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किसानों से दलहन-तिलहन उपार्जन की केन्द्र ने दी स्वीकृति

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मार्कफेड सहकारी समितियों के माध्यम से करेगा उपार्जन

खरीफ में उपार्जन के लिए 425 करोड़ रूपए मंजूर

रायपुर- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) के तहत प्राइस सपोर्ट स्कीम में छत्तीसगढ़ को दलहन और तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन की अनुमति मिल गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल पर आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के कृषि मंत्री  रामविचार नेताम के बीच हुई चर्चा के बाद केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन में दलहन-तिलहन उपार्जन के लिए 425 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से खरीफ और रबी सीजन के लिए कुल 1 लाख 22 हजार मीट्रिक टन दलहन-तिलहन उपार्जन का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। इसमें खरीफ के लिए 50 हजार मीट्रिक टन और रबी के लिए 72 हजार मीट्रिक टन शामिल हैं। फिलहाल केंद्र से खरीफ की फसलों के उपार्जन की अनुमति मिली है। इसके तहत अरहर 21 हजार 330 मीट्रिक टन, उड़द 25 हजार 530 मीट्रिक टन, मूंग 240 मीट्रिक टन, सोयाबीन 4 हजार 210 मीट्रिक टन और मूंगफली 4 हजार 210 मीट्रिक टन का उपार्जन किया जाएगा। इन फसलों के उपार्जन पर कुल 425 करोड़ रुपए खर्च होंगे। केंद्र सरकार ने मांग आने पर सोयाबीन और मूंगफली के लिए अतिरिक्त स्वीकृति देने का आश्वासन भी दिया है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए अरहर का समर्थन मूल्य 8000 रूपए प्रति क्विंटल, मूंग का 8768 रूपए, उड़द का 7800 रूपए, मूंगफली का 7800 रूपए, सोयबीन का प्रति क्विंटल 5328 रूपए घोषित किया गया है।  

छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्थन मूल्य पर दलहन-तिलहन उपार्जन के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। उपार्जन का कार्य राज्य में मार्कफेड के माध्यम से सहकारी समितियों द्वारा किया जाएगा। इसके लिए 22 जिलों में 222 उपार्जन केंद्र पहले ही अधिसूचित कर दिए गए हैं। किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया कृषि विभाग के एकीकृत किसान पोर्टल पर लगातार जारी है। जिन किसानों का पंजीयन अब तक नहीं हो पाया है, वे नजदीकी सहकारी समिति के माध्यम से पंजीयन कराकर योजना का लाभ उठा सकते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन-तिलहन का उपार्जन किसानों के हित में राज्य सरकार का बड़ा निर्णय है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा और आय में वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल से प्रदेश में फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा और छत्तीसगढ़ दाल एवं खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा। राज्य सरकार किसानों के हित में केन्द्र सरकार के साथ समन्वय कर लगातार काम कर रही है।

मुख्यमंत्री साय ने ठाकुर प्यारेलाल सिंह की जयंती पर किया नमन

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रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं श्रमिक-किसान आंदोलनों के अग्रदूत ठाकुर प्यारेलाल सिंह की 21 दिसम्बर को जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि ठाकुर प्यारेलाल सिंह जी छत्तीसगढ़ की धरती के ऐसे महान सपूत थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ श्रमिकों, किसानों और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे छत्तीसगढ़ में श्रमिक एवं सहकारी आंदोलन के प्रणेता माने जाते हैं। छात्र जीवन से ही वे स्वाधीनता आंदोलनों से सक्रिय रूप से जुड़े रहे और ब्रिटिश शासन के अन्याय व दमन के विरुद्ध निर्भीक होकर संघर्षरत रहे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ठाकुर प्यारेलाल सिंह का संपूर्ण जीवन साहस, संघर्ष और सेवा के आदर्शों से ओत-प्रोत है। छत्तीसगढ़ के सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक विकास में उनके अमूल्य योगदान को सदैव सम्मान और कृतज्ञता के साथ स्मरण किया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों से ठाकुर प्यारेलाल सिंह जी के विचारों और आदर्शों को आत्मसात कर समाज और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय सहभागी बनने का आह्वान किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मोटापे को सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में संबोधित किया, सही उपयोग और जागरूकता पर दिया जोर

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केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि वर्तमान में उपलब्ध वजन कम करने या मोटापा विरोधी दवाओं का उपयोग बहुत ही समझदारी से किया जाना चाहिए।

स्वयं एक प्रसिद्ध डायबेटोलॉजिस्ट और चिकित्सा प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोटापा एक जटिल, दीर्घकालिक और दोबारा होने वाली समस्या है, और केवल एक सौंदर्य या जीवनशैली संबंधी चिंता नहीं है। इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए पूरे समाज की भागीदारी आवश्यक है, क्योंकि यह भारत की सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन चुकी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2-दिवसीय "एशिया ओशिनिया कॉन्फ्रेंस ऑन ओबेसिटी" (AOCO) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टर, शोधकर्ता, नीति निर्माता और अन्य हितधारक एक ही मंच पर आने से भारत में मोटापे के संकट की गंभीरता स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अर्थशास्त्र केवल अर्थशास्त्री को छोड़कर नहीं छोड़ा जा सकता, उसी तरह मोटापे की समस्या को केवल चिकित्सक या महामारी विज्ञानी तक सीमित नहीं छोड़ा जा सकता, क्योंकि इसके सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू भी हैं।

