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गति शक्ति विश्वविद्यालय की दूसरी कोर्ट बैठक में उद्योग-समर्थित प्रगति और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा

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गति शक्ति विश्वविद्यायलय (GSV) ने नई दिल्ली के रेल भवन में अपनी दूसरी कोर्ट बैठक आयोजित की। विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में बैठक की अध्यक्षता करते हुए, अश्विनी वैष्णव (केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री) ने कहा कि “GSV ने संचालन की केवल 3 वर्षों में अपने इंडस्ट्री-ड्रिवन दृष्टिकोण के साथ अद्वितीय प्रगति की है और यह देश के लिए एक मॉडल बन गया है। रेल और एविएशन क्षेत्रों पर मजबूत फोकस जारी रखते हुए, GSV अब ब्रिज और टनल इंजीनियरिंग, शिप बिल्डिंग पर ध्यान केंद्रित करेगा, रक्षा बलों और रेलवे के कौशल उन्नयन में योगदान देगा, और समग्र परिवहन योजना के लिए अनुप्रयुक्त शोध करेगा।”

बैठक में हेर हाईनेस शुभांगिनी राजे गायकवाड़ (बारोदा की रजमाता),सतीश कुमार (अध्यक्ष एवं सीईओ, रेलवे बोर्ड), लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेन्द्र सिंह (आर्मी स्टाफ के उप-प्रधान), अमरदीप सिंह भाटिया (सचिव, DPIIT), टी.पी. सिंह (डीजी-बीआईएसएजी), प्रो. रजत मूना (निदेशक, IIT GN), नागरिक उड्डयन मंत्रालय, MoRTH, प्रमुख उद्योग जैसे L&T, AMD और GSV के अधिकारी उपस्थित थे।

वीसी प्रो. मनोज चौधरी ने विस्तृत प्रगति और स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की। सभी सदस्यों ने विश्वविद्यालय की इतनी कम अवधि में उत्कृष्ट प्रगति की सराहना की, विशेष रूप से उद्योग के साथ सहयोग, रेलवे, रक्षा बलों और PM गति शक्ति के लिए कार्यकारी प्रशिक्षण। कोर्ट के सदस्यों ने भविष्य की प्रगति के लिए ब्रिज और टनल इंजीनियरिंग, शिप बिल्डिंग, रेलवे, रक्षा, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन में कई सुझाव और सहयोगी इनपुट दिए। आर्मी स्टाफ के उप-प्रधान ने भारतीय सेना की क्षेत्रीय अकादमियों को विश्वविद्यालय से संबद्ध करने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दायरे और पैमाने को बढ़ाने की सिफारिश की। विश्वविद्यालय इस वर्ष से IRMS अधिकारियों के लिए प्रोबेशनरी प्रशिक्षण डिज़ाइन और संचालन करेगा और उद्योगों के साथ मिलकर अधिक चेयर प्रोफेसरशिप स्थापित करेगा।

इस अवसर पर, BISAG और GSV ने PM गति शक्ति को और गति देने के लिए MOU की घोषणा की, जबकि AMD ने GSV में इनक्यूबेशन सुविधा के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की। अतिरिक्त परिसर अवसंरचना का निर्माण हो रहा है और एक मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा, जिसके लिए भूमि पहले ही अधिग्रहीत की जा चुकी है। विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट और वार्षिक खाते (वित्तीय वर्ष 2024-25) भी संसद के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए अनुमोदित किए गए।

गति शक्ति विश्वविद्यायलय (GSV), भारत का प्रमुख परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र विश्वविद्यालय, 2022 में संसद के अधिनियम द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया। रेल मंत्रालय (भारत सरकार) के तहत कार्यरत, यह विश्वविद्यालय पूरे परिवहन क्षेत्र को कवर करता है, जिसमें रेलवे, हाइवे, बंदरगाह, एविएशन, मैरीटाइम, शिपिंग, इंटीरियर वाटरवे, शहरी परिवहन और पूरी लॉजिस्टिक्स एवं सप्लाई चेन नेटवर्क शामिल हैं।


राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन 23 से 25 दिसम्बर 2025 तक

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रायपुर। प्रदेश में राज्य स्तरीय युवा महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई है। आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में मुख्य सचिव विकासशील की अध्यक्षता में राज्य युवा महोत्सव की तैयारियों को लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक सम्पन्न हुई। राज्य युवा महोत्सव का आयोजन 23 से 25 दिसम्बर 2025 तक बिलासपुर में आयोजित किया जाना है। बिलासपुर के राज्य खेल परिसर बहतराई और पुलिस ग्राउंड बिलासपुर में राज्य युवा महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न विद्याओं के प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। 

जिला स्तरीय युवा महोत्सवों के विजेता प्रतिभागी एवं दल राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में सम्मिलित हो रहे है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित विद्याओं में राज्य स्तरीय युवा महोत्सव के विजेता प्रतिभागी राष्ट्रीय युवा महोत्सव में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे। मुख्य सचिव ने युवा महोत्सव के वृहद एवं भव्य आयोजन हेतु शासन के विभिन्न अधिकारियों को समन्वय एवं सहयोग से कार्य करने के निर्देश दिए है। मुख्य सचिव ने कलेक्टर बिलासपुर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य युवा महोत्सव के आयोजन के संबंध में जरूरी व्यवस्था के संबंध में विस्तार से निर्देश दिए।

राज्य युवा महोत्सव में जिलों के प्रतिभागी, निर्णायक, अधिकारी-कर्मचारी को मिलाकर करीब 4000 लोग शामिल होंगे। राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में करीब 14 विद्याओं के साथ सांस्कृतिक गतिविधियां, प्रसिद्ध कलाकारों का गायन और कवि सम्मेलन बैंड की प्रस्तुतियां के मंचीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विभिन्न विद्याओं में लोक नृत्य, पंथी नृत्य, राउत नाचा, सुआ नृत्य, कर्मा नृत्य, लोक गीत, वाद-विवाद, कहानी लेखन, चित्रकला, कविता लेखन, नवाचार, प्रारंपरिक वेशभूषा, रॉकबैंड आदि शामिल हैं। इन प्रतियोगिताओं में 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के युवा भाग लेंगे। अधिकारियों ने जानकारी दी कि 23 दिसम्बर 2025 को राज्य युवा महोत्सव के उद्घाटन के साथ खेलो इंडिया ट्रायबल गेम्स का लॉचिंग सेरेमनी और समापन समारोह इत्यादि कार्यक्रम आयोजित होंगे।

राज्य स्तरीय युवा महोत्सव मुख्य समारोह स्थल पर राज्य के युवाओं के लिए विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं के स्टॉल लगाए जाएंगे। जिसमें रोजगार एवं पंजीयन, ग्रामद्योग, परिवहन, पंचायत, वन एवं समाज कल्याण सहित अन्य विभागों द्वारा युवाओं के लिए संचालित योजनाओं के स्टॉल लगेंगे। मुख्य सचिव ने युवा महोत्सव के आयेाजन के लिए समूचित व्यवस्थाएं करने के लिए विभागीय अधिकारियों से आवश्यक सहयोग एवं समन्वय करने के निर्देश दिए है। उन्होंने आयोजन के संचालन, निगरानी एवं समुचित समन्वय हेतु विभिन्न विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है।

