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“भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई शाखाओं में स्टाफिंग और आधुनिक तकनीकों का उपयोग”

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ASI (Archaeological Survey of India) की खुदाई शाखाओं में स्टाफिंग नियमित भर्ती नियमों (UPSC, SSC) और फीडर ग्रेड अधिकारियों के प्रमोशन के माध्यम से पूरी की जाती है। पिछले एक वर्ष में खुदाई शाखाओं में स्टाफ़ की संख्या 86 से बढ़कर 102 हो गई है। उपलब्ध कर्मचारियों को चल रहे खुदाई प्रोजेक्ट्स की आवश्यकताओं के अनुसार तैनात किया जाता है।

फील्ड स्टाफ की क्षमता बढ़ाने के लिए समय-समय पर आंतरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 24 खुदाई/अन्वेषण की अनुमति दी गई है और हर खुदाई के बाद तकनीकी रिपोर्ट तैयार करना अनिवार्य है।

अकादमिक और पुरातात्त्विक सहयोगों की समयावधि और प्रकार संबंधित शाखाओं द्वारा समीक्षा की जाती है। LiDAR, GIS, ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग प्राचीन स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों के अध्ययन और दस्तावेजीकरण के लिए किया जा रहा है।

संरक्षित स्मारकों और क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने के लिए Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 और Public Premises (Eviction of Unauthorised Occupants) Act, 1971 के तहत कदम उठाए जाते हैं। सुपरिंटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट को एस्टेट ऑफिसर के अधिकार दिए गए हैं, और आवश्यकतानुसार राज्य सरकार/पुलिस की मदद भी ली जाती है। सुरक्षा के लिए नियमित वॉच और वार्ड स्टाफ के अलावा CISF और निजी सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं।

Key Points:

  • खुदाई शाखाओं में स्टाफ़ बढ़कर 102 हुआ।

  • 24 खुदाई/अन्वेषण परियोजनाओं की अनुमति।

  • LiDAR, GIS, ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल।

  • अतिक्रमण रोकने और स्मारकों की सुरक्षा के लिए कानूनी और फिजिकल उपाय।

  • फील्ड स्टाफ के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम।

काशी तमिल संगम 4.0: काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक एकता का भव्य उत्सव

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केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री एवं शिक्षा राज्य मंत्री, जयंत चौधरी ने काशी तमिल संगम (KTS) 4.0 का दौरा करते हुए कहा कि, “काशी तमिल संगम दो प्राचीन परंपराओं को और करीब लाता है और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को प्रतिबिंबित करता है, जहाँ भारत की समृद्ध विविधता एक एकीकृत शक्ति बनती है।” यह संगम 2 दिसंबर से जारी है और काशी तथा तमिलनाडु के बीच गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों का उत्सव मनाता है।

चौधरी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, काशी एक जीवंत सांस्कृतिक केंद्र बनकर उभरी है, जो भारत की विविध विरासत को संरक्षित करने, मनाने और एकजुट करने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। तमिलनाडु के साथ यह नया संबंध यह दर्शाता है कि भारत की सांस्कृतिक एकता इसकी विविधता में गहराई से निहित है। यह पहल समझ और एकता की नई ज्वाला को प्रज्वलित कर रही है। भारत की समृद्ध विरासत गर्व के साथ प्रदर्शित हो रही है और इसकी परंपराओं को आत्मविश्वास और गौरव के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।”

उन्होंने इस वर्ष के विषय “Learn Tamil – Tamil Karkalam” की सराहना करते हुए कहा कि भारत की विविध भाषाएँ लोगों को जोड़ती हैं, और इस प्रकार की पहल युवाओं में सम्मान, संवाद और सहयोग की नई भावना को प्रेरित करती हैं। अपने दौरे के दौरान, उन्होंने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, प्रदर्शनियों, भाषा कार्यशालाओं और छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रमों का अवलोकन किया। उन्होंने विशेष रूप से युवा द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक कला, हस्तशिल्प और लोक नृत्यों की सराहना की।

शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित और IIT मद्रास एवं BHU द्वारा समन्वित KTS 4.0 में प्रमुख पहलें शामिल हैं—तेनकसी से काशी तक ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान, काशी के स्कूलों में 50 तमिल शिक्षकों की तैनाती, और उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए तमिल भाषा अध्ययन यात्राएँ। कार्यक्रम में काशी के ऐतिहासिक तमिल सांस्कृतिक स्थलों के दौरे भी शामिल हैं। KTS 4.0 में सात विभिन्न समूहों—छात्र, शिक्षक, महिलाएँ, कारीगर, मीडिया पेशेवर, आध्यात्मिक विद्वान और अन्य पेशेवरों—के 1,400 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।

सांस्कृतिक अनुभव, शैक्षणिक आदान-प्रदान और व्यापक जन भागीदारी के साथ, काशी तमिल संगम 4.0 भारत की सांस्कृतिक एकता का भव्य उत्सव है—जो काशी और तमिलनाडु की समृद्ध परंपराओं के बीच शाश्वत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है।


“हमारा शौचालय, हमारा भविष्य” अभियान: स्वच्छता, स्वास्थ्य और गरिमा के लिए सामूहिक पहल

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19 नवंबर को शुरू हुआ “हमारा शौचालय, हमारा भविष्य” अभियान 10 दिसंबर – मानवाधिकार दिवस पर सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। यह तीन सप्ताह का अभियान केवल स्वास्थ्य, गरिमा और समाजिक समृद्धि के लिए स्वच्छता और सफाई के महत्व पर केंद्रित नहीं था, बल्कि ग्रामीण शौचालयों (IHHLs) और सामुदायिक शौचालय परिसरों (CSCs) के कार्यात्मक मूल्यांकन, मरम्मत, सौंदर्यीकरण और स्वीकृति पर भी जोर देता था। अभियान ने संचालन एवं रखरखाव (O&M) को मजबूत करने और मल अपशिष्ट के सुरक्षित प्रबंधन एवं रेट्रोफिटिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर भी ध्यान दिया।

अभियान की प्रमुख उपलब्धियां

  • 1 लाख से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (IHHLs) और 5,500 से अधिक सामुदायिक शौचालय परिसरों (CSCs) की मरम्मत और सौंदर्यीकरण किया गया।

  • 49,000 से अधिक IEC/BCC कार्यक्रमों में 32.70 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया। सबसे अधिक भागीदारी तमिलनाडु (4.86 लाख) और गुजरात (4.50 लाख) में रही।

