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CoP30 में भारत का उच्च-स्तरीय वक्तव्य: समावेशी नेतृत्व, जलवायु न्याय और वैश्विक समानता पर बल

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भारत ने 22.11.2025 को ब्राज़ील के बेलेम में आयोजित UNFCCC CoP30 के समापन पूर्ण अधिवेशन में दिए गए उच्च-स्तरीय वक्तव्य में CoP30 अध्यक्षता के समावेशी नेतृत्व के प्रति अपना गहरा समर्थन व्यक्त किया और सम्मेलन में अपनाए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों का स्वागत किया।

वक्तव्य में भारत ने CoP अध्यक्ष के नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त किया, जो समावेश, संतुलन और ब्राज़ील की मुतिराओ भावना पर आधारित था और जिसने CoP30 का ईमानदारी और निष्ठा के साथ मार्गदर्शन किया।

ग्लोबल गोल ऑन अडैप्टेशन (GGA) के तहत हुई प्रगति का स्वागत करते हुए भारत ने इस निर्णय के समानता (equity) आयाम को रेखांकित किया और कहा कि यह विकासशील देशों में अनुकूलन की अत्यधिक आवश्यकता को स्वीकार करता है।

भारत के वक्तव्य का एक प्रमुख संदेश विकसित देशों की जलवायु वित्त (Climate Finance) प्रदान करने की लम्बे समय से लंबित प्रतिबद्धताओं पर जोर था। वक्तव्य में अध्यक्षता द्वारा भारत को अनुच्छेद 9.1 पर लंबे समय से आवश्यक ध्यान केंद्रित करने की यात्रा शुरू करने में दिए गए समर्थन की सराहना की गई। भारत ने आशा व्यक्त की कि बेलें में पार्टियों द्वारा उठाए गए प्रथम कदमों के कारण 33 वर्ष पहले रियो में किए गए वादे अब पूरे होंगे।

भारत ने CoP30 के प्रमुख परिणामों, विशेषकर जस्ट ट्रांज़िशन मैकेनिज़्म की स्थापना पर संतोष व्यक्त किया। वक्तव्य ने इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया और आशा व्यक्त की कि यह वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर समानता और जलवायु न्याय को लागू करने में सहायक ہوگا।

भारत ने एकतरफ़ा व्यापार-प्रतिबंधात्मक जलवायु उपायों पर चर्चा का अवसर उपलब्ध कराने के लिए अध्यक्षता को धन्यवाद दिया। ऐसे उपाय सभी विकासशील देशों को प्रभावित कर रहे हैं और कन्वेंशन तथा उसके पेरिस समझौते में निहित समानता और CBDR-RC के सिद्धांतों के विपरीत हैं। वक्तव्य में ज़ोर दिया गया कि इन मुद्दों को अब और नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, और पार्टियों ने इस प्रवृत्ति को उलटने की दिशा में पहला कदम उठाया है।

भारत ने जलवायु कार्रवाई के प्रति अपने सिद्धांतिक दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि शमन (Mitigation) का बोझ उन देशों पर न डाला जाए जिनकी इस समस्या को उत्पन्न करने में सबसे कम ज़िम्मेदारी है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से स्वयं को बचाने के लिए वैश्विक दक्षिण में स्थित कमजोर आबादी को अधिक वैश्विक समर्थन की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।

भारत ने विज्ञान-आधारित और समानतापूर्ण जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई। यह उल्लेख किया गया कि भारत कानून-आधारित, समान और राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करने वाले वैश्विक व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध है। साथ ही भारत सभी पार्टियों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि जलवायु महत्वाकांक्षा समावेशी, न्यायसंगत और समानतापूर्ण हो।

अंत में, वक्तव्य ने आगे की राह में ब्राज़ील और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रति भारत के समर्थन और आभार को पुनः दोहराया। यह सभी पार्टियों से सामूहिक प्रयास करने का आह्वान करता है ताकि बेलें से शुरू हुई यह यात्रा निष्पक्षता, एकजुटता और सभी के साझा समृद्धि से परिभाषित भविष्य की ओर ले जाए।


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