उद्घाटन एवं समापन समारोह में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को परिधान, प्रत्येक प्रतिभागियों को प्रोत्साहन राशि, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, लोक निर्माण विभाग तथा कलेक्टर बिलासपुर द्वारा की जाएगी। आवास एवं समारोह स्थल पर प्रोटोकॉल व्यवस्था जिला प्रशासन बिलासपुर, यातायात एवं पार्किंग व्यवस्था जिला प्रशासन बिलासपुर और नगर निगम बिलासपुर द्वारा की जाएगी। प्रतिभागियों के लिए वेलकम किट खेल विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी। स्वास्थ्य व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग, विद्युत व्यवस्था सीएसपीडीसीएल, मुख्य कार्यक्रम में विभागीय अधोसंरचनाओं का रंग-रोगन एवं मरम्मत का कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा। आयोजन में भाग लेने के लिए आने वाले खिलाड़ियों के आवास व्यवस्था, परिवहन व्यवस्था, कलेक्टर बिलासपुर, इसी तरह से अन्य व्यवस्थाओं के लिए विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है।

बैठक में सचिव कृषि एवं पशुपालन शहला निगार, सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मोहम्मद कैसर अब्दुलहक, सचिव खेल एवं युवा कल्याण यशवंत कुमार, ग्रामोद्योग विभाग के सचिव श्याम धावड़े, संयुक्त सचिव खेल एवं युवा कल्याण विभाग सुखनाथ अहिरवार, स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. फरिहा आलम, संचालक खेल एवं युवा कल्याण तनुजा सलाम सहित अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

CREDAI नेशनल कॉन्क्लेव 2025 में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने रियल एस्टेट में सतत और जलवायु-लचीले विकास पर जोर दिया

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 केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज नई दिल्ली में कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (CREDAI) नेशनल कॉन्क्लेव 2025 को संबोधित किया। उन्होंने रियल एस्टेट क्षेत्र की राष्ट्रीय निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो भारत की आर्थिक वृद्धि, शहरी भविष्य और जीवन की गुणवत्ता को आकार दे रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय गृह और सहयोग मंत्री,अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

मंत्री ने कहा कि भारत 2047 तक विकसित भारत की ओर बढ़ रहा है, इसलिए नगर नियोजन और निर्माण में समावेशी, लचीले और सतत विकास को सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विकास और पर्यावरण संरक्षण पूरक लक्ष्य हैं और दोनों को साथ-साथ आगे बढ़ाना चाहिए, जिसमें पर्यावरणीय विचार योजनाओं के प्रारंभिक चरण में शामिल हों।

यादव ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र ऊर्जा उपयोग, जल खपत, अपशिष्ट उत्पादन, वायु गुणवत्ता और शहरी गर्मी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है और यह भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं, जिसमें 2070 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य शामिल है, के लिए केंद्रीय है। उन्होंने कहा कि सततता अब विकल्प नहीं बल्कि भविष्य-उन्मुख विकास की आधारशिला है। बढ़ते जलवायु प्रभावों के मद्देनजर उन्होंने बाढ़-प्रतिरोधी लेआउट, ताप-अनुकूल सामग्री, हरित आवरण वृद्धि और सतत गतिशीलता समाधान सहित जलवायु-लचीले शहरी नियोजन की आवश्यकता पर बल दिया।

मंत्री ने पर्यावरणीय शासन को आधुनिक बनाने के लिए मंत्रालय द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों का विवरण दिया, जिसमें पर्यावरण स्वीकृति तंत्र को मजबूत करना, डिजिटल और प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली को बढ़ावा देना, जोखिम-आधारित नियामक दृष्टिकोण अपनाना, मिशन LiFE और ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम को आगे बढ़ाना और शहरी क्षेत्रों में वायु और जल गुणवत्ता ढांचे को सुदृढ़ करना शामिल है।

यादव ने उद्योग हितधारकों को आश्वासन दिया कि सरकार दक्षता के साथ अनुपालन को प्रोत्साहित करेगी और उल्लंघनों के मामले में कड़ा कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस पर्यावरणीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं होना चाहिए, और न ही पर्यावरण संरक्षण से अनावश्यक देरी होनी चाहिए। उन्होंने उद्योग से ऊर्जा-कुशल डिज़ाइन, नवीकरणीय ऊर्जा, जल-धनात्मक विकास, सर्कुलर निर्माण प्रथाओं और हरित भवनों को अपनाने का आह्वान किया, जो शहरों और नागरिकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य जोड़ते हैं।

CREDAI की भागीदारी की सराहना करते हुए, यादव ने दोहराया कि उद्योग संगठन राष्ट्रीय विकास के साझेदार हैं। उन्होंने निष्कर्ष में सरकार की सतत शहरीकरण, नियामक सुधार और सहयोगात्मक शासन के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की, ताकि भारत के शहर समावेशी, लचीले और प्रकृति के अनुकूल हों।

हवाई बल परीक्षण पायलट स्कूल (AFTPS) में 1st टेस्ट कोर्स (अनमंडेड एरियल सिस्टम्स) और 25वें प्रोडक्शन टेस्ट पायलट कोर्स का समापन समारोह

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19 दिसंबर 2025 को एयरक्राफ्ट और सिस्टम्स टेस्टिंग एस्टैब्लिशमेंट (ASTE) के एयर फोर्स टेस्ट पायलट स्कूल में 1st टेस्ट कोर्स (Unmanned Aerial Systems) [1TC(UAS)] और 25वें प्रोडक्शन टेस्ट पायलट (PTP) कोर्स का समापन समारोह आयोजित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि एयर मार्शल KAA संजीब, VSM, डायरेक्टर जनरल (एयरक्राफ्ट) थे। समारोह में IAF, DRDO, HAL, सोसाइटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट्स (SETP) और सोसाइटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स (SFTE) के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

समारोह के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र अधिकारियों को ट्रॉफी प्रदान की गई। स्नातक PTP और TC (UAS) कोर्स अधिकारी उन अधिकारियों में शामिल हैं जो उत्पादन विमान के परीक्षण उड़ानों और स्वदेशी अनमंडेड एरियल सिस्टम्स के विकास के तहत परीक्षण गतिविधियों में भाग लेंगे। यह रक्षा एयरोस्पेस में ‘आत्मनिर्भरता’ प्रयासों को गति देगा।

एयर फोर्स टेस्ट पायलट स्कूल (AFTPS), ASTE के अधीनस्थ, देश में एकमात्र संस्था है जो फिक्स्ड-विंग, रोटरी-विंग और अनमंडेड एरियल सिस्टम्स के लिए एक्सपेरिमेंटल और प्रोडक्शन फ्लाइट टेस्ट क्रू को प्रशिक्षित करती है। वर्षों में AFTPS ने उच्च प्रशिक्षित टेस्ट क्रू तैयार किए हैं, जिन्होंने न केवल भारत की रक्षा एयरोनॉटिकल परियोजनाओं में बल्कि अंतरिक्ष परियोजनाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें प्रतिष्ठित गगनयान प्रोग्राम शामिल है। इसने मित्र देशों के अधिकारियों को भी प्रशिक्षित किया है। अब तक AFTPS से कुल 47 फ्लाइट टेस्ट कोर्स, 24 प्रोडक्शन टेस्ट पायलट कोर्स और 4 RPA टेस्ट कोर्स के अधिकारी स्नातक हो चुके हैं।

