रायपुर: राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के द्वारा कर्मचारियों के लिए 'परिवार संवर्धन' विषय पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 36 से ज्यादा प्रशिक्षक जमीनी स्तर पर मनो-सामाजिक देखभाल और अन्य सेवाओं को नए तरीके से ढालना सीख रहे हैं। खासकर कोरोना के बाद आने वाली मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों के परिपेक्ष्य में सीखा।
कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) द्वारा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो स्कीनकेस (निमहांस), बेंगलुरु के सहयोग से किया जा रहा है। ये पहली बार है कि छत्तीसगढ़ में मनोवैज्ञानिकों, सामुदायिक नर्सों और मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए इस तरह का परिवार केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस तरह के अभ्यास से उन्हें अपने परिवारों और उन लोगों के साथ बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिलेगी, जिन्हें वे प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सेवा प्रदान करेंगे।
'स्वास्थ्य संबंधी तकलीफें उठानी पड़ी'
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए निमहांस के सह - प्राध्यापक डॉ. जयकुमार ने कहा कि कोरोना से उत्पन्न मुद्दों के कारण परिवार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्हें परिवार के सदस्यों को खोने का दुख झेलना पड़ा और स्वास्थ्य संबंधी तकलीफें उठानी पड़ी। साथ ही आर्थिक नुकसान और बाधित दिनचर्या का भी सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा इस से उपजा तनाव अक्सर एक खतरनाक मोड़ लेता है और गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। पारिवारिक जीवन संवर्धन को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है - तनाव को कम करना, प्रतिकूल परिस्थितियों से मुकाबला करने की क्षमता में बढ़ोतरी करना और उनके रुख को अधिक लचीला बनाना।
मुकाबला करने के तंत्र में सुधार होता है: डॉ. जयकुमार
डॉ. जयकुमार ने कहा कि हम इसे उन प्रतिभागियों में मजबूत कर रहे हैं, जो बारी-बारी से मरीजों को उनके संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षण और परामर्श देंगे। ये प्रशिक्षण मॉड्यूल व्यावहारिक रूप से लागू होता है, कुछ ऐसा जिसे वे बिना शब्दजाल के लोगों को आसानी से समझा सकते हैं। इस तरह संदेश समाज में गहराई तक जाता है और मुकाबला करने के तंत्र में सुधार होता है।
प्रतिभागियों ने साझा किए अपने विचार
डॉ. जयकुमार ने परिवार की अवधारणा और इसके विभिन्न आयामों को समझाने के लिए कई अभ्यासों का इस्तेमाल किया। उन्होंने प्रतिभागियों को संयुक्त और एकल अभ्यासों जैसे प्रत्येक परिवार के प्रकार के लिए विशिष्ट समाधान प्रदान करने के बारे में बताया। प्रतिभागियों ने भी बातचीत की और अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने बताया वो बदली हुई वास्तविकता को कैसे देखते हैं।
रायगढ़ के वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी ने बताया अनुभव
बिलासपुर की सामुदायिक नर्स एंजेलीना वैभव लाल ने कहा वे एक व्यक्ति के जीवन में परिवार के प्रभाव के बारे में जानती थीं, लेकिन सत्र के पहले दिन उन्होंने सीखा कि मानसिक स्वास्थ्य किस हद तक किसी के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक व्यवहार को प्रभावित करता है। रायगढ़ के एक वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी पी. अतीत राव ने कहा कि पारिवारिक जीवन के विभिन्न आयाम जो उन्होंने पहले दिन के दौरान सीखे, वह रोगियों को समाधान प्रदान करने में मदद करेंगे। उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि हमें एक परिवार के भीतर शक्ति-संतुलन के बारे में बताया गया था कि यह एक एकल परिवार में मुखिया के हाथों में कैसे केंद्रित होता है या यह एक संयुक्त परिवार में कैसे अधिक वितरित होता है।
'प्रशिक्षण निजी जीवन में भी उपयोगी'
उन्होंने कहा कि ये अंतर्दृष्टि इस बात की कुंजी है कि व्यवहार कैसे आकार लेते हैं और कैसे पारिवारिक संबंधों को बेहतर बनाया जा सकता है और बंधनों को मजबूत किया जा सकता है। यह आखिर में सभी के लिए बेहतर मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी होगी। रायगढ़ की मनोरोग नर्स निशा पटेल ने कहा कि कार्यक्षेत्र के अलावा प्रशिक्षण प्रशिक्षकों के लिए उनके निजी जीवन में भी उपयोगी होगा।