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लचीले बायोमेडिकल वेअरेबल्स हेतु उच्च-कुशल पाईजोइलेक्ट्रिक नैनोकॉम्पोज़िट का विकास

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फूल के आकार वाले टंग्स्टन ट्राईऑक्साइड (WO₃) नैनोमैटेरियल को पॉलीविनाइलिडीन फ्लोराइड (PVDF) मैट्रिक्स में एम्बेड कर एक अभिनव पाईजोइलेक्ट्रिक उपकरण का निर्माण किया गया है। यह उपकरण लचीले, पहनने योग्य, अत्यधिक कुशल ऊर्जा-संग्रहण (energy harvesting) तथा प्रेशर-सेंसिंग डिवाइसों के निर्माण की दिशा में एक व्यवहार्य मार्ग प्रशस्त करता है।

यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करना हमेशा शोध का प्रमुख विषय रहा है, क्योंकि इससे दैनिक गतिविधियों से उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने की संभावनाएँ खुलती हैं। इसी दिशा में शोधकर्ता नई-नई विधियाँ विकसित करने में लगे हुए हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान, सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज़ (CeNS), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने पॉलिमर और नैनोमैटेरियल के बीच परस्पर क्रियाओं का पता लगाने के लिए एक व्यवस्थित प्रयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया।

उन्होंने एक ही नैनोफिलर को विभिन्न आकार-प्रकार (morphologies), क्रिस्टल संरचनाओं एवं सतही आवेशों के साथ प्रयोग में लाया। चार भिन्न आकृतियों में से ‘नैनोफ्लॉवर्स’, जिनकी क्रिस्टल संरचना तीन असमान लंबाई वाली तथा तीन असमान कोणों वाली अक्षों से बनी होती है और जिनका सतही आवेश (ज़ीटा पोटेंशियल: −58.4 mV) सबसे अधिक था, PVDF मैट्रिक्स के साथ सर्वाधिक प्रभावी रूप से क्रिया करती पाई गईं। इसके परिणामस्वरूप इनमें सबसे अधिक पाईजोइलेक्ट्रिक फेज़ विकसित हुआ। ऊर्जा उत्पादन को और बढ़ाने के लिए PVDF मैट्रिक्स में नैनोफिलर की आदर्श सांद्रता ज्ञात करने हेतु अनुकूलन प्रक्रिया अपनाई गई। इसके तहत स्वयं-संचालित ऊर्जा-संग्रहण उपकरणों का निर्माण और परीक्षण किया गया।

लचीले पाईजोइलेक्ट्रिक पॉलिमर और नैनोकणों के मिश्रण तथा परिणामी यांत्रिक ऊर्जा रूपांतरण क्षमता के व्यवस्थित अध्ययन से यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार के नैनोकण पाईजोइलेक्ट्रिक पॉलिमर की क्षमता को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।

इस अध्ययन, जिसे ACS Applied Electronic Materials में प्रकाशित किया गया है, ने यह भी प्रदर्शित किया कि इस प्रोटोटाइप का उपयोग वास्तविक समय के बायोमेडिकल अनुप्रयोगों, विशेषकर रोगी निगरानी (patient monitoring), में किया जा सकता है।

चित्र में अनुसंधान कार्य का ग्राफिकल निरूपण प्रस्तुत है।

इस नैनो-इंजीनियर्ड प्रणाली की उच्च संवेदनशीलता और ऊर्जा-कुशलता इसे बायोमेडिकल उपयोगों के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाती है। विशेष रूप से यह पहनने योग्य स्वास्थ्य निगरानी प्रणालियों में एकीकृत की जा सकती है, जो हृदयगति, नाड़ी, श्वसन, चलना आदि जैसे शरीर के छोटे से बड़े आंदोलनों से उत्पन्न बायोमैकेनिकल ऊर्जा को विद्युत संकेतों में बदल सकती है। इन संकेतों का उपयोग कर शारीरिक मानकों की वास्तविक समय में निगरानी की जा सकती है, वह भी बाहरी विद्युत स्रोत की आवश्यकता के बिना।

अनुसंधान टीम—अंकुर वर्मा, प्रिथा दत्ता, निलय अवस्थी, डॉ. आशुतोष के. सिंह और डॉ. सी. के. सुबाष—का यह कार्य बुद्धिमान, कॉम्पैक्ट और टिकाऊ स्वास्थ्य-प्रौद्योगिकियों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ऊर्जा-संग्रहण और स्मार्ट टेक्सटाइल्स जैसे क्षेत्रों में व्यापक उपयोग की संभावनाओं को भी खोलता है। CeNS टीम का मानना है कि ऐसे अत्याधुनिक नैनोकॉम्पोज़िट आधारित उपकरण अगली पीढ़ी के बायोमेडिकल वेअरेबल्स की बढ़ती मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।


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