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मानव अधिकार दिवस 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकास और समानता के दृष्टिकोण से मानव अधिकारों पर जोर दिया

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भारत की राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू, ने आज नई दिल्ली में आयोजित मानव अधिकार दिवस समारोह में संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार अविच्छेद्य हैं और एक न्यायपूर्ण, समान और सहानुभूतिपूर्ण समाज की आधारशिला हैं। राष्ट्रपति ने मानव अधिकारों को अंतिम व्यक्ति तक सुनिश्चित करने और ‘अंत्योदय’ की भावना में विकसित भारत 2047 के निर्माण में हर नागरिक की भागीदारी पर जोर दिया।

उन्होंने संविधान में निहित मानव अधिकारों का महत्व बताते हुए कहा कि ये अधिकार सामाजिक लोकतंत्र, भयमुक्त जीवन, शिक्षा, काम करने का अधिकार और गरिमा के साथ बुढ़ापा सुनिश्चित करते हैं। राष्ट्रपति ने महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा को मानव अधिकारों के मुख्य स्तंभों में बताया।

राष्ट्रपति ने एनएचआरसी, राज्य मानव अधिकार आयोग, न्यायपालिका और नागरिक समाज की भूमिका की सराहना की और कहा कि सरकार ने पिछले दशक में अधिकारों के संरक्षण और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से मानव अधिकारों की सुरक्षा को साझा जिम्मेदारी मानने का आह्वान किया।



भारत का गौरव: दीपावली अब यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल

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दीपावली, प्रकाश का पर्व, अब यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage of Humanity) सूची में शामिल हो गया है। यह ऐतिहासिक घोषणा 8 से 13 दिसंबर 2025 के दौरान दिल्ली के लाल किले में आयोजित 20वें यूनेस्को इंटरगवर्नमेंटल कमेटी सत्र में की गई। यह सूची में शामिल होने वाला भारत का 16वां तत्व है। इस निर्णय में 194 सदस्य देशों के प्रतिनिधि, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ और यूनेस्को के वैश्विक नेटवर्क के प्रतिनिधि उपस्थित थे। दीपावली, जो पीढ़ियों से समुदायों द्वारा जीवंत रूप में मनाई जाती है, सामाजिक एकता को बढ़ावा देती है और विकास में योगदान देती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनेस्को की इस मान्यता का स्वागत करते हुए कहा कि दीपावली भारत की संस्कृति और जीवन मूल्यों से गहरे जुड़ा हुआ है और यह हमारी सभ्यता की आत्मा का प्रतीक है।

यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में किसी भी तत्व को शामिल करने के लिए संबंधित राज्यों को नामांकन दस्तावेज़ प्रस्तुत करना होता है। प्रत्येक देश दो साल में एक तत्व का नामांकन कर सकता है। भारत ने 2024–25 चक्र में ‘दीपावली’ का नामांकन किया।

दीपावली केवल वार्षिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह करोड़ों लोगों के भावनात्मक और सांस्कृतिक जीवन में बसी एक जीवंत परंपरा है। दीपों की रोशनी से जगमगाते शहरों, गांवों और प्रवासी घरों में यह त्योहार खुशियों, नवीनीकरण और सामाजिक मेलजोल का संदेश फैलाता है।

यूनेस्को ने 17 अक्टूबर 2003 को पेरिस में अपनी 32वीं आम सभा में अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (ICH) की सुरक्षा हेतु 2003 कन्वेंशन को अपनाया। इसका उद्देश्य जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं, मौखिक प्रथाओं, प्रदर्शन कला, सामाजिक रीति-रिवाज, ज्ञान प्रणाली और हस्तकला को वैश्वीकरण और सामाजिक परिवर्तनों से होने वाले संकट से सुरक्षित करना है।

दीपावली का मूल दर्शन समृद्धि, नवीनीकरण और सभी के लिए सौभाग्य मनाने पर आधारित है। यह विविधताओं में एकता का संदेश देती है। घरों, गलियों और मंदिरों को अनगिनत दीपों से सजाया जाता है, जो अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक हैं। बाजार रंग-बिरंगे वस्त्रों और कारीगरी से जगमगाते हैं। शाम होते ही आकाश में आतिशबाजी का भव्य दृश्य देखने को मिलता है।

दीपावली की प्रमुख कथाएँ:

  • रामायण: यह पर्व भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के अयोध्या लौटने और रावण पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

  • महाभारत: पांडवों के वनवास से लौटने की खुशी में दीपावली मनाई जाती है।

  • नरक चतुर्दशी: भगवान कृष्ण की नरकासुर पर विजय का प्रतीक।

  • जैन धर्म: भगवान महावीर का निर्वाण दिवस।

  • त्रिपुरासुर वध: भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय।

  • राजा बाली का स्वागत (महाराष्ट्र), काली पूजा (बंगाल, ओडिशा, असम) और गोवर्धन/अन्नकूट (कृष्ण की कथा)

दीपावली में लोग रंगोली बनाते हैं, मिठाइयाँ बनाते हैं, घर सजाते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, उपहार बदलते हैं और सामुदायिक आयोजन करते हैं। यह त्योहार सामाजिक एकता, नवाचार और संस्कृति के संरक्षण का प्रतीक है।

पाँच दिवसीय उत्सव:

