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सांसद खेल महोत्सव के समापन की तैयारियों की समीक्षा: डॉ. जितेंद्र सिंह ने जिलाधिकारियों और विधायकों के साथ की वर्चुअल बैठक

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प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज उधमपुर–कठुआ–डोडा लोकसभा क्षेत्र के उपायुक्तों (DCs) और विधायकों (MLAs) के साथ एक वर्चुअल बैठक कर सांसद खेल महोत्सव के समापन कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की। यह समापन कार्यक्रम 25 दिसंबर 2025 को आयोजित किया जाएगा, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली संबोधित करेंगे।

बैठक में विभिन्न जिलों और विधानसभा क्षेत्रों के बीच बेहतर समन्वय पर जोर दिया गया ताकि समापन कार्यक्रम का सफल आयोजन सुनिश्चित किया जा सके। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि 25 दिसंबर को होने वाला यह समापन कार्यक्रम सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ आयोजित किया जाएगा, जिसमें जिला प्रशासन, विधायक और सांसद सक्रिय रूप से भाग लेंगे। यह आयोजन 25 अगस्त 2025 को शुरू हुए सांसद खेल महोत्सव के सफल समापन का प्रतीक होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद खेल महोत्सव को एक पैन-इंडिया, बड़े स्तर की पहल के रूप में परिकल्पित किया गया है, जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर की खेल प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना और फिट इंडिया मूवमेंट के तहत एक स्वस्थ, फिट और खेलोन्मुख भारत की दृष्टि को सशक्त करना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने निर्देश दिए कि सभी जिले विभिन्न संभावित आयोजन मॉडलों—जैसे जिला स्तर और संसदीय क्षेत्र स्तर—के लिए पूरी तरह तैयार रहें। उन्होंने प्रधानमंत्री के वर्चुअल संबोधन को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त स्थलों, सुनिश्चित कनेक्टिविटी और आवश्यक बुनियादी ढांचे की पहचान करने पर बल दिया।

सांसद खेल महोत्सव की दीर्घकालिक सोच पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि यह पहल केवल एक आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य देशभर में एक स्थायी खेल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। उन्होंने निर्देश दिया कि पंचायत, ब्लॉक, जिला और उच्च स्तर पर विजेताओं का विवरण निर्धारित पोर्टलों पर समयबद्ध तरीके से अपलोड किया जाए, ताकि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान कर उन्हें आगे के प्रशिक्षण, अवसर और उच्च स्तरीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी के लिए समर्थन दिया जा सके।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 25 दिसंबर का दिन सुशासन दिवस (सुषासन दिवस) तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस अवसर को शासन, युवा सशक्तिकरण और राष्ट्र निर्माण के विषयों से जोड़ने का अवसर बताते हुए उन्होंने जिलों से स्थानीय कार्यक्रमों को इन राष्ट्रीय आयोजनों के साथ समन्वित करने का आग्रह किया।

बैठक में यह भी बताया गया कि समापन कार्यक्रमों में स्थानीय युवा, खिलाड़ी, सामुदायिक प्रतिनिधि और खेल जगत की प्रतिष्ठित हस्तियां भाग लेंगी। ये कार्यक्रम “MY Bharat” प्लेटफॉर्म के अंतर्गत आयोजित किए जाएंगे, जिन्हें युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय तथा जिला प्रशासन का सहयोग प्राप्त होगा, जिससे व्यापक जनभागीदारी और जनसंपर्क सुनिश्चित किया जा सकेगा।

बैठक के अंत में डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी हितधारकों से आपसी समन्वय के साथ कार्य करने का आह्वान किया और कहा कि सांसद खेल महोत्सव का समापन कार्यक्रम एक आदर्श राष्ट्रीय आयोजन के रूप में उभरना चाहिए, जो खेल संस्कृति को बढ़ावा देने, युवा प्रतिभाओं को निखारने और फिट इंडिया मूवमेंट को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाए। उन्होंने आश्वासन दिया कि शीघ्र ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे और समयबद्ध तैयारी को कार्यक्रम की सफलता की कुंजी बताया।

डीआरआई ने ₹6.26 करोड़ मूल्य की प्रतिबंधित लाल चंदन की तस्करी नाकाम की, 15 मीट्रिक टन जब्त, चार गिरफ्तार

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राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने प्रतिबंधित/निषिद्ध लाल चंदन (रेड सैंडर्स) के अवैध निर्यात के एक बड़े प्रयास को विफल कर दिया है। इस कार्रवाई में ₹6.26 करोड़ मूल्य का कुल 15 मीट्रिक टन लाल चंदन जब्त किया गया है तथा चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। लाल चंदन (Pterocarpus santalinus) को CITES की परिशिष्ट–II में तथा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची–IV में सूचीबद्ध किया गया है और विदेश व्यापार नीति के तहत इसका निर्यात प्रतिबंधित/निषिद्ध है।

डीआरआई अधिकारियों को विशेष खुफिया जानकारी मिली थी कि चेन्नई और उसके आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न गोदामों में लाल चंदन को गुप्त रूप से संग्रहीत किया गया है और इसे चेन्नई से दिल्ली के रास्ते विदेश भेजने की कोशिश की जा रही है। इस सूचना के आधार पर डीआरआई ने 09.12.2025 से 11.12.2025 के बीच तीन अलग-अलग परिसरों में समन्वित और सुनियोजित तलाशी अभियान चलाया।

