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“भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई शाखाओं में स्टाफिंग और आधुनिक तकनीकों का उपयोग”

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ASI (Archaeological Survey of India) की खुदाई शाखाओं में स्टाफिंग नियमित भर्ती नियमों (UPSC, SSC) और फीडर ग्रेड अधिकारियों के प्रमोशन के माध्यम से पूरी की जाती है। पिछले एक वर्ष में खुदाई शाखाओं में स्टाफ़ की संख्या 86 से बढ़कर 102 हो गई है। उपलब्ध कर्मचारियों को चल रहे खुदाई प्रोजेक्ट्स की आवश्यकताओं के अनुसार तैनात किया जाता है।

फील्ड स्टाफ की क्षमता बढ़ाने के लिए समय-समय पर आंतरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 24 खुदाई/अन्वेषण की अनुमति दी गई है और हर खुदाई के बाद तकनीकी रिपोर्ट तैयार करना अनिवार्य है।

अकादमिक और पुरातात्त्विक सहयोगों की समयावधि और प्रकार संबंधित शाखाओं द्वारा समीक्षा की जाती है। LiDAR, GIS, ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग प्राचीन स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों के अध्ययन और दस्तावेजीकरण के लिए किया जा रहा है।

संरक्षित स्मारकों और क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने के लिए Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 और Public Premises (Eviction of Unauthorised Occupants) Act, 1971 के तहत कदम उठाए जाते हैं। सुपरिंटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट को एस्टेट ऑफिसर के अधिकार दिए गए हैं, और आवश्यकतानुसार राज्य सरकार/पुलिस की मदद भी ली जाती है। सुरक्षा के लिए नियमित वॉच और वार्ड स्टाफ के अलावा CISF और निजी सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं।

Key Points:

  • खुदाई शाखाओं में स्टाफ़ बढ़कर 102 हुआ।

  • 24 खुदाई/अन्वेषण परियोजनाओं की अनुमति।

  • LiDAR, GIS, ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल।

  • अतिक्रमण रोकने और स्मारकों की सुरक्षा के लिए कानूनी और फिजिकल उपाय।

  • फील्ड स्टाफ के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम।

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