  1. धनतेरस: नई चीज़ों की खरीद और समृद्धि का प्रतीक।

  2. नरक चतुर्दशी: नकारात्मकता दूर करने के लिए दीप जलाना।

  3. मुख्य दिन – लक्ष्मी-गणेश पूजा: घरों में दीपों और रंगोली से सजावट।

  4. पंचमी: मित्रों और परिवार से मिलना, उपहार देना।

  5. भाई दूज: भाई-बहन के रिश्तों का उत्सव।

दीपावली ग्रामीण समुदायों के जीवन और कृषि चक्र को सम्मान देती है। कुम्हार, दीपक निर्माता, सजावटकर्ता, फूल विक्रेता, मिठाई निर्माता, जौहरी, कारीगर और छोटे व्यवसाय इस त्योहार में अपनी कला और कारीगरी के माध्यम से आर्थिक योगदान करते हैं। यह त्योहार दान, उदारता और खाद्य सुरक्षा को भी बढ़ावा देता है।

हाल के वर्षों में दीपावली उत्सवों में पर्यावरणीय जागरूकता भी महत्वपूर्ण हुई है। सरकार ने “ग्रीन क्रैकर्स” और अभियान जैसे स्वच्छ दीवाली और शुभ दीवाली के माध्यम से पारंपरिक त्योहार को पर्यावरण-हितैषी बनाने का प्रयास किया।

दीपावली का सांस्कृतिक पारिस्थितिकी तंत्र गरीबी उन्मूलन, लिंग समानता, सामाजिक कल्याण और शिक्षा जैसे सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान देता है।

भारत के विभिन्न हिस्सों, प्रवासियों और समुदायों से प्राप्त समर्थन और अनुभवों के आधार पर, दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल किया गया। यह सम्मान उन लाखों लोगों को समर्पित है जो इसे श्रद्धा और निष्ठा के साथ मनाते हैं, और उन कारीगरों को जिन्होंने इसे जीवित रखा।

दीपावली विश्व को यह संदेश देती है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत केवल याद की गई नहीं, बल्कि जिया और आगे बढ़ाया गया है।


भारत का बैंकिंग क्षेत्र: संकट से मजबूती और स्थिरता की ओर

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भारत में बैंकिंग गतिविधियाँ पिछले दशक में अभूतपूर्व मजबूती के साथ विकसित हुई हैं। घरेलू जमा राशि और क्रेडिट लगभग तीन गुना बढ़कर क्रमशः ₹88.35 लाख करोड़ से ₹231.90 लाख करोड़ और ₹66.91 लाख करोड़ से ₹181.34 लाख करोड़ हो गई हैं। इसी दौरान सकल गैर-निष्पादित संपत्तियाँ (Gross NPAs) 11.46% (2018) से घटकर 2.31% (2025) तक आ गई हैं।

सार्वजनिक क्षेत्रीय बैंक (PSBs) और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCBs) की लाभप्रदता:

  • PSBs का शुद्ध लाभ FY 2022-23 में ₹1.05 लाख करोड़ से बढ़कर FY 2024-25 में ₹1.78 लाख करोड़ हो गया।

  • SCBs का शुद्ध लाभ FY 2024-25 में ₹4.01 लाख करोड़ दर्ज किया गया।

बैंकिंग सुधार और नीतिगत पहलें:

  • Asset Quality Review (AQR) 2015: NPAs की पारदर्शी पहचान।

  • 4R Strategy: Recognition, Resolution, Recapitalisation, Reforms।

  • Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) 2016: कर्ज पुनर्प्राप्ति में क्रांति।

  • SARFAESI Act और ऋण वसूली सुधार: पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया मजबूत।

  • PCA Framework और PSB का संलयन: कमजोर बैंकों को मजबूती।

  • RBI Draft Directions 2025: Expected Credit Loss (ECL) मॉडल से जोखिम-आधारित प्रावधान।

मुख्य उपलब्धियाँ:

  • CRAR 12.94% (2015) से बढ़कर 17.36% (2025), CET-1 9.98% से 14.81%।

  • GNPA 11.18% (2018) से घटकर 2.31% (2025), NNPA 5.94% से 0.52%।

  • RoA -0.22% (FY 17-18) से बढ़कर 1.37% (FY 24-25), RoE -2.74% से 14.09%।

  • डिजिटल भुगतान और UPI के माध्यम से वित्तीय समावेशन बढ़ा।

भविष्य की प्राथमिकताएँ:

  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जमा संग्रह और क्रेडिट विस्तार।

  • उत्पादक क्षेत्रों में कॉर्पोरेट लेंडिंग और जोखिम प्रबंधन।

  • हरित ऊर्जा और स्थायी विकास के लिए ऋण बढ़ाना।

  • कृषि ऋण, PM MUDRA, PM Vishwakarma, PM Surya Ghar Muft Bijli, PM Vidyalaxmi, KCC जैसी योजनाओं के माध्यम से वित्तीय समावेशन।

  • अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्रों जैसे GIFT City और India International Bullion Exchange में उपस्थिति।

  • ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और फिजिकल शाखाओं का सुधार।

निष्कर्ष:

भारत का बैंकिंग क्षेत्र अब साफ-सुथरी बैलेंस शीट, मजबूत पूंजी और रिकॉर्ड लाभप्रदता के साथ अधिक सक्षम, लचीला और भविष्य के लिए तैयार है। सुधारों, डिजिटल नवाचार और वित्तीय समावेशन के माध्यम से यह क्षेत्र भारत की विकास आकांक्षाओं को वित्तीय स्थिरता और समर्थन प्रदान कर रहा है। भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ते हुए, अपने बैंकों के माध्यम से अगले दशक के विकास को आगे बढ़ा रहा है।

