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सल्हाईटोला गौठान में स्व-सहायता समूह विकसित कर रहा ड्रैगन फ्रूट का बगीचा, रोपे एक हजार पौधे

छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी ग्राम योजना के तहत निर्मित गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। गांवों के मवेशियों के डे-केयर सेंटर के रूप में गांव-गांव में बनाए गए गौठनों में विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों का संचालन कर गौठान को ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है।  ग्रामीणों को उनके गांव में ही आजीविका के साधनों से जोड़कर उन्हें रोजगार और आय का जरिया उपलब्ध कराना रूरल इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने का उद्देश्य है।

ग्रामीणों को लाभप्रद रोजगार से जोड़ने के लिए गौठनों में अनेक नवाचार किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में बालोद जिले के आदिवासी विकासखंड डौंडी के ग्राम सल्हाईटोला में निर्मित गौठान में नवाचार के रूप में भगवती स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं द्वारा वर्तमान में 01 हजार नग ड्रैगन फ्रूट के पौधे का रोपण किया गया है, जिससे आगामी साल में अच्छी आय की उम्मीद है। 

सल्हाईटोला गौठान ले रहा रूरल इंडस्ट्रियल पार्क का आकार

ग्रामीणों द्वारा विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों के संचालन से इस गौठान को ग्रामीण औद्योगिक पार्क का स्वरूप मिल रहा है। सल्हाईटोला के गौठान में विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों में गांव के स्व-सहायता समूहों के लगभग 109 महिला और पुरूष जुड़े हुए हैं। स्व-सहायता समूह वर्मी-कंपोस्ट के निर्माण के साथ-साथ मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन, दोना-पत्तल निर्माण, राइस मिल संचालन, मशरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन जैसी विभिन्न गतिविधियों से जुड़े हैं। वर्मी कंपोस्ट तैयार कर रहे 2 समूह को 73 हजार रुपए, मछली पालन करने वाले समूह को 40 हजार रुपए की आमदनी अब तक हुई है। मुर्गी पालन करने वाले समूह को हर 45 दिन में लगभग 30 से 40 हजार रुपए की आमदनी हो रही है। 

गौठान में एक समूह द्वारा फलदार पेड़ों की नर्सरी लगाई गई है। वहीं एक समूह ने एक हजार ड्रेगन फ्रूट के पौधे लगाए हैं, जिनसे आने वाले समय में अच्छी खासी आमदनी की उम्मीद समूह को है। यहां दुग्ध उत्पादन के लिए डेयरी की गतिविधि भी संचालित की जा रही है। सल्हाईटोला गौठान में प्रेरणा स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं द्वारा गौठान के निकट निर्मित डबरी में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है, जिससे समूह को अब तक लगभग 40 हजार रूपए अतिरिक्त आय प्राप्त हुई है। 

सरस्वती स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं द्वारा गौठान में निर्मित शेड में ब्रायलर मुर्गी पालन का कार्य किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक चक्र यानी 45 दिन में लगभग 30 से 40 हजार रूपए की आय प्राप्त होगी। गायत्री स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं द्वारा उद्यान विभाग के मार्गदर्शन में नर्सरी का कार्य किया जा रहा है, जिसमें मनरेगा के तहत नर्सरी में आम, आंवला, मुनगा, करंज, नीम उन्नत किस्म के फलदार, छायादार और औषधीय पौधे तैयार किया जा रहा है। गौठान को ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित करने के लिए वर्किंग शेड तैयार किया गया है, जिसमें संगम स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं द्वारा दोना-पत्तल निर्माण का काम किया जा रहा है, जिससे उन्हें लगभग 15 हजार रूपए आय प्राप्त हुई है। 

इसी तरह सरस्वती स्व-सहायता समूह की 05 महिलाओं द्वारा मिनी राइस मिला के माध्यम से प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई है, जिसमें दाल, हल्दी, धनिया, मिर्च को प्रसंस्कृत कर विक्रय किया जा रहा है, जिससे लगभग 17 हजार रूपए आय प्राप्त हुई है। गौठान में त्रिवेणी स्वसहायता समूह की 11 महिलाओं द्वारा मशरूम शेड में मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू किया गया है। गौठान के चारागाह में उन्नत चारा नेपियर का उत्पादन कर पशुओं को खिलाया जा रहा है। चारागाह की शेष भूमि पर बमलेश्वरी स्व-सहायता समूह और संगम स्वसहायता समूह की 21 महिलाओं द्वारा ड्रिप सिंचाई पद्धति से सब्जी उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। 

वर्मी कंपोस्ट बेचकर दो समूहों ने कमाए 73 हजार रुपए

इस गौठान में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत सहेली स्व-सहायता समूह और ज्योति स्व-सहायता समूह की 22 महिलाओं द्वारा वर्मी कंपोस्ट उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। अब तक 1210 क्विंटल गोबर क्रय कर 299 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर 223 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट विक्रय किया गया है, जिससे समूह को 73 हजार रूपए और गौठान समिति को 13 हजार रूपए की आय प्राप्त हुई है। गौठान में पशु चिकित्सा विभाग द्वारा समय-समय पर पशु इलाज और टीकाकरण शिविर का आयोजन किया जाता है। 

गौठान में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए HF नस्ल की गायों के माध्यम से डेयरी काम का संचालन भी किया जा रहा है। बालोद जिले के कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने बताया कि सरकार के मन मुताबिक पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से गौठान में गांव की महिलाएं और युवा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जिससे इनकी आय में भी अतिरिक्त बढ़ोतरी हो रही है।   

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