यह उल्लेखनीय है कि AFTPS विश्व के कुछ मान्यता प्राप्त टेस्ट पायलट स्कूलों में से एक है, जिसके काम और स्थिति को अंतरराष्ट्रीय निकायों जैसे SETP, SFTE और एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा मान्यता प्राप्त है।


दूरसंचार क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

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दूरसंचार विभाग (DoT), संचार मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के सहयोग से नई दिल्ली में “दूरसंचार क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना: नीति और व्यवहार को सक्षम बनाना” शीर्षक से राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में नीति निर्माता, उद्योग विशेषज्ञ, प्रौद्योगिकी प्रदाता, अकादमिक, अंतरराष्ट्रीय संगठन और मूल्य-श्रृंखला के हितधारक शामिल हुए, जिन्होंने भारत के दूरसंचार क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी प्रथाओं को तेज़ी से अपनाने के लिए विचार-विमर्श किया।

कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों के दृष्टिकोण को एकत्रित करना और दूरसंचार मूल्य-श्रृंखला में स्थायित्व और संसाधन दक्षता सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक उपायों की पहचान करना था। इसमें टिकाऊ उत्पाद डिजाइन, संसाधन की कुशल उपयोगिता, जीवनचक्र प्रबंधन, डिजिटल उपकरण और वित्तपोषण तंत्र पर चर्चा हुई।

प्रारंभिक सत्र की अध्यक्षता डॉ. शिल्पी कर्मकार, परियोजना प्रबंधक, UNDP ने की, जिन्होंने कार्यशाला के उद्देश्य बताए। स्वागत भाषण और सन्दर्भ प्रस्तुत डॉ. आशीष चतुर्वेदी, प्रमुख – ACE, UNDP ने किया। इसके बाद डॉ. अंगेला लुसिज़ी, रेज़िडेंट रिप्रेज़ेंटेटिव, UNDP ने बहु-हितधारक सहयोग के महत्व पर विशेष भाषण दिया।

मुख्य भाषण देते हुए आर. एन. पालाई, सदस्य (प्रौद्योगिकी), डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन और दूरसंचार विभाग के सचिव (ex-officio) ने कहा कि दूरसंचार में स्थायित्व और सर्कुलैरिटी अब वैकल्पिक नहीं बल्कि रणनीतिक आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि भारत का दूरसंचार क्षेत्र देश में कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में केवल 2% योगदान देता है, लेकिन लगभग 1.2 बिलियन उपयोगकर्ताओं तक इसकी पहुँच इसे पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार प्रथाओं को अपनाने की जिम्मेदारी देती है।

पालाई ने सर्कुलर इकोनॉमी को केवल ऊर्जा दक्षता तक सीमित न रखते हुए दूरसंचार उत्पादों और अवसंरचना के पूरे जीवनचक्र में विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने ई-कचरा प्रबंधन, राइट-टू-रिपेयर और टिकाऊ डिजाइन जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की बात कही।

डॉ. अंगेला लुसिज़ी ने UNDP के योगदान और दूरसंचार क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी योजनाओं के निर्माण में सहयोग की जानकारी दी। उन्होंने कार्यशाला को एक समयबद्ध रोडमैप तैयार करने के लिए मंच के रूप में उपयोग करने का आह्वान किया।

कार्यशाला में अरुण अग्रवाल, DDG (सैटेलाइट), DoT ने भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी एक्शन प्लान प्रस्तुत किया, जिसमें स्थायी डिजाइन, जीवनचक्र प्रबंधन, ई-कचरा न्यूनीकरण, डिजिटल ट्रैकिंग और पारदर्शी आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने के सुझाव दिए गए।

तकनीकी सत्रों में दो प्रमुख पैनल चर्चाएँ हुईं:

  1. “सर्कुलैरिटी और स्थायित्व के लिए दूरसंचार आपूर्ति श्रृंखला पर पुनर्विचार” – इस सत्र में नीति हस्तक्षेप, मूल्य-श्रृंखला के महत्वपूर्ण पहलू, स्थायी खरीद और उद्योग की मौजूदा प्रथाओं पर चर्चा हुई।

  2. “सर्कुलर इकोनॉमी की ओर डिजिटल उपकरण” – इसमें डिजिटल प्लेटफार्म, ब्लॉकचेन-आधारित ट्रेसबिलिटी, डेटा एनालिटिक्स, AI और IoT के उपयोग पर जोर दिया गया।

समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों ने भारत के दूरसंचार क्षेत्र में सर्कुलर, टिकाऊ और लचीला ढांचा बनाने के लिए साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की।

यह कार्यशाला दूरसंचार क्षेत्र में नीति, उद्योग और तकनीकी समाधानों के माध्यम से सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

डॉ. जितेंद्र सिंह: स्वच्छ और विविध ऊर्जा की दिशा में भारत की यात्रा आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर

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 नई दिल्ली- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऊर्जा स्वतंत्रता अब विकल्प नहीं बल्कि आर्थिक, रणनीतिक और भू-राजनीतिक आवश्यकता बन चुकी है। उन्होंने बताया कि भारत का स्वच्छ और विविध ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण आत्मनिर्भरता और भू-राजनीतिक अनुकूलता के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है, जो आत्मनिर्भर भारत और भारत की वैश्विक भूमिका के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

डॉ. सिंह ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि यह बहस कि हरी और स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना चाहिए या नहीं, अब अप्रासंगिक हो गई है, क्योंकि आज वैश्विक सहमति मानती है कि ऊर्जा संक्रमण सतत विकास, आर्थिक लचीलापन और भू-राजनीतिक अनुकूलता के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “यदि भारत को आगे बढ़ना है, तो कोई विकल्प नहीं है।”

उन्होंने बताया कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना न केवल आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है, बल्कि भारत को एक अनिवार्य वैश्विक बदलाव के लिए तैयार भी करता है, क्योंकि पारंपरिक ऊर्जा निर्यातक खुद तेजी से अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो को विविध बना रहे हैं। “पुराने ऊर्जा मॉडल को बनाए रखना वैसा ही है जैसे भावनाओं के आधार पर पुराने तकनीकी उपकरणों से चिपके रहना; कल यहां तक कि स्पेयर पार्ट्स भी उपलब्ध नहीं होंगे।”

डॉ. सिंह ने भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि देश अब केवल अनुयायी नहीं बल्कि क्लाइमेट एक्शन, स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में दिशा-निर्देशक बन गया है। उन्होंने कहा, “आज अन्य देश भारत की ओर देख रहे हैं।”

