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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में टाइटेनियम और सुपरएलॉय मटीरियल्स प्लांट का उद्घाटन कर भारत की तकनीकी संप्रभुता को मजबूत करने का दिया संदेश

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 18 अक्टूबर 2025 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में PTC इंडस्ट्रीज के स्ट्रैटेजिक मटीरियल्स टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन करते हुए कहा कि “भारत को रक्षा और एयरोस्पेस में उपयोग होने वाली दुर्लभ सामग्रियों का उत्पादन करना चाहिए, ताकि यह तकनीकी निर्माता बन सके और अपनी तकनीकी संप्रभुता की रक्षा कर सके।”

उन्होंने कहा कि दुर्लभ पृथ्वी सामग्री (Rare Earth Materials) का उपयोग रक्षा, अंतरिक्ष, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य क्षेत्रों में होता है, और केवल कुछ देशों के पास इन सामग्रियों को परिष्कृत कर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने की क्षमता है। इस संदर्भ में, इस संयंत्र का उद्घाटन, जो एरो-इंजन कंपोनेंट्स और सुपर एलॉय कंपोनेंट्स जैसे उत्पाद बनाने वाला पहला निजी क्षेत्र का संयंत्र है, भारत को दुर्लभ सामग्रियों का उत्पादन करने में मदद करेगा।

रक्षा मंत्री ने उल्लेख किया कि अतीत में भारत रक्षा और एयरोस्पेस के लिए आवश्यक उन्नत सामग्रियों और तकनीकों के लिए अन्य देशों पर निर्भर था, जिससे रक्षा क्षेत्र की वृद्धि धीमी पड़ गई थी। इस तरह की पहलें इस प्रवृत्ति को बदलने का संकेत देती हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को वास्तविक शक्ति तभी प्राप्त होगी जब वह अपनी सामग्रियां, कंपोनेंट्स, चिप्स और एलॉय खुद बना सके। उन्होंने कहा कि यह नया संयंत्र भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करता है जो अपने महत्वपूर्ण रक्षा और एयरोस्पेस सामग्री का उत्पादन कर सकते हैं। “इसके साथ हम अपने फाइटर जेट, मिसाइल, नौसैनिक प्रणाली और उपग्रहों में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स का निर्माण कर पाएंगे।”


रक्षा मंत्री ने कहा कि तकनीक शक्ति है, लेकिन सामग्री असली ताकत है। चाहे वह सेमीकंडक्टर चिप हो, बुलेट सामग्री हो या इंजन टरबाइन पार्ट, ये सब रणनीतिक सामग्रियों के बिना संभव नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हम ऐसा आधार बना रहे हैं जो आने वाले वर्षों में भारत की तकनीकी संप्रभुता को मजबूत करेगा।”

राजनाथ सिंह ने इस संयंत्र को आत्मनिर्भर भारत का जीवंत उदाहरण बताते हुए कहा कि यह न केवल उद्योग बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी होगा। यह एक इनोवेशन चेन स्थापित करता है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति देगा।

स्ट्रैटेजिक मटीरियल्स टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स पर रक्षा मंत्री ने कहा कि यह यूपी के औद्योगिक मानचित्र में एक नई दिशा जोड़ता है। इस कॉम्प्लेक्स के साथ जुड़ी सहायक इकाइयां और आपूर्ति उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करेंगे। उन्होंने कहा कि UP Defence Industrial Corridor एशिया के सबसे उन्नत निर्माण क्षेत्रों में से एक होगा, जो कई स्टार्ट-अप और MSME से जुड़ा होगा, जिससे युवाओं को प्रशिक्षण और तकनीकी अनुभव के अवसर मिलेंगे।

रक्षा मंत्री ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्य ने पिछले 10 वर्षों में औद्योगिक क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि बेहतर कानून और व्यवस्था ने निवेशक विश्वास बढ़ाया है और राज्य में फैक्ट्री, IT हब और अनुसंधान केंद्र स्थापित हो रहे हैं, जिससे यूपी देश की विकास इंजन बन गया है।

उन्होंने कहा, “हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं और अब Make-in-India से आगे बढ़कर Design, Develop और Deliver in India की दिशा में काम कर रहे हैं।” उन्होंने निजी क्षेत्र की भूमिका को भी सराहा और कहा कि यदि सरकार और उद्योग मिलकर काम करें, तो कोई भी लक्ष्य संभव है।

रक्षा मंत्री ने युवा, नवप्रवर्तक, MSME और स्टार्ट-अप से अपील की कि वे रक्षा क्षेत्र में अवसरों का लाभ केवल व्यवसाय के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्र की जिम्मेदारी के रूप में लें। उन्होंने कहा कि आज का काम नई पीढ़ी के नवप्रवर्तकों को प्रेरित करेगा।

उद्घाटन समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत और DG (BrahMos) डॉ. जयतीर्थ आर जोशी उपस्थित थे। PTC इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सचिन अग्रवाल ने संयंत्र की सुविधाओं की जानकारी दी।

इस अवसर पर PTC इंडस्ट्रीज लिमिटेड और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) के बीच एक संयुक्त उद्यम (JV) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य प्रोपल्शन सिस्टम, गाइडेड बम और छोटे एयरोइंजन का डिजाइन, विकास और निर्माण करना है। इस सहयोग का लक्ष्य उन्नत प्रोपल्शन तकनीकों का स्वदेशीकरण करना और रक्षा उत्पादन आधार को मजबूत करना है।

साथ ही, CEMILAC, DRDO ने PTC इंडस्ट्रीज को एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए टाइटेनियम रियर फिन रूट कास्टिंग और Kaveri Derivative Engine (KDE-2) के लिए ऑइल टैंक असेंबली टाइटेनियम कास्टिंग के लोअ (Letter of Technical Acceptance) जारी किए। इसके साथ GTRE के सहयोग से सिंगल क्रिस्टल ‘रेडी-टू-फिट’ टरबाइन ब्लेड्स का निर्माण भी किया जाएगा, जो आधुनिक जेट इंजनों के सबसे जटिल और मूल्यवान घटकों में से एक हैं।

50 एकड़ क्षेत्र में फैले इस स्ट्रैटेजिक मटीरियल्स टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स में 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 6,000 टन से अधिक है, जो घरेलू और पुनर्नवीनीकृत स्रोतों से एविशन-ग्रेड टाइटेनियम और सुपरएलॉय का उत्पादन करने में सक्षम है। यह भारत की रणनीतिक सामग्रियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

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