंग

  • चुनौती 2: प्रभावी और पैमाने पर लागू होने वाली निकासी तकनीकों का विकास

  • चुनौती 3: जागरूकता बढ़ाना और समुदायों को रोकथाम में संलग्न करना

जूरी में भारतीय और यूरोपीय विशेषज्ञ शामिल थे। निर्णायक प्रक्रिया के बाद शीर्ष तीन विजेता टीमों की घोषणा की गई:

  • चुनौती 1: Ocean Resilience India

  • चुनौती 2: Nautilus Nexus

  • चुनौती 3: TrashTrek App

प्रत्येक विजेता टीम को INR 5,00,000 नकद पुरस्कार और समाधान के आगे विकास के लिए इनक्यूबेशन समर्थन प्रदान किया गया। प्रमाणपत्र विजेताओं और अंतिम चयनित टीमों को भी प्रदान किए गए।

इस कार्यक्रम में भारत और यूरोपीय संघ के 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें स्पेन, जर्मनी, नीदरलैंड, इटली, बेल्जियम, स्लोवेनिया, साइप्रस और लातविया से अधिकारी, शोधकर्ता, स्टार्टअप, उद्योग और नागरिक समाज संगठन शामिल थे। यह आइडियाथॉन भारत और EU की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वे समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए टिकाऊ, नवाचारपूर्ण और सामुदायिक-केंद्रित तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। TTC कार्य समूह 2 आगे भी भारत–EU सहयोग को बढ़ावा देगा और भविष्य की संयुक्त पहलों का समर्थन करेगा।

मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना का दूसरा चरण शुरू, 180 नए गांव जुड़े बस सुविधा से

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ग्रामीण परिवहन को नई रफ्तार: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया योजना के द्वितीय चरण का शुभारंभ

बस्तर और सरगुजा में परिवहन क्रांति, ग्रामीण बस योजना का विस्तार

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा अंचल के सुदूर वनांचलों में ग्रामीण परिवहन को नई दिशा देने वाली मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना ने आज एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की। 

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय से योजना के द्वितीय चरण का औपचारिक शुभारंभ किया तथा वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर बसों को रवाना किया।

दूसरे चरण में बस्तर और सरगुजा संभाग के 10 जिलों के 23 मार्गों पर 24 नई बसों का संचालन प्रारंभ हुआ है, जिससे 180 गांव सीधे बस सुविधा से जुड़ गए हैं।

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में शामिल अनेक ग्रामीण उसी बस में सवार होकर पहुंचे, जिसे योजना के प्रथम चरण में प्रारंभ किया गया था। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से आत्मीय चर्चा करते हुए बताया कि अब दूरस्थ इलाकों से ब्लॉक मुख्यालयों तक पहुंचना पहले की तुलना में काफी सहज और सुगम हो गया है। 

सुकमा–दोरनापाल–कोंटा मार्ग से पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि वे लगभग 110 किलोमीटर की यात्रा बस से कर कार्यक्रम तक पहुंचे, जबकि पूर्व में यह यात्रा बेहद कठिन और समयसाध्य थी।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि सरकार का स्पष्ट संकल्प है कि छत्तीसगढ़ का कोई भी गांव विकास की मुख्यधारा से अलग न रहे। यह योजना न केवल परिवहन सुविधा बढ़ा रही है, बल्कि ग्रामीणों को शहरों और सेवा संस्थानों से जोड़ते हुए सामाजिक एवं आर्थिक समानता को भी मजबूती प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में यह योजना एक मील का पत्थर सिद्ध हो रही है, जिससे लोगों को सुरक्षित, समयबद्ध और सुविधाजनक यात्रा का अवसर मिल रहा है। 

मुख्यमंत्री साय ने योजना से लाभान्वित होने वाले 180 गांवों के सभी ग्रामीणों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बेहतर यातायात सुविधाएँ अब उनके जीवन को पहले से अधिक सुगम बनाएंगी और तरक्की के नए मार्ग खोलेंगी।