एक परिसर से ग्रेड-ए गुणवत्ता के 169 लाल चंदन के लट्ठे बरामद किए गए, जिनका कुल वजन 5.55 मीट्रिक टन था। इनमें से 76 लट्ठों को सफेद एचडीपीई पैकिंग सामग्री में लपेटकर छिपाया गया था और इन्हें ‘घरेलू सामान’ के कवर कार्गो के साथ दिल्ली ले जाकर अवैध निर्यात के लिए ट्रक में लोड करने की तैयारी थी। इन प्रतिबंधित वस्तुओं के साथ-साथ कवर कार्गो को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के प्रावधानों के तहत जब्त कर लिया गया।

अन्य दो परिसरों से 9.55 मीट्रिक टन लाल चंदन बरामद किया गया, जो लट्ठों, जड़ों और फर्नीचर के रूप में था। इसे भी विधिसम्मत रूप से जब्त किया गया।

इस मामले में जिन चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें मुख्य संचालक, लाल चंदन की पैकिंग और परिवहन में शामिल उसके दो सहयोगी तथा आपूर्ति पक्ष का एक मध्यस्थ शामिल है। मामले की आगे की जांच जारी है।

राजस्व खुफिया निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि वह देश की आर्थिक सीमाओं से खिलवाड़ करने और भारत की समृद्ध जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों के खिलाफ अपनी सख्त कार्रवाई लगातार जारी रखेगा।

पीएम श्री नवोदय विद्यालय गौतम बुद्ध नगर में मिशन LiFE के तहत माइक्रोफॉरेस्ट का उद्घाटन, पर्यावरण आधारित शिक्षण को मिला बढ़ावा

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शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DoSEL) के सचिव संजय कुमार ने 14 दिसंबर 2025 को उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर स्थित पीएम नवोदय विद्यालय में विशेष अभियान 5.0 के अंतर्गत विकसित फल उद्यान एवं परागणकर्ता उद्यान (पॉलिनेटर पार्क) से युक्त एक माइक्रोफॉरेस्ट का उद्घाटन किया।

यह पहल मिशन LiFE के तहत ईको क्लब्स के माध्यम से 3,200 वर्ग मीटर से अधिक बंजर भूमि को एक जीवंत पारिस्थितिक शिक्षण स्थल में परिवर्तित करने में सफल रही है। इस अवसर पर नवोदय विद्यालय समिति (NVS) के आयुक्त राजेश लखानी, DoSEL की संयुक्त सचिव डॉ. अमरप्रीत दुग्गल, NVS के संयुक्त आयुक्त ज्ञानेंद्र कुमार, ‘से ट्रीज़’ की ओर से वंदना तुम्मलापल्ली और मोनीथा, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक, छात्र एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

अपने संबोधन में संजय कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की परिकल्पना के अनुसार शिक्षा का वास्तविक मूल्य केवल पुस्तकों तक सीमित न होकर वास्तविक जीवन के अनुभवों से जुड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति से जुड़े आनंदपूर्ण और समावेशी शिक्षण वातावरण से विद्यार्थियों में मानवीय मूल्यों, स्वतंत्र चिंतन और मानसिक संतुलन का विकास होता है।

उन्होंने बताया कि मिशन LiFE के अंतर्गत ईको क्लब्स देशभर के 9.23 लाख से अधिक स्कूलों में सक्रिय हैं और इसके सात प्रमुख विषयों के अनुरूप व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से अनुभवात्मक अधिगम को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे शिक्षण को प्रकृति से जोड़ें और विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करें।

नवोदय विद्यालय समिति के आयुक्त राजेश लखानी ने विद्यार्थियों से पेड़ों की देखभाल को सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विद्यालय परिसरों में फलदार पेड़ों का संरक्षण सतत जीवनशैली, स्वस्थ आदतों और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देता है।

विशेष अभियान 5.0 के तहत DoSEL ने स्वच्छता दक्षता और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया। देशभर में 6.16 लाख से अधिक स्वच्छता अभियान चलाए गए। 9 अक्टूबर 2025 को आयोजित ई-कचरा जागरूकता पर राष्ट्रीय वेबिनार और उसके बाद हुए ई-कचरा संग्रह अभियान में 1 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया और 4,000 किलोग्राम से अधिक ई-कचरा एकत्र किया गया। इस ई-कचरे के लगभग 100 किलोग्राम से नई दिल्ली के शास्त्री भवन में एक जागरूकता भित्ति चित्र भी बनाया गया।

नवोदय विद्यालय गौतम बुद्ध नगर में स्थापित इस माइक्रोफॉरेस्ट में 500 से अधिक फलदार वृक्ष तथा 350 से अधिक परागणकर्ता-अनुकूल पौधे लगाए गए हैं, जो मधुमक्खियों, तितलियों एवं अन्य लाभकारी जीवों के लिए आवास उपलब्ध कराएंगे और विद्यालय परिसर की जैव विविधता व सूक्ष्म जलवायु को बेहतर बनाएंगे।

यह परियोजना ‘से ट्रीज़’ नामक गैर-लाभकारी संस्था के सहयोग से क्रियान्वित की गई है, जिसने अब तक देशभर में 50 लाख से अधिक पेड़ लगाए और 50 से अधिक झीलों का पुनर्जीवन किया है। यह पहल SDG-4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) और SDG-13 (जलवायु कार्रवाई) के अनुरूप सतत विकास को बढ़ावा देगी।

स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की पहलों को आगे चलकर अन्य नवोदय विद्यालयों, केंद्रीय विद्यालयों और देशभर के स्कूलों में भी विस्तारित किया जाएगा, जिससे हरित एवं पर्यावरण-अनुकूल शिक्षण वातावरण को बढ़ावा मिल सके।

