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CG NEWS : लव मैरिज की सजा मौत! ससुर ने नवविवाहिता बहू की हत्या कर सेप्टिक टैंक में फेंकी लाश

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 कवर्धा (छत्तीसगढ़)। जिले के सहसपुर लोहारा थाना क्षेत्र से सामने आई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को सन्न कर दिया है। घर के सेप्टिक टैंक से उठती बदबू ने जिस खौफनाक राज से पर्दा उठाया, उसने हर किसी को झकझोर दिया। टैंक के भीतर से 20 वर्षीय नवविवाहिता कामिनी निषाद का सड़ा-गला शव बरामद हुआ।


पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ—बहू की हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि उसके ही ससुर ने की थी। आरोपी जहल पटेल ने पहले बहू को कीटनाशक पिलाया, फिर गला दबाकर हत्या की और शव को सेप्टिक टैंक में डाल दिया।

 जातिगत नाराज़गी बनी हत्या की वजह

पुलिस पूछताछ में आरोपी जहल पटेल ने कबूल किया कि उसके बेटे भोजराज पटेल ने छह महीने पहले कामिनी निषाद से प्रेम विवाह किया था। कामिनी दूसरी जाति की थी, जिससे वह नाराज़ था। इसी नाराज़गी और आक्रोश में उसने इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया।

 बदबू से खुला राज

गुरुवार को सेप्टिक टैंक से अचानक तेज दुर्गंध फैलने लगी। बदबू इतनी तीव्र थी कि आसपास के ग्रामीण जमा हो गए। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और टैंक की जांच करवाई, जहां से डिकंपोज अवस्था में महिला का शव मिला। पहचान होने पर पुष्टि हुई कि शव कामिनी निषाद का ही है।

 सितंबर से थी लापता

कामिनी और भोजराज ने जुलाई 2025 में शादी की थी। शादी के महज दो महीने बाद, सितंबर 2025 में कामिनी अचानक लापता हो गई। पति भोजराज ने काफी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार 7 नवंबर को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिसके बाद पुलिस जांच में जुटी थी।

 ग्रामीणों के शक ने पकड़ा हत्यारा

शव मिलने के बाद ग्रामीणों ने सबसे पहले ससुर पर शक जताया। परिजनों से पूछताछ में पुलिस को मामला संदिग्ध लगा। सख्ती से पूछताछ करने पर जहल पटेल ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।

शीतलहर का असर: 15 जनवरी तक बदला स्कूलों का समय, कलेक्टर का आदेश जारी

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 रायपुर । छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में पिछले कई दिनों से जारी शीतलहर का सीधा असर स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है। बढ़ती ठंड और गिरते तापमान को देखते हुए दुर्ग कलेक्टर अभिजीत सिंह ने जिले के सभी सरकारी, अशासकीय एवं निजी स्कूलों के समय में बदलाव का आदेश जारी किया है।


कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यह नया समय 15 जनवरी 2026 तक लागू रहेगा, और मौसम की स्थिति को देखते हुए आवश्यकता पड़ने पर इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। यह निर्णय बच्चों को ठंड से होने वाली परेशानी से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है।

स्कूलों का बदला हुआ समय

दो पाली में संचालित शालाओं के लिए नई समय-सारणी इस प्रकार होगी—

 प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक (प्रथम पाली):

सोमवार से शुक्रवार: प्रातः 08:00 बजे से 11:45 बजे तक

शनिवार: अपरान्ह 12:15 बजे से सायं 04:15 बजे तक

 हाई स्कूल / उच्च माध्यमिक (द्वितीय पाली):

सोमवार से शुक्रवार: अपरान्ह 12:00 बजे से सायं 04:45 बजे तक

शनिवार: प्रातः 08:00 बजे से 12:00 बजे तक

प्रशासन ने सभी स्कूल प्रबंधन को आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

कोपरा जलाशय को राज्य का पहला रामसर साइट घोषित किया जाना छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण: मुख्यमंत्री साय

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि बिलासपुर जिले के कोपरा जलाशय को छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट घोषित किया जाना पूरे प्रदेश के लिए अत्यंत गर्व और सम्मान का विषय है। यह उपलब्धि राज्य की समृद्ध जैवविविधता, विविध पक्षी आवासों और सतत जल-संरक्षण प्रयासों को मिली वैश्विक मान्यता का प्रतीक है।


मुख्यमंत्री साय ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, पर्यावरण विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और स्थानीय समुदायों के संयुक्त प्रयासों की सराहना करते हुए उनका हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सभी के समन्वित सहयोग से कोपरा जलाशय अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतर सका और छत्तीसगढ़ को यह ऐतिहासिक पहचान प्राप्त हुई।


मुख्यमंत्री ने बताया कि कोपरा जलाशय को रामसर दर्जा मिलना “छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047” के अंतर्गत वर्ष 2030 तक प्रदेश के 20 वेटलैंड्स को रामसर साइट घोषित कराने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रेरक प्रगति है। यह उपलब्धि राज्य की पर्यावरण-संरक्षण नीति और दीर्घकालिक दृष्टि को भी सुदृढ़ करती है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस वैश्विक मान्यता से प्रदेश में इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। साथ ही, यह वेटलैंड संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता को भी और अधिक मजबूत करेगा तथा भावी पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगा।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस अमूल्य प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा केवल सरकार की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है, और इसी सहभागिता से छत्तीसगढ़ सतत विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।

कबीरधाम जिला आज विकास के नए युग में कर रहा प्रवेश : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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 रायपुर : मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने कबीरधाम जिले के नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के निर्माण स्थल पर शिला-स्थापना कर जिले को एक ऐतिहासिक सौगात दी। इसके साथ ही जिले में चिकित्सा सुविधाओं के एक नए युग का सूत्रपात हुआ। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह एवं उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे।




