Responsive Ad Slot

Latest

latest
lockdown news

महासमुंद की खबरें

महासमुंद की खबर

रायगढ़ की ख़बरें

raigarh news

दुर्ग की ख़बरें

durg news

जम्मू कश्मीर की ख़बरें

jammu and kashmir news

VIDEO

Videos
top news


 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 नवंबर को नई दिल्ली में “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष स्मरण समारोह में मुख्य अतिथि होंगे

No comments Document Thumbnail

नई दिल्ली-संस्कृति मंत्रालय 7 नवंबर 2025 को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” के 150 वर्षों के स्मरण समारोह का उद्घाटन करेगा। इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। यह आयोजन 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक पूरे देश में 150 वर्षों की इस अमर रचना के सम्मान में चलने वाले वर्ष-भर के कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ होगा।

वर्ष 2025 में “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह राष्ट्रीय गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित माना जाता है और इसे 7 नवंबर 1875 के अक्षय नवमी के अवसर पर लिखा गया था। “वंदे मातरम्” सर्वप्रथम साहित्यिक पत्रिका बंगादर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ में धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ और बाद में 1882 में एक स्वतंत्र पुस्तक के रूप में सामने आया। उस समय भारत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलाव के दौर से गुजर रहा था, और राष्ट्रीय पहचान व औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ जागरूकता बढ़ रही थी।

इस गीत ने मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक मानते हुए भारत के जाग्रत आत्म-सम्मान और एकता की भावना को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया। स्वतंत्रता संग्राम में इसका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा और 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में “जन गण मन” के समान सम्मान प्रदान किया।

समारोह की मुख्य विशेषताएँ:

  • मुख्य अतिथि के आगमन से पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम।

  • “वंदे मातरम्” के 150 वर्षों के इतिहास पर प्रदर्शनी।

  • भारत माता को पुष्प अर्पण।

  • Vande Mataram: Naad Ekam, Roopam Anekam: सांस्कृतिक मंच पर लगभग 75 संगीतकारों द्वारा प्रस्तुत संगीत समारोह, जिसका संचालन अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वायोलिन मास्ट्रो डॉ. मंजुनाथ मैसूर करेंगे।

  • “150 Years of Vande Mataram” लघु वृत्तचित्र का प्रदर्शन।

  • स्मारक स्टैम्प और सिक्का का विमोचन।

  • गणमान्य व्यक्तियों और अतिथियों के संबोधन।

  • मुख्य अतिथि का मुख्य भाषण।

  • सभी नागरिकों, विद्यार्थियों, सरकारी कर्मियों, पुलिस, डॉक्टर, शिक्षक, दुकानदार और अन्य समुदायों के लोगों के साथ सामूहिक गायन।

देशभर में सामूहिक गायन:

सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश, केंद्रीय मंत्रालय/विभाग और उनके अधीनस्थ कार्यालय 7 नवंबर 2025 को सुबह 10 बजे अपने कार्यालय परिसर में सामूहिक “वंदे मातरम्” का आयोजन करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री के संबोधन का लाइव प्रसारण भी आयोजित किया जाएगा।

सक्रिय सहभागिता के लिए डिजिटल पहल:

संस्कृति मंत्रालय ने एक समर्पित अभियान वेबसाइट https://vandemataram150.in/ लॉन्च की है, जिसमें निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध होंगी:

  • अनुमोदित ब्रांडिंग सामग्री (बैनर, होर्डिंग, वेब क्रिएटिव)।

  • लघु फिल्म और curated exhibition।

  • सामूहिक गायन के लिए पूरे गीत का ऑडियो और शब्द।

  • “Vande Mataram Karaoke”: नागरिक अपने स्वर में गीत रिकॉर्ड और अपलोड कर सकेंगे।

सभी नागरिकों से आह्वान किया गया है कि वे इस अवसर पर बड़े पैमाने पर भाग लें और अपने राष्ट्रीय गीत के प्रति देशभक्ति, सम्मान और गर्व व्यक्त करें।


उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने राजनांदगांव में “लखपति दीदी सम्मेलन” में की शिरकत, कहा – महिलाएँ बन रहीं हैं आत्मनिर्भर भारत की शक्ति

No comments Document Thumbnail

रायपुर-भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन आज छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव पहुंचे, जहाँ उन्होंने “लखपति दीदी सम्मेलन” में हिस्सा लिया। इस अवसर पर उन्होंने “लखपति दीदी” पहल को भारत की महिलाओं की शक्ति, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया।

सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “लखपति दीदी” केवल आर्थिक स्थिति का प्रतीक नहीं, बल्कि यह आत्मनिर्भरता, गरिमा और आत्मसम्मान का परिचायक है। उन्होंने कहा कि देशभर में लाखों महिलाएँ स्व-सहायता समूहों के माध्यम से यह साबित कर रही हैं कि परिश्रम, अनुशासन और एकजुटता से जीवन बदला जा सकता है।

राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन करोड़ “लखपति दीदी” बनाने के संकल्प को महिला-नेतृत्व वाले विकास की दिशा में असाधारण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन छत्तीसगढ़ में सशक्त रूप से आगे बढ़ रहा है, जहाँ पाँच लाख महिलाएँ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।

उन्होंने बताया कि राजनांदगांव जिले में 9,663 स्व-सहायता समूहों के माध्यम से एक लाख से अधिक महिलाएँ जुड़ी हैं और ₹700 करोड़ से अधिक की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। साथ ही, “महिला सम्मान योजना” के तहत ₹13,000 करोड़ से अधिक की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित की गई है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजनांदगांव महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुका है, जहाँ 1,000 से अधिक महिलाएँ पंच, सरपंच और पंचायत प्रतिनिधि के रूप में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि “लखपति दीदी” आंदोलन लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करता है और स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता और भागीदारी को बढ़ावा देता है।

उन्होंने कहा कि अब महिलाएँ घर की सीमाओं से आगे बढ़कर प्रशासन, उद्यमिता और समाजसेवा में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने सभी “लखपति दीदियों” को उनके साहस और संघर्ष के लिए सलाम किया और कहा कि “अब वह दिन दूर नहीं जब ये लखपति दीदियाँ करोड़पति दीदियाँ बनेंगी।”

राज्य की प्रगति का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कभी छत्तीसगढ़ में पानी, बिजली और विकास की कमी थी, लेकिन आज यह राज्य न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि पूरे देश को बिजली दे रहा है। उन्होंने नक्सलवाद पर नियंत्रण को केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों का परिणाम बताया।

राधाकृष्णन ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की विश्व कप विजय का उदाहरण देते हुए कहा कि “छत्तीसगढ़ की महिलाएँ भी उसी जज़्बे के साथ समाज में परिवर्तन की प्रेरक शक्ति बन रही हैं।”

कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने महिलाओं द्वारा संचालित कई सामाजिक पहलें देखीं, जिनमें दिव्यांगजनों द्वारा बनाए गए सहायक उपकरण भी शामिल थे। उन्होंने इन पहलों को सार्वजनिक कल्याण और सामुदायिक विकास के लिए प्रेरणादायी बताया।

इसके अलावा, उपराष्ट्रपति ने राजनांदगांव स्थित “उदयाचल हेल्थ एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट” की नई पाँच मंज़िला इमारत का उद्घाटन किया और इसे छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद-मुक्त बनाने की दिशा में अग्रणी संस्था बताया। उन्होंने कहा कि “राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान”, “आयुष्मान भारत” और “पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन” जैसी योजनाएँ देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को सशक्त बना रही हैं।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेंन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साई और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह भी उपस्थित रहे।

दिन में पहले उपराष्ट्रपति ने नया रायपुर में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन की 25वीं वर्षगांठ (रजत महोत्सव) के अवसर पर भारतीय वायु सेना की “सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम (SKAT)” द्वारा आयोजित शानदार एयर शो का भी अवलोकन किया, जिसने दर्शकों में देशभक्ति की भावना को प्रबल किया।