भारत की स्वच्छ ऊर्जा प्रतिबद्धताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य घोषित किया और 2047 तक 100 GW परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का संकल्प दोहराया। उन्होंने स्पष्ट किया कि विभिन्न ऊर्जा स्रोतों को भेदभाव के नजरिए से नहीं, बल्कि उपयुक्तता, विश्वसनीयता और आवेदन-विशिष्ट उपयोगिता के आधार पर देखा जाना चाहिए।

डॉ. सिंह ने बताया कि जबकि नवीकरणीय ऊर्जा भारत के ऊर्जा मिश्रण का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगी, कुछ क्षेत्र—जैसे डेटा सेंटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत कंप्यूटिंग—में निरंतर, स्थिर, 24x7 बिजली की आवश्यकता होती है, जहां परमाणु ऊर्जा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा, “भविष्य एक मिश्रित ऊर्जा मॉडल में निहित है, जहां प्रत्येक स्रोत का उपयोग सबसे लागत-कुशल और प्रभावी क्षेत्र में किया जाएगा।”

उन्होंने तकनीकी विकास से तुलना करते हुए कहा कि जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब संतुलित ‘AI + मानव बुद्धि’ मॉडल में विकसित हो रहा है, वैसे ही भारत की ऊर्जा रणनीति भी नवीकरणीय, परमाणु, हाइड्रोजन और अन्य उभरते समाधानों को एकीकृत फ्रेमवर्क में संयोजित करेगी।

डॉ. सिंह ने सरकार के साहसिक सुधारों को भी रेखांकित किया, जिसमें परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों को निजी भागीदारी के लिए खोला गया है। उन्होंने कहा, “सरकार ने स्टेटस क्वो से परे जाने का साहस दिखाया है, जो पैमाना, गति और स्थायित्व हासिल करने के लिए आवश्यक सार्वजनिक-निजी सहयोग को सक्षम करता है।”

उन्होंने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग और विश्वास बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रगति के लिए सामूहिक जिम्मेदारी, साझा उद्देश्य और समेकित कार्रवाई जरूरी है।

डॉ. सिंह ने निष्कर्ष में कहा कि ऊर्जा संक्रमण के प्रारंभिक चरण में चुनौतियां हैं, लेकिन भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सही मार्ग पर है। उन्होंने कहा, “स्वच्छ ऊर्जा अब केवल सेमिनार का विषय नहीं, बल्कि जीवनशैली बनती जा रही है। सभी हितधारक इसके अनुसार अनुकूलित होंगे, नवाचार करेंगे और नेतृत्व करेंगे।”

जहाँ बंदूकें खामोश हुईं, वहाँ भविष्य की नींव रखी जा रही है, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल से सुकमा में पुनर्वास नीति बनी मिसाल

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रायपुर। कभी जिन हाथों में बंदूकें थीं, आज उन्हीं हाथों में औज़ार हैं। कभी जिन रास्तों पर हिंसा और डर का साया था, आज वहीं विकास और भरोसे की नींव रखी जा रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की संवेदनशील सोच और स्पष्ट मंशा के अनुरूप सुकमा जिले में आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास की एक नई और सकारात्मक तस्वीर उभरकर सामने आई है। वहाँ पुनर्वास केंद्र में रह रहे 35 आत्मसमर्पित नक्सलियों को राजमिस्त्री (मेसन) का व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस पहल की गई है।

यह प्रशिक्षण जिला प्रशासन और एसबीआई आरसेटी के संयुक्त सहयोग से संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 15 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल हैं। इन्हें भवन निर्माण से जुड़े सभी आवश्यक तकनीकी और व्यावहारिक कौशल—जैसे नींव निर्माण, ईंट चिनाई, प्लास्टर कार्य, छत ढलाई, गुणवत्ता मानक का व्यवस्थित और चरणबद्ध प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि ये किसी भी निर्माण कार्य में दक्षता के साथ काम कर सकें।

यह पहल केवल रोजगार प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मसमर्पित युवाओं के जीवन को नई दिशा देने का सशक्त माध्यम बन रही है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये युवा प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत जिले में अधूरे और नए आवासों के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। इससे एक ओर उन्हें स्थायी और सम्मानजनक रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर नक्सल प्रभावित और दुर्गम क्षेत्रों में लंबे समय से चली आ रही कुशल राजमिस्त्रियों की कमी भी दूर होगी।

कलेक्टर देवेश ध्रुव ने इस पहल को सामाजिक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि आत्मसमर्पण का वास्तविक अर्थ केवल हथियार छोड़ना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनकर समाज की मुख्यधारा में सम्मान के साथ लौटना है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का प्रयास है कि पुनर्वास केंद्र में रह रहे युवाओं को कौशल, रोजगार और सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री मुकुन्द ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण सहित विभिन्न शासकीय निर्माण कार्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए कुशल मानव संसाधन अत्यंत आवश्यक है। यह प्रशिक्षण आत्मसमर्पित युवाओं को रोजगार और सामाजिक सरोकार से जोड़ेगा।

पोलमपल्ली निवासी पुनर्वासित पोड़ियम भीमा बताते हैं कि वे लगभग 30 वर्षों तक संगठन से जुड़े रहे, लेकिन आत्मसमर्पण के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। “यहाँ रहने और खाने की अच्छी व्यवस्था है। हमें राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले इलेक्ट्रीशियन मैकेनिक का प्रशिक्षण भी मिला। अब मैं सम्मान के साथ काम कर सकूंगा।

पुवर्ती निवासी मुचाकी रनवती बताती हैं कि वे 24 वर्षों तक संगठन से जुड़ी रहीं। पुनर्वास के बाद मुझे सिलाई का प्रशिक्षण मिला। अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हम अपने परिवार से मिल पाए, बस्तर ओलंपिक में भाग लिया और प्रथम पुरस्कार भी जीता। शासन की योजनाओं का पूरा लाभ मिल रहा है।

डब्बमरका निवासी गंगा वेट्टी ने कहा कि पुनर्वास के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। जिला प्रशासन ने मोबाइल और राजमिस्त्री किट दी है। शिविर लगाकर आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड और जॉब कार्ड बनाए गए हैं। कोई समस्या होती है तो कलेक्टर और एसपी तुरंत सुनवाई करते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पहल को लेकर कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार संवाद, संवेदना और विकास के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। आत्मसमर्पित युवाओं को हुनर, रोजगार और सम्मान देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ना राज्य की पुनर्वास नीति का मूल उद्देश्य है। 

सुकमा जिले में चल रहा आत्मसमर्पित युवाओं को रोजगार मूलक कार्यों से जोड़ने का यह प्रयास इस बात का प्रमाण है कि संवेदनशील प्रशासन, भरोसे और विकासपरक योजनाओं के जरिए हिंसा के रास्ते पर भटके युवाओं को नई पहचान और बेहतर भविष्य दिया जा सकता है। यही पुनर्वास की असली सफलता है और यही स्थायी शांति की मजबूत नींव।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हैदराबाद के राष्ट्रपति निलयम में उद्यान उत्सव 2026 की तैयारियों की समीक्षा की

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भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (19 दिसंबर 2025) हैदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलयम में उद्यान उत्सव के दूसरे संस्करण के उद्घाटन की तैयारियों की समीक्षा की।