विशाखापत्तनम नेवी मैराथन का 10वां संस्करण भव्य रूप से संपन्न, 17 देशों के 17,000 से अधिक धावकों की सहभागिता

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14 दिसंबर 2025 को आयोजित विशाखापत्तनम नेवी मैराथन (Vizag Navy Marathon) का 10वां संस्करण अत्यंत उत्साह, जोश और खेल भावना के साथ भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस प्रतिष्ठित आयोजन में 17 देशों के विदेशी नागरिकों सहित 17,000 से अधिक धावकों ने भाग लेकर इसे एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। ₹10 लाख से अधिक की पुरस्कार राशि के साथ यह मैराथन देश–विदेश के एथलीटों और फिटनेस प्रेमियों के लिए एक यादगार आयोजन साबित हुई।

42 किलोमीटर फुल मैराथन को हरी झंडी और पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता वाइस एडमिरल संजय भल्ला, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, ईस्टर्न नेवल कमांड ने की। हाफ मैराथन और संकल्प रन को  प्रिया भल्ला, अध्यक्ष, नेवल वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (पूर्वी क्षेत्र) ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जिससे उद्देश्य, एकता और सामुदायिक सहभागिता का संदेश मजबूत हुआ। 10 किमी और 5 किमी दौड़ों को क्रमशः जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त द्वारा रवाना किया गया।

इस अवसर पर फ्लैग ऑफिसर्स, जीवीएमसी आयुक्त, वरिष्ठ पूर्व सैनिकों तथा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) जैसे प्रमुख साझेदारों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिससे कार्यक्रम की गरिमा और बढ़ी।

सुदृढ़ योजना और निर्बाध क्रियान्वयन के कारण प्रतिभागियों को उत्कृष्ट अनुभव प्राप्त हुआ। जिला प्रशासन, शहर पुलिस और स्थानीय समुदाय के सहयोग ने आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

इस वर्ष मैराथन में कई नई और उन्नत सुविधाएँ जोड़ी गईं, जिनमें धावकों के लिए आकर्षक छूट, बेहतर डिलीवरबल्स पैकेज और सभी प्रतिभागियों के लिए बीमा कवर शामिल रहा, जिससे सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित हुआ।

विदेशी खिलाड़ियों की सहभागिता ने इस मैराथन की अंतरराष्ट्रीय अपील को और मजबूत किया और इसे क्षेत्र की अग्रणी मैराथनों में स्थापित किया।

विशाखापत्तनम नेवी मैराथन 2025 समर्पण, टीमवर्क और जुनून का सशक्त उदाहरण बनी। ईस्टर्न नेवल कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ने सभी विजेताओं, धावकों और आयोजकों को शुभकामनाएँ दीं तथा जिला प्रशासन, शहर पुलिस और स्वयंसेवी संगठनों का आभार व्यक्त किया, जिनके सहयोग से यह आयोजन अत्यंत सफल रहा।

जनहित में बड़ा फैसला : पेरी-अर्बन व अन्य ग्रामों में वर्ग मीटर दर समाप्त, स्टाम्प व रजिस्ट्री शुल्क में नागरिकों को सीधा लाभ

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंशानुसार वित्त एवं वाणिज्य कर पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भूमि मूल्यांकन प्रक्रिया को अधिक सरल, पारदर्शी और जनहितैषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पेरी-अर्बन ग्रामों एवं अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में लागू वर्ग मीटर दर को पूर्णतः समाप्त कर दिया है। अब ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में भूमि का मूल्यांकन केवल हेक्टेयर दर के आधार पर किया जाएगा। इस फैसले से आम नागरिकों, किसानों और भू-धारकों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।

पूर्व व्यवस्था के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर तक की भूमि का मूल्यांकन वर्ग मीटर दर से तथा 500 वर्ग मीटर से अधिक भूमि का मूल्यांकन हेक्टेयर दर से किया जाता था। चूंकि वर्ग मीटर दर, हेक्टेयर दर की तुलना में अधिक होती थी, इसलिए कम क्षेत्रफल वाली भूमि पर अधिक मूल्य और मुआवजा देय हो जाता था, जबकि बड़े क्षेत्रफल की भूमि पर अपेक्षाकृत कम। यह एक बड़ी विसंगति थी, जिसे समाप्त करते हुए सरकार ने अब सभी ग्रामीण भूमि के लिए एक समान हेक्टेयर आधारित मूल्यांकन व्यवस्था लागू की है।

इस निर्णय से भू-अर्जन प्रकरणों में अब भूमि के वास्तविक क्षेत्रफल के अनुरूप न्यायसंगत मुआवजा मिल सकेगा। उदाहरण के तौर पर बालोद जिले के ग्रामीण क्षेत्र देवारभाट में पूर्व व्यवस्था के तहत 500 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 9 लाख 25 हजार रुपये किया जाता था, जबकि 1000 वर्ग मीटर (0.10 हेक्टेयर) भूमि का मूल्यांकन केवल 3 लाख 67 हजार रुपये होता था। नई व्यवस्था में वर्ग मीटर दर समाप्त होने के बाद 500 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 6 लाख रुपये तथा 1000 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 12 लाख रुपये किया जा रहा है, जो पूरी तरह तर्कसंगत और न्यायसंगत है।

