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तत्काल टिकट में बड़ा बदलाव, अब OTP बताए बिना नहीं होगी बुकिंग

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 नई दिल्ली। इंडियन रेलवे ने तत्काल टिकट बुकिंग को लेकर बड़ा और अहम फैसला लिया है। राजधानी, दुरंतो और शताब्दी ट्रेनों में सफल प्रयोग के बाद अब देशभर की 100 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में भी ओटीपी आधारित सत्यापन प्रणाली लागू की जा रही है। नई व्यवस्था के तहत तत्काल टिकट बुक कराने के लिए यात्रियों को मोबाइल पर प्राप्त OTP बताना अनिवार्य होगा।


रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य तत्काल टिकट बुकिंग में पारदर्शिता बढ़ाना और दलालों व फर्जी बुकिंग पर प्रभावी रोक लगाना है। प्रीमियम ट्रेनों में इस प्रणाली के सकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद इसे विस्तार देने का निर्णय लिया गया है।

पूर्व मध्य रेलवे (ईसी रेलवे) के मुताबिक, इस सूची में गंगा–दामोदर एक्सप्रेस, मुंबई मेल, वनांचल एक्सप्रेस, रांची–बनारस एक्सप्रेस, हटिया–इस्लामपुर एक्सप्रेस और हटिया–पूर्णिया कोर्ट कोशी एक्सप्रेस समेत कई प्रमुख ट्रेनें शामिल हैं।

नई व्यवस्था के तहत आरक्षण काउंटर से तत्काल टिकट बुक कराने पर यात्री के मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजा जाएगा। यह ओटीपी उसी नंबर पर आएगा, जो आरक्षण फॉर्म में दर्ज किया गया होगा। ओटीपी सत्यापित होने के बाद ही टिकट जारी किया जाएगा। यदि ओटीपी का सत्यापन नहीं हो पाता है, तो तत्काल टिकट नहीं मिलेगा।

रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वे तत्काल टिकट बुक कराते समय सक्रिय मोबाइल फोन साथ रखें और आरक्षण फॉर्म में सही मोबाइल नंबर ही दर्ज करें, ताकि ओटीपी मिलने में कोई परेशानी न हो।

रेलवे प्रशासन का मानना है कि ओटीपी आधारित सत्यापन प्रणाली से वास्तविक यात्रियों को सीधा लाभ मिलेगा, टिकटों की उपलब्धता बेहतर होगी और तत्काल टिकट प्रणाली पर आम यात्रियों का भरोसा मजबूत होगा। आने वाले समय में इस व्यवस्था को और अधिक ट्रेनों व अन्य आरक्षण माध्यमों तक विस्तारित किया जा सकता है।

CG News : माओवाद को बड़ा झटका: 37 लाख के इनामी 11 कैडरों ने नारायणपुर में किया सरेंडर

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 CG News : छत्तीसगढ़ में माओवादी संगठन को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। नारायणपुर जिले में राज्य सरकार की “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” नीति के तहत 11 माओवादी कैडरों ने हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए मुख्यधारा में वापसी की। आत्मसमर्पण करने वालों में 6 पुरुष और 5 महिला माओवादी शामिल हैं।


इन सभी पर कुल 37 लाख रुपये का इनाम घोषित था। सभी माओवादियों ने नारायणपुर पुलिस अधीक्षक रॉबिनसन गुड़िया के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पित माओवादियों में 3 मिलिट्री कंपनी सदस्य, 1 एसीएम (एरिया कमेटी मेंबर) और 7 पीएम (पार्टी मेंबर) शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2025 में अब तक नारायणपुर जिले में कुल 298 माओवादी कैडर आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक माओवादी को शासन की नीति के तहत 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान किया गया। पुलिस प्रशासन ने इसे माओवादी उन्मूलन और पुनर्वास नीति की बड़ी सफलता बताया है।

छत्तीसगढ़ में ACB की बड़ी कार्रवाई: नक्शा पास कराने के नाम पर रिश्वत लेते CMO और बाबू रंगे हाथ गिरफ्तार

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 बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई लगातार जारी है। इसी कड़ी में ACB ने बिलासपुर जिले के बोदरी नगर पंचायत में बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) भारती साहू और कार्यालय बाबू सुरेश सीहोरे को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई मकान का नक्शा पास कराने के एवज में अवैध राशि की मांग की शिकायत पर की गई।


जानकारी के अनुसार सरकंडा के नूतन चौक निवासी वेदराम निर्मलकर ने ACB बिलासपुर में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया कि बोदरी स्थित उनकी भूमि पर मकान निर्माण के लिए नगर पंचायत में नक्शा स्वीकृति का आवेदन दिया गया था। इस दौरान कार्यालय में पदस्थ बाबू द्वारा निर्धारित वैधानिक शुल्क के अतिरिक्त रिश्वत की मांग की जा रही थी। आरोप है कि नक्शा पास कराने के लिए पहले 15 हजार रुपये की मांग की गई थी।

शिकायत के बाद हुआ सत्यापन

शिकायत मिलने के बाद ACB ने मामले का गोपनीय सत्यापन कराया। जांच के दौरान यह पुष्टि हुई कि बाबू सुरेश सीहोरे और CMO भारती साहू द्वारा नक्शा पास करने के बदले रिश्वत मांगी जा रही है। इसके बाद दोनों के खिलाफ ट्रैप कार्रवाई की योजना बनाई गई।