उद्यान उत्सव आम जनता के लिए 3 जनवरी से 11 जनवरी 2026 तक प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहेगा। अंतिम प्रवेश शाम 7:00 बजे तक होगा।

इस उत्सव में प्रवेश सभी आगंतुकों के लिए निःशुल्क रहेगा।

नौ दिवसीय यह कृषि एवं उद्यानिकी महोत्सव टिकाऊ कृषि, उद्यानिकी और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार जीवनशैली के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। यह भारत की हरित परंपराओं, सतत प्रथाओं और सामुदायिक सहभागिता का उत्सव होगा।

उत्सव में पुष्प एवं अपुष्प दोनों प्रकार के आकर्षण देखने को मिलेंगे, जिनमें उन्नत मौसमी फूलों की क्यारियाँ, सुसज्जित पुष्प स्थापना, सेल्फी पॉइंट और उन्नत उद्यान क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा आगंतुक कृषि एवं उद्यानिकी विषयक स्टॉल, लाइव प्रदर्शन, इको-क्राफ्ट कार्यशालाएँ और इंटरैक्टिव ज्ञान क्षेत्र भी देख सकेंगे।

सुव्यवस्थित धान खरीदी से बढ़ा किसानों का भरोसा, कांकरिया उपार्जन केंद्र की व्यवस्था बनी मिसाल

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रायपुर- पूरे छत्तीसगढ़ सहित धमतरी जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की प्रक्रिया को पूरी तरह  सुव्यवस्थित, पारदर्शी और किसान-हितैषी ढंग से संचालित किया जा रहा है। किसानों की सुविधा और समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए जिले के सभी धान उपार्जन केंद्रों में नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है, जो लगातार निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। इसका सकारात्मक परिणाम यह है कि किसान बिना किसी परेशानी के अपना धान बेच पा रहे हैं और शासकीय योजनाओं का सीधा लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

धान खरीदी प्रक्रिया में तुंहर टोकन ऐप ने किसानों के लिए व्यवस्था को और अधिक सरल व सुगम बना दिया है। समय पर टोकन उपलब्ध होना, केंद्रों में व्यवस्थित तौल, बैठने की सुविधा, पेयजल एवं छाया जैसी मूलभूत व्यवस्थाओं ने किसानों का शासन-प्रशासन पर भरोसा और मजबूत किया है। धमतरी जिले के किसान इन व्यवस्थाओं से संतुष्ट होकर खुशी व्यक्त कर रहे हैं।

ऐसी ही एक प्रेरक सफलता की कहानी है ग्राम पोटियाडीह के किसान नरेन्द्र कांकरिया की। कांकरिया ने खरीफ मौसम में अपने 8 एकड़ 15 डिस्मिल रकबे में धान की खेती की। उन्हें तुंहर टोकन ऐप के माध्यम से पहले टोकन में 80 क्विंटल धान बेचने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि उपार्जन केंद्र पर पहुंचने से लेकर तौल और रसीद प्राप्त होने तक पूरी प्रक्रिया सहज, पारदर्शी और परेशानी-मुक्त रही।

किसान कांकरिया ने बताया कि पिछले वर्ष समर्थन मूल्य पर धान विक्रय से प्राप्त राशि से उन्होंने ट्रैक्टर खरीदा था, जिससे खेती के कार्य में सुविधा हुई और उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई। ट्रैक्टर पर लिया गया ऋण अभी चल रहा है, जिसे वे इस वर्ष धान विक्रय से प्राप्त राशि से चुकाने की योजना बना रहे हैं। साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का बकाया भुगतान करने की भी उनकी तैयारी है। उनका कहना है कि समय पर भुगतान मिलने से आर्थिक दबाव कम होता है और खेती में पुनः निवेश करने का आत्मविश्वास बढ़ता है।

नरेन्द्र कांकरिया ने बेहतर व्यवस्थाओं के लिए शासन-प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि धान उपार्जन केंद्रों में उपलब्ध सुविधाओं और सुचारू व्यवस्था के कारण किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ रहा है। उन्होंने इसे किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

धमतरी जिले में धान खरीदी की यह सुव्यवस्थित और पारदर्शी व्यवस्था न केवल किसानों की मेहनत को सम्मान दे रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रही है। यह शासकीय पहल किसानों के जीवन में स्थायी और सकारात्मक परिवर्तन लाने का सशक्त उदाहरण बन रही है।

संरचनात्मक सुधारों से छत्तीसगढ़ में निवेश को नई रफ्तार: 7.83 लाख करोड़ के 219 प्रस्ताव, तेज़ क्रियान्वयन से बढ़ा निवेशकों का भरोसा

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रायपुर- छत्तीसगढ़ अब सिर्फ निवेश आकर्षित नहीं कर रहा उन्हें तेज़ी से ज़मीन पर भी उतार रहा है। नवंबर 2024 से अब तक राज्य ने 18 क्षेत्रों में 7.83 लाख करोड़ रूपए के 219 निवेश प्रस्ताव हासिल किए हैं। इनमें सेमीकंडक्टर और एआई से लेकर सीमेंट, बिजली और मैन्युफैक्चरिंग तक शामिल हैं। ये परियोजनाएँ राज्य के अन्य जिलों में फैली हैं, जिनसे 1.5 लाख रोजगार सृजित होंगे और यह पूरे राज्य में संतुलित विकास की ओर एक बड़ा संकेत है। प्रेस वार्ता में  सी एस आई डी  सी के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, सचिव उद्योग रजत कुमार, संचालक  उद्योग प्रभात मालिक,  सी एस आई डी सी के प्रबंध संचालक विश्वेष कुमार मौजूद थे.

अब निवेश केवल रायपुर तक सीमित नहीं हैं। प्रश्तवित निवेशों की विशेष बात ये है कि हर 5 में से। निवेश (21 प्रतिशत) आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में हैं। 33 प्रतिशत रायपुर संभाग में और 46 प्रतिशत बिलासपुर, दुर्ग और सरगुजा संभागों में।

क्षेत्रीय विविधता ने मजबूती दी है। लगभग 50 प्रतिशत निवेश प्राथमिक (थ्रस्ट) क्षेत्रों में हैं जैसे सेमीकंडक्टर और एआई डेटा सेंटर पार्क वहीं सीमेंट और बिजली जैसे पारंपरिक उद्योग भी मजबूत बने हुए हैं। कुल निवेश प्रस्तावों में 57 परियोजनाएँ 1,000 करोड़ रूपए से अधिक की है और 34 परियोजनाएँ 1,000 से ज्यादा रोजगार देने वाली हैं।

असल कहानी है तेज़ क्रियान्वयन की। 6.063 करोड़ रूपए की 9 बड़ी परियोजनाएँ चालू हो चुकी हैं, जिनसे उत्पादन शुरू हो गया है और 5,500 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा 109 परियोजनाएँ यानी लगभग आधी उन्नत चरण में हैं। ये या तो निर्माणाधीन हैं या भूमि आवंटन के बाद आगे बढ़ चुकी हैं। ये 24 जिलों और 16 क्षेत्रों में फैली हैं और जल्द ही 87,132 रोजगार सृजित करेंगी। खास बात यह है कि इनमें से 58 प्रतिशत परियोजनाएँ आतिथ्य एवं स्वास्थ्य, फूड प्रोसेसिंग, आईटी, इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और फार्मा जैसे प्राथमिक क्षेत्रों से जुड़ी हैं।