छत्तीसगढ़ राज्योत्सव रजत महोत्सव का भव्य समापन : उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन मुख्य अतिथि, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया स्वागत

No comments Document Thumbnail

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित राज्योत्सव रजत महोत्सव का आज नवा रायपुर में भव्य और गरिमामय समापन हुआ। समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, मंत्रीगण, सांसद, विधायक, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और बड़ी संख्या में नागरिकगण शामिल हुए।

नवा रायपुर का यह ऐतिहासिक समारोह छत्तीसगढ़ की 25 वर्षों की गौरवशाली विकास यात्रा, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक बना। उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने अपने उद्बोधन की शुरुआत “जय जोहार, जय छत्तीसगढ़” के उद्घोष से की और “छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया” का नारा लगाकर सभागार में उत्साह भर दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रजत जयंती महोत्सव का शुभारंभ किया और समापन मेरे कर-कमलों से हो रहा है, जो इस राज्य की निरंतर प्रगति और गौरव का प्रतीक है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि 1 नवंबर 2000 को भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की दूरदर्शी सोच से छत्तीसगढ़ का गठन हुआ, जिसने आज प्रशासनिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने स्वयं लोकसभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पक्ष में मतदान किया था, इसलिए उनका इस राज्य से आत्मीय जुड़ाव है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ने पारंपरिकता के साथ आधुनिकता को अपनाते हुए कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीकी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की राजधानी को “देश की पहली ग्रीन सिटी” बताते हुए कहा कि नवा रायपुर में आईटी हब, फार्मा हब, एआई डाटा सेंटर पार्क और मेडिसिटी का विकास राज्य की दूरदृष्टि का परिचायक है। साथ ही, सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में राज्य ने महत्वपूर्ण पहल की है।

राधाकृष्णन ने कहा कि आईएनएस विक्रांत में लगा इस्पात भिलाई स्टील प्लांट का है, जो छत्तीसगढ़ की औद्योगिक क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा तैयार “अंजोर डॉक्यूमेंट 2047” की सराहना करते हुए कहा कि यह दस्तावेज विकसित भारत के साथ विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम है।

राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि रजत जयंती केवल उत्सव नहीं, बल्कि 25 वर्षों की यात्रा का मूल्यांकन और नए संकल्पों का अवसर है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग और संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने राज्य निर्माण के सूत्रधार स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी और योगदान देने वाले सभी पुरोधाओं को नमन किया।

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की असली ताकत उसके किसान, मजदूर, युवा और महिलाएं हैं। उन्होंने महतारी वंदन योजना और एक पेड़ मां के नाम अभियान जैसी पहलों की सराहना करते हुए कहा कि ये कार्यक्रम आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण के उदाहरण हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि रामलला के ननिहाल छत्तीसगढ़ में उपराष्ट्रपति जी का स्वागत केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की आत्मा की ओर से अभिनंदन है। उन्होंने कहा कि राज्योत्सव की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरक संदेश से और समापन उपराष्ट्रपति जी के आशीर्वचन से होना, छत्तीसगढ़ के गौरव की पराकाष्ठा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रजत महोत्सव ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, विकास और जनभागीदारी की अद्भुत झलक प्रस्तुत की है। भारतीय वायुसेना के सूर्यकिरण दल द्वारा प्रस्तुत एरियल शो ने समापन समारोह में देशभक्ति और ऊर्जा का संचार किया।

उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार की गति से राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 18 लाख आवास स्वीकृत किए गए हैं, और महतारी वंदन योजना से माताओं-बहनों को अब तक 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की जा चुकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के साथ विकसित छत्तीसगढ़ का लक्ष्य लेकर विज़न डॉक्यूमेंट के अनुसार योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया जा रहा है।

समारोह में राज्य अलंकरण पुरस्कार वितरण भी हुआ, जिसमें उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री साय ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले नागरिकों और संस्थाओं को सम्मानित किया।

पुरस्कार विजेता विभाग एवं संस्थाएं:

शासकीय प्रदर्शनी श्रेणी: जल संसाधन विभाग (प्रथम), कृषि विभाग (द्वितीय), वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (तृतीय), स्कूल शिक्षा विभाग (सांत्वना)।

सार्वजनिक क्षेत्र श्रेणी: एनएमडीसी (प्रथम), साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे (द्वितीय), सीआईडीसी (तृतीय), नाबार्ड (सांत्वना)।

विशेष पुरस्कार: शिल्पग्राम (ग्रामोद्योग विभाग)।

जशपुर में 6-9 नवंबर तक ‘जशपुर जम्बूरी 2025’ का भव्य आयोजन

No comments Document Thumbnail

रायपुर। जशपुर जिले में 6 से 9 नवम्बर तक ‘जशपुर जम्बूरी 2025’ का आयोजन किया जा रहा है। इस चार दिवसीय आयोजन में जिले के युवाओं के साथ-साथ प्रदेश के विभिन्न जिलों और अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटक भी शामिल होंगे। जिला प्रशासन ने सभी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। आज कलेक्टर रोहित व्यास एवं जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार ने देशदेखा पहुंचकर आयोजन स्थल का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि कार्यक्रम में शामिल होने वाले पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर पानी, बिजली, सुरक्षा, चिकित्सा, पार्किंग आवागमन, कैंपिंग साइट और ग्राम केरा स्थित होमस्टे का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने कार्यस्थलों पर जाकर तैयारियों की समीक्षा करें और संभावित कमियों को शीघ्र दूर करें। उन्होंने यह भी कहा कि सभी साहसिक गतिविधियां सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए संचालित हो, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो।

चार दिवसीय ‘जशपुर जम्बूरी’ में प्रतिभागियों को रोमांच, कला और संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। पहले दिन पंजीयन एवं स्वागत सत्र के बाद आइस-ब्रेकर गेम्स और रचनात्मक आर्ट वर्कशॉप आयोजित होंगे। दोपहर में रॉक क्लाइम्बिंग, ज़िपलाइन, जुमरिंग और रैपलिंग जैसी एडवेंचर गतिविधियाँ होंगी, जबकि शाम को कल्चरल एंड फन इवनिंग तथा रात में स्टारगेज़िंग सेशन आयोजित किया जाएगा।

दूसरे और तीसरे दिन प्रतिभागियों का मयाली समूह कायाकिंग, पैरामोटर, एटीवी, पेंटबॉल, हॉट एयर बलून जैसी वॉटर स्पोर्ट्स गतिविधियों का आनंद लेगा, वहीं देशदेखा समूह रानीदाह जलप्रपात, सारुडीह चाय बागान और संग्रहालय भ्रमण करेगा। शाम को सरना एथनिक रिज़ॉर्ट में सांस्कृतिक एवं संगीत संध्या का आयोजन होगा। तीसरे दिन दोनों समूह अपने गंतव्य अदल-बदल कर कार्यक्रम में भाग लेंगे। अंतिम दिन 9 नवम्बर को एडवेंचर और आर्ट रोटेशन का फाइनल राउंड तथा क्लोजिंग सेरेमनी का आयोजन होगा। दोपहर में समूह फोटो, फीडबैक सेशन के साथ ‘जशपुर जम्बूरी’ का समापन होगा। 

बरपाली में आबकारी विभाग की कार्रवाई, 14 लीटर अवैध शराब जब्त, आरोपी जेल भेजा गया

No comments Document Thumbnail

रायपुर। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में में आज सरिया क्षेत्र के ग्राम बरपाली में आबकारी विभाग की टीम ने मुखबिर की सूचना पर सरिया आबकारी उपनिरीक्षक लोकनाथ साहू के नेतृत्व में छापामार कर आरोपी डिग्री चौहान पिता भुजबल चौहान, निवासी बरपाली के मकान से कुल 14 लीटर अवैध कच्ची महुआ शराब बरामद की। आरोपी के विरुद्ध छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।

