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IICA में IICA सर्टिफाइड आर्बिट्रेशन प्रोग्राम (ICAP) के प्रथम बैच का समापन समारोह सम्पन्न

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भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (IICA), जो कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन है, के वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र (CEADR) द्वारा आयोजित IICA सर्टिफाइड आर्बिट्रेशन प्रोग्राम (ICAP) के पहले बैच का समापन समारोह (Valedictory Session) 12 अक्टूबर 2025 को IICA परिसर, मानेसर में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वैश्विक स्तर के अगली पीढ़ी के मध्यस्थता (arbitration) पेशेवरों का एक सशक्त समूह तैयार करना था।

दो दिवसीय कैंपस इमर्शन और समापन समारोह का उद्घाटन 11 अक्टूबर 2025 को जस्टिस हेमंत गुप्ता, अध्यक्ष, इंडिया इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर द्वारा किया गया। अपने मुख्य संबोधन में उन्होंने भारत में मध्यस्थता पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ बनाने में IICA के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि को देखते हुए, निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने के लिए एक मजबूत वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली (ADR System) का निर्माण आवश्यक है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि संस्थागत मध्यस्थता (Institutional Arbitration) की स्थापना से मध्यस्थता कार्यवाही अधिक संरचित और प्रभावी हो सकेगी।

ज्ञानेश्वर कुमार सिंह, महानिदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO), IICA ने मुख्य अतिथि डॉ. राजीव मणि, सचिव (विधि विभाग), कानून एवं न्याय मंत्रालय, तथा विशिष्ट अतिथि प्रो. पी. के. मल्होत्रा, पूर्व विधि सचिव, कानून एवं न्याय मंत्रालय, का स्वागत एवं सम्मान किया। अपने स्वागत भाषण में ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने IICA द्वारा की गई विभिन्न मध्यस्थता संबंधी अध्ययनों की जानकारी दी और भारत में संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र को मानकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने मध्यस्थता पुरस्कारों (Arbitral Awards) की प्रवर्तनीयता (Enforceability) से जुड़ी चुनौतियों और उनके समाधान पर भी चर्चा की।

प्रो. पी. के. मल्होत्रा, पूर्व विधि सचिव, कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अपने संबोधन में भारत के मध्यस्थता पेशेवरों की योग्यता और क्षमता की सराहना की, लेकिन उन्होंने सहायक पारिस्थितिकी तंत्र (Supporting Ecosystem) की कमी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवश्यक संशोधनों सहित भारतीय मध्यस्थता परिषद (Arbitration Council of India) की स्थापना के महत्व पर भी बल दिया।

डॉ. राजीव मणि, सचिव (विधि विभाग), कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अपने समापन संबोधन (Valedictory Address) में विवाद समाधान के एक प्रभावी माध्यम के रूप में मध्यस्थता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय संवैधानिक इतिहास के संक्रमण काल (Transitional Period) में संविधान निर्माताओं द्वारा कुछ मामलों में मध्यस्थता को प्राथमिकता देने के उदाहरणों का उल्लेख किया। डॉ. मणि ने पारंपरिक अदालती मुकदमों (Court Litigation) के अलावा, मध्यस्थता जैसे अन्य विवाद समाधान माध्यमों को अपनाने के लिए लोगों की सोच, दृष्टिकोण और मानसिकता में परिवर्तन की आवश्यकता पर भी बल दिया।

धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए प्रो. (डॉ.) नवीन सिरोही, प्रमुख, CEADR, IICA ने सभी गणमान्य अतिथियों के सारगर्भित संबोधनों के लिए आभार व्यक्त किया तथा सभी प्रतिभागियों और IICA की आयोजन टीम के सहयोग की सराहना की।


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