  • फिकल स्लज प्रबंधन (FSM) और रेट्रोफिटिंग पर 10,800 से अधिक जागरूकता सत्रों में 6.43 लाख लोग शामिल हुए।

  • स्कूलों में 9,800 से अधिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें 6.8 लाख लोग शामिल हुए।

  • 5,600 से अधिक चौपालें आयोजित की गईं।

  • 3,800 से अधिक वॉल पेंटिंग/वॉल आर्ट की गई।

समुदाय और भागीदारी

अभियान ने जन भागीदारी (Jan Bhagidari) के माध्यम से समुदायों, स्कूलों, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और संस्थाओं में स्वच्छता को साझा जिम्मेदारी बनाने पर जोर दिया। अभियान ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शौचालय निर्माण, रखरखाव और सामुदायिक जागरूकता को सुदृढ़ किया।

संचालन और प्रभाव

  • अभियान को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), जल शक्ति मंत्रालय, जलापूर्ति और स्वच्छता विभाग (DDWS) ने आयोजित किया।

  • सोशल मीडिया पर #HumaraShauchalayHumaraBhavishaya ने 3.2K उल्लेख, 35K इंप्रेशन और 1 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंच बनाई।

अभियान ने एक मजबूत आधार तैयार किया है और यह दर्शाता है कि भारत की संपूर्ण स्वच्छता (Sampoorna Swachhata) की यात्रा जारी है। सामूहिक प्रयास और जन भागीदारी आगे भी मिशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

पीएम विश्वकर्मा योजना 2025: कौशल प्रशिक्षण, ऋण सुविधा और विपणन समर्थन से लाभार्थियों को सशक्त बनाने की पहल

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राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC) पीएम विश्वकर्मा योजना के कार्यान्वयन की सर्वोच्च संस्था है। इस समिति की बैठकें कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE), सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) और वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सचिव द्वारा सह-अध्यक्षता में आयोजित की जाती हैं।

10 अक्टूबर 2025 को हुई पिछली NSC बैठक में कई प्रस्ताव और नीतिगत उपाय स्वीकृत किए गए। इनमें शामिल हैं:

  • उन्नत कौशल प्रशिक्षण के लिए पात्रता मानदंड का निर्धारण

  • ऋण स्वीकृति और वितरण में सुधार जैसे लंबित आवेदन पुनः देखना, छोटे ऋण (₹50,000–₹1,00,000) उपलब्ध कराना ताकि EMI बोझ कम हो, 716 जिलों में जागरूकता शिविरों में बैंक अधिकारियों की भागीदारी सुनिश्चित करना, और कौशल प्रशिक्षण केंद्रों में वित्तीय सलाह हेतु एक दिन बैंक अधिकारियों की उपस्थिति

ऋण आवेदनों की समीक्षा और पुनर्विचार

  • शाखा स्तर पर अस्वीकृत आवेदनों के लिए अपील और पुनः समीक्षा की व्यवस्था है

  • DFS ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे उन लाभार्थियों से लिखित पुष्टि लें जो ऋण लेने से इंकार करते हैं

  • बैंकों को जिला/राज्य स्तर पर समितियाँ बनाने का निर्देश भी दिया गया है, ताकि असंपर्क या अस्वीकृति वाले मामलों को पुनः सम्पर्क किया जा सके

  • लाभार्थियों तक संदेश 12 क्षेत्रीय भाषाओं में भेजे जा रहे हैं और कॉल सेंटर के माध्यम से संपर्क किया जा रहा है

  • जो लाभार्थी प्रारंभ में ऋण विकल्प नहीं चुनते, वे PM Vishwakarma पोर्टल या नजदीकी CSC के माध्यम से ऋण ले सकते हैं

तीन-स्तरीय सत्यापन प्रक्रिया

  1. ग्राम पंचायत/शहरी स्थानीय निकाय स्तर पर सत्यापन

  2. जिला कार्यान्वयन समिति (DIC) द्वारा सत्यापन और सिफारिश, जिसका अध्यक्ष जिला कलेक्टर

  3. MSME DFO, SLBC सदस्य और MSDE सदस्य की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग समिति द्वारा अनुमोदन

योजना के तहत 30 लाख लाभार्थियों को 5 वर्षों (FY 2023-24 से FY 2027-28) के लिए कवर करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। इसके माध्यम से लाभार्थियों को कौशल प्रशिक्षण, ऋण, टूलकिट, प्रोत्साहन और विपणन सहायता प्रदान की जा रही है।

बाजार एवं विपणन समर्थन

  • राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लाभार्थियों के लिए ट्रेड फेयर्स और राज्य स्तर के प्रदर्शनियों में भागीदारी

  • ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (ONDC, Fabindia, Meesho, GeM) के माध्यम से ऑनलाइन विपणन सहायता

  • दिल्ली हाट में राष्ट्रीय स्तर की ट्रेड फेयर/प्रदर्शनी आयोजित

  • उत्पादों के डिज़ाइन, विविधीकरण, ब्रांडिंग और पैकेजिंग के लिए NID, IIP, IRMA जैसी संस्थाओं के माध्यम से मूल्य संवर्धन

  • प्रमुख शहरों में PM Vishwakarma एम्पोरियम/हाट स्थापित करने की योजना

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री राज्य मंत्री (सुश्री शोभा करंदलाजे) ने लोकसभा में लिखित उत्तर में दी।

छत्तीसगढ़ में नई गाइडलाइन दरें लागू : संपत्तियों के वास्तविक मूल्यांकन के लिए सरल, पारदर्शी और जनहितैषी सुधार

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रायपुर। राज्य सरकार ने अचल संपत्तियों के बाजार मूल्य निर्धारण को अधिक वैज्ञानिक और स्पष्ट बनाने के लिए छत्तीसगढ़ गाइडलाइन दरों का निर्धारण नियम, 2000 के तहत वर्ष 2025-26 की नई गाइडलाइन दरें 20 नवंबर 2025 से पूरे प्रदेश में लागू कर दी हैं। कार्यालय महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक द्वारा जारी आदेश के अनुसार यह संशोधन पिछले 7-8 वर्षों से लंबित था, जिसके कारण वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन मूल्य के बीच असंतुलन बढ़ता जा रहा था।   


इन विसंगतियों को दूर करने और किसानों तथा आम जनता को उनकी संपत्ति का वास्तविक मूल्य सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से व्यापक सुधार किए गए हैं। नई गाइडलाइन दरें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एकसमान, सुव्यवस्थित और वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित हैं।

