भारत में खासकर छत्तीसगढ़ में चावल चाव से खाया जाता है। वैसे तो पूरे देश में ही चावल को पसंद किया जाता है। चावल के पकवान खाने के फायदे और नुकसान दोनों हैं। ऐसे में लोग अपनी जरुरत के हिसाब से ही चावल खाते हैं। आपने आज तक व्हाइट, ब्लैक, रेड और ब्राउन राइस के बारे में ही सुना होगा। फिटनेस फ्रीक लोग अक्सर सफ़ेद की जगह ब्राउन राईस खाना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी बांस के ग्रीन राइस (हरा चावल) के बारे में सुना है। नहीं, तो हम बता रहे हैं। इसके फायदे और उत्पादन के संबंध में। जी हां, बांस के चावल काफी फायदेमंद होते हैं। इसमें ऐसे-ऐसे गुण हैं, जिसके बारे में जानने के बाद आप भी बांस के चावल खाने की तमन्ना रखेंगे।
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बांस का चावल |
मर्दों के लिए है फायदेमंद है बांस चावल
बांस के चावल यानी बैम्बू राईस के काफी फायदे हैं। इस पर हुई रिसर्च में सामने आया है कि इसे खाने पर महिला और पुरुष दोनों की ही इम्युनिटी बढ़ती है। साथ ही इस चावल में फर्टिलिटी बूस्टर के तत्व मौजूद हैं। ऐसे में इनका सेवन प्रेग्नेंसी के चान्सेस बढ़ाता है। बैम्बू राइस खाने से पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। इसके सेवन से मर्दों में स्पर्म काउंट बढ़ता है जिसकी वजह से प्रजनन क्षमता बूस्ट होती है। ना सिर्फ मर्दों के ऊपर बल्कि महिलाओं के लिए भी ये चावल फायदेमंद है। इस तरह से संतानहीन दंपति इसका उपभोग कर संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं। बैम्बू राइस के और भी कई फायदे हैं। इसमें आम चावल और गेंहू से ज्यादा प्रोटीन होता है। साथ ही इसमें ज्यादा फाइबर भी होता है। फाइबर का सेवन बॉडी से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।
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बांस के फूल में लगा अनाज |
मधुमेह नियंत्रण में भी उपयोगी है बैम्बू राइस
आमतौर पर डायबिटिक पेशेंट चावल नहीं खाते हैं। लेकिन बैम्बू राइस डायबिटीज को कन्ट्रोल करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और लिनोलेइक एसिड बॉडी के शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। डायबिटीज पेशेंट को बांस के चावल खाने चाहिए। बांस के चावल का सेवन जोड़ों के दर्द, कमर दर्द और आमवाती दर्द में ही आराम दिलाता है।
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बांस के फूल |
इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है। साथ ही इस चावल का सेवन लंबे समय तक पेट भरा रहने का अहसास दिलाता है। इससे मोटापा दूर होती है। बैम्बू राइस को मूड ठीक करने में भी मददगार माना जाता है। बैम्बू राइस का सेवन बॉडी में न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटिन और डोपामाइन रिलीज करता है। इससे लोगों का मूड अच्छा होता है। साथ ही बैम्बू राइस का सेवन काफी पॉजिटिव चेंजेस भी लेकर आता है।
बाजार में आमतौर पर उपलब्ध नहीं है यह चावल
बांस के चावल (बैम्बू राइस), जिसे मुलयारी के नाम से भी जाना जाता है, वास्तव में यह एक मरने वाले बाँस की गोली का बीज है, जो इसके जीवन काल के 60 वर्ष में जाकर उत्पन्न होता है। शोध के अनुसार, यह जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण और प्रमुख स्रोत है। यह चावल बाजार में आमतौर पर उपलब्ध नहीं है। लेकिन इसकी ऑनलाइन बिक्री बहुत अधिक है। इसमें एक पौधे को फूल बनने में कई साल लगते हैं। जिसमें से इस छोटे अनाज वाले चावल को निकाला जाता है। जब खाना पकाने की बात आती है, तो इसे किसी भी अन्य किस्म के चावल की तरह पकाया जाता है और इसका स्वाद बहुत मीठा होता है। एक बार पकने पर इसकी बनावट में अंतर दिखाई देता है। यह चावल चबाने वाली और थोड़ी नम है और अक्सर इसका उपयोग खिचड़ी बनाने के लिए किया जाता है।
दर्द निवारक है यह चावल
बांस के चावल पर किए गए एक अध्ययन में पता चला कि इसमें चावल और गेहूं दोनों की तुलना में प्रोटीन सामग्री काफी अधिक है। इसका सेवन जोड़ों के दर्द, कमर दर्द और आमवाती दर्द आदि में भी काफी फायदेमंद है। इसका नियमित सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही इसमें मधुमेह को नियंत्रित करने के चमत्कारी गुण मौजूद है। विशेषज्ञों के अनुसार, बांस के चावल के औषधीय गुण इसे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए एक स्मार्ट विकल्प हैं और अनुमान है कि आने वाले 5 वर्षों में, बांस के चावल भारतीय किराना बाजार में एक अच्छा पकड़ बना लेंगे।