17 दिसंबर को हुई ट्रैप कार्रवाई

योजना के अनुसार 17 दिसंबर को प्रार्थी को 12 हजार रुपये की तय रिश्वत राशि के साथ नगर पंचायत कार्यालय बोदरी भेजा गया। जैसे ही बाबू सुरेश सीहोरे ने रिश्वत की रकम स्वीकार की, पहले से तैनात ACB बिलासपुर की टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बाबू और CMO दोनों को मौके पर ही पकड़ लिया। रिश्वत की पूरी राशि बरामद कर ली गई।

कार्यालय में मचा हड़कंप

अचानक हुई इस कार्रवाई से नगर पंचायत कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारियों और आम नागरिकों के बीच घटना चर्चा का विषय बनी रही। ACB ने आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज

ACB अधिकारियों के अनुसार आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की आगे की जांच जारी है और अन्य पहलुओं की भी पड़ताल की जा रही है।

गौरतलब है कि ACB द्वारा प्रदेशभर में रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जा रहा है।

केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने विश्व कप विजेता भारतीय स्क्वैश टीम को किया सम्मानित

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केंद्रीय युवा कार्य एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बुधवार को ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाली भारतीय स्क्वैश टीम को सम्मानित किया। मिश्रित टीम में जोशना चिनप्पा, अभय सिंह, वेलावन सेंथिलकुमार और अनाहत सिंह शामिल थे, जिन्होंने पिछले शनिवार चेन्नई में इतिहास रचते हुए भारत को उसका पहला स्क्वैश वर्ल्ड कप खिताब दिलाया।

यह जीत भारत की अब तक की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है, इससे पहले टीम ने 2023 संस्करण में कांस्य पदक जीता था। फाइनल मुकाबले में भारत ने शीर्ष वरीयता प्राप्त हांगकांग को 3-0 से हराया। इस जीत के साथ भारत स्क्वैश वर्ल्ड कप जीतने वाला चौथा देश बन गया, इससे पहले यह उपलब्धि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और मिस्र ने हासिल की थी।

खिलाड़ियों को बधाई देते हुए डॉ. मांडविया ने इसे “भारतीय खेल जगत के लिए गर्व का क्षण” बताया। उन्होंने कहा,

“भारत खेलों के क्षेत्र में लगातार नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। हाल ही में हमारी महिला क्रिकेट टीम ने भी विश्व कप जीता है। अपने ही देश की धरती पर स्क्वैश वर्ल्ड कप जीतना बेहद गर्व की बात है। टीम ने पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं गंवाया। मुझे विश्वास है कि खेल क्षेत्र का यह विकास देश को आगे भी कई गौरवपूर्ण क्षण देगा।”

भारतीय स्क्वैश खिलाड़ियों को टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) का भी लाभ मिला है, जिससे उच्चस्तरीय प्रशिक्षण, अंतरराष्ट्रीय अनुभव और विशेषज्ञ मार्गदर्शन के जरिए उनकी तैयारी को मजबूती मिली।

17 वर्षीय अनाहत सिंह ने चेन्नई के दर्शकों के समर्थन को जीत का अहम कारण बताया। उन्होंने कहा,
“मैंने पहली बार अपने सीनियर खिलाड़ियों के साथ वर्ल्ड कप खेला। यह मेरे लिए शानदार सीखने का अनुभव रहा। पूरे टूर्नामेंट में चेन्नई के दर्शकों का समर्थन हमें लगातार मिलता रहा।”

अब भारतीय टीम की नजर 2026 एशियाई खेलों और उसके बाद लॉस एंजिल्स ओलंपिक 2028 पर है, जहां स्क्वैश पहली बार ओलंपिक खेल के रूप में शामिल होगा।

पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित जोशना चिनप्पा ने कहा कि यह जीत आगामी एशियाई खेलों के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है।
उन्होंने कहा,

“हम कई महीनों से इस टूर्नामेंट की तैयारी कर रहे थे। वर्ल्ड कप का अनुभव शानदार रहा और इससे जापान में होने वाले एशियाई खेलों के लिए हमें काफी आत्मविश्वास मिला है। व्यक्तिगत रूप से मैं फिट रहकर खेलों के लिए क्वालिफाई करने की पूरी कोशिश करूंगी।”

भारतीय स्क्वैश टीम की यह ऐतिहासिक जीत देश में खेलों के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक मजबूत कदम मानी जा रही है।

परमाणु ऊर्जा पर नया कानून: लोकसभा में डॉ. जितेंद्र सिंह का जवाब, सुरक्षा के साथ आधुनिक ढांचा मजबूत करने पर जोर

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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल, 2025 पर हुई बहस का जवाब देते हुए सदस्यों की चिंताओं का समाधान किया और सरकार द्वारा व्यापक नए परमाणु कानून की आवश्यकता को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम से चली आ रही मूल सुरक्षा, संरक्षा और नियामक व्यवस्थाओं को बनाए रखते हुए, आधुनिक तकनीकी, आर्थिक और ऊर्जा संबंधी वास्तविकताओं के अनुरूप भारत के परमाणु ढांचे का आधुनिकीकरण करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रस्तावित कानून मौजूदा प्रावधानों का एकीकरण करता है और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) को वैधानिक दर्जा देकर नियामक ढांचे को सुदृढ़ बनाता है, जो अब तक कार्यकारी आदेश के तहत काम करता था। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा मानक, विखंडनीय पदार्थ, उपयोग किया हुआ ईंधन और भारी जल पर नियंत्रण तथा नियमित निरीक्षण सरकार के अधीन ही रहेंगे—भले ही निजी भागीदारी क्यों न हो। निजी संस्थाओं को संवेदनशील सामग्री पर कोई नियंत्रण नहीं होगा और स्पेंट फ्यूल का प्रबंधन पहले की तरह सरकार ही करेगी।