शहरी क्षेत्रों में लंबे समय से एक ही मार्ग पर स्थित भूखंडों के लिए अलग-अलग दरें निर्धारित थीं, जिससे नागरिकों में असंतोष और पंजीयन प्रक्रिया में भ्रम उत्पन्न होता था। नई गाइडलाइन में मुख्य मार्ग और अन्य मार्ग के आमने-सामने स्थित क्षेत्रों की दरों को एक समान कर दिया गया है। नगरीय निकाय क्षेत्रों में अनावश्यक कंडिकाओं को समाप्त करते हुए वार्डवार संरचना को सरल बनाया गया है, जिससे आमजन अब आसानी से अपनी संपत्ति का वास्तविक बाजार मूल्य समझ सकेंगे।

जांजगीर-नैला में मुख्य मार्ग चांपा रोड पर वार्ड 8 में दर 26,000 रुपये प्रति वर्गमीटर और इसी मार्ग पर वार्ड 17 में 22,800 रुपये प्रति वर्गमीटर दर निर्धारित थी, जबकि दोनों स्थान भौगोलिक और व्यावसायिक दृष्टि से समान थे। नई गाइडलाइन में इस विसंगति को समाप्त करते हुए दोनों क्षेत्रों में एक समान दर लागू कर दी गई है।

इसी तरह, नगर पालिका परिषद चांपा के महादेव वार्ड में 20 मीटर भीतर स्थित संपत्ति के लिए दो अलग-अलग दरें 12,480 तथा 7,880 रुपये निर्धारित थीं, जिससे पंजीयन के समय Rate Overlapping की समस्या आती थी। अब इन कंडिकाओं को एकीकृत कर एक समान दर निर्धारित कर दी गई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी मार्गों के आमने-सामने स्थित भूमि के दरों में असमानता एक बड़ी समस्या थी। नई गाइडलाइन में ग्रामों का समूहीकरण कर समान महत्व वाले ग्रामों के लिए समान दरें लागू की गई हैं। मुख्य मार्ग से लगते दोनों ओर के गांवों को एक जैसा दर प्रदान करने से किसानों को अधिग्रहण या विक्रय के समय वास्तविक मूल्य का लाभ मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्गमीटर दर समाप्त कर अभिविन्यास आधारित दर लागू की गई है, जिससे मूल्यांकन अधिक सरल और पारदर्शी होगा।

नई गाइडलाइन दरों को लागू करने का प्रमुख उद्देश्य किसानों और आम जनता को उनका वास्तविक अधिकार देना है। पुरानी दरों के कारण कई मामलों में किसानों को भूमि अधिग्रहण में कम मुआवजा मिलता था और खरीदारों को भी हाउसिंग लोन कम राशि में स्वीकृत होता था। नई दरें इन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती हैं।

राज्य सरकार का मानना है कि दरों का यह संतुलित और तर्कसंगत पुनरीक्षण रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाएगा, काले धन पर रोक लगाएगा और पंजीयन प्रक्रिया को विवाद रहित बनाएगा। नई गाइडलाइन दरें न केवल संपत्ति बाजार को व्यवस्थित करेंगी, बल्कि पूरे प्रदेश में विकास की गति को भी बढ़ावा देंगी।


भारत में हाइड्रोजन मोबिलिटी का आगाज़: टोयोटा मिराई के साथ ग्रीन हाइड्रोजन पायलट परियोजना लॉन्च

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केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज मोबिलिटी सेक्टर में हाइड्रोजन के उपयोग पर फील्ड ट्रायल्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया। उन्होंने इसे भारत की स्वच्छ ऊर्जा प्रगति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।

भारत की ऊर्जा व्यवस्था में ग्रीन हाइड्रोजन—भविष्य का ईंधन

मंत्री ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन विश्व भर में भविष्य की ऊर्जा प्रणालियों की रीढ़ बनकर उभर रहा है। उन्होंने टोयोटा की ‘मिराई’ हाइड्रोजन फ्यूल-सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (FCEV) को NISE को सौंपे जाने को महत्वपूर्ण कदम बताया, जिससे भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि ऐसे सहयोग ऊर्जा आत्मनिर्भरता, कम-उत्सर्जन वाले नवाचारपूर्ण परिवहन समाधानों और भारत की पंचामृत जलवायु प्रतिबद्धताओं को मजबूत करते हैं।

‘मिराई’—भारत के सतत परिवहन के भविष्य का प्रतीक

जोशी ने कहा कि टोयोटा की ‘मिराई’ (जापानी में फ्यूचर) भारत की स्वच्छ और हरित मोबिलिटी की दिशा में एक नया अध्याय है।

भारतीय परिस्थितियों में होगी 2 वर्ष की व्यापक जांच

MOU के तहत NISE अगले दो वर्षों में मिराई हाइड्रोजन वाहन का परीक्षण भारत की गर्मी, धूल, ट्रैफिक और विविध भौगोलिक परिस्थितियों में करेगा।
यह अध्ययन देशभर में हाइड्रोजन मोबिलिटी को स्केल-अप करने के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा।

मंत्री ने बताया कि:

  • हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन पूरी तरह स्वच्छ, शांत, शून्य-उत्सर्जन होते हैं

  • इनके उत्सर्जन में केवल शुद्ध पानी निकलता है

  • ये विश्वभर में कारों, बसों, ट्रकों, ट्रेन, जहाजों और पावर सिस्टम्स में इस्तेमाल हो रहे हैं

उन्होंने निजी तौर पर वाहन चलाकर यह संदेश दिया कि हाइड्रोजन मोबिलिटी भारत की परिस्थितियों के लिए पूरी तरह उपयुक्त है।

हाइड्रोजन तकनीक—नीति से प्रयोग और वाणिज्यिक उपयोग की ओर तेज़ी से अग्रसर

कार्यक्रम में उपस्थित नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपाद नाइक ने कहा कि यह पहल भारत के स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य की दिशा में बड़ा कदम है।

उन्होंने बताया कि:

  • जनवरी 2023 में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू होने के बाद
    भारत नीतियों से वास्तविक प्रयोग और अब वाणिज्यिक उपयोग की ओर बढ़ रहा है

  • मिराई वाहन का वास्तविक परिस्थितियों में परीक्षण भविष्य में बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन-आधारित परिवहन को बढ़ावा देगा

टोयोटा का भारत के स्वच्छ ऊर्जा इकोसिस्टम पर विश्वास

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के देश प्रमुख विक्रम गुलाटी ने कहा कि यह साझेदारी भारत के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मजबूत करती है और देश को नेट-ज़ीरो लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करेगी।

मंत्री ने संसद भवन तक चलाया वाहन

कार्यक्रम के बाद जोशी ने स्वयं मिराई चलाकर नए संसद भवन तक पहुँचाया। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन-आधारित इस ग्रीन टेक्नोलॉजी को प्रदर्शित करने के लिए नया संसद भवन उपयुक्त स्थल है, क्योंकि यह स्वयं ग्रीन बिल्डिंग के रूप में विकसित किया गया है।

टोयोटा मिराई क्या है?