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत में गैर-संक्रामक रोगों (NCDs) की संख्या बढ़ रही है, जो मोटापे से जुड़ी हैं और कुल मृत्यु दर का लगभग 63 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं रोगों का है। उन्होंने कहा कि टाइप 2 डायबिटीज़, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर मोटापे, विशेषकर पेट और मध्य भाग के मोटापे से जुड़े हैं, जो भारतीय आबादी में अधिक पाए जाते हैं और स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत में यह अभूतपूर्व है कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय मंचों से बार-बार मोटापा और जीवनशैली से जुड़े रोगों पर चर्चा की है। उन्होंने FIT इंडिया, खेलो इंडिया और व्यापक रोकथाम स्वास्थ्य कार्यक्रमों के संदर्भ में प्रधानमंत्री के इस प्रयास की सराहना की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने चेतावनी दी कि मोटापा प्रबंधन के क्षेत्र में बढ़ती व्यावसायिकता और गलत सूचना लोगों को गुमराह कर सकती है। उन्होंने कहा कि केवल औपचारिक स्वीकृतियाँ ही हमेशा सही परिणाम नहीं देतीं, और लोगों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने युवा पीढ़ी तक जागरूकता फैलाने पर जोर दिया और कहा, "हमें केवल जानने वालों से नहीं, बल्कि उन लोगों से भी बात करनी होगी जो नहीं जानते कि उन्हें क्या पता नहीं है।" उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं के स्वास्थ्य और ऊर्जा की सुरक्षा 2047 में विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आवश्यक है।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने AIAARO ओबेसिटी रजिस्ट्री लॉन्च की, जो भारत में मोटापे के शोध तंत्र को मजबूत करने, डेटा संग्रहण, सबूत-आधारित जानकारी और दीर्घकालिक नीति समर्थन प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

AOCO एशिया ओशिनिया एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ओबेसिटी (AOASO) की प्रमुख कॉन्फ्रेंस है, जिसमें एशिया और ओशिनिया की मोटापा अनुसंधान समितियों का प्रतिनिधित्व होता है। भारत में इसे ऑल-इंडिया एसोसिएशन फॉर एडवांसिंग रिसर्च इन ओबेसिटी (AIAARO) द्वारा AOASO और IAEPEN इंडिया व OSSI के समर्थन से आयोजित किया गया है।

कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को वैश्विक श्रेष्ठ प्रथाओं से अवगत कराना, अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना और मोटापे के प्रमाण-आधारित प्रबंधन को मजबूत करना है। इस प्रकार, AOCO मोटापे को केवल चिकित्सा समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक चुनौती के रूप में देखने और इसके प्रभावी समाधान के लिए समन्वित प्रयास करने का मंच प्रदान करता है।

PM SVANidhi योजना का पुनर्गठित स्वरूप: 1.15 करोड़ स्ट्रीट वेंडर्स के लिए समग्र विकास और वित्तीय सशक्तिकरण

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 27 अगस्त 2025 को केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) योजना के पुनर्गठन और लेंडिंग अवधि को 31 मार्च 2030 तक बढ़ाने को मंजूरी दी। इस योजना का कुल बजट ₹7,332 करोड़ है और इसका उद्देश्य 1.15 करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुंचाना है, जिनमें 50 लाख नए लाभार्थी शामिल हैं।

योजना का उद्देश्य और महत्व

स्ट्रीट वेंडर्स किसी भी शहर की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे आत्म-रोज़गार के माध्यम से रोज़मर्रा की वस्तुएँ और सेवाएँ नागरिकों तक पहुँचाते हैं। हालांकि, पहचान की कमी, सीमित वित्तीय पहुँच, शिक्षा और कौशल की कमी, उचित स्थानों का अभाव और सरकारी योजनाओं तक सीमित पहुँच जैसी चुनौतियाँ उनका सामना करती हैं। PM SVANidhi योजना का लक्ष्य इन्हीं चुनौतियों को दूर करना और स्ट्रीट वेंडर्स को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है।

प्रमुख विशेषताएँ और लाभ

  • लोन संरचना: पहली किस्त ₹15,000, दूसरी किस्त ₹25,000 और तीसरी किस्त ₹50,000 तक।

  • डिजिटल क्रेडिट कार्ड: समय पर ऋण चुकाने वाले लाभार्थियों के लिए UPI-लिंक्ड RuPay क्रेडिट कार्ड।

  • कैशबैक प्रोत्साहन: डिजिटल लेन-देन पर अधिकतम ₹1,200 तक कैशबैक।

  • क्षेत्रीय विस्तार: योजना अब केवल सांविधिक शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि सेंसरस टाउन और पेरी-अर्बन क्षेत्रों में भी लागू।

कल्याण और क्षमता निर्माण

  • स्ट्रीट वेंडर्स को उद्यमिता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल कौशल और मार्केटिंग के प्रशिक्षण दिए जाएंगे।

  • स्ट्रीट फूड वेंडर्स के लिए FSSAI के साथ मिलकर स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण।

  • SVANidhi से समृद्धि (Svanidhi se Samriddhi): 8 सरकारी कल्याण योजनाओं से वेंडर्स और उनके परिवारों को जोड़ा गया। 47 लाख वेंडर्स का प्रोफाइल तैयार किया गया और 1.46 करोड़ योजनाएँ अब तक स्वीकृत।

क्रियान्वयन और साझेदारी

योजना का कार्यान्वयन आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) तथा वित्तीय सेवाएँ विभाग (DFS) के माध्यम से किया जाएगा। राज्यों, बैंकों और शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) की सक्रिय भागीदारी से लाभार्थियों तक योजनाओं का प्रभावी लाभ सुनिश्चित किया जाएगा।

