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टीबी मुक्त ग्राम बनाने को सरपंच ने लिया संकल्प, उपचार करा रहे टीबी मरीजों का नियमित लेंगे हाल-चाल

रायपुर/आरंग। राज्य को टीबी मुक्त करने के उद्देश्य से चलाए जा रहे हैं, कार्यक्रम के तहत ग्राम को टीबी मुक्त ग्राम बनाने के लिए गुमा ग्राम के सरपंच दिनेश केसरिया ने संकल्प लिया है की वह अब गाँव के टीबी मरीज को गोद लेंगे और उसको 10 किलो अतिरिक्त राशन भी मुहैया कराएंगे।



ग्राम गुमा के सरपंच दिनेश केसरिया बताते हैं: ’’ टीबी चैंपियन दीपक सोनकर ने जानकारी दी कि शासन द्वारा वर्ष 2023 तक पूरे प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने को विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है। यह जानकर मुझे भी लगा कि अगर सरकार ने इतना बड़ा संकल्प लिया है तो मुझे भी इससे जुड़ना चाहिए और मैंने भी अपने ग्राम को टीबी मुक्त ग्राम बनाने का संकल्प लिया है। और अब मैं भी इस अभियान से जुड़कर लोगों को टीबी के प्रति जागरूक कर रहा हूँ और उपचार करा रहे मरीज़ का नियमित रूप से हाल चाल जानने का प्रयास भी कर रहा हूँ ।‘’

सरपंच केसरिया आगे बताते हैं: ‘’मैं टीबी चैंपियन दीपक सोनकर के साथ ग्राम में घर घर गया और लोगों को पंपलेट बांटकर जानकारी दी कि टीबी लाइलाज नहीं है अगर किसी व्यक्ति को टीबी हो गया है तो ग्राम पंचायत उसको गोद  लेगी उसको 10 किलो अतिरिक्त राशन भी उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही उस व्यक्ति के लिए अस्पताल लाने और ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था भी करवायी जायेगी । मैंने स्वतंत्रता दिवस पर संकल्प लिया है कि गांव में कोई भी टीबी मरीज नहीं रहेगा, और उपचार करा रहे मरीज का नियमित हाल-चाल लिया जाएगा।‘’

सरपंच केसरिया कहते है: गांव के कोटवार द्वारा भी नियमित रूप से अब टीबी मुक्ति की मुनादी करवाई जाएगी। मुनादी के दौरान टीबी के लक्षणों के बारे में बताया जाएगा। ग्राम स्तर पर माह में एक बार टीबी की जागरूकता के लिए चौपाल का आयोजन किया जाएगा। जिसमें कोशिश की जाएगी के ज्यादा से ज्यादा लोग चौपाल में पहुंचकर टीबी के लक्षणों, उसके कारण और उपचार के जानकारी प्राप्त करें, ताकि टीबी के प्रति फैली भ्रांतियां और अंधविश्वास को दूर हो किया जा सके। टीबी पॉजिटिव (धनात्मक) आने पर लोग अपना इलाज करवाएं। भविष्य में ग्राम के अब किसी भी व्यक्ति को टीबी न हो इसका प्रयास किया जाएगा। इसके अतिरिक्त लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने को बरसात उपरांत ग्राम में वॉल पेंटिंग भी करवाई जाएगी। ‘’

वहीं टीबी मुक्त रायपुर फाउंडेशन के अध्यक्ष नोहरी चंद्राकर ने बताया: ‘’नियमित रूप से टीबी का  उपचार करा रहे रोगियों के घर जाकर टीबी चैंपियन आपसी चर्चा करते हैं एवं किसी भी प्रकार की अंधविश्वास और दवाई ना खाने वाले रोगियों को नियमित दवाई खाने और अंधविश्वास का तार्किक उत्तर देकर अंधविश्वास को दूर  किया जाता है।

टीबी चैंपियन पुरुषोत्तम साहू बताते हैं: ‘’टीबी मरीज़ के गृह भ्रमण के दौरान हम लोग परिवार के सदस्यों की काउंसलिंग करते हैं। और परिवार को जानकारी देते है कि टीबी संक्रामक रोग है, लेकिन कुछ नियमों का पालन करने से टीबी के प्रसार को रोका जाता है। टीबी की पहचान होने पर मास्क का उपयोग करें। मरीज के साथ सकारात्मक व्यवहार करें । मरीज के बलगम का निष्पादन के लिए उचित प्रबंध करें। साथ ही मरीज के कमरे को दिन में कम से कम दो बार फिनाइल से पोंछा करें। मरीज को दवाइयों का नियमित सेवन कराया जाए।

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