वर्ग मीटर दर समाप्त होने से स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क में भी उल्लेखनीय कमी आई है। भूमि का मूल्यांकन अब वास्तविक और किफायती दरों पर होने से रजिस्ट्री की कुल लागत घट रही है। इससे ग्रामीण एवं पेरी-अर्बन क्षेत्रों में भूमि खरीदना आम नागरिकों के लिए अधिक सुलभ हो गया है।

उप पंजीयक कार्यालय बालोद में 9 अक्टूबर 2025 को पंजीकृत एक दस्तावेज के अनुसार ग्राम देवारभाट में 15 डिसमिल भूमि के पंजीयन में पूर्व व्यवस्था के तहत बाजार मूल्य 7 लाख 90 हजार रुपये आंका गया था, जिस पर 74 हजार 900 रुपये स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क देय था। नई व्यवस्था लागू होने के बाद उसी भूमि का बाजार मूल्य 4 लाख 80 हजार रुपये निर्धारित हुआ और पक्षकारों द्वारा मात्र 45 हजार 500 रुपये स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क अदा किया गया। इस प्रकार संबंधित पक्षकारों को सीधे 29 हजार 400 रुपये का लाभ हुआ।

सरकार के इस फैसले से किसानों, भू-धारकों और आम खरीदारों को अनावश्यक अतिरिक्त खर्च से राहत मिलेगी। साथ ही भूमि लागत कम होने से रियल एस्टेट, आवास निर्माण और विकास कार्यों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। मूल्यांकन प्रक्रिया के सरलीकरण से नियमों की जटिलता कम हुई है और आमजन के लिए प्रक्रिया अधिक सहज एवं पारदर्शी बनी है।

राज्य सरकार का यह निर्णय ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी जनता के हित में दूरगामी प्रभाव वाला कदम है, जिससे हजारों लोग प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे। सरकार का उद्देश्य भूमि एवं आवास से जुड़ी प्रक्रियाओं को सुलभ, किफायती और जनकल्याणकारी बनाना है और यह सुधार उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।


कर्नाटक के बेलगावी में छत्रपति शिवाजी महाराज की 25 फुट ऊँची प्रतिमा का उद्घाटन, राज्य और राष्ट्र गौरव का प्रतीक

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कर्नाटक के बेलगावी जिले के अठाणी में मराठा प्रतिमा छत्रपति शिवाजी महाराज की 25 फुट ऊँची भव्य प्रतिमा का उद्घाटन केंद्रीय संचार एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया। इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए मंत्री ने कहा कि यह केवल एक प्रतिमा का अनावरण नहीं है, बल्कि भारत की स्वाभिमान, साहस और हिंदवी स्वराज की चेतना को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का संकल्प है।

सिंधिया ने कहा कि “जय भवानी, जय शिवाजी” का उद्घोष आज भी हर भारतीय में निडरता, राष्ट्रीय कर्तव्य और गर्व की भावना जगाता है। कार्यक्रम में मंजुनाथ भारती स्वामीजी, संभाजी भिड़े गुरुजी, कर्नाटक के मंत्री संतोष लाड और सतीश जरकिहोली, कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी, कोल्हापुर सांसद शाहू छत्रपति महाराज, पूर्व कर्नाटक मंत्री बी. पाटिल, पीजीआर सिंधे और अन्य गणमान्य नेता उपस्थित थे।

शिवाजी महाराज: हिंदवी स्वराज के निर्माता और राष्ट्रीय कर्तव्य का प्रतीक

केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और संघर्षों को याद किया, बताया कि मात्र 15 वर्ष की आयु में उन्होंने हिंदवी स्वराज की प्रतिज्ञा ली। अद्वितीय साहस, रणनीतिक कुशलता और दूरदर्शी नेतृत्व के माध्यम से उन्होंने आक्रमणकारियों को परास्त किया और भारत के स्वाभिमान की रक्षा की।

सिंधिया ने कहा कि बेलगावी और अठाणी क्षेत्र शिवाजी महाराज की वीरता का साक्षी रहा है। दक्षिण भारत में उनके अभियान के दौरान यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह डेक्कन, कोंकण और गोवा को जोड़ने वाले मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करता था। इसी भूमि पर शिवाजी महाराज की प्रतिमा का उद्घाटन इतिहास, परंपरा और वर्तमान को जोड़ने वाला गर्व का क्षण है।

आधुनिक भारत शिवाजी महाराज से प्रेरित होकर आगे बढ़ रहा है:

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत के आत्म-सम्मान और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बढ़ते कदमों के बीच छत्रपति शिवाजी महाराज का चरित्र और आदर्श और भी प्रासंगिक हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत और राष्ट्रीय कर्तव्य की भावना देश भर में गहराई से जुड़ी हुई है।

सिंधिया ने कहा कि यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती रहेगी कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है, साहस कभी नहीं मिटता और स्वराज की भावना हमेशा जीवित रहती है।

सिंधिया महाराष्ट्र और कर्नाटक के दो दिवसीय दौरे पर थे, जिसमें उन्होंने पहले कोल्हापुर में बॉम्बे जिमखाना के 150 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट का विमोचन किया और ग्रामीण डाक सेवक सम्मेलन में भाग लिया। रविवार को बेलगावी में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के उद्घाटन समारोह में उन्होंने भाग लिया।

साय सरकार की प्रथम कैबिनेट के दो वर्ष पूर्ण: 18 लाख पीएम आवास को दी गई थी स्वीकृति

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपनी प्रथम मंत्रिपरिषद बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत 18 लाख आवासों की स्वीकृति के निर्णय के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आज एक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश में 10,000 आजीविका डबरी निर्माण कार्यों का शुभारंभ किया गया। 

