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राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 2025: पशुपालन व डेयरी क्षेत्र में प्रगति, नवाचार और सम्मान का राष्ट्रीय उत्सव

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मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने 26 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 2025 का आयोजन किया।

कार्यक्रम में प्रो. एस.पी. सिंह बघेल, माननीय राज्य मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय; जॉर्ज कुरियन, माननीय राज्य मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय; तथा नरेश पाल गंगवार, सचिव, DAHD सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में देशभर के पशुपालकों, मिल्क फेडरेशनों, डेयरी सहकारी समितियों और विशेषज्ञों ने भी व्यापक भागीदारी की।

DAHD की अतिरिक्त सचिव, वर्षा जोशी ने स्वागत भाषण दिया और सभी विशिष्ट अतिथियों तथा प्रतिभागियों की उपस्थिति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

DAHD के सचिव, नरेश पाल गंगवार ने राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर सभी प्रतिभागियों और पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और पशुधन क्षेत्र में दीर्घकालीन विकास के लिए आनुवंशिक सुधार और उन्नत प्रजनन तकनीकों जैसी वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने डेयरी किसानों को सेक्स-सॉर्टेड सीमेन, इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने डेयरी सहकारिताओं की किसानों के आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया।

समारोह के दौरान, प्रो. एस.पी. सिंह बघेल, माननीय राज्य मंत्री, ने तीन श्रेणियों में राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान किए—श्रेष्ठ दुग्ध किसान (देशी नस्ल की गाय/भैंस पालने वाले), श्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन, तथा श्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति/मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी/डेयरी किसान उत्पादक संगठन।

अपने संबोधन में माननीय राज्य मंत्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत सरकार के प्रयासों से देश में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो बढ़कर 485 ग्राम प्रति दिन हो गई है, जो वैश्विक औसत 329 ग्राम प्रति दिन से अधिक है। उन्होंने डेयरी किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि राष्ट्र की शक्ति गांवों में है। उन्होंने राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार विजेताओं की सराहना की और डेयरी क्षेत्र की संभावनाओं को रेखांकित किया।

माननीय राज्य मंत्री ने “भारत में पशु चिकित्सा अवसंरचना के न्यूनतम मानकों के दिशानिर्देश” भी जारी किए। ये दिशानिर्देश पशु चिकित्सा सेवाओं के लिए एक समान चार-स्तरीय ढांचा प्रस्तुत करते हैं—प्राथमिक पशु चिकित्सा सेवा केंद्र (PVCCs), ब्लॉक-स्तरीय पशु चिकित्सा अस्पताल, जिला-स्तरीय पशु चिकित्सा अस्पताल, तथा राज्य-स्तरीय पॉलीक्लिनिक/रेफरल केंद्र। इससे राज्यों को पशु चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।

माननीय राज्य मंत्री द्वारा बेसिक एनिमल हस्बेंड्री स्टैटिस्टिक्स (BAHS) 2025 का भी विमोचन किया गया, जो नीतिगत योजना के लिए अद्यतन और व्यापक आंकड़े प्रदान करता है।

इसके अलावा, प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने रोपड़ मिल्क यूनियन द्वारा राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) के तहत, एवं JICA द्वारा समर्थित परियोजना—घटक B: डेयरिंग थ्रू कोऑपरेटिव्स के अंतर्गत कमीशन किए गए 20 आधुनिक इंसुलेटेड मिल्क टैंकरों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों में 9 ब्रीड मल्टीप्लिकेशन फार्म का उद्घाटन भी किया गया।

कार्यक्रम के दौरान, माननीय राज्य मंत्री ने सभी प्रतिभागियों के साथ भारत के संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया और न्याय, स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुत्व के मूल्यों को बनाए रखने का संकल्प लिया।

जॉर्ज कुरियन, माननीय राज्य मंत्री, ने भी राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2025 के सभी विजेताओं को बधाई दी और डेयरी उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान और भ्रूण प्रत्यारोपण जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग की सराहना की। उन्होंने पशु चिकित्सा सेवाओं के और अधिक सुदृढ़ीकरण तथा नवीन वैज्ञानिक तकनीकों के व्यापक उपयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

कार्यक्रम के दौरान “पशु उत्पादकता में वृद्धि—तकनीकी विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों के अनुभव साझा करने” विषय पर पैनल चर्चाएँ भी आयोजित की गईं, जिसमें विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभव, नवाचारों, वैज्ञानिक तरीकों और जमीनी रणनीतियों को साझा किया, जिनसे पशु उत्पादन में मापनीय सुधार प्राप्त हुए हैं।

यह कार्यक्रम पशुपालन और डेयरी क्षेत्र से जुड़े किसानों की उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में सिद्ध हुआ।


भारत–यूएई सीईपीए संयुक्त समिति की तीसरी बैठक में व्यापार वृद्धि और सहयोग पर जोर

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भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारत–यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) के तहत संयुक्त समिति की तीसरी बैठक नई दिल्ली में सफलतापूर्वक आयोजित की। बैठक की सह-अध्यक्षता वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव अजय भाडू और यूएई के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मामलों के सहायक अवर सचिव ह.E. जुमा अल कैत ने की। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार में तेज वृद्धि का स्वागत किया, जो वित्त वर्ष 2024–25 में 100.06 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, जो 19.6% की मजबूत बढ़ोतरी को दर्शाता है और भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में यूएई की स्थिति की पुन: पुष्टि करता है। भारत-यूएई संयुक्त आयोग सीईपीए के कार्यान्वयन, प्रगति की समीक्षा और चुनौतियों के समाधान के लिए प्रमुख संस्थागत तंत्र के रूप में कार्य करता है।

दोनों पक्षों ने सीईपीए के तहत हुई प्रगति की व्यापक समीक्षा की और बाजार पहुंच संबंधी मुद्दों, डेटा साझाकरण, गोल्ड TRQ आवंटन, एंटी-डंपिंग मामलों, सेवाओं, मूल नियम (Rules of Origin), बीआईएस लाइसेंसिंग आदि पर विस्तृत चर्चा की। भारतीय पक्ष ने यूएई को गोल्ड TRQ को पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से आवंटित करने के अपने हालिया निर्णय की भी जानकारी दी।