  • दूसरी पीढ़ी की हाइड्रोजन फ्यूल-सेल इलेक्ट्रिक कार

  • हाइड्रोजन + ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न करती है

  • उत्सर्जन: केवल जलवाष्प

  • रेंज: लगभग 650 किमी

  • रिफ्यूलिंग समय: 5 मिनट से कम

  • दुनिया की सबसे उन्नत शून्य-उत्सर्जन मोबिलिटी तकनीकों में से एक


प्रशासन गाँव की ओर 2025 : जन शिकायत निवारण और सेवा वितरण को सुदृढ़ बनाने वाला राष्ट्रव्यापी अभियान

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“प्रशासन गाँव की ओर” – जन शिकायत निवारण और सेवा प्रदायगी में सुधार हेतु राष्ट्रव्यापी अभियान 19 से 25 दिसंबर 2025 तक देश के सभी जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाएगा।

इस अभियान के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • सुशासन के सर्वोत्तम तरीकों, नवाचारों और उनके पुनरुत्पादन को बढ़ावा देना।

  • सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान, प्रोत्साहन और दस्तावेजीकरण।

  • जन शिकायतों के निवारण को नागरिकों के दरवाज़े तक पहुँचाना।

  • ‘प्रशासन गाँव की ओर’ अभियान के माध्यम से प्रशासन को जमीनी स्तर तक ले जाना।

विशेष अभियान 5.0 के तहत केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यालयों को स्वच्छ बनाने, सार्वजनिक शिकायतों का लंबित भार कम करने, ई-वेस्ट व कबाड़ निपटान और रिकॉर्ड प्रबंधन सुधारने जैसे उपाय किए गए थे। इसी क्रम में गुड गवर्नेंस वीक 2025 के हिस्से के रूप में 19 दिसंबर 2025 से “प्रशासन गाँव की ओर 2025” अभियान शुरू किया जा रहा है।

इस पहल के लिए एक समर्पित पोर्टल https://darpgapps.nic.in/GGW25 10 दिसंबर 2025 से शुरू किया गया है।
अभियान का तैयारी चरण 11 से 18 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें राज्य/केंद्र शासित प्रदेश एवं जिले तहसील और जिला स्तर के कार्यक्रमों की योजना बनाएंगे और हितधारकों को जागरूक करेंगे।

कार्यान्वयन चरण (19–25 दिसंबर 2025) में राज्य/UT निम्नलिखित गतिविधियाँ करेंगे:

  • CPGRAMS में जन शिकायतों का निवारण

  • राज्य पोर्टलों में प्राप्त जन शिकायतों का निवारण

  • विशेष शिविरों में जन शिकायत निवारण

  • विशेष शिविरों में सेवा प्रदायगी आवेदनों का समाधान

  • सुशासन की सर्वोत्तम प्रथाओं का संकलन एवं पोर्टल पर फोटो सहित अपलोड

  • जन शिकायत समाधान की सफलता कहानियाँ

  • ऑनलाइन सेवा प्रदायगी में नई सेवाओं को जोड़ना

  • Vision Document – District@100 तैयार करना

तैयारी बैठक में सभी राज्यों के प्रशासनिक सुधार सचिवों और सभी जिलों के डीसी/डीएम को संवेदनशील किया गया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लंबित जन शिकायतों और सेवा आवेदनों का तीव्र समाधान करना और सुशासन की सर्वोत्तम प्रथाओं का दस्तावेजीकरण करना है।
राज्यों और जिलों के अधिकारियों ने सभी जिलों से सक्रिय भागीदारी का आश्वासन दिया।

इस तैयारी बैठक में 700 से अधिक DC/DM और फील्ड अधिकारी तथा देशभर के 1200 से अधिक स्थानों से वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।


भारतीय रेल का व्यापक आधुनिकीकरण: विद्युतीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा और हाइड्रोजन ट्रेन परियोजनाओं से हरित भविष्य की ओर कदम

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भारतीय रेल सुरक्षा, समयबद्धता, विश्वसनीयता और यात्री सुविधा को बढ़ाने के लिए अपने बुनियादी ढांचे और रोलिंग स्टॉक (Engine, Coaches आदि) को लगातार आधुनिक तकनीक अपनाते हुए उन्नत कर रही है। ये सुधार भारतीय रेल को आधुनिक बनाने और यात्रियों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने पर केंद्रित हैं।

आधुनिक तकनीक और रेल नेटवर्क के विद्युतीकरण (Electrification) के कारण कोयला आधारित इंजन और डीजल इंजनों के उपयोग में कमी आई है।

रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण

भारतीय रेल पर ब्रॉड गेज (BG) नेटवर्क का लगभग 99.2% विद्युतीकरण किया जा चुका है। शेष नेटवर्क का विद्युतीकरण कार्य जारी है।

विद्युतीकरण की प्रगति इस प्रकार है:

  • अवधि
  • रूट किलोमीटर
  • 2014 से पहले (लगभग 60 वर्ष)
  • 21,801
  • 2014–25
  • 46,900

ऊर्जा-कुशल आधुनिक इंजन

भारतीय रेल अत्याधुनिक तीन-फेज IGBT तकनीक पर आधारित लोकोमोटिव का निर्माण और संचालन कर रही है।
इनमें रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम होता है, जिससे ब्रेक लगाने पर ऊर्जा वापस सिस्टम में जाती है और ये अधिक ऊर्जा-कुशल बनते हैं।

भाप इंजन का सीमित उपयोग

कोयला आधारित भाप इंजन अब केवल निम्न स्थानों पर उपयोग किए जाते हैं:

  • यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त पर्वतीय रेल मार्गों पर

  • मौसमी स्टीम ट्रेनें

  • IRCTC के सहयोग से चार्टर्ड ट्रेनों में

नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग

भारतीय रेल ने अपने ट्रैक्शन (Train Operation) के लिए आवश्यक बिजली को सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने की योजना बनाई है, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा।

