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खेत से भविष्य तक: सुशासन से सशक्त होती भारतीय कृषि की कहानियाँ

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महाराष्ट्र के नासिक जिले के दाभाड़ी गाँव में रहने वाली भावना नीलकंठ निकम ने स्नातक होने के बावजूद कृषि को अपना पेशा चुना। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) द्वारा उपलब्ध कराए गए संरचित क्षमता निर्माण प्रशिक्षण और कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के सहयोग से उन्होंने 2,000 वर्ग मीटर का पॉलीहाउस स्थापित किया। उन्होंने ड्रिप सिंचाई, कृषि यंत्रीकरण तथा मत्स्य और कुक्कुट पालन जैसी सहायक गतिविधियों को अपनाते हुए आधुनिक कृषि पद्धतियाँ लागू कीं। उनके खेत में शिमला मिर्च, टमाटर, सेम और अंगूर जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों का उत्पादन होता है। वर्षा जल संचयन तालाबों की व्यवस्था के कारण सूखे समय में भी सिंचाई सुनिश्चित रहती है। नवाचारपूर्ण खेती के लिए उन्हें वर्ष 2021 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा “नवाचारी महिला किसान सम्मान पत्र” सहित कई सम्मान प्राप्त हुए। उनका खेत अब एक आदर्श एकीकृत कृषि मॉडल बन चुका है, जिससे न केवल उनकी आय में विविधता आई है, बल्कि आसपास के किसानों के लिए यह एक प्रेरक और प्रशिक्षण स्थल भी बन गया है।

वहीं बिहार के बांका जिले में बिनीता कुमारी ने सीमित संसाधनों के बावजूद एक सफल आजीविका मॉडल विकसित किया। कृषि परिवार से आने वाली बिनीता कुमारी ने KVK बांका से मशरूम उत्पादन और स्पॉन निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया। मात्र 25 मशरूम बैग से शुरुआत कर उन्होंने विभिन्न किस्मों के मशरूम और वर्षभर उत्पादन प्रणाली अपनाई। आज वे ताजे मशरूम और स्पॉन की बिक्री से सालाना 2.5 से 3 लाख रुपये की आय अर्जित कर रही हैं। वे आसपास के किसानों को भी स्पॉन की आपूर्ति करती हैं और भविष्य में एक आधुनिक स्पॉन प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना रखती हैं। उनकी पहल से लगभग 300 महिला किसानों ने मशरूम उत्पादन को आय का स्थायी स्रोत बनाया है, जो यह दर्शाता है कि लक्षित प्रशिक्षण और संस्थागत सहयोग किस प्रकार व्यापक सामाजिक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।

ये उदाहरण भारतीय कृषि की व्यापक तस्वीर को दर्शाते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, ‘कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ’ क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में वर्तमान मूल्यों पर देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16 प्रतिशत का योगदान देता है और करीब 46.1 प्रतिशत आबादी को आजीविका प्रदान करता है। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ यह क्षेत्र कई सहायक और डाउनस्ट्रीम उद्योगों को भी मजबूती प्रदान करता है। इसी कारण शासन सुधारों में आय समर्थन, अवसंरचना विकास, सिंचाई विस्तार, जोखिम प्रबंधन, बेहतर बाजार पहुंच और सतत कृषि पर विशेष ध्यान दिया गया है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक 21 किस्तों में 3.88 लाख करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जिससे किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता मिली है। कृषि अवसंरचना कोष के अंतर्गत 23 दिसंबर 2025 तक 2.87 लाख से अधिक लाभार्थी पंजीकृत हुए हैं और 57,000 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देकर किसानों को कम जल-खपत वाली उच्च मूल्य फसलों की ओर प्रेरित किया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’, कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन, मृदा स्वास्थ्य, वर्षा आधारित क्षेत्र विकास, फसल विविधीकरण और कृषि स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन जैसे घटक शामिल हैं।

ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) ने बाजार पहुंच और मूल्य पारदर्शिता में सुधार किया है, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने फसल नुकसान के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान की है। 23 दिसंबर 2025 तक खरीफ और रबी 2025 सीजन में 16.06 लाख किसानों को 3.60 लाख रुपये के दावे का लाभ मिला है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देकर दीर्घकालिक भूमि उत्पादकता सुनिश्चित की है।

इन योजनाओं का प्रभाव तब और अधिक बढ़ जाता है जब ये NABARD और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) जैसी संस्थाओं के सहयोग से खेत स्तर पर एकीकृत रूप में लागू होती हैं। तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में NABARD अनुदान से समर्थित एक परियोजना के तहत आदिवासी किसानों ने आम की बागवानी, दलहन और सब्जियों की अंतरफसल, तथा सिंचाई अवसंरचना के माध्यम से अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की। इसी तरह हरियाणा के रेवाड़ी जिले में धरचना किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड ने तेलहन उत्पादन को सामूहिक उद्यम में बदलकर 500 से अधिक किसानों, जिनमें 90 प्रतिशत महिलाएँ हैं, की आय बढ़ाई।

सुशासन दिवस के अवसर पर ये अनुभव यह स्पष्ट करते हैं कि कृषि में प्रभावी शासन का अर्थ केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि खेती को एक सम्मानजनक, सुरक्षित और भविष्य उन्मुख आजीविका बनाना है। खेतों से भविष्य तक, भारतीय कृषि की यह नई कहानी नीतिगत समन्वय, सहभागी दृष्टिकोण और ठोस परिणामों पर आधारित है, जो किसानों के आत्मविश्वास और देश की आर्थिक मजबूती को नई दिशा दे रही है।

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