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आकांक्षा महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा स्थापित पोषण आहार निर्माण से यूनिट मिला रोजगार का अवसर

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सूरजपुर जिला के 366 आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलेगा लाभ

रायपुर-  एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (आई.सी.डी.एस) अंतर्गत आँगनवाडी केन्द्रों द्वारा दी जाने वाली छः सेवाओं में से पूरक पोषण आहार एक महत्वपूर्ण सेवा हैं । आँगनवाडी केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 3 वर्ष आयु के बच्चों, 3 वर्ष से 6 वर्ष आयु के बच्चों तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार का प्रदाय किया जाता हैं ।  योजना के अंतर्गत 11 से 14 वर्ष आयु की शाला त्यागी किशोरी बालिकाओ तथा 14 से 18 आयु वर्ग की सभी किशोरी बालिकाओं को प्रतिदिन 5/- रू. के मान से पूरक पोषण आहार का प्रदाय किया जा रहा हैं।

ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ शासन की महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण विभाग के मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े द्वारा विकासखंड भैयाथान के दर्रीपारा में आकांक्षा महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत स्थापित इस संयंत्र का गत लोकार्पण किया गया था।

366 आंगनबाड़ी केंद्रों को नियमित की जाएगी आपूर्ति 

जिला सूरजपुर की एकीकृत बाल विकास परियोजना भैयाथान अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों एवं महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आकांक्षा महिला स्वयं सहायता समूह, दर्रीपारा का चयन किया गया था।  इस आकांक्षा महिला स्वयं सहायता समूह, दर्रीपारा द्वारा लगभग 90 लाख रुपये की लागत से मीठा शक्ति आहार एवं पौष्टिक नमकीन दलिया निर्माण हेतु आधुनिक यूनिट की स्थापना की गई थी। महिला बाल विकास विभाग द्वारा मिली जानकारी में बताया गया कि इस यूनिट के माध्यम से परियोजना भैयाथान के अंतर्गत संचालित 366 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए लगभग 35 मीट्रिक टन मीठा शक्ति आहार एवं पौष्टिक नमकीन दलिया का निर्माण कर नियमित आपूर्ति की जाएगी।

महिला स्वयं सहायता समूहों को रोजगार का अवसर 

इस संयंत्र के माध्यम से एकीकृत बाल विकास परियोजना भैयाथान के आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरक पोषण आहार का वितरण सुनिश्चित किया जाएगा। यह पहल बच्चों एवं गर्भवती  महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार के साथ-साथ महिला स्वयं सहायता समूहों को रोजगार एवं आत्मनिर्भरता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अभिव्यक्ति कौशल को निखारने, गीत, कविता, नुक्कड़ नाटक का हुआ आयोजन

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आरंग- सुरक्षित शनिवार के तहत शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चरौदा में बच्चों की अभिव्यक्ति कौशल निखारने गीत, कविता,भाषण, नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए गीत, कविता, भाषण, नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए।इस मौके पर गीत कविता के साथ साथ बच्चों ने नाचा विधा से संबंधित नुक्कड़ नाटक की शानदार प्रस्तुति दी।जो बच्चों के लिए बड़ा ही आकर्षण का केंद्र रहा।इस मौके पर ग्राम के सरपंच देवशरण धीवर और उपसरपंच रवि बंजारे पहुंचकर बच्चों का उत्साह देख काफी प्रभावित हुए।उन्होंने कहा इस प्रकार के गतिविधियों से बच्चों में छिपी प्रतिभाओं को अवसर मिलता है।पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे अन्य विधाओं से भी अवगत होते हैं।वहीं शिक्षकों का कहना है बच्चों में झिझक दूर करने का अभिव्यक्ति कौशल एक बहुत ही अच्छा माध्यम है।ऐसे आयोजनों से बच्चे को अपनी प्रतिभा को प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है।

वही वरिष्ठ शिक्षक महेन्द्र पटेल ने भी छत्तीसगढ़ी गीत गाकर बच्चों को  गीत, कविता, भाषण प्रस्तुति के लिए प्रोत्साहित किया।इस अवसर पर संस्था प्रमुख के के परमाल, वरिष्ठ शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल, सूर्यकांत चन्द्राकार, डीलेश्वर साहू, शिक्षिका संगीता पाटले सहित बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों की उपस्थिति रही।


पीपला फाउंडेशन ने जताया डॉ पाणिग्राही का आभार

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महानदी में बने पुल का नाम "रानी पद्मावती" के नाम पर रखने किए थे मांग 

आरंग। स्वयंसेवी संस्था पीपला वेलफेयर फाउंडेशन ने संबलपुर डीविजन के डीआर यू सी सी मेम्बर डॉ  विश्वनाथ पाणीग्रही के माध्यम से रेलवे द्वारा आयोजित डी आर यू सी सी मीटिंग में महानदी पर बने नए  रेल पुल का नामकरण महादानी राजा मोरध्वज की धर्मपत्नी  "रानी पद्मावती"  के नाम पर रखने की मांग किए थे।  फाउंडेशन व क्षेत्र की जनता से जुड़ी इस मांग को डॉ विश्वनाथ ने  बैठक में प्रमुखता से उठाया। उन्होंने बताया फांऊडेशन और आरंग क्षेत्र की जनता की जनभावनाओं के अनुरूप महानदी पर बने पुल का नामकरण"रानी पद्मावती " के नाम पर करने का प्रस्ताव रखा था जिसे रेलवे ने स्पष्टीकरण देते हुए अस्वीकार कर दिया‌। रेलवे ने स्पष्टीकरण दिया है कि इस तरह का पौराणिक या ऐतिहासिक व्यक्ति विशेष के नाम पर कोई पुल का नामकरण का प्रावधान रेलवे में नहीं  है । डॉ पाणीग्राही  ने कहा कि  डिविजनल अधिकारियों के द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद भी मैं निराश नहीं हूं तथा इस मांग को रेलवे के उच्चाधिकारियों एवं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जी के समक्ष रखूंगा ।   पीपला फाउंडेशन ने डीआर यू सी सी मेंबर डॉ विश्वनाथ पाणिग्राही का उनके द्वारा फाउंडेशन व क्षेत्र की जनता की मांग को डी आर यू सी सी की मीटिंग में प्रमुखता से रखने के लिए आभार जताया है। वहीं फाउंडेशन के सदस्यों का कहना है महादानी राजा मोरध्वज की धर्मपत्नी महादानी रानी पद्मावती के नाम को अधिकांश लोग जानते भी नहीं है जिन्होंने अपने एकलौते पुत्र ताम्रध्वज को आरा में चिरकर भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन को अर्पित कर दी थी। उनके नाम पर आज तक कहीं कोई अस्पताल,स्कूल, कालेज, धर्मशाला, कोई पुल नहीं है। जिससे कि लोग रानी पद्मावती को स्मरण कर सके। ज्ञात हो कि यह संस्था महादानी राजा मोरध्वज व रानी पद्मावती से जुड़ी गाथा को स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल करने लगातार मांग कर रहे हैं।



