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ग्रामीण महिलाएं भी दोहरी जिम्मेदारी निभाने में नहीं हैं पीछे

शहरी महिलाएं पुरुषों के समान कई दायित्व निभाकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। अब यह बात सामान्य भले हो चुकी है, लेकिन उनसे प्रेरित होकर अब ग्रामीण महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। वे कई भूमिकाओं का निर्वहन कर सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है। इसका मिसाल अंबिकापुर के लखनपुर जनपद के राजपुरीकला निवासी ललिता सिंह है, जो पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ मनरेगा के मेट की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही है। अब वह अपने गांव में सिर्फ एक गृहणी ही नहीं बल्कि मेट में रूप में भी पहचाने जाने लगी है।

31 साल की ललिता सिंह बीते 8 सालों से अपने ग्राम पंचायत में मनरेगा मेट का काम करते आ रही है। आज ग्रामवासी जानते हैं कि ललिता मनरेगा कार्यस्थल पर गोदी नापने, मस्टर रोल भरने और मनरेगा से संबंधित अन्य काम करती है। अपनी देख-रेख में उन्होंने कई डबरी और तालाब गहरीकरण के काम कराई हैं। ललिता बताती हैं कि पहले मेजरमेंट टेप पकड़ने में डर लगता था, लेकिन अब खुद नाप लेती हैं। मोबाइल मॉनिटरिंग एप के जरिए 20 से ज्यादा श्रमिक वाले कार्यों की ऑनलाइन एंट्री भी कार्यस्थल से कर लेती हैं। 

घर-घर जाकर देती है काम शुरू होने की जानकारी

5 सदस्यीय परिवार में उनके पति राज मिस्त्री है। मेट के रूप में कार्य करने से परिवार को आर्थिक मदद मिल जाती है। ललिता सिंह अपने काम के प्रति बहुत संवेदनशील है। वो श्रमिक महिलाओं को कार्यस्थल पर आने और 100 दिवस काम के प्रति जागरूक भी करती है। मनरेगा के कार्य शुरू होने की जानकारी घर-घर जाकर देती है।

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