प्रदेश के लाखों वनोपज संग्राहक परिवारों को
स्थानीय स्तर पर वनोपज से जुड़े रोजगार मिला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश
बघेल की विशेष पहल पर वनोपज संग्राहकों को उनकी मेहनत का सही मूल्य दिलाने के लिए
लघु वनोपजों के क्रय मूल्य में बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने बताया कि राज्य में साढ़े
4 वर्षों में तेंदूपत्ता संग्राहकों को 2518.25 करोड़ रुपए
पारिश्रमिक एवं 339.22 करोड़ रुपए प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान
किया है। तेंदूपत्ता संग्राहकों की आय बढ़ाने के लिए शासन द्वारा तेन्दूपत्ता
संग्रहण दर को 2500 प्रति मानक बोरा से बढ़ाते हुए 4000
प्रति मानक बोरा कर दिया गया है।
वर्ष 2018-19 से 22-23 तक 30.35 लाख क्विंटल लघुवनोपज मूल्य 356.44 करोड रूपए की खरीदी कर देश में पहले स्थान प्राप्त किया है। इसी प्रकार सरकार ने महुआ फूल 17 रूपए से बढ़ाकर 33 रूपए किया। इमली प्रति किलो 25 से बढ़ाकर 36 रूपए किए। चिरौजी 93 रूपए से बढ़ाकर 126 रूपए किए। रंगीनी लाख 130 से बढ़ाकर 220 रूपए, कुसुमी लाख 200 से बढ़ाकर 300 रूपए, शहद 195 रूपए से बढ़ाकर 225 रूपए किए। तेन्दूपत्ता 25 सौ रूपए से बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा किए। छत्तीसगढ़ में वनोपज का समर्थन मूल्य बढ़ने से वनसंग्रहण से जुड़े राज्य के लाखों परिवारों को संबल मिला है। भूपेश सरकार के प्रति वनोपज संग्राहक परिवारों को विश्वास और भरोसा बढ़ा है। मंत्री अकबर ने कहा कि ग्राम पंचायतों में जाकर आमजनों से सीधा संवाद करने का उद्देश्य शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा है या नही इसकी जानकारी लेना है। इस अवसर पर होरी साहू संबंधित ग्राम पंचायत के पंच-सरपंच सहित जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।