शिला-स्थापना के साथ ही कबीरधाम जिले के स्वास्थ्य मानचित्र में विकास का एक नया अध्याय जुड़ गया है। मेडिकल कॉलेज की स्थापना से जिले का स्वास्थ्य ढांचा और अधिक सुदृढ़ होगा। विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ेगी, आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ विकसित होंगी तथा आम जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ स्थानीय स्तर पर ही सुलभ हो सकेंगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री  साय ने उप मुख्यमंत्री  विजय शर्मा की मांग पर कवर्धा में श्री पंचमुखी बूढ़ा महादेव रिवर फ्रंट निर्माण तथा रवेली में महाविद्यालय की घोषणा की।

मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने कबीरधाम जिले में नए शासकीय मेडिकल कॉलेज भवन की शिला-स्थापना को ऐतिहासिक बताते हुए जिलेवासियों को बधाई दी। मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि बीते 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। राज्य गठन के बाद सड़क, बिजली, पानी और शिक्षा जैसी मूलभूत व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने अपने रायपुर प्रवास के दौरान मेडिकल कॉलेज भवन का भूमि-पूजन किया था और आज उसी क्रम में इसकी शिला-स्थापना संपन्न हुई है।
लंबे समय से लंबित इस मांग के पूर्ण होने से लोगों को स्थानीय स्तर पर ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में कवर्धा जिले के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती मिली है। सीटी स्कैन और क्रिटिकल केयर यूनिट जैसी सुविधाओं की स्थापना से इलाज और अधिक सुलभ हुआ है।

मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि राज्य सरकार जन-जन तक स्वास्थ्य सुविधाओं की सुलभ पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि आज प्रदेश सरकार के दो वर्ष पूर्ण हो रहे हैं तथा छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में राज्यभर में रजत जयंती महोत्सव मनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 नवंबर को प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी रायपुर आए थे, जहाँ उन्होंने नए विधानसभा भवन एवं ट्राइबल म्यूजियम का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय जनजातीय शौर्य और महापुरुषों के बलिदान की स्मृतियों से समृद्ध है, जिसे सभी को अवश्य देखना चाहिए।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी की गारंटी के अनुरूप सभी कार्य समयबद्ध रूप से पूरे किए जा रहे हैं। किसानों के हितों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि लगातार तीसरे वर्ष प्रति एकड़ 21 क्विंटल के मान से धान की खरीदी 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने रामलला दर्शन योजना तथा तेंदूपत्ता की दर 4 हजार रुपये से बढ़ाकर 5500 रुपये प्रति मानक बोरा किए जाने जैसे निर्णयों को किसानों और वनांचल के हित में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम बताया।

उन्होंने कहा कि कवर्धा क्षेत्र में बड़ी संख्या में बैगा एवं अन्य जनजातीय समाज निवास करते हैं, जिनके सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा पीएम जनमन योजना प्रारंभ की गई है। यह योजना विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए समर्पित है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि स्वदेश दर्शन योजना के तहत भोरमदेव विकास के लिए 146 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है, जिससे यह क्षेत्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान प्राप्त करेगा।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने शिला-स्थापना समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन कवर्धा के इतिहास में अभूतपूर्व और गौरवपूर्ण है। यह ऐसा क्षण है, जो स्वर्णाक्षरों में दर्ज रहेगा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कवर्धा जिले के गठन से लेकर अब तक अनेक महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं, किंतु मेडिकल कॉलेज की स्थापना जैसा ऐतिहासिक दिन जीवन में एक बार ही आता है।

डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश में किसानों का सम्मान सर्वोपरि है। महतारी वंदन योजना के अंतर्गत माताओं-बहनों को प्रतिमाह 1 हजार रुपये की राशि सीधे उनके खातों में दी जा रही है, जिससे परिवारों को आर्थिक मजबूती मिली है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री साय की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि कवर्धा को मिली विकास योजनाओं से जिले की दिशा और दशा तेजी से बदली है।

उप मुख्यमंत्री  विजय शर्मा ने कहा कि कवर्धा जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हम सभी के लिए ऐतिहासिक सौगात है, जो जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के नए आयाम खोलेगी। उन्होंने बताया कि जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि 4.5 करोड़ रुपये की लागत से सीटी स्कैन सेवा प्रारंभ की गई है और अब तक 814 सीटी स्कैन किए जा चुके हैं। जिला अस्पताल की क्षमता 100 बिस्तरों से बढ़ाकर 220 बिस्तर कर दी गई है तथा 50 क्रिटिकल केयर बेड स्थापित किए गए हैं। पिपरिया और बोड़ला में सोनोग्राफी मशीनें लगाई गई हैं।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि नया मेडिकल कॉलेज 40 एकड़ परिसर में निर्मित किया जाएगा तथा 50 सीटों के साथ मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई प्रारंभ करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। मेडिकल कॉलेज तक सुगम पहुँच के लिए घोटिया मार्ग एवं गौरव पथ मार्ग का निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि जिले में जगमड़वा जलाशय, बड़ौदा खुर्द एवं रामपुर बरेंडा जलाशय सहित कई महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। विद्युत विभाग की 3.30 करोड़ रुपये की परियोजना के अंतर्गत 2 हजार से अधिक ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे हैं तथा 8 नए सब-स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं।