देयता (लायबिलिटी) के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि विधेयक पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजे को कमजोर नहीं करता। उन्होंने समझाया कि रिएक्टर के आकार से जुड़े क्रमिक (ग्रेडेड) कैप्स के जरिए ऑपरेटर देयता को तार्किक बनाया गया है, ताकि स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स जैसी नई तकनीकों को बढ़ावा मिले, साथ ही पीड़ितों को पूर्ण मुआवजा सुनिश्चित हो। इसके लिए बहु-स्तरीय व्यवस्था प्रस्तावित है—ऑपरेटर देयता, सरकार समर्थित न्यूक्लियर लायबिलिटी फंड, और कन्वेंशन ऑन सप्लीमेंटरी कम्पनसेशन के तहत अंतरराष्ट्रीय सहायता। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रथाओं और रिएक्टर सुरक्षा में प्रगति को देखते हुए सप्लायर देयता हटाई गई है, जबकि लापरवाही और दंडात्मक प्रावधान कानून में यथावत लागू रहेंगे।

मंत्री ने यह भी खारिज किया कि विधेयक से सार्वजनिक क्षेत्र की क्षमता कमजोर होगी। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में परमाणु ऊर्जा विभाग का बजट लगभग 170% बढ़ा है और 2014 से परमाणु स्थापित क्षमता दोगुनी हुई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मानकों की तुलना में भारत की ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी अभी भी कम है, जबकि डेटा प्रोसेसिंग, स्वास्थ्य सेवा और उद्योग जैसे क्षेत्रों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए—नवीकरणीय ऊर्जा के साथ—परमाणु ऊर्जा का विस्तार आवश्यक है। यह विधेयक जिम्मेदार निजी और संयुक्त उद्यम भागीदारी को सक्षम बनाता है, ताकि संसाधन सीमाओं को पाटा जा सके, परियोजनाओं की अवधि घटे और 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल किया जा सके—वह भी राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित से समझौता किए बिना।

व्यापक परिप्रेक्ष्य में रखते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा केवल बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि कैंसर उपचार, कृषि और उद्योग जैसे क्षेत्रों में भी इसका उपयोग है। उन्होंने रेखांकित किया कि प्रस्तावित कानून में पहली बार पर्यावरणीय और आर्थिक क्षति को भी परमाणु क्षति की परिभाषा में शामिल किया गया है। स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स और अनुसंधान व नवाचार के लिए घोषित निवेशों के साथ यह कानून स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ते भारत के लिए स्वच्छ, विश्वसनीय ऊर्जा का सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेगा—और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ बनाए रखेगा।

नई दिल्ली में द्वितीय WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन का शुभारंभ, भारत की नेतृत्व भूमिका को मिली वैश्विक सराहना

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नई दिल्ली- भारत मंडपम, नई दिल्ली में आज द्वितीय WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन का भव्य उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव की उपस्थिति में किया। उद्घाटन सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस का विशेष वीडियो संदेश भी प्रसारित किया गया।

17 से 19 दिसंबर 2025 तक आयोजित यह तीन दिवसीय वैश्विक वैज्ञानिक सम्मेलन “संतुलन की पुनर्स्थापना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान एवं व्यवहार” विषय पर आधारित है। सम्मेलन का संयुक्त आयोजन WHO और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा किया गया है। सम्मेलन के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है।

भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका की सराहना

डॉ. टेड्रोस ने अपने संदेश में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका और WHO के साथ उसकी मजबूत साझेदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केवल तकनीक और उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि संतुलन, गरिमा और मानवता की साझा बुद्धिमत्ता से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025–2034 को इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य सभा ने अपनाया है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक साक्ष्यों को मजबूत करना, गुणवत्ता व सुरक्षा सुनिश्चित करना और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल से शुरुआत करते हुए पारंपरिक चिकित्सा को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करना है। इसी दिशा में भारत में WHO का वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किया गया है।

पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मान्यता की दिशा

केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि भारत और WHO का सहयोग पारंपरिक चिकित्सा को विज्ञान, मानकों और साक्ष्यों के माध्यम से वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली का हिस्सा बनाने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि 2024 में ICD-11 मॉड्यूल-2 के तहत आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य वर्गीकरण में शामिल किया गया, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। जामनगर में बन रहा WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र अक्टूबर 2025 तक पूरा होने की दिशा में है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत 26 देशों के साथ समझौता ज्ञापन कर चुका है, 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग कर रहा है, 15 विश्वविद्यालयों में आयुष चेयर स्थापित की गई हैं और 43 देशों में आयुष सूचना केंद्र कार्यरत हैं। अश्वगंधा, गुडूची और मधुमेह पर आधारित आयुर्वेदिक शोध से वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक प्रमाण मजबूत हो रहे हैं।