परिवहन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि जिन दुर्गम और वनांचल क्षेत्रों तक कभी यातायात की सुविधा नहीं पहुंची थी, वहाँ भी अब बस सेवाएँ प्रारंभ हो रही हैं। यह योजना विशेष रूप से बस्तर और सरगुजा के जनजातीय बहुल इलाकों के लिए एक वरदान के रूप में उभर रही है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना के प्रथम चरण की शुरुआत 04 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा की गई थी, जिसके अंतर्गत 250 गांवों को बस सेवाओं से जोड़ा गया था। अब द्वितीय चरण की शुरुआत के साथ इस संख्या में और वृद्धि हुई है तथा 180 गांव और जुड़ गए हैं।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, उप मुख्यमंत्री अरुण साव सहित मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, परिवहन विभाग के सचिव एस. प्रकाश सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ में स्टार्टअप संस्कृति को नई उड़ान: टेकस्टार्स स्टार्टअप वीकेंड का सफल आयोजन, युवाओं को मिला वैश्विक मंच

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 रायपुर : छत्तीसगढ़ में युवाओं के नवाचार, उद्यमिता और स्टार्टअप संस्कृति को मजबूत आधार देने की दिशा में धमतरी जिले ने ऐतिहासिक पहल की है। विश्वस्तरीय स्टार्टअप एक्सीलरेटर टेकस्टार्स के सहयोग से जिला प्रशासन धमतरी तथा खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा 28 से 30 नवंबर 2025 तक तीन दिवसीय टेकस्टार्स स्टार्टअप वीकेंड धमतरी का सफल आयोजन किया गया। यह आयोजन पहली बार प्रदेश के किसी गैर-महानगरीय जिले में आयोजित हुआ, जिसने धमतरी को उभरते स्टार्टअप हब के रूप में नई पहचान दिलाई है।


स्टार्टअप वीकेंड में 100 से अधिक युवा प्रतिभागियों, 50 संभावित स्टार्टअप टीमों, 20 अनुभवी मेंटर्स और 10 से अधिक निवेशकों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों को 54 घंटों तक सतत कार्य करते हुए अपने विचारों को निवेश योग्य मॉडल में बदलने, बिजनेस मॉडल बनाने, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केट एनालिसिस, पिच डेक निर्माण और स्केलिंग तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया।

मेंटर्स ने टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, एग्री-इनोवेशन, हेल्थकेयर, ई-कॉमर्स, पर्यटन, डिजिटलीकरण और एंटरटेनमेंट सेक्टर के स्टार्टअप आइडियाज पर विशेष मार्गदर्शन दिया। कई अभिनव विचार निवेशकों की विशेष रुचि का केंद्र बने।

जिला प्रशासन की पहल—धमतरी को स्टार्टअप मैप पर स्थापित करने का लक्ष्य

जिला कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने आयोजन को धमतरी के नवाचार तंत्र के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य है कि धमतरी के युवाओं को बड़े शहरों जैसी सभी स्टार्टअप सुविधाएँ और अवसर यहीं मिलें। स्टार्टअप वीकेंड ने सिद्ध किया कि यहां के युवा न केवल रचनात्मक हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हैं। यह आयोजन आगे भी प्रत्येक वर्ष जारी रहेगा, जिससे जिले में उद्यमिता का मजबूत इकोसिस्टम स्थापित होगा

एआईसी महिंद्रा के सीईओ और कार्यक्रम फैसिलिटेटर श्री इस्माइल अकबानी ने इसे छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा और सुव्यवस्थित स्टार्टअप वीकेंड बताया।