निष्कर्ष

PM SVANidhi योजना केवल वित्तीय स्थिरता प्रदान नहीं करती, बल्कि स्ट्रीट वेंडर्स को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में शामिल कर, उन्हें आत्मनिर्भर और डिजिटल रूप से सशक्त बनाती है। यह योजना स्ट्रीट वेंडर्स के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक है, जो समावेशी और टिकाऊ शहरी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की 21वीं वार्षिक दीक्षांत समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने किया संबोधन

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के 21वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित किया। समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ब्रजेश पाठक, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज कुमार, उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री मयंकशवर शरण सिंह और भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद उपस्थित रहे।

नड्डा ने नए स्नातकों को बधाई दी और KGMU द्वारा चिकित्सा शिक्षा और रोगी देखभाल के क्षेत्र में किए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “KGMU 2025 के NIRF रैंकिंग में 8वें स्थान पर है और इसके 12 फैकल्टी मेंबर्स स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में सूचीबद्ध हैं, जो वास्तव में प्रशंसनीय उपलब्धि है।”

केंद्रीय मंत्री ने पिछले दशक में भारत में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले सदी के अंत में देश में केवल एक AIIMS था, जबकि आज भारत में 23 AIIMS संस्थान हैं, जो हर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं और प्रशिक्षण को पहुँचाने के सरकार के संकल्प को दर्शाते हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है। इसी प्रकार, स्नातक चिकित्सा सीटें 51,000 से बढ़कर 1,19,000 और पोस्टग्रेजुएट सीटें 31,000 से बढ़कर 80,000 हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार 2029 तक स्नातक और पोस्टग्रेजुएट स्तर पर अतिरिक्त 75,000 सीटें उपलब्ध कराई जाएंगी, जिनमें से एक वर्ष में ही 23,000 से अधिक सीटें जोड़ दी गई हैं।

नड्डा ने यह भी बताया कि आज देश में 1.82 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मन्दिर संचालित हैं, जो व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत – PMJAY योजना के तहत 62 करोड़ से अधिक लोग, यानी देश की 40% से अधिक आबादी, 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य कवरेज का लाभ प्राप्त कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने स्नातकों से आग्रह किया कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत करें। उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक MBBS छात्र पर 30-35 लाख रुपये खर्च करती है, इसलिए डॉक्टरों को समाज सेवा और चिकित्सा विज्ञान में उत्कृष्टता के लिए समर्पित रहना चाहिए।

इस अवसर पर, 81 छात्रों और एक फैकल्टी सदस्य को उनके शैक्षणिक, नैदानिक और शोध कार्यों में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। पुरस्कारों में गोल्ड और सिल्वर मेडल, मेरिट सर्टिफिकेट, पुस्तक पुरस्कार, नकद पुरस्कार और सर्वोत्तम थीसिस तथा सर्वश्रेष्ठ निवासी के लिए पुरस्कार शामिल हैं।

ब्रजेश पाठक ने कहा कि “120 से अधिक वर्षों से KGMU चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और मानव सेवा में एक मील का पत्थर रही है।” उन्होंने उत्तर प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र में हुए प्रगति का भी उल्लेख किया।

इस समारोह में KGMU की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यनंद (पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त), डीन प्रो. अपजीत कौर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।


छत्तीसगढ़ में गाइडलाइन दरों का युक्तियुक्त निर्धारण, पारदर्शिता और सरलता की दिशा में बड़ा कदम

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रायपुर- छत्तीसगढ़ गाइडलाइन दरों का निर्धारण नियम, 2000 के प्रावधानों के तहत केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड, छत्तीसगढ़ द्वारा स्थावर संपत्तियों के बाजार मूल्य निर्धारण से संबंधित गाइडलाइन दर वर्ष 2025–26 को अनुमोदित करते हुए 20 नवंबर 2025 से प्रदेशभर में लागू कर दिया गया है। यह निर्णय राज्य में संपत्ति मूल्यांकन व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, तार्किक और जनसुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।

विगत पांच वर्षों से गाइडलाइन दरों का पुनरीक्षण नहीं होने के कारण प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में कई प्रकार की विसंगतियां उत्पन्न हो गई थीं। वर्ष 2025–26 की नवीन गाइडलाइन में इन विसंगतियों को दूर करते हुए दरों का युक्तियुक्तकरण किया गया है। पूर्व प्रचलित गाइडलाइन में नगर पालिका क्षेत्रों में कुल 200 कंडिकाएं थीं, जिन्हें घटाकर 102 किया गया है। एक ही वार्ड में अलग-अलग कंडिकाओं और भिन्न दरों के कारण आमजन को संपत्ति के मूल्य को समझने में कठिनाई होती थी, जिसे अब सरल और स्पष्ट बनाया गया है।

वार्ड परिसीमन के बाद कंडिकाओं में आवश्यक संशोधन कर नई परिस्थितियों के अनुरूप दरें निर्धारित की गई हैं। समाचार पत्रों में प्रकाशित दरों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि वर्ष 2025–26 की गाइडलाइन में लगभग समान दरों को समायोजित कर एकरूप किया गया है, जिससे औसतन लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित होती है। उदाहरण के तौर पर महासमुंद जिले में नई गाइडलाइन में पूरे रायपुर मार्ग की दर 32,500 रुपये तथा 20 मीटर अंदर की दर 7,500 रुपये निर्धारित की गई है।

इसी प्रकार यतियतनलाल वार्ड में परिसीमन के कारण दरों को युक्तियुक्त करते हुए 4,800 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये किया गया है। वार्ड क्रमांक 03 में भी एक ही मार्ग पर स्थित कंडिकाओं को समायोजित कर नई कंडिका सृजित की गई है और दरों में औसतन 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। पुष्पा पेट्रोल पंप से पंकज सोनी के मकान तक निर्धारित दरें शंकर नगर वार्ड के सामने की दरों के अनुरूप रखी गई हैं, जिससे सड़क के आमने-सामने स्थित क्षेत्रों में समान दरें लागू हो सकें।