दोनों पक्षों ने हाल के उच्च-स्तरीय संपर्कों की समीक्षा की, जिनमें मुंबई और दुबई में माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ह.E. डॉ. थानी के बीच हुई बैठकें शामिल थीं। उन्होंने 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य की दिशा में गैर-तेल/ गैर-कीमती धातु व्यापार के विस्तार के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता दोहराई। चर्चाओं में औषधि क्षेत्र में नियामक सहयोग, मूल प्रमाणपत्र (Certificates of Origin) से संबंधित मुद्दों के समाधान, बीआईएस समन्वय तथा भारत के APEDA और यूएई के MoCCAE के बीच खाद्य सुरक्षा और तकनीकी आवश्यकताओं पर एमओयू के शीघ्र हस्ताक्षर को भी शामिल किया गया।

बैठक का समापन दोनों पक्षों द्वारा व्यापार सुगमता, नियामक सहयोग, डेटा साझाकरण को मजबूत करने और सेवाओं की उपसमिति की बैठक बुलाने पर सहमति के साथ हुआ। यूएई प्रतिनिधिमंडल ने वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल से भी मुलाकात की, जहां सीईपीए के सर्वोत्तम उपयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। यूएई प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा व्यापार संतुलन को गहरा करने, बाजार अवसरों के विस्तार और सीईपीए के तहत सामरिक साझेदारी को और सुदृढ़ करने के प्रति दोनों देशों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।


दर्दनाक घटना: 5वीं के छात्र ने दी जान, पेड़ पर लटका मिला शव

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 गरियाबंद। जिले के अमलीपदर थाना क्षेत्र के खरीपथरा गांव से दर्दनाक घटना सामने आई है, जहाँ पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना बुधवार सुबह की बताई जा रही है।


मिली जानकारी के अनुसार, मृतक छात्र का नाम चौहान यादव (कक्षा 5वीं) बताया जा रहा है। छात्र का शव घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक पेड़ में फांसी के फंदे से लटका मिला।

परिवारजनों के अनुसार, छात्र पिछले एक सप्ताह से मानसिक रूप से परेशान चल रहा था, हालांकि परेशानी का कारण अभी स्पष्ट नहीं हुआ है।

सूचना मिलते ही अमलीपदर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस आत्महत्या के कारणों की तलाश कर रही है।

भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेज़बानी – मुख्यमंत्री साय ने इसे बताया भारत के खेल जगत से जुड़ा एक और स्वर्णिम अध्याय

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेज़बानी मिलने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव, खेल के क्षेत्र में नई ऊर्जा और हमारे खिलाड़ियों की लगातार बढ़ती उत्कृष्टता का सम्मान है। मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि को “भारत के खेल इतिहास में जुड़ा स्वर्णिम अध्याय” बताया और कहा कि यह हर भारतीय के सपनों को नया पंख देने वाला क्षण है।


मुख्यमंत्री ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेज़बानी मिलना करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों, जज़्बे और जुनून का सम्मान है। उन्होंने कहा कि यह घोषणा उत्साह की नई लहर लेकर आई है। यह अवसर देश के हर बच्चे, हर युवा और हर खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने की प्रेरणा देगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत खेल महाशक्ति के रूप में उभर रहा है और यह मेज़बानी उसी यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है।

भारतीय महिलाओं की ब्लाइंड क्रिकेट टीम का ऐतिहासिक कारनामा: पहली T20 वर्ल्ड कप विजेता बनी भारत की शेरनियाँ

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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आज एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया, जिसमें भारतीय महिला नेत्रहीन क्रिकेट टीम को नवंबर 2025 में आयोजित प्रथम T20 विश्व कप जीतने की ऐतिहासिक उपलब्धि पर सम्मानित किया गया।

महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने खिलाड़ियों को सम्मानित किया और उनकी ऐतिहासिक जीत तथा प्रेरणादायी यात्राओं के लिए बधाई दी।

इस अवसर पर मीनाक्षी लेखी, पूर्व विदेश राज्य मंत्री और एसबीआई प्रथम महिला T20 विश्व कप क्रिकेट फॉर द ब्लाइंड की विश्व आयोजन समिति की अध्यक्ष, भी उपस्थित रहीं।

भारतीय महिला नेत्रहीन क्रिकेट टीम, जिसकी कप्तान दीपिका टी.सी. (कर्नाटक) और उप-कप्तान गंगा एस. कदम (महाराष्ट्र) थीं, ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए अजेय रहने का गौरव हासिल किया। टीम ने बेहतरीन सामंजस्य, धैर्य और उत्कृष्टता प्रदर्शित की।

23 नवंबर 2025 (रविवार) को कोलंबो में खेले गए रोमांचक फाइनल मुकाबले में भारत ने नेपाल को सात विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया। भारत ने नेपाल को 114/5 पर रोका और लक्ष्य को सिर्फ 12.1 ओवर में हासिल कर लिया। इस जीत में टीम की सामूहिक शानदार प्रदर्शन अहम रहा।

  • फूला सरेन ने 27 गेंदों पर 44 रनों की निर्णायक पारी खेलकर प्लेयर ऑफ द मैच पुरस्कार हासिल किया।

  • कप्तान दीपिका टी.सी. ने पूरे टूर्नामेंट में बेहतरीन ऑल-राउंड प्रदर्शन किया, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी यादगार 91 (58 गेंद) की पारी शामिल है।

  • करुणा पांगी कुमारी, जो विशाखापट्टनम की कक्षा 10 की छात्रा हैं, ने फाइनल में संयमित 42 रन बनाकर सबका ध्यान आकर्षित किया।

  • दुर्गा येवले (जन्म 2003), जो एक छोटे शहर से राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचीं, ने अपनी मेहनत और लगन से सभी को प्रेरित किया।

टीम को संबोधित करते हुए,अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि यह उपलब्धि “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की भावना को साकार करती है और ऐसे भारत की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है जो हर बेटी को सपने देखने, आगे बढ़ने और सफल होने का अवसर देता है।”
उन्होंने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक क्षण भारत की बेटियों की क्षमता को दर्शाते हैं, जो देश को विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं, जहाँ अवसर समावेशी और सभी के लिए सुलभ हों।

मीनाक्षी लेखी ने टीम की सराहना करते हुए कहा कि खिलाड़ियों ने बाधाओं को तोड़ते हुए नए मानदंड स्थापित किए हैं। यह जीत दृढ़ निश्चय, प्रतिभा और राष्ट्रीय गौरव का प्रेरणादायी उदाहरण है।

मंत्रालय ने टीम की ऐतिहासिक सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी यह उपलब्धि न केवल महिला नेत्रहीन क्रिकेट के इतिहास में महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की लैंगिक समानता और समावेशी विकास की यात्रा में भी एक अहम मील का पत्थर है।