नवंबर 2025 तक:

  • 812 MW सौर ऊर्जा संयंत्र

  • 93 MW पवन ऊर्जा संयंत्र
    स्थापित किए जा चुके हैं और रेल ट्रैक्शन की आवश्यकता पूरी कर रहे हैं।

इसके अतिरिक्त:

  • 100 MW नवीकरणीय ऊर्जा (RTC मोड) SECI से प्राप्त होना शुरू

  • 1,500 MW हाइब्रिड (सोलर + विंड + स्टोरेज) नवीकरणीय क्षमता भी ट्रैक्शन के लिए सुनिश्चित

ट्रैक्शन खर्च

वर्ष 2023–24 में भारतीय रेल का कुल ट्रैक्शन खर्च ₹29,614 करोड़ था।

हाइड्रोजन ट्रेन परियोजना

भारतीय रेल ने RDSO द्वारा तैयार मानकों के अनुसार अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की अत्याधुनिक परियोजना शुरू की है। यह परियोजना साफ-सुथरी और हरित उर्जा आधारित भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

2030 तक नेट ज़ीरो कार्बन लक्ष्य

भारतीय रेल 2030 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जक बनने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है। इसके लिए बिजली की आवश्यकता धीरे-धीरे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरी की जाएगी।


भारतीय रेल आरक्षण प्रणाली को और सुरक्षित व पारदर्शी बनाने हेतु व्यापक सुधार लागू

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भारतीय रेल की आरक्षण टिकट बुकिंग प्रणाली एक मजबूत और अत्यंत सुरक्षित आईटी प्लेटफ़ॉर्म है, जिसमें उद्योग-मानक, अत्याधुनिक साइबर सुरक्षा नियंत्रण व्यवस्थित हैं। भारतीय रेल ने आरक्षण प्रणाली के प्रदर्शन और नियमित/तत्काल टिकटों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं:

1. संदिग्ध यूज़र आईडी निष्क्रिय

जनवरी 2025 से अब तक लगभग 3.02 करोड़ संदिग्ध यूज़र आईडी निष्क्रिय कर दी गई हैं।

2. एंटी-बॉट समाधान लागू

ग़ैर-प्रामाणिक उपयोगकर्ताओं को फ़िल्टर करने और वास्तविक यात्रियों को सुचारू टिकट बुकिंग सुनिश्चित करने के लिए AKAMAI जैसे एंटी-बॉट समाधान लागू किए गए हैं।

3. ऑनलाइन तत्काल टिकट के लिए आधार-आधारित OTP

तत्काल टिकट बुकिंग में दुरुपयोग रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने हेतु, आधार-आधारित OTP सत्यापन चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है।
04.12.2025 तक यह सुविधा 322 ट्रेनों में चालू है।
इससे इन ट्रेनों में लगभग 65% मामलों में कन्फर्म तत्काल टिकट उपलब्धता समय बढ़ा है।

4. आरक्षण काउंटरों पर आधार-आधारित OTP

काउंटर बुकिंग में भी आधार-आधारित OTP लागू किया गया है और 04.12.2025 तक 211 ट्रेनों में इसे लागू किया जा चुका है।

5. लोकप्रिय ट्रेनों में सुधार

96 लोकप्रिय ट्रेनों में लगभग 95% मामलों में कन्फर्म तत्काल टिकट उपलब्धता समय बढ़ा है।

6. संदिग्ध PNR मामलों पर कार्रवाई

संदिग्ध रूप से बुक किए गए PNR के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर शिकायतें दर्ज की गई हैं।

7. बहु-स्तरीय साइबर सुरक्षा अवसंरचना

रेलवे आरक्षण प्रणाली कई सुरक्षा परतों से सुसज्जित है—

  • नेटवर्क फ़ायरवॉल

  • इंट्रूज़न प्रिवेंशन सिस्टम

  • एप्लिकेशन डिलीवरी कंट्रोलर

  • वेब एप्लिकेशन फ़ायरवॉल

  • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन

  • निगरानी के लिए CCTV
    डेटा सेंटर पूरी तरह एक्सेस-कंट्रोल्ड है और ISO 27001 ISMS प्रमाणित है।

8. RailTel द्वारा साइबर सुरक्षा सेवाएँ

RailTel उभरते साइबर ख़तरों से निपटने के लिए निम्न सेवाएँ प्रदान करता है:

  • थ्रेट इंटेलिजेंस

  • डीप और डार्क वेब निगरानी

  • डिज़िटल रिस्क प्रोटेक्शन

  • टेक-डाउन सेवाएँ

9. नियमित सुरक्षा ऑडिट

CERT-In द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसियों से नियमित सुरक्षा ऑडिट किया जाता है।
CERT-In और NCIIPC लगातार टिकटिंग सिस्टम से जुड़े इंटरनेट ट्रैफ़िक की निगरानी करते हैं।

10. सुझावों पर कार्रवाई

जनप्रतिनिधियों, संगठनों और रेल उपयोगकर्ताओं से प्राप्त सुझावों पर समय-समय पर समीक्षा कर उपयुक्त कार्रवाई की जाती है। इनका केंद्रीकृत संकलन नहीं रखा जाता क्योंकि यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।

यह जानकारी रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लोकसभा में लिखित उत्तर में दी गई।

नवा रायपुर में साहित्य उत्सव: 30 दिसंबर तक जमा होंगी विद्यार्थियों की कविताएं और कहानियां

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 रायपुर : नवा रायपुर में अगले महीने होने वाले साहित्य उत्सव के पहले प्रदेश के सभी जिलों में महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं के लिए कहानी एवं कविता प्रतियोगिताएं आयोजित होगी। इन दोनों प्रतियोगिताओं में जिला स्तर पर विजेताओं को पुरस्कार भी मिलेंगे। जिले के विजेताओं को राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में शामिल किया जायेगा और सर्वोत्कृष्ठ कहानी तथा कविता को रायपुर साहित्य उत्सव में पुरस्कृत किया जायेगा। इस प्रतियोगिता के लिये जिलेवार नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं।


प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेेने के इच्छुक छात्र-छात्राएं अपनी स्वरचित कविता और कहानी 30 दिसंबर 2025 तक जिले के नोडल अधिकारी कार्यालय में जमा करा सकते हैं। 30 दिसंबर के बाद मिली कहानियों-कविताओं को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा। प्रदेश की समृद्धशाली साहित्यिक विरासत को लोगों तक पहुंचानें और साहित्य लेखन में युवाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए नवा रायपुर में 23-25 जनवरी 2026 तक रायपुर साहित्य उत्सव का आयोजन होगा।