इस कार्रवाई में उपनिरीक्षक लोकनाथ साहू (सरिया), रामेश्वर राठिया (बरमकेला), हबील खलखो (बिलाईगढ़), मुख्य आरक्षक उमेश तथा सुरक्षा कर्मी मुकुंदराम चौहान और ढोल नारायण चौहान की विशेष भूमिका रही।

आबकारी विभाग द्वारा यह कार्रवाई क्षेत्र में अवैध शराब निर्माण और बिक्री पर नियंत्रण के लिए की गई है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जिले में आगे भी इस प्रकार की सघन जांच एवं कार्रवाई लगातार जारी रहेगी, ताकि अवैध शराब कारोबार पर पूर्णतः अंकुश लगाया जा सके।

राज्योत्सव पर वायु सेना की टीम का रोमांचक एयर शो, सेंध जलाशय के ऊपर आसमां में गूंजा 'जय जोहार' और 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया'

No comments Document Thumbnail

उप राष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने देखा एयर शो

अनुशासन, परस्पर विश्वास, सटीकता और देशप्रेम के जज्बे के साथ वायु सेना के विमानों ने दिखाई कलाबाजी

वायु सेना का एयर शो छत्तीसगढ़वासियों के लिए कमाल का अनुभव, लोग देखकर एक घंटे तक होते रहे मंत्रमुग्ध

रायपुर-छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर आज नवा रायपुर के सेंध जलाशय के ऊपर भारतीय वायु सेना की प्रतिष्ठित एरोबेटिक "सूर्यकिरण" की टीम ने रोमांचक एयर शो का प्रदर्शन किया। देश के उप राष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के साथ हजारों लोगों ने अद्भूत और रोमांचक एयर शो का आनंद लिया। आज प्रदेशवासियों के लिए वायु सेना का एयर शो कमाल का अनुभव रहा। सेंध जलाशय के ऊपर वायु सेना के फाइटर प्लेन्स ने एक के बाद एक कई हवाई करतब दिखाए। आसमान में पंछियों के झुंड की तरह बिल्कुल क्रम से उड़ने वाले फाइटर प्लेन्स के माध्यम से वायु सेना के जाबांजों ने अपने नियंत्रण और शौर्य का अद्भुत प्रदर्शन किया। विमानों के माध्यम से जब आकाश में तिरंगा लहराया तो सेंध जलाशय भारत माता की जय के नारे से गूंज उठा।

एयर शो के दौरान "सूर्यकिरण" टीम के लीडर ग्रुप कैप्टन अजय दशरथी ने आसमान से छत्तीसगढ़वासियों को रजत महोत्सव की बधाई दी। वहीं छत्तीसगढ़ निवासी भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन लीडर गौरव पटेल ने सेंध जलाशय के ऊपर अपने कॉकपिट से 'जय जोहार' और 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' कहकर दर्शकों का अभिवादन किया। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप, खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, कौशल विकास मंत्री गुरू खुशवंत साहेब और सांसद बृजमोहन अग्रवाल सहित विभिन्न निगमों, मंडलों और आयोगों के पदाधिकारी भी एयर शो देखने पहुंचे थे। 

"सूर्यकिरण" टीम ने अनुशासन, परस्पर विश्वास, सटीकता और उत्साह के साथ एक घंटे तक वायु सेना के विमानों के साथ कलाबाजी दिखाकर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। नवा रायपुर के सेंध जलाशय में मौजूद हजारों दर्शक पायलटों के हैरतअंगेज साहस और करतबों को देखकर मंत्रमुग्ध होते रहे। विंग कमांडर  ए.व्ही. सिंह के नेतृत्व में वन-एफ-9 और वन-एफ-8 हेलीकॉप्टर यूनिट ने वी-17 और वी-5 हेलीकॉप्टरों से स्लीपरी और स्काई-ऑपरेशन के करतब दिखाए। 'आदिदेव' नाम के इन हेलीकॉप्टरों से केवल 15 मीटर ऊंचाई पर स्थिर रहकर 14 गरूड़ कमांडोज रस्सी के सहारे नीचे उतरे। वहीं स्काई-ऑपरेशन के दौरान आठ गरूड़ कमांडोज रस्सी पर लटककर हेलीकॉप्टर से दर्शकों के सामने से आकाश में उड़ते हुए गुजरे। इन दोनों ऑपरेशनों को लड़ाई और आपदा के दौरान जनसामान्य को बचाने के लिए किया जाता है।

एयर शो में "सूर्यकिरण" की टीम के नौ हॉक-मार्क-123 फाइटर विमानों ने आसमान में हार्ट, डायमंड, लूप, ग्रोवर, डान लाइट, कॉम्बैट तेजस जैसे शानदार फार्मेशन बनाकर लोगों को रोमांचित किया। नीले आसमान में उड़ते लाल-सफेद जेट विमानों द्वारा तिरंगे की आकर्षक ट्रेल छोड़ने पर सेंध जलाशय परिसर तालियों और जय-हिंद के नारों से गूंज उठा। हज़ारों की संख्या में मौजूद नागरिक, युवा और बच्चे लगातार विमानों की कलाबाजियों को अपने कैमरों और मोबाइलों में कैद करते रहे। 

वायु सेना के जाबांज फाइटर पायलटों ने आसमान में दिल की आकृति बनाकर 25वें राज्योत्सव की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने तिरंगे के तीन रंगों से डीएनए की आकृति बनाकर तिरंगे के प्रति अपना सम्मान प्रस्तुत किया। उन्होंने 360° में फाइटर जेट उड़ाते हुए उल्टा जेट भी उड़ाया। तेजस और युवाओं को समर्पित अंग्रेजी अक्षर 'वाई' की आकृति बनाने के साथ ही कई करतब दिखाए। टीम का प्रदर्शन केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि युवाओं में देशप्रेम, साहस और भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा की प्रेरणा जगाने का संदेश भी देता है।

एयर शो में छत्तीसगढ़ के स्क्वाड्रन लीडर गौरव पटेल का शामिल होना राज्यवासियों के लिए गर्व और भावनात्मक जुड़ाव का पल था। आसमान में अपने विमान को तेज गति से उड़ाते हुए गौरव पटेल ने अपने कॉकपिट से 'जय जोहार' और 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' का जय घोष किया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुश्री कंवल संधू ने अपनी लाइव कमेंट्री के दौरान एयर शो के रोमांचक वर्णन के साथ ही पायलटों के अनुशासन, समर्पण, प्रशिक्षण और जोखिम प्रबंधन की बारीकियों की जानकारी दी।

'सूर्यकिरण' एशिया की एकमात्र नौ लड़ाकू विमानों वाली एरोबैटिक टीम, 1996 में हुई थी स्थापना

भारतीय वायु सेना की सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम (Surya Kiran Aerobatic Team) एशिया की एकमात्र नौ लड़ाकू विमानों वाली एरोबैटिक टीम है। यह विशिष्ट टीम भारत में ही निर्मित एचएएल (HAL) लाइसेंस प्राप्त हॉक एमके-132 (Mk-132) विमान उड़ाती है। इन विमानों के ज़रिए भारतीय वायु सेना की सटीकता, पेशेवर उत्कृष्टता और कौशल का अद्भुत प्रदर्शन करती है, जिसमें रोमांचक हवाई करतब और बेहद सटीक फॉर्मेशन शामिल होते हैं। सूर्यकिरण टीम को उसका मिशन विशेष बनाता है। देश के युवाओं को भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होकर देशसेवा के लिए प्रेरित करना इनका मिशन है। 