बरोण्डा चौक तथा बरोण्डा चौक से भाजपा कार्यालय तक के क्षेत्रों में भी दरों का युक्तियुक्तकरण करते हुए औसतन 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसी प्रकार अन्य वार्डों में भी समान परिस्थिति और महत्व के क्षेत्रों में दरों को एकरूप करते हुए संतुलित वृद्धि सुनिश्चित की गई है।

राज्य सरकार द्वारा किए गए इस पुनरीक्षण का उद्देश्य वास्तविक प्रचलित बाजार मूल्य को गाइडलाइन दरों में समाहित करना है, ताकि संपत्ति क्रय-विक्रय, स्टांप शुल्क और पंजीयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़े तथा आम नागरिकों को स्पष्ट और न्यायसंगत दरों का लाभ मिल सके। यह पहल छत्तीसगढ़ में सुगम, भरोसेमंद और जनहितैषी संपत्ति मूल्यांकन व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है।

अमरावती में VIT-AP विश्वविद्यालय परिसर में जेन-Z थीम वाला सब पोस्ट ऑफिस हुआ शुरू

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देशभर में कैंपस पोस्ट ऑफिसों के आधुनिकीकरण और उन्हें छात्र-केंद्रित सेवा केंद्रों के रूप में विकसित करने की पहल के तहत आज अमरावती स्थित VIT-AP विश्वविद्यालय परिसर में जेन-Z थीम वाले VIT-AP यूनिवर्सिटी सब पोस्ट ऑफिस का उद्घाटन किया गया। इसका उद्घाटन ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने किया।


उद्घाटन समारोह में आंध्र प्रदेश सर्किल की मुख्य पोस्टमास्टर जनरल बी. पी. श्रीदेवी, VIT-AP विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी. अरुलमोलिवरमन, गुंटूर जिले की कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट  ए. थमीम अनासरिया, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. जगदीश चंद्र मुदिगंटी सहित इंडिया पोस्ट और विश्वविद्यालय के कई वरिष्ठ अधिकारी एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।

यह पहल युवाओं से जुड़ने, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और विश्वविद्यालय परिसरों में आधुनिक, सुलभ सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में इंडिया पोस्ट के परिवर्तन अभियान का अहम कदम है। नए रूप में तैयार इस पोस्ट ऑफिस को विशेष रूप से जेन-Z की सोच और पसंद को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है, जिसमें आधुनिक सौंदर्य, नवाचार और रचनात्मकता का समावेश किया गया है।

जेन-Z थीम वाले इस पोस्ट ऑफिस में इंडिया पोस्ट साहित्य दीवार, कॉफी ज़ोन, फूसबॉल टेबल, फ्री वाई-फाई, मैगज़ीन स्टैंड और बेहतर डिजिटल सेवा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे यह छात्रों के लिए एक आकर्षक और सहज स्थान बन गया है। इस अवसर पर मंत्री द्वारा “VIT: जेन-Z थीम्ड पोस्ट ऑफिस ऑफ आंध्र प्रदेश” शीर्षक से एक विशेष डाक आवरण भी जारी किया गया।

अपने संबोधन में डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने कहा कि यह पहल डाक विभाग की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत पारंपरिक पोस्ट ऑफिसों को भविष्य के अनुरूप जीवंत सेवा केंद्रों में बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास छात्रों को डाक, बैंकिंग, बीमा और डिजिटल सेवाओं से सहज व रोचक तरीके से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

यह कैंपस पोस्ट ऑफिस एक ही स्थान पर डाक, बैंकिंग और बीमा सेवाओं की सरल, डिजिटल और समेकित सुविधा प्रदान करता है, जिससे छात्रों में वित्तीय जागरूकता बढ़ेगी और इंडिया पोस्ट की नवाचार एवं ग्राहक-केंद्रित सेवा की सोच को मजबूती मिलेगी।


गुवाहाटी एयरपोर्ट का नया टर्मिनल: असम और पूर्वोत्तर के विकास का नया द्वार

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गुवाहाटी/नई दिल्ली- असम की कनेक्टिविटी, आर्थिक विस्तार और वैश्विक जुड़ाव में एक ऐतिहासिक उपलब्धि जोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुवाहाटी स्थित लोकप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने इसे असम और पूरे पूर्वोत्तर के लिए “विकास और प्रगति का उत्सव” बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब विकास की रोशनी आम लोगों तक पहुंचती है, तो जीवन के हर मार्ग पर नई ऊंचाइयां छूने की शुरुआत होती है। उन्होंने असम की धरती से अपने गहरे जुड़ाव, यहां के लोगों के स्नेह और विशेष रूप से माताओं-बहनों के अपनत्व को अपनी प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा कि आज असम के विकास में एक और नया अध्याय जुड़ रहा है।

भारत रत्न भूपेन हज़ारिका की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रह्मपुत्र के तट चमकेंगे, अंधकार की हर दीवार टूटेगी—और यह संकल्प आज साकार हो रहा है। उन्होंने कहा कि जैसे ब्रह्मपुत्र की धारा कभी नहीं रुकती, वैसे ही केंद्र और राज्य सरकारों के नेतृत्व में असम में विकास की धारा भी निरंतर बह रही है।

प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई की प्रतिमा के अनावरण का उल्लेख करते हुए कहा कि बोरदोलोई जी ने असम की पहचान, भविष्य और हितों से कभी समझौता नहीं किया। उनकी प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को असम पर गर्व करना सिखाएगी।

