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निर्माणाधीन इमारत में लोहे का स्लैब गिरने से 6 की मौत, इंजीनियर्स की लापरवाही आई सामने

महाराष्ट्र हादसों का गढ़ बनता जा रहा है। प्रदेश में किसी न किसी दुर्घटना की खबर रोजाना सामने आ रही है। ताजा मामला पुणे का है, जहां एक मॉल के निर्माण के दौरान लोहे का स्लैब गिरने से 6 मजदूरों की मौत हो गई। जबकि 2 गंभीर रूप से घायल हैं। पहले 7 लोगों की मौत की खबर दी गई थी। कुछ अन्य भी घायल हुए हैं, जिन्हें पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। PM नरेंद्र मोदी ने इस हादसे को लेकर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट कर मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई है। 

हादसा शास्त्री वाडिया बंगले के पास हुआ है,  जहां एक मॉल बनाया जा रहा था। इसके बेसमेंट में लोहे का स्लैब ढह गया। पुणे के DCP रोहिदास पवार ने बताया कि निर्माण के दौरान जो सावधानियां बरतनी चाहिए थी, शायद वो नहीं बरती गई। वहीं ट्रैफिक पुलिस कमिश्नर राहुल श्रीराम ने बताया कि इमारत में देर रात तक काम चल रहा था, तभी अचानक लोहे का भारी भरकम स्लैब गिर गया, जिस वक्त हादसा हुआ, वहां 10 मजदूर काम कर रहे थे। मरने वाले अधिकांश मजदूर बिहार के बताए जा रहे हैं।

विधायक सुनील टांगरे ने कहा कि 'मुझे पता चला है कि इस साइट पर 24 घंटे लगातार निर्माण काम चल रहा है। इसलिए हमें नहीं पता कि ये मजदूर कितने समय से काम कर रहे थे। वे थके हुए होंगे, जिसके कारण दुर्घटना हो सकती है। यहां मौजूद अन्य मजदूरों ने मुझे सूचित किया है कि घायल बिहार के हैं। अधिकारियों ने इमारत गिरने के कारणों की जांच शुरू कर दी है।' 

मजदूरों का कहना है कि हादसे के बाद कंपनी की ओर से कोई भी व्यक्ति उनका हाल जानने के लिए नहीं आया। जिंदा बचे मजदूरों में कई ऐसे हैं, जो 10 मिनट पहले तक मृत हुए मजदूरों के साथ काम कर रहे थे। हादसा कुछ देर पहले हुई होती तो 17 और मजदूर इसमें दबते और मरने वालों का आंकड़ा बहुत ज्यादा हो सकता था। जो जिंदा बचे हैं। उनका आरोप है कि हमारे अपनों को इस दुनिया से गए 12 घंटे से ज्यादा का समय हो गया, लेकिन न ठेकेदार और न ही कंपनी का कोई आदमी उनका हाल जानने के लिए यहां आया है।

हादसे में बचे मजदूरों ने बताई आपबीती

मॉल का निर्माण पुणे की अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से किया जा रहा है। शुरुआती जांच में कंपनी के इंजीनियरों की लापरवाही सामने आ रही है। पुणे के पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता के आदेश पर कंपनी के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज किया गया है। हादसे में बाल-बाल बचे मजदूरों का कहना है कि जाल को अगर सही समय पर हटाया गया होता तो कइयों की जान बचाई जा सकती थी। हमने अपने पास मौजूद औजारों से ही जाल के नीचे दबे मजदूरों को बाहर निकाला।

मृतकों के परिजन को 5-5 लाख देने का ऐलान

मरने वाले सभी मजदूर बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले थे। जिन लोगों की इस हादसे में मौत हुई है, उनमें मोहम्मद सोहेल अहमद, मोहम्मद मोबिन आलम, एमडी समीर, मसरूफ हुसैन और मुनीब आलम शामिल हैं। सभी पिछले तकरीबन एक साल से पुणे में रह रहे थे। मजदूरों के जख्मों पर मरहम लगाते हुए राज्य सरकार ने सभी मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। इसके अलावा डिप्टी CM अजित पवार ने इस पूरे हादसे की जांच का आदेश दे दिया है।

सोहेल अहमद के भाई मोहम्मद 

मृतक सोहेल अहमद के भाई मोहम्मद अंजार ने बताया कि 'रात 10 बजे भाई से आखिरी बार बात हुई थी। इसके बाद हम सोने के लिए जा रहे थे। इसके बाद तकरीबन 11 बजे फोन आया कि भाई खत्म हो गया है। साइट पर न इंजीनियर था, न सेफ्टी वाला था और न ही सुपरवाइजर मौजूद था। जाल के नीचे दबे लोगों को निकालने में तकरीबन एक घंटे का समय लग गया। हमारे लोग नीचे दबे हुए थे और कंपनी का कोई स्टाफ उन्हें निकालने में कोई मदद नहीं कर रहा था।'

26 जनवरी को भी हुआ था हादसा

हादसे में अपने साथियों को गंवाने वाले अखिल राजा मूसाभाई ने बताया कि 'हमारे अपनों की मौत हो गई है, लेकिन इनके शवों को उनके घर, यानी बिहार भिजवाने का इंतजाम नहीं किया जा रहा है। मरने वालों में तीन शादीशुदा थे। किसी को तीन और किसी की दो बेटियां हैं। अब सब अनाथ हो चुके हैं और इनके परिवार का खर्च चलाने वाला कोई नहीं है। जिनकी शादी नहीं हुई है, उन दो मजदूरों की उम्र 22 और 23 साल थी। इनके कंधे पर पूरे परिवार को चलाने की जिम्मेदारी थी। हम यहां की सरकार से अपील करते हैं कि वे हमारी बातें सुने और शवों को कम से कम इन गरीबों के घर तक भिजवाने का काम करे।' बता दें कि महाराष्ट्र में बीते महीने 26 जनवरी को मुंबई के बांद्रा में एक बहुमंजिला इमारत गिर गया था, जिसमें दबने से 7 लोगों की मौत हो गई थी।

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