मुख्यमंत्री साय बसना सलखण्ड में मां महालक्ष्मी पूजन कार्यक्रम में हुए शामिल, मां महालक्ष्मी से प्रार्थना कर राज्य सहित क्षेत्रवासियों के सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की कामना

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 महासमुंद। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज बसना तहसील अंतर्गत ग्राम सलखण्ड के दौरे पर रहे। इस दौरान ग्राम वासियों ने मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने यहां ग्रामीणों द्वारा आयोजित महालक्ष्मी देवी पूजन कार्यक्रम में पहुंचकर विधि-विधान से दर्शन किया तथा विशेष पूजा-अर्चना में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने मां लक्ष्मी से प्रार्थना करते हुए राज्य सहित क्षेत्रवासियों के सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।


पूजन कार्यक्रम के दौरान पुजारियों द्वारा पारंपरिक मंत्रोच्चार किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री ने श्रद्धापूर्वक भाग लिया। इसके बाद उन्होंने ग्रामीणों से आत्मीय मुलाकात कर उनकी समस्याओं और स्थानीय विकास कार्यों की जानकारी ली। इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की धर्म पत्नी कौशल्या साय एवं रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्र भी साथ थे।


कार्यक्रम में बसना विधायक सम्पत अग्रवाल, महिला आयोग की सदस्य सरला कोसरिया, छत्तीसगढ़ राज्य बीज निगम के अध्यक्ष चंद्रहास चंद्राकर, जिला स्काउट एवं गाइड के जिलाध्यक्ष येतराम साहू, स्थानीय जनप्रतिनिधिगण, कलेक्टर विनय कुमार लंगेह, पुलिस अधीक्षक आशुतोष सिंह एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन मौजूद थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने ग्राम सलखंड में महतारी सदन की बनाने की घोषणा की। साथ ही यहां एनीकेट बनाने के लिए जल संसाधन विभाग को आवश्यक जानकारी जुटाकर प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि आज पवित्र अगहन मास के अवसर पर मां महालक्ष्मी की पूजा में शामिल होकर हृदय से अत्यंत आनंद और सौभाग्य की अनुभूति हो रही है। बसना और सलखंड के ग्रामवासियों ने वर्षों से जिस भक्ति और परंपरा को जीवित रखा है, वह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत का गौरवपूर्ण उदाहरण है।


अगहन मास हमारे अंचल के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह मास अन्न, धन और समृद्धि का प्रतीक है। इसी समय नई फसल खेतों में लहलहाती है, और घर-परिवार में सम्पन्नता के द्वार खुलते हैं। मां महालक्ष्मी जीवन में केवल धन ही नहीं, बल्कि सुख, शांति, उत्तम स्वास्थ्य और सदभाव का आशीर्वाद भी प्रदान करती हैं। इसी भावना के साथ हम सभी इस पूजन में शामिल होते हैं।

मैं मां लक्ष्मी से राज्य के प्रत्येक नागरिक के लिए सुख-समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य, सुरक्षित वातावरण और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। हमारी सरकार गांव, गरीब, किसान, महिला और युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हम जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संकल्पित हैं। सलखंड गांव की यह 25 वर्षों से चल रही परंपरा न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता, भाईचारे और सामुदायिक जागरूकता का भी उदाहरण है। यहां आयोजित मेला ग्रामीण संस्कृति, लोकाचार और पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ाने का माध्यम बन चुका है। मैं इस आयोजन समिति और सभी ग्रामवासियों को इस अनुकरणीय परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए हृदय से बधाई देता हूं। आप सभी का यह स्नेह और विश्वास हमारी शक्ति है। आपके सहयोग से हम एक बेहतर, समृद्ध और विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने संविधान की गरिमा, लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रनिर्माण में जनभागीदारी के महत्व को बताते हुए कहा कि संविधान हमारे अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की भी याद दिलाता है और यही दस्तावेज भारत को एक सशक्त, एकजुट और प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ने की दिशा देता है। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ निर्माण समिति के सदस्यों के ऐतिहासिक योगदान का सम्मानपूर्वक उल्लेख किया और कहा कि समिति की दूरदृष्टि एवं प्रयासों ने आज के मजबूत और विकसित होते छत्तीसगढ़ की नींव रखी है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित भारत के अग्रसर लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। जिससे छत्तीसगढ़ को नई दिशा और गति दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और आवास निर्माण जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ को 18 लाख आवासों की स्वीकृति इसी संकल्प की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने बताया कि महतारी वंदन योजना के तहत राज्य की 70 लाख महिलाओं को लाभ प्रदान किया गया है, जो महिलाओं के सम्मान और आर्थिक मजबूती की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने संविधान के प्रति निष्ठा, समरसता, समानता और राष्ट्रीय विकास के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की अपील की और कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त प्रतिबद्धता से छत्तीसगढ़ भी विकसित भारत के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाएगा। इस अवसर पर पूर्व विधायक श्री त्रिलोचन पटेल, हरिदास भारद्वाज, महालक्ष्मी समिति के अध्यक्ष प्राण नाथ साहू, सरपंच श्रीमती अंजू साहू मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि अगहन मास अंचल में पवित्र एवं शुभ माना जाता है। इस मास में ग्रामीण परिवार मां महालक्ष्मी प्रतीक स्वरूप बिठाकर श्रद्धापूर्वक पूजन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगहन मास कृषि सम्पन्नता, अन्न उत्पादन और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है। इस अवसर पर की गई लक्ष्मी पूजा से घर-परिवार में धन-धान्य की वृद्धि, सुख-शांति और रोगों से रक्षा होती है। ग्राम सलखंड में पिछले 25 वर्षों से महालक्ष्मी समिति एवं समस्त ग्रामवासियों द्वारा निरंतर सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपराओं का संरक्षण करते हुए महालक्ष्मी पूजन किया जा रहा है। गांव में प्रतिवर्ष 5 दिवसीय मेला भी आयोजित होता है, जिसमें आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं आगंतुक शामिल होते हैं।

Kisaan School : राज्य स्तरीय 'भाजी महोत्सव' को लेकर महिलाओं में उत्साह, 10 दिसंबर को किसान स्कूल बहेराडीह में भाजियों की लगेगी जीवंत प्रदर्शनी

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 जांजगीर-चाम्पा। छत्तीसगढ़ में भाजियों की अपनी एक अलग ही पहचान है. प्रदेश में पाई जाने वाली भाजियों की संरक्षण तथा अनुसन्धान को लेकर बरसों से काम कर रहे वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव और उनकी टीम द्वारा 10 दिसंबर को किसान स्कूल परिसर में राज्य स्तरीय 'भाजी महोत्सव' का आयोजन किया जा रहा है. महोत्सव को लेकर एक ओर जहां किसान स्कूल में भव्य तैयारियां हो रही है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के किसानों और महिलाओं में उत्साह का माहौल है.


वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि बहेराडीह में स्थित किसान स्कूल देश का पहला एकमात्र किसान स्कूल है, जो किसानों के मार्गदर्शन और सहयोग से संचालित हो रहा है, 18 विषयों में निःशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है. इस तरह द्वितीय वर्ष 10 दिसंबर को राज्य स्तरीय 'भाजी महोत्सव' का आयोजन किया जा रहा है.




छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों को लेकर वर्ष 2012 से अनुसन्धान कर रहे किसान स्कूल के संचालक युवा कृषक दीनदयाल यादव ने बताया कि महोत्सव का यह दूसरा वर्ष है. प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को भाजी महोत्सव मनाए जाने का निर्णय लिया गया है. चूंकि साल भर में दिसम्बर का महीना भाजियों का होता है. शीत ऋतु होने की वज़ह से बहुत प्रकार की ऐसी भाजियां है, जिनके लिए यह ऋतु या मौसम बहुत ही अनुकूल होती है. उन्होंने बताया कि नवम्बर और दिसंबर के महीने में कई ऐसी भाजियां है, जो स्वतः जमीन की नमी में उग जाती है, जिसमें जंगली लाल पालक भाजी, चौलाई भाजी, चनौरी भाजी, नोनिया भाजी, गुमी भाजी, भथुआ भाजी, अकरी भाजी, मुढ़ी भाजी, सुनसुनिया भाजी आदि शामिल है. वैसे यह समय मूली भाजी, करेला भाजी, गोभी भाजी, तिवरा भाजी, पालक भाजी, गुमी भाजी, सुनसुनिया भाजी, करमता भाजी, लाल भाजी, मेथी भाजी, बर्रे भाजी, मखना भाजी, पोई भाजी, अकरी भाजी के लिए उपयुक्त होती है.

महोत्सव में शामिल होने महिलाएं टुकनी या गमले में तैयार कर रहीं भाजियां

किसान स्कूल में बुधवार 10 दिसंबर को आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय 'भाजी महोत्सव' में शामिल होने तथा भाजी प्रतियोगिता में भाग लेने व जीवंत प्रदर्शनी कार्यक्रम में सहभागिता निभाने प्रदेश के अलग-अलग जिले की महिलाओं द्वारा बांस की टुकनी, प्लास्टिक की टोकरी, प्रो ट्रे, गमले या अन्य पात्र में विविध प्रकार की भाजियां तैयार की जा रही है.

आकर्षण का केंद्र होगी हाईड्रोपोनिक्स सिस्टम से तैयार भाजियां

10 दिसंबर को वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय 'भाजी महोत्सव' में सिर्फ पानी में वो भी बिना मिट्टी की तकनीक अर्थात हाईड्रोपोनिक्स सिस्टम से उगाई गई विविध प्रकार की भाजियां आकर्षण का केंद्र होगी. इस तरह भाजी महोत्सव को लेकर महिलाओं में गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

जनसेवा और आस्था का संगम: बृजमोहन अग्रवाल ने ‘राम लला दर्शन योजना’ के 17वें दल को दिखाया हरी झंडी

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 रायपुर : रायपुर सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने बुधवार को रायपुर रेलवे स्टेशन से ‘श्री राम लला दर्शन योजना’ के तहत श्रद्धालुओं से भरी विशेष ट्रेन को अपार उत्साह, उमंग और गहन आध्यात्मिक वातावरण के बीच अयोध्या धाम के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।


स्टेशन परिसर में भक्ति व जयघोष की गूंज के बीच यह कार्यक्रम सांसद बृजमोहन के लोकप्रिय जननेतृत्व और जनसेवा के स्वभाव की सशक्त मिसाल बना। श्रद्धालुओं एवं अधिकारी ने सांसद बृजमोहन का पुष्पगुच्छ देकर जोरदार स्वागत किया।


सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सभी श्रद्धालुओं को मंगलमय, सुरक्षित और पुण्यदायी यात्रा की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि, अयोध्या में प्रभु श्री राम जी के भव्य मंदिर में धर्म ध्वज स्थापना के बाद यह पहला शुभ यात्रा-दल है। इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनना अपने आप में अत्यंत भावनात्मक और दिव्य अनुभूति है।


उन्होंने बताया कि आज अयोध्या धाम के लिए छत्तीसगढ़ से 17वाँ दल रवाना हुआ है, जिसमें लगभग एक हजार श्रद्धालु श्री राम लला के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करेंगे।

सांसद बृजमोहन ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की यह जनकल्याणकारी एवं आध्यात्मिक पहल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की ‘गारंटी’ को वास्तविक रूप से धरातल पर उतारने का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें हर नागरिक को ‘भांचा राम’ के निःशुल्क दर्शन का अद्भुत अवसर प्राप्त हो रहा है।

यह उल्लेखनीय है कि आज व्यापक रूप ले चुकी यह योजना श्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा ही प्रारंभ की गई थी, जब वे राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री थे। उनके कार्यकाल में पर्यटन विभाग एवं IRCTC के सहयोग से गरीब, वंचित तथा 50 वर्ष से अधिक आयु के श्रद्धालुओं के लिए विशेष ट्रेन व्यवस्था की गई थी ताकि कोई भी आर्थिक स्थिति या दूरी के कारण प्रभु श्री राम के दरबार से वंचित न रहे। यह उनका दूरदर्शी नेतृत्व था जिसने छत्तीसगढ़ के हजारों लोगों को अयोध्या धाम तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त किया।

उन्होंने यह भी बताया कि यात्रा के दौरान श्रद्धालु न केवल श्री राम लला के दर्शन करेंगे, बल्कि वाराणसी में बाबा विश्वनाथ, संकट मोचन, बाबा काल भैरव समेत कई अन्य पवित्र स्थलों के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त करेंगे।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल के नेतृत्व में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक यात्रा का शुभारंभ था बल्कि जनसेवा, संवेदनशीलता और समर्पित नेतृत्व की अनुपम मिसाल भी रहा।

इस पावन अवसर पर माननीय मंत्री टंक राम वर्मा, विधायक अनुज शर्मा, रायपुर जिला पंचायत अध्यक्ष नवीन अग्रवाल, जनप्रतिनिधि एवं सामाजिक संगठन प्रतिनिधि सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

