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भारत की अंतरिक्ष यात्रा में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ: 2024–25 में ISRO की बड़ी सफलताएँ

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वर्ष 2024–25 के दौरान अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी, मानव अंतरिक्ष उड़ान, कृषि, आपदा प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल कीं। ये उपलब्धियाँ भारत के स्पेस विज़न 2047 को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

Figure - Spadex Satellites

SpaDeX मिशन: अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक में ऐतिहासिक सफलता

PSLV-C60 के माध्यम से 30 दिसंबर 2024 को प्रक्षेपित SpaDeX उपग्रहों ने जनवरी 2025 में अंतरिक्ष में सफल डॉकिंग, अनडॉकिंग, पावर ट्रांसफर और सर्कम-नेविगेशन प्रयोग को अंजाम दिया। अप्रैल 2025 में दोबारा डॉकिंग कर संयुक्त नियंत्रण और ऊर्जा हस्तांतरण का सफल परीक्षण किया गया। यह तकनीक भविष्य के मानव मिशनों और अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

CROPS मिशन: अंतरिक्ष में पौधों की सफल खेती

CROPS-1 प्रयोग के तहत अंतरिक्ष में लोबिया (Cowpea) के बीजों का सफल अंकुरण और दो-पत्ती अवस्था तक विकास किया गया। यह प्रयोग अंतरिक्ष में जैविक जीवन को बनाए रखने की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।

Docking mechanism
CROPS image from orbit on 30th Dec. 2024

आदित्य-L1: सूर्य अध्ययन में नई उपलब्धि

जनवरी 2025 में ISRO ने आदित्य-L1 मिशन का पहला वैज्ञानिक डेटा जारी किया। इस मिशन से सूर्य की सतह, वायुमंडल और कोरोना से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े प्राप्त हुए, जो सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम की समझ को मजबूत करते हैं।

श्रीहरिकोटा से 100वां प्रक्षेपण

29 जनवरी 2025 को GSLV-F15 के माध्यम से ISRO ने श्रीहरिकोटा से अपना 100वां प्रक्षेपण पूरा किया। हालांकि तकनीकी कारणों से NVS-02 उपग्रह को अंतिम कक्षा में नहीं पहुंचाया जा सका, लेकिन उपग्रह पूरी तरह सुरक्षित है।

तीसरे लॉन्च पैड को कैबिनेट की मंजूरी

केंद्र सरकार ने श्रीहरिकोटा में तीसरे लॉन्च पैड की स्थापना को मंजूरी दी, जिससे भविष्य के भारी प्रक्षेपण यानों और मानव अंतरिक्ष उड़ानों की क्षमता बढ़ेगी।

POEM-4: 1000 कक्षाओं का सफल सफर

PSLV के चौथे चरण को प्रयोगशाला के रूप में उपयोग करते हुए POEM-4 ने 1000 कक्षाएँ पूरी कीं। इसमें 24 पेलोड्स ने सफल प्रयोग किए, जिनमें AI मॉडल, बीज अंकुरण और ग्रीन प्रोपल्शन शामिल हैं।

मेक इन इंडिया माइक्रोप्रोसेसर

ISRO और SCL चंडीगढ़ ने संयुक्त रूप से 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर VIKRAM3201 और KALPANA3201 विकसित किए, जो पूरी तरह स्वदेशी हैं और अंतरिक्ष उपयोग के लिए प्रमाणित हैं।

मानव अंतरिक्ष उड़ान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग

भारतीय गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom-04 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन बिताकर भारत का नाम रोशन किया। उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए और प्रधानमंत्री से सीधा संवाद भी किया।

NISAR मिशन: भारत-अमेरिका की साझेदारी

जुलाई 2025 में लॉन्च हुआ NISAR उपग्रह पृथ्वी की सतह में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों की निगरानी करेगा, जिससे आपदा प्रबंधन, कृषि और जल संसाधन प्रबंधन को नई मजबूती मिलेगी।

कृषि और आपदा प्रबंधन में अंतरिक्ष तकनीक

ISRO के उपग्रहों ने 2024–25 में देश में गेहूं उत्पादन का सटीक आकलन किया। साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय आपदा चार्टर में नेतृत्व की भूमिका निभाई।

इन सभी उपलब्धियों के साथ ISRO ने यह साबित किया है कि भारत न केवल आत्मनिर्भर अंतरिक्ष शक्ति बन रहा है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह प्रगति विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत आधार है। 




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