जशपुर में बनेगा अत्याधुनिक तीरंदाजी अकादमी

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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की बड़ी सौगात 20.53 करोड़ की मिली स्वीकृति

रायपुर- अत्याधुनिक तीरंदाजी अकादमी का मतलब ऐसी अकादमी से है जहाँ खिलाड़ियों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण और बेहतरीन सुविधाएं (जैसे हॉस्टल, इनडोर/आउटडोर रेंज) मिलती हैं, ताकि वे राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर सकें। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में खेल सुविधाओं के विस्तार की दिशा में जशपुर जिले को एक और बड़ी सौगात मिली है। जिले के बगीचा विकासखंड के पंडरा पाठ में अत्याधुनिक तीरंदाजी अकादमी (आर्चरी सेंटर) के निर्माण के लिए स्वीकृति मिल गई है।इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण हेतु एनटीपीसी लिमिटेड द्वारा सीएसआर फंड से 20.53 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है।

युवा तीरंदाजों के लिए एक उत्कृष्ट प्रशिक्षण केंद्र बनेगा

नई तीरंदाजी अकादमी बनने से जिले के ग्रामीण और आदिवासी युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाएँ मिलेंगी। यह पहल आने वाले समय में जशपुर को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतिभाओं का हब बनाने में निर्णायक साबित होगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की खेल प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें विश्व पटल तक पहुँचाने की प्रतिबद्धता का यह एक और बड़ा उदाहरण है। अकादमी के बनने से जशपुर न केवल खेल के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाएगा, बल्कि यह देश के युवा तीरंदाजों के लिए एक उत्कृष्ट प्रशिक्षण केंद्र के रूप में उभरेगा। यह पहल खेलों के विकास और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा हैं। 

वित्तीय सहयोग एनटीपीसी के सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग से 

तीरंदाजी अकादमी के निर्माण में एनटीपीसी लिमिटेड अपनी कॉर्पाेरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) योजना के अंतर्गत वित्तीय सहयोग प्रदान करेगा। यहां आउटडोर और वातानुकूलित इनडोर तीरंदाजी रेंज, हाई परफॉर्मेंस ट्रेनिंग सेंटर, छात्रावास जैसे निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं।जशपुर के युवाओं में इस घोषणा को लेकर उत्साह का माहौल है और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का हृदय से आभार व्यक्त किया है।

अमित शाह ने आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में बस्तर ओलिंपिक के समापन समारोह को संबोधित किया

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रायपुर- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में बस्तर ओलिंपिक के समापन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमने तय किया था कि 31 मार्च, 2026 से पहले पूरे देश से लाल आतंक को खत्म कर देंगे और आज बस्तर ओलंपिक- 2025 में हम इस कगार पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष नवंबर-दिसंबर तक बस्तर ओलंपिक-2026 के समय तक पूरे भारत और छत्तीसगढ़ से लाल आतंक समाप्त हो चुका होगा औऱ नक्सलमुक्त बस्तर आगे बढ़ रहा होगा।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमने यह संकल्प लिया है कि पूरे बस्तर और भारत को नक्सलमुक्त कराना है। उन्होंने कहा कि हमें यहीं नहीं रुकना बल्कि कांकेर, कोंडागांव, बस्तर, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा के 7 ज़िलों का संभाग बस्तर, दिसंबर 2030 दिसंबर तक देश के सबसे अधिक विकसित आदिवासी संभाग बनेगा। उन्होंने कहा कि बस्तर के हर व्यक्ति को रहने के लिए घर, बिजली, शौचालय, नल से पीने का पानी, गैस सिलिंडर, 5 किलो अनाज और 5 लाख तक का मुफ्त इलाज, बस्तर के घर घर में पहुचाने का संकल्प हमारी सरकार का संकल्प है। शाह ने कहा कि हमने अगले पांच साल में बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि इसमें प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार और श्री विष्णुदेव साय जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार कंधे से कंधा मिलाकर बस्तर को विकसित बस्तर बनाने के लिए मिलकर आगे बढ़ेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बस्तर का हर गांव सड़क से जुड़ेगा, वहां बिजली होगी, 5 किलोमीटर के क्षेत्र में बैंकिंग सुविधाएं होंगी और सबसे घने पीएचसी/सीएचसी का नेटवर्क बनाने का काम भी हमारी सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में वन उपज की प्रोसेसिंग के लिए कोऑपरेटिव आधार पर यूनिट्स लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर के सातों ज़िले सभी आदिवासी ज़िलों में सबसे अधिक दूध उत्पादन कर डेयरी के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने वाले ज़िले बनेंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर में नए उद्योग, उच्च शिक्षा की व्यवस्था, भारत में सबसे अच्छा स्पोर्ट्स संकुल और अत्याधुनिक अस्पताल की व्यवस्था भी हम करेंगे। शाह ने कहा कि कुपोषण के लिए भी यहां विशेष स्कीम चलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है और जो नक्सलवाद के कारण घायल हुए हैं, उनके लिए एक बहुत आकर्षक पुनर्वसन योजना भी हम लाएंगे। गृह मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि नक्सलवाद समाप्त हो क्योंकि नक्सलवादी इस क्षेत्र के विकास पर नाग बनकर फन फैलाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद समाप्त होने के साथ ही इस क्षेत्र में विकास की एक नई शुरूआत होगी और प्रधानमंत्री मोदी जी और विष्णुदेव जी के नेतृत्व में यह सबसे विकसित क्षेत्र बनेगा।

