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भारत में गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए ऐतिहासिक सुधार

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गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को कानूनी मान्यता और सामाजिक सुरक्षा

भारत की तेजी से बढ़ती गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक शक्ति नई आर्थिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुकी है, जिसे युवा जनसंख्या, डिजिटल अपनापन और तेज़ शहरीकरण संचालित कर रहे हैं। उनकी भूमिका को पहचानते हुए, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (SS Code) (हाल ही में लागू चार श्रम संहिताओं में से एक) ने गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को औपचारिक रूप से सुरक्षा के दायरे में लाया है। यह सुधार एक लंबे समय से आवश्यक सुरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि यह श्रमिक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को वर्षों से संचालित कर रहे थे, लेकिन उनके लिए समान सुरक्षा उपलब्ध नहीं थी।

गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को सशक्त बनाना

कानूनी मान्यता, पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा लाभ, समर्पित कल्याण कोष, और राष्ट्रीय पंजीकरण ढांचे के माध्यम से ये सुधार गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को जरूरी सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह उन्हें अधिकारों के साथ सशक्त बनाता है और अनौपचारिक कार्य को सुरक्षित, मान्यता प्राप्त और स्थायी रोजगार में बदल देता है।

कानूनी मान्यता

गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट (1936), न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (1948), EPF एक्ट या ESI एक्ट के तहत कोई मान्यता नहीं थी। SS Code पहली बार उन्हें औपचारिक कानूनी मान्यता देता है और सामाजिक सुरक्षा एवं कानूनी संरक्षण के दायरे में लाता है।

कुछ परिभाषाएँ भी शामिल की गई हैं:

  • एग्रीगेटर (Aggregator) – डिजिटल मध्यस्थ या ऐसा प्लेटफॉर्म जो सेवा के खरीदार/उपयोगकर्ता को सेवा प्रदाता से जोड़ता है।

  • गिग श्रमिक (Gig Worker) – ऐसा व्यक्ति जो पारंपरिक नियोक्ता-नियोक्ता संबंध के बाहर कार्य करता है और उससे आय अर्जित करता है।

  • प्लेटफॉर्म श्रमिक (Platform Worker) – ऐसा व्यक्ति जो प्लेटफॉर्म कार्य में संलग्न होता है।

  • प्लेटफॉर्म कार्य (Platform Work) – पारंपरिक नियोक्ता-नियोक्ता संबंध के बाहर ऐसा कार्य जिसमें संगठन या व्यक्ति ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसी कार्य या सेवा को अंजाम देने के लिए जुड़ते हैं और भुगतान प्राप्त करते हैं।

कल्याण / सामाजिक सुरक्षा कोष

SS Code के तहत अब एग्रीगेटर्स को अपनी वार्षिक कारोबार का 1-2% (या भुगतान में 5% की सीमा) सामाजिक सुरक्षा कोष में योगदान देना होगा। यह कोष श्रमिकों के लिए विभिन्न कल्याण योजनाओं को वित्तपोषित करेगा। पहले यह जोखिम श्रमिकों पर ही था, और एग्रीगेटर्स का कोई दायित्व नहीं था।

सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ

पहले ये श्रमिक केवल स्वैच्छिक योजनाओं या CSR पहल पर निर्भर थे और PF, ESI, पेंशन या बीमा का कोई वैधानिक अधिकार नहीं था। अब गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक सरकार द्वारा अधिसूचित सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य एवं मातृत्व लाभ, पेंशन और अन्य लाभ पाने के पात्र हैं। यह ऐतिहासिक सुधार उन्हें कानूनी ढांचे में दृश्य बनाता है और औपचारिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में लाता है।

लाभों की पोर्टेबिलिटी

गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक अब काम या प्लेटफॉर्म बदलने पर भी सामाजिक सुरक्षा लाभ का आनंद ले सकते हैं। प्रत्येक श्रमिक को e-Shram पर आधार-लिंक्ड यूनिक ID मिलेगी, जिससे उनके लाभ सभी प्लेटफॉर्म पर पोर्टेबल होंगे। चाहे वे कई प्लेटफॉर्म पर काम करें या किसी एक से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाएँ, उनके लाभ लगातार और निर्बाध रूप से मिलते रहेंगे।

पंजीकरण और डेटाबेस

गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक सरकारी e-Shram पोर्टल पर स्वयं पंजीकरण कर सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक डेटाबेस तैयार होता है। यह डेटाबेस सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास, लक्षित कल्याण वितरण और नीति निर्माण में सहायक होगा।

शिकायत निवारण

पहले गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के पास औपचारिक श्रम कानूनों के तहत कोई संरचित शिकायत निवारण प्रणाली नहीं थी। अब SS Code के तहत सरकार टोल-फ्री हेल्पलाइन, कॉल सेंटर या सुविधा केंद्र स्थापित कर सकती है, जो श्रमिकों की शिकायतों का समाधान और समय पर सहायता सुनिश्चित करेगा।

गिग अर्थव्यवस्था का रूपांतरण: अनौपचारिक से संरक्षित

पहले दृश्यहीन, अत्यधिक असुरक्षित और बिना समान लाभों वाले गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक अब मूलभूत सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्राप्त कर रहे हैं। यह सुधार गिग अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाकर श्रमिकों को कानूनी मान्यता, वास्तविक समर्थन और कल्याण योजनाओं तक पहुँच प्रदान करता है। समर्पित सामाजिक सुरक्षा कोष, पोर्टेबल लाभ और राष्ट्रीय पंजीकरण ढांचा e-Shram के माध्यम से स्थापित करके, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 न केवल आज के श्रमिकों की सुरक्षा करती है बल्कि एक समावेशी, लचीली और भविष्य-सक्षम गिग अर्थव्यवस्था का आधार भी रखती है।

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