कार्यक्रम में कवर्धा जिले के जनमन आवास योजना के हितग्राहियों तथा नारायणपुर जिले के आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल हिंसा से प्रभावित परिवारों के लिए संचालित विशेष परियोजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के हितग्राहियों को आजीविका डबरी के स्वीकृति पत्र भी प्रदान किए गए। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव  निहारिका बारीक सिंह, प्रधानमंत्री आवास योजना के संचालक एवं आयुक्त महात्मा गांधी नरेगा तारन प्रकाश सिन्हा तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव भीम सिंह उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत वर्ष 2016 से 2026 की अवधि के लिए 26.27 लाख आवासों के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 24.37 लाख आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से 17.14 लाख आवास पूर्ण हो चुके हैं। मुख्यमंत्री श्री साय के नेतृत्व में मात्र दो वर्षों में लगभग 8 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है, जो योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा विगत दो वर्षों के अल्प कार्यकाल में ही लगभग 8 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण किया गया है। यह उपलब्धि राज्य में आवास निर्माण की गति को दर्शाती है। विशेष रूप से पिछले 6 महीनों में प्रतिदिन औसतन 2000 आवासों का निर्माण पूर्ण किया गया, जो प्रशासनिक दक्षता और सतत निगरानी का परिणाम है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारंभ अप्रैल 2016 में किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पात्र परिवारों को पक्के आवास उपलब्ध कराना है। इस योजना के अंतर्गत प्रति आवास 1.20 लाख रूपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही, योजना का अन्य योजनाओं से अभिसरण किया गया है, जिसके तहत मनरेगा से 90 दिवस की मजदूरी तथा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से 12 हजार रूपए की सहायता शौचालय निर्माण हेतु दी जाती है, जिससे हितग्राही को संपूर्ण आवास सुविधा प्राप्त हो सके।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत प्रदेश में 10,000 आजीविका डबरी निर्माण का कार्य मोर गांव-मोर पानी महाअभियान के अंतर्गत क्रियान्वित किया जा रहा है। इन डबरियों का निर्माण पात्र हितग्राहियों की निजी भूमि पर किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के हितग्राही भी सम्मिलित हैं। सभी डबरियों को मई 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

आजीविका डबरी परियोजना से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण एवं जल संवर्धन, सिंचाई सुविधा में वृद्धि, मत्स्य पालन, बत्तख पालन, वृक्षारोपण एवं सिघाड़ा उत्पादन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। इससे ग्रामीण परिवारों को स्थायी आजीविका के अतिरिक्त अवसर प्राप्त होंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी। इस प्रकार, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और मनरेगा के अभिसरण से राज्य सरकार ग्रामीण विकास, आवास सुरक्षा, रोजगार सृजन और जल संरक्षण के लक्ष्यों को एक साथ साकार कर रही है, जो छत्तीसगढ़ के समावेशी और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


बीजेपी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बने नितिन नबीन, पीएम मोदी ने की जमकर तारीफ

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 नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन को पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है। रविवार को इस महत्वपूर्ण संगठनात्मक फैसले की घोषणा की गई। बीजेपी संसदीय बोर्ड द्वारा नियुक्ति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बधाई दी।


पीएम मोदी ने की प्रशंसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नितिन नबीन को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है। पीएम मोदी ने कहा,
“नितिन नबीन एक युवा, ऊर्जावान और अनुभवी संगठनकर्ता हैं। विधायक और मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल प्रभावशाली रहा है। उन्होंने जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अथक परिश्रम किया है। मुझे विश्वास है कि उनकी ऊर्जा और समर्पण पार्टी को और मजबूती देंगे।”

अमित शाह ने भी दी बधाई

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा संसदीय बोर्ड के वरिष्ठ नेताओं द्वारा नितिन नबीन को कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया जाना संगठन के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि युवा मोर्चा से लेकर प्रदेश प्रभारी तक, नितिन नबीन ने हर दायित्व को निष्ठा और सफलता से निभाया है। बिहार में पाँच बार विधायक और राज्य सरकार में मंत्री के रूप में उनका लंबा जनसंपर्क अनुभव रहा है।

अमित शाह ने कहा,

“आज उनका राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनना दिन-रात मेहनत करने वाले हर युवा भाजपा कार्यकर्ता के सम्मान का प्रतीक है।”

कौन हैं नितिन नबीन?

  • नितिन नबीन, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक स्वर्गीय नबीन किशोर प्रसाद सिन्हा के पुत्र हैं।
  • पिता के निधन के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया।
  • वे पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं।
  • 2006 में उपचुनाव जीतने के बाद से वे लगातार कई बार विधायक चुने गए।
  • हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने आरजेडी प्रत्याशी रेखा कुमारी को 51,936 वोटों के बड़े अंतर से हराया।
  • 9 फरवरी 2021 को नीतीश कुमार सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें पथ निर्माण मंत्री बनाया गया।

संगठन को मिलेगा अनुभव का लाभ

नितिन नबीन को संगठनात्मक कार्यों का व्यापक अनुभव है। युवा मोर्चा, प्रदेश संगठन और राष्ट्रीय स्तर पर उनकी सक्रिय भूमिका को देखते हुए पार्टी नेतृत्व को उनसे संगठन को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में ऐतिहासिक उपलब्धि : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कॉफी टेबल बुक का किया अनावरण