ज्ञान अर्थव्यवस्था के मूल्यांकन के लिए ढांचे के विकास हेतु आयोजित मंथन कार्यशाला

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30 सितंबर 2025 को ज्ञान अर्थव्यवस्था को मापने के लिए एक मंथन कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, अकादमिक संस्थानों, शोध, उद्योग और नीति थिंक टैंकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला में ज्ञान उत्पादों का संभावित वर्गीकरण, पारंपरिक ज्ञान सहित, और ज्ञान अर्थव्यवस्था के विभिन्न घटकों का मापन करने में आने वाली चुनौतियों पर विचार किया गया।

तकनीकी परामर्श समूह (TAG) भी बनाया गया है, जो ज्ञान अर्थव्यवस्था के मुख्य घटकों की पहचान करेगा, ज्ञान आधारित आर्थिक गतिविधियों के मूल्यांकन की पद्धतियाँ सुझाएगा, और ज्ञान अर्थव्यवस्था संकेतकों को अन्य मैक्रो-आर्थिक और सामाजिक संकेतकों से जोड़ने का कार्य करेगा। अब तक हुए खर्च केवल कार्यशालाओं और TAG बैठक के संचालन खर्च तक सीमित हैं।

Source: Lok Sabha में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, योजना मंत्रालय एवं संस्कृति मंत्रालय, राव इंदरजीत सिंह द्वारा दी गई जानकारी।

केंद्रीय श्रम मंत्रालय और Microsoft ने भविष्य-तैयार भारत के लिए किया ऐतिहासिक MoU पर हस्ताक्षर

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डॉ. मनसुख मंडाविया और Microsoft के CEO,सत्य नडेला की उपस्थिति में नई दिल्ली में आज केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने Microsoft के साथ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह साझेदारी रोजगार अवसरों के विस्तार, एआई-आधारित कौशल विकास को बढ़ावा देने और भारत की कार्यबल को वैश्विक अवसरों के लिए तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस सहयोग की मुख्य विशेषता Microsoft का 15,000+ नियोक्ताओं और भागीदारों को मंत्रालय के राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS) प्लेटफॉर्म पर शामिल करने का प्रयास है। इससे औपचारिक रोजगार तक पहुंच बढ़ेगी, उच्च-वृद्धि वाले क्षेत्रों का समर्थन होगा और भारत का कार्यबल न केवल घरेलू मांग के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सक्षम होगा।

MoU के तहत DigiSaksham के माध्यम से एआई-आधारित कौशल विकास को भी बढ़ाया जाएगा, जिससे युवाओं को AI, क्लाउड टेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा और उत्पादकता उपकरणों में भविष्य-उन्मुख क्षमताएँ प्राप्त होंगी। यह पहल वैश्विक मानकों और उद्योग की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप कार्यबल तैयार करने में मदद करेगी।

डॉ. मंडाविया ने इस साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारत की लाभप्रद जनसांख्यिकीय स्थिति का लाभ उठाने और एक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, डिजिटल कौशल संपन्न और भविष्य-तैयार कार्यबल बनाने के साझा उद्देश्य को दर्शाता है। उन्होंने Microsoft की भागीदारी से रोजगार पहुंच, कौशल विकास और वैश्विक श्रम गतिशीलता में भारत की नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने की संभावना पर प्रकाश डाला।

डॉ. मंडाविया ने आगे कहा, “भारत ने सामाजिक सुरक्षा कवरेज में ऐतिहासिक वृद्धि हासिल की है, जो 2015 में 19% से बढ़कर 2025 में 64.3% हो गई है, जिससे 94 करोड़ से अधिक नागरिक लाभान्वित हुए हैं। e-Shram और NCS जैसे प्लेटफ़ॉर्म में AI को शामिल कर, हम सामाजिक सुरक्षा को और मजबूत कर रहे हैं और मार्च 2026 तक 100 करोड़ नागरिकों तक पहुँचने के लक्ष्य के करीब जा रहे हैं।”

Microsoft के CEO नडेला ने भारत में सामाजिक सुरक्षा कवरेज के विस्तार की सराहना की और कहा कि e-Shram पहल ने लाखों असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा नेट में लाया है, जिससे नीति निर्माण में वास्तविक समय के डेटा का उपयोग संभव हुआ है। उन्होंने भारत में Employment Digital Public Infrastructure (Employment DPI) विकसित करने में Microsoft के सहयोग की इच्छा जताई।

इस MoU के तहत Microsoft की Azure और AI क्षमताओं का उपयोग NCS प्लेटफॉर्म, e-Shram एनालिटिक्स और श्रम बाजार खुफिया, और रोजगार सेवाओं तथा नौकरी मिलान प्रणाली को आधुनिक बनाने में किया जाएगा। Microsoft के भागीदार नेटवर्क का उपयोग उद्योग, प्रशिक्षण साझेदारों और संस्थानों में NCS अपनाने और रोजगार अवसर बढ़ाने के लिए किया जाएगा।


प्रधानमंत्री ने सी. राजगोपालाचारी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सी. राजगोपालाचारी की जन्मजयन्ती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्हें स्वतंत्रता सेनानी, विचारक, विद्वान और राजनेता के रूप में याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राजाजी 20वीं सदी के सबसे तेजस्वी मस्तिष्कों में से एक थे, जिन्होंने मूल्य सृजन और मानवीय गरिमा को बनाए रखने में विश्वास रखा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र उनके स्वतंत्रता संग्राम और सार्वजनिक जीवन में किए गए स्थायी योगदान को कृतज्ञता के साथ याद करता है।

X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में मोदी ने लिखा:

“स्वतंत्रता सेनानी, विचारक, विद्वान, राजनेता… ये कुछ शब्द हैं जो सी. राजगोपालाचारी को याद करते समय मन में आते हैं। उनकी जन्मजयन्ती पर उन्हें श्रद्धांजलि। वे 20वीं सदी के सबसे तेजस्वी मस्तिष्कों में से एक रहे, जिन्होंने मूल्य सृजन और मानवीय गरिमा को बनाए रखने में विश्वास रखा। हमारा राष्ट्र उनके स्थायी योगदान को कृतज्ञता के साथ याद करता है।