सूर्यकिरण टीम की स्थापना वर्ष 1996 में की गई थी। तब से यह टीम एशिया की एकमात्र नौ-विमानों वाली एरोबैटिक टीम होने का गौरव रखती है और दुनिया की कुछ चुनिंदा शीर्ष एरोबैटिक टीमों में शामिल है। यह असाधारण टीम अब तक भारत भर में 700 से अधिक प्रदर्शन कर चुकी है। साथ ही चीन, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय एयर शोज़ में भी किया है। टीम मंं कुल 13 पायलट, 3 इंजीनियरिंग अधिकारी, 1 उद्घोषक (कमेन्टेटर) और 1 चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं।

सूर्यकिरण टीम भारतीय वायुसेना की उस भावना को दर्शाती है जो उत्कृष्टता, अनुशासन और टीमवर्क पर आधारित है। टीम के सभी पायलट अत्यंत कठिन प्रशिक्षण से गुजरते हैं, जिसमें जटिल एरोबैटिक मूवमेंट्स का महीनों तक अभ्यास किया जाता है। उनका बेदाग़ तालमेल और नियंत्रण ही क्लोज़ फॉर्मेशन फ्लाइंग की नींव है जहाँ नौ विमान मानो एक ही आत्मा से संचालित प्रतीत होते हैं।





भारतीय महासागर क्षेत्र में सहयोग और सूचना साझाकरण को सुदृढ़ करने हेतु ‘समुद्री सुरक्षा संगोष्ठी’ का सफल समापन

No comments Document Thumbnail

समुद्री सूचना साझाकरण कार्यशाला (Maritime Information Sharing Workshop – MISW 25) के अंतर्गत आयोजित समुद्री सुरक्षा संगोष्ठी का समापन 4 नवम्बर 2025 को हुआ। “भारतीय महासागर क्षेत्र में रीयल-टाइम समन्वय और सूचना साझाकरण को सुदृढ़ करना” विषय पर आधारित यह तीन दिवसीय कार्यशाला (3 से 5 नवम्बर 2025) IFC–IOR द्वारा आयोजित की जा रही है, जिसमें 30 देशों के 57 से अधिक प्रतिनिधि, तथा IORA, DCoC/JA और BIMSTEC संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

कार्यक्रम का शुभारंभ उप नौसेनाध्यक्ष वाइस एडमिरल तरुण सोबती के उद्घाटन संबोधन से हुआ, जिसमें उन्होंने भारतीय महासागर क्षेत्र में उभरती समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग, पारस्परिकता और विश्वास-आधारित साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया। इसके बाद सुशील मंसिंग खोपड़े, आईपीएस, अतिरिक्त महानिदेशक (नौवहन महानिदेशालय) ने मुख्य वक्ता के रूप में भारत की समुद्री पहलों और सहयोगात्मक सहभागिता व नियामक समन्वय के माध्यम से क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

दो दिवसीय संगोष्ठी के दौरान प्रतिभागियों ने समुद्री सुरक्षा परिदृश्य को आकार देने वाले विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया, जिनमें क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता, सूचना नेटवर्क की भूमिका, संचालनात्मक समन्वय, समुद्री कानून, उद्योग दृष्टिकोण, और अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराध जैसे मुद्दे शामिल थे। सत्रों में तकनीकी एकीकरण, डेटा पारस्परिकता और सामूहिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता पर बल दिया गया ताकि एक मजबूत और संवेदनशील समुद्री सुरक्षा ढांचा तैयार किया जा सके।

कार्यक्रम का समापन रियर एडमिरल निर्भय बापना (CS NCO) के संबोधन से हुआ, जिन्होंने क्षेत्रीय सूचना साझाकरण ढांचों के बीच तालमेल की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि सहयोग और निरंतर संवाद सुरक्षित और स्थिर समुद्री क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

5 नवम्बर 2025 को IFC–IOR में एक टेबल टॉप एक्सरसाइज (TTX) आयोजित की जाएगी, जिसमें सूचना साझाकरण, पारस्परिकता और समन्वित प्रतिक्रिया के सिद्धांतों का अभ्यास किया जाएगा। यह अभ्यास भारत में विकसित Maritime Analytical Tool for Regional Awareness (MANTRA) सॉफ्टवेयर पर आधारित होगा। प्रतिभागियों को समुद्री डकैती, नशीले पदार्थों की तस्करी, अनियमित मानव प्रवास और समुद्र में आपात स्थितियों जैसे काल्पनिक परिदृश्यों से निपटने का कार्य सौंपा जाएगा। इस अभ्यास का उद्देश्य बहु-एजेंसी समन्वय, त्वरित सूचना साझाकरण, और संगठित प्रतिक्रिया योजना को सुदृढ़ करना है ताकि रीयल-टाइम सूचना साझाकरण के माध्यम से प्रभावी समुद्री सुरक्षा परिणाम प्राप्त किए जा सकें।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किए तीन क्रांतिकारी स्वदेशी नवाचार — QSIP, क्वांटम चिप और CAR-T सेल थेरेपी

No comments Document Thumbnail

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को भेंट की तीन अभूतपूर्व नवाचार उपलब्धियां — QSIP: भारत की अपनी क्वांटम सुरक्षा चिप, 25-क्यूबिट QPU: भारत की पहली क्वांटम कंप्यूटिंग चिप और CAR-T सेल थेरेपी: भारत की पहली स्वदेशी कैंसर सेल थेरेपी

चल रहे Emerging Science, Technology & Innovation Conclave (ESTIC 2025) के दौरान माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को तीन ऐतिहासिक नवाचार उपलब्धियां समर्पित कीं —

  1. QSIP (Quantum Security in Package) : भारत की अपनी क्वांटम सुरक्षा चिप।
  2. 25-क्यूबिट QPU (Quantum Processing Unit) : भारत की पहली क्वांटम कंप्यूटिंग चिप, जो भविष्य की कंप्यूटेशन शक्ति का प्रतीक है।
  3. CAR-T सेल थेरेपी : भारत की पहली स्वदेशी कैंसर सेल थेरेपी, जिसे भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित किया है।

इनमें से NexCAR19, जो विश्व की पहली humanised CAR-T therapy है, भारत में ImmunoACT द्वारा विकसित की गई है — यह वास्तव में “Made in India, for the World” नवाचार का उदाहरण है। इस परियोजना को Department of Biotechnology (DBT) और BIRAC द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ है।

CAR-T सेल थेरेपी (Chimeric Antigen Receptor T-cell therapy) कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति बनकर उभरी है। विश्वभर में किए गए क्लिनिकल ट्रायल्स ने दर्शाया है कि यह थेरेपी Acute Lymphocytic Leukemia जैसे गंभीर कैंसर रोगियों में अत्यंत प्रभावी साबित हुई है।

NexCAR19, भारत की पहली living drug, ने जीन थेरेपी को न केवल किफायती बल्कि सुलभ भी बनाया है, जबकि वैज्ञानिक गुणवत्ता और रोगी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया है।

ImmunoACT, जो IIT बॉम्बे की एक स्पिन-ऑफ स्टार्टअप है, को BIRAC के BioNest Initiative के तहत वित्तीय सहायता, मार्गदर्शन और संसाधन प्रदान किए गए, जब यह Society for Innovation and Entrepreneurship (SINE), IIT बॉम्बे के Technology Business Incubator में इनक्यूबेट की जा रही थी।

वर्ष 2021 में, भारत की पहली CAR-T थेरेपी के Lentivirus manufacturing और clinical trial के लिए DBT और BIRAC ने National Biopharma Mission के तहत आंशिक सहायता प्रदान की। यह परीक्षण ACTREC Centre, टाटा मेमोरियल अस्पताल में TMC-IIT Bombay Team द्वारा किया गया, जिसमें ImmunoACT निर्माण भागीदार के रूप में कार्यरत है।

हाल ही में, DBT ने BioE3 Policy के तहत Biomanufacturing initiative के माध्यम से ImmunoACT को 200-लीटर GMP lentiviral vector and plasmid प्लेटफॉर्म स्थापित करने हेतु वित्त पोषण प्रदान किया है। इस प्लेटफॉर्म से उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और थेरेपी की लागत कम होगी। अनुमान है कि यह GMP ग्रेड gene delivery vector प्रति वर्ष कम से कम 1000 रोगियों की मदद कर सकेगा।