आधुनिक कनेक्टिविटी, नए अवसर

प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक हवाई अड्डे और उन्नत कनेक्टिविटी किसी भी राज्य के लिए नए अवसरों के द्वार खोलते हैं। उन्होंने कहा कि जब असम में भव्य हाइवे और एयरपोर्ट बनते हैं, तो लोगों को यह भरोसा होता है कि अब असम के साथ वास्तविक न्याय हो रहा है। उन्होंने पिछली सरकारों पर असम और पूर्वोत्तर की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि दशकों तक इस क्षेत्र को विकास से वंचित रखा गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में असम और पूर्वोत्तर में लाखों करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं शुरू हुई हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि असम भारतीय न्याय संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है और 50 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का रिकॉर्ड भी बनाया है। उन्होंने यह भी कहा कि आज युवाओं को बिना रिश्वत और सिफारिश के नौकरियां मिल रही हैं।

संस्कृति और विकास का संगम

प्रधानमंत्री ने असम की संस्कृति के संरक्षण और प्रचार पर जोर देते हुए 13 अप्रैल 2023 को एक साथ 11 हजार से अधिक कलाकारों द्वारा किए गए बिहू नृत्य को याद किया, जो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास असम को नई पहचान दिला रहे हैं।

नए टर्मिनल की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि इससे गुवाहाटी और असम की क्षमता में बड़ा इजाफा होगा और सालाना 1.25 करोड़ से अधिक यात्री लाभान्वित होंगे। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और मां कामाख्या के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि यह टर्मिनल “विकास के साथ विरासत” के मंत्र का सजीव उदाहरण है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि यह देश का पहला प्रकृति-थीम आधारित एयरपोर्ट टर्मिनल है, जिसमें हरियाली, इनडोर फॉरेस्ट और असम की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। बांस के व्यापक उपयोग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बांस असम के जीवन का अभिन्न हिस्सा है और 2017 में बांस को ‘घास’ की श्रेणी में लाने के फैसले से आज यह भव्य संरचना संभव हो सकी है।

असम बनेगा भारत का ईस्टर्न गेटवे

प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योगों को बढ़ावा देता है, निवेशकों का भरोसा मजबूत करता है और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि आज असम असीम संभावनाओं की उड़ान भर रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत 2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम कर रहा है और इसमें हर राज्य की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत असम आज भारत का ईस्टर्न गेटवे बन रहा है और ASEAN देशों से भारत को जोड़ने वाला सेतु बनकर उभर रहा है।

प्रधानमंत्री ने ब्रह्मपुत्र पर बने नए पुलों, रेलवे कनेक्टिविटी, वंदे भारत एक्सप्रेस, जलमार्गों और गंगा विलास क्रूज जैसी परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे असम की रणनीतिक और आर्थिक ताकत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि जहां कभी हिंसा और पिछड़ापन था, वहां आज 4G-5G कनेक्टिविटी और विकास पहुंच रहा है।

नई शुरुआत का संदेश

प्रधानमंत्री ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर की पहचान और संस्कृति की रक्षा के साथ विकास को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने लोगों से सतर्क और एकजुट रहने का आह्वान करते हुए कहा कि असम का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने नए टर्मिनल के उद्घाटन पर असमवासियों को बधाई दी और विश्वास जताया कि असम और पूरा पूर्वोत्तर विकसित भारत की यात्रा में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

पृष्ठभूमि

करीब 1.4 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला यह नया एकीकृत टर्मिनल सालाना 1.3 करोड़ यात्रियों को संभालने में सक्षम है। “बैंबू ऑर्किड्स” थीम पर आधारित इस टर्मिनल में पूर्वोत्तर के स्थानीय बांस, काजीरंगा से प्रेरित हरियाली, जपी आकृतियां, गैंडे के प्रतीक और ऑर्किड से प्रेरित स्तंभ शामिल हैं। अत्याधुनिक सुरक्षा, डिजी यात्रा, स्वचालित बैगेज हैंडलिंग और एआई आधारित संचालन इसे यात्रियों के लिए सुविधाजनक और भविष्य के अनुरूप बनाते हैं।

उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने AEPC के वार्षिक पुरस्कार समारोह को किया संबोधित

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज नई दिल्ली में परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (AEPC) के वार्षिक पुरस्कार समारोह में भाग लिया और भारत के परिधान निर्यात क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी।

इस अवसर पर अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि परिधान और वस्त्र क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और अप्रत्यक्ष रूप से 10 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का समर्थन करता है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 2 प्रतिशत और विनिर्माण सकल मूल्य वर्धन (GVA) में लगभग 11 प्रतिशत का योगदान देता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने PM मित्र पार्क और समर्थ कौशल विकास कार्यक्रम जैसी प्रगतिशील नीतियों और योजनाओं के माध्यम से वस्त्र एवं परिधान उद्योग को सशक्त और बहुआयामी समर्थन प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र को वैश्विक शक्ति बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकारी पहलें तभी अपने वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त करती हैं, जब उद्योग नवाचार और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ता है।

वैश्विक चुनौतियों के इस दौर में भारतीय परिधान निर्यातकों द्वारा दिखाए गए लचीलापन और प्रगति की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार संवाद कर रही है, जिसमें मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ताएं भी शामिल हैं।

उपराष्ट्रपति ने उद्योग से एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाजारों की संभावनाओं को तलाशने का आह्वान किया। उन्होंने मूल्य संवर्धन पर ध्यान देने, निर्यात विविधीकरण, आयात निर्भरता कम करने, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने तथा सतत निर्यात को अपनाने की भी अपील की।