राजाजी की जन्मजयन्ती पर, कुछ रोचक सामग्री साझा कर रहा हूँ, जिसमें युवा राजाजी की तस्वीर, उनके कैबिनेट मंत्री बनने की अधिसूचना, 1920 के दशक में स्वयंसेवकों के साथ उनकी तस्वीर और 1922 में एडिट की गई यंग इंडिया की एक संस्करण शामिल है, क्योंकि गांधी जी जेल में थे।”



प्रधानमंत्री मोदी ने योग के transformative प्रभाव पर साझा किया संस्कृत श्लोक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज योग के परिवर्तनकारी प्रभाव को उजागर करते हुए एक संस्कृत श्लोक साझा किया। इस श्लोक में योग की प्रगतिशील यात्रा का वर्णन किया गया है—शारीरिक स्वास्थ्य से लेकर परम मोक्ष तक—आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा और समाधि के अभ्यास के माध्यम से।

प्रधानमंत्री ने X पर पोस्ट में लिखा:

“आसनेन रुजो हन्ति प्राणायामेन पातकम्।
विकारं मानसं योगी प्रत्याहारेण सर्वदा॥

धारणाभिर्मनोधैर्यं याति चैतन्यमद्भुतम्।
समाधौ मोक्षमाप्नोति त्यक्त्त्वा कर्म शुभाशुभम्॥”

छत्तीसगढ़ कैबिनेट की बैठक : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यहां मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में लिए गए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय -

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यहां सिविल लाईन स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित कैबिनेट की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए - 

मंत्रिपरिषद ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के विरुद्ध पंजीबद्ध आपराधिक प्रकरणों के निराकरण/वापसी संबंधी प्रक्रिया को अनुमोदित किया है। 

मंत्रिपरिषद ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के विरुद्ध दर्ज प्रकरणों की समीक्षा एवं परीक्षण के लिए, जिन्हें न्यायालय से वापस लिया जाना है, मंत्रिपरिषद उप समिति के गठन को स्वीकृति दी है। यह समिति परीक्षण उपरांत प्रकरणों को मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत करेगी। यह निर्णय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 के प्रावधानों के अनुरूप है, जिसके अंतर्गत आत्मसमर्पित नक्सलियों के अच्छे आचरण तथा नक्सलवाद उन्मूलन में दिए गए योगदान को ध्यान में रखकर उनके विरुद्ध दर्ज प्रकरणों के निराकरण पर विचार का प्रावधान है।

आत्मसमर्पित नक्सलियों के प्रकरण वापसी की प्रक्रिया के लिए जिला स्तरीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। यह समिति आत्मसमर्पित नक्सली के अपराधिक प्रकरणों की वापसी के लिए रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को प्रस्तुत करेगी। पुलिस मुख्यालय अभिमत सहित प्रस्ताव भेजेगा। शासन द्वारा विधि विभाग का अभिमत प्राप्त कर मामलों को मंत्रिपरिषद उप समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। उपसमिति द्वारा अनुशंसित प्रकरणों को अंतिम अनुमोदन हेतु मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा जाएगा। केंद्रीय अधिनियम अथवा केंद्र सरकार से संबंधित प्रकरणों के लिए भारत सरकार से आवश्यक अनुज्ञा प्राप्त की जाएगी। अन्य प्रकरणों को न्यायालय में लोक अभियोजन अधिकारी के माध्यम से वापसी की प्रक्रिया हेतु जिला दण्डाधिकारी को प्रेषित किया जाएगा

मंत्रिपरिषद द्वारा राज्य के विभिन्न कानूनों को समयानुकूल और नागरिकों के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से 14 अधिनियमों में संशोधन हेतु छत्तीसगढ़ जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) (द्वितीय) विधेयक, 2025 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। 

उल्लेखनीय है कि कई अधिनियमों में उल्लंघन पर जुर्माना या कारावास के प्रावधान होने से न्यायिक प्रक्रिया लंबी हो जाती है, जिससे आम नागरिक और व्यवसाय दोनों अनावश्यक रूप से प्रभावित होते हैं। ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस और ईज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देने के लिए इन प्रावधानों का सरलीकरण आवश्यक है। इससे पहले, राज्य सरकार द्वारा 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2025 अधिसूचित किया गया है। अब 11 विभागों के 14 अधिनियमों के 116 प्रावधानों को भी सरल और अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह विधेयक लाया जाएगा। 

इस विधेयक में छोटे उल्लंघनों के लिए प्रशासकीय शास्ति का प्रावधान रखा गया है, जिससे मामलों का त्वरित निपटारा होगा, न्यायालयों का बोझ कम होगा और नागरिकों को तेजी से राहत मिल सकेगी। साथ ही, कई अधिनियमों में दंड राशि लंबे समय से अपरिवर्तित होने के कारण प्रभावी कार्यवाही बाधित होती थी, इस विधेयक से वह कमी भी दूर होगी। इन संशोधनों से सुशासन को बढ़ावा मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां जन विश्वास विधेयक का द्वितीय संस्करण लाया जा रहा है। 

मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रथम अनुपूरक अनुमान वर्ष 2025-2026 का विधानसभा में उपस्थापन बावत् छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2025 का अनुमोदन किया गया। 

प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान: ‘आपका पैसा, आपका अधिकार’ आंदोलन में भाग लें

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नागरिकों से ‘आपका पैसा, आपका अधिकार’ आंदोलन में भाग लेने का आह्वान किया। यह पहल लोगों को उनके अप्राप्त जमा, बीमा लाभ, लाभांश और अन्य वित्तीय संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए शुरू की गई है।

मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने लिंक्डइन ब्लॉग में लिखा:

“यह एक अवसर है कि आप अपनी भूली हुई वित्तीय संपत्ति को नए अवसर में बदल सकें।

‘आपका पैसा, आपका अधिकार’ आंदोलन में भाग लें!”