अमित शाह ने कहा कि बस्तर ओलंपिक-2025 में सात ज़िलों की सात टीमें और एक टीम आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की थी। उन्होंने कहा कि जब 700 से अधिक सरेंडर्ड नक्सलियों ने इन खेलों में भाग लिया तो यह देखकर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के झांसे में आकर उनका पूरा जीवन तबाह हो जाता और हथियार डालकर मुख्यधारा में आने वाले ऐसे 700 से अधिक युवा आज खेल के रास्ते पर आए हैं। शाह ने दोहराया कि 31 मार्च, 2026 को यह देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने हिंसा में लिप्त नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि अब भी गुमराह होकर हमारे ही जो लोग हाथ में हथियार लेकर बैठे हैं, वो हथियार डाल दें, पुनर्वसन नीति का फायदा उठाएं, अपने और अपने परिवार के कल्याण के बारे में सोचें और विकसित बस्तर के संकल्प के साथ जुड़ जाएं। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से किसी का भला नहीं होता, न हथियार उठाने वाले लोगों का, न आदिवासियों और न सुरक्षाबलों का भला होता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ शांति ही विकास का रास्ता प्रशस्त कर सकती है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आत्मसमर्पण कर चुके 700 नक्सलियों ने इन खेलों में खिलाड़ी के रूप में सामने आकर पूरे देश के लिए बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों ने भय की जगह आशा चुनी, विभाजन की जगह एकता का रास्ता चुना और विनाश की जगह विकास का रास्ता चुना है और यही प्रधानमंत्री मोदी जी की नए भारत और विकसित बस्तर की संकल्पना है। उन्होंने कहा कि हमारे बस्तर की संस्कृति दुनियाभर में सबसे अधिक समृद्ध संस्कृति है। उन्होंने कहा कि सभी जनजातियों का खानपान, परिवेश, कला, वाद्य, नृत्य और पारंपरिक खेल सिर्फ छत्तीसगढ़ की नहीं बल्कि पूरे भारत की सबसे समृद्ध विरासत है।

अमित शाह ने कहा कि हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने आधुनिक रिकॉर्डिंग स्टूडियो बनाकर यहां के पारंपरिक गीतों को सहेजने का काम किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई परंपरागत उत्सव और त्योहार जो नक्सलवाद के लाल आतंक के साए में समाप्त होने की कगार पर थे, उन्हें भी आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि आज जिन खिलाड़ियों ने बस्तर ओलंपिक में भाग लिया है, उनकी प्रतिभा को पहचानने के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों  की एक टीम यहां आई है। शाह ने कहा कि इन खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचानकर आने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक खेलों में बस्तर के खिलाड़ी खेलें, वहां तक ले जाने की व्यवस्था हमारी सरकार ने की है। शाह ने कहा कि पिछले वर्ष बस्तर ओलंपिक में 1 लाख 65 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जबकि इस वर्ष  3 लाख 91 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है, जो लगभग ढाई गुना की वृद्धि है और बहनों की प्रतिभागिता में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यह उत्साह देखकर आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी जी ने खेलो इंडिया ट्राइबल गेम्स के लिए छत्तीसगढ़ को चुना है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बस्तर अब बदल रहा है और बस्तर अब भय नहीं भविष्य का पर्याय बन चुका है, जहां गोलियों की गूंज सुनाई देती थी, वहां आज स्कूल की घंटियां बज रही हैं। जहां सड़क बनाना एक सपना था, वहां आज रेलवे ट्रैक और राजमार्ग बिछाए जा रहे हैं, जहां लाल सलाम के नारे लगते थे, वहां आज भारत माता की जय के नारे लगते हैं। उन्होंने कहा कि हम सब विकसित बस्तर के लिए कृत संकल्पित हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार ने मुठभेड़ों में नक्सलियों को मारने का लक्ष्य नही रखा था, क्योंकि 2000 से अधिक नक्सली युवाओं ने सरेंडर भी किया है। उन्होंने कहा कि हमारे आदिवासी समाज के प्रमुखों ने इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया है, उनके मार्गदर्शन ने नक्सली युवाओं को ढांढस भी बंधाया है और हिम्मत भी दी है। गृह मंत्री ने समाज के प्रमुखों और समाजसेवकों से अपील करते हुए कहा कि जो लोग आज भी हथियार लेकर घूम रहे हैं, वे उन्हें समझाकर समाज की मुख्यधारा वापिस में लाने का काम करें।

केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर’ प्रदर्शनी का उद्घाटन, भारतीय शिल्प परंपराओं को मिली वैश्विक पहचान

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केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में “क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर (Crafted for the Future)” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत हस्तशिल्प आयुक्त (DC Handicrafts) के कार्यालय की इस पहल का उद्देश्य भारत की समृद्ध शिल्प परंपराओं को उजागर करना और सतत एवं समकालीन जीवन में उनकी प्रासंगिकता को प्रदर्शित करना है।

उद्घाटन समारोह में वस्त्र मंत्रालय की हस्तशिल्प आयुक्त अमृत राज, संयुक्त राष्ट्र आवासीय समन्वयक कार्यालय (भारत) की चीफ ऑफ स्टाफ राधिका कौल बत्रा, पारिस्थितिकी पुनर्स्थापक सुश्री पद्मावती द्विवेदी तथा ‘गिव मी ट्रीज़ ट्रस्ट’ के संस्थापक स्वामी प्रेम परिवर्तन (पीपल बाबा) सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

इस अवसर पर गिरिराज सिंह ने कहा कि आज का युवा पारंपरिक शिल्प को समझ रहा है और उसे वैश्विक दर्शकों के अनुरूप समकालीन उत्पादों के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने कहा कि कारीगरों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने और भारत के विविध शिल्पों को विश्व पटल तक पहुंचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

“क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर” दस दिवसीय प्रदर्शनी राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह का हिस्सा है और यह 21 दिसंबर 2025 तक आम जनता के लिए निःशुल्क प्रवेश के साथ खुली रहेगी। ‘वीव द फ्यूचर’ श्रृंखला के तीसरे संस्करण के रूप में यह प्रदर्शनी दैनिक जीवन की भौतिक संस्कृति पर विशेष जोर देती है—जहां समुदायों, उनके पर्यावरण और रोज़मर्रा के जीवन को आकार देने वाली सामग्रियों के बीच गहरे संबंध को दर्शाया गया है। देशभर के कारीगरों और सामग्री नवोन्मेषकों को सामने लाकर यह पहल पारिस्थितिक संतुलन, क्षेत्रीय पहचान और गहन सामग्री ज्ञान पर आधारित प्रथाओं को प्रदर्शित करती है।

कार्यक्रम में बोलते हुए अमृत राज ने कहा कि भारत की शिल्प परंपराओं को जीवित रखना केवल स्मृतियों को संजोना नहीं है, बल्कि शिल्प को एक जीवंत शक्ति के रूप में पहचानना है, जो हमारे भविष्य को आकार दे रही है।

‘क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर’ प्रदर्शनी में आगंतुकों के लिए कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनके माध्यम से वे भारत की भौतिक संस्कृति की उत्पत्ति, प्रक्रियाओं और समकालीन संभावनाओं को करीब से अनुभव कर सकते हैं। प्रदर्शनी में शामिल हैं—

  • रोज़मर्रा की सामग्रियों की यात्रा को दर्शाने वाले इमर्सिव इंस्टॉलेशंस

  • स्थानीय और पुनर्योजी सामग्रियों पर काम करने वाले कारीगरों और समूहों का क्यूरेटेड शिल्प बाज़ार

