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महाशिवरात्रि के अवसर पर 24 घंटे में पूजा के 7 मुहूर्त, 6 राजयोग में शिवरात्रि

महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में अपना विशेष महत्व है। इस दिन सभी श्रद्धालु शिवलिंग में जल चढ़ाकर भोलेनाथ का आशीर्वाद लेते हैं। मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था। इस तिथि को हिंदू धर्म को मानने वाले भगवान शिव और माता पार्वती के महामिलन के उत्सव के रूप में मनाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती का विवाह होने से इसका महत्व ज्यादा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर कोई श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

कल शिव पूजा का महापर्व यानी शिवरात्रि है। पंचांग के हिसाब से ये दिन फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को होता है, जो कि इस बार 1 मार्च को है। शिव पुराण में लिखा है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग से ही सृष्टि शुरू हुई थी। इस दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने शिवलिंग की पूजा की थी। तब से हर युग में इस तिथि पर भगवान शिव की महापूजा और व्रत-उपवास करने की परंपरा चली आ रही है। इस पर्व पर दिनभर तो शिव पूजा होती ही है, लेकिन ग्रंथों में रात में पूजा करने का खास महत्व बताया गया है। 

4 प्रहरों में शिवजी की पूजा

स्कंद और शिव पुराण में लिखा है कि शिवरात्रि पर रात के 4 प्रहरों में शिवजी की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इस तिथि पर भगवान शिव लिंग के रूप में रात में ही प्रकट हुए थे, इसलिए शिवरात्रि पर रात के चारों प्रहर में पूजा करने से जाने-अनजाने हुए पाप और दोष खत्म हो जाते हैं। अकाल मृत्यु नहीं होती और उम्र भी बढ़ती है।   ज्योतिषाचार्य के मुताबिक महाशिवरात्रि पर शिव योग बन रहा है। साथ ही शंख, पर्वत, हर्ष, दीर्घायु और भाग्य नाम के राजयोग बन रहे हैं। 

गुरु की युति बनना भी शुभ

इस दिन मकर राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र और शनि रहेंगे। इन ग्रहों के एक राशि में होने से पंचग्रही योग बन रहा है। वहीं इस महापर्व पर कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति बनना भी शुभ रहेगा। बृहस्पति धर्म-कर्म और सूर्य आत्मा कारक ग्रह होता है। इन दोनों ग्रहों की युति में शिव पूजा का शुभ फल और बढ़ जाएगा। शिवरात्रि पर सितारों की ऐसी स्थिति पिछले कई सालों में नहीं बनी।

पूजा के मंत्र

  • ॐ नम: शिवाय
  • ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्।
  • ऊर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्।। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ

इस तरह करें व्रत

शिवरात्रि पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल और काले तिल मिलाकर नहाएं। इसके बाद दिनभर व्रत और शिव पूजा करने का संकल्प लें। व्रत या उपवास में अन्न नहीं खाना चाहिए। पुराणों में जिक्र है कि पूरे दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए। जानकारों का कहना है कि इतना कठिन व्रत न कर सकें तो फल, दूध और पानी पी सकते हैं। इस व्रत में सुबह-शाम नहाने के बाद शिव मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहिए।

आरती के बाद कर्पूरगौरं मंत्र

  • कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
  • सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

इस मंत्र का अर्थ यह है कि जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है। इस अलौकिक मंत्र के हर एक शब्द में भगवान भोलेनाथ की स्तुति की गई है। किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूरगौरम.. मंत्र क्यों बोला जाता है इसके पीछे भी बड़ा रहस्य है।

पूजा के लिए सामग्री

शिव की आराधना के समय बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, मदार पुष्प, सफेद फूल, गंगाजल, गाय का दूध, मौसमी फल सामग्रियां रखें और विधिपूर्वक भोलेनाथ का पूजन करें। महाशिवरात्रि का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं। शंकर कृपा से आरोग्य प्राप्त होता है, सुख, सौभाग्य बढ़ता है।

महाशिवरात्रि में शिव योग 

इस बार महाशिवरात्रि शिव योग में है। 01 मार्च को शिव योग दिन में 11:18 बजे से शुरू होगा और पूरे दिन रहेगा। शिव योग 2 मार्च को सुबह 8:21 बजे तक रहेगा। शिव योग को तंत्र या वामयोग भी कहते हैं। धारणा, ध्यान और समाधि अर्थात योग के अंतिम तीन अंग का ही प्रचलन ज्यादा रहा। शिव कहते हैं 'मनुष्य पशु है' पशुता को समझना ही योग और तंत्र का शुरू माना गया। इस योग में मोक्ष या परमात्मा को पाने के तीन मार्गों को बताया गया. जागरण, अभ्यास और समर्पण।

श्मशान वासी भगवान शिव

भगवान शिव शमशान वासी हैं। उनका स्वरूप भयंकर और अघोरी प्रवृति वाला है, लेकिन यहां ये स्तुति बताती है कि उनका (भगवान शंकर) स्वरुप दिव्य है और वे सुंदर हैं। भोलेनाथ को सृष्टि का अधिपति माना जाता है। वे मृत्युलोक के देवता हैं। उन्हें पशुपतिनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे संसार के समस्त जीव के अधिपति हैं। ये स्तुति इसी कारण से गाई जाती है क्योंकि जो इस समस्त संसार का अधिपति है वो हमारे मन में वास करें। शिव मृत्यु के भय को दूर करते हैं।

वेद स्वरूप हैं भगवान शिव

शिव का अर्थ वेद होता है। कहा गया है कि 'वेद: शिव: शिवो वेद:' यानी वेद शिव हैं और शिव वेद हैं। शिव वेदस्वरूप हैं। ये योग वेदाध्ययन, आध्यात्मिक चिंतन आदि शुरू करने के लिए उत्कृष्ट होता है। जितने भी बौद्धिक कार्य हैं; वे सभी शिव योग में उत्तम माने गए हैं। परोपकार, दयालुता और लोककल्याण के कार्य इस योग में बहुत ही सफलतादायक माने गए।

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