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ब्लैक होल की गतिविधियाँ रोकती हैं नए तारों का जन्म: भारतीय खगोलविदों का महत्वपूर्ण अध्ययन

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ब्लैक होल की गतिविधियाँ उसके आसपास नए तारों के जन्म को दबा सकती हैं — एक हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। यह खोज ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं के विकास की गहरी समझ प्रदान कर सकती है और यह भी समझाने में मदद कर सकती है कि कुछ आकाशगंगाओं में तारा-निर्माण की दर इतनी कम क्यों होती है।

गैलेक्‍सी के केंद्र में मौजूद अति-द्रव्यमान वाले ब्लैक होल गैस के प्रवाह (outflows) को बाहर फेंकते हैं। खगोलविद लंबे समय से अध्ययन कर रहे हैं कि ये गैस प्रवाह और विकिरण (radiation) कैसे मिलकर आकाशगंगाओं के विकास को प्रभावित करते हैं। अब तक यह समझना एक बड़ी पहेली रहा है कि गैस प्रवाह और ब्लैक होल से निकलने वाले विकिरण का सापेक्ष प्रभाव आकाशगंगाओं के विकास पर कितना होता है।

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics – IIA), जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) का एक स्वायत्त संस्थान है, के खगोलविदों के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन ने इन शक्तिशाली प्रक्रियाओं पर नई रोशनी डाली है। अध्ययन से पता चला है कि ब्लैक होल के आसपास की तीव्र विकिरण और उनसे निकलने वाले उच्च गति के जेट (jets) दोनों मिलकर आकाशगंगा के केंद्र से गैस को बाहर निकाल सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप आकाशगंगा के केंद्रीय क्षेत्रों में तारा निर्माण लगभग बंद हो जाता है, जिससे उसकी वृद्धि नियंत्रित होती है।

अंतरराष्ट्रीय खगोलीय वेधशालाओं जैसे Sloan Digital Sky Survey (SDSS) टेलीस्कोप (ऑप्टिकल तरंगदैर्घ्य) और Very Large Array (VLA) रेडियो टेलीस्कोप (रेडियो तरंगदैर्घ्य) से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने लगभग 500 निकटवर्ती आकाशगंगाओं का अध्ययन किया जिनके केंद्रों में सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक (Active Galactic Nuclei – AGN) मौजूद हैं। AGN वे ऊर्जावान क्षेत्र हैं जहाँ ब्लैक होल के आसपास गिरता हुआ पदार्थ अत्यधिक विकिरण और गैस उत्पन्न करता है।

अध्ययन की मुख्य लेखिका और IIA की पीएच.डी. छात्रा पायल नंदी बताती हैं —

“हमने पाया कि आयनित गैस के प्रवाह (outflows) AGN में बहुत आम हैं। हालांकि इनका प्रमुख कारण ब्लैक होल से निकलने वाला विकिरण है, लेकिन जिन आकाशगंगाओं में रेडियो जेट हैं, उनमें ये प्रवाह और भी तेज़ तथा ऊर्जावान पाए गए।”

शोध में यह भी पता चला कि रेडियो तरंगदैर्घ्य पर देखी जाने वाली आकाशगंगाओं में इन गैस प्रवाहों की उपस्थिति 56% मामलों में पाई गई, जबकि जिन आकाशगंगाओं में रेडियो उत्सर्जन नहीं था, उनमें यह केवल 25% थी। ये गैस प्रवाह 2000 किलोमीटर प्रति सेकंड तक की गति से चल सकते हैं — इतनी तेज़ कि वे पूरी आकाशगंगा के गुरुत्वाकर्षण से भी बच निकलें।

एक रूपरेखा जो दर्शाती है कि जेट और विकिरण दोनों वाले AGN, केवल विकिरण से संचालित AGN की तुलना में अधिक शक्तिशाली गैस प्रवाह उत्पन्न करते हैं, जिससे उनकी मेजबान आकाशगंगाओं पर अलग-अलग प्रभाव पड़ते हैं।

IIA के वैज्ञानिक सी. एस. स्टालिन, जो अध्ययन के सह-लेखक हैं, ने कहा —

“यह अध्ययन यह दिखाता है कि आकाशगंगाओं के विकास को समझने के लिए बहु-तरंगदैर्घ्य (multi-wavelength) डेटा को साथ में उपयोग करना कितना आवश्यक है।”

वैज्ञानिकों ने पाया कि इन गैस प्रवाहों की ऊर्जा का संबंध ब्लैक होल की कुल चमक (luminosity) से गहराई से जुड़ा है। विशेष रूप से उन आकाशगंगाओं में जिनमें रेडियो जेट मौजूद हैं, यह संबंध और भी मजबूत है। इसका अर्थ यह है कि जेट मुख्य कारण नहीं हैं, लेकिन वे ब्लैक होल से निकलने वाली ऊर्जा को “बूस्ट” कर अधिक गैस बाहर निकालने में मदद करते हैं।

सह-लेखक ध्रुबा जे. साइकिया (IUCAA) ने कहा —

“ये निष्कर्ष सुपरमैसिव ब्लैक होल, रेडियो जेट, तारा निर्माण और आकाशगंगा के विकास के बीच के जटिल संबंधों को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।”

अध्ययन में यह भी पाया गया कि इन गैस प्रवाहों के कारण आकाशगंगाओं के केंद्र में तारा निर्माण लगभग पूरी तरह बंद हो गया है। ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड अवलोकनों से यह पुष्टि की गई कि ये हवाएँ ब्लैक होल की गतिविधि से संचालित हैं, न कि नए तारों के बनने से।

इस प्रकार, यह अध्ययन तथाकथित निगेटिव AGN फीडबैक (negative AGN feedback) को दर्शाता है — यानी ब्लैक होल की गतिविधियाँ अपने आसपास नए तारों के बनने को रोक देती हैं।

यह अध्ययन The Astrophysical Journal में प्रकाशित हुआ है और यह ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं के विकास की प्रक्रिया को समझने में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह दिखाता है कि ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमय पिंड — सुपरमैसिव ब्लैक होल — भी अपने आसपास के तारों और आकाशगंगाओं के भाग्य को आकार देने में गहरा प्रभाव डालते हैं।

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