ग्लोबल एक्सीलरेटर टेकस्टार्स से स्थानीय प्रतिभाओं को लाभ

टेकस्टार्स के बारे में जानकारी देते हुए विकासगढ़ के संस्थापक श्री मेराज मीर ने बताया कि 2006 से विश्वभर में स्टार्टअप्स को गति देने वाले इस प्लेटफॉर्म की विशेषज्ञता अब सीधे धमतरी के युवाओं तक पहुंच रही है, जिससे उन्हें व्यापक नेटवर्किंग और निवेश अवसर मिलेंगे।

जिला प्रशासन ने बताया कि स्टार्टअप संस्कृति को संस्थागत रूप देने के लिए धमतरी में आगे भी ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते रहेंगे। इससे युवाओं को निरंतर मेंटरशिप, फंडिंग एक्सपोज़र और बिजनेस नेटवर्क प्राप्त होंगे।

भारत पोस्ट का आधुनिकीकरण: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने डाक सेवा में सुधार और विस्तार पर जोर दिया

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केंद्रीय संचार और वि. वि. वि. राज्य मंत्री,ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा को संबोधित करते हुए भारत पोस्ट को मजबूत बनाने और आधुनिक बनाने में किए गए महत्वपूर्ण कदमों का उल्लेख किया।

सिंधिया ने बताया कि वर्तमान में भारत पोस्ट देशभर में 1.64 लाख डाक घर संचालित कर रहा है, जिसे 2.78 लाख ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) की समर्पित टीम का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने उनके अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए कहा कि ग्रामीण डाक सेवक केवल व्यवसाय ही नहीं करते, बल्कि मानवता के भावों को भी एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँचाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्राप्त परिवर्तन को उजागर करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में सरकार ने भारत पोस्ट को मजबूत बनाने पर व्यापक ध्यान केंद्रित किया है। प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

  • पिछले 3.5 वर्षों में लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज़्म प्रभावित राज्यों में 4,903 नए डाक घर बनाए गए।

  • बैंकों से वंचित गांवों में 5,746 डाक घर स्वीकृत किए गए, जिनमें से 5,657 (97%) डाक घर पहले ही खोले जा चुके हैं।

  • पिछले 11 वर्षों में राष्ट्रीय नेटवर्क में कुल 10,170 डाक घर जोड़े गए।

  • डाक घर भवनों के निर्माण और नवीनीकरण के लिए ₹405 करोड़ का निवेश किया गया, जिसमें 49 धरोहर डाक घर भी शामिल हैं, जिन्हें भारत पोस्ट की संस्थागत धरोहर माना जाता है।

सिंधिया ने यह भी बताया कि हालांकि महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, भारत पोस्ट के स्वामित्व वाले बाकी 25,000 डाक घरों के नवीनीकरण के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी।

भविष्य की ओर बढ़ते हुए, केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि भारत पोस्ट अपने संचालन को आधुनिक बनाने और सुव्यवस्थित करने के लिए व्यापक बिज़नेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग (BPR) पहल कर रहा है। इससे प्रथम-मील, मध्य-मील और अंतिम-मील वितरण प्रणालियों में सुधार होगा, जो नागरिकों के लिए तेज़, सेवा-केंद्रित और डिजिटल रूप से सक्षम होंगी।

उन्होंने आगे कहा कि भारत पोस्ट ऑटोमेशन ला रहा है और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन कर रहा है, ताकि यह विश्व के प्रमुख लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं में से एक बन सके।

सरकार राष्ट्रीय डाक नेटवर्क को मजबूत करने, सेवा वितरण को बेहतर बनाने और भारत पोस्ट को देश के लिए एक आधुनिक, प्रौद्योगिकी-संचालित लॉजिस्टिक्स पावरहाउस में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है।

भूपेश है तो भरोसा पेज से लगातार चलाई जा रही है फर्जी खबरें - भाजपा

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 रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के संबोधन के वीडियो में छेड़छाड़ एवं एडिट कर मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने का प्रयास करने वालों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराने जिलाध्यक्ष रायपुर शहर रमेश सिंह ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा का प्रतिनिधिमंडल आज एसपी कार्यालय पहुँचा।


भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने पुलिस अधीक्षक को बताया कि मुख्यमंत्री  साय 02 दिसम्बर को जिलास्तरीय वार्षिक सामाजिक सम्मेलन एवं सामाजिक भवन लोकार्पण कार्यक्रम में सम्मिलित होने बोईरदादर रायगढ़ गए थे जहाँ मुख्यमंत्री ने जनता एवं किसानों को संबोधित करते हुए कहा था कि आने वाले समय में यदि आदिवासी समाज के बेटा बेटी अपना कोई उद्योग धंधा शुरू करते हैं तो उन्हें एक रुपए एकड़ में जमीन मुहैया कराई जाएगी। लेकिन रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की निवासी मनीषा गोंड़ द्वारा अपने फेसबुक आई.डी. के जरिये मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से अपने गलत तथ्यों को जोड़कर तथा भाषण को तोड़-मरोड़कर, एडिट कर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर वायरल किया गया है, जिससे आम जनता में गलत संदेश जा रहा है।

भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि इसी प्रकार भूपेश है तो भरोसा है नाम के फेसबुक पेज से भी उक्त वीडियो को छेड़छाड़ कर, एडिट कर वायरल किया गया है। उक्त दोनों वीडियो के वायरल होने से छत्तीसगढ़ की जनता, किसान और आदिवासी समाज काफी रुष्ट है और उनकी भावनाओं को ठेस पहुँची है। मुख्यमंत्री श्री साय की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से वायरल किये गये एडिट वीडियो के पीछे प्रदेश की विपक्षी राजनीतिक पार्टियों की साजिश हो सकती है, जिसकी जाँच कर मामले की तह तक जाना आवश्यक है। मनीषा गोंड़ और भूपेश है तो भरोसा है पेज के आई.डी. होल्डर के द्वारा किया गया दुष्कृत्य जघन्य अपराध है, साथ ही भारतीय सुरक्षा संहिता व आई.टी. एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध भी है। भाजपा ने उक्त दोनों आरोपियों के विरुद्ध तथा इस साजिश में शामिल अन्य आरोपियों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर आरोपियों के विरुध्द ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।

भाजपा जिलाध्यक्ष रायपुर शहर रमेश ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के वीडियो में छेड़छाड़ कर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास कांग्रेस कर रही है। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है जो कांग्रेस को पसंद नहीं आ रही है। इसलिए कांग्रेस इस तरह की निम्नस्तर की राजनीति में उतर आई है।

इस दौरान शहर जिला रमेश ठाकुर, विधि प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक बृजेश पांडेय, प्रदेश प्रवक्ता अमित चिमनानी, शताब्दी पांडेय, डॉ. किरण बघेल, रिसिराज पिठवा, अंजनेश शुक्ला, जिला महामंत्री अमित मैशरी, गुंजन प्रजापति, जिला उपाध्यक्ष सत्यम दुवा, अकबर अली, नवीन शर्मा, जिला प्रवक्ता शिवजलम दुबे, पुष्पेन्द्र उपाध्याय, राजकुमार राठी, अर्पित सूर्यवंशी, वंदना राठौर,वासु शर्मा, रविन्द्र सिंह सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित थे।

ISRO तकनीक हस्तांतरण में पारदर्शिता: NSIL ने अब तक 70 टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट किए

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 यह जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लोकसभा में प्रदान की गई कि वर्तमान तिथि तक न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने ISRO द्वारा विकसित तकनीकों के हस्तांतरण के लिए 70 टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट (TTAs) पर हस्ताक्षर किए हैं।

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर प्रक्रिया और पारदर्शिता

  • ISRO से निजी उद्योगों और गैर-सरकारी संस्थाओं (NGEs) को तकनीक हस्तांतरित करने के लिए TTA और NDA किए जाते हैं, जिनमें गोपनीयता बनाए रखने के स्पष्ट प्रावधान होते हैं।