DBT प्रारंभिक एवं उन्नत translational research को भी बढ़ावा दे रहा है ताकि देश में CAR-T आधारित थेरेप्यूटिक्स विकसित कर विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसे Multiple Myeloma (MM), Acute Lymphocytic Leukemia, B-cell Acute Lymphoblastic Leukemia, glioblastoma आदि का उपचार किया जा सके।

यह पहल भारत को कैंसर उपचार में आत्मनिर्भर और वैश्विक अग्रणी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

भारत ने प्रदर्शित किया पहला 500 किमी लंबा क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) नेटवर्क : राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत क्वांटम-सुरक्षित संचार में ऐतिहासिक उपलब्धि

No comments Document Thumbnail

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) के तहत समर्थित 8 स्टार्टअप्स में से एक ने भारत का पहला व्यापक क्वांटम की डिस्ट्रिब्यूशन (QKD) नेटवर्क सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है, जो 500 किलोमीटर से अधिक लंबाई तक फैला हुआ है।

New design of rack of Quantum Suraksha Kavach launched

यह ऐतिहासिक उपलब्धि बेंगलुरु स्थित क्वांटम टेक्नोलॉजी कंपनी, QNu Labs Pvt. Ltd. द्वारा हासिल की गई है, जिसने मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पर यह क्वांटम-सुरक्षित संचार नेटवर्क विकसित किया। यह भारत में क्वांटम-सुरक्षित संचार (Quantum Secure Communication) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

क्वांटम की डिस्ट्रिब्यूशन (QKD) नेटवर्क के इस प्रदर्शन की औपचारिक घोषणा एमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC 2025) के दौरान की गई। इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय के. सूद, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के मिशन गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी, और डीएसटी के सचिव प्रो. अभय करंडिकार सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

QKD system installed in the QSK rack


नए ‘क्वांटम सुरक्षा कवच (Quantum Suraksha Kavach)’ रैक डिज़ाइन का शुभारंभ

कार्यक्रम के दौरान क्वांटम सुरक्षा कवच (QSK) रैक में स्थापित QKD प्रणाली का नया डिज़ाइन भी लॉन्च किया गया।

यह प्रदर्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है जिसमें वे भारत को उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अग्रणी के रूप में देखते हैं। यह भारत को “सेकंड क्वांटम रेवोल्यूशन” में एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करता है और सुरक्षित डिजिटल संचार एवं उन्नत साइबर सुरक्षा के नए आयाम खोलता है।

यह परियोजना आई-हब क्वांटम टेक्नोलॉजी फाउंडेशन (I-Hub QTF) के माध्यम से वित्तपोषित की गई, जो राष्ट्रीय मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (NMICPS) के अंतर्गत आईआईएसईआर पुणे में स्थित है।

भारतीय सेना का महत्वपूर्ण योगदान

भारतीय सेना के सदर्न कमांड सिग्नल्स ने इस क्षमता प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस QKD परीक्षण के लिए विशेष रूप से राजस्थान सेक्टर में एक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क टेस्ट-बेड तैयार किया गया। इस नेटवर्क में कई नोड्स शामिल थे, जिनमें से दो को “ट्रस्टेड नोड्स” के रूप में उपयोग किया गया ताकि पूरे 500 किलोमीटर के प्रभावी क्षेत्र में क्वांटम की एक्सचेंज संभव हो सके।

यह उपलब्धि भारत में क्वांटम-सुरक्षित संचार प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम है और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के उद्देश्यों को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। यह तकनीक, अनुसंधान, उद्योग और रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र (STRIDE) के बीच उत्कृष्ट सहयोग का उदाहरण है।

QSIP तकनीक का प्रदर्शन प्रधानमंत्री के समक्ष

उसी स्टार्टअप QNu Labs द्वारा विकसित क्वांटम रैंडम नंबर जनरेटर सिस्टम-इन-पैकेज (QSIP) को ESTIC 2025 के उद्घाटन सत्र के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रदर्शित किया। यह तकनीक क्वांटम-प्रमाणित रैंडमनेस प्रदान करती है, जो क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिद्म्स में उपयोग की जाती है, और मौजूदा साइबर खतरों व भविष्य के क्वांटम हमलों से सबसे मजबूत सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

यह प्रदर्शन भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय सुरक्षा और डिजिटल संप्रभुता की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने राष्ट्रीय डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (DLC) अभियान 4.0 का शुभारंभ किया — पेंशनभोगियों के लिए जीवन प्रमाणन प्रक्रिया में डिजिटल क्रांति की नई पहल

No comments Document Thumbnail

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज राष्ट्रीय डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (DLC) अभियान 4.0 का औपचारिक शुभारंभ किया, जिससे पेंशनभोगियों के लिए जीवन प्रमाण पत्र प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में सरकार के सतत प्रयासों को एक नई गति मिली है।

डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC) अभियान 4.0, जो 1 नवंबर से 30 नवंबर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है, ने अपने पहले चार दिनों में ही 55 लाख से अधिक डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जारी कर लिए हैं, जबकि पूरे महीने का लक्ष्य दो करोड़ प्रमाण पत्रों का है।

पिछले वर्ष के DLC अभियान 3.0 की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि उस दौरान 52.73 लाख DLC चेहरे की पहचान तकनीक (Face Authentication) के माध्यम से प्रस्तुत किए गए थे, जबकि 72.64 लाख EPFO पेंशनभोगियों द्वारा जमा किए गए थे।

उन्होंने बताया कि अभियान 3.0 को नवंबर 2024 में 1,984 स्थानों पर 845 जिलों और शहरों में आयोजित किया गया था, जिसमें 1.62 करोड़ DLCs जारी किए गए थे, जिनमें से 49.78 लाख केंद्रीय सरकारी पेंशनभोगियों के थे। इनमें से 85,200 पेंशनभोगी 90 वर्ष से अधिक आयु के थे, जबकि 2,200 से अधिक पेंशनभोगी 100 वर्ष से अधिक आयु के थे।

DLC अभियान 4.0 की प्रमुख विशेषताएँ :

वर्तमान अभियान 4.0 देशभर के लगभग 2,000 जिलों, शहरों और कस्बों में 2,500 शिविरों के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है, जिसका समन्वय 1,250 नोडल अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।
यह अभियान मुख्य बैंकों, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) और पेंशनभोगी कल्याण संघों के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। इस बार “सैचुरेशन एप्रोच” अपनाई गई है ताकि हर पेंशनभोगी, चाहे वह कहीं भी रहता हो या गतिशीलता में अक्षम हो, बिना किसी बाधा के अपना जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सके।

यह अभियान 19 पेंशन वितरित करने वाले बैंकों, UIDAI, MeitY, EPFO, रेलवे, CGDA और दूरसंचार विभाग सहित कई संस्थानों के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) अकेले 1,600 से अधिक जिलों और उप-खंडों में 1.8 लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों के नेटवर्क के माध्यम से घर-घर जाकर पेंशनभोगियों को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र सेवा प्रदान कर रहा है।

विभाग द्वारा एक समर्पित DLC पोर्टल भी विकसित किया गया है, जो 1,850 शहरों और कस्बों में 2,500 से अधिक शिविर स्थलों और 1,200 नोडल अधिकारियों से जुड़ा है।
इसके अतिरिक्त, पूरे महीने के अभियान को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रशिक्षण सत्र चरणबद्ध तरीके से आयोजित किए जा रहे हैं।

पेंशनभोगियों की सुविधा हेतु तकनीकी नवाचार :

