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6 लाख 25 हजार गंवाया, चिटफंड के षिकंजे में फंसे नागरिकों की जनदर्शन में दस्तक

दुर्ग। चिटफंड कंपनियों में ठगी का शिकार हुए लोग जनदर्शन में अपनी फरियाद लेकर पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में शहर में संचालित संस्कार धानी इंफ्रा हाऊसिंग लिमिटेड कंपनी और सहारा इंडिया का नाम फिर से उछल रहा है। संस्कार धानी हाऊसिंग लिमिटेड से 6 लाख 25 हजार की ठगी  का शिकार हुए आवेदक ने अपने वक्तव्य में बताया कि वो बीएसपी का कर्मचारी था और उसने एम.आई.एस. स्कीम के तहत् 6 लाख रूपए की राशि इस हाऊसिंग लिमिटेड कंपनी में 2015 में लगाई थी। जिसमें उसे 2016 तक तय ब्याज भी मिला।



 इसलिए इस अवधि के दौरान उसने 25 हजार रूपए की राशि और सी.आर.पी. स्कीम के तहत् लगाई थी। लेकिन 2016 के बाद उसे ब्याज की राशि मिलना बंद हो गई और हाऊसिंग लिमिटेड कंपनी कही नदारद हो गई। इसके पश्चात् आवेदक ने न्याय की तलाश में उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। परिणाम उसके पक्ष में आया। जिसमें 01 महीने के अंदर उन्हें उनकी राशि वापस करने का आदेश भी पारित किया गया लेकिन आज भी आवेदक अपने पैसों का इतंजार कर रहा है।

ऐसे ही और ठगी का शिकार आवेदक के पैसों को सहारा इंडिया कंपनी गबन कर बैठा है। जिसमें आवेदक के कथनानुसार सहारा इंडिया कंपनी के सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्ट रेंज लिमिटेड स्कीम में उसने अपने जीवनभर की जमा पूंजी लाभ पाने की मंशा से और वृद्धा अवस्था में सुखद जीवन जीने के लिए लगाई थी। आज उस आवेदक का स्वास्थ्य खराब है उसे अपने ईलाज के लिए पैसे की जरूरत है। लेकिन आवेदक के हाथ खाली है और आंखे न्याय के लिए राह देख रही है। 

कलेक्टर ने दोनों ही आवेदकों की समस्या सुनी और वस्तु स्थिति अनुसार विधि पूर्वक कार्यवाही करने का उन्हें आश्वासन दिया और संबंधित अधिकारी को आवेदन प्रेषित किया। प्रशासन को नई दिशा देने के लिए और कार्यों के चिन्हांकन के लिए भी जनदर्शन एक बेहतर माध्यम बनता जा रहा है। इसी कड़ी के नगर निगम रिसाली अंतर्गत वार्ड क्रमांक 13 से भी एक आवेदन सड़क सुरक्षा के दृष्टिकोण से आया था। इस आवेदन में आवेदक ने जिले के पाटन मार्ग में मरोदा से उतई रोड के निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए,

  सड़कों में वाहन सुगम आवागमन के लिए डिवाइडर निर्माण और रात्रि के समय दुर्घटना से बचाव के लिए सड़क में रेडियम लगाने के लिए अपना आवेदन दिया था। उसने अपने सुझाव में सड़क में उचित स्थानों पर लाइटिंग व्यवस्था कराने की मांग भी रखी है। उसने जनकल्याण को दृष्टिगत रखते हुए यह आवेदन दिया था ताकि बेजुबान जानवरों और सड़क दुर्घटना के बढ़ते क्रम में कमी ला जा सके। कलेक्टर ने आवेदन में संज्ञान लेते हुए सड़क निर्माण के इस कार्य में बेहतर से बेहतर काम हो इसके लिए संबंधित अधिकारी को इसे प्रेषित किया।

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