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सुजलम भारत समिट 2025: जल सुरक्षा और सतत प्रबंधन के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली में शुरू

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नई दिल्ली- केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित “Vision for Sujalam Bharat” समिट 2025 आज भारत मंडपम, नई दिल्ली में शुरू हुआ। यह दो दिवसीय समिट 28–29 नवंबर तक जारी रहेगा। समिट में केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, तकनीकी विशेषज्ञ, पंचायत सदस्य, एनजीओ, स्वयं सहायता समूह (SHG) और राष्ट्रीय जल पुरस्कार एवं जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार विजेताओं ने भाग लिया। उद्घाटन का आरंभ पारंपरिक ‘जल कलश’ समारोह से किया गया।

समिट को संबोधित करते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, यह समिट जल प्रबंधन, स्वच्छता और सतत प्रथाओं को मजबूत करने के लिए क्षेत्रीय अनुभव और समुदाय की भागीदारी को राष्ट्रीय नीति निर्माण में शामिल करने का एक मंच है। उन्होंने बताया कि भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 18% हिस्सा है, जबकि ताजे पानी के स्रोत केवल 4% हैं। शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, भूमि उपयोग में परिवर्तन और जलवायु अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए समुदाय आधारित जल संरक्षण संरचनाएँ आवश्यक हैं।

उन्होंने जल शक्ति अभियान (JSA) और जल संचय जन भागीदारी (JSJB) के तहत बड़े पैमाने पर जल संरक्षण और पुनर्भरण प्रयासों की जानकारी दी। साथ ही नामामी गंगे कार्यक्रम, जल जीवन मिशन (JJM) और स्वच्छ भारत मिशन (SBM) के माध्यम से पीने के पानी और स्वच्छता की सुविधाओं में सुधार की जा रही है।

उद्घाटन सत्र में जल संचय जन भागीदारी 1.0 पुस्तक और बराक नदी बेसिन के पारिस्थितिक मूल्यांकन रिपोर्ट का विमोचन किया गया। इसके अलावा गंगा पल्स पब्लिक पोर्टल का भी उद्घाटन किया गया, जो जनता को नदी स्वास्थ्य की वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करेगा।

केंद्रीय मंत्री ने SAMRIDHI-MCAD के माध्यम से वैज्ञानिक और प्रेशर आधारित सिंचाई प्रणालियों द्वारा जल प्रबंधन में सुधार और JSA:CTR 2025 के तहत 22.5 लाख जल संरक्षण कार्यों और 42 लाख से अधिक वृक्षारोपण गतिविधियों की उपलब्धि साझा की।

समिट के मुख्य विषय निम्नलिखित हैं:

  1. नदियों और स्रोतों का पुनर्जीवन – निरंतर और स्वच्छ धारा सुनिश्चित करना।

  2. पीने के पानी की स्थिरता – सुरक्षित और पर्याप्त पानी की व्यवस्था।

  3. जल प्रबंधन के लिए तकनीक – डिजिटल उपकरण, एआई आधारित निगरानी और माइक्रो-इरिगेशन।

  4. जल संरक्षण और पुनर्भरण – समुदाय आधारित भूजल प्रबंधन और परंपरागत प्रणालियों का पुनरुद्धार।

  5. ग्रे वाटर प्रबंधन और पुन: उपयोग – घरेलू, औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में जल का पुन: उपयोग।

  6. सामुदायिक एवं संस्थागत भागीदारी – व्यवहार परिवर्तन और दीर्घकालीन जल सुरक्षा के लिए समुदाय का सशक्तिकरण।

दो दिवसीय समिट में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ तकनीकी विशेषज्ञ, पंचायत सदस्य और पुरस्कार विजेताओं ने भाग लिया। प्रतिभागियों की सिफारिशों के आधार पर मंत्रालय आगामी कार्यान्वयन चरण के लिए संरचित और व्यावहारिक मार्गदर्शन तैयार करेगा।

समापन में केंद्रीय मंत्री ने कहा:

“सुझलम भारत केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्रयास है, जो जल-सुरक्षित, स्वस्थ और सशक्त समुदाय बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है। इस समिट के माध्यम से हम प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप एक जल-समृद्ध, सतत और समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में काम करेंगे।”


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