महासमुंद। छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक व्यवस्था का आलम यह है कि मुख्यमंत्री की घोषणा पर भी अमल करने में उदासीनता बरती जा रही है। 26 जनवरी की शाम पटेवा के आदिवासी कन्या छात्रावास में हुई दुर्घटना पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीड़िता परिवार को तत्काल सहायता राशि 5 लाख रुपये देने की घोषणा की। 4 लाख रुपये आरबीसी 6-4 के तहत और एक लाख रुपये छात्र बीमा योजना के अंतर्गत देने का ऐलान किया । चार दिन बाद भी पीड़ित परिवार को सहायता राशि नहीं मिली। तब media24media ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर पीड़ित परिवार की व्यथा बताई थी। खबर प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। महासमुंद कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर ने बीमा की राशि तत्काल परिवार को दिलाने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया। इस पर एक लाख रुपये का चेक बनाकर RTGS करने की प्रक्रिया की जा रही है। पटेवा नायाब तहसीलदार के एस बघेल ने कल रात करीब 8 बजे पीड़ित परिवार को एक लाख रुपये का सांकेतिक चेक भेंट किया। शेष राशि चार लाख रुपये के संबंध में पीड़ित परिवार को बताया कि यह प्राकृतिक आपदा नहीं है, इसलिए आरबीसी 6-4 का प्रावधान लागू नहीं होता है। इसलिए विद्युत विभाग इस पर अग्रिम कार्यवाही कर राशि उपलब्ध कराएगी।
जनसंपर्क विभाग ने जारी किया यह खबर
आज सुबह जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार " महासमुंद ज़िले के पटेवा प्री मेट्रिक आदिवासी कन्या छात्रावास में हुई दुर्घटना में मृतक छात्रा किरण दीवान क़े पिता मनहरण दीवान को छात्र सुरक्षा बीमा योजना क़े तहत मंगलवार को एक लाख की बीमा राशि प्रदाय की गयी । कलेक्टर के निर्देश पर नायब तहसीलदार खीरसागर बघेल ने आर टी जी एस क़े माध्यम सौंपी।
इस तरह हुआ था हादसा
मालूम हो कि छात्रावास में हुई दुर्घटना में छात्रा की दुःखद मृत्यु 26 जनवरी को राष्ट्रीय झंडे उतारते समय करंट लगने से हुई थी। उनके परिवार को छात्र बीमा क्षतिपूर्ति के रूप में यह राशि प्रदाय की गई है। कलेक्टर ने उसी दिन छात्रावास की अधीक्षिका को तुरंत कर्तव्य में लापरवाही बरतने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।"
विद्युत विभाग के अफसरों ने पल्ला झाड़ लिया
इस संबंध में पूछने पर विद्युत वितरण कम्पनी के पिथौरा डी ई एमएल साहू का कहना है कि विद्युत विभाग में मुआवजा देने के अपना गाइडलाइन है। जब विद्युत विभाग की खामी होती है। तार टूट कर गिरा रहता है, तब मुआवजा प्रकरण बनता है। इसमें विभागीय लापरवाही नहीं है। फिर भी हमने दुर्घटना की विस्तृत जानकारी उच्च कार्यालय को भेज दिया है। मुआवजा देने या नहीं देने का निर्णय उच्चाधिकारी करेंगे।
विद्युत विभाग ने जिम्मेदारी लेने से किया इंकार
डेड लाइन में करंट सप्लाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह अधोसंरचना है। किस लाइन का उपयोग हमें कब करना है, यह विभागीय मामला है। तार चोरी न हो, इसके लिए भी हम लोग अनुपयोगी लाइन में सप्लाई चालू रखते हैं। किसी भी लाइन को डेड लाइन नहीं मानना चाहिए। तार खींचा गया है, मतलब करंट सप्लाई चालू है, यह मानकर विद्युत आपूर्ति लाइन से समुचित दूरी बनाकर रखें। इसी में सबकी भलाई है। दुर्घटना निश्चय ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह उन्होंने इस दुर्घटना के लिए विद्युत विभाग की किसी प्रकार की जिम्मेदारी से साफ इंकार किया।