‘अश्वगंधा’ पर विशेष सत्र

सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण “अश्वगंधा: पारंपरिक ज्ञान से वैश्विक प्रभाव तक” विषय पर आयोजित समानांतर सत्र रहा, जिसमें अश्वगंधा के चिकित्सीय लाभों पर वैश्विक विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत किए। सत्र में इसके तनाव-निवारक, तंत्रिका-संरक्षक और रोग प्रतिरोधक गुणों पर चर्चा हुई तथा मानकीकरण, सुरक्षा मूल्यांकन और वैश्विक मानकों के सामंजस्य पर बल दिया गया।

संतुलन और समावेशी स्वास्थ्य प्रणालियों पर जोर

उद्घाटन के बाद शुरू हुई पूर्ण सत्र चर्चाओं में वैश्विक स्वास्थ्य, ज्ञान शासन, जैव विविधता संरक्षण और समानता जैसे विषयों पर गहन विमर्श हुआ। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य का वास्तविक आधार व्यक्ति, समाज और प्रकृति के बीच संतुलन है।

सम्मेलन के विचार-विमर्श ने यह स्पष्ट किया कि पारंपरिक चिकित्सा न केवल सांस्कृतिक विरासत है, बल्कि लोगों और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने में एक सशक्त वैश्विक समाधान भी है।

गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहादत दिवस पर अंतरधार्मिक सम्मेलन: उपराष्ट्रपति ने शांति, धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता का दिया संदेश

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नई दिल्ली- भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज नई दिल्ली में आयोजित अंतरधार्मिक  सम्मेलन (इंटरफेथ कॉन्क्लेव) को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन शांति, मानवाधिकारों और धार्मिक सद्भाव के लिए एक वैश्विक आह्वान है। यह सम्मेलन गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया।

उपराष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने हाल ही में गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब जाकर गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी को नैतिक साहस का प्रकाशस्तंभ बताते हुए कहा कि उनका जीवन और बलिदान संपूर्ण मानवता की धरोहर है।

धार्मिक स्वतंत्रता का ऐतिहासिक प्रतीक

उपराष्ट्रपति ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान धार्मिक स्वतंत्रता के इतिहास में एक अद्वितीय उदाहरण है। उन्होंने किसी राजनीतिक सत्ता या किसी एक मत की श्रेष्ठता के लिए नहीं, बल्कि व्यक्ति की अंतरात्मा के अनुसार जीवन जीने और उपासना करने के अधिकार की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। असहिष्णुता के दौर में उन्होंने पीड़ितों के लिए ढाल बनकर खड़े होने का साहस दिखाया।

‘हिंद दी चादर’ का वैश्विक संदेश

राधाकृष्णन ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने विश्व को सिखाया कि करुणा से प्रेरित साहस समाज को बदल सकता है और अन्याय के सामने मौन रहना सच्चे धर्म के अनुकूल नहीं है। इन्हीं शाश्वत मूल्यों के कारण उन्हें केवल सिख गुरु ही नहीं, बल्कि सर्वोच्च बलिदान और नैतिक साहस के सार्वभौमिक प्रतीक के रूप में सम्मानित किया जाता है और उन्हें ‘हिंद दी चादर’ की उपाधि प्राप्त है।

भारत की शक्ति: विविधता में एकता

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी विविधता में एकता है। प्राचीन काल से ही भारत ने विभिन्न आस्थाओं, दर्शनों और संस्कृतियों का स्वागत किया है, जिसे संविधान निर्माताओं ने विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता के मूल अधिकारों के माध्यम से सुदृढ़ किया।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के आह्वान का उल्लेख करते हुए इसे भारत की सभ्यतागत आत्मा से जुड़ा दृष्टिकोण बताया और विकसित भारत @2047 के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।

वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका

समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने G20 की अध्यक्षता के दौरान “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना को “One Earth, One Family, One Future” के रूप में विश्व के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने मिशन LiFE के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 के दौरान “वैक्सीन मैत्री” पहल के तहत 100 से अधिक देशों को निःशुल्क टीके उपलब्ध कराने में भारत की मानवीय भूमिका को भी रेखांकित किया।

उन्होंने तमिल सूक्ति “याधुम ऊरे, यावरुम केलिर” का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की सभ्यतागत चेतना आज भी वैश्विक सद्भाव को प्रेरित कर रही है।

आज भी प्रासंगिक है गुरु तेग बहादुर जी का संदेश

उपराष्ट्रपति ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान भारत की आत्मा से गहराई से जुड़ा है—एक ऐसा राष्ट्र जहां एकता एकरूपता से नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और समझ से बनती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज के समय में भी गुरु तेग बहादुर जी का संदेश अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि शांति बल से नहीं, बल्कि न्याय, करुणा और मानवीय गरिमा के सम्मान से स्थापित होती है।

सम्मेलन में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति

यह अंतरधार्मिक सम्मेलन डॉ. विक्रमजीत सिंह सहनी, राज्यसभा सांसद एवं अध्यक्ष, ग्लोबल इंटरफेथ हार्मनी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया। सम्मेलन में जैन आचार्य लोकेश मुनि, नामधारी सतगुरु उदय सिंह, मोहन रूपा दास (इस्कॉन मंदिर, दिल्ली), हाजी सैयद सलमान चिश्ती (अजमेर दरगाह शरीफ), रेव. फादर मोनोडीप डेनियल, सरदार तरलोचन सिंह सहित अनेक प्रतिष्ठित धार्मिक एवं आध्यात्मिक नेता उपस्थित रहे।


