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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का परीक्षा पर्व 6.0 कार्यक्रम आयोजित

 महासमुंद। परीक्षा के तनाव से बच्चों को निजात दिलाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद के सहयोग से स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महासमुंद में छात्रों शिक्षकों एवं पालकों के लिए विषय विशेषज्ञ प्रतीक खरे सचिव छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अगस्टीन बर्नाड सदस्य छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग, सतीश नायर सहायक संचालक शिक्षा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय महासमुंद, खेमराज चौधरी जिला बाल अधिकार संरक्षण अधिकारी के आतिथ्य में आयोजित हुआ। यह कार्यक्रम माननीय प्रधानमंत्री जी के परीक्षा पर चर्चा पर आधारित है एवं इसे परीक्षा पर्व 6.0 श्रृंखला में आयोजित किया गया है। देश भर में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा ये कार्यक्रम 250 जिलों में आयोजित किया जा रहा है।


बच्चों में परीक्षा के भय से तनावमुक्त करने विषय पर विशेषज्ञ प्रतीक खरे सचिव छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंशानुरूप मूल मंत्रों को साझा करते हुए बताया कि इस कार्यक्रम में 28 मंत्र बच्चो के लिए, 6 मंत्र पालकों के लिए एवं एक मंत्र शिक्षक के लिए है। इस मंत्र के तहत परीक्षा को एक पर्व को रूप में देखने की बात करते हुए बताया कि परीक्षा के भय से बच्चो में जो तनाव आता है उसे मुक्त होने का मंत्र समाहित है।

खरे ने बताया कि मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जो तनाव है उससे भागने के बजाय इस चुनौतियों का सामना करना चाहिए, जिससे सभी चुनौतियों को आसानी से सामना करने में बच्चे सक्षम बन सके। कोई भी व्यक्ति को चिंता करने के बजाय चिंतन कर योद्धा बनना चाहिए ये सभी की विस्तृत जानकारी एग्जाम वॉरियर्स किताब पर विस्तृत रूप से मिल सकती है। ज्ञान स्थायी होता है जानकारी स्थायी नहीं होता है इसलिए बच्चों को ज्ञानवान बनाने हेतु प्रयासरत होना चाहिए। अपने आप से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को लेकर उदाहरण बताते हुए इसकी समझा अभिभावक, बच्चों और शिक्षकों में बनाने का प्रयास किया गया। साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चो को पर्याप्त नींद पूरी कराना चाहिए इससे लर्निंग की गति बढ़ती है। खेलने कूदने का भी पर्याप्त अवसर देना चाहिए साथी ही पढ़ाई के साथ परिवर्तन करते हुए अन्य गतिविधियों का भी अवसर दे। विशेष ध्यान देना चाहिए कि बच्चों को वर्तमान में जीने देना चाहिए जिससे उसके मन में विचलन न हो इसके लिए तैयार करना चाहिए।

साथ ही बताया कि शिक्षक और विद्यार्थी का नाता परीक्षा का नहीं बल्कि एक दूसरे का नाता दिनों दिन बढ़ने वाला होना चाहिए जिससे बच्चे अपनी जिज्ञासा अपने शिक्षक से सहजता से पूरा कर सके। इन सभी मंत्रों के माध्यम से रीक्षा के भय, दर से आने वाले तनाव से मुक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके पश्चात कार्यशाला के संयोजक सतीश नायर सहायक संचालक शिक्षा विभाग महासमुंद ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से खेमराज चौधरी जिला बाल संरक्षण अधिकारी, श्रीमती सारिका कुंजाम एबीईओ सहित पालक, बालक और शिक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ईश्वर चंद्राकर शिक्षक डाइट महासमुंद ने किया।

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