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज विधानसभा स्थित अपने कार्यालय कक्ष में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत अपनी प्रथम मंत्रिपरिषद बैठक में 18 लाख आवास स्वीकृत किए जाने के निर्णय के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर एक आकर्षक कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया। यह पुस्तक राज्य में ग्रामीण आवास योजना के तहत प्राप्त ऐतिहासिक प्रगति, नवाचारों और उपलब्धियों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत करती है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत 10,000 आजीविका डबरी निर्माण कार्यों का भी हुआ शुभारंभ

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत राज्य को प्राप्त 26.27 लाख आवासों के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 24.37 लाख आवासों की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, जबकि 17.14 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है। विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि वर्तमान सरकार ने अपने मात्र दो वर्षों के अल्प कार्यकाल में ही लगभग 8 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण कर राज्य में ग्रामीण आवास निर्माण के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

इसी अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत 10,000 आजीविका डबरी निर्माण कार्यों का भी शुभारंभ किया। इन डबरियों को मई 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। मनरेगा के तहत पात्र हितग्राहियों, जिनमें प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थी भी शामिल हैं, की निजी भूमि पर इन डबरियों का निर्माण किया जाएगा। इससे न केवल ग्रामीण रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि किसानों एवं ग्रामीण परिवारों की आजीविका और आय में भी स्थायी वृद्धि सुनिश्चित होगी।

कार्यक्रम के दौरान कवर्धा जिले के जनमन आवास योजना के हितग्राहियों तथा नारायणपुर जिले के आत्मसमर्पित नक्सलियों एवं नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवारों के लिए संचालित विशेष परियोजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थियों को आजीविका डबरी के स्वीकृति पत्र भी प्रदान किए गए, जो सामाजिक पुनर्वास और मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारीक सिंह, प्रधानमंत्री आवास योजना के संचालक एवं महात्मा गांधी नरेगा के आयुक्त तारन प्रकाश सिन्हा तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव भीम सिंह सहित विभागीय वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने सम्राट पेरुम्बिदुगु मुथरैयार द्वितीय को समर्पित स्मारक डाक टिकट का विमोचन किया

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भारत के उपराष्ट्रपति,सी. पी. राधाकृष्णन ने आज नई दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में सम्राट पेरुम्बिदुगु मुथरैयार द्वितीय (सुवर्ण मरण) को समर्पित स्मारक डाक टिकट का विमोचन किया।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तमिल संस्कृति और भाषा के प्रति भारत सरकार के निरंतर समर्थन की सराहना की। उन्होंने काशी तमिल संगम और तमिल राजाओं, नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को मान्यता देने एवं सम्मानित करने के प्रयासों की प्रशंसा की, जिन्हें अतीत में पर्याप्त मान्यता नहीं मिली थी।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सम्राट पेरुम्बिदुगु मुथरैयार पर स्मारक डाक टिकट का विमोचन इस निरंतर मान्यता प्रक्रिया का हिस्सा है।

सम्राट पेरुम्बिदुगु मुथरैयार के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि वे प्राचीन तमिलनाडु के सबसे विख्यात शासकों में से एक थे और मुथरैयार वंश के प्रतिष्ठित शासक थे, जिन्होंने 7वीं से 9वीं शताब्दी ईस्वी के बीच तमिलनाडु के मध्य क्षेत्रों पर शासन किया। उन्होंने बताया कि सम्राट ने लगभग चार दशकों तक तिरुचिरापल्ली से शासन किया और उनका राज्य प्रशासनिक स्थिरता, क्षेत्रीय विस्तार, सांस्कृतिक संरक्षण और सैन्य कौशल के लिए जाना जाता था।

उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर पाए गए शिलालेख सम्राट के मंदिरों के दान, सिंचाई कार्यों और तमिल साहित्य में योगदान का प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि सम्राट का शासन दक्षिण भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखता है।

प्रधानमंत्री की दृष्टि ‘विकसित भारत @2047’ का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और महान नेताओं की विरासत का दस्तावेजीकरण, सम्मान और संरक्षण राष्ट्रीय प्राथमिकता है। उन्होंने आज़ादी का अमृत महोत्सव के दौरान सभी क्षेत्रों के स्वतंत्रता सेनानियों और महान शासकों को सम्मानित करने के प्रयासों का उल्लेख किया, जिसमें तमिलनाडु भी शामिल है। उन्होंने बताया कि 2014 से अब तक तमिलनाडु सहित लगभग 642 चोरी हुई मूर्तियाँ और प्राचीन वस्तुएँ वापस प्राप्त की गई हैं।

इस अवसर पर वित्त और कॉर्पोरेट मामले की केंद्रीय मंत्री, निर्मला सीतारमण; राज्यसभा के उपाध्यक्ष, हरिवंश; और सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री, डॉ. एल. मुरुगन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री साय से शासकीय आदर्श पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास के प्रतिनिधिमंडल ने की सौजन्य मुलाकात

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से विगत दिवस राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में शासकीय आदर्श पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री साय को शहीद वीर नारायण सिंह जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का आमंत्रण दिया।

शहीद वीर नारायण सिंह जयंती के अवसर पर यह भव्य समारोह 15 दिसंबर 2025 को रायपुर में आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन आदिवासी छात्र-छात्राओं द्वारा शासकीय आदर्श पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास, पेंशन बाड़ा, रायपुर में शाम 7 बजे से किया जाएगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आयोजन की सराहना करते हुए विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं और कार्यक्रम के सफल आयोजन की कामना की। इस अवसर पर छात्रावास अध्यक्ष पुरुषोत्तम नेताम सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री साय ने छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल की ‘ऊर्जावान छत्तीसगढ़’ कॉफी टेबल बुक का किया विमोचन

