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आयुर्वेद चिकित्सा से मिलता है कई रोगों से छुटकारा, आयुर्वेद कॉलेज सहायक प्राध्यापक ने दी जानकारी

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का मुख्य उद्देश्य मनुष्य के स्वास्थ्य की रक्षा और रोगी के रोगों की चिकित्सा है। इस पद्धति में निरोगी काया या रोगग्रस्तता का मुख्य कारण तीन दोषों वात, पित्त और कफ की सामान्य अवस्था या विषम अवस्था को माना गया है। रायपुर शासकीय आयुर्वेद कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. त्रिभुवन सिंह पावले ने बताया कि आयुर्वेद की विशिष्ट चिकित्सा विधा पंचकर्म के द्वारा शरीर को निरोग रखा जा सकता है। ये कई असाध्य और पुराने रोगों के प्रभावी इलाज में भी कारगर है। 

आधुनिक जीवन शैली से होने वाले कई रोगों के बचाव और इलाज में पंचकर्म चिकित्सा बेहद प्रभावी है। उन्होंने बताया कि भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों में पंचकर्म चिकित्सा की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। रायपुर शासकीय आयुर्वेद कॉलेज के चिकित्सालय में पंचकर्म चिकित्सा के लिए पृथक विभाग और संसाधन मौजूद हैं, जिससे लोग बड़ी संख्या में लाभान्वित हो रहे हैं। डॉ. पावले ने बताया कि पंचकर्म चिकित्सा मुख्यत शोधन और शमन चिकित्सा है, जिसके द्वारा रोग के कारणों को शरीर से बाहर निकाला जाता है। 

'शरीर का होता है कायाकल्प' 

पंचकर्म चिकित्सा के अंतर्गत पूर्वकर्म, प्रधानकर्म और पश्चात कर्म किया जाता है। पूर्वकर्म में स्नेहन और स्वेदन किया जाता है। प्रधान कर्म में रोगी और रोग के आयु, पूर्व रोग, शारीरिक बल और रोग की तीव्रता और जीर्णता के मुताबिक वमन, विरेचन, बस्ति, नस्य और रक्त मोक्षण कर्म किया जाता है। इस चिकित्सा में रोगानुसार प्राय कोई एक कर्म किया जाता है। पश्चात कर्म में संसर्जन, संतर्पण कर्म और रसायन के साथ शमन चिकित्सा की जाती है। ये चिकित्सा ऐसी प्रक्रिया है, जिससे शरीर का कायाकल्प हो जाता है।

आयुर्वेद विशेषज्ञों से परामर्श 

पंचकर्म चिकित्सा मधुमेह, हृदय रोग, अस्थमा, पुराने जुकाम, एलर्जिक रोग, महिलाओं से संबंधित रोग, नपुंसकता, मोटापा, पेट संबंधी रोगों, कब्ज, अम्लपित्त, भोजन में अरुचि, हड्डियों और जोड़ों के रोग, लकवा, कैंसर, चर्म रोग, अनिद्रा और मानसिक तनाव जैसे अनेक रोगों के इलाज में कारगर हैं। पंचकर्म चिकित्सा के दौरान और इसके बाद में आयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा बताए गए सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। डॉ. पावले ने बताया कि पंचकर्म चिकित्सा लोकप्रिय तो हो रही है, लेकिन विशेषज्ञता के अभाव, प्रशिक्षण की कमी और इसका शास्त्रीय ज्ञान न होने के कारण अनेक जटिलताएं भी पैदा हो रही हैं। जटिलताओं से बचने के लिए लोगों को पंचकर्म के लिए शासकीय आयुर्वेद चिकित्सालय, औषधालयों और आयुर्वेद विशेषज्ञों से ही परामर्श लेना चाहिए।

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