देश में कोरोना की तीसरी लहर का कहर अभी थमा नहीं है। अभी भी रोजाना 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। वहीं रोजाना 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। इसी बीच महाराष्ट्र के ठाणे जिले में बर्ड फ्लू का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक ठाने के पड़ोसी जिले पालघर के वसई विरार इलाके के मुर्गी पालन केंद्र की मुर्गियों में इस संक्रमण की पुष्टि हुई है। पालघर पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रशांत कांबले ने बताया कि मुर्गी पालन केंद्र (पोल्ट्री फार्म) की कुछ मुर्गियां मृत मिली थी, जिसके बाद उनके नमूनों को जांच के लिए भेजा गया था।
डॉक्टर कांबले ने बताया कि जांच के नतीजे शुक्रवार रात को आए, जिसमें मुर्गियों के H5N1 वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। कांबले ने दावा किया कि ये स्थिति गंभीर नहीं है। उन्होंने ये भी स्पष्ट नहीं किया कि पोल्ट्री फार्म की कितनी मुर्गियां मरी हैं। हालांकि जिले के कलेक्टर ने संक्रमित क्षेत्र के एक किलोमीटर की परिधि के इलाके को संक्रमित जोन घोषित किए हुए सभी पंक्षियों को मारने का आदेश दिया है।
2 हजार पक्षियों को मारने के आदेश
वहीं संबंधित जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सावधानी बरतते हुए इलाके में कुल 2 हजार पक्षियों को मारने के आदेश दिए हैं। इस प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि अभी तक इन दो जिलों के अलावा राज्य के किसी भी पक्षी में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है। अधिकारियों ने कहा कि इसके के अलावा संक्रमित क्षेत्र से 10 किलोमीटर के इलाके को सर्विलांस क्षेत्र घोषित कर दिया है। जिसका मतलब ये है कि इस 10 किलोमीटर के इलाके में किसी भी तरह का क्रय-विक्रय अगले आदेश तक प्रतिबंधित रहेगा।
ठाणे में सबसे पहले बर्ड फ्लू की पुष्टि
बता दें कि इस हफ्ते के शुरुआत में ठाणे जिले के शाहपुर तहसील स्थित वेहलोली गांव के पोल्ट्री फार्म में करीब 100 पक्षियों की मौत हुई थी, जिनके नमूनों की जांच में उन्हें बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई थी। अधिकारी ने बताया कि इसके बाद जिला प्रशासन ने एक किलोमीटर के दायरे में मौजूद मुर्गी पालन केंद्रों की करीब 25 हजार पक्षियों को मारने का आदेश दिया था।
प्रवासी पक्षियों की वजह से फैलता है फ्लू (Bird Flu News)
पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मुताबिक भारत में बर्ड फ्लू का ज्यादातर संक्रमण प्रवासी पक्षियों के वजह से ही फैलता है। इसके बाद संक्रामक वस्तुओं से, जैसे कोई व्यक्ति, कपड़ा, सामान, खाने-पीने की वस्तुएं संक्रमित इलाके से देश के अंदर आई हों। हालांकि, भारत सरकार ने साल 2005 में ही बर्ड फ्लू के प्रसार को रोकने के लिए एक्शन प्लान बना लिया था। तब से इसी प्लान को अपडेट कर फॉलो किया जाता है।
ऐसा होता है बर्ड फ्लू का खतरा
बर्ड फ्लू से संक्रमित पहला इंसान साल 1997 में मिला था, जबकि इंसानों से इंसानों को बर्ड फ्लू होने का पहला मामला साल 2003 में चीन में सामने आया था। उससे पहले इंसानों के एक दूसरे के संपर्क में आने से एच7एन9 (H7N9) वायरस के संक्रमण के कोई सबूत नहीं मिले थे। सिर्फ पक्षियों के साथ सीधे संपर्क में आने से इंसानों में बर्ड फ्लू संक्रमण का खतरा होता था।
इंसानों के लिए जानलेवा
बर्ड फ्लू वायरस पक्षियों और मुर्गियों के लिए तो जानलेवा होता ही है, साथ ही यह इंसानों के लिए भी जानलेवा है। इंसानों में बर्ड फ्लू से संक्रमण का पहला मामला साल 1997 में हांगकांग में सामने आया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तब से लेकर अब तक इससे संक्रमित होने वाले करीब 60 फीसदी लोगों की मौत हो चुकी है। इसलिए कोरोना की तरह इस वायरस से भी लोगों को बचकर रहने की जरूरत है।
2014 में मिला था पहला मामला
जनवरी 2014 में कनाडा ने अमेरिका में H5N1 वायरस से संक्रमित पहले व्यक्ति की सूचना दी थी। संक्रमित यात्री चीन से लौटा था। इसके बाद आज तक संयुक्त राज्य अमेरिका में H5N1 वायरस के संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। फ्लू के वायरस लगातार बदल रहे हैं और एनिमल फ्लू के वायरस इस तरह बदल सकते हैं कि वे लोगों को आसानी से संक्रमित करने और लोगों के बीच फैलने की क्षमता हासिल कर सकते हैं, जिससे महामारी फैल सकती है।