परंपरागत तौर पर धान की खेती करने वाले छत्तीसगढ़ के किसान अब खेती-किसानी में नए नवाचार करने लगे हैं। धान की आधुनिक खेती के साथ-साथ सुगंधित धान, फोर्टीफाईड धान की खेती की ओर तेजी से अग्रसर राज्य के किसान अब अन्य लाभकारी फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी के क्षेत्र में पूरी सफलता के साथ हाथ आजमाने लगे हैं। धान के बदले अधिक मुनाफा देने वाली फसलों विशेषकर उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत फल-फूल, सब्जी, मसाला की खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है।
उद्यानिकी की खेती में नवाचार कर राज्य के हजारों किसानों ने न सिर्फ अपनी स्थिति में बदलाव लाया है, बल्कि लोगों को पौष्टिक और स्वादिष्ट फल और सब्जी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में अहम रोल अदा कर रहे हैं। बिलासपुर जिले के मस्तुरी ब्लॉक के मल्हार की महिला किसान दिव्या देवी वर्मा ने उद्यानिकी के क्षेत्र में नवाचार का जो प्रयोग किया है, वो तारीफ के काबिल है। दिव्या देवी वर्मा अपने पति जदुनंदन प्रसाद वर्मा और परिवार के साथ सामान्य बागवानी के अलावा गुणवत्तायुक्त चार प्रकार की रंगीन फूलगोभी की खेती कर ज्यादा मुनाफा अर्जित करने के साथ ही लोगों की भोजन-थाली को भी पौष्टिकता बना रहे हैं।
सामान्य खेती के साथ ही कुछ अलग करने की चाह रखने वाले वर्मा दंपति को कोरोना काल में पौष्टिक और गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादन का विचार मन में आया। इसी के चलते कृषक वर्मा दंपत्ति ने रंगीन फूलगोभी के बारे में विभिन्न स्त्रोतों से जानकारी जुटाई और इसका बीज मंगाकर खेती करना शुरू किया। रंगीन गोभी के उत्पादन के बाद किसान परिवार को इसके बाजार की चिंता करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी, क्योंकि खेत से ही तुड़ाई के बाद उसकी हाथों-हाथ बिक्री आसानी से हो रही है।
वर्मा दंपति द्वारा उत्पादित विभिन्न रंगों की गोभी को देखकर लोग बहुत आकर्षित होने लगे हैं। बीते 3 फरवरी को सांसद राहुल गांधी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में उद्यानिकी विभाग की प्रदर्शनी के अवलोकन के दौरान रंग-बिरंगी फूलगोभी देखकर प्रसन्नता जताई थी। उन्होंने इसकी खेती के बारे में भी वर्मा दंपति से जानकारी लेने के साथ ही उनके नवाचार को सराहा था। महिला किसान ने बताया की उनके पास दो एकड़ का खेत है, जिसमें उनका परिवार 22 सालों से खेती कर रहा है।
धान के बदले उद्यानिकी फसल लेने से अब उन्हें ज्यादा लाभ होने लगा है। पहले वो केला की फसल ले रहे थे। इसी बीच उन्होंने रंगीन फूलगोभी की जानकारी प्राप्त की और सिंजेंटा कंपनी का बीज मंगाकर सामान्य फूलगोभी की तरह खेती करना शुरू किया। वे पांच रंग की गोभी सफेद, पीला, जमुनी, हल्का हरा और हरे रंग में ब्रोकली का उत्पादन कर रहे हैं। सामान्य सफेद रंग की गोभी से अलग रंगीन गोभी के स्वाद में मीठापन थोड़ा ज्यादा होता है।
लगभग पौन एकड़ में 15 हजार पौधे लगाकर औसतन 8-10 हजार किलो का उत्पादन करने लगे हैं। किसान जदुनंदन वर्मा ने बताया कि गोभी की पौष्टिकता और गुणवत्ता को देखते हुए लोग उनके फार्म से सीधे खरीद कर ले जाते हैं। सामान्य गोभी के मुकाबले बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है। इसकी कीमत बाजार में 100 रुपए किलो से ज्यादा है। राज्य में इसकी लोकप्रियता बढ़ते देख हर जगह से इसकी मांग बढ़ गई है। रंगीन फूलगोभी की पौष्टिकता और गुणवत्ता को देखते हुए अब अन्य किसान भी इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
उद्यानिकी संचालक माथेश्वरन वी ने बताया की रंगीन गोभियां न सिर्फ देखने में खूबसूरत लगती है, बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। इसमें विटामिन ए कैरोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। इसमें फाइटो केमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो बीमारी और बॉडी इंफेक्शन से लड़ने में सहायक होता है। ये वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद भी करता है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और जिंक होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
ये बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। इसकी खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी काफी उपयुक्त मानी जाती है। इसको लगाने का सही समय सितंबर से अक्टूबर है, शेष अन्य सभी क्रियाएं फूलगोभी की खेती की तरह ही की जाती है। उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि उद्यानिकी की नई तकनीक और प्रजातियों को किसानों तक पहुंचाने में उद्यानिकी विभाग निरंतर कोशिश कर रहा है, ताकि किसानों की आय को बेहतर किया जा सके।