वंदे मातरम् की गौरव गाथा का स्मरण हर भारतीय के लिए गर्व का विषय – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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रायपुर- राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में आयोजित विशेष चर्चा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने  वंदेमातरम के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वंदे मातरम्  देशप्रेम का वह जज्बा था जिसकी गूंज से ब्रिटिश हुकूमत तक कांप उठती थी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह उद्घोष करोड़ों भारतीयों के हृदय में साहस, त्याग और बलिदान की अग्नि प्रज्वलित करता रहा। उन्होंने कहा कि यह वही स्वर था जिसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की शक्ति प्रदान की।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के अमर बलिदानियों को स्मरण करते हुए कहा कि भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, खुदीराम बोस सहित असंख्य क्रांतिकारी वंदे मातरम् का जयघोष करते हुए मां भारती के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए। उनका बलिदान आज भी हर भारतीय को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का स्मरण कराता है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि वंदे मातरम् की गौरव गाथा का स्मरण करना हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। यह गीत हमें उस संघर्ष, उस पीड़ा और उस अदम्य साहस की याद दिलाता है, जिसने भारत को स्वतंत्रता दिलाई। यह हमारी राष्ट्रीय चेतना का आधार स्तंभ है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की पहचान केवल उसकी भौगोलिक सीमाओं से नहीं होती, जो मानचित्र पर अंकित होती हैं। किसी राष्ट्र की वास्तविक पहचान उसकी सभ्यता, संस्कृति, परंपराओं और उन मूल्यों से होती है, जो सदियों से उसके आचार-विचार और जीवन पद्धति का हिस्सा रहे हैं। भारत की यह सांस्कृतिक निरंतरता विश्व में अद्वितीय है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा में वंदे मातरम् पर विशेष चर्चा आयोजित करने का उद्देश्य यह भी है कि हम इतिहास की उन गलतियों को कभी न भूलें, जिन्होंने देश को गहरे घाव दिए, जिनकी पीड़ा आज भी हमारे समाज में कहीं-न-कहीं महसूस की जाती है। इतिहास से सीख लेकर ही हम एक सशक्त और समरस भारत का निर्माण कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के उन सभी वीर सपूतों को नमन किया, जिन्होंने वंदे मातरम् के भाव को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर भारत माता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् हमें हमारी विरासत, हमारी सांस्कृतिक चेतना और हजारों वर्षों की सभ्यता से जोड़ता है। यह उन आदर्शों की सामूहिक अभिव्यक्ति है, जिन्हें हमने युगों-युगों में आत्मसात किया है।

उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में धरती को माता के रूप में पूजने की भावना रही है, जिसे हम मातृभूमि कहते हैं। वंदे मातरम् इसी भाव का सशक्त और पवित्र स्वरूप है, जो हमें प्रकृति, भूमि और राष्ट्र के प्रति सम्मान और कर्तव्यबोध सिखाता है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की 150वीं जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस विशेष चर्चा के आयोजन के लिए विधानसभा अध्यक्ष तथा सभी  सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे विमर्श नई पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम, सांस्कृतिक गौरव और ऐतिहासिक चेतना से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति से लौटी उम्मीदें,सुकमा में आत्मसमर्पित माओवादियों को मिला सम्मानजनक नया जीवन

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75 को 5G स्मार्टफोन, 25 को मेसन किट का वितरण

रायपुर- छत्तीसगढ़ शासन की संवेदनशील और दूरदर्शी नक्सल पुनर्वास नीति ज़मीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव का सशक्त उदाहरण बन रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के स्पष्ट निर्देशों एवं उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के मार्गदर्शन में सुकमा जिले के नक्सल पुनर्वास केंद्र में आत्मसमर्पित माओवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई।

आत्मसमर्पण करने वाल 25 युवाओं को रोजगारोन्मुख मेसन (राजमिस्त्री) किट

इस क्रम में 75 आत्मसमर्पित नक्सलियों को अत्याधुनिक 5G स्मार्टफोन तथा 25 युवाओं को रोजगारोन्मुख मेसन (राजमिस्त्री) किट वितरित की गई। यह कार्यक्रम कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव एवं पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।

75 आत्मसमर्पित नक्सलियों को अत्याधुनिक 5G स्मार्टफोन

कार्यक्रम के दौरान 75 पुनर्वासित युवाओं को सैमसंग गैलेक्सी M06 5G स्मार्टफोन प्रदान किए गए, जिनमें 50 मेगापिक्सल डुअल कैमरा तथा 5000 mAh फास्ट-चार्जिंग बैटरी जैसी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इन स्मार्टफोनों के माध्यम से युवा अब डिजिटल शिक्षा, कौशल विकास कार्यक्रमों, सरकारी योजनाओं तथा देश-दुनिया की जानकारी से सहजता से जुड़ सकेंगे।

इसके साथ ही 25 पुनर्वासित युवाओं को मेसन किट प्रदान कर निर्माण क्षेत्र में रोजगार एवं स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया गया। यह पहल प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण सहित अन्य विकास कार्यों के लिए कुशल श्रमशक्ति तैयार करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

मुचाकी रनवती

आत्मसमर्पण करने वाले लोगों स्वरोजगार के नए अवसरों उपलब्ध कराने संकल्पित

जिला प्रशासन ने बताया कि नक्सल पुनर्वास को केवल आर्थिक सहायता तक सीमित न रखते हुए इसे आत्मनिर्भरता, सम्मान और सामाजिक समावेशन से जोड़ा जा रहा है। 5G स्मार्टफोन के माध्यम से पुनर्वासित युवा अब ऑनलाइन प्रशिक्षण, आधुनिक कृषि तकनीकों, छोटे व्यवसायों और स्वरोजगार के नए अवसरों को समझने और अपनाने में सक्षम होंगे।आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी लोगों स्वरोजगार के नए अवसरों उपलब्ध कराने सरकार संकल्पित है l 