उप मुख्यमंत्री शर्मा ने बताया कि पीडब्ल्यूडी की 24 सड़कों, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 28 सड़कों तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 76 सड़कों को स्वीकृति मिली है।

उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में 18 लाख आवास स्वीकृत किए गए, जिनमें से अकेले कवर्धा जिले में 50 हजार से अधिक आवास शामिल हैं। जिले के सरकारी स्कूलों में 50 स्मार्ट क्लास स्थापित की गई हैं तथा रेंगाखार और पिपरिया में एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि कवर्धा क्षेत्र के लिए आज का दिन अत्यंत विशेष है। वर्षों पुरानी मांग आज पूरी हुई है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय केवल एक मेडिकल कॉलेज था, जिसे बढ़ाकर 10 मेडिकल कॉलेज तक पहुँचाने का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को जाता है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस विकास यात्रा को आगे बढ़ाते हुए पाँच अतिरिक्त मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृति दी है। कवर्धा वनांचल और जनजातीय बहुल क्षेत्र है, जहाँ मेडिकल कॉलेज का खुलना क्षेत्र के लिए वरदान सिद्ध होगा।

इस अवसर पर सांसद  संतोष पाण्डेय एवं पंडरिया विधायक श्रीमती भावना बोहरा ने भी कबीरधाम मेडिकल कॉलेज को जिले के लिए अभूतपूर्व सौगात बताते हुए क्षेत्रवासियों को बधाई दी।

कॉलेज के लिए 40 एकड़ भूमि आबंटित, 306 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को मिली स्वीकृति

शासन द्वारा मेडिकल कॉलेज निर्माण हेतु ग्राम घोठिया में 40 एकड़ भूमि का आबंटन किया गया है। इस परियोजना के लिए 306 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है। यह मेडिकल कॉलेज अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं से युक्त होगा तथा राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा।

भारत में पर्यटन में अभूतपूर्व वृद्धि: 11 वर्षों में अवसंरचना और कनेक्टिविटी ने दी नई दिशा

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केंद्रीय पर्यटन मंत्री, गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज कहा कि स्वतंत्रता के बाद के दशकों में भारत में सड़क और रेल अवसंरचना में क्रमिक विकास देखने को मिला, लेकिन पिछले 11 वर्षों में सड़क परिवहन, रेलवे और जलमार्गों में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। इस विशाल उन्नति ने न केवल राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है, बल्कि पर्यटन क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि भी सुनिश्चित की है।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारत का पर्यटन क्षेत्र पिछले दशक में ऐतिहासिक विस्तार का अनुभव कर रहा है। यह वृद्धि लक्षित नीति हस्तक्षेप, व्यापक अवसंरचना निर्माण और निरंतर वैश्विक ब्रांडिंग प्रयासों के माध्यम से संभव हुई है। इन उपलब्धियों ने भारत को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू यात्रियों दोनों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित किया है।

पर्यटकों की संख्या में तेज़ी

  • 2014–2024 के दौरान भारत ने 161.16 मिलियन अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आगमन (ITAs) दर्ज किए।

  • विदेशी पर्यटक आगमन (FTAs) 2014–2024 के दौरान 86.22 मिलियन तक बढ़ा, जो 2004–2013 में 52.99 मिलियन था।

  • विदेशी मुद्रा आय (FEEs) 2014–2024 में ₹18.85 लाख करोड़ रही, जो 2004–2013 में ₹6.01 लाख करोड़ थी।

  • घरेलू पर्यटक यात्राएँ (DTVs) 2014–2024 में 18,639.35 मिलियन हुईं, जबकि 2004–2013 में यह 6,779.10 मिलियन थी।

पर्यटन अवसंरचना का विशाल विस्तार

स्वदेश दर्शन योजना (2015 onwards)

  • 76 परियोजनाएँ स्वीकृत, ₹5,290.33 करोड़ का बजट; 75 परियोजनाएँ पूर्ण।

स्वदेश दर्शन 2.0 – सतत एवं गंतव्य-केंद्रित पर्यटन

  • 53 परियोजनाएँ स्वीकृत, ₹2,208.27 करोड़ का बजट।

चैलेंज-बेस्ड डेस्टिनेशन डेवलपमेंट (CBDD)

  • 36 परियोजनाएँ स्वीकृत, ₹648.11 करोड़ का बजट, जिनमें शामिल हैं:

    • आध्यात्मिक पर्यटन

    • संस्कृति और धरोहर

    • जीवंत गांव कार्यक्रम

    • इकोटूरिज्म और अमृत धरोहर स्थल

प्रतीकात्मक पर्यटन केंद्रों का विकास (SASCI – 2024–25)

  • 40 परियोजनाएँ 23 राज्यों में स्वीकृत, ₹3,295.76 करोड़ के 50-वर्षीय ब्याज-मुक्त ऋण के तहत।

केंद्रीय एजेंसियों को सहायता

  • 57 परियोजनाएँ स्वीकृत, ₹845.51 करोड़ का बजट (ASI, पोर्ट ट्रस्ट, ITDC, रेलवे आदि के लिए)।

  • 34 परियोजनाएँ पूरी, 9 परियोजनाएँ बंद।

कनेक्टिविटी में सुधार: राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार

  • भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार 2014 से 60% हुआ, 91,287 किमी से बढ़कर 1,46,195 किमी।

  • तुलना के लिए, 2004 में राष्ट्रीय राजमार्ग 65,569 किमी था।
    (स्रोत: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, वार्षिक रिपोर्ट 2024–25)