प्रमुख परियोजनाएँ इस रफ्तार को साफ दिखाती हैं। पोलिमेटेक की 10,000 करोड़ रूपए से अधिक की सेमीकंडक्टर फेक्ट्री जो छत्तीसगढ़ की पहली हे को सिर्फ 45 दिनों में भूमि आवंटित हुआ और काम तेज़ी से शुरू हुआ। रेकबैंक का 1,000 करोड़ रूपए का एआई डेटा सेंटर पार्क- देश का पहला-अब लगभग पूरा होने वाला है। ड्रल्स का 625 करोड़ रूपए का पेट फूड विस्तार प्रोजेक्ट ट्रायल प्रोडक्शन में है और इससे 3,000 रोजगार मिलेंगे। वी-राइज़ का तीसरा भारत कार्यालय एक आईटी यूनिट निर्माणाधीन है। अल्ट्राटेक सीमेंट का 1,600 करोड़ रूपए का निवेश चालू हो चुका है। आदित्य बिड़ला समूह का 67.5 मेगावाट का सोलर प्लांट मई में शुरू हो गया। वहीं बस्तर में रापपुर स्टोन क्लिनिक का 350-बेड अस्पताल लगभग तैयार है, जिससे आदिवासी परिवारों को उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलेंगी

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, ‘जो राज्य कभी मुख्य रूप से लोह और इस्पात के लिए जाना जाता था. वह अब सेमीकंडक्टर, एआई डेटा सेंटर पार्क, नवीकरणीय ऊर्जा, फूड प्रोसेसिंग और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं जैसे नए क्षेत्रों का केंद्र बन रहा है। कंपनियाँ सिर्फ निवेश का निर्णय नहीं ले रहीं, बल्कि जल्द से जल्द काम शुरू करना बाहती हैं। हमारी सरकार हर उद्यमी के लिए व्यापार को आसान बनाने और हर चरण में पूरा सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।‘

मंत्री लखन लाल देवांगन ने कहा, ‘सुधारों ने विवेकाधिकार की जगह पारदर्शिता लाई है. जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। इसका असर साफ दिखता है सरल प्रक्रियाएँ और बड़े पैमाने पर जमीन पर उतरती परियोजनाएँ। यह साबित करता है कि संवेदनशील शासन उद्योग को गति देता है।‘

वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव रजत कुमार ने कहा  हमारा फोकस यह सुनिश्चित करता है कि निवेश प्रस्ताव के बाद निवेशकों की गति न रुके। तेज़ भूमि आवंटन, डिजिटल स्वीकृतियों ओर बेहतर समन्वय से कंपनियों बिना देरी के इरादे से निर्माण तक पहुंच पा रही है।

इस तेज़ उछाल के पीछे कई अग्रणी सुधार हैं-132 स्वीकृतियों के लिए वन-क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम जन विश्वास अधिनियम के तहत 279 छोटे अपराधों का अपराधमुक्तिकरण (दो जन विश्वास अधिनियम लागू करने वाला पहला राज्य), स्वचालित भूमि म्यूटेशन लागू करने वाला पहला राज्य; एफएआर और ग्राउंड कवरेज में वृद्धि और सेटबेक में कमी, डिजिटल भूमि विवरण (रजिस्ट्री. आरओआर, टैक्स बकाया, न्यायालय प्रकरण); लेआउट और भवन 

स्वीकृति के लिए एकीकृत सॉफ्टवेयर, 24X7 संचालन और विस्तारित फायर एनओसी। इन सुधारों के चलते डीपीआईआईटी से चार श्रेणियों में ‘टॉप अचीवर‘ की मान्यता मिली।

ये सभी पहल केवल आर्थिक विकास नहीं, बल्कि गति, जवाबदेही और ज़मीनी परिणामों पर केंद्रित प्रशासनिक संस्कृति को दर्शाती हैं। निवेश की विविधता और क्रियान्वयन की रफ्तार एक बात साफ कर देती है-छत्तीसगढ़ अब सिर्फ निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहा, बल्कि वास्तविक परियोजनाएँ बना रहा है, वास्तविक रोजगार पैदा कर रहा है और वास्तविक बदलाव ला रहा है।


धान की बेहतर कीमत ने बढ़ाया किसान युगल का हौसला

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साढ़े सात एकड़ की खेती से संवर रहा परिवार का भविष्य

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों और समर्थन मूल्य पर सुदृढ़ धान खरीदी व्यवस्था ने प्रदेश के किसानों के जीवन में आर्थिक स्थिरता और आत्मविश्वास का नया संचार किया है। शासन द्वारा 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी तथा समय पर भुगतान से किसानों का खेती के प्रति भरोसा और उत्साह दोनों बढ़ा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ग्राम फेकारी के प्रगतिशील किसान युगल किशोर साहू हैं, जिनकी मेहनत और शासन की नीतियों के समन्वय से परिवार का भविष्य उज्ज्वल हो रहा है।

दुर्ग जिले के ग्राम फेकारी निवासी किसान युगल किशोर साहू ने बताया कि वे लगभग साढ़े सात एकड़ भूमि में धान की खेती करते हैं। इस वर्ष शासन द्वारा की गई बेहतर व्यवस्थाओं के चलते उन्होंने अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेची, जिससे उन्हें संतोषजनक और सुरक्षित आय प्राप्त हुई। उनके चेहरे पर दिखती मुस्कान खेती से मिली आर्थिक मजबूती और आत्मनिर्भरता की कहानी स्वयं बयां करती है।

साहू ने बताया कि खेती से प्राप्त आय का उपयोग वे परिवार के सामाजिक और घरेलू दायित्वों को पूरा करने में कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस आय से वे नए घर का निर्माण कार्य पूर्ण कर रहे हैं। साथ ही बच्चों के विवाह, छट्ठी जैसे पारिवारिक आयोजनों का खर्च भी अब बिना किसी आर्थिक दबाव के आसानी से वहन कर पा रहे हैं।

खेती में नवाचार और विविधीकरण की सोच को अपनाते हुए युगल किशोर साहू केवल धान तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने बताया कि धान के साथ-साथ वे चना, मटर और लाखड़ी (तिवड़ा) जैसी दलहन फसलों की खेती भी कर रहे हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी मिल रही है और खेती का जोखिम भी कम हुआ है।

किसान युगल किशोर साहू ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पहले की तुलना में अब धान की कहीं बेहतर कीमत मिल रही है। 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी से किसानों को सीधा और बड़ा लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि शासन की इन नीतियों से किसान अब पहले से कहीं अधिक आर्थिक रूप से सक्षम, आत्मनिर्भर और संतुष्ट महसूस कर रहे हैं।

धान खरीदी केंद्रों का कलेक्टर ने किया आकस्मिक निरीक्षण

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निर्धारित मात्रा से अधिक धान तौलने पर चिखलाकसा केंद्र प्रबंधक को दिया कारण बताओ नोटिस