पुणे मेट्रो फेज-2 के लिए केंद्र ने लाइन 4 और 4A को दी मंजूरी, शहर को मिलेगा तेज़ और हरित परिवहन नेटवर्क

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केंद्र सरकार की कैबिनेट, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, ने पुणे मेट्रो परियोजना के फेज-2 के तहत लाइन 4 (खाराडी–हडपसर–स्वरगेट–खडकवासला) और लाइन 4A (नाल स्टॉप–वाजरे–माणिक बाग) को मंजूरी दे दी है। यह फेज-2 के तहत दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट है, पहले लाइन 2A (वानाझ–चांदनी चौक) और लाइन 2B (रामवाड़ी–वाघोली/विठ्ठलवाड़ी) को मंजूरी दी गई थी।

लाइन 4 और 4A मिलकर 31.636 किलोमीटर लंबी होंगी और 28 एलिवेटेड स्टेशनों से गुजरेंगी। ये आईटी हब, वाणिज्यिक क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थान और आवासीय क्षेत्रों को पुणे के पूर्व, दक्षिण और पश्चिम हिस्सों में जोड़ेंगी। परियोजना की अनुमानित लागत 9,857.85 करोड़ रुपये है और इसे भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार और बाहरी द्विपक्षीय/बहुपक्षीय वित्तपोषण एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित किया जाएगा।

ये लाइनें पुणे की कॉम्प्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP) का अहम हिस्सा हैं और ऑपरेशनल तथा अनुमोदित कॉरिडोर से आसानी से जुड़ेंगी। हडपसर रेलवे स्टेशन पर इंटरचेंज की सुविधा मिलेगी और भविष्य में लोणी कालभोर और ससवड रोड की ओर बढ़ने वाले कॉरिडोर से भी कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।

लाइन 4 और 4A के मार्ग खाराडी आईटी पार्क से खडकवासला के पर्यटन क्षेत्र तक और हडपसर के औद्योगिक हब से वाजरे के आवासीय क्षेत्रों तक विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ेंगे। ये सोलापुर रोड, मगर्पट्टा रोड, सिंहगड रोड, कार्वे रोड और मुंबई–बेंगलुरु हाईवे से गुजरते हुए पुणे की व्यस्त सड़कों पर यातायात को कम करेंगे और सुरक्षित, हरित और सतत गतिशीलता को बढ़ावा देंगे।

प्रक्षेपणों के अनुसार, 2028 में लाइन 4 और 4A का दैनिक यात्रीसंख्या 4.09 लाख रहने का अनुमान है, जो 2038 में लगभग 7 लाख, 2048 में 9.63 लाख और 2058 में 11.7 लाख से अधिक हो जाएगी। खाराडी–खडकवासला कॉरिडोर 2028 में 3.23 लाख यात्रियों को संभालेगा, जो 2058 तक बढ़कर 9.33 लाख होगा, जबकि नाल स्टॉप–वाजरे–माणिक बाग स्पर लाइन 85,555 से बढ़कर 2.41 लाख यात्रियों तक पहुंच जाएगी।

परियोजना को महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (महा-मेट्रो) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा, जो सभी सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और सिस्टम कार्यों को संभालेगी। प्रारंभिक निर्माण कार्य जैसे स्थलाकृतिक सर्वे और विस्तृत डिज़ाइन परामर्श पहले से ही चल रहे हैं।

इस मंजूरी के साथ, पुणे मेट्रो का नेटवर्क 100 किलोमीटर की सीमा को पार कर जाएगा, जो शहर के आधुनिक, एकीकृत और सतत शहरी परिवहन प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

लाइन 4 और 4A के साथ पुणे न केवल अधिक मेट्रो ट्रैक पाएगा, बल्कि एक तेज़, हरित और अधिक जुड़ा हुआ भविष्य भी पाएगा। ये कॉरिडोर नागरिकों को सुरक्षित, विश्वसनीय और किफायती विकल्प प्रदान करेंगे और शहर की विकास कहानी को नया आकार देंगे।

कैबिनेट ने रेलवे मंत्रालय के दो बहुप्रतीक्षित मल्टी-ट्रैकिंग प्रोजेक्टों को दी मंजूरी, लागत लगभग 2,781 करोड़ रुपये

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने आज रेलवे मंत्रालय के दो प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनकी कुल अनुमानित लागत लगभग 2,781 करोड़ रुपये है।

स्वीकृत परियोजनाएँ:

  1. देवभूमि द्वारका (ओखा) – कालानुस डबलिंग – 141 किमी

  2. बदलापुर – कर्जत 3री और 4थी लाइन – 32 किमी

इन परियोजनाओं के माध्यम से रेल मार्ग की क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे यात्री एवं माल परिवहन की दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव संचालन को सहज बनाएंगे और भीड़भाड़ कम करेंगे।

मुख्य विशेषताएँ और लाभ:

  • ये परियोजनाएँ PM-Gati Shakti राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत तैयार की गई हैं, जिसमें मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता पर विशेष ध्यान दिया गया है।

  • महाराष्ट्र और गुजरात के 4 जिलों में फैली इन परियोजनाओं से भारतीय रेलवे का नेटवर्क लगभग 224 किमी बढ़ेगा।

  • करीब 585 गांवों में रहने वाले 32 लाख लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।

  • कालानुस – ओखा डबलिंग द्वारका के द्वारकाधीश मंदिर सहित क्षेत्र के प्रमुख तीर्थस्थलों से कनेक्टिविटी बढ़ाएगी और सौराष्ट्र क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान देगी।

  • बदलापुर – कर्जत सेक्शन मुंबई उपनगरीय कॉरिडोर का हिस्सा है। 3री और 4थी लाइन यात्री मांग को पूरा करने और दक्षिण भारत से जुड़ने में मदद करेगी।

  • यह मार्ग कोयला, नमक, कंटेनर, सीमेंट, पेट्रोलियम उत्पाद (POL) आदि माल के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है।

पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ:

  • परियोजनाओं से अतिरिक्त माल परिवहन क्षमता 18 MTPA होगी।

  • रेलवे एक ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण मित्र परिवहन माध्यम होने के नाते, यह परियोजना जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने, तील आयात में 3 करोड़ लीटर की बचत और CO2 उत्सर्जन में 16 करोड़ किलोग्राम कमी में मदद करेगी।

