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अधिवक्ता अपने वकालत का दुरूपयोग करने से बचे: डॉ नायक

रायपुर: राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक, सदस्य शशिकांता राठौर, अनीता रावटे और अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में शास्त्री चौक स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। सुनवाई में आवेदिका ने आयोग के आदेश का पालन करते हुए 50 हजार रुपए अनावेदक को आयोग के समक्ष सौंपा। आयोग के अध्यक्ष ने सीपीटीडब्ल्यूएस CPTWS रायपुर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स विवेकानंद सोसायटी के अध्यक्ष को आवेदिका की जमा राशि को तत्काल आवेदिका के एकाउंट में NEFTI से या RTGST से जमा करने के निर्देश दिए। इसकी सूचना अनावेदक आयोग कार्यालय दस्तावेज के साथ भेजने पर प्रकरण को निराकृत किया जा सकेगा। 

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में थाना प्रभारी तिल्दा के माध्यम से अनावेदक को उपस्थित कराने के लिए कई बार पत्र लिखा गया है। आज दिनांक की सुनवाई में भी थाना प्रभारी तिल्दा अनावेदक को उपस्थित कराने में असफल रहे हैं। इसके लिए अब आयोग रायपुर DGP को SP रायपुर की जिम्मेदारी तय सुनिश्चित कराने पत्र प्रेषित किया जाएगा, जिससे तिल्दा से अनावेदक आवश्यक रूप सुनवाई में उपस्थित हो। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने स्वयं को नौकरी से निकाले जाने को लेकर आवेदन प्रस्तुत किया था। जिस पर अनावेदक ने विस्तृत दस्तावेज प्रस्तुत किया है और बताया कि आवेदिका दुर्ग में प्रसव दिनांक को कार्यरत कार्यालय तोकापाल बस्तर में उपस्थिति पंजी पर हस्ताक्षर किया है। इस गंभीर अनियमितता को ध्यान में रखते हुए विभागीय उच्च अधिकारी ने आवेदिका को कार्यमुक्त कर दिया है। 

इस सम्बन्ध में आवेदिका चाहे तो संयुक्त संचालक के समक्ष अपील प्रस्तुत कर सकती है। यह प्रकरण आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हो जाने से नस्तीबद्ध किया गया। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आयोग की समझाइश पर आवेदिका के रिहायशी भवन में किसी प्रकार से अनावेदक हस्तक्षेप नही करेगा। अनावेदक द्वारा अगर किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप किया जाता है तो आवेदिका को पूर्ण अधिकार है कि वह अनावेदक के विरुद्ध पुलिस थाना में प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज करा सकती है। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका की बहू अनावेदिका है। दोनो अपने पुत्र और पति पर एकाधिकार चाहती है। 

सुनवाई में शपथ पत्र पर बयान दर्ज

यह आयोग द्वारा तय करना सम्भव नहीं है। दोनों पक्षों को समझाइश दिए जाने पर अनावेदिका बहु का कहना है कि वह अपने पति के सहमति से तलाक लेना चाहती है। दोनो को अलग रहते 3 माह हुआ है। एक वर्ष बाद आपसी राजीनामा से तलाक के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में दुर्ग जिला में सुनवाई के समय आयोग कार्यालय में दोनो पक्ष को शपथ पत्र पर बयान दर्ज कर उपस्थित होने के निर्देश दिए गये थे। आज आयोग के सुनवाई में शपथ पत्र पर बयान दर्ज किया गया। उक्त दस्तावेजों और प्रकरणों को सुनने के बाद स्पष्ट हुआ कि आवेदिका अधिवक्ता है, उनके द्वारा अपने पक्षकार के पैरवी करने के वास्तविक रूप में अनावेदकगणो से चर्चा हुई थी। जिसे लेकर आवेदिका ने यह शिकायत किया कि अनावेदक ने उससे दुर्व्यवहार किया है। 

ऑडियो क्लिप को सभी सदस्यों ने सुना

आवेदिका द्वारा ऑडियो क्लिप को सभी सदस्यों ने सुना। ऑडियो में ऐसे कोई तथ्य नही आया जो आवेदिका के साथ दुर्व्यवहार की श्रेणी में आता हो। अनावेदक ने आवेदिका  के प्रस्तुत अपील को स्वीकार किया है। जिसके खिलाफ आवेदिका उच्च न्यायालय या उच्च अपीलीय न्यायालय में पुनः अपील कर सकते हैं। अनावेदक गण ने बताया कि धारा 107 के तहत प्रकरण सुनने की पात्रता थी, लेकिन अनावेदक ने धारा 108 भूल सुधार का आवेदन प्रस्तुत किया था। इसको अब आवेदिका कहती है कि मैंने किसी अन्य के कहने पर ऐसा किया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि आवेदिका अपने पक्षकार का प्रकरण सही ढंग से प्रस्तुत करने के लिए कानून की जानकर नही थी। इस तथ्य का मूल आवेदिका से मांगने पर दस्तावेज नही दे पाई है ऐसी स्थिति में आवेदिका का प्रकरण अभद्रता और अशोभनीय व्यवहार प्रमाणित नही होने से इस प्रकरण की निरस्त कर नस्तीबद्ध किया गया। 