भारत की समेकित दृष्टि – अवसंरचना विकास, सतत पर्यटन और बेहतर कनेक्टिविटी – ने बड़े सामाजिक-आर्थिक लाभ सुनिश्चित किए हैं, स्थानीय आजीविका सशक्त हुई है और भारत को एक वैश्विक पर्यटन महाशक्ति के रूप में स्थापित किया है। पिछले दशक की ये उपलब्धियाँ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, जो पर्यटन को राष्ट्रीय विकास का महत्वपूर्ण चालक बना रही है।


महिला मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा: भारत सरकार की बहुआयामी पहल

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“जन स्वास्थ्य और स्वच्छता; अस्पताल और डिस्पेंसरी’’ भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में शामिल है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य भी आता है। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, अस्पतालों, सामुदायिक देखभाल और पुनर्वास की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है।

फिर भी, भारत सरकार राज्य सरकारों का समर्थन करती है और एक व्यापक, बहु-आयामी और समन्वित दृष्टिकोण अपनाती है, जो अधिकार आधारित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, टेली-मेंटल हेल्थ सेवा, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, कार्यस्थल सुरक्षा उपाय, लिंग-संवेदनशील कानून प्रवर्तन इंटरफेस और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों को जोड़ती है। इन पहलों का उद्देश्य महिलाओं में तनाव को रोकना, कम करना और प्रबंधित करना है।

मुख्य पहल और कार्यक्रम:

  1. केन्द्रीय मार्गदर्शन और प्रशिक्षण:

    • केंद्रीय कर्मचारियों के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग (DoPT) के तहत यौन उत्पीड़न रोकथाम, लिंग-संवेदनशीलता, लचीले कार्य समय और आंतरिक शिकायत तंत्र के दिशा-निर्देश।

  2. आपातकालीन सहायता और सुरक्षा:

    • महिला हेल्पलाइन (181), बाल हेल्पलाइन (1098), और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली ERSS-112।

    • ज़ीरो FIR और ई-FIR जैसी सुविधा।

  3. कानूनी और मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा:

    • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017: आत्महत्या के प्रयास को अपराधमुक्त करना, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों का पंजीकरण और निगरानी।

    • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) और जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP) के तहत 767 जिलों में सेवाएँ।

    • 1.81 लाख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में अपग्रेड किया गया।

    • टेली-मेंटल हेल्थ कार्यक्रम Tele-MANAS: 53 सेल्स, 20 भाषाओं में सेवा, 29.82 लाख कॉल्स।

  4. महिला सुरक्षा और सहायता:

    • मिशन शक्ति के तहत One Stop Centres (OSC): 864 OSCs, 12.67 लाख महिलाओं को सहायता।

    • महिला हेल्प डेस्क: 14,649 पुलिस स्टेशनों में, महिला अधिकारियों द्वारा संचालित।

    • SHe-Box पोर्टल: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के लिए केंद्रीय मंच।

  5. सुरक्षित कार्यस्थल और रोजगार:

    • चार श्रम संहिता (वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य) लागू।

    • समान कार्य के लिए समान वेतन, रात की शिफ्ट और खतरनाक काम में महिलाओं की अनुमति सुरक्षित वातावरण के तहत।

    • कार्यदिवस 8 घंटे और 48 घंटे प्रति सप्ताह, ओवरटाइम स्वीकृति और दोगुना वेतन।

    • निःशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जांच।

  6. सामाजिक-सामर्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण:

    • कौशल भारत, उद्यमिता और जीविका कार्यक्रम।

    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, वित्तीय समावेशन, माइक्रोक्रेडिट और स्वयं-सहायता समूह।

इन सभी पहलों को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर लागू किया जाता है, जो स्वास्थ्य सेवा वितरण के मुख्य एजेंट हैं। केंद्र सरकार नीति मार्गदर्शन, क्षमता निर्माण, तकनीकी दिशा-निर्देश, वित्तीय सहायता, अंतर-मंत्रालय समन्वय और निगरानी के माध्यम से समर्थन देती है।

इन उपायों का उद्देश्य महिलाओं में तनाव को रोकना और कम करना, समय पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना, हिंसा और उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना और महिलाओं की गरिमा, लचीलापन और कल्याण को बढ़ावा देना है।

सूचना स्रोत: मंत्री राज्य महिला एवं बाल विकास, सवित्री ठाकुर, लोकसभा में आज दिए गए उत्तर के अनुसार।

भारत में चीता पुनर्वास परियोजना: वैश्विक सहयोग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकृति का पुनर्जागरण

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Summary / Key Points :

  • दुनिया का पहला अंतर-खगोलीय बड़े मांसाहारी जीव का पुनर्वास भारत में सफल हुआ; 2022-23 में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते भारत आए।

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को पहले आठ चीते Kuno राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े।

  • दिसंबर 2025 तक भारत में कुल 30 चीते हैं: 12 वयस्क, 9 अर्धवयस्क और 9 शावक, जिसमें 11 संस्थापक और 19 भारत में जन्मे चीते शामिल हैं।

  • मुखी, भारत में जन्मी पहली चीता शावक, अब पांच स्वस्थ शावकों की मां बन चुकी है।

  • परियोजना ने 450 से अधिक "चीता मित्र", 380 प्रत्यक्ष रोजगार और स्थानीय समुदायों के लिए 5% इको-टूरिज्म राजस्व साझा किया।

  • भारत 2032 तक 17,000 किमी² में 60–70 चीते की स्व-संवहनीय मेटापॉपुलेशन स्थापित करने के मार्ग पर है, और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य इसके अगले चरण के लिए तैयार है।

परियोजना का ऐतिहासिक संदर्भ:

  • भारतीय उपमहाद्वीप में 1952 में एशियाई चीता विलुप्त घोषित किया गया था।

  • Kuno NP को पुनर्वास स्थल के रूप में चुना गया, 24 गांवों का पुनर्वास कर 6,258 हेक्टेयर अतिक्रमण रहित घासभूमि उपलब्ध कराई गई।

  • परियोजना का उद्देश्य 60–70 चीते की मेटापॉपुलेशन स्थापित करना और घासभूमि/अर्ध-सूखी पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरोद्धार करना है।भारत में चीता पुनर्वास परियोजना: वैश्विक सहयोग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकृति का पुनर्जागरणभारत में चीता पुनर्वास परियोजना: वैश्विक सहयोग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकृति का पुनर्जागरण

महत्वपूर्ण उपलब्धियां:

  • 2023 तक भारत में जन्मे पहले शावकों का रिकॉर्ड; दूसरी पीढ़ी के शावक 2025 में जन्मे।

  • प्रत्येक चीता के क्षेत्राधिकार और व्यवहार का अध्ययन किया गया।

  • स्थानीय समुदायों को शामिल करते हुए रोजगार और जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए।

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के साथ MoU के तहत जीन्स, प्रशिक्षण और तकनीकी हस्तांतरण।

  • अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट अलायंस (IBCA) की स्थापना: भारत मुख्यालय, 150 करोड़ रुपये का बजट, सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों के संरक्षण के लिए वैश्विक पहल।

निष्कर्ष:

Project Cheetah केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि भारत का पारिस्थितिक संतुलन, विज्ञान, कूटनीति और समुदाय के सम्मिलन का प्रतीक है। भारत में चीते की मौजूदगी विश्व को प्रेरणा देती है कि विलुप्त प्रजातियों को वैज्ञानिक, सामुदायिक और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से पुनर्जीवित किया जा सकता है।


नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प तेजी से हो रहा साकार: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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सुकमा में 10 माओवादी कैडरों ने किया आत्मसमर्पण, पुनर्वास से पुनर्जीवन की नई शुरुआत

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज सुकमा जिले में “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” कार्यक्रम के तहत दरभा डिवीजन कमेटी सहित विभिन्न नक्सली संगठनों से जुड़े 10 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण को ऐतिहासिक और सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक बताया। इनमें 6 महिला माओवादी भी शामिल हैं, जिन पर कुल 33 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प अब केवल लक्ष्य नहीं, बल्कि तेजी से साकार होती वास्तविकता बन रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सशक्त नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई अब अपने निर्णायक मोड़ पर है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह आत्मसमर्पण इस बात का प्रमाण है कि बस्तर में अब हिंसा, भय और भटकाव की विचारधारा कमजोर पड़ रही है, जबकि विकास, विश्वास और संवाद की राह मजबूत हो रही है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हिंसा के रास्ते पर न वर्तमान सुरक्षित होता है और न ही भविष्य। छत्तीसगढ़ सरकार की विशेष पुनर्वास नीति आत्मसमर्पण करने वालों को सम्मान, सुरक्षा, आजीविका और समाज में पुनर्स्थापना की ठोस गारंटी देती है। मुख्यधारा में लौटकर ये लोग अपने परिवारों के साथ एक स्थायी, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन की नई शुरुआत कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य पूरी तरह स्पष्ट है— छत्तीसगढ़ को पूर्णतः नक्सलवाद मुक्त बनाना और बस्तर को विकास, विश्वास और अवसरों की नई पहचान देना।

मुख्यमंत्री साय ने आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों के निर्णय का स्वागत करते हुए अन्य भटके युवाओं से भी अपील की कि वे हिंसा का मार्ग छोड़कर लोकतांत्रिक व्यवस्था और विकास की मुख्यधारा से जुड़ें।

उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार के समन्वित प्रयासों से सुरक्षा बलों की सशक्त कार्रवाई, विकास योजनाओं का विस्तार और पुनर्वास आधारित मानवीय दृष्टिकोण—तीनों मिलकर बस्तर में परिवर्तन की नई कहानी लिख रहे हैं।

https://x.com/i/status/1999458357623787920

हिमालय में वर्टिकल एयर मोशन का अध्ययन: भारतीय वैज्ञानिकों ने मानसून और जलवायु भविष्यवाणी में नई अंतर्दृष्टि प्रदान की

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भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने हिमालय में वायु के ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) गति के रहस्यों का पता लगाया है, जिससे भारतीय मानसून की समझ में महत्वपूर्ण योगदान मिला है। यह मानसून दक्षिण एशिया के लिए सदियों से जीवनरेखा रहा है और कृषि, जल प्रबंधन तथा आपदा तैयारी के लिए इसकी सटीक भविष्यवाणी अत्यंत आवश्यक है।

अध्ययन की प्रमुख विशेषताएँ:

  • संस्थान: Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences (ARIES), नैनीताल और ISRO के Space Physics Laboratory (SPL), तिरुवनंतपुरम।

  • प्रयोग: भारतीय निर्मित Stratosphere-Troposphere (ST) रडार का उपयोग कर केंद्रीय हिमालय में एशियाई समर मॉनसून (ASM) महीनों के दौरान ऊर्ध्वाधर वायु गति का प्रत्यक्ष और उच्च-रिज़ॉल्यूशन मापन।

  • नवीन निष्कर्ष:

    • 10–11 किमी ऊँचाई पर लगातार नीचे की ओर गति।

    • 12 किमी से ऊपर वायु का स्थिर और धीमा उठाव।

    • ऊर्ध्वाधर सर्कुलेशन अधिक जटिल, जिसमें उठती और गिरती वायु के वैकल्पिक क्षेत्र मौजूद हैं।

  • महत्त्व:

    • मौसम की सटीक भविष्यवाणी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली में सुधार।

    • कृषि, जल संसाधन और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा।

    • प्रदूषक और ग्रीनहाउस गैसों के परिवहन के मूल्यांकन में मदद।

    • जलवायु परिवर्तन को कम करने की रणनीतियों को मजबूत करना।

यह अध्ययन American Geophysical Union (AGU) की “Earth and Space Science” में प्रकाशित हुआ।


विदेशी पत्रकारों के समक्ष भारत ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में अपनी प्रगति और वैश्विक नेतृत्व प्रदर्शित किया

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार ने 9–18 दिसंबर 2025 के बीच विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा आयोजित भारत भ्रमण पर आए मध्य एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 40 से अधिक विदेशी मीडिया पत्रकारों के साथ एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया।

इस सत्र का उद्देश्य भारत की तीव्र प्रगति, उभरते वैश्विक नेतृत्व और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को उजागर करना था।

DST के सचिव प्रो. अभय करंदीकर ने पत्रकारों को भारत की विकसित हो रही S&T इकोसिस्टम, प्रमुख राष्ट्रीय मिशन और Viksit Bharat @2047 के लिए देश की दृष्टि पर प्रस्तुति दी।

सचिव ने भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के समग्र और मिशन-चालित दृष्टिकोण पर जोर दिया, इसे "भारत की नवाचार-प्रेरित विकास को शक्ति देने वाला पूरे-सरकार इंजन" बताया। उन्होंने बताया कि मिशन-चालित कार्यक्रमों, मजबूत शोध नींव और वैश्विक सहयोगों के माध्यम से भारत भविष्य के लिए तैयार नवाचार नेता के रूप में खुद को स्थापित कर रहा है।


इस प्रस्तुति के बाद एक खुली चर्चा आयोजित की गई, जिसमें निम्नलिखित क्षेत्रों पर विचार विमर्श हुआ:

  • भारत की S&T नीति सुधार और भविष्य की दिशा

  • वैश्विक साझेदारी के अवसर

  • सतत और समावेशी प्रौद्योगिकियों में भारत की नेतृत्व क्षमता

  • राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को आकार देने में नवाचार की भूमिका

DST के अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार और DST एवं MEA के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस चर्चा में शामिल हुए।

यह दौरा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को बेहतर समझने का अवसर प्रदान करता है और भारत के तकनीकी परिदृश्य पर अधिक सूचित वैश्विक रिपोर्टिंग के लिए रास्ते खोलता है। 

छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट बना कोपरा जलाशय

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वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने प्रदेशवासियों को दी बधाई

रायपुर- बिलासपुर जिले का कोपरा जलाशय अब छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट बन गया है। इसकी घोषणा के बाद पूरे प्रदेश में प्रसन्नता का माहौल है। यह दर्जा उन आर्द्रभूमियों को दिया जाता है जो जैवविविधता, जल संरक्षण और पर्यावरणीय महत्व के लिए वैश्विक स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने इस उपलब्धि पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि कोपरा जलाशय की यह सफलता छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि जलाशय की विशिष्ट पारिस्थितिकी, स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की विविधता तथा जल परितंत्र की समृद्धि ने इसे रामसर मान्यता के योग्य बनाया है।

वन मंत्री कश्यप ने राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, पर्यावरणविदों, वन विभाग के अधिकारियों, शोधकर्ताओं और स्थानीय समुदायों को भी धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि सभी की संयुक्त मेहनत और संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता से यह उपलब्धि संभव हो सकी है।

मंत्री कश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047 के अंतर्गत वर्ष 2030 तक 20 वेटलैंड्स को रामसर साइट का दर्जा दिलाने के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि कोपरा जलाशय के रामसर साइट घोषित होने से प्रदेश में वेटलैंड संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और इको-टूरिज्म के नए अवसर भी विकसित होंगे। इससे स्थानीय समुदायों को रोजगार मिलेगा और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।

वन मंत्री केदार कश्यप ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे इस महत्वपूर्ण प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा और संवर्धन में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि वेटलैंड्स का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत प्राकृतिक विरासत छोड़ने का संकल्प भी।

डॉ. जितेंद्र सिंह: स्वास्थ्य और फार्मा में AI का विवेकपूर्ण उपयोग और निजी क्षेत्र के सहयोग से भारत बनेगा वैश्विक हेल्थकेयर हब

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नई दिल्ली- विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जोर देकर कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का विवेकपूर्ण उपयोग स्वास्थ्य और फार्मा क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने उभरती जैवप्रौद्योगिकी और जीन थेरेपी परियोजनाओं में निजी क्षेत्र के साथ सरकार के मजबूत सहयोग पर भी प्रकाश डाला।

कन्फेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री (CII) फार्मा एवं लाइफ साइंसेज समिट 2025 में संबोधन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबसे बड़ी परिवर्तन यह है कि सरकार उद्योग तक समान उत्साह के साथ पहुँचती है, जो पूरे सरकारी और उद्योग दृष्टिकोण को दर्शाता है।

मंत्री ने बताया कि AI अब केवल विकल्प नहीं बल्कि निदान, दवा खोज और स्वास्थ्य सेवा वितरण में एक आवश्यक उपकरण बन गया है। हालांकि, इसका उपयोग मानव-केंद्रित होना चाहिए। उन्होंने कहा, “वास्तविक चुनौती यह है कि हम AI को इस तरह एक हाइब्रिड मॉडल में एकीकृत करें जो तकनीक और मानवीय सहानुभूति का संतुलन बनाए।”