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रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज नवीन विधानसभा परिसर स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में रजत महोत्सव विशेष छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल द्वारा प्रकाशित ‘ऊर्जावान छत्तीसगढ़’ कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। यह काफी टेबल बुक छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना तथा छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल एवं उसकी उत्तरवर्ती पावर कंपनियों की 25 वर्षों की गौरवमयी यात्रा, उपलब्धियों और विकास गाथा पर आधारित है।


मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह कॉफी टेबल बुक छत्तीसगढ़ में ऊर्जा क्षेत्र में हुए ऐतिहासिक परिवर्तनों, अधोसंरचना विकास, नवाचारों और जनसेवा आधारित कार्यों का सजीव दस्तावेज है। कॉफी टेबल बुक में छत्तीसगढ़ राज्य ने ऊर्जा क्षेत्र में सुदृढ़ नियोजन, आधुनिक तकनीक और उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ उल्लेखनीय उपलब्धियों को शामिल किया गया है और सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की स्थापना से लेकर 32 हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता, कोयला खनन के सुदृढ़ संचालन और राज्यव्यापी पारेषण- वितरण ढांचे के विस्तार तक बिजली क्षेत्र में व्यापक सुधार को प्रदर्शित किया गया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल की टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के समर्पण, प्रतिबद्धता और योगदान की सराहना की।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एवं अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी सुबोध कुमार सिंह, ऊर्जा सचिव एवं अध्यक्ष छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन तथा डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी रोहित यादव, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत पारेषण कंपनी के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार शुक्ला, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक भीम सिंह कंवर सहित वरिष्ठ अधिकारी जे.एस. नेताम, संजीव सिंह एवं आशुतोष जायसवाल उपस्थित थे।

उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने IPS और IFoS प्रशिक्षुओं के साथ नेतृत्व, शासन और नैतिक सार्वजनिक सेवा पर की बातचीत

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज नई दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFoS) के अधिकारी प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की। ये अधिकारी हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (HIPA) में स्पेशल फाउंडेशन कोर्स कर रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने “भारत के लौह पुरुष” सरदार वल्लभभाई पटेल का स्मरण करते हुए उनके प्रांतीय राज्यों के एकीकरण और अखिल भारतीय सेवाओं की स्थापना में उनके केंद्रीय योगदान को उजागर किया। उन्होंने कहा कि जहां ऑटो वॉन बिस्मार्क ने जर्मनी को एकीकृत किया, जहां लोग मुख्यतः एक भाषा साझा करते थे, वहीं सरदार पटेल ने भाषाई और सांस्कृतिक विविधताओं वाले भारत को एकीकृत किया – एक कहीं अधिक जटिल कार्य।

उपराष्ट्रपति ने सक्षम अधिकारियों के चयन में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और प्रशिक्षण संस्थानों जैसे HIPA की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत के विकास की दिशा में अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन भगवद गीता के सिद्धांतों के अनुरूप करें, अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करें और हमेशा धर्म के मार्ग पर चलें।

सार्वजनिक सेवा में जिम्मेदार और जवाबदेह कार्रवाई के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने समय पर फाइलों और मामलों का निपटान करने, और सेवा की गुणवत्ता और दक्षता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग करने का सुझाव दिया।

बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन में धैर्य के महत्व पर बल दिया। उन्होंने पूर्व सांसदों जैसे अटल बिहारी वाजपेयी, एन. जी. रंगा और एन. जी. गोरे का उदाहरण देते हुए कहा कि उनका लंबे समय तक जनता का समर्थन उनके बहसों की गुणवत्ता के कारण था। उन्होंने सोशल मीडिया के युग में जोरदार आवाज़ें अक्सर अस्थायी लोकप्रियता प्राप्त करती हैं, यह भी बताया।

उपराष्ट्रपति ने कुशल और मानवीय शासन के लिए धैर्य और ध्यानपूर्वक सुनने को आवश्यक उपकरण बताया। उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं को सुनना अक्सर समस्याओं के बड़े हिस्से का समाधान कर देता है।

प्रशिक्षुओं के सवालों के जवाब में उन्होंने निरंतर सीखने, धर्म का पालन करने और धैर्य बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जानकारी के अधिभार, गलत सूचना और सोशल मीडिया पर नकारात्मक खबरों की चुनौती पर भी प्रकाश डाला। अधिकारियों को सकारात्मक और रचनात्मक कहानियों को बढ़ावा देने की सलाह दी और डिजिटल व्यवहार में सामाजिक जिम्मेदारी का पालन करने तथा जिम्मेदार साझा करने के लिए उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल दिया।

यह बातचीत युवा अधिकारियों को नेतृत्व, शासन और नैतिक सार्वजनिक सेवा के मूल्यवान दृष्टिकोण प्रदान करने वाली रही।

सैरांग रेलवे स्टेशन ने संभाला पहला डायरेक्ट ऑटोमोबाइल रेक, मिजोरम में ऑटो क्षेत्र और कनेक्टिविटी को मिलेगा बढ़ावा

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 सैरांग रेलवे स्टेशन ने पहली बार डायरेक्ट इनवर्ड ऑटोमोबाइल रेक को संभाला, जिसमें चंगसारी (गुवाहाटी के पास) से 119 मारुति कारें लाई गईं। यह ऐतिहासिक कदम ऐजॉल में वाहन उपलब्धता को बढ़ाएगा, लंबी सड़क परिवहन पर निर्भरता कम करेगा और मिजोरम के ऑटोमोबाइल क्षेत्र को—जिसमें डीलर, सेवा प्रदाता और ग्राहक शामिल हैं—लाभ पहुंचाएगा। यह राज्य के बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और भारतीय रेलवे की कनेक्टिविटी विस्तार, क्षेत्रीय विकास और समावेशी वृद्धि के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