इस वर्ष अभियान का विशेष ध्यान फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने पर है, जिसे MeitY और UIDAI के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया है, जिससे वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह प्रक्रिया और भी सरल, तेज़ और सुविधाजनक हो गई है।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से PIB, दूरदर्शन, आकाशवाणी, सोशल मीडिया और SMS अभियानों के माध्यम से अभियान का व्यापक प्रचार किया जा रहा है।
#DLCCampaign4 हैशटैग के तहत यह भारत में पेंशनभोगियों के लिए अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल सशक्तिकरण अभियान बन गया है।

मानवीय संवेदना से प्रेरित तकनीकी परिवर्तन :

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की परिकल्पना वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सहानुभूति से प्रेरित थी।
उन्होंने कहा, “वरिष्ठ नागरिकों से यह साबित करने को कहना कि वे जीवित हैं, अमानवीय प्रतीत होता था। इस चुनौती को सरकार ने एक अवसर के रूप में लिया और बायोमेट्रिक तथा फेस ऑथेंटिकेशन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग एक मानवीय उद्देश्य के लिए किया।”

उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल पेंशनभोगियों के जीवन में सुविधा लाती है, बल्कि समाज को तकनीकी रूप से सशक्त और संवेदनशील बनाती है।

वैश्विक प्रशंसा और प्रधानमंत्री के विज़न की झलक :

डॉ. सिंह ने बताया कि यह अभियान अब एक वैश्विक सफलता की कहानी बन चुका है, जिसे कई अंतरराष्ट्रीय संगठन और प्रतिनिधिमंडल भारत से सीखने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिक-केंद्रित सुशासन के दृष्टिकोण का परिणाम है, जिसने पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) को सरकार के सबसे प्रभावी और नागरिक-उन्मुख विभागों में बदल दिया है।

सम्मान और निष्कर्ष :

इस अवसर पर वी. श्रीनिवास, सचिव (पेंशन),वंदना गुप्ता, कंट्रोलर जनरल ऑफ कम्युनिकेशन अकाउंट्स (CGCA), विश्वजीत सहाय, कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (CGDA), भूवनेश कुमार, CEO UIDAI और ध्रुबज्योति सेनगुप्ता, संयुक्त सचिव (DoPPW) उपस्थित थे।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने वी. श्रीनिवास और उनकी टीम के उत्कृष्ट कार्य की सराहना की, जिन्होंने इस अभियान को एक पारदर्शी, सुलभ और मानव-केंद्रित पेंशन वितरण प्रणाली में बदल दिया है।

अंत में, उन्होंने कहा कि डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट पहल प्रधानमंत्री के Ease of Living और Citizen-Centric Governance के विज़न का साकार उदाहरण है —

यह पहल न केवल निरंतर पेंशन वितरण सुनिश्चित करती है, बल्कि भारत को एक पारदर्शी, कुशल और डिजिटल रूप से सशक्त प्रशासनिक ढाँचे की ओर अग्रसर करती है।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा ‘विशेष अभियान 5.0’ का सफल समापन, स्वच्छता और सतत विकास की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धियां

No comments Document Thumbnail

पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD), मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत, ने 2 से 31 अक्टूबर 2025 तक आयोजित ‘विशेष अभियान 5.0’ का सफल समापन किया। इस अभियान का उद्देश्य जन शिकायतों और अपीलों का निवारण, स्वच्छता अभियानों का संचालन, रिकॉर्ड प्रबंधन को सुदृढ़ बनाना और विभिन्न प्रमुख मानकों पर लक्ष्यों की प्राप्ति करना था।

इस अवधि में विभाग और इसके अधीनस्थ कार्यालयों द्वारा कई गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनकी समीक्षा केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एस. पी. सिंह बघेल ने की और संचालन नरेश पाल गंगवार, सचिव (DAHD) द्वारा किया गया। अभियान के दौरान दीवार चित्रण द्वारा सौंदर्यीकरण, वृक्षारोपण, स्वास्थ्य जांच शिविर, किसानों की संगोष्ठी, चित्रकला प्रतियोगिता, तथा “वेस्ट टू आर्ट” और “वेस्ट टू वेल्थ” जैसी पहलें आयोजित की गईं, जिससे कर्मचारियों में स्वच्छता और स्थिरता की भावना को संस्थागत रूप दिया जा सके।

विशेष अभियान 5.0 के प्रमुख उपलब्धियां :

क्रमांक      पैरामीटर                                             लक्ष्य                       उपलब्धि
1 जन शिकायतें                                        214 302
2 जन शिकायत अपील 35 43
3 संसदीय आश्वासन 5 5
4 राज्य सरकार संदर्भ 8 8
5 पीएमओ संदर्भ 3 3
6 नियमों/प्रक्रियाओं का सरलीकरण 1 1
7 भौतिक फाइलों की समीक्षा 24,645 30,020
8 भौतिक फाइलों का निष्पादन 22,648 22,648
9 ई-फाइलों की समीक्षा 680 680
10 ई-फाइलों का समापन 182 182
11 स्वच्छता स्थलों की संख्या 221 237
12 सांसदों से प्राप्त संदर्भ 15 11
13 कबाड़ की नीलामी से प्राप्त राजस्व ₹5,86,973
14 निष्पादन से मुक्त स्थान (वर्ग फुट में) 5,334

सर्वश्रेष्ठ पहल: कबाड़ लोहे से निर्मित गाय की प्रतिमा

सेंट्रल कैटल ब्रीडिंग फार्म (CCBF), चिपलिमा, संबलपुर (ओडिशा) — जो DAHD के अधीनस्थ कार्यालयों में से एक है — ने कबाड़ लोहे का उपयोग करते हुए गाय की एक आकर्षक प्रतिमा बनाई। यह प्रतिमा न केवल पशुधन के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि “वेस्ट टू आर्ट” की भावना को भी दर्शाती है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण और संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

देशभर में आयोजित प्रमुख गतिविधियों की झलकियाँ :

  • सेंट्रल कैटल ब्रीडिंग फार्म, चिपलिमा (ओडिशा) द्वारा सौरा चित्रकला (ओडिशा की पारंपरिक जनजातीय कला) के माध्यम से दीवार चित्रण।

  • सेंट्रल एनिमल ब्रीडिंग फार्म, सुनाबेड़ा द्वारा स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन मेडिकल कॉलेज, कोरापुट के सहयोग से।

  • रीजनल फॉडर स्टेशन, श्रीगंगानगर (राजस्थान) द्वारा जैविक अपशिष्ट और सूखे पत्तों से कम्पोस्ट खाद तैयार करने की पहल।

  • एनिमल क्वारंटाइन एंड सर्टिफिकेशन सर्विस, हैदराबाद द्वारा सरकारी प्राथमिक विद्यालय, थुक्कुगुड़ा में स्वच्छता पर चित्रकला प्रतियोगिता।

  • किसानों की संगोष्ठी “क्लीन मिल्क प्रोडक्शन” विषय पर तीन कृषि विज्ञान केंद्रों में आयोजित।

  • आरएफएस चेन्नई द्वारा “एक पेड़ माँ के नाम” वृक्षारोपण और कार्यालय स्वच्छता अभियान।

  • एनिमल हस्बेंड्री सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, हेसरघट्टा (बेंगलुरु) द्वारा स्वच्छ दूध उत्पादन पर जागरूकता शिविर।

  • सुनाबेड़ा (ओडिशा) के पाल्मा गाँव में टीकाकरण, पशु स्वच्छता और स्वच्छ पर्यावरण पर किसानों के लिए जनजागरूकता अभियान।

यह अभियान न केवल स्वच्छता और दक्षता की दिशा में एक सशक्त कदम है, बल्कि “स्वच्छता ही सेवा” के संकल्प को साकार करने का एक प्रेरक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

ESTIC 2025 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर उच्च स्तरीय पैनल चर्चा : भारत के जिम्मेदार एआई नवाचार और समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

No comments Document Thumbnail

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने उभरती विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार संगोष्ठी (ESTIC 2025) के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) पर एक उच्च स्तरीय पैनल चर्चा का आयोजन किया।

