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उपराष्ट्रपति ने “Economic Empowerment of Bharat in the Modi Era” पुस्तक का विमोचन किया

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज उपराष्ट्रपति भवन में सांसद प्रो. (डॉ.) सिकंदर कुमार द्वारा लिखित पुस्तक “Economic Empowerment of Bharat in the Modi Era” का विमोचन किया।

इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व, सशक्त सोच और परिवर्तनकारी आर्थिक नीतियों की सशक्त अभिव्यक्ति है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि बीते एक दशक में भारत ने उल्लेखनीय आर्थिक परिवर्तन और नई राष्ट्रीय आत्मविश्वास की भावना का अनुभव किया है। आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और साथ ही प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भी है।

उन्होंने कहा कि यह पुस्तक दिवाला कानून, डिजिटल शासन और पारदर्शी बैंकिंग व्यवस्था जैसे प्रमुख संरचनात्मक सुधारों को रेखांकित करती है। ये सुधार केवल नीतिगत पहल नहीं थे, बल्कि दशकों पुरानी अक्षमताओं और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए उठाए गए साहसिक कदम थे। प्रधानमंत्री का “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” का विजन आज दक्षता और अनुशासन के एक प्रभावी मॉडल के रूप में सामने आया है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित करने पर विशेष बल देते हैं कि सरकारी योजनाओं का 100 प्रतिशत लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि जनधन–आधार–मोबाइल (JAM) त्रयी के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) संभव हुआ है, जिससे लीकेज कम हुए हैं और शासन में पारदर्शिता व दक्षता बढ़ी है। अब तक ₹47 लाख करोड़ से अधिक की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में अंतरित की जा चुकी है।

उपराष्ट्रपति ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) को इस दौर की एक और ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि जीएसटी ने कर ढांचे को सरल बनाकर, अनुपालन बढ़ाकर और सहकारी संघवाद को मजबूत करते हुए भारत को एकीकृत राष्ट्रीय बाजार में परिवर्तित किया। अंतरराज्यीय चेक पोस्ट हटने से वस्तुओं की आवाजाही सुगम हुई, लाखों मानव-घंटों और ईंधन की बचत हुई। उन्होंने कहा कि जीएसटी को स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े सुधारों में से एक माना जाता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत का आर्थिक सशक्तिकरण समावेशी विकास पर आधारित रहा है। डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलें और यूपीआई का तीव्र विस्तार नागरिकों, उद्यमियों और छोटे व्यवसायों को सशक्त बना रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत का विजन निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर एक निर्णायक बदलाव है, जो भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में स्थापित करता है। यह यात्रा विकसित भारत की व्यापक परिकल्पना से जुड़ी है, जहां आर्थिक विकास के साथ सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय सततता और तकनीकी प्रगति का संतुलन बना रहता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने नीति पक्षाघात से उद्देश्यपूर्ण शासन की ओर, गरीबी की मानसिकता से समृद्धि के संकल्प की ओर और निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। उन्होंने नागरिकों से एक नए भारत—आत्मविश्वासी, सक्षम और करुणामय—का उत्सव मनाने का आह्वान किया, जो विकसित भारत @2047 की ओर अग्रसर है।

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