साहित्य उत्सव के तहत जिलेवार महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए आयोजित होने वाली कविता-कहानी प्रतियोगिताओं में पहले पुरस्कार के रूप में 5,100 रूपए, दूसरे पुरस्कार के रूप में 3,100 रूपए और तीसरे पुरस्कार के रूप में 1,500 रूपए की धनराशि दी जाएगी। इसी तरह दोनों प्रतियोगिताओं में 1000-1000 रूपए के तीन-तीन प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिए जायेंगे। जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त कहानी-कविताओं को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा। राज्य स्तर पर पहले पुरस्कार के रूप में 21,000 रूपए, दूसरे पुरस्कार के रूप में 11,000 रूपए और तीसरे पुरस्कार के रूप में 7,000 रूपए की धनराशि दी जाएगी। इसी तरह दोनों प्रतियोगिताओं में राज्य स्तर पर 5,100-5,100 रूपए के तीन-तीन प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिए जायेंगे।

प्रतियोगिता में शामिल की जाने वाली कविता न्यूनतम 8 छंदों की मौलिक, अप्रकाशित तथा टंकित होनी चाहिए। इसी तरह कहानी 1200 शब्दों में मौलिक, अप्रकाशित और टंकित होनी चाहिए। प्रतिभागी किसी महाविद्यालय-विश्वविद्यालय का विद्यार्थी हो एवं उसकी आयु 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रतिभागी को अपने महाविद्यालय का परिचय पत्र अथवा प्राचार्य का प्रमाणपत्र भी लगाना होगा। प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम और सर्वमान्य होगा। पुरस्कारों की घोषणा जनवरी 2026 में की जाएगी और पुरस्कृत प्रतिभागियों को 23, 24, 25 जनवरी 2026 को होने वाले रायपुर साहित्य उत्सव में पुरस्कृत किया जाएगा। प्रविष्टी जमा करते समय कविता-कहानी के प्रारंभ में ऊपर एवं लिफाफे पर “युवा हिंदी कविता-कहानी लेखन प्रतियोगिता“ अवश्य अंकित करना होगा। पुरस्कृत कविताओं-कहानियों का संकलन कर प्रकाशित किया जाएगा जिसका विमोचन रायपुर साहित्य उत्सव के मंच पर किया जाएगा।

भारतीय न्यायपालिका में AI का विस्तार: eCourts प्रोजेक्ट के तहत आधुनिक तकनीकों का व्यापक उपयोग

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e-Committee, सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, eCourts प्रोजेक्ट के तहत विकसित सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों में आधुनिक तकनीकों जैसे Artificial Intelligence (AI) तथा इसके उप-क्षेत्र Machine Learning (ML), Optical Character Recognition (OCR) और Natural Language Processing (NLP) का उपयोग किया जा रहा है। AI का एकीकरण अनुवाद, पूर्वानुमान और विश्लेषण, प्रशासनिक दक्षता में सुधार, स्वचालित फाइलिंग, बुद्धिमान शेड्यूलिंग, केस सूचना प्रणाली को बेहतर बनाने तथा चैटबॉट्स के माध्यम से वादकारियों से संवाद जैसे क्षेत्रों में किया जा रहा है।

AI आधारित न्यायिक उपकरण और नवाचार

1. Legal Research Analysis Assistant (LegRAA)

AI आधारित एक सॉफ्टवेयर टूल LegRAA राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवीजन और NIC, पुणे के Centre of Excellence (eCourts) द्वारा, eCommittee, सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है। यह टूल न्यायाधीशों को कानूनी शोध, दस्तावेज़ विश्लेषण और न्यायिक निर्णय समर्थन में सहायता देता है।

2. Digital Courts 2.1

  • न्यायिक अधिकारियों को एकीकृत जजमेंट डेटाबेस तक पहुँच

  • दस्तावेज़ प्रबंधन और एनोटेशन

  • स्वचालित ड्राफ्टिंग टेम्पलेट

  • JustIS ऐप से कनेक्टिविटी

  • ASR–SHRUTI (वॉइस-टू-टेक्स्ट)

  • PANINI (अनुवाद सुविधा)
    यह न्यायाधीशों को आदेश और निर्णय के उद्घोषण में सहायता करता है।

3. सुप्रीम कोर्ट–IIT मद्रास सहयोग

सुप्रीम कोर्ट ने IIT मद्रास के साथ मिलकर AI और ML आधारित उपकरण विकसित किए हैं जो:

  • ई-फाइलिंग सॉफ्टवेयर में खामियों की पहचान

  • मेटाडेटा निष्कर्षण

  • केस मैनेजमेंट सिस्टम (ICMIS) से एकीकरण

इन प्रोटोटाइप का उपयोग 200 Advocates-on-Record को दिया गया है।

4. SUPACE

Supreme Court Portal Assistance in Court Efficiency (SUPACE) AI आधारित एक टूल है जो अभी प्रायोगिक चरण में है। इसका उद्देश्य:

  • मामलों के तथ्यात्मक विवरण को समझना

  • बुद्धिमान रूप से नज़ीरों (precedents) की खोज

  • मामलों की पहचान को सरल बनाना

AI आधारित समाधानों का वर्तमान दायरा

AI आधारित समाधान फिलहाल नियंत्रित पायलट चरण में हैं ताकि:

  • जिम्मेदार उपयोग

  • सुरक्षित तकनीकी एकीकरण

  • व्यवहारिक और प्रभावी तैनाती
    सुनिश्चित की जा सके।
    इनका संचालन संबंधित उच्च न्यायालयों के कार्य संचालन नियमों और नीतियों के अनुसार होगा।

AI कमेटी और भविष्य की तकनीक

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक क्षेत्र में AI के उपयोग को समझने और लागू करने हेतु एक AI कमेटी का गठन किया है।
eCourts प्रोजेक्ट चरण-III (2023–24 से 4 वर्ष की अवधि) में Future Technological Advancement (AI, Blockchain आदि) के लिए ₹53.57 करोड़ का प्रावधान है।

AI को निम्न क्षेत्रों में एकीकृत किया जाएगा:

  • न्यायिक प्रशासनिक दक्षता में सुधार

  • मामले लंबित होने का पूर्वानुमान

  • न्यायालय प्रक्रियाओं का स्वचालन

  • न्यायालय संचालन का सुव्यवस्थित करना

AI आधारित उपकरणों और प्लेटफॉर्मों को पूरे देश की न्यायपालिका में उपयोग के लिए तैयार किया गया है।

यह जानकारी आज राज्यसभा में कानून एवं न्याय मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री तथा संसदीय कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा प्रदान की गई।

बैंक भर्ती प्रक्रिया में सुधार: DFS ने परिणाम घोषणा का नया क्रम और पारदर्शिता उपाय लागू किए

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वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएँ विभाग (DFS) ने भर्ती परीक्षाओं और उनके परिणामों की घोषणा की समय-सीमा को सुव्यवस्थित करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। इसमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI), राष्ट्रीयकृत बैंकों (NBs) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) की भर्ती शामिल है। साथ ही, इन पहलों का उद्देश्य भारतीय बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाना भी है।

SBI, NBs और RRBs में भर्ती IBPS प्रक्रिया के माध्यम से की जाती है, जो संबंधित बैंकों के अधिदेश के अनुसार होती है। आमतौर पर RRB की परीक्षाएँ सबसे पहले आयोजित की जाती हैं, उसके बाद NBs और अंत में SBI की परीक्षाएँ होती हैं। परिणाम भी इसी क्रम में घोषित किए जाते हैं। हालाँकि, एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति सामने आई है कि नए चयनित उम्मीदवार अक्सर RRBs से NBs और फिर SBI में स्थानांतरित हो जाते हैं। इस तरह के लगातार स्थानांतरण से बैंकों में उच्च त्याग दर (attrition) देखने को मिली है, जिससे संचालन संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।

इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, DFS ने भर्ती परीक्षाओं की पूरी प्रक्रिया और परिणामों की घोषणा के पैटर्न की समीक्षा की तथा भारतीय बैंक संघ (IBA) को सभी तीन श्रेणियों के बैंकों के लिए परिणाम घोषणा का एक मानकीकृत और तार्किक क्रम लागू करने की सलाह दी। इसके परिणामस्वरूप एक नया ढाँचा तैयार किया गया है, जिसके तहत अब सबसे पहले SBI के परिणाम घोषित होंगे, उसके बाद NBs और अंत में RRBs के। इसके अलावा, अधिकारी स्तर की सभी परीक्षाओं के परिणाम पहले घोषित किए जाएंगे और इसके बाद सहायक (क्लेरिकल) स्तर की परीक्षाओं के परिणाम उसी क्रम में जारी होंगे।

यह व्यवस्थित क्रम उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकताएँ स्पष्ट करने और सूचित निर्णय लेने में सहायता करेगा। इससे उम्मीदवारों के लिए प्रक्रिया अधिक पूर्वानुमानित होगी, भर्ती प्रणाली में स्थिरता आएगी, बैंकिंग क्षेत्र में त्याग दर कम होगी और बैंक बेहतर ढंग से मानव संसाधन योजना बना सकेंगे।

पारदर्शिता को और बढ़ाने के लिए, IBPS आगामी 2026-27 कॉमन रिक्रूटमेंट प्रोसेस चक्र से उम्मीदवारों को उनके response sheets और answer keys लॉगिन के माध्यम से उपलब्ध कराएगा। यह कदम सार्वजनिक भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता को और मजबूत करेगा।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र के समग्र विकास हेतु DoNER मंत्रालय द्वारा आठ उच्च स्तरीय टास्क फोर्स गठित

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उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय (DoNER) ने 31 जनवरी 2025 को आठ उच्च-स्तरीय कार्यबल (High-Level Task Forces – HLTFs) का गठन किया, ताकि प्रमुख क्षेत्रों— कृषि एवं बागवानी, खेल प्रोत्साहन, पर्यटन, हथकरघा एवं हस्तशिल्प, आर्थिक कॉरिडोर विकास, पशु-आधारित आवश्यक प्रोटीन में आत्मनिर्भरता, निवेश प्रोत्साहन, तथा बुनियादी ढांचा एवं संपर्क—के लिए रणनीतियाँ और सिफारिशें तैयार की जा सकें।

अब तक HLTFs की कुल 23 बैठकें हो चुकी हैं।

ये कार्यबल पूरे उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र (NER) के लिए कार्य करते हैं। प्रत्येक कार्यबल की अध्यक्षता किसी एक उत्तर-पूर्वी राज्य के माननीय मुख्यमंत्री/ राज्यपाल द्वारा की जाती है, जबकि अन्य तीन उत्तर-पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्री और माननीय मंत्री (DoNER) इसके सदस्य होते हैं। अंतर-राज्यीय समन्वय संरचित परामर्श के माध्यम से सुनिश्चित किया जाता है, जिसमें संयोजक राज्य सभी सहभागी राज्यों से इनपुट एकत्र करता है और सामूहिक निर्णय लेने में सहयोग करता है।

पूर्वोत्तर विकास सेतु (Poorvottar Vikas Setu) पोर्टल, जिसे DoNER मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है, NER में परियोजनाओं के प्रस्तुतिकरण और मूल्यांकन के लिए एक व्यापक सिंगल-विंडो डिजिटल सिस्टम के रूप में कार्य करता है। इस पोर्टल पर राज्य सरकारें और केंद्रीय एजेंसियाँ अपनी कंसेप्ट नोट/ DPRs अपलोड करती हैं, जिससे परियोजना प्रस्तावों का सुव्यवस्थित प्रसंस्करण संभव होता है। यह प्रणाली त्वरित परीक्षण, मंत्रालयों के बीच परामर्श, और निर्णय प्रक्रिया को तेज बनाती है, क्योंकि यह मैनुअल प्रक्रियाओं को समाप्त कर पारदर्शी एवं संरचित वर्कफ़्लो सुनिश्चित करती है।

यह पोर्टल स्वीकृत प्रस्तावों के खिलाफ धनराशि जारी करने से संबंधित मांगों के प्राप्ति और प्रसंस्करण, एकीकृत निगरानी एवं समन्वय तंत्र के रूप में भी कार्य करता है। इसके माध्यम से मंत्रालय, विभाग और राज्य प्राधिकरण अपने प्रस्तावों की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं, और क्रियान्वयन प्रगति को अपडेट कर सकते हैं। इससे जवाबदेही मजबूत होती है, योजनाओं में अभिसरण बढ़ता है, दोहराव कम होता है, और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के तेज विकास के लिए समयबद्ध एवं समन्वित कार्रवाई संभव होती है।

वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम के अंतर्गत, गृह मंत्रालय ने उत्तर-पूर्वी राज्यों में चयनित "वाइब्रेंट विलेजेज" को समग्र विकास गतिविधियों के लिए प्रस्तावित किया है। हस्तक्षेपों का मुख्य फोकस बुनियादी ढांचा निर्माण, आजीविका समर्थन, और बेहतर सेवा वितरण पर है।

DoNER मंत्रालय परियोजना नियोजन और क्रियान्वयन को मज़बूत करने के लिए तकनीक-सक्षम प्रणालियों का प्रभावी उपयोग कर रहा है, विशेष रूप से PM गतिशक्ति पोर्टल का। राज्य सरकारों और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत कंसेप्ट नोट्स को इस पोर्टल के माध्यम से संरेखित किया जाता है, जिससे किसी भी संभावित दोहराव को रोका जा सके। यह पोर्टल स्वीकृति पूर्व परीक्षण और पूर्णता के बाद समीक्षा दोनों का समर्थन करता है, जिससे अभिसरण, पारदर्शिता और निगरानी में सटीकता बढ़ती है।

यह जानकारी आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार द्वारा दी गई।

गोवा नाइट क्लब अग्निकांड: बड़ा एक्शन - लूथरा ब्रदर्स थाइलैंड में गिरफ्तार, भारत लाने की तैयारी शुरू

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 पणजी/नई दिल्ली। गोवा के बिर्च नाइट क्लब अग्निकांड में बड़ा एक्शन सामने आया है। क्लब के मालिक सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा को थाइलैंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इसी क्लब में 6 दिसंबर की रात आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। घटना के तुरन्त बाद दोनों भाई देश छोड़कर थाइलैंड भाग गए थे।


सरकार द्वारा जारी लुकआउट सर्कुलर और पासपोर्ट सस्पेंशन की कार्रवाई के बाद थाइलैंड पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। अब दोनों को भारत प्रत्यर्पित करने की तैयारी चल रही है।

थाइलैंड पुलिस ने लोकेशन भेजी, भारत ने पासपोर्ट रद्द किया

थाइलैंड पुलिस ने सुबह भारत सरकार को लूथरा ब्रदर्स की लोकेशन साझा की। इसके बाद भारत सरकार ने दोनों का पासपोर्ट तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। कुछ ही देर में थाइलैंड पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया और उन्हें लेकर एयरपोर्ट पहुंच गई है। माना जा रहा है कि प्रक्रिया पूरी होते ही दोनों को भारत लाया जाएगा।

आग लगते ही भाग निकले थे मालिक

जांच में सामने आया है कि आग बुझाने की कोशिशें जारी थीं, उसी दौरान लूथरा ब्रदर्स थाइलैंड के लिए फ्लाइट टिकट बुक कर रहे थे। वे सुबह करीब 5 बजे भारत से उड़ान भरकर भाग निकले।
उन पर गैर इरादतन हत्या और लापरवाही के गंभीर मामले दर्ज हैं।

रेड सैंडर्स संरक्षण के लिए NBA ने 6.2 करोड़ रुपये जारी किए

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राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) ने जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के अंतर्गत प्रवेश और लाभ साझा करने (ABS) तंत्र के तहत 11.12.2025 को लाभार्थियों को 6.2 करोड़ रुपये जारी किए। यह धनराशि लुप्तप्राय रेड सैंडर्स (Pterocarpus santalinus) के संरक्षण का समर्थन करेगी और पाँच राज्यों में किसानों तथा वन-निर्भर समुदायों की आजीविका को सशक्त बनाएगी।

ABS निधि राज्य वन विभागों, राज्य जैव विविधता बोर्डों तथा रेड सैंडर्स उगाने वाले किसानों को जारी की गई है, जो इस स्थानिक और वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण प्रजाति की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह नवीनतम वितरण रेड सैंडर्स के सतत संरक्षण और जिम्मेदार उपयोग को आगे बढ़ाएगा।

जारी किए गए 6.2 करोड़ रुपये में से:

  • तेलंगाना के किसानों को 17.8 लाख रुपये

  • आंध्र प्रदेश के किसानों को 1.1 करोड़ रुपये

  • तमिलनाडु वन विभाग को 2.98 करोड़ रुपये

  • कर्नाटक वन विभाग को 1.05 करोड़ रुपये

  • महाराष्ट्र वन विभाग को 69.2 लाख रुपये

  • तेलंगाना वन विभाग को 5.8 लाख रुपये
    इसके अतिरिक्त, संबंधित राज्य जैव विविधता बोर्डों के बीच 16 लाख रुपये साझा किए गए हैं।

इस नई किश्त के साथ, रेड सैंडर्स संरक्षण के लिए ABS के तहत कुल वितरण 101 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। अब तक, 216 किसान— जिनमें 198 आंध्र प्रदेश और 18 तमिलनाडु के हैं— रेड सैंडर्स ABS तंत्र से लाभान्वित हुए हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और ओडिशा के वन विभाग और राज्य जैव विविधता बोर्ड भी लाभान्वित हुए हैं।

यह धनराशि निम्न कार्यों के लिए उपयोग की जाएगी:

  • अग्रिम पंक्ति संरक्षण

  • गश्त और निगरानी अवसंरचना सुदृढ़ीकरण

  • शोध-आधारित वानिकी पद्धतियाँ

  • समुदाय-आधारित आजीविका कार्यक्रमों का विस्तार

  • रेड सैंडर्स उत्पादकों की सामाजिक-आर्थिक क्षमता में सुधार

इस रिलीज़ के साथ, NBA की कुल ABS वितरण राशि 127 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है, जो जैव संसाधनों से जुड़े न्यायपूर्ण और समान लाभ-साझाकरण के क्रियान्वयन में भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को दर्शाती है। यह कार्रवाई राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना 2024–2030 तथा कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा के तहत लक्ष्य-13 तथा लक्ष्य-19 प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

यह वितरण इस बात का प्रमाण है कि जैविक विविधता अधिनियम के ABS प्रावधान संरक्षण को एक सतत आजीविका अवसर में कैसे बदल सकते हैं। ये प्रयास भारत की इस नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करते हैं कि वह ABS सिद्धांतों को व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी तरीके से लागू कर रहा है—जो पर्यावरणीय सुरक्षा और सतत आजीविका दोनों को सुदृढ़ करता है।

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