रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय केंद्रीय वित्त आयोग की बैठक में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के चलते अधोसंरचना में अतिरिक्त व्यय भार आता है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं। नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहे हैं। नक्सलवाद पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रदेश में प्रभावी कार्य किया जा रहा है। केंद्रीय वित्त आयोग से राज्य को ज्यादा वित्तीय सहायता प्राप्त की अनुशंसा की जाती है तो निश्चित ही पिछड़े इलाकों में लोकहित के कार्यों को बड़े पैमाने पर किया जा सकेगा।
CM साय ने कहा कि विकसित भारत के साथ ही विकसित छत्तीसगढ़ तैयार करने के लिए हम काम कर रहे हैं। देश तेजी से आर्थिक महाशक्ति बन रहा है और इसके लिए छत्तीसगढ़ भी पूरी मेहनत से काम कर रहा है। विकसित भारत के साथ ही विकसित छत्तीसगढ़ का निर्माण हम करेंगे। हमारी अपेक्षा है कि केंद्रीय वित्त आयोग छत्तीसगढ़ के हमारे विजन को बढ़ने में ज्यादा वित्तीय सहायता प्रदान करें। बैठक में वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया, डिप्टी CM अरुण साव और विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी और कृषि मंत्री रामविचार नेताम शामिल हुए।
वहीं खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, वित्त आयोग के सदस्य अजय नारायण झा, एन्नी जार्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पांडा, डॉ. सौम्यकांति घोष, सचिव रित्विक पांडे समेत दल के सदस्य उपस्थित थे। मुख्यमंत्री साय ने 16वें वित्त आयोग के साथ बैठक में राज्य की विशेष परिस्थितियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ को विशेष अनुदान देने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ नवोदित राज्य है, जो जनजातीय बहुल, कठिन भौगोलिक परिस्थितियों से घिरा और नक्सलवाद प्रभावित है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को विकसित राज्यों की बराबरी में लाने के लिए ज्यादा वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी। राज्य में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण रेल, सड़क, दूरसंचार, ऊर्जा, सिंचाई की परियोजनाओं की लागत और समय-सीमा में बढ़ोतरी के कारण हमें अतिरिक्त व्यय भार वहन करना पड़ रहा है। खनन गतिविधियों के कारण पर्यावरण को होने वाली क्षति और लोगों पर स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों से निपटने के लिए हमें अतिरिक्त धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। जीएसटी खपत और गन्तव्य आधारित कर प्रणाली के कारण खनन गतिविधियों का वास्तविक लाभ छत्तीसगढ़ को न मिलकर उन राज्यों को मिल रहा है जहां खनिजों का वैल्यू-एडिशन हो रहा है और खनिजों की खपत हो रही है।