इस सत्र की अध्यक्षता एस. कृष्णन, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने की। इसमें सरकार, शिक्षाजगत और उद्योग क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिन्होंने इस बात पर विचार-विमर्श किया कि भारत कैसे जिम्मेदारीपूर्वक एआई का उपयोग करते हुए नवाचार, समावेश और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ा सकता है।

यह सत्र आगामी इंडिया–एआई इम्पैक्ट समिट 2026 की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी साबित हुआ, जिसमें भारत के उभरते एआई पारिस्थितिकी तंत्र — डिजिटल अवसंरचना का विस्तार, स्वदेशी बड़े भाषा मॉडलों (Large Language Models) का विकास, नैतिक एआई गवर्नेंस को सुदृढ़ करना, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना — जैसे विषयों पर केंद्रित चर्चाएँ होंगी।

मुख्य संबोधन

सत्र की शुरुआत करते हुए एस. कृष्णन, सचिव, MeitY ने कहा,

“किसी भी तकनीक का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है — वह जीवन की गुणवत्ता को कैसे बेहतर बनाती है और देश के लोगों को क्या अवसर प्रदान करती है। भारत के लिए यह वास्तव में एक बड़ा अवसर है कि हम एआई जैसी क्षैतिज और व्यापक तकनीक का उपयोग करके 2047 तक ‘विकसित भारत (Viksit Bharat)’ के लक्ष्य की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ें।”

इंडियाAI मिशन की भूमिका पर प्रकाश

अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, MeitY, महानिदेशक, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) एवं सीईओ, इंडियाAI मिशन ने कहा,

“एआई नवाचार के मार्ग खोलने के लिए इंडियाएआई मिशन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद सभी खामियों को दूर करने पर केंद्रित है। भारत का सबसे बड़ा बल उसका मानव पूंजी है, लेकिन एआई मॉडल और अनुप्रयोग बनाने के लिए हमें किफायती कंप्यूटिंग, गुणवत्तापूर्ण डेटा सेट्स, और निरंतर निवेश की भी आवश्यकता है। मिशन की सात स्तंभों वाली रणनीति — सस्ती कंप्यूटिंग, डेटा प्लेटफ़ॉर्म, फाउंडेशन मॉडल्स, स्टार्टअप समर्थन, और सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई के लिए टूल्स — के माध्यम से हम एक ऐसा तंत्र बना रहे हैं जो भारत को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों के समकक्ष खड़ा करेगा। हमारा लक्ष्य ऐसे एआई अनुप्रयोग बनाना है जो न केवल भारत की जरूरतें पूरी करें बल्कि नवाचार, नैतिकता और विश्वास के वैश्विक मानक स्थापित करें।”

स्वदेशी एआई विकास की दिशा में प्रेरणा

डॉ. श्रीधर वेंबू, सह-संस्थापक एवं मुख्य वैज्ञानिक, Zoho Corporation ने कहा,

“हमें सीमित संसाधनों और बजट की चुनौतियों से उबरने के लिए एक अलग मार्ग तलाशना होगा। जब संसाधन सीमित होते हैं, तो वही प्रतिबंध हमें बेहतर और नवाचारी समाधान खोजने के लिए प्रेरित करते हैं। मेरा मानना है कि इस दिशा में नई विज्ञान की खोज होना बाकी है — एक ऐसी नींव जो पूरी तरह से बदल देगी कि हम इन समस्याओं को कैसे देखते और हल करते हैं।”

विभिन्न क्षेत्रों में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका

सत्र में अग्रणी शोधकर्ताओं और नवाचारकर्ताओं ने एआई की परिवर्तनकारी संभावनाओं पर अपने विचार रखे:

  • डॉ. गीता मंजनाथ, संस्थापक, सीईओ और सीटीओ, निरामाई हेल्थ एनालिटिक्स ने बताया कि एआई आधारित नवाचार स्तन कैंसर की पहचान को अधिक सुलभ और किफायती बना रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता कम हो रही है।

  • डॉ. श्रीराम राघवन, उपाध्यक्ष, आईबीएम रिसर्च (AI), ने खुले नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र (Open Innovation Ecosystems) की शक्ति पर प्रकाश डाला, जो एआई विकास को तीव्र गति प्रदान करते हैं।

  • डॉ. अमित शेठ एनसीआर चेयर प्रोफेसर और निदेशक, एआई संस्थान, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलाइना ने बताया कि सामान्य एआई से उद्देश्य-आधारित, डोमेन-विशिष्ट प्रणालियों की ओर संक्रमण से ऊर्जा, विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों में उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

पैनल चर्चा — “नवाचार और समावेशन के लिए जिम्मेदार एआई”

इस विषय पर आयोजित पैनल चर्चा का संचालन शशि शेखर वैम्पति, सह-संस्थापक, DeepTech for Bharat Foundation एवं पूर्व सीईओ, प्रसार भारती ने किया।

इसमें प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया —

  • डॉ. हेरिक मयंक विन, सीटीओ, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), मुंबई

  • प्रो. बालारमन रवींद्रन, प्रमुख, डेटा साइंस एवं एआई विभाग, आईआईटी मद्रास

  • अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, MeitY, सीईओ, इंडियाAI मिशन

  • डॉ. रिमझिम अग्रवाल, सह-संस्थापक एवं सीटीओ, ब्रेनसाइटएआई, बेंगलुरु

  •  देबजानी घोष, विशिष्ट फेलो, नीति आयोग एवं पूर्व अध्यक्ष, नैसकॉम

  • प्रो. पी. वेंकट रंगन, कुलपति, अमृता विश्व विद्यापीठम, कोयंबटूर

पैनल में भारत के एआई पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं — डिजिटल अवसंरचना का विस्तार, स्वदेशी बड़े भाषा मॉडल्स का विकास, नैतिक एआई शासन की मजबूती, और वैश्विक साझेदारी को प्रोत्साहन — पर विस्तृत चर्चा हुई।

विशेष बल इस बात पर दिया गया कि तकनीकी प्रगति को राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं और सामाजिक समावेशन के लक्ष्यों के साथ संतुलित किया जाए।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जारी की भारत एआई गवर्नेंस गाइडलाइंस, जिम्मेदार और समावेशी एआई अपनाने की दिशा में बड़ा कदम

No comments Document Thumbnail

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने आज इंडियाAI मिशन के तहत भारत एआई गवर्नेंस गाइडलाइंस (India AI Governance Guidelines) जारी कीं — जो विभिन्न क्षेत्रों में सुरक्षित, समावेशी और जिम्मेदार एआई (AI) अपनाने के लिए एक व्यापक रूपरेखा (framework) प्रस्तुत करती हैं।

इन दिशानिर्देशों का औपचारिक विमोचन भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने किया। इस अवसर पर एस. कृष्णन, सचिव, MeitY; अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, MeitY, सीईओ इंडियाAI मिशन और डीजी, एनआईसी; कविता भाटिया, वैज्ञानिक ‘जी’ एवं जीसी, MeitY और सीओओ इंडियाAI मिशन; तथा प्रो. बी. रवींद्रन, आईआईटी मद्रास उपस्थित थे। साथ ही डॉ. प्रीति बंजल, सलाहकार एवं वैज्ञानिक ‘जी’ और डॉ. पर्विंदर मैनी, वैज्ञानिक सचिव, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय से भी इस अवसर पर उपस्थित रहीं।

इन दिशानिर्देशों का विमोचन इंडिया–एआई इम्पैक्ट समिट 2026 से पहले का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिससे भारत उत्तरदायी एआई शासन (Responsible AI Governance) में अपनी नेतृत्व भूमिका को और सुदृढ़ कर रहा है।

इन गाइडलाइंस में एक मजबूत शासन ढांचा प्रस्तुत किया गया है, जिसका उद्देश्य सुरक्षित, नवोन्मेषी और मानव-केंद्रित एआई विकास को प्रोत्साहित करना है, साथ ही व्यक्तियों और समाज के लिए संभावित जोखिमों को कम करना है। यह ढांचा चार प्रमुख घटकों पर आधारित है —

