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न्यायालयीन अवमानना के घेरे में फंसे महासमुंद एसपी को हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस

 बिलासपुर। महासमुंद जिले के एसपी आशुतोष सिंह कानूनी विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। हाई कोर्ट ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के बाद कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। रायपुर के गुढ़ियारी, पार्वती नगर निवासी नरेन्द्र यादव से जुड़ा है, जो पहले महासमुंद पुलिस में आरक्षक के पद पर कार्यरत थे। लेकिन विभागीय कार्रवाई के चलते उन्हें सेवा से पृथक कर दिया गया था। इस कार्रवाई के खिलाफ नरेन्द्र यादव ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए 21 फरवरी 2024 को हाई कोर्ट ने राज्य शासन के पृथक करने के आदेश को निरस्त कर दिया और यादव को दोबारा सेवा में बहाल करने का आदेश दिया।


लेकिन हाई कोर्ट द्वारा तय 90 दिनों की समय-सीमा बीत जाने के बाद भी एसपी महासमुंद ने नरेन्द्र यादव को पुनः पदस्थ नहीं किया। इसे न्यायालय के आदेश की अवहेलना मानते हुए यादव ने अपने अधिवक्ताओं अभिषेक पांडेय और स्वाति कुमारी के माध्यम से अवमानना याचिका दायर की।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता केअधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ में कई आइएएस और आइपीएस अधिकारी हाई कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं और पीड़ित पक्षों को बार-बार प्रताड़ित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता को नियुक्ति न देना अदालत की अवमानना है।

अधिवक्ता ने न्यायालयीन अवमान अधिनियम, 1971 की धारा 12 का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने पर दोषी अधिकारी को छह माह का कारावास, 2000 रुपये जुर्माना या दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि एसपी महासमुंद को इस प्रावधान के तहत दंडित किया जाए। हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए एसपी आशुतोष सिंह को अवमानना नोटिस जारी जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

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