  • यह CO2 कमी 64 लाख पेड़ों की रोपण के बराबर है।

ये प्रोजेक्ट न केवल यातायात और माल ढुलाई को गति देंगे बल्कि क्षेत्रीय विकास, रोजगार सृजन और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को भी सशक्त बनाएंगे।

युवा तारों के प्रारंभिक जीवन की अस्थिरता का नया अध्ययन: बदलाव और अनपेक्षित चमकें उजागर

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एक नए अध्ययन ने युवा तारों (Young Stellar Objects - YSOs) के प्रारंभिक जीवन की अस्थिरता पर पर्दा उठाया है, जिससे पता चला कि तारों का शुरुआती जीवन पहले सोचे गए से कहीं अधिक उथल-पुथल और परिवर्तनशील होता है।

प्रोटोस्ट्रार के चार विकासात्मक चरणों का योजनात्मक चित्रण (एंड्रिया इसेला के 2006 के शोध प्रबंध से अनुकूलित):

  • क्लास 0: ये तारे घने आवरण (dense envelope) में पूरी तरह से ढके होते हैं, और इनके केंद्र में एक छोटा कोर (core) होता है।

  • क्लास I: कोर का आकार बढ़ता रहता है और एक सपाट परिक्रामी डिस्क (flattened circumstellar disk) बनने लगती है।

  • क्लास II: अधिकांश आसपास की सामग्री गैस और धूल की प्रमुख डिस्क में व्यवस्थित हो जाती है।

  • क्लास III: अंतिम चरण में डिस्क लगभग समाप्त हो जाती है, और तारे का स्पेक्ट्रल एनर्जी वितरण (spectral energy distribution) एक परिपक्व तारे (mature stellar photosphere) जैसा दिखता है।

इस अध्ययन में NASA के Wide-field Infrared Survey Explorer (WISE) और इसके विस्तारित मिशन NEOWISE से एक दशक से अधिक का डेटा शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने अब तक के सबसे बड़े और विस्तृत मध्य-इन्फ्रारेड परिवर्तनशीलता कैटलॉग में 22,000 से अधिक YSOs का विश्लेषण किया।

युवा तारों की विशेषताएँ:

  • YSOs वे तारे हैं जो अपने जीवन के प्रारंभिक चरण में होते हैं और जिनके केंद्र में स्थिर हाइड्रोजन संलयन नहीं होता।

  • ये तारें घने आणविक बादलों (molecular clouds) के संकुचन से बनते हैं।

  • संकुचन विभिन्न घटनाओं जैसे सुपरनोवा विस्फोट, पास के तारे से विकिरण, या अंतर-तारकीय माध्यम में उथल-पुथल से प्रेरित हो सकता है।

    विभिन्न प्रकार के परिवर्तनशील तारों के उदाहरण लाइट कर्व्स (बाएं से दाएं क्रम में) — लीनियर (Linear), वक्र (Curved), आवर्ती/पुनरावृत्त (Periodic), अचानक चमक (Burst), अचानक मंद होना (Drop), और अनियमित (Irregular)

शोध के प्रमुख निष्कर्ष:

  • YSOs के केंद्र में एक प्रोटोटार बनता है, जो चारों ओर घूर्णनशील डिस्क से घिरा होता है।

  • प्रोटोटार का प्रकाश संलयन से नहीं बल्कि गुरुत्वाकर्षण संकुचन और द्रव्यमान संचयन (accretion) से उत्पन्न होता है।

  • समय के साथ, डिस्क से सामग्री प्रोटोटार पर जमा होती रहती है, जिससे अचानक चमक बढ़ना या घटने जैसी घटनाएँ होती हैं।

  • युवा तारों की 36% Class I YSOs में परिवर्तनशीलता देखी गई, जबकि विकसित Class III YSOs में यह केवल 22% थी।

  • रंग परिवर्तन से पता चला कि अधिकांश तारों में चमक बढ़ने पर लालिमा बढ़ती है, जबकि कुछ में नीला होना देखा गया, जो आंतरिक डिस्क संरचना या बढ़ी हुई संचयन क्रियाओं को दर्शाता है।

महत्त्व:

यह कैटलॉग अब तक का सबसे पूर्ण मध्य-इन्फ्रारेड दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो यह समझने में मदद करता है कि तारे कैसे बढ़ते हैं, भोजन लेते हैं और अपने धूल भरे परिवेश को छोड़ते हैं। इस कैटलॉग में 5,800 से अधिक परिवर्तनशील YSOs शामिल हैं।

जैसे-जैसे James Webb Space Telescope (JWST) और 3.6m Devasthal Optical Telescope (DOT) जैसी दूरबीनें इस अध्ययन का अनुसरण करेंगी, शोधकर्ता यह समझ पाएंगे कि हमारे जैसे सूर्य जैसे तारे अंधकार से कैसे उत्पन्न हुए।


कैंसर के उपचार में क्रांति लाएगा नया एआई फ्रेमवर्क 'OncoMark'

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एक नई अध्ययन रिपोर्ट में एक ऐसा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) फ्रेमवर्क पेश किया गया है, जो कैंसर को समझने और उसके इलाज के तरीके को बदल सकता है। यह फ्रेमवर्क कैंसर को केवल उसकी आकार या प्रसार से नहीं बल्कि उसके मॉलिक्यूलर व्यक्तित्व (molecular personality) के आधार पर देखने का नया दृष्टिकोण देता है।

OncoMark का न्यूरल नेटवर्क कैंसर कोशिकाओं के भीतर जटिल आणविक संकेतों को डिकोड करता है और हॉलमार्क गतिविधियों की भविष्यवाणी करता है।

कैंसर केवल बढ़ती हुई गांठों (tumors) की बीमारी नहीं है, बल्कि इसे कुछ छिपे हुए जैविक प्रोग्राम्स द्वारा संचालित किया जाता है, जिन्हें "हॉलमार्क्स ऑफ कैंसर" कहा जाता है। ये हॉलमार्क्स बताते हैं कि कैसे स्वस्थ कोशिकाएँ मॅलिग्नेंट (malignant) बनती हैं, कैसे ये शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचती हैं और उपचार के प्रति प्रतिरोध (resistance) दिखाती हैं।

पारंपरिक रूप से डॉक्टर TNM जैसे स्टेजिंग सिस्टम्स का इस्तेमाल करते हैं, जो ट्यूमर के आकार और प्रसार का वर्णन करते हैं। लेकिन ये अक्सर उस आंतरिक आणविक कहानी को नहीं पकड़ पाते—यानी क्यों दो मरीज जिनका कैंसर एक ही स्टेज में है, उनके परिणाम अलग हो सकते हैं।