  • फिर भी, RTI अधिनियम के अंतर्गत NSIL ने उन भारतीय उद्योगों के नाम और विवरण साझा किए हैं जिन्हें ISRO तकनीकें हस्तांतरित की गई हैं।

  • कुछ जानकारी ISRO/DoS की आधिकारिक वेबसाइटों—U R Rao Satellite Centre, IN-SPACe, और NSIL—पर भी उपलब्ध है।

  • IN-SPACe केवल एक फैसिलिटेटर है, जबकि NSIL वास्तविक लाइसेंसर है।

RTI के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित

  • NSIL, RTI अधिनियम 2005 के तहत सुओ-मोटो खुलासे के सिद्धांतों का पालन करता है।

  • निजी क्षेत्र को तकनीक हस्तांतरण से जुड़ी दिशानिर्देश, उपलब्ध तकनीकें आदि NSIL की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाते हैं।

निगरानी और निष्पक्षता की व्यवस्था

  • NSIL ने एक स्वतंत्र टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कमेटी बनाई है जो सभी अनुरोधों की जांच कर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।

  • हालांकि, कुछ जानकारी जैसे—शर्तें, भुगतान विवरण, और समझौतों की प्रतियां—व्यावसायिक एवं रणनीतिक रूप से संवेदनशील हैं।

  • इसलिए, इन्हें RTI अधिनियम की धारा 8(1)(d) के तहत खुलासा से छूट प्राप्त है।


भारत में NavIC का विस्तार: अंतरिक्ष विभाग ने बढ़ाया उपयोग और अपनाने की रफ्तार

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अंतरिक्ष विभाग (DoS) विभिन्न क्षेत्रों में NavIC के उपयोग को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इस दिशा में, विभाग ने कई गतिविधियाँ शुरू की हैं, जिनमें पायलट परियोजनाएँ, भारतीय उद्योग को तकनीक हस्तांतरण, तकनीकी सहायता, परीक्षण सहायता, और उपयोग कार्यक्रम शामिल हैं।

DoS ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उद्योग मानकों में NavIC को शामिल करने के लिए भी प्रयास किए हैं, ताकि उत्पादों और समाधानों में NavIC को आसानी से और प्रभावी रूप से अपनाया जा सके। वर्तमान में विभिन्न कंपनियों के 60 से अधिक स्मार्टफोन NavIC को समर्थन प्रदान करते हैं।

NavIC आधारित पायलट परियोजनाएँ

  1. रीयल-टाइम ट्रेन ट्रैकिंग
    – 10,000 से अधिक ट्रेनों में NavIC आधारित ट्रैकिंग डिवाइस लगाए गए हैं।

  2. मछली पकड़ने वाले जहाजों (Fishing Vessels) की ट्रैकिंग
    – 30,000+ नौकाएँ NavIC सक्षम ट्रांसपोंडर्स से लैस हैं।

  3. सार्वजनिक और वाणिज्यिक वाहनों की ट्रैकिंग
    – 140 से अधिक मॉडल प्रमाणित किए गए हैं और
    – 15 लाख से अधिक वाहनों में NavIC आधारित उपकरण लगाए गए हैं।

  4. NavIC समय प्रसारण द्वारा भारत में सामान्य IST प्रसारित करने के लिए सेकेंडरी टाइमस्केल स्थापित करना।

अनिवार्यता की स्थिति

सरकार ने अभी तक NavIC को अनिवार्य नहीं किया है। इसे अनिवार्य बनाने की संभावना पर चर्चा जारी है।

NavIC का उपयोग

NavIC के नागरिक संकेत (civilian signals) सभी के लिए खुले हैं। NavIC कवरेज क्षेत्र में कोई भी उपयोगकर्ता इसका उपयोग स्थिति निर्धारण (positioning), नेविगेशन और समय निर्धारण (timing) के लिए कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय GNSS सेवा प्रदाता, NavIC के साथ इंटरऑपरेबिलिटी और सिग्नल समन्वय को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से सहयोग करते रहते हैं।


