नई दिल्ली, अंतर्राष्ट्रीय आनुवंशिक अभियांत्रिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (ICGEB), नई दिल्ली ने आज BioE3@1 का आयोजन किया, जो भारत सरकार की BioE3 नीति की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। यह नीति बायोटेक्नोलॉजी को अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार से जोड़ने वाली एक प्रमुख पहल है।
कार्यक्रम का विषय था “संस्थान–उद्योग सहभागिता: जलवायु-लचीली कृषि और स्वच्छ ऊर्जा”। इसमें राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NABI), मोहाली; राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (NIPGR), नई दिल्ली; राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NIAB), हैदराबाद; कीटनाशक संरचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IPFT), गुरुग्राम; तथा क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB), फरीदाबाद ने सहयोग किया।
कार्यक्रम में बलराम चीनी मिल्स, प्रसाद सीड्स, नुजिवीदु सीड्स, बायोसीड्स, मैनकाइंड एग्रो और इंसेक्टिसाइड्स इंडिया जैसी अग्रणी कंपनियों ने भाग लिया। प्रथम सत्र में सहयोगी संस्थानों के निदेशकों ने जलवायु-लचीली कृषि और स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी अपनी नवीनतम तकनीकों का प्रदर्शन किया। द्वितीय सत्र में उद्योग पैनल चर्चा हुई, जिसका संचालन ICGEB, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. रमेश वी. सोन्टी ने किया।
इस अवसर पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें कृषि जैव प्रौद्योगिकी, सतत ऊर्जा, पशु स्वास्थ्य और कीटनाशक प्रौद्योगिकी से जुड़े नवाचार प्रदर्शित किए गए।
2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित BioE3 नीति का उद्देश्य भारत की जैव-अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर ले जाना और 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन की दिशा में देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करना है। यह नीति नवाचार, स्थिरता और समावेशी विकास को बढ़ावा देती है और राष्ट्रीय विकास के लिए एक रूपांतरणकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।