Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

मुंबई में उद्योग–सरकार कौशल संवाद आयोजित, पीएम-सेतु से उद्योग-संगत कौशल विकास को मिलेगा नया आयाम

Document Thumbnail

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के साथ साझेदारी में आज ताज महल पैलेस, मुंबई में “कौशल प्रतिभा के लिए उद्योग–सरकार सहयोग को सशक्त बनाना” विषय पर एक उच्चस्तरीय उद्योग संवाद का आयोजन किया। इस संवाद की अध्यक्षता जयंत चौधरी, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार ने की। कार्यक्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य, आतिथ्य, बैंकिंग और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों के वरिष्ठ उद्योग नेताओं, विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा उद्योग-संगत कौशल ढांचे को मजबूत करने और रोजगारपरकता बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि भारत एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ तीव्र तकनीकी परिवर्तन, कार्यस्थलों के बदलते स्वरूप और जनसांख्यिकीय बदलाव विभिन्न क्षेत्रों में कौशल आवश्यकताओं को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी युवा आबादी के बावजूद उद्योगों को जॉब-रेडी प्रतिभा न मिल पाना कौशल असंतुलन को दर्शाता है, जिससे उद्योग–सरकार के बीच अधिक गहन और संरचित सहयोग की आवश्यकता स्पष्ट होती है।

मंत्री ने उत्कृष्टता केंद्रों (Centres of Excellence – CoEs) के लिए एक सुसंगत राष्ट्रीय ढांचा विकसित करने की सरकार की महत्वाकांक्षा को रेखांकित किया, जिसमें उन्नत कौशल, उद्योग प्रासंगिकता और मापनीय रोजगार परिणामों पर विशेष ध्यान होगा। उन्होंने बताया कि CoEs को उच्च स्तरीय कौशल प्रशिक्षण, प्रशिक्षक उत्कृष्टता और पाठ्यक्रम नवाचार के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो सीधे उद्योग की मांग से जुड़े होंगे।

जयंत चौधरी ने सरकार की प्रमुख पहल पीएम-सेतु (प्रधानमंत्री स्किलिंग एंड एम्प्लॉयबिलिटी ट्रांसफॉर्मेशन थ्रू अपग्रेडेड आईटीआई) का भी उल्लेख किया, जिसे आईटीआई को आधुनिक, आकांक्षी और परिणामोन्मुख संस्थानों के रूप में पुनर्स्थापित करने वाला एक परिवर्तनकारी सुधार बताया। लगभग ₹60,000 करोड़ के अनुमानित परिव्यय के साथ, पीएम-सेतु के तहत 1,000 सरकारी आईटीआई को उद्योग-संगत उत्कृष्टता केंद्रों में उन्नत किया जाएगा। इसके लिए हब-एंड-स्पोक मॉडल अपनाया जाएगा, जिसमें 200 हब आईटीआई और 800 स्पोक आईटीआई को जोड़कर देशभर में गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार किया जाएगा। इस योजना की एक प्रमुख विशेषता उद्योग-नेतृत्व वाली गवर्नेंस है, जिसे विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के माध्यम से लागू किया जाएगा। यह एसपीवी वित्तीय प्रबंधन, अवसंरचना और उपकरण विकास, निगरानी एवं मूल्यांकन, हितधारक सहभागिता और उद्योग सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

मंत्री ने कहा,

“पीएम-सेतु व्यावसायिक संस्थानों के उद्योग से जुड़ने के तरीके में एक प्रणालीगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। पाठ्यक्रम डिजाइन, प्रशिक्षक प्रशिक्षण, अप्रेंटिसशिप और प्लेसमेंट में उद्योग की भागीदारी सुनिश्चित कर हम ऐसे आईटीआई बना रहे हैं, जो घरेलू और वैश्विक श्रम बाजार की जरूरतों के अनुरूप, प्रासंगिक और आकांक्षी हों।”

