Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

नहीं प्रकाशित होगी ISRO चीफ सोमनाथ की आत्मकथा, जाने क्‍या है वजह?

 ISRO Chief S Somnath : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व चीफ के सिवन को लेकर किए गए दावों पर विवाद होने के बाद इसरो के मौजूदा चीफ एस सोमनाथ  ने अपनी आत्मकथा  के प्रकाशन पर रोक लगा दी है। उन्होंने अपनी किताब में दावा किया था कि के सिवन ने उन्हें अंतरिक्ष एजेंसी  का चीफ बनने से रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘निलावु कुदिचा सिम्हांगल’ में कई आरोप लगाए थे। उनका यह भी कहना है कि बिना जरूरी टेस्ट के ही चंद्रयान 2 को लॉन्च कर दिया गया था और इसी वजह से यह मिशन फेल हो गया था।


एस सोमनाथ ने कहा, हर किसी को किसी संगठन में अपनी जगह बनाने या फिर शीर्ष तक पहुंचने में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी चुनौतियां सबके जीवन का हिस्सा होती हैं। सोमनाथ ने कहा, मेरा उद्देश्य किसी पर व्यक्तिगत आरोप लगाना नहीं था बल्कि यह बताना था कि इस तरह की बातें होती हैं। उन्होंने यह भी कहा, इस किताब का मुख्य लक्ष्य अपने जीवन की कहानी बताना नहीं है बल्कि इसका लोगों को जीवन की समस्याओं से लड़ने और सपना पूरा करने के लिए मेहनत करने की प्रेरणा देना है।

बता दें कि साल 2018 में ए एस किरण कुमार के रिटायर होने के बाद इसरो चीफ बनने के लिए के सिवन और एस सोमनाथ के नाम सामने आए थे। उस समय के सिवन रिटायर होने वाले थे लेकिन उनकी सेवा को बढ़ाकर उन्हें इसरो चीफ बनाया गया। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग उन्हीं के नेतृत्व में हुई थी जो कि फेल हो गई थी। इसके अलावा एस सोमनाथ ने अपनी किताब में लिखा कि के सिवन ने इसरो चीफ बनने के बाद भी विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के रूप में अपना पद नहीं छोड़ा था। सोमनाथ चाहते थे कि वह साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक बनें लेकिन के सिवन ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया। हालांकि जब पूर्व निदेशक डॉ. बी एन सुरेश ने दखल दिया तो छह महीने बाद सोमनाथ को डायरेक्टर बना दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें अध्यक्ष पद पर पहुंचने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए गए।

सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान- 2 के ज्यादा प्रचार की वजह से भी उसपर गलत प्रभाव पड़ा। इसके अलावा सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से यह चंद्रमा पर लैंड नहीं कर पाया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि चंद्रयान 2 की लैंडिंग के वक्त जब प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे थे तो उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया गया था। इन सब दावों के बाद इसरो चीफ ने कहा कि उन्होंने सिर्फ अपने जीवन की चुनौतियों को लिखा है जिससे बाकी लोग सीख ले सकें। यह सबके लिए आम बाता है कि ऊंचाई पर पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और विरोध का सामना भी करना पड़ता है।




Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.