रायपुर- समर्थन मूल्य पर धान खरीदी व्यवस्था को पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और किसान हितैषी बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा सख्त कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है। जिसके तहत बालोद कलेक्टर दिव्या उमेश मिश्रा ने आज डौण्डीलोहरा एवं डौण्डी विकासखण्ड के विभिन्न धान खरीदी केन्द्रों का आकस्मिक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की गहन पड़ताल की।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने डौण्डीलोहरा विकासखण्ड के गैंजी तथा डौण्डी विकासखण्ड के चिखलाकसा, कोटागांव, भर्रीटोला एवं घोटिया धान खरीदी केन्द्रों में उपलब्ध दस्तावेजों का सूक्ष्म अवलोकन किया। उन्होंने अब तक खरीदी गई कुल धान की मात्रा, ग्रामवार औसत पैदावार, रकबा समर्पण की स्थिति तथा पंजी संधारण की विस्तार से समीक्षा की। 

निर्धारित मात्रा से अधिक धान मिलने पर की गई कड़ी कार्यवाही

डौण्डी विकासखण्ड स्थित धान खरीदी केन्द्र चिखलाकसा के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने मौके पर धान बोरों की तौल कराई। तौलाई के दौरान चार अलग-अलग बोरों में धान की मात्रा निर्धारित मानक 40 किलो 680 ग्राम से अधिक, लगभग 41 किलोग्राम पाई गई। इस गंभीर अनियमितता पर कलेक्टर मिश्रा ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए समिति प्रबंधक एवं कर्मचारियों को कड़ी फटकार लगाई तथा समिति प्रबंधक भगवान सिंह ठाकुर को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि धान खरीदी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही या नियमों का उल्लंघन कतई स्वीकार्य नहीं होगा।

रकबा समर्पण और सत्यापन पर विशेष जोर

धान खरीदी केन्द्र गैंजी के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने रकबा समर्पण की स्थिति की जानकारी लेते हुए एक टोकन वाले किसानों के साथ-साथ 02 एकड़ से अधिक एवं 10 एकड़ से अधिक रकबा रखने वाले किसानों की संख्या की भी समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने धान विक्रय हेतु पहुँचे किसान दीपक यामले से चर्चा कर उन्हें धान बिक्री के पश्चात शेष रकबे का अनिवार्य रूप से समर्पण करने की समझाइश दी। किसान द्वारा घर में शेष लगभग 130 क्विंटल धान रखे होने की जानकारी पर कलेक्टर ने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, पटवारी एवं संबंधित अधिकारियों की संयुक्त टीम को किसान के घर भेजकर भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए। 

गुणवत्ता और नमी जांच पर भी सख्ती

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर मिश्रा ने धान खरीदी केन्द्रों में किसानों द्वारा बिक्री हेतु लाए गए धान का अवलोकन किया तथा नमी मापक यंत्र से नमी जांच अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए। उन्होंने किसानों को केवल साफ-सुथरा एवं गुणवत्तायुक्त धान ही बिक्री हेतु लाने की समझाइश दी।

नोडल अधिकारी और निगरानी समिति को दिए आवश्यक निर्देश

धान खरीदी केन्द्र चिखलाकसा में कलेक्टर ने नोडल अधिकारी, समिति प्रबंधक एवं निगरानी समिति के सदस्यों से व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने रकबा समर्पण पंजी का अवलोकन कर अब तक समर्पण करने वाले किसानों की संख्या की समीक्षा की तथा निर्देश दिए कि नोडल अधिकारी एवं निगरानी समिति के सदस्य प्रतिदिन सुबह अनिवार्य रूप से खरीदी केन्द्र में उपस्थित रहें और धान खरीदी कार्य को सुचारू रूप से संपन्न कराएं।

उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि डबल टोकन की स्थिति में रकबा सत्यापन के उपरांत ही धान खरीदी की जाए। साथ ही अब तक धान विक्रय करने वाले किसानों की संख्या, कुल खरीदी मात्रा तथा पिछले वर्ष की औसत खरीदी से तुलना की भी जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर मिश्रा ने मौके पर उपस्थित किसानों से संवाद कर खरीदी केन्द्रों की व्यवस्थाओं के संबंध में फीडबैक लिया और धान बिक्री के उपरांत शेष रकबे का अनिवार्य रूप से समर्पण करने की अपील की। इस अवसर पर अनेक किसानों द्वारा मौके पर ही शेष रकबे का समर्पण भी किया गया।

Sukma News : DSP पर जानलेवा हमला, युवक-युवती ने पीछा कर चाकू से किए कई वार, दोनों गिरफ्तार

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 दंतेवाड़ा। जिले में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब सुकमा जिले में पदस्थ DSP तोमेश वर्मा पर दिन-दहाड़े जानलेवा चाकू हमला कर दिया गया। अचानक हुए इस हमले में DSP के सिर, चेहरे और गले के पास गंभीर चोटें आई हैं। घायल अवस्था में उन्हें तत्काल दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत खतरे से बाहर बताई है।


जानकारी के अनुसार, DSP तोमेश वर्मा किसी निजी कार्य से दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय पहुंचे थे। इसी दौरान दुर्ग जिले के निवासी रविशंकर रमाशंकर साहू और रजनिशा वर्मा कथित तौर पर उनका सुकमा से पीछा करते हुए दंतेवाड़ा तक आ गए।

मौका मिलते ही चाकू से हमला

घटना सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र की बताई जा रही है। मौका मिलते ही युवक-युवती ने DSP पर अचानक चाकू से कई वार कर दिए। हमले में उनके चेहरे पर गहरी चोट आई, जबकि सिर और गले के पास गंभीर जख्म बताए जा रहे हैं।

तेज कार्रवाई, दोनों आरोपी गिरफ्तार

घटना के तुरंत बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों हमलावरों को मौके से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में हमले के पीछे पुरानी रंजिश का मामला सामने आ रहा है।

पुराने कोर्ट केस से जुड़ा विवाद?

सूत्रों के मुताबिक, दुर्ग जिले की एक अदालत में DSP तोमेश वर्मा और दोनों आरोपियों के बीच पहले से एक मामला विचाराधीन था, जिसमें सितंबर 2025 में दोषमुक्ति हुई थी। पुलिस इसी पुराने प्रकरण से जुड़ी रंजिश को हमले की संभावित वजह मानकर जांच कर रही है।

ASP का बयान

दंतेवाड़ा ASP आर.के. बर्मन ने बताया कि दोनों आरोपियों से गहन पूछताछ की जा रही है। उन्होंने कहा कि “जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। मामले की हर पहलू से जांच की जा रही है।”

शीतकालीन अवकाश में दसवी की छात्रों के लिए लगेंगे विशेष कक्षाएं, छात्र हित में पीपला फाउंडेशन द्वारा अनुकरणीय पहल

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 आरंग। स्वयंसेवी संस्था पीपला वेलफेयर शीतकालीन अवकाश में 21 से 28 दिसंबर तक फाउंडेशन द्वारा संचालित शिक्षा दानकेंद्रों में 9वीं 10वीं की छात्र-छात्राओं के लिए विशेष कक्षाएं लगाने जा रहे हैं।