भारत का गौरव: दीपावली अब UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने UNESCO द्वारा दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने इसे हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि दीपावली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि एक सभ्यतात्मक घटना है जो पूरे राष्ट्र को जोड़ती है और विश्वभर में गूंजती है। यह भारत की बहुसांस्कृतिकता, सामाजिक एकता और बहुलवाद का प्रतीक है, साथ ही अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देती है। उन्होंने सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और मानवता के लिए इसके सुसंगत संदेश का उत्सव है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी UNESCO की इस घोषणा पर खुशी और गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दीपावली हमारे संस्कृति और जीवन मूल्यों से गहरा जुड़ा हुआ है और यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धर्म का प्रतीक है। UNESCO सूची में शामिल होने से दीपावली की वैश्विक लोकप्रियता और बढ़ेगी और इसके आदर्शों को पूरी दुनिया में फैलाने में मदद मिलेगी।

दोनों नेताओं ने यह संदेश साझा किया कि दीपावली का प्रकाश और इसके आदर्श हमें सदैव मार्गदर्शन देते रहें।

GlowCas9: CRISPR-Cas9 को जीवित कोशिकाओं में वास्तविक समय में ट्रैक करने वाली नई तकनीक

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नवीनतम रूप से विकसित CRISPR प्रोटीन वैज्ञानिकों को Cas9 एंज़ाइम को वास्तविक समय में देखने की क्षमता प्रदान कर सकता है, जो CRISPR-Cas9 सिस्टम के माध्यम से जेनेटिक रोगों जैसे कि कैंसर का इलाज करने के लिए जीन संपादन करता है।

जीन थैरेपी कई जीवन-घातक वंशानुगत रोगों के लिए स्थायी इलाज साबित हो सकती है। दशकों से प्रभावी, सुरक्षित और सस्ती जीन थैरेपी विकसित करना चुनौतीपूर्ण रहा है। CRISPR नामक जीन-एडिटिंग टूल ने इस चुनौती का समाधान प्रस्तुत किया। यह गाइड RNA की मदद से Cas9 एंज़ाइम को DNA के विशिष्ट अनुक्रम पर ले जाता है और उसे सटीक रूप से काटता है।

हालाँकि, वैज्ञानिक अब तक Cas9 को जीवित कोशिकाओं में वास्तविक समय में देख नहीं पा रहे थे। पारंपरिक तकनीकें कोशिकाओं को स्थिर या तोड़ने पर आधारित होती हैं, जिससे प्रक्रिया को वास्तविक समय में ट्रैक करना असंभव था।

GlowCas9 की खोज

कोलकाता स्थित बोस संस्थान (DST के अधीन एक स्वायत्त संस्था) के वैज्ञानिकों ने इस चुनौती का समाधान निकाला। डॉ. बसुदेब माजी के नेतृत्व में शोध टीम ने GlowCas9 बनाया, एक CRISPR प्रोटीन जो जीन संपादन करते समय रोशनी छोड़ता है।

GlowCas9 का विकास Ph.D. शोधार्थी अर्कदीप कर्मकार ने किया। इसमें Cas9 को स्प्लिट नैनो-लुसिफ़रेज़ एंज़ाइम के साथ जोड़ा गया, जो गहरे समुद्र के झींगा प्रोटीन से प्राप्त किया गया है। जब Cas9 सही ढंग से फोल्ड होता है, तो ये एंज़ाइम के टुकड़े जुड़कर रोशनी उत्पन्न करते हैं, जो आग के छोटे झिलमिलाते प्रकाश की तरह दिखाई देती है। इस प्रकाश उत्सर्जन के माध्यम से वैज्ञानिक जीवित कोशिकाओं, ऊतकों और पौधों की पत्तियों में CRISPR क्रियाओं को बिना नुकसान पहुँचाए ट्रैक कर सकते हैं।

GlowCas9 अन्य Cas9 एंज़ाइमों की तुलना में अधिक स्थिर है और उच्च तापमान पर भी अपनी संरचना और गतिविधि बनाए रखता है। यह स्थायित्व जीन थैरेपी में Cas9 के सफल वितरण को सुनिश्चित करता है। GlowCas9 ने होमोलॉजी-डायरेक्टेड रिपेयर (HDR) की सटीकता भी बढ़ाई, जो वंशानुगत रोगों जैसे कि सिकल सेल एनीमिया और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए महत्वपूर्ण है।

सांकेतिक प्रदर्शन: शोधकर्ताओं ने GlowCas9 को "ACHARYA" DNA अनुक्रम को जीनोम में सम्मिलित करने के लिए प्रोग्राम किया, जो बोस संस्थान के संस्थापक आचार्य जगदीश चंद्र बोस को सम्मानित करता है।

GlowCas9 को पौधों में भी ट्रैक किया जा सकता है, जो सुरक्षित और गैर-ट्रांसजेनिक कृषि सुधार के अनुप्रयोगों का संकेत देता है।

इस नवाचार ने थेराट्रैकिंग (theratracking) के क्षेत्र में एक नई दिशा खोली है, जहां वैज्ञानिक न केवल जीन को ठीक कर सकते हैं बल्कि वास्तविक समय में सुधार की प्रक्रिया को भी देख सकते हैं।

संदर्भ:

Engineered Thermostable Chemically Responsive GlowCas9 System for Real-Time Therapeutic Monitoring Applications. Arkadeep Karmakar, Arpita Hota, Sadiya Tanga, Vivek Kumar, Pallabi Das, Anitha Eswari S, Mala Thapa, and Basudeb Maji*. Angewandte Chemie International Edition, 2025.