पुनर्वासित युवाओं ने साझा किए अनुभव

पोलमपल्ली निवासी पुनर्वासित पोड़ियम भीमा ने बताया कि वे लगभग 30 वर्षों तक डीवीसी सदस्य के रूप में संगठन से जुड़े रहे। पुनर्वास के बाद उन्हें बेहतर आवास, भोजन और प्रशिक्षण की सुविधा मिल रही है। उन्होंने बताया कि वे राजमिस्त्री के साथ-साथ इलेक्ट्रीशियन और मैकेनिक का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुके हैं।

पोड़ियम भीमा

पुवर्ती निवासी मुचाकी रनवती ने बताया कि वे 24 वर्षों तक एसीएम सदस्य के रूप में नक्सल संगठन से जुड़ी रहीं। पुनर्वास के बाद उन्होंने सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त किया और वर्तमान में राजमिस्त्री प्रशिक्षण ले रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने परिजनों से मिलने का अवसर मिला तथा बस्तर ओलंपिक की संभागस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया।

डब्बमरका, सुकमा निवासी गंगा वेट्टी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जिला प्रशासन द्वारा मोबाइल और मेसन किट मिलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि जंगल के जीवन की तुलना में वर्तमान जीवन सुरक्षित और सम्मानजनक है। शिविर लगाकर उनका आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड एवं जॉब कार्ड बनाया गया तथा शासन की सभी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा है।

सुकमा में की गई यह पहल इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ शासन की नीति केवल नक्सलवाद से मुकाबले तक सीमित नहीं है, बल्कि भटके हुए युवाओं को विश्वास, अवसर और सम्मान के साथ नया जीवन देने की ठोस कोशिश भी है। यह मॉडल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विकास और सामाजिक समरसता की मजबूत नींव रख रहा है। इस अवसर पर जिले के प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को राज्य स्तरीय ओपन फिटनेस रन का आमंत्रण

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रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज छत्तीसगढ़ विधानसभा स्थित उनके कार्यालय में विधायक मोतीलाल साहू के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बलौदाबाजार जिले के ग्राम खरतोरा में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय ओपन फिटनेस रन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया तथा आयोजन की प्रतीकात्मक टी-शर्ट भेंट की।

मुख्यमंत्री साय ने आमंत्रण के लिए प्रतिनिधिमंडल का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ युवाओं को सकारात्मक दिशा देने का सशक्त माध्यम हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना, पुलिस तथा सीमा सुरक्षा बल के जवानों को सम्मानित किया जाएगा।मुख्यमंत्री साय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा में सतत रूप से समर्पित जवानों का सम्मान करना पूरे समाज के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है।

उन्होंने कहा कि फिटनेस, अनुशासन और देशभक्ति जैसे मूल्यों को एक मंच पर जोड़ने वाले ऐसे आयोजन स्वस्थ, सशक्त और जागरूक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

दो वर्ष की निरंतर सेवा, निरंतर विकास की दिशा में एक और पहल: मुख्यमंत्री साय ने कॉफी टेबल बुक्स का किया विमोचन

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रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज शाम नवीन विधानसभा स्थित अपने कार्यालय में “दो साल निरंतर सेवा,निरंतर विकास” की भावना को समर्पित छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाने वाली जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित आठ कॉफी टेबल बुक्स का विमोचन किया गया। 

इनमें बस्तर दशहरा (हिन्दी), बस्तर दशहरा (अंग्रेजी),पुण्यभूमि छत्तीसगढ़ (हिन्दी),पुण्यभूमि छत्तीसगढ़ (अंग्रेजी), छत्तीसगढ़ के अतुल्य जलप्रपात (हिन्दी), छत्तीसगढ़ के अतुल्य जलप्रपात (अंग्रेजी),बैगा टैटू (हिन्दी) और बैगा टैटू (अंग्रेजी) शामिल हैं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ये कॉफी टेबल बुक्स छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति, ऐतिहासिक परंपराओं, आदिवासी कला और प्राकृतिक विरासत को देश-विदेश तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने इसे राज्य की पहचान को सशक्त करने वाला सार्थक प्रयास बताया।

इस अवसर पर जगदलपुर विधायक किरण सिंह देव , महासमुन्द विधायक योगेश्वर सिन्हा, जनसंपर्क विभाग के सचिव रोहित यादव, जनसंपर्क आयुक्त रवि मित्तल, मुख्यमंत्री के प्रेस अधिकारी आलोक सिंह, पूर्व विधायक खिलावन साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं संबंधित विभागों के अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।

