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केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने जनजातीय सांसदों व मंत्रियों के साथ की उच्चस्तरीय बैठक

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केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने गुरुवार को जनजातीय सांसदों और मंत्रियों के साथ एक उच्चस्तरीय संवाद का नेतृत्व किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के जनजातीय समुदायों के समग्र और तीव्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचित जनजातीय नेतृत्व के सामूहिक संकल्प को रेखांकित किया गया।

अपने विस्तृत वक्तव्य में ओराम ने कहा कि यह संवाद समावेशन, सशक्तिकरण और गरिमा के प्रति साझा जिम्मेदारी और एकीकृत दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” के राष्ट्रीय विज़न के अनुरूप है। उन्होंने जोर दिया कि जनजातीय सांसद न केवल नीतिगत समर्थन में बल्कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और अंतिम पंक्ति तक लाभ पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मंत्री ने पीएम-जनमन, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, तथा वन अधिकार अधिनियम के सशक्त क्रियान्वयन जैसे प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों का उल्लेख किया, जो मिलकर संतृप्ति-आधारित विकास के माध्यम से जनजातीय और विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) बहुल क्षेत्रों में परिवर्तन ला रहे हैं। आवास, स्वच्छ पेयजल, विद्युतीकरण, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, शिक्षा, आजीविका और सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया गया।

बैठक में जनजातीय बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा, सिकल सेल रोग के उन्मूलन, वन धन पहल के माध्यम से आजीविका के अवसरों के विस्तार तथा वन अधिकारों की मान्यता के जरिए समुदाय सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया गया।

इस संवाद ने यह पुनः पुष्टि की कि जनजातीय सांसद, केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में, देशभर के जनजातीय समुदायों के लिए समावेशी विकास, सामाजिक न्याय और सतत विकास सुनिश्चित करने हेतु एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं।

इस अवसर पर जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके, सांसद सावित्री ठाकुर (धार),पटेल उमेशभाई बाबुभाई (दमन एवं दीव), सुखदेव भगत (झारखंड),राजकुमार रोत (राजस्थान), मनोज टिग्गा (पश्चिम बंगाल), अमरसिंह टिसो (असम), प्रदीप पुरोहित (बरगढ़), ओडिशा, बलभद्र माझी (नबरंगपुर), ओडिशा, नबा चरण माझी (मयूरभंज), ओडिशा तथा मालविका देवी (कालाहांडी), ओडिशा उपस्थित रहे। इसके अलावा जनजातीय कार्य मंत्रालय की सचिव रंजना चोपड़ा, संयुक्त सचिव अनंत प्रकाश पांडेय, अपर सचिव मनीष ठाकुर, नेस्ट्स आयुक्त  अजीत कुमार श्रीवास्तव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

यह संवाद नीति, राजनीतिक इच्छाशक्ति और जमीनी अनुभव के दुर्लभ संगम का प्रतीक रहा, जिसमें जनजातीय सांसदों ने क्रियान्वयन को दिशा देने, अभिसरण को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाई। यह सामूहिक प्रयास संसद की समावेशी विकास, सामाजिक न्याय और जनजातीय समुदायों की गरिमा के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः रेखांकित करता है, जो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है।

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