मामले की प्रशासनिक जांच जारी

जांजगीर चापा के एक प्रकरण में आवेदिका ने धान खरीदी केंद्र के प्रांगण में अवैध कब्जा कर मकान बना लिया है। जिसकी नोटिस दिए जाने पर बचने के लिए आवेदिका ने आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। इस प्रकरण पर कब्जा वैध है या अवैध इस पर प्रशासनिक जांच जारी है। यह प्रकरण आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर है। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगणो के विरुद्ध  जांजगीर जिले के हसौद थाने में एफआईआर दर्ज हो चुका है। अनावेदक जमानत पर रह रहे है। यह प्रकरण न्यायालय में प्रक्रियाधीन होने पर आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर है। इस तरह जांजगीर चापा के दो प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

आवेदिका के पति के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच का मामला

एक अन्य प्रकरण में कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक के विरुद्ध आवेदिका ने मानसिक प्रताड़ना का आवेदन प्रस्तुत किया है। आयोग की सुनवाई में वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि आवेदिका के पति के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। जिसमें न्यायालय से सजा हो चुकी है। इस कारण उनके निर्वाह भत्ता के निराकरण में नियमानुसार कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। आवेदिका एक गृहणी हैं और उन्हें अपने पति का ईलाज कराने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उनके जीवन निर्वाह भत्ता या विभाग में जमा राशि की आवश्यकता है। 

मामला न्यायालय में लंबित

अनावेदकगण को आयोग ने आवेदिका के प्रकरण की शीघ्र जांच कर रिपोर्ट की समस्त दस्तावेज आगामी सुनवाई में आवश्यक रूप से प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने पिछली सुनवाई में स्वीकार किया था कि जमीन बिक्री होने पर आवेदिका को उसका हिस्सा दे देगा। आज की सुनवाई में अनावेदक कहता है कि 12 लाख रुपये की जमीन बिक्री किया। उसका पैसा मिला नही है। मामला न्यायालय में लंबित है। आयोग के समक्ष समस्त दस्तावेज प्रस्तुत किया है। आवेदिका ने बताया कि उनके पैतृक संपत्ति से कोई राशि नही मिली है। उस पैतृक संपत्ति के 8 दावेदार है। 12 लाख रुपये में 1/8 हिस्सा 1लाख 50 हजार रुपये पाने की हकदार आवेदिका है। आवेदिका उस प्रकरण में मध्यस्थ बनकर अपना हक लेने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकती है। अनावेदक न्यायालय में लंबित प्रकरण की जानकारी आवेदिका और अन्य अनावेदक को देंगे। इसके बाद दोनों पक्ष अपना दावा अदालत में पेश कर सकेंगे। जिससे इस प्रकरण को निराकृत किया जा सकेगा। 

31 प्रकरणों पर हुई सुनवाई

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक पीडब्ल्यूडी में सब इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। जो आयोग की कई सुनवाई में अनुपस्थित रहा है। अनुपस्थिति का कारण पूछे जाने पर अनावेदक में आयोग से माफी मांगने के साथ ही कहा कि आवेदिका पत्नी के बैंक खाते में 39 हजार रुपये प्रतिमाह देता हैं। मकान पति पत्नी के संयुक्त नाम से है। आवेदिका जब चाहे मकान पर रह सकती है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक दूसरी औरत के कारण उसे घर से निकाल दिया है। जिसके कारण आवेदिका अब उस मकान में नही रहना चाहती। उनके 2 बच्चे जो 16 और 12 वर्ष के है जो साथ रह रहे है। बच्चो के स्कूली खर्च की जिम्मेदारी अनावेदक की है। शासकीय सेवा पुस्तिका में आवेदिका और बच्चों का नाम दर्ज है। जिसकी दस्तावेज अगली सुनवाई में अनावेदक को लाने कहा गया है। मकान का वर्तमान मूल्य और सम्पत्ति का कागजात जमा करने के निर्देश दिए गए। जनसुनवाई में 39 प्रकरण में 31 पक्षकार उपस्थित हुए, 10 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। जबकि बाकी अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

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