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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हृदय रोग से ग्रसित 52 बच्चों की निशुल्क जांच

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत बसना के एक स्थानीय नर्सिंग होम में राजधानी रायपुर के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल द्वारा हृदय रोग से ग्रसित 52 बच्चों की निशुल्क जांच की गई, जिसमें 24 बच्चों को सर्जरी के लिए कहा गया। वहीं 8 बच्चे सामान्य पाए गए और 20 बच्चों को अभी मेडिसिनल फॉलोअप में रखा गया है। सभी 24 बच्चों की सर्जरी राजधानी रायपुर के  निजी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में निशुल्क किया जाएगा। इस शिविर के लिए 2 दिनों से तैयारी की जा रही थी। 

सुबह से ही सभी चिरायु दलों द्वारा बच्चों को उनके निवास स्थान से इकठ्ठा किया गया और 10 बजे के पहले ही सभी बच्चे शिविर में उपस्थित हो गए। इस विशेष शिविर में नवजात शिशु और बच्चों की हृदय रोग विशेषज्ञ किंजल बख्शी ने बच्चों की जांच की। ये शिविर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसआर बंजारे के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया, जिसमें बसना के अग्रवाल नर्सिंग होम के संचालक डॉ. अमित अग्रवाल, जिला कार्यक्रम प्रबंधक रोहित वर्मा, RMNCHA सलाहकार डॉ. मुकुंद राव और चिरायु दल के सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा।

बच्चों का हो रहा इलाज

बच्चे का जन्म परिवार में खुशियां लेकर आता है। पर कभी-कभी नवजात का आगमन मां-बाप को खुशी का मौका देने के साथ ही उनके माथे पर चिंता की लकीर भी खींच देता है । जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुए बच्चों के परिजनों को भविष्य की चिंता सताने लगती है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु योजना) के माध्यम से ऐसे बच्चों और उनके परिवारों की चिंता निशुल्क जांच और पूर्ण उपचार कर दूर की जा रही है। बता दें कि चिरायु योजना (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) के माध्यम से साल 21-22 में अब तक प्रदेश में 18 हजार 288 बच्चे जो विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे, जिसका पूर्ण उपचार किया गया है। इस योजना ने अनेक परिवारों की परेशानी दूर करने के साथ ही पीड़ित बच्चों को नव जीवन दिया है।

होता है निशुल्क जांच और इलाज

बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लाक के ग्राम भनेशर का बालक खोशांग दिव्य पिता संजय दिव्य का जन्म सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मस्तूरी में 15 दिसम्बर 2015 को हुआ था। बच्चे का जन्म से हृदय रोग से पीड़ित होने के कारण माता पिता द्वारा बच्चे का कई बड़े अस्पतालों में ईलाज करने का हर संभव प्रयास किया गया लेकिन बच्चे के दिल में बड़े छेद (VSD) होने की वजह से आपरेशन जटिल था और सर्जरी छत्तीसगढ़ में संभव नहीं थी।

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