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भारत-अमेरिका ने किया ‘मेजर डिफेंस पार्टनरशिप फ्रेमवर्क 2025’ पर हस्ताक्षर — रक्षा सहयोग के नए युग की शुरुआत

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 31 अक्टूबर 2025 को मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित 12वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus) के दौरान अमेरिका के युद्ध सचिव पीट हिगसेथ से मुलाकात की। यह बैठक रचनात्मक रही और प्रतिनिधिमंडल-स्तरीय वार्ता के बाद दोनों नेताओं के बीच एकल बैठक हुई।

दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका के बीच जारी रक्षा सहयोग की सकारात्मक प्रगति की सराहना की और आपसी लाभ पर आधारित साझेदारी को और आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने मौजूदा रक्षा मुद्दों और चुनौतियों की समीक्षा की तथा रक्षा उद्योग और तकनीकी सहयोग पर विचार-विमर्श किया। बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच, दोनों पक्षों ने मिलकर इन चुनौतियों का समाधान करने पर सहमति व्यक्त की।

अमेरिकी युद्ध सचिव ने कहा कि रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भारत अमेरिका के लिए एक प्राथमिकता वाला देश है और अमेरिका एक मुक्त एवं खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ निकटता से कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बैठक के बाद दोनों नेताओं ने ‘यूएस-इंडिया मेजर डिफेंस पार्टनरशिप फ्रेमवर्क’ पर हस्ताक्षर किए, जो पहले से मजबूत रक्षा साझेदारी को एक नए युग में ले जाएगा। यह 2025 फ्रेमवर्क अगले 10 वर्षों में इस साझेदारी को और परिवर्तित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को गहराई देने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण और नीति दिशा प्रदान करना है।

एक्स (X) पर पोस्ट के माध्यम से, रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह फ्रेमवर्क भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के पूरे परिदृश्य को नीति दिशा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, “यह हमारी बढ़ती रणनीतिक समानता का संकेत है और साझेदारी के एक नए दशक का शुभारंभ करेगा। रक्षा हमारे द्विपक्षीय संबंधों का प्रमुख स्तंभ बना रहेगा। हमारी साझेदारी एक मुक्त, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।”

अपने पोस्ट में, पीट हिगसेथ ने कहा कि यह फ्रेमवर्क द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और प्रतिरोधक क्षमता का आधार है। उन्होंने लिखा, “हम समन्वय, सूचना साझाकरण और तकनीकी सहयोग को बढ़ा रहे हैं। हमारे रक्षा संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं।”

भारत और अमेरिका सैन्य अभ्यासों एवं गतिविधियों, सूचना साझाकरण, समान विचारधारा वाले क्षेत्रीय और वैश्विक साझेदारों के साथ सहयोग, रक्षा उद्योग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग और रक्षा समन्वय तंत्र के माध्यम से अपने रक्षा संबंधों का विस्तार और सुदृढ़ीकरण कर रहे हैं।

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