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नीति आयोग द्वारा तिरुवनंतपुरम में “अनुसंधान एवं विकास को सुगम बनाने” पर 8वीं क्षेत्रीय परामर्श बैठक का सफल आयोजन

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“अनुसंधान एवं विकास को सुगम बनाने” पर 8वीं क्षेत्रीय परामर्श बैठक का आयोजन नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (NCESS), तिरुवनंतपुरम में 30–31 अक्टूबर 2025 को किया गया। इस परामर्श बैठक में संस्थागत प्रमुखों, कुलपतियों तथा विभिन्न वैज्ञानिक मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भारत के अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाने पर गहन विचार-विमर्श किया।

बैठक की शुरुआत प्रो. एन. वी. चेलापथी राव, निदेशक, NCESS के स्वागत संबोधन से हुई। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए सक्षम वातावरण की आवश्यकता पर जोर दिया और यह रेखांकित किया कि क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान नवाचार-आधारित विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके बाद प्रो. विवेक कुमार सिंह, नीति आयोग, ने बैठक की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की और ROPE Framework – Removing Obstacles, Promoting Enablers का परिचय दिया, जो नीति आयोग की “Ease of Doing R&D” पहल का मार्गदर्शक सिद्धांत है। उन्होंने बताया कि इस रूपरेखा का उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली संस्थागत और नीतिगत चुनौतियों की पहचान करना तथा उन्हें कम करने के लिए लचीलापन, अंतःसंस्थागत सहयोग और क्षमता वृद्धि जैसे सहायक तंत्रों को बढ़ावा देना है।

डॉ. एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अनुसंधान की दक्षता और प्रभाव बढ़ाने के लिए कई व्यावहारिक सुझाव दिए। उन्होंने सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों के अनुभव का उपयोग करने, विश्वविद्यालय-उद्योग-सरकार (UIG) पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने, संस्थानों के बीच डेटा साझाकरण को प्रोत्साहित करने और विज्ञान संचार को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि अनुसंधान के परिणाम समाज के लिए अधिक प्रासंगिक बन सकें।

डॉ. वी. के. सारस्वत, सदस्य, नीति आयोग ने अपने संबोधन में कहा कि “Ease of Doing R&D” दो प्रमुख तत्वों — आंतरिक और बाह्य कारकों — पर निर्भर करता है। आंतरिक कारक संस्थानों की संरचना, प्रशासन और कार्यप्रणाली से संबंधित हैं, जबकि बाह्य कारक नियामक अवरोधों, वित्त पोषण तंत्र और अंतःक्षेत्रीय समन्वय से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्राप्त करने के लिए इन दोनों पहलुओं को समानांतर रूप से संबोधित करना आवश्यक है।

इस बैठक में केरल के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि “Ease of Doing R&D” सीधे तौर पर नागरिकों के “Ease of Living” से जुड़ा हुआ है। उन्होंने रेखांकित किया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जनकेंद्रित विकास के साथ संरेखित होना चाहिए और संस्थानों, उद्योगों तथा सरकारों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण ही समावेशी विकास की कुंजी है। राज्यपाल ने कहा कि “राज्य का विकास ही राष्ट्र के विकास का आधार है,” और क्षेत्रीय स्तर पर नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता पर बल दिया।

दो दिवसीय इस बैठक का समापन शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और सरकारी प्रतिनिधियों के बीच हुई संवादात्मक चर्चाओं और परामर्शों के साथ हुआ, जिसमें सभी ने मिलकर भारत में एक सक्षम, प्रभावी और सहयोगात्मक R&D पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए अपने सामूहिक संकल्प को दोहराया।

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