  • सामग्री की उत्पत्ति और शिल्प प्रक्रियाओं पर दैनिक फिल्म स्क्रीनिंग, प्रदर्शन और संवाद

  • सिरेमिक, कढ़ाई, ऊन, बांस, प्राकृतिक रंग, खाद्य परंपराओं आदि पर कारीगरों, डिज़ाइनरों और विशेषज्ञों द्वारा संचालित हैंड्स-ऑन कार्यशालाएं (कार्यशालाओं के लिए पंजीकरण आवश्यक)

यह आयोजन सामग्री की उत्पत्ति और शिल्प-आधारित पारिस्थितिक ज्ञान प्रणालियों के प्रति जन सहभागिता को प्रोत्साहित करता है तथा यह समझ विकसित करता है कि कैसे सामग्रियों और उनके निर्माताओं के साथ जागरूक संबंधों के माध्यम से एक सतत भविष्य का निर्माण किया जा सकता है।

बॉम्बे जिमखाना की 150वीं वर्षगांठ पर डाक विभाग ने जारी किया स्मारक डाक टिकट

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 डाक विभाग ने बॉम्बे जिमखाना की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्मारक डाक टिकट जारी किया है, जो इसके खेल उत्कृष्टता की समृद्ध विरासत और राष्ट्र में इसके स्थायी सांस्कृतिक योगदान का जश्न मनाता है।

यह स्मारक डाक टिकट मुंबई के बॉम्बे जिमखाना में केंद्रीय संचार और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया द्वारा जारी किया गया, जिसमें राज्यसभा सदस्य मिलिंद देओरा, बॉम्बे जिमखाना के अध्यक्ष संजीव सारन मेहरा, पोस्टमास्टर जनरल, नवी मुंबई क्षेत्र, सुचिता जोशी, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों एवं बॉम्बे जिमखाना के सदस्यों की उपस्थिति रही।

बॉम्बे जिमखाना की 150वीं वर्षगांठ पर स्मारक डाक टिकट का विमोचन

इस अवसर पर बोलते हुए, ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आशा व्यक्त की कि यह स्मारक डाक टिकट प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में यात्रा करता हुए संदेशवाहक की भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि जैसे खेल में कहानियां और मूल्य छिपे होते हैं, वैसे ही यह टिकट भी युवाओं को खेलों में भाग लेने, सक्रिय रहने और संस्थाओं की सकारात्मक भूमिका में विश्वास रखने के लिए प्रेरित करेगा।

सिंधिया ने भारत पोस्ट और बॉम्बे जिमखाना क्लब के बीच समानता की ओर इशारा करते हुए कहा कि दोनों संस्थाएं भावनाओं को संप्रेषित करने, लोगों को जोड़ने और पीढ़ियों को जोड़ने के उद्देश्य से स्थापित हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण और अडिग समर्थन के तहत डाक विभाग एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है—यह अपनी पारंपरिक प्रणालियों को पुनर्परिभाषित कर रहा है, सेवा विस्तार कर रहा है और अगले पांच वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा और सर्वसमावेशी लॉजिस्टिक्स संगठन बनने की दिशा में अग्रसर है।

1875 में स्थापित, बॉम्बे जिमखाना भारत की खेल और सामाजिक विरासत में एक प्रतिष्ठित स्तंभ के रूप में खड़ा है। इसने कई पीढ़ियों के खिलाड़ियों का पोषण किया और सांस्कृतिक व खेल गतिविधियों का एक जीवंत केंद्र बनकर कार्य किया। डेढ़ शताब्दी के दौरान इस संस्थान ने खेल भावना, सहयोग और सामुदायिक जुड़ाव की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

स्मारक डाक टिकट का विवरण

इस विशेष डाक टिकट में बॉम्बे जिमखाना के प्रतिष्ठित परिसर और मैदान को खूबसूरती से चित्रित किया गया है, जो इसके स्थायी विरासत और भारत के खेल क्षेत्र में योगदान का प्रतीक है।

इस विशेष अंक के माध्यम से डाक विभाग ने संस्था के 150 वर्षों के सफर को सम्मानित किया और भारत की समृद्ध खेल उपलब्धियों को फिलाटेली (डाक टिकट संग्रहण) के माध्यम से संरक्षित और प्रदर्शित करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।

स्मारक डाक टिकट जनता के लिए फिलाटेलिक ब्यूरो और ऑनलाइन www.epostoffice.gov.in के माध्यम से उपलब्ध होगा।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का संबोधन

सिंधिया ने इस अवसर पर यह भी कहा कि बॉम्बे जिमखाना न केवल खेलों में उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से युवाओं में प्रेरणा और नेतृत्व कौशल को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने डाक विभाग के इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह स्मारक डाक टिकट भविष्य की पीढ़ियों को इस ऐतिहासिक संस्था की विरासत से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण पर CAQM की सख्ती, राज्यों को कड़े निर्देश

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की सुरक्षा एवं प्रवर्तन उप-समिति ने 12 दिसंबर 2025 को दिल्ली–एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों के कड़े प्रवर्तन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बैठक आयोजित की। उप-समिति की यह 23वीं बैठक थी, जिसमें एनसीआर के राज्य सरकारों/दिल्ली सरकार (GNCTD) द्वारा वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किए गए क्षेत्र-विशिष्ट प्रवर्तन कार्यों की समीक्षा की गई, विशेष रूप से वर्तमान में लागू ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) की अवधि के दौरान।

GNCTD के लिए

अवलोकन:

दिल्ली सरकार को विभिन्न हॉटस्पॉट्स पर यातायात जाम, सड़क की धूल, नगर निगम ठोस अपशिष्ट (MSW) के निस्तारण और उसके जलने की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटना होगा।

आयोग द्वारा दिए गए निर्देश:

  • चिन्हित हॉटस्पॉट्स पर यातायात जाम कम करने के लिए केंद्रित मासिक बैठकें आयोजित की जाएं।

  • पीएम2.5 और पीएम10 के स्तर को कम करने के लिए सड़कों की वैक्यूमिंग की जाए।

  • एमसीडी और एनडीएमसी द्वारा नगर निगम ठोस अपशिष्ट का समुचित संग्रहण और निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।

  • एमएसडब्ल्यू और बायोमास जलाने की घटनाओं पर रोक के लिए रात्रिकालीन गश्त को तेज किया जाए।

  • पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरों के माध्यम से प्रवर्तन को सख्त किया जाए।

हरियाणा के एनसीआर जिलों के लिए

अवलोकन:

हरियाणा का प्रदर्शन यातायात जाम, सड़क की धूल और एमएसडब्ल्यू निस्तारण से निपटने के मामले में संतोषजनक नहीं पाया गया।

आयोग के निर्देश:

  • विभिन्न एजेंसियों और विभागों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

  • वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले विभिन्न क्षेत्रों में अचानक/गोपनीय निरीक्षण के लिए समर्पित टीमें गठित की जाएं।

  • गुरुग्राम में यातायात जाम कम करने के लिए एमसीजी को हॉटस्पॉट्स की पहचान की व्यवस्था मजबूत करनी होगी तथा वाहन प्रदूषण पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

  • एमएसडब्ल्यू और बायोमास जलाने की रोकथाम हेतु रात्रिकालीन गश्त तेज की जाए।

  • पेट्रोल पंपों पर एएनपीआर कैमरों की स्थापना कर प्रवर्तन को और सख्त किया जाए।

उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर जिलों के लिए

अवलोकन एवं निर्देश:

उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों का प्रदर्शन वायु प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में तुलनात्मक रूप से संतोषजनक पाया गया। हालांकि, विशेष रूप से वाहन क्षेत्र में केंद्रित कार्रवाई के लिए तय समयसीमा का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना होगा।

आयोग ने उत्तर प्रदेश और राजस्थान दोनों के एनसीआर जिलों के लिए वाहन एग्रीगेटर्स, डिलीवरी सेवा प्रदाताओं और ई-कॉमर्स इकाइयों हेतु वेब पोर्टल विकसित करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 निर्धारित की है। इसके साथ ही राजस्थान को इन संस्थाओं की निगरानी के लिए अपनी नीति भी 31 दिसंबर 2025 तक अधिसूचित करनी होगी। किसी भी प्रकार की लापरवाही की स्थिति में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

उप-समिति ने सभी एनसीआर राज्यों और दिल्ली सरकार को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए निगरानी, विश्लेषण और प्रभावी शमन हेतु एआई आधारित और अन्य उन्नत तकनीकी समाधानों को तेजी से अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

बैठक में यह भी रेखांकित किया गया कि विशेष रूप से शीतकाल के दौरान दिल्ली–एनसीआर में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए सभी संबंधित एजेंसियों के सामूहिक और समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। सभी कार्यान्वयन एजेंसियों ने आश्वासन दिया कि वे वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों की नियमित समीक्षा करेंगी और विभिन्न क्षेत्रों में सख्त एवं प्रभावी कार्रवाई जारी रखेंगी।

फर्जी दान और गलत कर कटौती पर CBDT की सख्त कार्रवाई, करदाताओं के लिए ‘नज’ अभियान शुरू

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हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर अधिनियम के तहत फर्जी कटौतियों और छूट के दावों के साथ आयकर रिटर्न दाखिल कराने में संलिप्त कई बिचौलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में यह सामने आया कि कुछ बिचौलियों ने पूरे देश में अपने एजेंटों का एक संगठित नेटवर्क बना रखा था, जो कमीशन के आधार पर गलत दावों के साथ आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे थे।



जांच में यह पाया गया कि बड़ी मात्रा में फर्जी दावे पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) या कुछ चैरिटेबल संस्थाओं को दान के नाम पर किए गए थे। इन फर्जी दावों के जरिए करदाताओं ने अपनी कर देनदारी कम की और कई मामलों में गलत तरीके से रिफंड भी प्राप्त किए। प्रवर्तन कार्रवाइयों से जुटाए गए साक्ष्यों से यह संकेत मिला कि अनेक RUPPs न तो नियमित रूप से रिटर्न दाखिल कर रहे थे, न ही अपने पंजीकृत पते पर सक्रिय पाए गए और न ही किसी वास्तविक राजनीतिक गतिविधि में संलग्न थे। ऐसे संगठनों का उपयोग धन की हेराफेरी, हवाला लेनदेन, सीमा-पार प्रेषण तथा फर्जी दान रसीदें जारी करने के लिए किया जा रहा था। इसके बाद CBDT ने इन RUPPs और ट्रस्टों के खिलाफ अनुवर्ती तलाशी अभियान चलाए, जिनमें व्यक्तियों द्वारा फर्जी दान और कंपनियों द्वारा फर्जी CSR दावों से संबंधित आपत्तिजनक साक्ष्य प्राप्त हुए।

CBDT ने संदिग्ध दावों की शीघ्र पहचान और उच्च जोखिम वाले व्यवहार पैटर्न का पता लगाने के लिए अपने डेटा-आधारित दृष्टिकोण को और मजबूत किया है। ऐसा ही एक जोखिम पैटर्न उन करदाताओं के लिए चिन्हित किया गया है, जिन्होंने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80GGC या 80G के तहत कटौती का दावा किया है। डेटा विश्लेषण से यह संकेत मिला कि कई करदाता संदिग्ध संस्थाओं को किए गए दान पर कटौती का दावा कर रहे हैं या संस्थाओं की वास्तविकता जांचने हेतु आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में करदाताओं ने चालू आकलन वर्ष 2025-26 के लिए अपने आयकर रिटर्न संशोधित किए हैं तथा पिछले वर्षों के लिए अद्यतन रिटर्न भी दाखिल किए हैं।

करदाताओं के हित में एक लक्षित “नज” (NUDGE) अभियान भी शुरू किया गया है, जिसके तहत उन्हें अपने आयकर रिटर्न अपडेट करने और यदि कोई गलत दावा किया गया हो तो उसे वापस लेने का अवसर दिया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत 12 दिसंबर 2025 से संबंधित करदाताओं के पंजीकृत मोबाइल नंबरों और ईमेल पतों पर एसएमएस और ईमेल के माध्यम से परामर्श संदेश भेजे जा रहे हैं।

सभी करदाताओं को सलाह दी गई है कि वे विभाग के साथ अपने रिटर्न दाखिल करते समय सही मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी अवश्य दर्ज करें, ताकि विभाग की ओर से भेजी जाने वाली किसी भी महत्वपूर्ण सूचना से वे वंचित न रहें।

कटौती प्रावधानों और अद्यतन रिटर्न दाखिल करने से संबंधित अतिरिक्त जानकारी आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट www.incometax.gov.in पर उपलब्ध है।

नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार: 11 वर्षों में 126 से 11 जिलों तक सिमटा रेड कॉरिडोर

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 मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

  • नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2014 में 126 से घटकर 2025 में केवल 11 रह गई है, जबकि सर्वाधिक प्रभावित जिले 36 से घटकर सिर्फ 3 रह गए हैं—यह रेड कॉरिडोर के लगभग पतन को दर्शाता है।

  • 12,000 किमी से अधिक सड़कें, 586 सुदृढ़ पुलिस थाने, 361 नए सुरक्षा कैंप, 8,500 से अधिक मोबाइल टावरों की स्थापना और ₹92 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्ती से नक्सलियों का भौगोलिक व आर्थिक वर्चस्व समाप्त हुआ है।

