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उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव के समापन समारोह में किया राज्य की प्रगति और विकास का गौरवपूर्ण उल्लेख

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रायपुर-उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने आज नवा रायपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। यह महोत्सव राज्य के गठन की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति को प्रदर्शित किया गया।

समारोह में उपराष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ की उल्लेखनीय प्रगति और समावेशी विकास पर प्रकाश डालते हुए इसे एक विकसित भारत की दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता बताया। उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ में विकास और विश्वास ने भय और हिंसा का स्थान लिया है।”

उन्होंने जनजातीय समुदायों को राज्य की वन, संस्कृति और विरासत का संरक्षक बताते हुए उनकी बुद्धिमत्ता और सतत जीवन शैली की सराहना की। साथ ही, राज्य की सामूहिक इच्छाशक्ति और विकास के माध्यम से नक्सलवाद को समाप्त करने की सफलता की भी उन्होंने प्रशंसा की।

उपराष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ के नागरिकों—किसानों, युवाओं, उद्यमियों और शिक्षकों—की भागीदारी को राज्य की सफलता की नींव बताया और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के योगदान की भी सराहना की।

उन्होंने राज्य में विकास किए गए बुनियादी ढांचे, जैसे सड़क, रेल, हवाई कनेक्टिविटी और नवा रायपुर को भारत का पहला ग्रीनफील्ड शहर बनाने के प्रयासों की विशेष रूप से तारीफ की। उपराष्ट्रपति ने "अंजोर विज़न @2047" के तहत छत्तीसगढ़ द्वारा अपनाई जा रही उभरती प्रौद्योगिकियों—सेमीकंडक्टर निर्माण और डिजिटल शासन सुधारों—को भी रेखांकित किया।

सांस्कृतिक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने राज्य के पारंपरिक नृत्यों जैसे पंथी और कर्मा, आदिवासी कला और शिल्प को भी सराहा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विविधता में एकता का प्रतीक है, जहाँ सांस्कृतिक संरक्षण और आधुनिकीकरण संतुलन में हैं।

समारोह में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से आह्वान किया कि वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, हरित प्रौद्योगिकियों और वैश्विक अवसरों का लाभ उठाते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दें।

उपराष्ट्रपति ने महोत्सव को केवल अतीत के उत्सव के रूप में नहीं बल्कि भविष्य के लिए एक प्रतिज्ञा के रूप में देखा—एक विकसित छत्तीसगढ़ के माध्यम से एक विकसित भारत का निर्माण, लोकतंत्र को मजबूत करना और संस्कृति का सम्मान करना।


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