बटसेरी, हिमाचल प्रदेश में देवदार वृक्षों ने उजागर किया हिमालय में वसंत सूखे और भू-आपदा का इतिहास

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हिमाचल प्रदेश के संगला घाटी के बटसेरी गाँव में स्थित देवदार (Deodar) पेड़ों ने छोटे हिम युग (Little Ice Age, LIA) के दौरान वसंत ऋतु में अधिक वर्षा और 1757 ईस्वी के बाद सुक्खे होते वसंत का इतिहास उजागर किया। हाल के दशकों में वसंत में सूखे की घटनाएँ बढ़ी हैं, जो उनके वृक्ष-छल्लों (Tree Rings) में दर्ज हैं।

यह अध्ययन भू-आपदा गतिविधियों के कारणों का विश्लेषण करता है और भविष्य की आपदा घटनाओं की पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली के विकास में मदद करता है।

अत्यधिक जलवायु घटनाओं और भू-आपदाओं का संबंध

हिमालय क्षेत्र में सूखा, बाढ़, भूस्खलन, ग्लेशियल झील प्रकोप (GLOFs), चट्टान गिरना और हिम-स्खलन जैसी घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति ने यह स्पष्ट किया कि भूतपूर्व जलवायु और भू-आपदा घटनाओं का अध्ययन आवश्यक है।

वृक्ष-छल्लों का महत्व

वृक्ष-छल्ले प्रत्येक वर्ष बनने वाली लकड़ी की परतें होती हैं, जो पेड़ की उम्र और पर्यावरणीय स्थितियों का रिकॉर्ड देती हैं। देवदार के वृक्ष-छल्लों का अध्ययन (Dendroclimatology और Dendrogeomorphology) हमें वर्तमान और भविष्य के भू-आपदा जोखिमों को समझने और उनके लिए रणनीति बनाने में सक्षम बनाता है।

अध्ययन की पृष्ठभूमि

जुलाई 2021 में बटसेरी गाँव के पास एक भारी चट्टान गिरने की घटना ने बिर्बल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोसाइंसेज (BSIP), DST के अंतर्गत वृक्ष-छल्लों के माध्यम से भूतपूर्व जलवायु और भू-आपदा अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।

अध्ययन में देंड्रो-क्लाइमेटोलॉजी और देंड्रो-जियोमोर्फोलॉजी को एकीकृत किया गया ताकि भविष्य के जोखिम मूल्यांकन और न्यूनीकरण रणनीतियाँ तैयार की जा सकें।

मुख्य निष्कर्ष

  • देवदार वृक्ष-छल्लों के अध्ययन से 378 वर्षों (1558-2021 CE) का वसंत ऋतु का नमी इतिहास और 168 वर्षों (1853-2021 CE) का चट्टान गिरने का रिकॉर्ड तैयार किया गया।

  • पेड़ की वृद्धि विशेष रूप से फरवरी से अप्रैल के महीनों की नमी पर निर्भर थी, जो पश्चिमी विक्षेप (Western Disturbances) से प्रभावित होती है।

  • कुल 53 चट्टान गिरने की घटनाओं का पता चला, जिनमें 8 उच्च तीव्रता वाली थीं। ये घटनाएँ विशेष रूप से 1960 के बाद के सूखे वसंत से संबंधित थीं।

  • वसंत में सूखे के कारण ढलानों पर विकसित वनस्पति कमज़ोर हो गई, जिससे जब मानसून में भारी वर्षा हुई, तो ढलान अधिक संवेदनशील बन गए।

स्थानीय और नीति-निर्माण पर प्रभाव

  • अध्ययन ने जलवायु परिवर्तन और भू-आपदाओं के बीच के संबंध को उजागर किया।

  • इससे वन प्रबंधन, जल संसाधन प्रबंधन और ढलान सुरक्षा उपायों में सुधार की आवश्यकता स्पष्ट होती है।

  • यह दृष्टिकोण सड़क और अन्य बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने, स्थानीय लोगों की आजीविका की रक्षा और आपदा तैयारी बढ़ाने में मदद करता है।

  • साथ ही, यह समुदायों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और जोखिम न्यूनीकरण में सशक्त बनाता है।

निष्कर्ष

यह अध्ययन जर्नल Catena में प्रकाशित हुआ और हिमालय क्षेत्र में वसंत और पूर्व-मॉनसून सूखे के कारण भू-आपदाओं के जोखिम को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।


PM-KUSUM योजना के तहत किसानों और FPOs को मिली बड़ी सफलता

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पीएम-कुसुम योजना एक मांग आधारित योजना है। इसकी क्षमता आवंटन उन राज्यों को प्राप्त मांग और प्रगति के आधार पर किया जाता है। योजना में किसान, किसानों के समूह, किसान उत्पादक संगठन (FPO), जल उपयोगकर्ता संघ (WUA), प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसायटी (PACS) आदि भाग ले सकते हैं।

यह योजना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है। 30 नवंबर 2025 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में योजना की स्थापना प्रगति (Annexure-I) के अनुसार है।

योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या, जिसमें FPO शामिल हैं, Annexure-II में दी गई है।

30 नवंबर 2025 तक PM-KUSUM योजना के सभी घटकों के तहत कुल 10,203 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित की जा चुकी है।

