Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2025: डॉ. जितेंद्र सिंह बोले—भारत ने परंपरा और आधुनिक तकनीक के बीच सफल सेतु स्थापित किया

Document Thumbnail

तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय से संबद्ध मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने परंपरा और आधुनिकता के बीच सफल सेतु स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी मूल सभ्यतागत मूल्यों को संरक्षित रखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाया है, जिसका अंतिम उद्देश्य आम नागरिक के जीवन को सुगम बनाना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते एक दशक में भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरा है। यह परिवर्तन शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के निर्णायक नीतिगत समर्थन के कारण संभव हो सका है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 के बाद से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को अभूतपूर्व नीतिगत प्राथमिकता और बजटीय सहयोग मिला है। लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर किया गया, जिससे भारत की वैज्ञानिक क्षमता को नई दिशा मिली। उन्होंने कहा कि देश में प्रतिभाओं की कभी कमी नहीं थी, लेकिन अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र और राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव था, जिसे अब निर्णायक रूप से संबोधित किया गया है।

भारत के नवाचार परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि 2014 में जहां स्टार्टअप्स की संख्या 300–400 के आसपास थी, वहीं आज यह संख्या लगभग 2 लाख तक पहुंच गई है, जिससे भारत दुनिया के शीर्ष तीन स्टार्टअप इकोसिस्टम में शामिल हो गया है। उन्होंने बताया कि ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंक 81 से सुधरकर 38 हो गई है और पेटेंट दाखिल करने में भारत विश्व में छठे स्थान पर है, जिनमें से आधे से अधिक पेटेंट भारतीय नागरिकों द्वारा दायर किए जा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष और सामरिक प्रौद्योगिकियों में भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि चंद्र मिशनों के माध्यम से चंद्रमा पर जल की पुष्टि और दक्षिणी ध्रुव के निकट सफल लैंडिंग ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में भी भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है और रक्षा निर्यात बढ़कर ₹23,662 करोड़ तक पहुंच गया है, जिससे भारत के रक्षा उत्पाद लगभग 100 देशों तक पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हाल के वैश्विक घटनाक्रमों के दौरान भारत की स्वदेशी मिसाइल और रक्षा तकनीकों ने अपनी विश्वसनीयता और क्षमता सिद्ध की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ी है। यह उपलब्धियां पिछले एक दशक में परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और उन्नत अनुसंधान में किए गए सतत निवेश का परिणाम हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि भारत आज निवारक स्वास्थ्य सेवाओं और किफायती चिकित्सा समाधानों में वैश्विक अग्रणी बन चुका है। कोविड-19 वैक्सीन के विकास और वैश्विक आपूर्ति से लेकर अरबों डॉलर के चिकित्सा उपकरणों और इम्प्लांट्स के निर्यात तक, भारत की स्वास्थ्य नवाचार प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरोसा और मान्यता मिली है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि वैज्ञानिक शोध और प्रकाशनों के क्षेत्र में भारत अब विश्व में चौथे स्थान पर है, जबकि साइटेशन प्रभाव में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है, जो शोध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में प्रगति को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि आज भारत में विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि स्मार्ट सिटी, टेलीमेडिसिन, सैटेलाइट संचार, जियो-टैगिंग और डिजिटल गवर्नेंस जैसे क्षेत्रों के माध्यम से आम जनजीवन को आसान बना रहा है। अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, डीप ओशन मिशन, हिमालयी अनुसंधान और अरोमा मिशन जैसे राष्ट्रीय मिशन आर्थिक विकास और युवाओं के उद्यमिता के लिए नए अवसर खोल रहे हैं।

मंत्री ने यह भी घोषणा की कि बीते एक दशक में विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रमों का बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है, ताकि वैज्ञानिक शिक्षा का लोकतंत्रीकरण हो सके और प्रत्येक नागरिक वर्ष 2047 तक विकसित भारत की यात्रा में सहभागी बन सके।

इस उद्घाटन सत्र में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, वरिष्ठ वैज्ञानिक, शिक्षाविद और देशभर के वैज्ञानिक संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2025 का आयोजन 26 से 29 दिसंबर तक तिरुपति में किया जा रहा है, जिसमें भारत के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के भविष्य के रोडमैप पर व्यापक मंथन किया जाएगा।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.