उन्होंने कहा कि वस्त्र क्षेत्र श्रम-प्रधान है और कृषि के बाद देश में रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। इस संदर्भ में उन्होंने श्रमिक कल्याण सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया।

उपराष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र के निर्यात दोगुने होने की संभावना है, जिससे बड़े पैमाने पर नए रोजगार सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि परिधान क्षेत्र विकसित और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

वस्त्र उद्योग से अपने व्यक्तिगत जुड़ाव का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे तिरुपुर से आते हैं, जो भारत का प्रमुख होजरी और निटवियर केंद्र है, और उन्होंने इस क्षेत्र के विकास को करीब से देखा है। उन्होंने संसद सदस्य के रूप में तथा वाणिज्य संबंधी संसदीय स्थायी समिति की वस्त्र उपसमिति के सह-अध्यक्ष के रूप में अपने अनुभवों को भी साझा किया।

उन्होंने सरकार और उद्योग के बीच सेतु के रूप में AEPC की भूमिका की सराहना की तथा परिषद की कॉफी टेबल बुक “Threads of Time: Story of India’s Textiles” का विमोचन भी किया।

इस अवसर पर दिल्ली एनसीटी सरकार के उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, AEPC के चेयरमैन सुधीर सेखड़ी, उपाध्यक्ष डॉ. ए. शक्तिवेल सहित वस्त्र एवं परिधान उद्योग के अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ‘टाइमलेस विज़डम ऑफ भारत’ सम्मेलन को किया संबोधित

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (20 दिसंबर 2025) हैदराबाद में ब्रह्माकुमारीज़ शांति सरोवर द्वारा आयोजित ‘टाइमलेस विज़डम ऑफ भारत: शांति और प्रगति के मार्ग’ विषयक सम्मेलन को संबोधित किया। यह सम्मेलन ब्रह्माकुमारीज़ शांति सरोवर की 21वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक समुदाय आज अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा है। इन परिवर्तनों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, सामाजिक संघर्ष, पारिस्थितिक असंतुलन और मानवीय मूल्यों के क्षरण जैसी गंभीर चुनौतियाँ भी सामने हैं। ऐसे समय में इस सम्मेलन का विषय अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि केवल भौतिक विकास से सुख और शांति प्राप्त नहीं होती, बल्कि आंतरिक स्थिरता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और मूल्य-आधारित दृष्टिकोण भी आवश्यक हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा ने हमें सत्य, अहिंसा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश दिया है। हमारी आध्यात्मिक विरासत विश्व की मानसिक, नैतिक और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है। आधुनिकता और अध्यात्म का संगम हमारी सभ्यता की सबसे बड़ी शक्ति है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’—संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानने की भावना—आज वैश्विक शांति की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अध्यात्म सामाजिक एकता और राष्ट्रीय प्रगति की सशक्त नींव है। जब व्यक्ति मानसिक स्थिरता, नैतिक मूल्यों और आत्मसंयम का विकास करता है, तो उसका व्यवहार समाज में अनुशासन, सहिष्णुता और सहयोग को बढ़ावा देता है। आध्यात्मिक चेतना से प्रेरित लोग अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं। ऐसे व्यक्ति राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय योगदान देते हैं।

राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि ब्रह्माकुमारीज़ संगठन दशकों से भारतीय सार्वभौमिक मूल्यों का प्रसार विभिन्न देशों में कर रहा है। यह संगठन लोगों के बीच शांति और सकारात्मकता का संचार कर समाज के नैतिक और भावनात्मक ताने-बाने को मजबूत कर रहा है। इस प्रकार यह राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


'मोर गांव, मोर पानी' महाअभियान के तहत विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

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गौरेला पेंड्रा मरवाही- जिला प्रसाशन, फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी और नवनिर्माण चेतना मंच के संयुक्त तत्वधान में जिला पंचायत के नर्मदा सभा कक्ष में शुक्रवार को “मोर गांव, मोर पानी” महाअभियान के तहत विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्राम सभाओं—भाडी, देवरीखुर्द, तिलोरा, पथर्रा एवं झिरनापोड़ी के सदस्यों, मेट, सचिव, रोजगार सहायक तथा पंचायत प्रतिनिधियों के लिए आयोजित किया गया। प्रशिक्षक नरेन्द्र यादव ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य गाँव में जल उपलब्धता बढ़ाने के विभिन्न उपायों की जानकारी देना एवं उस जल के माध्यम से आजीविका संवर्धन, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण तथा सामुदायिक एवं व्यक्तिगत लाभों को समझाना था।


कार्यक्रम में ग्राम सभा सदस्यों, सामुदायिक प्रबंधन समिति, मेट, सचिव, रोजगार सहायक तथा पंचायत प्रतिनिधियों को बताया गया कि मनरेगा एक मांग-आधारित कार्यक्रम है। इसलिए ग्राम सभा में ऐसे सामुदायिक कार्यों की पहचान कर उन्हें कार्ययोजना में शामिल करना आवश्यक है, जिससे संसाधनों का बेहतर प्रबंधन हो सके और जंगल तथा गाँव की समृद्धि बढ़े। प्रतिभागियों को चोटी से घाटी सिद्धांत सरल भाषा में समझाया गया। बताया गया कि यदि भू-जल स्तर बढ़ाना है और मिट्टी कटाव रोकना है, तो पहाड़ी की चोटी से घाटी की ओर योजनाबद्ध तरीके से कार्य चयन करना आवश्यक है, तथा उसी सिद्धांत के अनुरूप ग्राम सभा द्वारा मनरेगा कार्ययोजना में उपयुक्त संरचनाओं की मांग रखना जरूरी है।