  1. सात मार्गदर्शक सिद्धांत (सूत्र) – नैतिक एवं उत्तरदायी एआई के लिए

  2. छह स्तंभों पर आधारित शासन संबंधी प्रमुख सिफारिशें

  3. लघु, मध्यम और दीर्घकालिक कार्ययोजना

  4. उद्योग, डेवलपर्स और नियामकों के लिए व्यावहारिक दिशानिर्देश, ताकि एआई प्रणालियों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके

इस अवसर पर एस. कृष्णन, सचिव, MeitY ने कहा,

“हमारा ध्यान जहाँ भी संभव हो, मौजूदा कानूनों का उपयोग करने पर है। इस रूपरेखा का मूल केंद्र ‘मानव-केंद्रितता (Human-Centricity)’ है — यह सुनिश्चित करना कि एआई मानवता की सेवा करे और लोगों के जीवन को बेहतर बनाए, साथ ही संभावित हानियों को संबोधित करे।”

प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा,

“इस ढांचे का मूल सिद्धांत बहुत स्पष्ट है — ‘Do No Harm’ (हानि मत पहुँचाओ)। हमारा ध्यान नवाचार के लिए सैंडबॉक्स तैयार करने और जोखिम न्यूनीकरण सुनिश्चित करने पर है, ताकि यह प्रणाली लचीली और अनुकूलनीय बनी रहे। इंडियाएआई मिशन इस पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त करेगा और विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों के लिए प्रेरणा बनेगा।”

अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, MeitY, सीईओ इंडियाAI मिशन और डीजी, एनआईसी ने कहा,

“समिति ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद एक प्रारूप तैयार किया, जिसे सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया। प्राप्त सुझावों से विभिन्न क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी झलकती है। एआई के तेजी से विकसित होते परिदृश्य को देखते हुए दूसरी समिति का गठन किया गया, जिसने सुझावों को समाहित कर अंतिम दिशानिर्देश तैयार किए। भारत सरकार का ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि एआई सुलभ, किफायती और समावेशी बने, साथ ही सुरक्षित, विश्वसनीय और उत्तरदायी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो।”

ये दिशानिर्देश आईआईटी मद्रास के प्रो. बालारमन रवींद्रन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा तैयार किए गए हैं, जिसमें नीति आयोग, MeitY, डॉट, माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया, ट्राइलीगल, iSPIRT फाउंडेशन तथा अन्य नीति और उद्योग विशेषज्ञ शामिल हैं।

इन दिशानिर्देशों को नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं और उद्योग जगत के लिए एक मूलभूत संदर्भ दस्तावेज के रूप में देखा जा रहा है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षित, उत्तरदायी और समावेशी एआई अपनाने में सहयोग को प्रोत्साहित करेगा।
रिपोर्ट को http://indiaai.gov.in/ पर देखा जा सकता है।

 इंडियाएआई हैकाथॉन फॉर मिनरल टार्गेटिंग के विजेता घोषित

इस अवसर पर इंडियाएआई मिशन के Applications Development Pillar और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (GSI), खनन मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इंडियाएआई हैकाथॉन फॉर मिनरल टार्गेटिंग के विजेताओं की भी घोषणा की गई। इस हैकाथॉन का उद्देश्य एआई और मशीन लर्निंग के माध्यम से खनिज संसाधन पहचान (Mineral Prognostication) को सशक्त बनाना था।

विजेता टीमें इस प्रकार हैं:

🏆 प्रथम पुरस्कार (₹10 लाख): CricSM AI – Critical and Strategic Mineral Mapping with AI — प्रो. पार्थ प्रतिम मंडल, दिनेश मुंडा, लितन दत्ता, तनमय सिंह, साई सत्यम जेना और डॉ. प्रदीप कुमार शुक्ला

🥈 द्वितीय पुरस्कार (₹7 लाख): Knowledge and Data-Driven Mineral Targeting Approach — सौम्य मित्रा, सप्तर्षि मलिक, क्षौनीश पात्रा, संतु विश्वास

🥉 तृतीय पुरस्कार (₹5 लाख): SUVARN – Semi-Unsupervised Value-Adaptive Artificial Resource Network — सयंतनी भट्टाचार्य, डॉ. सब्यसाची नाग, अरुण ए., युवथिश कन्ना जी एस

⭐ विशेष पुरस्कार (₹5 लाख): AI और ML आधारित समाधान — दीपा कुमारी, अनामिका चौधरी, और संध्या जगन्नाथन, जिन्होंने REE, Ni-PGE, कॉपर, डायमंड, आयरन, मैंगनीज और गोल्ड जैसे खनिजों की खोज के नए संभावित क्षेत्रों की पहचान के लिए नवाचार किया।

यह घोषणा भारत की सुरक्षित, समावेशी और स्केलेबल एआई नवाचार की दिशा में यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत 19–20 फरवरी 2026, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले इंडिया एआई इम्पैक्ट समिट 2026 की तैयारी कर रहा है, जिसमें वैश्विक नेताओं, नीति-निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाया जाएगा, ताकि People, Planet और Progress के लिए एआई की परिवर्तनकारी भूमिका पर चर्चा की जा सके।

भारतीय नौसेना में शामिल होगा स्वदेशी सर्वे पोत ‘इक्षाक’, समुद्री सर्वेक्षण क्षमता को मिलेगा नया बल

No comments Document Thumbnail

भारतीय नौसेना अपनी हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण क्षमता को और सुदृढ़ करने जा रही है, क्योंकि ‘इक्षाक’ (Ikshak) — सर्वे वेसल (लार्ज) [SVL] वर्ग का तीसरा पोत और दक्षिणी नौसेना कमान में तैनात होने वाला पहला पोत — नौसेना में शामिल किया जा रहा है। इस पोत को 06 नवम्बर 2025 को नौसेना बेस, कोच्चि में आयोजित एक समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी की उपस्थिति में औपचारिक रूप से नौसेना में कमीशन किया जाएगा।

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड, कोलकाता द्वारा निर्मित यह पोत भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता और आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें 80% से अधिक स्वदेशी उपकरण और सामग्री का उपयोग किया गया है, जो GRSE और भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के बीच प्रभावी सहयोग को दर्शाता है।

‘इक्षाक’ नाम का अर्थ संस्कृत में ‘मार्गदर्शक (Guide)’ है, जो इस पोत की भूमिका को पूरी तरह परिभाषित करता है — सटीकता और उद्देश्य का प्रहरी। यह पोत बंदरगाहों, हार्बरों और नौवहन चैनलों के तटीय और गहरे जल में पूर्ण पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने के लिए डिजाइन किया गया है। एकत्र किए गए आंकड़े समुद्री नौवहन की सुरक्षा सुनिश्चित करने और भारत की समुद्री सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होंगे।

इस पोत में अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक और ओशनोग्राफिक उपकरण लगाए गए हैं, जिनमें हाई-रेज़ोल्यूशन मल्टी-बीम इको साउंडर, ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV), रीमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) और चार सर्वे मोटर बोट्स (SMBs) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, पोत में हेलीकॉप्टर डेक भी है, जो इसकी परिचालन सीमा को बढ़ाता है और बहु-आयामी मिशनों को संभव बनाता है।

‘इक्षाक’ का कमीशन भारतीय नौसेना के सर्वेक्षण और चार्टिंग ढांचे को सशक्त बनाने के निरंतर प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह पोत स्वदेशी सामर्थ्य, तकनीकी उत्कृष्टता और समुद्री नेतृत्व का प्रतीक है। अब ‘इक्षाक’ राष्ट्र की सेवा के लिए तत्पर है — अज्ञात समुद्री सीमाओं को मानचित्रित करने और भारत के विशाल समुद्री सीमांतों की रक्षा करने के लिए।


© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.