योजना के तहत वित्तीय सहायता राज्यों की मांग, SIAs द्वारा रिपोर्ट की गई प्रगति और योजना की दिशानिर्देशों के अनुसार जारी की जाती है। अब तक राज्यों से प्राप्त मांग के अनुसार ₹7,106 करोड़ जारी किए जा चुके हैं।

योजना के क्रियान्वयन को सरल बनाने के लिए मंत्रालय ने 17 जनवरी 2024 को व्यापक संशोधित दिशानिर्देश जारी किए।

दिशानिर्देशों के अनुसार लघु और सीमांत किसानों तथा सूक्ष्म सिंचाई तकनीक का उपयोग करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाती है।

योजना की पहुंच बढ़ाने के लिए मंत्रालय समय-समय पर व्यापक जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यशालाएँ आयोजित करता है। इसमें राज्यों के साथ समीक्षा बैठक और मार्गदर्शन भी शामिल हैं।

यह जानकारी संयुक्त राज्य मंत्री, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा श्रिपाद यसो नाइक द्वारा लोकसभा में लिखित उत्तर में दी गई।

Annexure-II: PM-KUSUM योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या (30.11.2025 तक)

  • S.No   राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कुल लाभार्थी (FPO सहित)
    Arunachal Pradesh     616
    Assam 151
    Chhattisgarh 9
    Goa 859
    Gujarat 2,28,504
    Haryana 1,80,582
    Himachal Pradesh 1,193
    Jammu & Kashmir 3,601
    Jharkhand 43,693
    Karnataka 60,387
    Kerala 13,489
    Ladakh 102
    Madhya Pradesh 37,689
    Maharashtra 11,21,416
    Manipur 150
    Meghalaya 98
    Mizoram 40
    Nagaland 140
    Odisha 10,113
    Punjab 17,592
    Rajasthan 2,35,924
    Tamil Nadu 4,950
    Tripura 7,061
    Uttar Pradesh 72,417
    Uttarakhand 1,663
    West Bengal 20
  • कुल लाभार्थी: 20,42,459


स्वास्थ्य मंत्रालय और WHO ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर दिल्ली मेट्रो अभियान का शुभारंभ किया

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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से आज यहां सुल्तानपुर मेट्रो स्टेशन पर महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य एवं कल्याण पर केंद्रित एक माह-लंबा दिल्ली मेट्रो अभियान शुरू किया गया। यह अभियान 10 दिसंबर 2025 से 10 जनवरी 2026 तक चलेगा। इस दौरान मेट्रो ट्रेनों और कुछ चयनित स्टेशनों पर प्रदर्शित संदेशों के माध्यम से लाखों यात्रियों तक महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण, डिजिटल खाई को कम करने, महिलाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता की पहुंच बढ़ाने, पीसी-पीएनडीटी और टीबी जागरूकता से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाएं पहुँचाई जाएंगी।

इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव पुनः सलिला श्रीवास्तव ने कहा,

“कोई परिवार या राष्ट्र तब तक प्रगति नहीं कर सकता जब तक महिलाएँ स्वस्थ न हों। महिलाओं का स्वास्थ्य और सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। इस दिल्ली मेट्रो अभियान के माध्यम से हम यह संदेश सीधे जनता तक पहुँचाना चाहते हैं। यह एक अत्यंत प्रभावी माध्यम है, जो लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा।”

उन्होंने यह भी बताया कि टीबी जागरूकता, डिजिटल खाई कम करने, पीसी-पीएनडीटी अधिनियम 1994 तथा अन्य प्रमुख मुद्दों पर आधारित संदेश मेट्रो कोचों के अंदर और बाहर प्रदर्शित किए गए हैं।

महिला भ्रूण लिंग निर्धारण और चयन से जुड़ी तकनीकों की बढ़ती उपलब्धता पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा,

“पहले लोग लिंग निर्धारण के लिए अल्ट्रासाउंड पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इन गलत प्रथाओं को रोकना आवश्यक है और लोगों को इसके प्रति संवेदनशील बनाना होगा।”

WHO दक्षिण-पूर्व एशिया की अधिकारी-प्रभारी डॉ. कैथरीना बोहेमे ने कहा,

“इस मेट्रो स्टेशन पर कुछ यात्राएँ समाप्त होती हैं और कुछ नई यात्राएँ शुरू होती हैं। आज लैंगिक-आधारित हिंसा के विरुद्ध 16 दिवसीय अभियान का अंतिम दिन है। एक अभियान समाप्त होते ही दूसरा शुरू हो रहा है। हमें महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए दिल्ली मेट्रो अभियान शुरू करने पर गर्व है, जो दो सरल और स्थायी संदेशों पर आधारित है: Healthy Women = Healthy Nations और #BecozSheMatters।”

उन्होंने कहा,

“स्वस्थ महिलाएँ स्वस्थ परिवार, स्वस्थ समुदाय और स्वस्थ राष्ट्र की आधारशिला हैं। महिलाओं और लड़कियों का स्वास्थ्य, विशेषकर उनका मानसिक स्वास्थ्य, न केवल उनके कल्याण के लिए बल्कि पूरे समाज की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है।”

भारत में सुदृढ़ महिला स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के लिए कई राष्ट्रीय पहलें चलाई जा रही हैं—

  • स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान

  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA)

  • मिशन शक्ति

  • निर्भया फंड

  • आयुष्मान भारत

कार्यक्रम के दौरान WHO और अन्य साझेदार UN एजेंसियों के साथ स्वास्थ्य सचिव ने अभियान की शुरुआत का नेतृत्व किया।