नवीनतम AI फ्रेमवर्क 'OncoMark'

  • S N Bose नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेस (DST के अधीन) और अशोका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 'OncoMark' फ्रेमवर्क विकसित किया है।

  • इस फ्रेमवर्क को 14 प्रकार के कैंसर में 3.1 मिलियन सिंगल सेल्स का विश्लेषण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया।

  • OncoMark ने सिंथेटिक “pseudo-biopsies” बनाई, जो हॉलमार्क-ड्रिवन ट्यूमर स्टेट्स का प्रतिनिधित्व करती हैं।

  • AI ने सीखा कि कैसे हॉलमार्क्स जैसे मेटास्टेसिस, इम्यून इवेज़न और जीनोमिक अस्थिरता ट्यूमर की वृद्धि और उपचार प्रतिरोध को बढ़ावा देते हैं।

प्रदर्शन और सत्यापन:

  • OncoMark ने आंतरिक परीक्षण में 99% से अधिक सटीकता हासिल की।

  • पांच स्वतंत्र कोहोर्ट में यह 96% से ऊपर सटीकता बनाए रखा।

  • 20,000 वास्तविक रोगी नमूनों पर भी इसे सत्यापित किया गया।

  • अब वैज्ञानिक यह देख सकते हैं कि किस रोगी के ट्यूमर में कौन सा हॉलमार्क सक्रिय है, जिससे उपचार को लक्षित किया जा सके।

उपचार में संभावित योगदान:

  • यह फ्रेमवर्क डॉक्टरों को यह संकेत दे सकता है कि कौन से ड्रग्स सीधे सक्रिय हॉलमार्क्स को लक्षित कर सकते हैं।

  • यह उन कैंसर को भी पहचान सकता है जो स्टैंडर्ड स्टेजिंग में कम खतरनाक लगते हैं लेकिन वास्तव में आक्रामक हैं।

  • समय पर हस्तक्षेप और व्यक्तिगत उपचार (personalized treatment) की दिशा में मदद करेगा।

प्रकाशन:

यह शोध Communications Biology (Nature Publishing Group) में प्रकाशित हुआ है।

यह अध्ययन कैंसर अनुसंधान और उपचार में AI के प्रभाव को एक नया दृष्टिकोण देता है, जिससे भविष्य में व्यक्तिगत और सटीक उपचार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है।

राष्ट्रीय सम्मेलन “जीवंत संविधान: लोकतंत्र, गरिमा और विकास के 75 वर्ष” का डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में भव्य समापन

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डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन (DAF), सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन “जीवंत संविधान: लोकतंत्र, गरिमा और विकास के 75 वर्ष” का आज डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (DAIC), नई दिल्ली में समापन हुआ। यह कार्यक्रम भारत में संविधान अपनाए जाने के 75 वर्षों (Samvidhan @75) के अवसर पर पूरे देश में आयोजित कार्यक्रमों का भव्य समापन था।

सम्मेलन की शुरुआत मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त), DAF सचिव, अतिरिक्त सचिव और मंत्रालय के वरिष्ठ नेताओं के उद्घाटन भाषणों से हुई। वक्ताओं ने संविधान को एक गतिशील दस्तावेज़ बताया, जो भारत के लोकतांत्रिक विकास, सामाजिक न्याय और विकासात्मक प्राथमिकताओं का मार्गदर्शन करता है।

उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) द्वारा क्यूरेट की गई विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें संविधान निर्माण काल के दुर्लभ दस्तावेज, तस्वीरें और अभिलेखीय सामग्री प्रदर्शित की गईं।

सम्मेलन में दो प्रमुख पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं:

पैनल चर्चा – I:

“जीवंत संविधान का क्रियान्वयन: 21वीं सदी में लोकतंत्र, गरिमा और विकास”
इस चर्चा में उच्च शिक्षा के उपकुलपतियों, कानून के प्रोफेसरों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने संवैधानिक व्याख्या, लोकतांत्रिक मजबूती, अधिकार ढांचा और तकनीकी एवं सामाजिक बदलावों की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।

पैनल चर्चा – II:

“सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के संवैधानिक मार्ग: समकालीन भारत में डॉ. अम्बेडकर के दृष्टिकोण का साकार होना”

इसमें सार्वजनिक कानून, सामाजिक नीति और डिजिटल गवर्नेंस के विशेषज्ञों ने संवैधानिक उपायों पर चर्चा की, जिनसे हाशिए के समुदायों को सशक्त बनाया जा सके, डिजिटल विभाजन को पाटा जा सके और Viksit Bharat 2047 की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकें।

सम्मेलन में 700 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. अम्बेडकर चेयर प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉक्टोरल फेलो और दिल्ली के विभिन्न कॉलेजों के अंतिम वर्ष के छात्र शामिल थे। उनके सक्रिय योगदान ने विचार-विमर्श को और गहराई और जीवंतता प्रदान की।

सम्मेलन के मुख्य आकर्षणों में से एक थी प्रो. जेम्स स्टीफन मेका, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर चेयर प्रोफेसर, आंध्र विश्वविद्यालय द्वारा लिखित पुस्तक “One India through Digital India” का विमोचन। इसे मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) द्वारा जारी किया गया, जिन्होंने डिजिटल सशक्तिकरण को सामाजिक-आर्थिक विभाजन को पाटने के संवैधानिक उपकरण के रूप में महत्व दिया।

समापन सत्र में, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ने “सभी पोर्टलों के एकीकरण का पहला चरण (Consolidation of All Portals of DoSJE)” लॉन्च किया। यह पहल मंत्रालय के विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों को एकीकृत करके पारदर्शिता, डेटा समेकन और सेवा वितरण में सुधार लाएगी।

सम्मेलन ने संविधान मूल्यों की रक्षा और लोकतंत्र, गरिमा और विकास को भारत के भविष्य के मार्गदर्शक के रूप में बनाए रखने के प्रति एक नई राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि की। यह आयोजन डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की स्थायी विरासत को सम्मानित करने और संविधान को भारत की अगली सदी का मार्गदर्शक बल मानने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

आईआईटी दिल्ली में अटल टेक्सटाइल रीसाइक्लिंग और सस्टेनेबिलिटी सेंटर द्वारा तकनीकी वस्त्रों में स्थिरता का नया अध्याय