स्वास्थ्य नवाचार के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि AI-आधारित निदान मॉडल अब कल्चर परीक्षण का समय दिनों से मिनटों तक घटा रहे हैं, और AI संचालित टेलीमेडिसिन परियोजनाएँ स्थानीय बोलियों में दूरदराज के गांवों तक चिकित्सा सेवाओं का विस्तार कर रही हैं, जिससे रोगियों का आत्मविश्वास और परिणाम दोनों बेहतर हो रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की बढ़ती वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षमताओं को उजागर करते हुए कहा कि सरकार निजी क्षेत्र के साथ जीन थेरेपी, जैवप्रौद्योगिकी और टीका विकास जैसे सीमांत क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भागीदारी कर रही है। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की कई पहल अब प्रमुख निजी कंपनियों के साथ सहयोग में काम कर रही हैं, ताकि सिंथेटिक एंटीबायोटिक्स, DNA और HPV वैक्सीन, और बायो-निर्माण जैसे क्षेत्रों में स्वदेशी समाधान विकसित किए जा सकें।

सरकार की व्यापक अनुसंधान पहल का उल्लेख करते हुए मंत्री ने उद्योग नेताओं को हाल ही में घोषित ₹1 लाख करोड़ के R&D फंड का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया, जो स्वास्थ्य, कृषि और अन्य क्षेत्रों में गहरी तकनीक परियोजनाओं का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, “पहली बार, सरकार नवाचार के लिए निजी कंपनियों को वित्तपोषित कर रही है — जो भारत की R&D पारिस्थितिकी में एक परिवर्तनकारी कदम है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में आयातक से निर्यातक में बदलाव की भी सराहना की, विशेष रूप से टीकों, बायोसिमिलर और किफायती मेडिकल उपकरणों में। उन्होंने कहा, “हम अब उच्च गुणवत्ता वाली, लागत-कुशल स्वास्थ्य तकनीक का उत्पादन कर रहे हैं जो दुनिया भर में बाज़ार पा रही हैं।”

अपने संबोधन को समाप्त करते हुए मंत्री ने उद्योग हितधारकों से कहा कि वे केवल अपने क्षेत्रों का नेतृत्व न करें, बल्कि राष्ट्रीय प्रगति में साझेदार के रूप में काम करें और नए सहयोग क्षेत्रों का सुझाव दें। उन्होंने कहा, “विज्ञान, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी अब एक एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं, और हमें मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य के भविष्य को आकार देने में एक बड़ी भूमिका के लिए तैयार रहना चाहिए।”

पीएम विश्वकर्मा योजना के कारीगरों को ऑनलाइन बाजार तक पहुँच के लिए अमेज़न के साथ समझौते के माध्यम से सशक्त बनाया गया

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सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय ने Amazon Seller Services Private Ltd. के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे PM विश्वकर्मा योजना में पंजीकृत कारीगरों को ऑनलाइन बाजार तक पहुँच प्राप्त होगी, उनके उत्पादों की दृश्यता बढ़ेगी और पूरे भारत में ग्राहक आधार का विस्तार होगा। यह MoU निर्माण भवन, नई दिल्ली में MSME विकास आयुक्त कार्यालय और Amazon टीम द्वारा किया गया।

PM विश्वकर्मा योजना, जिसे 17 सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था, कारीगरों को समग्र सहायता प्रदान करती है। यह योजना कौशल प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरणों के माध्यम से उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने, बाज़ार पहुंच बढ़ाने, ऋण तक पहुँच सुनिश्चित करने और गुरु-शिष्य परंपरा के तहत पारंपरिक कौशल को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।

इस साझेदारी के तहत:

  • Amazon योग्य विश्वकर्मा कारीगरों को अपने ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर ऑनबोर्ड करेगा।

  • MoMSME आवश्यक अनुमतियों, पंजीकरण और स्पष्टताओं में सहायता प्रदान करेगा।

  • Amazon के करिगर पहल के माध्यम से हस्तशिल्प उत्पादों की दृश्यता और डिजिटलीकरण को मजबूत किया जाएगा।

यह सहयोग पारंपरिक कारीगरों की उपस्थिति को डिजिटल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बढ़ाने, उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने, और Viksit Bharat और Atmanirbhar Bharat की दृष्टि को साकार करने में महत्वपूर्ण कदम है।

PM विश्वकर्मा योजना के लाभार्थी 10 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित Amazon Smbhav Summit 2025 में भी शामिल हुए, जहां उन्होंने पहल के बारे में जानकारी प्राप्त की और कारीगरों से जुड़ने के अवसरों का पता लगाया।

भारत ने रोम में IFAD–India Day कार्यक्रम में ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और जलवायु-सहिष्णु कृषि में उपलब्धियों को प्रदर्शित किया

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भारत सरकार ने रोम में आयोजित IFAD–India Day कार्यक्रम में देश की ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और जलवायु-सहिष्णु कृषि में अग्रणी उपलब्धियों को प्रदर्शित किया। यह अवसर भारत और अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) के बीच लंबे समय से चली आ रही और सफल साझेदारी का उत्सव भी था।

IFAD के अध्यक्ष अल्वारो लारियो ने भारत की समुदाय-आधारित, स्केलेबल ग्रामीण परिवर्तन में नेतृत्व की सराहना की और कहा कि कई India–IFAD पहलों को वैश्विक संदर्भ मॉडल के रूप में अपनाया गया है।

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए, अनु माथाई, अतिरिक्त सचिव, आर्थिक मामले विभाग (DEA), वित्त मंत्रालय और IFAD में भारत की वैकल्पिक गवर्नर, ने बताया कि भारत का IFAD के साथ विकास सहयोग समावेशिता, स्थिरता और समुदाय-आधारित वृद्धि के साझा मूल्यों पर आधारित है।