  • वर्ष 2025 में अब तक 317 नक्सली ढेर, 800 से अधिक गिरफ्तार और लगभग 2,000 ने आत्मसमर्पण किया—यह ऐतिहासिक क्षरण नक्सलमुक्त भारत की दिशा में मार्च 2026 तक अपरिवर्तनीय गति को दर्शाता है।

परिचय

वामपंथी उग्रवाद (नक्सलवाद) के विरुद्ध केंद्र सरकार की निर्णायक और एकीकृत रणनीति के चलते देशभर में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभूतपूर्व कमी आई है। 2014 में 36 सर्वाधिक प्रभावित जिले घटकर 2025 में केवल 3 रह गए हैं, जबकि कुल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 11 हो गई है। सरकार ने बिखरी हुई नीतियों के स्थान पर संवाद → सुरक्षा → समन्वय के स्पष्ट सिद्धांतों पर आधारित बहुआयामी रणनीति अपनाई है और मार्च 2026 तक हर नक्सल प्रभावित क्षेत्र को पूरी तरह नक्सलमुक्त करने का लक्ष्य तय किया है।

10 वर्षों में नक्सली हिंसा में बड़ी गिरावट

रेड कॉरिडोर के अंतर्गत छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश–तेलंगाना के कुछ हिस्से प्रभावित थे। सरकार की बहुस्तरीय रणनीति से हिंसा में तेज गिरावट आई है।

2004–2014 की तुलना में 2014–2024 के दौरान:

  • नक्सली हिंसक घटनाओं में 53% की कमी (16,463 से 7,744)।

  • सुरक्षा बलों की शहादत में 73% की गिरावट (1,851 से 509)।

  • नागरिक मौतों में 70% की कमी (4,766 से 1,495)।

2024–2025 की प्रमुख परिचालन उपलब्धियां

  • 2025 में अब तक 317 नक्सली ढेर, 862 गिरफ्तार और 1,973 ने आत्मसमर्पण किया।

  • 2024 में 290 ढेर, 1,090 गिरफ्तार और 881 आत्मसमर्पण।

  • कुल 28 शीर्ष नक्सली नेताओं का सफाया, जिनमें 2024 में 1 और 2025 में 5 केंद्रीय समिति सदस्य शामिल।

  • ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में 27 हार्डकोर नक्सली ढेर।

  • मई 2025 में बीजापुर में 24 का आत्मसमर्पण; अक्टूबर 2025 में छत्तीसगढ़ (197) और महाराष्ट्र (61) में कुल 258 आत्मसमर्पण, जिनमें 10 वरिष्ठ नक्सली शामिल।

सुरक्षा परिधि में मजबूती

  • 2014 में 36 के मुकाबले 2025 में केवल 3 सर्वाधिक प्रभावित जिले।

  • कुल प्रभावित जिले 126 से घटकर 11।

  • 2014 तक 66 के मुकाबले पिछले 10 वर्षों में 586 सुदृढ़ पुलिस थाने

  • नक्सली घटनाओं वाले पुलिस थानों की संख्या 2013 में 330 (76 जिलों) से घटकर जून 2025 तक 52 (22 जिलों) रह गई।

  • 361 नए सुरक्षा कैंप और 68 नाइट-लैंडिंग हेलिपैड का निर्माण।

नक्सलियों की फंडिंग पर निर्णायक प्रहार

  • NIA में विशेष वर्टिकल के जरिए ₹40 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त।

  • राज्यों द्वारा ₹40 करोड़ से अधिक और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ₹12 करोड़ की कुर्की।

  • शहरी नक्सल नेटवर्क और सूचना युद्ध क्षमता को गंभीर क्षति।

राज्यों की क्षमता निर्माण में केंद्र की भूमिका

  • SRE योजना के तहत 11 वर्षों में ₹3,331 करोड़ (पिछले 10 वर्षों में 155% वृद्धि)।

  • विशेष अवसंरचना योजना (SIS) के तहत SF/SIB और पुलिस सुदृढ़ीकरण हेतु हजारों करोड़ की स्वीकृति।

  • 2017–18 से अब तक ₹1,757 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत, ₹445 करोड़ जारी।

  • 586 सुदृढ़ पुलिस थाने निर्मित।

  • SCA योजना के तहत ₹3,817.59 करोड़।

  • ACALWEMS के तहत कैंप अवसंरचना व अस्पताल उन्नयन के लिए सहायता।

अवसंरचना विकास

सड़क संपर्क:

  • मई 2014 से अगस्त 2025 तक 12,000 किमी सड़कें; 17,589 किमी परियोजनाएं ₹20,815 करोड़ की लागत से स्वीकृत।

मोबाइल कनेक्टिविटी:

  • 2G टावर: 2,343 (₹4,080 करोड़)।

  • चरण-2: 2,542 स्वीकृत (₹2,210 करोड़), 1,154 स्थापित।

  • 4G सैचुरेशन/आकांक्षी जिलों में 8,527 स्वीकृत; हजारों टावर कार्यरत।

वित्तीय समावेशन

  • 1,804 बैंक शाखाएं, 1,321 एटीएम, 37,850 बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट।

  • 90 जिलों में 5,899 डाकघर—हर 5 किमी पर सेवाएं।

शिक्षा एवं कौशल विकास (48 जिले)

  • 48 आईटीआई (₹495 करोड़) और 61 स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्वीकृत।

  • 46 आईटीआई और 49 एसडीसी कार्यरत—स्थानीय युवाओं को रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण।

NIA में अलग वर्टिकल व स्थानीय बलों का सशक्तिकरण

  • 108 मामलों की जांच, 87 में चार्जशीट—संगठनात्मक ढांचे को गहरी चोट।

  • 2018 में बस्तरिया बटालियन का गठन—स्थानीय युवाओं की भागीदारी से पूर्व गढ़ों में निर्णायक बढ़त।

3 दशकों बाद मुक्त हुए क्षेत्र (सफलता कथाएं)

  • ऑपरेशन ऑक्टोपस, डबल बुल, चकबंदा से बूढ़ा पहाड़, पारसनाथ, बरामसिया, चक्रबंधा जैसे गढ़ मुक्त।

  • अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्रों तक स्थायी कैंप।

  • PLGA की मुख्य शक्ति का विघटन और 2024 की TCOC का पूर्ण विफल होना।

आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति

  • वरिष्ठ कैडर को ₹5 लाख, मध्यम/निम्न को ₹2.5 लाख।

  • 36 माह तक प्रशिक्षण हेतु ₹10,000 मासिक स्टाइपेंड।

  • इस वर्ष 521 आत्मसमर्पण; नई राज्य सरकार के बाद कुल 1,053—मुख्यधारा में सफल पुनर्वास।