विधानसभा परिसर में यात्रा वृत्तान्त “मेरी नज़र से अरुणाचल प्रदेश” का विमोचन

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रायपुर- विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज विधानसभा परिसर में पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर आधारित इलेक्ट्रॉनिक टीवी चैनल बीएसटीवी के राज्य संपादक डॉ. अवधेश मिश्रा द्वारा लिखित यात्रा वृत्तान्त “मेरी नज़र से अरुणाचल प्रदेश” का विमोचन किया।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जीवन में यात्राओं का विशेष महत्व है। यात्रा न केवल तनाव से मुक्ति देती है, बल्कि ताजगी और नई ऊर्जा का संचार भी करती है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे नियमित रूप से यात्रा वृत्तान्त पढ़ते हैं और यह रुचि उन्हें राहुल सांकृत्यायन जी को पढ़ने से मिली। यात्रा वृत्तान्तों के माध्यम से पाठक घर बैठे देश–विदेश के भूगोल, संस्कृति और जीवनशैली को समझ पाते हैं। डॉ. सिंह ने डॉ. अवधेश मिश्रा को बधाई देते हुए कहा कि पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति की यात्रा को लिपिबद्ध करने की यह पहल सराहनीय है और यह वृत्तान्त अन्य पर्यटकों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश में ही इतने मनोरम स्थल हैं कि विदेश जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। नॉर्थ ईस्ट अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और स्वच्छ वातावरण के लिए विशिष्ट पहचान रखता है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताते हुए सभी पत्रकारों को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि विधानसभा की ओर से अरुणाचल प्रदेश जैसे सुंदर राज्य की यात्रा करना और उस अनुभव को लेखन के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना प्रशंसनीय कार्य है। मुख्यमंत्री साय ने बताया कि अपने राज्य मंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के कई दौरे किए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में वहाँ विकास कार्यों को गति मिली। उन्होंने डॉ. अवधेश मिश्रा को इस यात्रा वृत्तान्त के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह पुस्तक पर्यटकों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगी और भविष्य में अन्य लोगों को भी यात्रा वृत्तान्त लेखन के लिए प्रेरित करेगी।

इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव, विधायक  धरमलाल कौशिक, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, छत्तीसगढ़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष शशांक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा, कृष्णा दास, यशवंत धोटे सहित बड़ी संख्या में पत्रकारगण एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

दूरसंचार धोखाधड़ी पर सख्त प्रावधान, ‘संचार साथी’ से नागरिकों की भागीदारी बढ़ी: डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर

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संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने आज लोकसभा में एक अतारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि दूरसंचार अधिनियम, 2023 की उप-धारा 42(3)(e) के तहत धोखाधड़ी, छल या व्यक्ति-भेषण (Personation) के माध्यम से सिम कार्ड या अन्य दूरसंचार पहचानकर्ता प्राप्त करना दंडनीय अपराध है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ राज्य सूची के विषय हैं।

मंत्री ने बताया कि दूरसंचार अधिनियम, 2023 की उप-धारा 42(3)(c) और 42(3)(f) के अंतर्गत दूरसंचार पहचानकर्ताओं के साथ छेड़छाड़ करना तथा यह जानते हुए भी ऐसे रेडियो उपकरणों को रखना या उपयोग करना, जिनमें अनधिकृत या छेड़छाड़ किए गए पहचानकर्ता हों, अपराध की श्रेणी में आता है। इसके अतिरिक्त, टेलीकॉम साइबर सुरक्षा नियम किसी भी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर दूरसंचार उपकरण की विशिष्ट पहचान संख्या को हटाने, बदलने या उसमें छेड़छाड़ करने तथा ऐसे हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर को रखने या उपयोग करने पर रोक लगाते हैं, जिनके बारे में जानकारी हो कि वे अवैध रूप से कॉन्फ़िगर किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि दूरसंचार विभाग (DoT) ने लाइसेंस शर्तों के माध्यम से यह अनिवार्य किया है कि सभी टेलीकॉम सेवा प्रदाता (TSPs) किसी भी ग्राहक को सब्सक्राइबर के रूप में जोड़ने से पहले उसकी उचित पहचान और सत्यापन सुनिश्चित करें।

डॉ. चंद्रशेखर ने बताया कि DoT ने नागरिक-केंद्रित ‘संचार साथी’ पोर्टल और ऐप विकसित किया है, जिसके माध्यम से नागरिक अपने मोबाइल हैंडसेट की प्रामाणिकता अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (IMEI) के जरिए जांच सकते हैं। दूरसंचार धोखाधड़ी को रोकने और डिजिटल सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘संचार साथी’ पहल के तहत व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। IMEI सत्यापन से जुड़े व्याख्यात्मक वीडियो और इन्फोग्राफिक्स DoT के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराए गए हैं।

इसके साथ ही, ‘संचार मित्र’ योजना शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत छात्र स्वयंसेवकों को डिजिटल सुरक्षा, धोखाधड़ी से बचाव और संचार साथी पोर्टल व ऐप के उपयोग के बारे में नागरिकों को जागरूक करने के लिए जोड़ा गया है। स्थानीय भाषाओं में संवाद के माध्यम से यह पहल जमीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाने में मदद कर रही है।

नागरिकों तक पहुंच के लिए बहुभाषी समाचार लेख, विज्ञापन, सार्वजनिक स्थलों पर डिजिटल स्क्रीन और होर्डिंग्स, टीवी और रेडियो संदेश, DoT की फील्ड इकाइयों द्वारा स्थानीय गतिविधियां, टेलीकॉम कंपनियों के साथ एसएमएस अभियान और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार किया जा रहा है।

मंत्री ने बताया कि ‘संचार साथी’ जनभागीदारी को भी बढ़ावा देता है, जिसके तहत नागरिक साइबर धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधनों के संदिग्ध दुरुपयोग की रिपोर्ट कर सकते हैं। इससे अधिकारी और टेलीकॉम ऑपरेटर संदिग्ध नंबरों और फर्जी कनेक्शनों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई कर पाते हैं, जिससे दोषियों को जवाबदेह ठहराया जा सके और निर्दोष उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो।