लॉन्च कार्यक्रम में WeBhor, एक ऑल-वुमेन बैंड ने प्रस्तुति दी, जिसने महिलाओं की दृढ़ता, गरिमा और सशक्तिकरण के संदेश को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया। इसके बाद सभी अतिथियों ने अभियान की पहली मेट्रो यात्रा में हिस्सा लिया, जो महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण को बढ़ावा देने की सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक है।

दिल्ली मेट्रो का आभार व्यक्त करते हुए डॉ. बोहेमे ने कहा,

“हम सब इस महत्वपूर्ण यात्रा के सह-यात्री हैं। इस संदेश को आगे बढ़ाने में सहयोग करें, क्योंकि स्वस्थ महिलाएँ ही स्वस्थ राष्ट्र बनाती हैं।”

इस अवसर पर संयुक्त सचिव मीरा श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव गीतू जोशी, और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।



रक्षक पाठ्यक्रम छात्रों के सुरक्षित भविष्य गढ़ने में सहायक होगा – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों के मध्य “रक्षक पाठ्यक्रम” के लिए एमओयू संपन्न हुआ। बाल अधिकार एवं संरक्षण पर आधारित यह अनूठा पाठ्यक्रम देश में अपनी तरह का पहला शैक्षणिक नवाचार है। 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि “रक्षक पाठ्यक्रम छात्रों के सुरक्षित और जिम्मेदार भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।” उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम युवाओं को न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करेगा, बल्कि बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में आवश्यक विशेषज्ञता भी विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि कई बार बच्चे भूलवश या भ्रमित होकर गलत दिशा में चले जाते हैं क्योंकि वे अबोध होते हैं। ऐसे बच्चों को सही मार्ग पर लाना हम सभी का सामूहिक दायित्व है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पिछले दो वर्षों में राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की गारंटी के अधिकांश वादों को पूरा कर लिया है। किसानों के बकाया बोनस, महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना और सबके लिए आवास जैसे महत्वपूर्ण संकल्पों को साकार किया गया है। उन्होंने कहा कि 350 से अधिक प्रशासनिक सुधार लागू कर छत्तीसगढ़ सुशासन के मार्ग पर तेजी से अग्रसर है और इसी उद्देश्य से सुशासन एवं अभिसरण विभाग की स्थापना भी की गई है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रक्षक पाठ्यक्रम को रिकॉर्ड समय में तैयार करने और विश्वविद्यालयों में इसे लागू करने के लिए आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा और उनकी पूरी टीम को बधाई दी।

महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। बच्चों से भिक्षावृत्ति कराना, परित्यक्त बच्चों का पुनर्वास, और संवेदनशील मामलों का समाधान—ये सभी अत्यंत चुनौतीपूर्ण विषय हैं। उन्होंने कहा कि “यह पाठ्यक्रम संवेदनशील, सजग और सेवा-भावयुक्त युवा तैयार करने में मील का पत्थर साबित होगा।” उन्होंने इसे राष्ट्रीय स्तर का नवाचार बताते हुए कहा कि भविष्य में छत्तीसगढ़ इस क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में पहचाना जाएगा।

उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने पाठ्यक्रम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने आयोग और सभी छह विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम लागू करने हेतु बधाई दी।

यह एक वर्षीय स्नातकोत्तर “पीजी डिप्लोमा इन चाइल्ड राइट्स एंड प्रोटेक्शन” 

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर, आंजनेय विश्वविद्यालय, रायपुर, एमिटी विश्वविद्यालय, रायपुर और शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई-दुर्ग में प्रारम्भ होगा।

क्या है रक्षक पाठ्यक्रम

प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में अब तक ऐसा पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं था, जो युवाओं को बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में प्रशिक्षित करते हुए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। इस आवश्यकता को देखते हुए आयोग द्वारा “रक्षक – बाल अधिकार संरक्षण पर एक वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम” को विकसित किया गया है। इस पाठ्यक्रम से युवाओं को सैद्धांतिक एवं विधिक ज्ञान, विभागीय योजनाओं, संस्थाओं और प्रायोगिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ, बाल संरक्षण इकाइयों आदि के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध होगी। संवेदनशीलता, जागरूकता और बाल-अधिकारों की आत्मिक समझ विकसित करने वाला यह पाठ्यक्रम युवाओं को इस क्षेत्र में कुशल, समर्पित और प्रभावी मानव संसाधन के रूप में तैयार करेगा। आयोग द्वारा पाठ्यक्रम के संचालन, प्रशिक्षण, परामर्श और मार्गदर्शन की संपूर्ण सुविधा विश्वविद्यालयों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा, ,पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से कुलसचिव प्रो शैलेंद्र पटेल,प्रो ए के श्रीवास्तव,संत गहिरा गुरु विश्विद्यालय सरगुजा कुलपति प्रो राजेंद्र लाकपाले, कुलसचिव  शारदा प्रसाद त्रिपाठी, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति एवं रायपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे, कुलसचिव सुनील कुमार शर्मा,आंजनेय विश्वविद्यालय रायपुर कुलपति डॉ. टी.रामाराव कुलसचिव डॉ. रूपाली चौधरी, एमिटी विश्वविद्यालय रायपुर कुलपति डॉ. पीयूष कांत पाण्डेय, कुलसचिव डॉ. सुरेश ध्यानी, शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई दुर्ग चांसलर डॉ.आई.पी. मिश्रा, कुलपति डॉ ए. के झा एवं डॉ जया मिश्रा, आयोग के सचिव प्रतीक खरे सहित अन्य विभागीय अधिकारीगण उपस्थित थे।

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