प्रतिभागियों को सीएलएआरटी का प्रशिक्षण भी दिया गया। यह  एक जीआईएस आधारित टूल है, जो क्षेत्र के भू-जल और सतही जल की भौगोलिक विशेषताओं का विश्लेषण कर बताता है, कि कहाँ रिचार्ज संरचनाएँ और कहाँ सतही जल संग्रहण के उपाय उपयुक्त होंगे। यह टूल ग्रामवासियों के लिए सरल है और उन्हें स्वयं योजना तथा डिज़ाइन तैयार करने में सक्षम बनाता है। इससे अधिकारियों को मनरेगा अनुमोदन प्रक्रिया तेज करने और योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में भी सहायता मिलती है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थानीय समुदाय को अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं सतत प्रबंधन की दिशा में सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हो रहा है। प्रशिक्षण में नव निर्माण चेतना मंच से चन्द्र प्रताप सिंह, फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी से रामेश्वरी पूरी एवं रंजित पूरी उपस्थित थे।

पीएम मोदी का TMC पर तीखा प्रहार, बोले - वोट बैंक के लिए घुसपैठियों की ढाल बनी ममता सरकार

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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला। ताहेरपुर में फोन के माध्यम से आयोजित रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि ममता सरकार घुसपैठियों को बचाने के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि बंगाल में घुसपैठियों को TMC का खुला संरक्षण प्राप्त है और यह सब वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में TMC के ‘महाजंगल राज’ का अंत करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और तुष्टीकरण की राजनीति हावी है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि TMC चाहे जितनी बार और जितनी ताकत से भाजपा का विरोध करे, लेकिन बिहार चुनाव परिणामों ने साफ संकेत दे दिए हैं कि बंगाल में भी भाजपा के लिए रास्ते खुल रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा,
“आप मोदी का विरोध कर सकते हैं, लेकिन बंगाल की जनता को नाराज़ मत कीजिए। उनके अधिकारों का हनन मत कीजिए और उनके सपनों को चकनाचूर मत कीजिए।”
उन्होंने पश्चिम बंगाल की जनता से हाथ जोड़कर अपील की कि वे भाजपा को एक मौका दें ताकि राज्य के विकास को नई दिशा मिल सके।

इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के राणाघाट में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इनमें करीब 3,200 करोड़ रुपये की लागत वाली दो राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं शामिल हैं।

एनएच-34 के 66.7 किलोमीटर लंबे बरजागुली–कृष्णानगर खंड को चार लेन में बदलने का उद्घाटन

एनएच-34 के 17.6 किलोमीटर लंबे बारासात–बरजागुली खंड के चार लेन निर्माण का शिलान्यास

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, इन परियोजनाओं से कोलकाता और सिलीगुड़ी के बीच संपर्क बेहतर होगा और यात्रा समय लगभग दो घंटे कम हो जाएगा। साथ ही, इनसे क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटन को भी गति मिलेगी।

T20 वर्ल्ड कप 2026 से बाहर हुए शुभमन गिल, खराब फॉर्म और टीम कॉम्बिनेशन बना बड़ी वजह

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 India Squad For 2026 T20 World Cup : भारत में होने वाले आईसीसी टी-20 विश्व कप 2026 के लिए टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया है। चयनकर्ताओं ने वनडे और टेस्ट टीम के कप्तान शुभमन गिल को टी-20 वर्ल्ड कप टीम में शामिल नहीं किया है। बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया द्वारा टीम की घोषणा होते ही गिल की गैरमौजूदगी सबसे बड़ा चर्चा का विषय बन गई।


दरअसल, पिछले कुछ समय से गिल के चयन को लेकर सवाल उठ रहे थे। लंबे समय से खराब फॉर्म से जूझ रहे गिल आखिरकार चयनकर्ताओं की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए।

क्यों नहीं मिला शुभमन गिल को मौका?

  • शुभमन गिल का हालिया टी-20 प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
  • पिछले 18 टी-20 मैचों में गिल एक भी अर्धशतक नहीं लगा सके
  • उनकी एकमात्र मैच विनिंग पारी 2025 में पाकिस्तान के खिलाफ आई, जहां उन्होंने 28 गेंदों में 47 रन बनाए
  • टॉप ऑर्डर बल्लेबाज होने के बावजूद रन बनाने में लगातार असफल रहे
  • रनों के इस लंबे सूखे ने गिल की टी-20 वर्ल्ड कप की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

सूर्यकुमार यादव ने दी दो टूक सफाई

टीम की घोषणा के बाद जब कप्तान सूर्यकुमार यादव से शुभमन गिल को बाहर रखने पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने साफ कहा—

“गिल को बाहर करने का फैसला सिर्फ फॉर्म नहीं, बल्कि टीम कॉम्बिनेशन के आधार पर लिया गया है। हमें टॉप ऑर्डर में एक विकेटकीपर बल्लेबाज की जरूरत थी।”

एशिया कप और साउथ अफ्रीका सीरीज में भी निराशा

सितंबर में हुए एशिया कप को गिल की कमबैक सीरीज माना जा रहा था, लेकिन वहां भी वे प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे।
वहीं, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हाल ही में समाप्त 5 टी-20 मैचों की सीरीज में गिल का प्रदर्शन औसत से भी खराब रहा—

  • तीन मैचों में सिर्फ 4, 0 और 28 रन
  • लखनऊ टी-20 बारिश से रद्द

अंतिम मुकाबले में चोट के कारण बाहर

इन सभी कारणों को देखते हुए चयनकर्ताओं ने बड़ा और सख्त फैसला लेते हुए शुभमन गिल को T20 वर्ल्ड कप 2026 टीम से बाहर कर दिया।