उन्होंने स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर्स (SIICs) की रणनीतिक भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो वैश्विक गतिशीलता को समर्थन देते हैं, और उद्योग से आग्रह किया कि वे SIICs को अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले प्रशिक्षण और विदेश रोजगार के प्रवेश द्वार के रूप में विकसित करने में सक्रिय भागीदारी निभाएं। साथ ही, उन्होंने विश्व आर्थिक मंच (WEF) के स्किल एक्सेलेरेटर में भारत की भागीदारी को हाल ही में मिली कैबिनेट मंजूरी का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे भारत की कौशल प्रणाली को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और भविष्य की कार्यबल आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने में मदद मिलेगी।

परिणाम मापन और पारदर्शिता पर जोर देते हुए, मंत्री ने एम्प्लॉयबिलिटी मैट्रिक्स को एक विश्वसनीय और मानकीकृत सूचकांक बताया, जो विभिन्न क्षेत्रों में जॉब-रेडीनेस का आकलन करने में सहायक होगा। उन्होंने APAAR ID और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) की बढ़ती भूमिका का भी उल्लेख किया, जो लचीले शिक्षण मार्ग, क्रेडिट पोर्टेबिलिटी और आजीवन कौशल उन्नयन को संभव बनाते हैं। अप्रेंटिसशिप पर बोलते हुए उन्होंने NAPS और NATS के तहत भागीदारी बढ़ाने पर सरकार के फोकस को दोहराया और इसे शिक्षा तथा रोजगार के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु बताया।

अर्चना मयराम, आर्थिक सलाहकार, MSDE ने गोलमेज चर्चाओं की पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए उद्योग की मांग और उपलब्ध कौशल के बीच बढ़ते अंतर पर प्रकाश डाला। पीएम-सेतु पर प्रस्तुति देते हुए उन्होंने कहा कि नियोक्ताओं को उपयुक्त दक्षताओं वाले उम्मीदवार ढूंढने में कठिनाई हो रही है, जबकि तीव्र तकनीकी बदलाव उद्योगों से उभरते कौशलों के प्रति निरंतर सजग रहने की अपेक्षा करता है। उन्होंने जनरेशन-ज़ेड की बदलती अपेक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि वे त्वरित प्रतिफल चाहते हैं और करियर स्थिरता को लेकर चिंतित रहते हैं, इसलिए कौशल को अधिक आकांक्षी बनाना, आत्मसम्मान को मजबूत करना और सार्थक रोजगार के स्पष्ट मार्ग तैयार करना आवश्यक है—जिसे पीएम-सेतु जैसी पहलें संबोधित करती हैं।

उद्योग की ओर से बी. थियागराजन, अध्यक्ष, CII ने कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में उद्योग की सह-निर्माता की भूमिका पर बल दिया और कहा कि प्रशिक्षण को कार्यस्थल की वास्तविकताओं और भविष्य के विकास क्षेत्रों के अनुरूप बनाए रखने के लिए सरकार के साथ निकट सहयोग आवश्यक है। आशंक देसाई, अध्यक्ष, मास्टेक ने नए और सहयोगात्मक कौशल मॉडल विकसित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि उभरती औद्योगिक आवश्यकताओं और तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए उद्योग, प्रशिक्षण संस्थानों और सरकार के बीच घनिष्ठ साझेदारी अनिवार्य है।

इंटरएक्टिव सत्र के दौरान उद्योग प्रतिनिधियों ने CII और मंत्री के साथ विचार साझा किए कि विभिन्न उद्योग सरकार के साथ मिलकर कौशल विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि समन्वित प्रशिक्षण कार्यक्रम और मजबूत प्लेसमेंट से प्रशिक्षणार्थियों के नामांकन और रोजगार अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। विचार-विमर्श का केंद्र उद्योग-नेतृत्व वाले कौशल मॉडल को सशक्त बनाना, प्रशिक्षण संस्थानों का आधुनिकीकरण, अप्रेंटिसशिप का विस्तार और श्रम-बाजार की आवश्यकताओं के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना रहा।

सभी प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि सरकार और उद्योग के बीच निरंतर सहयोग ही एक कुशल, आत्मविश्वासी और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल के निर्माण की कुंजी है, जो भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूती प्रदान करेगा।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.