उन्होंने कहा, “भारत की साझेदारी केवल वित्तपोषण तक सीमित नहीं है। यह उस साझा दृष्टि पर आधारित है जो ग्रामीण समुदायों को विकास के केंद्र में रखती है। IFAD ने भारत को नवाचारी, न्यायसंगत और स्थायी ग्रामीण आजीविका मॉडल के विस्तार में सक्षम बनाने में निरंतर और भरोसेमंद भागीदार के रूप में सहयोग दिया है।”

पिछले 48 वर्षों में, भारत और IFAD ने मिलकर 36 ग्रामीण विकास परियोजनाओं का समर्थन किया, जिनकी कुल लागत 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें से 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर IFAD द्वारा सीधे योगदान किए गए। वर्तमान में छह चल रही परियोजनाओं के तहत 459 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश है, और भारत का सह-वित्तपोषण अनुपात 2.65 है, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है।

India–IFAD पोर्टफोलियो के तहत प्रमुख पहलों में शामिल हैं:

  • मेघालय में 45,000 से अधिक ग्रामीण उद्यमों के लिए बाजार तक पहुँच बढ़ाना।

  • महाराष्ट्र में महिलाओं की रोजगार क्षमता और आय-सृजन अवसरों का विस्तार।

  • जम्मू और कश्मीर में 3 लाख छोटे और सीमांत किसानों के लिए जलवायु-सहिष्णुता में सुधार।

  • उत्तराखंड में आय वृद्धि और पलायन कम करने के प्रयासों का समर्थन।

भारत की महिला समितियों का वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त मॉडल, जो छोटे बचत समूहों से मजबूत आर्थिक संस्थाओं में विकसित हुआ है, को समुदाय-आधारित परिवर्तन के प्रमुख उदाहरण के रूप में प्रदर्शित किया गया।

कार्यक्रम में IFAD के लिए भारत के वैकल्पिक स्थायी प्रतिनिधि डॉ. जुझ्जवरापु बालाजी ने कहा, “भारत अपनी साझेदारी को मजबूत करने और सफल दृष्टिकोणों को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि ग्रामीण समुदाय उभरती चुनौतियों का प्रभावी रूप से सामना कर सकें।”

IFAD के संस्थापक सदस्य और इसके बड़े योगदानकर्ता और विकास भागीदार के रूप में, भारत दक्षिण–दक्षिण और त्रिपक्षीय सहयोग में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है, ग्रामीण संस्थानों के निर्माण, मूल्य श्रृंखला विकास और जलवायु-स्मार्ट कृषि में अपनी विशेषज्ञता को ग्लोबल साउथ के देशों के साथ साझा करता है।

भारत और IFAD ने ग्रामीण संस्थानों को मजबूत करने, कौशल निर्माण, बाजार और सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने और ग्रामीण समुदायों को स्थायी और लचीले तरीके से अपने विकास का नेतृत्व करने में सक्षम बनाने के साझा संकल्प को दोहराया।

राष्ट्रीय माध्यम- cum- मेरिट छात्रवृत्ति योजना (NMMSS) की समीक्षा और रणनीति कार्यशाला आयोजित

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शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSEL) ने 06 दिसंबर 2025 को राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें राष्ट्रीय माध्यम- cum- मेरिट छात्रवृत्ति योजना (NMMSS) के प्रभावी क्रियान्वयन की समीक्षा और रणनीतियों को अंतिम रूप देने पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत में मंत्रालय ने NMMSS की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। यह योजना केंद्रीय क्षेत्र की प्रमुख योजनाओं में से एक है, जो हर साल एक लाख नई छात्रवृत्तियाँ प्रदान करती है। योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करना और कक्षा VIII के बाद ड्रॉपआउट दर को कम करना है ताकि छात्र कक्षा XII तक अपनी शिक्षा पूरी कर सकें।

कार्यशाला में केंद्र सरकार और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के बीच घनिष्ठ सहयोग पर जोर दिया गया। इसमें सुझाव दिए गए कि योजना के प्रचार-प्रसार को बढ़ाया जाए, वितरण प्रणाली को सुधारें और यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रवृत्ति योग्य लाभार्थियों तक प्रभावी रूप से पहुँच सके।

कार्यक्रम में NMMSS पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें 2021–22 से 2024–25 तक की योजना की प्रगति, कोटा उपयोग, NMMSS परीक्षा संचालन और छात्रवृत्ति नवीनीकरण में चुनौतियों पर चर्चा की गई। इसके बाद राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के नोडल अधिकारियों के साथ हितधारक परामर्श हाइब्रिड मोड में आयोजित किए गए।

राष्ट्रीय माध्यम- cum- मेरिट छात्रवृत्ति योजना (NMMSS) की मुख्य बातें

  • यह केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के मेधावी छात्रों का समर्थन करती है।

  • प्रत्येक वर्ष कक्षा IX के छात्रों को एक लाख छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं।

  • छात्रवृत्ति कक्षा X से XII तक नवीनीकरण योग्य है।

  • योजना के लिए पात्र छात्र सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकायों के स्कूलों में अध्ययनरत होना चाहिए।

  • छात्रवृत्ति की राशि ₹7,12,000 प्रति वर्ष है।

  • छात्र के माता-पिता की वार्षिक आय ₹3,50,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।

  • चयन परीक्षा के लिए छात्र ने कक्षा VII में कम से कम 55% अंक प्राप्त किए होने चाहिए, जबकि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के छात्रों के लिए 5 प्रतिशत की छूट दी जाती है।


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