फाउंडेशन के संयोजक महेन्द्र पटेल ने बताया शिक्षादान केंद्रों में विशेष रूप से गणित, विज्ञान ,अंग्रेजी जैसे विषयों की कठिनाईयों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

शीतकालीन अवकाश में विशेष कक्षाएं आरंग के गायत्री मंदिर में प्रातः 8 से 10 बजे तक,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भिलाई में प्रातः 9 से 11बजे तक तथा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रीवा में 10 से 12 तक लगाया जाएगा। ज्ञात हो कि यह संस्था विगत चार वर्षों से आरंग सहित अंचल के अलग अलग गांवों में शिक्षादान केंद्र के माध्यम से बच्चों को निःशुल्क कोचिंग दे रहे हैं।

अंतर Galactic माध्यम (IGM) से गैलेक्सियों के चारों ओर गैस के मापन पर प्रभाव: RRI अध्ययन

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रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट (RRI) के नए अध्ययन में सामने आया कि इंटरगैलेक्टिक मीडियम (IGM) गैलेक्सी के चारों ओर फैले सर्कमगैलेक्टिक मीडियम (CGM) के माप को प्रभावित कर सकता है

गैलेक्सी के चारों ओर परिक्रहीय माध्यम (Circumgalactic Medium) का कलात्मक चित्रण

रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट (RRI), जो कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) का स्वायत्त संस्थान है, के एक नए अध्ययन ने यह खुलासा किया है कि इंटरगैलेक्टिक मीडियम (IGM) की सामग्री गैलेक्सी के चारों ओर फैले डिफ्यूज एनवलप (CGM) के माप को प्रभावित कर सकती है। CGM का सही अनुमान लगाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गैलेक्सियों के निर्माण और विकास की प्रक्रिया को समझने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।

गैलेक्सी की बाहरी परिधि के बाहर एक पतला और भूत-सा हैलो(Halo) फैला होता है, जिसे सर्कमगैलेक्टिक मीडियम (CGM) कहते हैं। CGM में मुख्य रूप से गैस होती है और यह गैलेक्सी को कॉस्मिक वेब से जोड़ता है। CGM का मापन आमतौर पर उच्च आयनित ऑक्सीजन के माध्यम से किया जाता है।

लेकिन माप में समस्या यह है कि CGM और IGM दोनों एक ही लाइन ऑफ साइट में होते हैं, इसलिए ऑब्जर्वेशन के दौरान यह अलग करना मुश्किल होता है कि ऑक्सीजन CGM से है या IGM से। वर्तमान मॉडल्स पूरी ऑब्ज़र्व की गई ऑक्सीजन को CGM से मान लेते हैं।

गैलेक्सियों के चारों ओर आयनीकृत ऑक्सीजन की उपस्थिति का कलात्मक चित्रण और उनके अवलोकन का सिद्धांत

RRI के शोधकर्ताओं ने मॉडलिंग के माध्यम से यह सुझाव दिया है कि CGM में मापी गई गैस का एक बड़ा हिस्सा वास्तव में IGM से आ रहा हो सकता है।

महत्वपूर्ण निष्कर्ष:

  • उच्च द्रव्यमान वाली गैलेक्सियों (जैसे हमारी मिल्की वे) में CGM आयनित ऑक्सीजन का लगभग 50% योगदान देती है, जबकि शेष 50% IGM से आता है।

  • कम द्रव्यमान वाली गैलेक्सियों में यह प्रतिशत 30% तक कम हो सकता है।

  • यह अध्ययन दर्शाता है कि CGM के माप में IGM के योगदान को ध्यान में रखना जरूरी है।

रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता और हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम के सहयोगियों ने इस मॉडल को और व्यापक और यथार्थपरक बनाने पर काम करना शुरू कर दिया है, ताकि CGM और IGM के बीच अंतर को और स्पष्ट किया जा सके।

यह अध्ययन हमें यह समझने में मदद करेगा कि गैलेक्सियों के निर्माण और विकास को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक क्या हैं और उन्हें अधिक सटीक रूप से मापा जा सके।रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट (RRI) के नए अध्ययन में सामने आया कि इंटरगैलेक्टिक मीडियम (IGM) गैलेक्सी के चारों ओर फैले सर्कमगैलेक्टिक मीडियम (CGM) के माप को प्रभावित कर सकता है

कम द्रव्यमान वाली गैलेक्सियों के मामले में अंतर-गैलेक्सीय माध्यम में आयनीकृत ऑक्सीजन की उपस्थिति का कलात्मक चित्रण

रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट (RRI), जो कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) का स्वायत्त संस्थान है, के एक नए अध्ययन ने यह खुलासा किया है कि इंटरगैलेक्टिक मीडियम (IGM) की सामग्री गैलेक्सी के चारों ओर फैले डिफ्यूज एनवलप (CGM) के माप को प्रभावित कर सकती है। CGM का सही अनुमान लगाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गैलेक्सियों के निर्माण और विकास की प्रक्रिया को समझने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।

गैलेक्सी की बाहरी परिधि के बाहर एक पतला और भूत-सा हало फैला होता है, जिसे सर्कमगैलेक्टिक मीडियम (CGM) कहते हैं। CGM में मुख्य रूप से गैस होती है और यह गैलेक्सी को कॉस्मिक वेब से जोड़ता है। CGM का मापन आमतौर पर उच्च आयनित ऑक्सीजन के माध्यम से किया जाता है।

लेकिन माप में समस्या यह है कि CGM और IGM दोनों एक ही लाइन ऑफ साइट में होते हैं, इसलिए ऑब्जर्वेशन के दौरान यह अलग करना मुश्किल होता है कि ऑक्सीजन CGM से है या IGM से। वर्तमान मॉडल्स पूरी ऑब्ज़र्व की गई ऑक्सीजन को CGM से मान लेते हैं।

RRI के शोधकर्ताओं ने मॉडलिंग के माध्यम से यह सुझाव दिया है कि CGM में मापी गई गैस का एक बड़ा हिस्सा वास्तव में IGM से आ रहा हो सकता है।

महत्वपूर्ण निष्कर्ष:

  • उच्च द्रव्यमान वाली गैलेक्सियों (जैसे हमारी मिल्की वे) में CGM आयनित ऑक्सीजन का लगभग 50% योगदान देती है, जबकि शेष 50% IGM से आता है।

  • कम द्रव्यमान वाली गैलेक्सियों में यह प्रतिशत 30% तक कम हो सकता है।

  • यह अध्ययन दर्शाता है कि CGM के माप में IGM के योगदान को ध्यान में रखना जरूरी है।

रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता और हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम के सहयोगियों ने इस मॉडल को और व्यापक और यथार्थपरक बनाने पर काम करना शुरू कर दिया है, ताकि CGM और IGM के बीच अंतर को और स्पष्ट किया जा सके।

यह अध्ययन हमें यह समझने में मदद करेगा कि गैलेक्सियों के निर्माण और विकास को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक क्या हैं और उन्हें अधिक सटीक रूप से मापा जा सके।

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