छोटी सी उम्र में साहिबजादों ने वीरता और गौरव की जो मिसाल पेश की, वह युगों तक प्रेरणा देती रहेगी – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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बलिदान और कर्तव्य के गौरवशाली इतिहास से नई पीढ़ी को परिचित कराना हमारा नैतिक दायित्व - मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री साय वीर बाल रैली में हुए शामिल, हरी झंडी दिखाकर किया रैली का शुभारंभ

साहसिक गतिविधियों और भव्य झांकियों के साथ 5 हजार से अधिक स्कूली छात्र-छात्राओं ने निकाली ऐतिहासिक रैली

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग द्वारा  आयोजित वीर बाल रैली में शामिल हुए। मुख्यमंत्री साय ने राजधानी रायपुर के मरीन ड्राइव से रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस भव्य रैली में लगभग 5,000 से अधिक स्कूली छात्र-छात्राओं, स्काउट-गाइड एवं एनसीसी कैडेट्स ने सहभागिता की। रैली में सिख परंपरा की वीरता को दर्शाती गतका जैसी साहसिक गतिविधियों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों एवं प्रेरणादायी झांकियों ने उपस्थित जनसमूह को गहरे भावनात्मक स्तर पर जोड़ा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में हम दशम गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों — बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी — के अद्वितीय बलिदान को नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि केवल 9 वर्ष और 7 वर्ष की अल्पायु में साहिबजादों ने जिस अदम्य साहस, आस्था और बलिदान का परिचय दिया, वह मानव इतिहास में अनुकरणीय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इतनी छोटी उम्र में भी साहिबजादे किसी दबाव के आगे नहीं झुके, अपनी आस्था से विचलित नहीं हुए और धर्म एवं सत्य की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। यह बलिदान केवल सिख समाज ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है। साय ने कहा कि सिख धर्म की यह गौरवशाली परंपरा हम सभी के लिए गर्व का विषय है। नई पीढ़ी को साहिबजादों के बलिदान और मूल्यों से परिचित कराना हमारा नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 से वीर बाल दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की पहल अत्यंत सराहनीय है। इससे बच्चों और युवाओं में शौर्य, साहस और राष्ट्रप्रेम की भावना प्रबल हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम साहिबजादों के जीवन को देखते हैं, तो हमें दशम गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा दिए गए संस्कारों और शिक्षाओं पर गर्व होता है। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना कर अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष का मार्ग दिखाया। उनकी प्रेरक पंक्तियाँ “सवा लाख से एक लड़ाऊँ, चिड़ियन ते मैं बाज लड़ाऊँ, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहलाऊँ।” आज भी हर भारतीय के भीतर साहस और संघर्ष की चेतना जागृत करती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पंक्तियाँ हमें सिखाती हैं कि साधन नहीं, साहस और संकल्प ही विजय का मार्ग प्रशस्त करते हैं। भारत की धरती धन्य है, जिसने ऐसे महान गुरुओं और साहिबजादों को जन्म दिया। उन्होंने इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग एवं शिक्षा विभाग को बधाई और शुभकामनाएँ दीं। 

कैबिनेट मंत्री खुशवंत साहेब ने कहा कि साहिबजादों का बलिदान हमें निर्भीकता, सत्यनिष्ठा और राष्ट्रप्रथम की भावना का मार्ग दिखाता है। उनका जीवन हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है।

छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने साहिबजादों की शहादत के ऐतिहासिक प्रसंगों से उपस्थित जनसमूह को अवगत कराया।

इस अवसर पर रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा, क्रेडा अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी, सीजीएमएससी अध्यक्ष दीपक म्हस्के, छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा सहित सिख समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि, समाजसेवी एवं विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत G RAM G बिल पर शिवराज सिंह चौहान का लेख किया साझा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लिखे गए एक लेख को साझा किया है, जिसमें विकसित भारत G RAM G बिल के उद्देश्यों को रेखांकित किया गया है।

लेख में बताया गया है कि विकसित भारत G RAM G बिल का उद्देश्य ग्रामीण आजीविका में व्यापक परिवर्तन लाना है। इसके तहत रोजगार गारंटी को और सशक्त बनाने, स्थानीय स्तर पर योजना निर्माण को बढ़ावा देने, श्रमिकों की सुरक्षा और कृषि उत्पादकता के बीच संतुलन स्थापित करने, विभिन्न सरकारी योजनाओं के समन्वय, जमीनी स्तर पर कार्यरत कर्मियों की क्षमता बढ़ाने और शासन व्यवस्था के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है। लेख में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह विधेयक सामाजिक सुरक्षा से पीछे हटने का नहीं, बल्कि उसके नवीनीकरण का प्रतीक है।

केंद्रीय मंत्री द्वारा लिखे गए इस लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,

“इस अवश्य-पठनीय लेख में केंद्रीय मंत्री @ChouhanShivraj ने बताया है कि विकसित भारत G RAM G बिल किस प्रकार रोजगार गारंटी को मजबूत करके, स्थानीय योजना प्रक्रिया को सशक्त बनाकर, श्रमिक सुरक्षा और कृषि उत्पादकता के बीच संतुलन स्थापित करके, योजनाओं के समन्वय, जमीनी स्तर की क्षमता को मजबूत करने और शासन के आधुनिकीकरण के माध्यम से ग्रामीण आजीविका को रूपांतरित करने का लक्ष्य रखता है।

उन्होंने यह भी रेखांकित किया है कि यह विधेयक सामाजिक सुरक्षा से पीछे हटना नहीं है, बल्कि उसका नविकरण है।”

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