Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

देश में पहली बार इस होली में गालों पर चढ़ेगा गोबर के गुलाल का रंग

अब तक आपने फूलों से बने हर्बल गुलाल से होली खेली होगी, लेकिन दंतेवाड़ा में इस बार होली गोबर के बने गुलाल से खेली जाएगी। जिले की सांई बाबा स्व सहायता समूह की महिलाएं गोबर से गुलाल बना रही हैं। देश में पहली बार गोबर से गुलाल बनाने का ये नया प्रयोग हुआ है। कलेक्टर दीपक सोनी ने सांई बाबा स्व सहायता समूह की दीदीयों द्वारा गोबर से निर्मित गुलाल की तारीफ कर समूह को बधाई और शुभकामनाएं दी। वैज्ञानिक नारायण साहू और स्व सहायता समूह ने कलेक्टर सोनी को गोमय और वनस्पति से निर्मित गुलाल भेंट किए।

दंतेवाड़ा के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन से फूल, सब्जियों के बाद महिलाएं अब गोबर से हर्बल गुलाल बना रही हैं। इसे 'गोमय हर्बल गुलाल' नाम दिया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में 11 मार्च से 14 मार्च 2022 तक फार्मटेक एशिया और कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय किसान मेला के आयोजन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस गोमय गुलाल को लॉन्च किया। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना पर काम हो रहा है। 

गोबर से कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट, दीए समेत अन्य वस्तुएं बनाई जा रही है। ऐसे में इस बार दंतेवाड़ा के वैज्ञानिकों ने गोबर से हर्बल गुलाल बनाने का न सिर्फ प्रयोग किया बल्कि इस पर काम भी किया, जिसकी तारीफ सीएम ने भी की। अब ये गुलाल इस होली ही छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में भेजा जा रहा है। ये हर्बल गुलाल को एनएमडीसी बैलाडीला, कलेक्ट्रेट परिसर, रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के साथ ही ऑनलाइन भी बेचा जा रहा है। 

वरिष्ठ वैज्ञानिक नारायण साहू ने दी जानकारी

केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक नारायण साहू ने बताया कि गोमय हर्बल गुलाल प्रसंस्कृत गोमय (गोबर), प्रसंस्कृत वर्मी कंपोस्ट और प्राकृतिक रंगों को मिलकर बनाया गया है। ये औषधीय गुणों से भरपूर है। ये एंटी रेडिएशन, एंटी बैक्टीरियल गुणों से युक्त है। ये सुगंधित है और त्वचा को ठंडकता प्रदान करती है। बालों और त्वचा की धुलाई, सफाई करती है।

इको और ह्यूमन फ्रेंडली गुलाल

उन्होंने कहा कि ये गुलाल पूर्णत इकोफ्रेंडली और ह्यूमन फ्रेंडली है। ये महिलाओं के आय सृजन के लिए कम लागत में तैयार किया गया है, जो गोठानों के शुद्ध कम्पोस्ट से बनाया गया है। सांई बाबा स्वसहायता समूह में 20 महिलाएं काम करती है। केवीके से जुड़कर काम करने वाली समूह की दीदीयां इसे बनाने के लिए काफी उत्साहित हैं। वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में काम कर रही शांति कश्यप, पूजा बघेल समेत अन्य महिलाओं ने बताया कि गोबर से गुलाल बनाने की जब बात आई तो उन्होंने भी उत्साहित होकर काम किया। नारायण साहू ने बताया कि इससे महिलाओं को अच्छी आय प्राप्त हो रही है।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.