निष्कर्ष

पिछले 11 वर्षों में केंद्र सरकार की समन्वित, बहुआयामी रणनीति—सुरक्षा कार्रवाई, अवसंरचना विस्तार, वित्तीय नाकेबंदी, विकास संतृप्ति और आकर्षक आत्मसमर्पण नीति—ने नक्सलवाद को 2014 के 126 जिलों से घटाकर 2025 में केवल 11 जिलों तक सीमित कर दिया है। हिंसा में 70% से अधिक कमी, शीर्ष नेतृत्व का सफाया और हजारों कैडरों का पुनर्वास इस बात का प्रमाण है कि नक्सल आंदोलन की वैचारिक और क्षेत्रीय रीढ़ टूट चुकी है। मार्च 2026 तक लक्ष्य प्राप्ति के लिए सतत सतर्कता आवश्यक है, पर दिशा स्पष्ट है—शांति और विकास का नया अध्याय।

संसद पर 2001 के आतंकी हमले की बरसी पर शहीदों को राष्ट्र की भावभीनी श्रद्धांजलि

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भारत ने आज वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी पर राष्ट्र की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सुरक्षा कर्मियों और कर्मचारियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रीगण, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, संसद सदस्य, पूर्व सांसद एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह, राज्यसभा के महासचिव पी. सी. मोदी तथा शहीदों के परिजनों ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।

इससे पहले दिन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक्स (X) पर एक संदेश साझा करते हुए कहा:

“वर्ष 2001 में भारत की संसद पर हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले में शहीद हुए हमारे वीर सुरक्षा कर्मियों और कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों के सर्वोच्च बलिदान को नमन।

लोकतंत्र की इस सर्वोच्च संस्था—हमारी संसद—की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले नायकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। राष्ट्र के प्रति उनकी अद्वितीय निष्ठा और समर्पण सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।

अमर शहीदों ने जिस वीरता और साहस के साथ आतंकवादियों का सामना किया, वह कर्तव्यनिष्ठा के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत की अडिग प्रतिबद्धता का प्रतीक है। भारत हमेशा आतंकवाद के विरुद्ध दृढ़ता से खड़ा रहा है। राष्ट्र की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता केवल एक औपचारिक घोषणा नहीं, बल्कि यह एक सशक्त संदेश है कि भारत किसी भी प्रकार की आतंकवादी मंशा के सामने कभी नहीं झुकेगा।

यह अनुपम बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए साहस, निस्वार्थता और कर्तव्यपरायणता की प्रेरणा बना रहेगा।”

राष्ट्र स्मरण करता है कि 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकवादी हमले को विफल करते हुए राज्यसभा सचिवालय के सुरक्षा सहायक जगदीश प्रसाद यादव और मटबर सिंह नेगी; केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की कांस्टेबल कमलेश कुमारी; दिल्ली पुलिस के सहायक उपनिरीक्षक नानक चंद और रामपाल; दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश, बिजेंद्र सिंह और घनश्याम; तथा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के माली देशराज ने वीरगति प्राप्त की।

उनकी असाधारण वीरता के सम्मान में जगदीश प्रसाद यादव,  मटबर सिंह नेगी और कमलेश कुमारी को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया, जबकि नानक चंद, रामपाल, ओम प्रकाश, बिजेंद्र सिंह और  घनश्याम को मरणोपरांत कीर्ति चक्र प्रदान किया गया।


डिजिटल कनेक्टिविटी से बदलेगा नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़, 513 टावर स्वीकृत

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 रायपुर: डिजिटल भारत निधि के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में बीएसएनएल के माध्यम से 513 नए 4G मोबाइल टावर स्थापित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे नक्सल प्रभावित और दूरस्थ अंचलों में शांति, सुरक्षा और विकास के साझा प्रयासों का महत्वपूर्ण प्रतिफल बताया है।


मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह निर्णय नक्सल उन्मूलन की दिशा में चल रहे प्रभावी प्रयासों की एक मजबूत कड़ी है। सुरक्षा बलों की सतत कार्रवाई और प्रशासनिक समन्वय से जिन क्षेत्रों में स्थायित्व स्थापित हुआ है, वहां अब विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार सुनिश्चित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन 4G मोबाइल टावरों की स्थापना से सुदूर और दुर्गम इलाकों में रहने वाली जनता को पहली बार सुलभ और विश्वसनीय मोबाइल एवं इंटरनेट सेवाएं प्राप्त होंगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, प्रशासनिक सेवाओं और आपातकालीन संचार की सुविधा सशक्त होगी।

उन्होंने कहा कि डिजिटल कनेक्टिविटी का यह विस्तार वित्तीय समावेशन की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा। मोबाइल नेटवर्क के सशक्त होने से बैंकिंग सेवाएं, डीबीटी, यूपीआई, बीमा, पेंशन और अन्य डिजिटल सेवाओं की पहुंच आम नागरिकों तक सहज रूप से सुनिश्चित हो सकेगी।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह पहल “डिजिटल इंडिया” के उस मूल उद्देश्य को साकार करती है, जिसमें अंतिम छोर तक विकास पहुंचाने का संकल्प निहित है। इससे स्थानीय युवाओं को डिजिटल माध्यमों से नए अवसर मिलेंगे और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए सुरक्षा के साथ-साथ विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार भी इस विजन के अनुरूप केंद्र के साथ मिलकर राज्य के प्रत्येक नागरिक को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ की जनता की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय छत्तीसगढ़ को डिजिटल रूप से सशक्त, सुरक्षित और समावेशी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

छत्तीसगढ़ सरकार के दो वर्ष पूरे, हर वर्ग के लिए किए गए ठोस कार्य : अरुण साव

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि बीते दो साल सरकार की उपलब्धियों से भरे रहे हैं। किसानों, युवाओं, महिलाओं, भूमिहीनों और गरीबों सहित समाज के हर वर्ग के हित में ठोस निर्णय लिए गए हैं।


उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार गठन के साथ ही पहली कैबिनेट बैठक में ‘मोदी की गारंटी’ को पूरा करने का निर्णय लिया गया था, जिस पर लगातार अमल किया जा रहा है। विकास, सुशासन और जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए सरकार विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राज्यभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर अरुण साव ने बताया कि रविवार से सत्र की शुरुआत होगी। सत्र के दौरान ‘विजन 2047’ पर विशेष चर्चा प्रस्तावित है। साथ ही ‘वंदे मातरम्’ पर भी चर्चा हो सकती है। विजन 2047 पर विपक्ष के बहिष्कार के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह विपक्ष का अपना निर्णय है। विधानसभा संवाद और चर्चा का मंच है, ऐसे में जिम्मेदार विपक्ष को विकसित छत्तीसगढ़ पर होने वाली चर्चा में भाग लेना चाहिए।

बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह के संबंध में उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री शामिल होंगे। बस्तर ओलंपिक में 3.97 लाख युवाओं ने पंजीयन कराया, जबकि तीन हजार से अधिक खिलाड़ी प्रतियोगिताओं में पहुंचे। उद्घाटन समारोह में बॉक्सिंग स्टार मैरी कॉम उपस्थित रहीं, वहीं समापन समारोह में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया शिरकत करेंगे। उनके आगमन से बस्तर क्षेत्र के युवाओं को नई प्रेरणा मिलेगी।

संसद पर आतंकी हमले में शहीद सुरक्षा कर्मियों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की श्रद्धांजलि

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केंद्रीय गृह मंत्री और सहयोगिता मंत्री अमित शाह ने आज 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले में आतंकवादियों को कड़ा जवाब देते हुए शहीद हुए सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

एक्स (X) पर अपने पोस्ट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा:

"आज का दिन हमें फिर से याद दिलाता है कि हमारे सुरक्षा बलों का आतंकवाद के खिलाफ अदम्य साहस और शौर्य, जब उन्होंने 2001 में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर—संसद भवन—पर हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले को अपने उत्साह और समर्पण से विफल किया। मैं उन सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ जिन्होंने आतंकवादियों को कड़ा जवाब देते हुए शहीदता प्राप्त की। यह राष्ट्र हमेशा इन वीर योद्धाओं के बलिदान और शहादत का ऋणी रहेगा।"

विदेशी पत्रकारों के लिए CERT-In ने आयोजित किया साइबर सुरक्षा परिचयात्मक सत्र, भारत को बताया वैश्विक साइबर हब

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भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने विदेश मंत्रालय (MEA) के सहयोग से 12 दिसंबर 2025 को यूरोप, अमेरिका और मध्य एशियाई देशों से आए पत्रकारों के लिए साइबर सुरक्षा से संबंधित एक परिचयात्मक भ्रमण एवं संवादात्मक सत्र का आयोजन किया।

इस सत्र की अध्यक्षता CERT-In के महानिदेशक एवं नियंत्रक (प्रमाणन प्राधिकारी), MeitY, नई दिल्ली के डॉ. संजय बहल ने की। MeitY के संयुक्त सचिव कृष्ण कुमार सिंह ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए मंत्रालय की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला, जिनमें इंडिया एआई इम्पैक्ट समिट भी शामिल है।

डॉ. बहल ने साइबर सुरक्षा, संकट प्रबंधन, कमजोरियों के आकलन, सूचना साझा करने, साइबर घटनाओं पर समन्वित प्रतिक्रिया, ऑडिटरों के पैनल गठन तथा भारत में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों में CERT-In की भूमिका और जिम्मेदारियों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि शोध सहयोग, सार्वजनिक–निजी भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय मंचों में सहभागिता के माध्यम से CERT-In, डिजिटल इंडिया के विजन के अनुरूप एक मजबूत और विश्वसनीय साइबर रक्षा संरचना का निर्माण कर रहा है।

डॉ. बहल ने कहा कि CERT-In उभरते खतरों के विरुद्ध समय पर चेतावनियां और लक्षित परामर्श जारी करता है, जिससे अनावश्यक घबराहट के बिना संगठनों और नागरिकों को अग्रिम सुरक्षा मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि भारत तेजी से एक वैश्विक साइबर सुरक्षा केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां 400 से अधिक स्टार्टअप्स और 6.5 लाख से अधिक कुशल पेशेवरों की भागीदारी से 20 अरब डॉलर का साइबर सुरक्षा उद्योग विकसित हो चुका है। ये नवोन्मेषक थ्रेट डिटेक्शन, साइबर फॉरेंसिक्स और एआई आधारित निगरानी प्रणालियों जैसे उन्नत समाधान विकसित कर रहे हैं।

उभरते खतरे परिदृश्य पर बात करते हुए डॉ. बहल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक दोधारी तलवार की तरह है, जो रक्षकों और हमलावरों—दोनों को सक्षम बनाती है। उन्होंने बताया कि CERT-In वास्तविक समय में साइबर घटनाओं का पता लगाने, उन्हें रोकने और प्रतिक्रिया देने के लिए एआई आधारित विश्लेषण और स्वचालन का उपयोग करता है, साथ ही दुर्भावनापूर्ण एआई-सक्षम हमलों से निपटने के लिए प्रतिरोधक उपाय भी विकसित कर रहा है।

प्रतिनिधिमंडल को CERT-In द्वारा निरंतर आयोजित ड्रिल्स, क्षमता निर्माण पहलों और अंतरराष्ट्रीय सहयोगों की जानकारी दी गई। इसमें फ्रांस की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी (ANSSI) के साथ मिलकर एआई पर ‘बिल्डिंग ट्रस्ट इन एआई थ्रू ए साइबर रिस्क-बेस्ड अप्रोच’ शीर्षक से संयुक्त उच्चस्तरीय जोखिम विश्लेषण रिपोर्ट प्रकाशित करना, अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ संयुक्त अभ्यास तथा वैश्विक और क्षेत्रीय साइबर सुरक्षा मंचों में सहभागिता शामिल है। इसके अलावा, भारतीय सहकारी बैंकों की साइबर सुरक्षा मजबूती और नागरिकों के डिजिटल उपकरणों को बॉट्स व मैलवेयर से सुरक्षित रखने की CERT-In की पहल को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की जनवरी 2025 की ‘ग्लोबल साइबरसिक्योरिटी आउटलुक’ रिपोर्ट में भी उल्लेखित किया गया है। डॉ. बहल ने बताया कि वर्ष 2024 में भारत में 147 रैनसमवेयर घटनाएं दर्ज की गईं, जिनके प्रभाव को CERT-In की समन्वित कार्रवाई, रियल-टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग और फॉरेंसिक हस्तक्षेप से काफी हद तक कम किया गया।

MeitY के संयुक्त सचिव कृष्ण कुमार सिंह ने इंडिया एआई मिशन, फरवरी 2026 में प्रस्तावित एआई इम्पैक्ट समिट, स्वदेशी साइबर सुरक्षा समाधान विकसित करने वाले स्टार्टअप्स के लिए नीतिगत समर्थन, साइबर सुरक्षा अनुसंधान एवं विकास तथा मंत्रालय की विभिन्न राष्ट्रीय स्तरीय पहलों और परियोजनाओं की जानकारी दी।

सत्र का समापन एक संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिनिधिमंडल ने साइबर घटनाओं के समाधान और सूचना साझा करने में सीमा-पार सहयोग पर अपने विचार साझा किए।

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