आरंग। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार भांचा राम और दीदी कौशल्या को ग्राम बोडरा आरंग निवासी लोक कलाकार डाक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर और रायपुर के नरेन्द्र यादव ने अयोध्या से मिट्टी लाकर प्रतीकात्मक रूप से माता कौशल्या को तीज लेकर आऐं हैं।
माता कौशल्या को 15 सितंबर को चंदखुरी के पंडवानी गायिका प्रभा यादव के घर विधि विधान से स्थापित करने की तैयारियां जोरों पर है। माता कौशल्या को निमोरा रायपुर के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार से बनवाया गया है। जिसे लेकर लोगों में बहुत ही कौतूहल बना हुआ है। भांचा राम और दीदी कौशल्या की मूर्ति को छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप श्रृंगार किया गया है। दीदी कौशल्या को चुड़ी बंधा,सूता,करधन, सांटी खिनवा, जैसे छत्तीसगढ़ी आभूषणो से सुसज्जित किया गया है।
कलाकार ही संस्कृति के असली संवाहक डाक्टर पुरुषोत्तम
साथ ही अंडी साड़ी पहनाकर छत्तीसगढ़ महतारी की तरह आकर्षक बनाया गया है। वहीं भांचा राम को ताबीज, माला, पैजनी, करधन से श्रृंगार किया गया है। साथ ही उनके हाथ में खिलौना पकड़ाया गया है। कलाकारों की इस पहल को काफी सराहा जा रहा है। माता कौशल्या की प्रतिमा कैसे बनेगी लोगों में कौतूहल का विषय बना हुआ है।लोक कलाकारों द्वारा भांचा राम और दीदी कौशल्या को तीज में किसी भी प्रकार की कमी न हो इसका ध्यान रखा जा रहा है। लोक कलाकार डाक्टर पुरूषोत्तम का कहना है कलाकार ही संस्कृति के असली संवाहक हैं। माता कौशल्या के छत्तीसगढ़ में तीज लाने की परंपरा से नारी शक्तियां और भी गर्व महसूस करेंगी।
लोग और भी हर्ष और उल्लास से तीज मनाएगें। वहीं आरंग के सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन माता कौशल्या को तीज लाने की परंपरा के प्रचार-प्रसार में सहभागिता निभा रहे हैं।फांऊडेशन के सदस्यों का कहना है लोक कलाकारों की यह पहल से छत्तीसगढ़ी संस्कृति को और भी बढ़ावा मिलेगा। आने वाले दिनों में प्रदेश भर में तीज पर्व पर माता कौशल्या स्थापित किया जा सकता है।अब तक हम भगवान श्रीराम की पूजा आराधना करते हैं। पर अब माता कौशल्या की भी लक्ष्मी, दुर्गा की तरह मूर्ति स्थापना कर पूजा आराधना होगी। जो हम सबके लिए गौरव की बात है। माता कौशल्या छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा से उपजी पली बढ़ी है।