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अमित शाह ने नई दिल्ली में ‘को-ऑप कुंभ 2025’ का उद्घाटन किया

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 नई दिल्ली-केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘को-ऑप कुंभ 2025’ (Co-Op Kumbh 2025) को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। यह सम्मेलन शहरी सहकारी क्रेडिट क्षेत्र पर केंद्रित था। इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, सहकारिता मंत्रालय के सचिव एवं कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में मंत्री अमित शाह ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सोसाइटियों का यह सहकार कुंभ अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 3-4 वर्षों में देश का शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र और सहकारी क्रेडिट सोसाइटी क्षेत्र नए जोश के साथ आगे बढ़ा है। उन्होंने बताया कि ‘को-ऑप कुंभ 2025’ के दौरान नीति, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर चर्चा होगी ताकि इस क्षेत्र की संभावनाओं का अधिकतम उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि एनएएफक्यूब (NAFCUB) द्वारा आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की ‘दिल्ली घोषणा 2025’ (Delhi Declaration 2025) शहरी सहकारी बैंकों के विस्तार के लिए एक रोडमैप के रूप में कार्य करेगी।

शाह ने कहा कि “को-ऑप कुंभ 2025 के माध्यम से शहरी सहकारी बैंकों के विस्तार का हमारा सपना बहुत जल्द पूरा होगा।” उन्होंने बताया कि आज इस अवसर पर ‘सहकार डिजी-पे’ (Sahkar Digi-Pay) और ‘सहकार डिजी-लोन’ (Sahkar Digi-Loan) ऐप्स का शुभारंभ किया गया है। इसके माध्यम से छोटे से छोटे शहरी सहकारी बैंक भी डिजिटल भुगतान सुविधाएं प्रदान कर सकेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सहकारिता से जुड़े हर क्षेत्र में बुनियादी सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए हैं। उन्होंने बताया कि सहकारी क्षेत्र के आधुनिकीकरण, चुनौतियों के समाधान और इसके विस्तार के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं। सभी राज्य सरकारों ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के लिए मॉडल उपविधियों को स्वीकार किया है।

अमित शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने चार प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए हैं —

  1. जनरेशन सहकार (Generation Sahakar) का विकास, यानी युवा पीढ़ी को सहकार आंदोलन से जोड़ना। इसके लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है, जो सहकारिता क्षेत्र की सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

  2. सहकारी समितियों को ऐसी इकाइयों के रूप में तैयार करना जो हर चुनौती का सामना कर सकें।

  3. अगले पाँच वर्षों में दो लाख से अधिक जनसंख्या वाले हर शहर में एक शहरी सहकारी बैंक की स्थापना करना।

  4. युवा उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त करने के लिए शहरी सहकारी बैंकों को बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण से काम करना।

उन्होंने कहा कि “हमारा लक्ष्य केवल सहकारी संस्थाओं को मजबूत करना नहीं है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना भी है, और इस दिशा में शहरी सहकारी बैंक सबसे उपयुक्त माध्यम हैं।”

शाह ने बताया कि “पिछले दो वर्षों में हमने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) को 2.8% से घटाकर 0.06% कर दिया है। अब हमें परिचालन मानकों को सुधारना होगा और वित्तीय अनुशासन को और मजबूत करना होगा। हर शहर में एक शहरी सहकारी बैंक की स्थापना तभी संभव है जब हम सहकारी समितियों को बैंकों में परिवर्तित करने की दिशा में काम करें।”

उन्होंने कहा कि केवल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े ही हमारी प्रगति को नहीं दर्शाते — जब तक हर व्यक्ति को काम और सम्मानजनक जीवन स्तर न मिले, प्रगति अधूरी है, और यह सहकारिता के बिना संभव नहीं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें सहकारिता के महत्व को भलीभांति समझती हैं, अब आवश्यकता है कि पारदर्शी और परिणामोन्मुख दृष्टिकोण से आगे बढ़ा जाए।

शाह ने बताया कि इंटरनेशनल कोऑपरेटिव अलायंस (ICA) ने वैश्विक रैंकिंग में अमूल को पहला और इफको (IFFCO) को दूसरा स्थान प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि “यह इस बात का प्रमाण है कि आज भी सहकारिता की अवधारणा और संस्कृति प्रासंगिक और सशक्त है।”

उन्होंने बताया कि अमूल देश में श्वेत क्रांति (White Revolution) का प्रेरक रहा है — इसके 36 लाख किसान सदस्य, 18,000 ग्राम समितियाँ और 18 जिला संघ हर दिन 3 करोड़ लीटर दूध एकत्र करते हैं। वर्ष 2024–25 में अमूल का कारोबार 90,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। यह इस बात का प्रमाण है कि लाखों किसान, जिनमें से 65% महिलाएँ हैं, छोटे-छोटे योगदानों से एक विशाल सहकारी संस्था को वर्षों से सफलतापूर्वक चला रहे हैं।

शाह ने कहा कि इफको (IFFCO) विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सहकारी संस्था बन गई है, जिसका कारोबार 41,000 करोड़ रुपये और लाभ 3,000 करोड़ रुपये है। इफको में देशभर की 35,000 सहकारी समितियाँ — जिनमें अधिकांश PACS और विपणन समितियाँ हैं — सदस्य हैं। इसके माध्यम से 5 करोड़ से अधिक किसान जुड़े हुए हैं। इफको हर वर्ष 93 लाख मीट्रिक टन यूरिया और डीएपी का उत्पादन करता है और आज इसकी नैनो यूरिया और नैनो डीएपी 65 देशों — जैसे ब्राज़ील, ओमान, अमेरिका और जॉर्डन — को निर्यात की जा रही हैं।

शाह ने कहा कि यह सब इस बात का प्रमाण है कि भारत में सहकारिता के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं।

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