महाराष्ट्र में दुष्कर्म के एक मामले में सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी की उम्र कैद की सजा को कम करके 10 साल करने का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ये भी कहा कि दुष्कर्म की वजह से पैदा हुआ बच्चा भी अपराध का शिकार हुआ है, इसीलिए उसे भी मुआवजा मिलना चाहिए। बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेप के दोषी को पीड़िता के बच्चे को 2 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश जारी किया।
हाईकोर्ट की जज साधना जाधव और जज पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने बच्चे को मुआवजा देने का आदेश जारी किया है। जानकारी के मुताबिक कोर्ट को इस बात की जानकारी दी गई थी कि प्रसव के बाद दुष्कर्म पीड़िता की मौत हो गई, जिसके बाद दोषी और पीड़ित दोनों परिवारों ने ही बच्चे को छोड़ दिया। इस वजह से बच्चे को अनाथ आश्रम मे पाला जा रहा है। इस बात का पता चलने के बाद कोर्ट ने बच्चे को मुआवजा देने का आदेश जारी किया है।
पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुआ था केस
बॉम्बे हाईकोर्ट ने खार के रहने वाले रमेश वावेकर को बच्चे की भलाई के लिए 2 लाख रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया। बेंच ने कहा कि कानून एक निर्दोष बच्चे को पीड़ित हालत में नहीं छोड़ सकता। इसीलिए दोषी की तरफ से उसे 2 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। जानकारी के मुताबिक रमेश के खिलाफ 2015 में सांताक्रूज पुलिस स्टेशन में पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। उस समय नाबालिग रेप पीड़िता 8 महीने की गर्भवती थी। 8 अक्टूबर 2015 को उसने एक बच्चे को जन्म दिया था। शनिवार को इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि रेप की वजह से पैदा हुआ बच्चा भी अपराध का शिकार है, उसे भी मुआवजा मिलना चाहिए।