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टेक्सटाइल मंत्रालय के नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल्स मिशन (NTTM) के तहत एक परिवर्तनकारी परियोजना ने तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस परियोजना के अंतर्गत IIT दिल्ली में पनिपत स्थित अटल सेंटर ऑफ टेक्सटाइल रीसाइक्लिंग और सस्टेनेबिलिटी की स्थापना की गई है, जिसने दो प्रमुख पहलों के माध्यम से तकनीक, नवाचार और राष्ट्रीय उद्देश्य को एकीकृत किया है – नेशनल फ्लैग रीसाइक्लिंग इनिशिएटिव और अरमिड फाइबर रीसाइक्लिंग प्रोग्राम।

पनिपत में 28 नवंबर 2025 को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) द्वारा आयोजित डेमोंस्ट्रेशन कार्यक्रम में इन पहलों और उनके वास्तविक प्रभाव को प्रदर्शित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में मिशन के तहत विकसित तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा और उद्योग व सरकारी प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर तकनीकी वस्त्रों में नवाचार, स्थिरता और उद्योग एकीकरण को सुदृढ़ किया जाएगा।

राष्ट्रीय ध्वज रीसाइक्लिंग पहल के तहत भारत में पहली बार सेवानिवृत्त राष्ट्रीय ध्वज को सम्मानपूर्वक रीसायक्लिंग करने की संरचित और वैज्ञानिक प्रक्रिया लागू की गई है। परियोजना के उद्योग भागीदार ने सुनिश्चित किया है कि तिरंगे का कपड़ा और संरचनात्मक अखंडता सुरक्षित रह सके या जिम्मेदारीपूर्वक पुनः उपयोग की जा सके, जिससे उसकी गरिमा बनी रहे। यह मॉडल स्थिरता और देशभक्ति के मूल्यों को जोड़ने का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है और हर घर तिरंगा अभियान की भावना को भी मजबूत करता है।

साथ ही, अरमिड फाइबर रीसाइक्लिंग प्रोग्राम ने रक्षा, एयरोस्पेस और सुरक्षा वस्त्रों में उपयोग होने वाले उच्च प्रदर्शन वाले अरमिड अपशिष्ट को संभालने में महत्वपूर्ण समाधान प्रदान किए हैं। कई तकनीकी वस्त्र उद्योग पहले ही इन R&D परिणामों को अपनाना शुरू कर चुके हैं, जो मिशन की सफलता और अनुसंधान को व्यावसायिक और पैमाने पर लागू करने की क्षमता को दर्शाता है।


UPSC शताब्दी सम्मेलन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने आयोग को बताया ‘भारत की स्टील फ्रेम का संरक्षक’

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केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के ‘शताब्दी सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए UPSC को “भारत की स्टील फ्रेम ऑफ गवर्नेंस का संरक्षक” बताया।

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मुख्य अतिथि के रूप में तथा UPSC के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार भी उपस्थित रहे।

UPSC—भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का विश्वसनीय प्रहरी

डॉ. सिंह ने कहा कि UPSC ने स्वतंत्रता से पहले और बाद में भी ईमानदारी, निष्पक्षता और पारदर्शिता की परंपरा को कायम रखा है। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के “स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया” के उल्लेख को दोहराते हुए कहा कि UPSC ने इस दायित्व को पूर्णतः निभाया है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 कई ऐतिहासिक अवसरों का संगम है—

  • सरदार पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती

  • डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती

  • वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष

और ऐसे ऐतिहासिक वर्ष में UPSC का शताब्दी वर्ष मनाया जाना विशेष गौरव की बात है।

‘प्रतिभा सेतु’ पोर्टल—प्रतिभा और अवसर का अभिनव संगम

डॉ. सिंह ने UPSC की नवीन पहल ‘प्रतिभा सेतु’ की विशेष सराहना की, जो इंटरव्यू तक पहुँचने के बावजूद अंतिम चयन में न चुने गए उम्मीदवारों को निजी एवं संस्थागत अवसरों से जोड़ता है। उन्होंने इसे “प्रतिभा और अवसर के बीच नवाचारी सेतु” बताया।

उन्होंने कहा कि UPSC केवल भर्ती एजेंसी ही नहीं, बल्कि

  • सेवा नियमों का निर्माण,

  • प्रशासनिक सुधार,

  • और लोक सेवा में नैतिक मानकों को विकसित करने
    में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अंत में उन्होंने कहा, “विकसित भारत 2047 के निर्माता इसी संस्था से उभरेंगे।”

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला का संबोधन—UPSC ने दुनिया में स्थापित किए प्रशासनिक मानक

उद्घाटन सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने UPSC को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक बताया।

उन्होंने कहा कि पिछले 100 वर्षों में UPSC ने—

  • पारदर्शिता, निष्पक्षता, गोपनीयता, और जवाबदेही के आधार पर
    विश्व स्तर पर एक आदर्श मानक स्थापित किया है।

उन्होंने कहा कि UPSC की भर्ती प्रक्रिया में हर क्षेत्र, भाषा और वर्ग के लोग समान विश्वास के साथ भाग लेते हैं, और यही इसके प्रति जनता के भरोसे का प्रमाण है।

भविष्य की चुनौतियाँ—UPSC की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण

बिड़ला ने आयोग से आह्वान किया कि वह बदलते वैश्विक परिदृश्य—

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता,

  • जलवायु परिवर्तन,

  • साइबर सुरक्षा,

  • तथा राष्ट्रीय सुरक्षा
    जैसे विषयों के अनुरूप अपने सुधार जारी रखे।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि UPSC के अगले 100 वर्ष भारत के सुशासन को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगे।

UPSC अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने दिया स्वागत भाषण

अपने स्वागत वक्तव्य में UPSC अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने इस सम्मेलन को आयोग की एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि UPSC संविधान में निहित मूल्यों—
निष्पक्षता, मेधा और समान अवसर
—के प्रति सदैव प्रतिबद्ध रहेगा।

उन्होंने पूर्व अध्यक्षों और सदस्यों को “UPSC की गौरवशाली परंपरा के मार्गदर्शक” बताया तथा राज्य लोक सेवा आयोगों के साथ UPSC के मजबूत संबंधों पर प्रकाश डाला।

शताब्दी सम्मेलन—देश के प्रशासनिक इतिहास की महत्वपूर्ण उपलब्धि

दो दिवसीय 26–27 नवंबर 2025 का यह समारोह UPSC के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित किया गया। इसमें—

  • UPSC और राज्य लोक सेवा आयोगों के वर्तमान व पूर्व अध्यक्ष/सदस्य,

  • केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी,

  • शिक्षाविद,

  • एवं प्रशासन विशेषज्ञ
    शामिल हुए।


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