मानव अधिकार दिवस 2025: डॉ. पी. के. मिश्रा ने मानव गरिमा और समावेशी शासन पर दिया जोर

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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित ‘राष्ट्रीय सम्मेलन: सभी के लिए दैनिक आवश्यकताएँ – जन सेवाएँ और गरिमा’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। अपने मुख्य वक्तव्य में उन्होंने विश्व मानवाधिकार दिवस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि लोकतांत्रिक देशों—विशेषकर भारत—के लिए यह दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि यही वह बिंदु है जहाँ संवैधानिक आदर्श, लोकतांत्रिक संस्थाएँ और सामाजिक मूल्य मिलकर मानव गरिमा की रक्षा करते हैं।

उन्होंने 1948 के मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 25(1) को उद्धृत किया, जिसमें भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा देखभाल, सामाजिक सुरक्षा और कमजोर परिस्थितियों में सहारा पाने के अधिकार को मूल अधिकार माना गया है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार दिवस केवल स्मरण का अवसर नहीं, बल्कि “दैनिक जीवन में गरिमा” पर चिंतन का निमंत्रण है। इस वर्ष की थीम “ह्यूमन राइट्स: आवर एवरीडे एसेंशियल्स” नागरिकों के जीवन में सार्वजनिक सेवाओं की निर्णायक भूमिका को दर्शाती है।

भारत की ऐतिहासिक भूमिका और विकसित होते मानवाधिकार

डॉ. मिश्रा ने भारत द्वारा UDHR के निर्माण में निभाई अहम भूमिका का उल्लेख किया, विशेषकर डॉ. हंसा मेहता के योगदान का, जिनके प्रयास से घोषणा में लिखा गया—“all human beings…”, जो लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम था।

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार अब केवल नागरिक और राजनीतिक अधिकारों तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, डिजिटल और पर्यावरणीय अधिकार भी शामिल हो चुके हैं। आज गरिमा का अर्थ है—स्वतंत्रता के साथ-साथ निजता, स्वच्छ पर्यावरण, गतिशीलता और डिजिटल समावेशन तक पहुँच।

भारतीय सभ्यता में गरिमा का दर्शन

उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में धर्म, न्याय, करूणा, सेवा, अहिंसा, और वसुधैव कुटुंबकम जैसे सिद्धांत सदैव मानव गरिमा के केंद्र में रहे हैं। यही मूल्य हमारे संविधान में प्रतिबिंबित होते हैं—सर्वजन मताधिकार, मौलिक अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका जैसे निर्देशक सिद्धांतों में।

2014 से पहले और बाद का बदलाव

डॉ. मिश्रा ने कहा कि 2014 से पहले भारत में अधिकार-आधारित कानून तो बने, लेकिन सेवा वितरण की कमजोरियों ने उनकी विश्वसनीयता को प्रभावित किया।
2014 के बाद सरकार ने सैचुरेशन एप्रोच अपनाई—“कोई भी पात्र लाभार्थी छूटे नहीं”। इससे देश एक बदलाव से गुजरा—
“कागजी अधिकारों” से “कार्यान्वित अधिकारों” की ओर।

डिजिटल ढाँचे, DBT, और विक्सित भारत संकल्प यात्रा जैसे प्रयासों ने इसे और मजबूत किया। बीते दशक में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए—यह भारत की सबसे बड़ी मानवाधिकार उपलब्धियों में से एक है।

मानव गरिमा को सुनिश्चित करने के चार स्तंभ

1. घर में गरिमा

  • प्रधानमंत्री आवास योजना

  • जल जीवन मिशन

  • स्वच्छ भारत अभियान

  • सौभाग्य योजना

  • उज्ज्वला योजना

इन पहलों ने करोड़ों परिवारों की जीवन-गुणवत्ता बदली।

2. सामाजिक सुरक्षा

  • कोविड में 80 करोड़ लोगों को PMGKAY के तहत मुफ्त राशन

  • आयुष्मान भारत–PMJAY से 42 करोड़ नागरिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा

  • बीमा, पेंशन और नए श्रम कानूनों ने असंगठित क्षेत्र और गिग वर्कर्स को सुरक्षा प्रदान की

  • मानसिक स्वास्थ्य कानून ने कमजोर वर्गों की गरिमा को संरक्षित किया

3. समावेशी आर्थिक विकास

  • JAM Trinity ने DBT में क्रांति लाई

  • 56 करोड़ जन धन खाते

  • PM Mudra और PM SVANidhi से करोड़ों नए उद्यम

  • महिलाओं की प्रगति:

    • स्वयं सहायता समूह

    • “लखपति दीदी”

    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

    • विधानसभाओं में एक-तिहाई आरक्षण

4. न्याय और कमजोर समुदायों की सुरक्षा

  • नए आपराधिक कानून

  • फास्ट-ट्रैक कोर्ट

  • POCSO Act

  • दिव्यांगजनों के अधिकार कानून

  • पीएम-जनमन योजना के माध्यम से आदिवासी समुदायों का विकास

  • वैक्सीन मैत्री जैसी पहलें—मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता की मिसाल

सुशासन स्वयं एक मौलिक अधिकार

अंत में डॉ. मिश्रा ने कहा कि सुशासन (Good Governance) भी मूल अधिकार है—

  • दक्षता

  • पारदर्शिता

  • समयबद्ध सेवा

  • शिकायत निवारण

इन्हीं से एक आधुनिक, समावेशी और नागरिक-केंद्रित भारत का निर्माण होगा—जहाँ शहर रहने योग्य और गाँव समृद्ध हों।

उन्होंने उभरती चुनौतियों—जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय न्याय, डेटा संरक्षण, AI की जवाबदेही, एल्गोरिदमिक निष्पक्षता, गिग वर्कर्स की सुरक्षा और डिजिटल निगरानी—पर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया।


छत्तीसगढ़ में स्टार्टअप संस्कृति को नई उड़ान: टेकस्टार्स स्टार्टअप वीकेंड का सफल आयोजन, युवाओं को मिला वैश्विक मंच

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रायपुर- छत्तीसगढ़ में युवाओं के नवाचार, उद्यमिता और स्टार्टअप संस्कृति को मजबूत आधार देने की दिशा में धमतरी जिले ने ऐतिहासिक पहल की है। विश्वस्तरीय स्टार्टअप एक्सीलरेटर टेकस्टार्स के सहयोग से जिला प्रशासन धमतरी तथा खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा 28 से 30 नवंबर 2025 तक तीन दिवसीय टेकस्टार्स स्टार्टअप वीकेंड धमतरी का सफल आयोजन किया गया। यह आयोजन पहली बार प्रदेश के किसी गैर-महानगरीय जिले में आयोजित हुआ, जिसने धमतरी को उभरते स्टार्टअप हब के रूप में नई पहचान दिलाई है।

स्टार्टअप वीकेंड में 100 से अधिक युवा प्रतिभागियों, 50 संभावित स्टार्टअप टीमों, 20 अनुभवी मेंटर्स और 10 से अधिक निवेशकों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों को 54 घंटों तक सतत कार्य करते हुए अपने विचारों को निवेश योग्य मॉडल में बदलने, बिजनेस मॉडल बनाने, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केट एनालिसिस, पिच डेक निर्माण और स्केलिंग तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया।

मेंटर्स ने टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, एग्री-इनोवेशन, हेल्थकेयर, ई-कॉमर्स, पर्यटन, डिजिटलीकरण और एंटरटेनमेंट सेक्टर के स्टार्टअप आइडियाज पर विशेष मार्गदर्शन दिया। कई अभिनव विचार निवेशकों की विशेष रुचि का केंद्र बने।

