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नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार: 11 वर्षों में 126 से 11 जिलों तक सिमटा रेड कॉरिडोर

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 मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

  • नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2014 में 126 से घटकर 2025 में केवल 11 रह गई है, जबकि सर्वाधिक प्रभावित जिले 36 से घटकर सिर्फ 3 रह गए हैं—यह रेड कॉरिडोर के लगभग पतन को दर्शाता है।

  • 12,000 किमी से अधिक सड़कें, 586 सुदृढ़ पुलिस थाने, 361 नए सुरक्षा कैंप, 8,500 से अधिक मोबाइल टावरों की स्थापना और ₹92 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्ती से नक्सलियों का भौगोलिक व आर्थिक वर्चस्व समाप्त हुआ है।

  • वर्ष 2025 में अब तक 317 नक्सली ढेर, 800 से अधिक गिरफ्तार और लगभग 2,000 ने आत्मसमर्पण किया—यह ऐतिहासिक क्षरण नक्सलमुक्त भारत की दिशा में मार्च 2026 तक अपरिवर्तनीय गति को दर्शाता है।

परिचय

वामपंथी उग्रवाद (नक्सलवाद) के विरुद्ध केंद्र सरकार की निर्णायक और एकीकृत रणनीति के चलते देशभर में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभूतपूर्व कमी आई है। 2014 में 36 सर्वाधिक प्रभावित जिले घटकर 2025 में केवल 3 रह गए हैं, जबकि कुल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 11 हो गई है। सरकार ने बिखरी हुई नीतियों के स्थान पर संवाद → सुरक्षा → समन्वय के स्पष्ट सिद्धांतों पर आधारित बहुआयामी रणनीति अपनाई है और मार्च 2026 तक हर नक्सल प्रभावित क्षेत्र को पूरी तरह नक्सलमुक्त करने का लक्ष्य तय किया है।

10 वर्षों में नक्सली हिंसा में बड़ी गिरावट

रेड कॉरिडोर के अंतर्गत छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश–तेलंगाना के कुछ हिस्से प्रभावित थे। सरकार की बहुस्तरीय रणनीति से हिंसा में तेज गिरावट आई है।

2004–2014 की तुलना में 2014–2024 के दौरान:

  • नक्सली हिंसक घटनाओं में 53% की कमी (16,463 से 7,744)।

  • सुरक्षा बलों की शहादत में 73% की गिरावट (1,851 से 509)।

  • नागरिक मौतों में 70% की कमी (4,766 से 1,495)।

2024–2025 की प्रमुख परिचालन उपलब्धियां

  • 2025 में अब तक 317 नक्सली ढेर, 862 गिरफ्तार और 1,973 ने आत्मसमर्पण किया।

  • 2024 में 290 ढेर, 1,090 गिरफ्तार और 881 आत्मसमर्पण।

  • कुल 28 शीर्ष नक्सली नेताओं का सफाया, जिनमें 2024 में 1 और 2025 में 5 केंद्रीय समिति सदस्य शामिल।

  • ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में 27 हार्डकोर नक्सली ढेर।

  • मई 2025 में बीजापुर में 24 का आत्मसमर्पण; अक्टूबर 2025 में छत्तीसगढ़ (197) और महाराष्ट्र (61) में कुल 258 आत्मसमर्पण, जिनमें 10 वरिष्ठ नक्सली शामिल।

सुरक्षा परिधि में मजबूती

  • 2014 में 36 के मुकाबले 2025 में केवल 3 सर्वाधिक प्रभावित जिले।

  • कुल प्रभावित जिले 126 से घटकर 11।

  • 2014 तक 66 के मुकाबले पिछले 10 वर्षों में 586 सुदृढ़ पुलिस थाने

  • नक्सली घटनाओं वाले पुलिस थानों की संख्या 2013 में 330 (76 जिलों) से घटकर जून 2025 तक 52 (22 जिलों) रह गई।

  • 361 नए सुरक्षा कैंप और 68 नाइट-लैंडिंग हेलिपैड का निर्माण।

नक्सलियों की फंडिंग पर निर्णायक प्रहार

  • NIA में विशेष वर्टिकल के जरिए ₹40 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त।