दिल्ली में पेंशनरों की समस्याओं के समाधान के लिए पेंशन अदालत का आयोजन

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प्रधान नियंत्रक संचार लेखा कार्यालय (Pr. CCA), दिल्ली द्वारा वित्तीय वर्ष 2025–26 की तीसरी तिमाही (Q3) के लिए 17 दिसंबर 2025 को सफलतापूर्वक पेंशन अदालत का आयोजन किया गया। यह पेंशन अदालत Pr. CCA दिल्ली कार्यालय, प्रसाद नगर, नई दिल्ली में संयुक्त नियंत्रक संचार लेखा, दिल्ली रजत त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित हुई।

पेंशन अदालत के दौरान बीएसएनएल, एमटीएनएल और दूरसंचार विभाग (DoT) के पेंशनरों की विभिन्न शिकायतों की सुनवाई की गई। इनमें पेंशन भुगतान, पेंशन कम्यूटेशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों से जुड़े मामलों का समाधान किया गया।

इस अवसर पर प्रधान नियंत्रक संचार लेखा, दिल्ली आशीष जोशी ने कहा कि पेंशन अदालत पेंशनरों की समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने आश्वासन दिया कि Pr. CCA दिल्ली कार्यालय अपने पेंशनरों को समयबद्ध और प्रभावी सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और भविष्य में भी पेंशनरों के कल्याण हेतु इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा।

कार्यक्रम के दौरान पेंशनर कल्याण पर विशेष जोर दिया गया। पेंशनरों को उनकी शिकायतों की वर्तमान स्थिति और उनके त्वरित व प्रभावी निस्तारण के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई। Pr. CCA दिल्ली कार्यालय ने पेंशनरों के कल्याण और उनकी शिकायतों के शीघ्र समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।


भारत–अर्जेंटीना कृषि सहयोग को नई मजबूती: ICAR और INTA के बीच 2025–27 कार्ययोजना पर हस्ताक्षर

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और अर्जेंटीना के राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी संस्थान (INTA) के बीच कृषि अनुसंधान, क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान को सुदृढ़ करने के लिए कार्ययोजना 2025–2027 पर हस्ताक्षर किए गए। आज इस हस्ताक्षरित ICAR–INTA कार्ययोजना का आदान-प्रदान कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव एवं ICAR के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट और भारत में अर्जेंटीना के राजदूत एच.ई. मारियानो ऑगस्टिन काउसीनो के बीच हुआ। यह पहल भारत–अर्जेंटीना के द्विपक्षीय कृषि सहयोग को नई दिशा देने वाला महत्वपूर्ण कदम है।

इस कार्ययोजना के तहत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, सतत कृषि (जीरो टिलेज, यंत्रीकरण, माइक्रो-इरिगेशन और फर्टिगेशन), फसल एवं पशु जैव-प्रौद्योगिकी, पशुधन सुधार, समशीतोष्ण एवं उष्णकटिबंधीय फसलों की उत्पादन तकनीक, डिजिटल कृषि, जैव-सुरक्षा और फाइटोसैनिटरी उपाय, तथा मूल्य श्रृंखला विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग स्थापित किया जाएगा। इसका क्रियान्वयन संयुक्त अनुसंधान, जर्मप्लाज्म आदान-प्रदान, विशेषज्ञ सहभागिता और संरचित प्रशिक्षण व अध्ययन दौरों के माध्यम से किया जाएगा।

प्रस्तावित अध्ययन भ्रमण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में ग्रीनहाउस सब्जी उत्पादन, फ्लोरीकल्चर एवं समशीतोष्ण फल, पोस्ट-हार्वेस्ट फिज़ियोलॉजी, फंक्शनल फूड विकास, पशु चिकित्सा निदान, प्रिसिजन पशुपालन, वेस्ट-टू-वेल्थ तकनीक, माइक्रोबियल फीड संवर्धन, डिजिटल कृषि तथा सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी प्रणालियाँ शामिल हैं। जर्मप्लाज्म आदान-प्रदान में सोयाबीन, सूरजमुखी, मक्का, ब्लूबेरी, साइट्रस, जंगली पपीता प्रजातियाँ, अमरूद और चुनिंदा सब्जी फसलें शामिल होंगी।

इसके अलावा, दोनों देश तेलहन और दलहन मूल्य श्रृंखलाओं, कृषि यंत्रीकरण (जीरो-टिलेज, कपास कटाई मशीनरी और ड्रोन), तथा बागवानी मूल्य श्रृंखला विकास (इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोपण सामग्री का आदान-प्रदान) में सहयोग को और गहरा करेंगे। पौध एवं पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्षेत्र-विशिष्ट खुरपका-मुंहपका (FMD) उन्मूलन रणनीतियाँ तथा टिड्डी निगरानी और प्रबंधन पर तकनीकी सहयोग और सर्वोत्तम प्रथाओं का साझा करना भी शामिल है।

दोनों पक्षों ने भारत–अर्जेंटीना वैज्ञानिक साझेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और प्रभावी क्रियान्वयन एवं प्रगति सुनिश्चित करने के लिए वार्षिक निगरानी और समीक्षा पर सहमति व्यक्त की।


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