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PLI योजना से बढ़ी विनिर्माण क्षमता, ₹2 लाख करोड़ निवेश और 18.7 लाख करोड़ का उत्पादन

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प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) कार्यक्रम, जिसे कई प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में लागू किया गया है, ने घरेलू विनिर्माण क्षमता को काफी बढ़ाया है, बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित किए हैं और संबंधित क्षेत्रों में निर्यात वृद्धि को समर्थन दिया है। सितंबर 2025 तक स्वीकृत क्षेत्रों में PLI योजनाओं के तहत किए गए निवेश, उत्पादन/बिक्री और रोजगार में वृद्धि को नियमित समीक्षा में मॉनिटर और रिपोर्ट किया गया है।

सितंबर 2025 तक कुल 14 क्षेत्रों में ₹2 लाख करोड़ का वास्तविक निवेश हुआ, जिसके परिणामस्वरूप ₹18.7 लाख करोड़ से अधिक का अतिरिक्त उत्पादन/बिक्री और 12.6 लाख से अधिक रोजगार (प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष) सृजित हुए हैं।

PLI योजनाओं का प्रभाव भारत के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रहा है। इससे देश की दवाओं की घरेलू विनिर्माण क्षमता और मांग के बीच की खाई कम हुई है। मेडिकल डिवाइसेस के लिए PLI योजना के तहत 21 परियोजनाओं ने 54 विशिष्ट मेडिकल उपकरणों का उत्पादन शुरू किया है, जिनमें LINAC, MRI, CT स्कैन, हार्ट वॉल्व, स्टेंट, डायलाइजर मशीन, C-Arm, कैथ लैब, मैमोग्राफ, MRI कॉइल्स जैसे उच्च-स्तरीय उपकरण शामिल हैं। भारत की वैश्विक दवा बाज़ार में स्थिति मजबूत हुई है और वह मात्रा के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया है। दवाओं के उत्पादन का 50% अब निर्यात होता है। साथ ही, Penicillin G जैसी प्रमुख बल्क ड्रग्स का उत्पादन शुरू कर आयात पर निर्भरता घटाई गई है।

मोबाइल फोन का घरेलू उत्पादन 2014–15 के ₹18,000 करोड़ से बढ़कर 2024–25 में ₹5.45 लाख करोड़ हो गया, जो 28 गुना वृद्धि है। दूरसंचार क्षेत्र में 60% आयात प्रतिस्थापन हासिल किया गया है और भारत अब एंटेना, GPON और CPE में लगभग आत्मनिर्भर बन गया है। वैश्विक टेक कंपनियों ने भारत में निर्माण इकाइयाँ स्थापित की हैं, जिससे भारत 4G और 5G टेलीकॉम उपकरणों का प्रमुख निर्यातक बन गया है। व्हाइट गुड्स (AC और LED लाइट्स) के लिए PLI योजना के तहत 84 कंपनियों द्वारा ₹10,478 करोड़ के निवेश से इस क्षेत्र में घरेलू क्षमता को मजबूती मिली है।

12 क्षेत्रों में PLI के तहत 30 सितंबर 2025 तक ₹23,946 करोड़ की प्रोत्साहन राशि वितरित की जा चुकी है, जिनमें बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स, IT हार्डवेयर, बल्क ड्रग्स, मेडिकल डिवाइस, फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार, फूड प्रोसेसिंग, व्हाइट गुड्स, ड्रोन, स्पेशियलिटी स्टील, टेक्सटाइल्स और ऑटोमोबाइल/ऑटो कंपोनेंट शामिल हैं।

भारत का माल निर्यात (अप्रैल–अक्टूबर 2025) चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद मजबूत रहा।

– इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में 41.94% वृद्धि, जिसका कारण अमेरिका, यूएई और चीन में स्मार्टफोन व कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स की मजबूत मांग है।
– कृषि उत्पाद जैसे चावल, फल, मसाले, कॉफी और समुद्री उत्पादों में स्थिर वृद्धि।
– दवा निर्यात में 6.46% बढ़ोतरी, मुख्यतः नाइजीरिया और अमेरिका से बढ़ती मांग के कारण।
– इंजीनियरिंग वस्तुओं, जो भारत का सबसे बड़ा निर्यात समूह है, में 5.35% वृद्धि रही।

कुल मिलाकर, निर्यात में सुधार भारत की विविधीकृत और लचीली निर्यात संरचना को दर्शाता है, भले ही वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भूराजनीतिक चुनौतियों का दबाव बना हुआ है। अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि ये रुझान किसी विशेष शुल्क-संबंधी कदम के कारण हैं।

हालांकि कई उच्च-विकास और उच्च-मूल्य क्षेत्रों में निर्यात बढ़ा है, कुछ प्रमुख वस्तुओं में गिरावट वैश्विक मांग में सुस्ती और कीमतों में सुधार के प्रभाव को दर्शाती है। यह स्थिति निर्यात विविधीकरण, मूल्य संवर्धन और बाजार पहुँच को और मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

MSME निर्यातकों को समर्थन देने के लिए सरकार के उपाय

सरकार ने MSME निर्यातकों के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. निर्यात वृद्धि सुनिश्चित करने की रणनीति

– बाजार विविधीकरण
– व्यापार अवसंरचना को मजबूत करना
– MSMEs के लिए सस्ती व्यापार वित्त उपलब्ध कराना

2. Export Promotion Mission (EPM)

– 12 नवंबर 2025 को मंजूर
– कुल बजटीय व्यय ₹25,060 करोड़ (FY 2025–31)
– MSME निर्यातकों की बाधाएँ दूर करना और भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी निर्यातक बनाना

3. Bharat Trade Net (BTN)

– व्यापार दस्तावेजों का डिजिटलीकरण
– MSME के लिए आसान और तेज़ निर्यात वित्त
– अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन

4. Districts as Export Hubs (DEH) और E-commerce Export Hubs (ECEH)

– MSMEs, स्टार्टअप और कारीगरों को वैश्विक बाज़ार तक आसान पहुँच
– कम लागत और सरल प्रक्रियाएँ

5. राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और PM Gati Shakti

– बहु-क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार
– लॉजिस्टिक्स लागत में कमी
– MSME सप्लाई चेन को मजबूती

6. मुक्त व्यापार समझौते (FTAs)

– हाल ही में UK के साथ CEPA पर हस्ताक्षर
– बाजार पहुँच और निवेश में सुधार
– नए निर्यात बाज़ारों का विस्तार

MSME क्षेत्र के लिए अन्य प्रमुख पहलें

PMEGP: ग्रामीण/शहरी बेरोजगार युवाओं और कारीगरों को रोजगार आधारित सहायता
Credit Guarantee Scheme: MSMEs को बिना कोलैटरल लोन उपलब्ध कराने के लिए गारंटी
Employment Linked Incentive (ELI): रोजगार सृजन और कौशल वृद्धि को बढ़ावा
Self-Reliant India (SRI): MSMEs को इक्विटी फंडिंग में ₹50,000 करोड़ का समर्थन

PLI कार्यक्रम की निगरानी संबंधित मंत्रालयों द्वारा समय-समय पर की जाती है। कुछ क्षेत्रों—जैसे फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेस, टेक्सटाइल्स—में घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्यात प्रतिस्पर्धा में स्पष्ट सुधार दिख रहा है, जबकि अन्य क्षेत्र धीरे-धीरे गति पकड़ रहे हैं।

यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसादा ने राज्यसभा में लिखित उत्तर के रूप में प्रदान की।


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