  • राज्यों द्वारा ₹40 करोड़ से अधिक और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ₹12 करोड़ की कुर्की।

  • शहरी नक्सल नेटवर्क और सूचना युद्ध क्षमता को गंभीर क्षति।

राज्यों की क्षमता निर्माण में केंद्र की भूमिका

  • SRE योजना के तहत 11 वर्षों में ₹3,331 करोड़ (पिछले 10 वर्षों में 155% वृद्धि)।

  • विशेष अवसंरचना योजना (SIS) के तहत SF/SIB और पुलिस सुदृढ़ीकरण हेतु हजारों करोड़ की स्वीकृति।

  • 2017–18 से अब तक ₹1,757 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत, ₹445 करोड़ जारी।

  • 586 सुदृढ़ पुलिस थाने निर्मित।

  • SCA योजना के तहत ₹3,817.59 करोड़।

  • ACALWEMS के तहत कैंप अवसंरचना व अस्पताल उन्नयन के लिए सहायता।

अवसंरचना विकास

सड़क संपर्क:

  • मई 2014 से अगस्त 2025 तक 12,000 किमी सड़कें; 17,589 किमी परियोजनाएं ₹20,815 करोड़ की लागत से स्वीकृत।

मोबाइल कनेक्टिविटी:

  • 2G टावर: 2,343 (₹4,080 करोड़)।

  • चरण-2: 2,542 स्वीकृत (₹2,210 करोड़), 1,154 स्थापित।

  • 4G सैचुरेशन/आकांक्षी जिलों में 8,527 स्वीकृत; हजारों टावर कार्यरत।

वित्तीय समावेशन

  • 1,804 बैंक शाखाएं, 1,321 एटीएम, 37,850 बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट।

  • 90 जिलों में 5,899 डाकघर—हर 5 किमी पर सेवाएं।

शिक्षा एवं कौशल विकास (48 जिले)

  • 48 आईटीआई (₹495 करोड़) और 61 स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्वीकृत।

  • 46 आईटीआई और 49 एसडीसी कार्यरत—स्थानीय युवाओं को रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण।

NIA में अलग वर्टिकल व स्थानीय बलों का सशक्तिकरण

  • 108 मामलों की जांच, 87 में चार्जशीट—संगठनात्मक ढांचे को गहरी चोट।

  • 2018 में बस्तरिया बटालियन का गठन—स्थानीय युवाओं की भागीदारी से पूर्व गढ़ों में निर्णायक बढ़त।

3 दशकों बाद मुक्त हुए क्षेत्र (सफलता कथाएं)

  • ऑपरेशन ऑक्टोपस, डबल बुल, चकबंदा से बूढ़ा पहाड़, पारसनाथ, बरामसिया, चक्रबंधा जैसे गढ़ मुक्त।

  • अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्रों तक स्थायी कैंप।

  • PLGA की मुख्य शक्ति का विघटन और 2024 की TCOC का पूर्ण विफल होना।

आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति

  • वरिष्ठ कैडर को ₹5 लाख, मध्यम/निम्न को ₹2.5 लाख।

  • 36 माह तक प्रशिक्षण हेतु ₹10,000 मासिक स्टाइपेंड।

  • इस वर्ष 521 आत्मसमर्पण; नई राज्य सरकार के बाद कुल 1,053—मुख्यधारा में सफल पुनर्वास।

निष्कर्ष

पिछले 11 वर्षों में केंद्र सरकार की समन्वित, बहुआयामी रणनीति—सुरक्षा कार्रवाई, अवसंरचना विस्तार, वित्तीय नाकेबंदी, विकास संतृप्ति और आकर्षक आत्मसमर्पण नीति—ने नक्सलवाद को 2014 के 126 जिलों से घटाकर 2025 में केवल 11 जिलों तक सीमित कर दिया है। हिंसा में 70% से अधिक कमी, शीर्ष नेतृत्व का सफाया और हजारों कैडरों का पुनर्वास इस बात का प्रमाण है कि नक्सल आंदोलन की वैचारिक और क्षेत्रीय रीढ़ टूट चुकी है। मार्च 2026 तक लक्ष्य प्राप्ति के लिए सतत सतर्कता आवश्यक है, पर दिशा स्पष्ट है—शांति और विकास का नया अध्याय।

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