जिला प्रशासन की पहल—धमतरी को स्टार्टअप मैप पर स्थापित करने का लक्ष्य

जिला कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने आयोजन को धमतरी के नवाचार तंत्र के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि हमारा  उद्देश्य है कि धमतरी के युवाओं को बड़े शहरों जैसी सभी स्टार्टअप सुविधाएँ और अवसर यहीं मिलें। स्टार्टअप वीकेंड ने सिद्ध किया कि यहां के युवा न केवल रचनात्मक हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हैं। यह आयोजन आगे भी प्रत्येक वर्ष जारी रहेगा, जिससे जिले में उद्यमिता का मजबूत इकोसिस्टम स्थापित होगा 

एआईसी महिंद्रा के सीईओ और कार्यक्रम फैसिलिटेटर इस्माइल अकबानी ने इसे छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा और सुव्यवस्थित स्टार्टअप वीकेंड बताया।

ग्लोबल एक्सीलरेटर टेकस्टार्स से स्थानीय प्रतिभाओं को लाभ

टेकस्टार्स के बारे में जानकारी देते हुए विकासगढ़ के संस्थापक मेराज मीर ने बताया कि 2006 से विश्वभर में स्टार्टअप्स को गति देने वाले इस प्लेटफॉर्म की विशेषज्ञता अब सीधे धमतरी के युवाओं तक पहुंच रही है, जिससे उन्हें व्यापक नेटवर्किंग और निवेश अवसर मिलेंगे।

जिला प्रशासन ने बताया कि   स्टार्टअप संस्कृति को संस्थागत रूप देने के लिए धमतरी में आगे भी ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते रहेंगे। इससे युवाओं को निरंतर मेंटरशिप, फंडिंग एक्सपोज़र और बिजनेस नेटवर्क प्राप्त होंगे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जयस्तंभ चौक में किया शहीद वीर नारायण सिंह के त्याग और संघर्ष का स्मरण

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रायपुर- छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और जननायक अमर शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि पर आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित जयस्तंभ चौक पहुँचकर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह का जीवन त्याग, साहस और न्याय की अनुपम मिसाल है। अंग्रेजी शासन के अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध शहीद वीर नारायण सिंह ने जिस अदम्य साहस के साथ संघर्ष किया, वह छत्तीसगढ़ की गौरवमयी विरासत का स्वर्णिम अध्याय है। मातृभूमि की रक्षा और समाज के वंचित वर्गों के प्रति उनकी निष्ठा हमारे लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगी।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सोनाखान के ज़मींदार परिवार में जन्म लेने के बाद भी शहीद वीर नारायण सिंह का हृदय सदैव आदिवासियों, किसानों और गरीब परिवारों के दुःख-संघर्ष से जुड़ा रहा। वर्ष 1856 के विकट अकाल में जब आमजन भूख से व्याकुल थे, तब उन्होंने मानवता को सर्वोपरि मानते हुए अनाज गोदाम का अनाज ज़रूरतमंदों में बाँटकर करुणा, त्याग और साहस का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। यह कदम केवल विद्रोह नहीं था, बल्कि सामाजिक अन्याय, शोषण और असमानताओं के विरुद्ध एक ऐतिहासिक उद्घोष था।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ की अस्मिता, स्वाभिमान और जनप्रतिरोध की जीवंत प्रेरणा हैं। गरीबों, किसानों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा के लिए उनका जीवन-संघर्ष आने वाली पीढ़ियों को सदैव न्याय, मानवता और राष्ट्रभक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शहीद वीर नारायण सिंह के आदर्शों और उनके सपनों के अनुरूप छत्तीसगढ़ के विकास के लिए पूरी निष्ठा से कार्य कर रही है।

इस अवसर पर आदिम जाति कल्याण मंत्री रामविचार नेताम, वन मंत्री केदार कश्यप, विधायक पुरन्दर मिश्रा, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रूपसिंह मंडावी, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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