ऑटोमोबाइल अनलोडिंग

बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन मिजोरम के लिए एक प्रमुख बुनियादी ढांचा उपलब्धि है। चुनौतीपूर्ण भूभाग के माध्यम से सावधानीपूर्वक बनाई गई इस लाइन की लंबाई 51.38 किमी है और इसमें 45 सुरंगें हैं। यह रेलवे लाइन क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों के साथ सामरिक रूप से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यह लाइन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 13 सितंबर 2025 को उद्घाटित की गई थी। इस अवसर पर उन्होंने ऐजॉल (सैरांग) और दिल्ली (आनंद विहार टर्मिनल) के बीच राजधानी एक्सप्रेस, ऐजॉल (सैरांग) और गुवाहाटी के बीच मिजोरम एक्सप्रेस, और ऐजॉल (सैरांग) और कोलकाता के बीच एक एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इस कदम के साथ मिजोरम का भारत के राष्ट्रीय रेल नेटवर्क में पूर्ण एकीकरण सुनिश्चित हुआ।

नए ट्रेन सेवाओं के प्रति यात्री प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही है। तीनों ट्रेनों की उच्च बैठने की दर रही:

  • सैरांग–आनंद विहार टर्मिनल राजधानी एक्सप्रेस: 147%

  • सैरांग–गुवाहाटी मिजोरम एक्सप्रेस: 115%

  • सैरांग–कोलकाता एक्सप्रेस: 139%

यात्री इन ट्रेनों को सुविधाजनक, किफायती और समय की बचत वाला मानते हैं। रेल कनेक्टिविटी ने प्रमुख शहरों और आर्थिक केंद्रों तक यात्रा को आसान बनाया है और पास के राज्यों में शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाई है।

बैराबी-सैरांग लाइन पर माल ढुलाई का संचालन उद्घाटन के तुरंत बाद शुरू हुआ। 14 सितंबर 2025 को पहली बार 21 सीमेंट वैगन असम से ऐजॉल भेजे गए। इसके बाद इस मार्ग से सीमेंट, निर्माण सामग्री, ऑटोमोबाइल, रेत और पत्थर के टुकड़े जैसे आवश्यक वस्त्र ढोए गए।

सैरांग से पहली पार्सल खेप 19 सितंबर 2025 को बुक की गई, जब एन्थुरियम फूल पार्सल वैन (सैरांग–आनंद विहार टर्मिनल राजधानी एक्सप्रेस) के माध्यम से भेजे गए। 17 सितंबर से 12 दिसंबर 2025 के बीच कुल 17 रेक्स हैंडल किए गए। ये विकास दिखाते हैं कि यह लाइन एक विश्वसनीय लॉजिस्टिक कॉरिडोर बन रही है, परिवहन लागत को कम कर रही है और मिजोरम के आर्थिक और बुनियादी ढांचा विकास का समर्थन कर रही है।

भारतीय रेलवे ने LHB कोचों के उत्पादन में 18% वृद्धि के साथ यात्री सुरक्षा और सुविधा को बढ़ाया

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भारतीय रेलवे ने लिंक होफमैन बुश (LHB) कोचों के उत्पादन में लगातार प्रगति दर्ज की है, जिन्हें यात्रियों के लिए बेहतर सुरक्षा, उन्नत सवारी आराम और बेहतर संचालन क्षमता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 (नवंबर 2025 तक) में 4,224 से अधिक LHB कोच का निर्माण किया गया है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में निर्मित 3,590 कोचों की तुलना में 18% की वृद्धि को दर्शाता है। उत्पादन में यह बढ़ोतरी रेलवे इकाइयों में उत्पादन क्षमता के निरंतर सुदृढ़ीकरण और बेहतर उत्पादन योजना को दर्शाती है।

इस अवधि में फैक्ट्री-वार प्रदर्शन की बात करें तो:

  • इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई ने 1,659 LHB कोच बनाए।

  • मॉडर्न कोच फैक्ट्री (MCF), रायबरेली ने 1,234 कोचों का उत्पादन किया।

  • रेल कोच फैक्ट्री (RCF), कपूरथला ने 1,331 कोच बनाए।

दीर्घकालिक तुलना से हाल के वर्षों में हुई उल्लेखनीय प्रगति सामने आती है। 2014 से 2025 के बीच, भारतीय रेलवे ने 42,600 से अधिक LHB कोच का निर्माण किया, जो 2004 से 2014 के बीच निर्मित 2,300 कोचों की तुलना में 18 गुना अधिक है। यह विस्तार LHB कोचों को व्यापक रूप से अपनाकर यात्री रोलिंग स्टॉक के आधुनिकीकरण पर लगातार ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है, जो उच्च सुरक्षा मानकों और कम रखरखाव आवश्यकताओं के लिए जाने जाते हैं।

भारतीय रेलवे ‘आत्मनिर्भर भारत’ और 'Make in India' पहल के लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, घरेलू उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाकर और आयात पर निर्भरता कम करके। संगठन देश की बढ़ती गतिशीलता आवश्यकताओं को पूरा करने और यात्रियों के लिए सुरक्षित, सहज और आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए अपनी उत्पादन शक्ति को और बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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